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शनिवार, 12 दिसंबर 2020

स्मार्टफोन को सीसीटीवी कैमरा कैसे बनाएँ?

स्मार्टफोन को सीसीटीवी कैमरा कैसे बनाएँ?

जब स्मार्टफोन कि बात आती है तब सबकुछ संभव है। स्मार्टफोन को cctv कैमरा बनाने के लिए आप ipwebcam का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर आप कोई स्पाई ऐप्स कि मदद से भी अपने समेटफोन as a CCTV कैमरा कि तरह प्रयोग में ला सकते हैं।

चलिए मैं बताता हूं कि आप कैसे अपने फोन को CCTV कैमरा कि तरह प्रयोग कर सकते है?

जैसा कि मैंने बताया कि आप ipwebcam के जरिए उस फोन को कैमरे का प्रयोग निगरानी के तौर पर कर सकते हैं।

चलिए जानते है कैसे अपने फोन को CCTV कैमरा कि तरह प्रयोग करे?

  • इसके लिए आपको ipwebcam को प्ले स्टोर से डाउनलोड करने की आवश्यकता है।
  • उसके बाद अपने फोन और लैपटॉप same wi-fi नेटवर्क से कनेक्ट करने जरूरत है।
  • आपके फोन जितने भी कैमरे कि ऐप्स डाउनलोड है उन सबको बंद यानी Force Stop कर देना है।
  • IP Webcam ऐप लॉन्च करें और नीचे तक स्क्रॉल करें और स्टार्ट सर्वर पर टैप करें।
  • ऐप अब आपके फोन के कैमरे को लगाएगा और एक यूआरएल प्रदर्शित करेगा। हमारा URL http://171.32.15.110:8080 था।
  • अपने कंप्यूटर पर किसी भी ब्राउज़र में इस URL को दर्ज करें और Enter दबाएं।
  • उसके नीचे, आपको ऑडियो रेंडर दिखाई देगा। HTML wav चुनें।

अब आप अपने ब्राउज़र में एक लाइव वीडियो फ़ीड देखेंगे। आप इस फोटो को ब्राउजर के जरिए रिकॉर्ड भी कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए, बस वीडियो के नीचे लाल रिकॉर्ड बटन दबाएं। यह MP4 के रूप में फोटो को देखते है। यदि आप ब्राउज़र में HTML wav ऑडियो सक्षम करते हैं तो यह एक हल्का अंतराल होगा। आप फ्लैश विकल्प का चयन कर सकते हैं (सभी कंप्यूटरों पर काम नहीं करता है) या वीएलसी मीडिया प्लेयर में एक ही URL खोलें।

!! धन्यवाद !!

पैन कार्ड को आधार से लिंक करना अनिवार्य - 10 हजार रुपए जुर्माना

नहीं किया PAN- Aadhar लिंक तो लग सकता है 10 हजार रुपए जुर्माना, यह है आखरी डेट

जैसा की सभी जानते हैं आधार कार्ड (Aadhar Card) एक बेहद जरूरी सरकारी डाक्यूमेंट है. वहीं पैन कार्ड की भी काफी महत्ता है. बता दें कि सरकार के निर्देश के अनुसार पैन कार्ड को आधार से लिंक (Pan-Aadhaar link) करना अनिवार्य कर दिया है. मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक अब 31 मार्च 2021 तक इस काम को करने के लिए समय दिया गया है. अगर लिंकिंग का काम 31 मार्च 2021 तक पूरा नहीं होता तो इनकम टैक्स एक्ट के तहत गंभीर नतीजे के तहत आप पर 10000 रुपए का जुर्माना भी लग सकता है.

टैक्स विभाग के मुताबिक अगर 31 मार्च 2021 के बाद कोई निष्क्रिय या कैंसिल्ड PAN का इस्तेमाल करता पाया जाता है तो उस पर इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 272B के तहत 10000 रुपए का जुर्माना लग सकता है

एक नोटिफिकेशन में टैक्स विभाग ने कहा था कि 31 मार्च तक टैक्सपेयर्स अगर पैन और आधार कार्ड को लिंक नहीं करवाते तो पैन कार्ड निष्क्रिय हो जाएगा.

लिंक नहीं होने पर पैन कार्ड होगा इनवैलिड
पैन आधार (Pan Aadhaar link) को आपस में लिंक करना अनिवार्य है. ऐसा नहीं होने पर पैन कार्ड को इनवैलिड कर दिया जाएगा. पैन कार्ड रद्द होने पर कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं. मतलब पैन होते हुए भी आप वे काम नहीं कर पाएंगे, जहां पैन की जरूरत होती है. सीबीडीटी ने कहा है कि जो लोग इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर रहे हैं उनके लिए पैन कार्ड को आधार से जोड़ना अनिवार्य है. पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया था.

इस तरह करें पैन को आधार से लिंक
सबसे पहले इनकम टैक्स की ऑफिशल साइट https://www.incometaxindiaefiling.gov.in/home पर जाएं. वहां से Link Aadhaar पर क्लिक करें.
 फिर Click here पर क्लिक करें. नीचे दिए बॉक्स में पैन, आधार नंबर, अपना नाम और दिया हुआ कैप्चा टाइप करें.
सभी वॉक्स को भरने के बाद Link Aadhar पर क्लिक कर दें.
 ध्यान देने वाली बात यह है कि नाम या नंबर में किसी भी तरह की गड़बड़ी न करें.

इसके अलावा पैन सेंटर जाकर भी आधार को पैन कार्ड से लिंक करवाया जा सकता है. इसके लिए 25 रुपये से 110 रुपये तक और पैन कार्ड व आधार कार्ड की फोटोकॉपी देनी होती है.

किसान आंदोलन का पूरा सच -क्यों हो रहा है विरोध

किसान आंदोलन का पूरा सच

 क्यों हो रहा है विरोध,  आखिर क्या है समस्या,

आखिर प्रदर्शन कर रहे किसानों की असली मांगें क्या हैं और उनके प्रदर्शन की सच्चाई क्या है और क्या ये वाकई में एक बड़ी समस्या है. 2020 का किसान प्रदर्शन एक मौजूदा विरोध प्रदर्शन है जो कि इस साल संसद में पारित हुए तीन कृषि बिल के विरोध में शुरू हुआ. ये प्रदर्शन 9 अगस्त 2020 से जारी है. अब ये बिल कानून बन चुके हैं और किसानों ने इनके विरोध में दिल्ली के कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कें बंद की हुई हैं.

ये हैं वो तीन कानून

-कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) एक्ट 2020
-मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध एक्ट 2020
-आवश्यक वस्तु संशोधन एक्ट

प्रदर्शनकारियों ने कई दिनों से सड़कें ब्लॉक की हुई हैं और वो राष्ट्रीय राजधानी के आस-पास कई जगहों पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

आखिर समस्या क्या है?

सबसे पहले, ये बिल संसद में पारित हो चुके हैं और अब ये कानून बन गए हैं. इसके अलावा, प्रदर्शनकारी अब कई दिनों से लाखों यात्रियों और मेहनती नागरिकों को इन रास्तों से गुजरने से रोक रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने टोल और अन्य क्षेत्रों को भी बंद करने की चेतावनी दी है, जिसके चलते हजारों यात्रियों और कड़ी मेहनत करने वाले नागरिकों के आवागमन पर भी असर पड़ेगा.

प्रदर्शन की सच्चाई क्या है?

प्रदर्शनकारी ये मांग कर रहे हैं कि सरकार संसद का एक विशेष सत्र बुलाए और इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करे. हालांकि जब तक ये कानून किसानों के लिए हानिकारक न हो, तब तक ये थोड़ा कठिन होगा. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि APMC को खत्म कर दिया जाएगा और इसके नतीजतन MSP भी खत्म हो जाएगी, लेकिन ये कानून मौजूदा APMC और MSP के स्ट्रक्चर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं. क्योंकि ये कानून राज्यों की शक्तियों का अधिग्रहण नहीं करते हैं, इसलिए ये स्ट्रक्चर भी अपनी जगह पर बने रहेंगे.

अब अंतर सिर्फ इतना है कि अगर किसान भ्रष्ट AMPC के भ्रष्ट बिचौलियों को फसल बेचने के लिए मजबूर है, तो अब वो APMC के बाहर जाकर भी अपनी उपज बेचने का विकल्प चुन सकता है. इसी के साथ प्रदर्शनकारी दावा कर रहे हैं कि किसानों को कॉर्पोरेट्स द्वारा परेशान किया जाएगा. किसानों और कॉरपोरेट्स के बीच समझौते के लिए एक और शब्द है- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और एक तथ्य यह भी है कि कई राज्यों में दशकों से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग चल रही है. भारत के कई हिस्सों में कॉफी, चाय, गन्ने और कपास के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग काफी समय से हो रही है. पश्चिम बंगाल और पंजाब में पेप्सिको और हरियाणा में SAB मिलर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने वाले कॉन्ट्रेक्टर्स के बड़े उदाहरण हैं. एक बात जो प्रदर्शनकारियों की असलियत को स्पष्ट करती है, वह यह है कि वे अनुचित मांगें कर रहे हैं.

क्या हैं किसानों की अनुचित मांगें

प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि कृषि उपयोग के लिए डीजल की कीमतों में 50 फीसदी तक की कटौती की जाए और पराली जलाने पर लगाए जाने वाले जुर्माने को हटाए. मालूम हो कि पराली जलाना, हर साल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ने के मुख्य कारणों में से एक है. जो मामले किसानों से संबंधित नहीं हैं, उनसे संबंधित भी कई मांगें किसानों ने रखी हैं. उनमें से एक मांग ये भी है कि कथित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, कवियों, बुद्धिजीवियों और लेखकों पर दर्ज मामले वापस लिए जाएं और उन्हें रिहा किया जाए.

हालंकि इन लोगों की जो लिस्ट है उसमें शामिल लोग मानवाधिकार कार्यकर्ता, कवि, बुद्धिजीवि और लेखकों की श्रेणी से दूर-दूर तक संबंधित नहीं हैं. उदाहरण के लिए लिस्ट में उमर खालिद का भी नाम है, जिस पर दिल्ली हिंसा के दौरान दिल्ली के नागरिकों के खिलाफ नागरिकों को उकसाने का आरोप है. अन्य 20 लोगों को भी दिल्ली दंगों और भीमा कोरेगांव हिंसा में उनकी भूमिकाओं के लिए UAPA एक्ट के तहत जेल में डाला गया है.

इन प्रदर्शनों में खालिस्तान समर्थक झंडे दिखना और अर्बन नक्सल की रिहाई की मांग किया जाना भी परेशान करने वाली बात है. खालिस्तान आंदोलन एक सिख अलगाववादी आंदोलन है जो सिखों के लिए एक अलग देश की मांग कर रहा है. भारत में पूरी तरह से संप्रभु राज्य स्थापित करने के इरादे से चरमपंथियों द्वारा इस आंदोलन का समर्थन दिया जाता है.

प्रदर्शनकारियों की मांगों का एक हिस्सा अर्बन नक्सल की रिहाई की मांग कर रहा है. आपकी राय इन 20 व्यक्तियों के बारे में कुछ भी हो सकती है, लेकिन उनकी रिहाई का भारतीय किसान या उनके कल्याण से क्या संबंध हो सकता है? अब पॉइंट पर वापस आते हैं

किसी मामले पर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करना सही है, लेकिन अब ये प्रदर्शन भारतीय किसानों के भले के लिए नहीं बचा है. अब इसने एक अतिवादी और सांप्रदायिक रुख ले लिया है जो अब कई दिनों से लाखों लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गया है. यात्रियों को हर रोज भारी ट्रैफिक का सामना करना पड़ता है और मेहनती नागरिक इन प्रदर्शनों का असली खामियाजा भुगत रहे हैं. मालूम हो कि ये कोरोना महामारी के दौरान हो रहा है. हम यह भी नहीं जानते हैं कि विरोध के कारण एम्बुलेंस को भी देरी हो रही है या नहीं.

आखिर प्रदर्शन का असली कारण क्या है?

क्या कृषि सुधारों के विरोध में भारतीय नागरिकों के कल्याण और सशक्तीकरण के बारे में विरोध के आधार पर मेहनती नागरिकों के लिए इस तरह की असुविधा उचित है? एक तरफ प्रदर्शनकारी प्रदर्शनों और बंद को जारी रखे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ किसानों को इन कानूनों से फायदा भी होने लगा है. उदाहरण के लिए महाराष्ट्र में चार जिलों की किसान उत्पादक कंपनियों ने APMC के बाहर व्यापार से लगभग 10 करोड़ रुपये कमाए हैं. यह बिल पास होने के लगभग तीन महीने बाद की बात है.

किसानों के विरोध प्रदर्शन को मीडिया में काफी बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन ये विरोध किसी एक मुद्दे को लेकर नहीं है. दिल्ली के दंगों और भीमा कोरेगांव के दौरान जिन लोगों पर हिंसा का आरोप लगाया गया है, उन्हें मुक्त कराने की कोशिश की जा रही है – ये दोनों ही घटनाएं आतंकवाद हैं… यहीं से साबित होता है कि यह प्रदर्शन भारतीय किसानों के लिए नहीं है. ये विरोध भारत के हित में नहीं है और न ही ये हमें किसी भी तरह से प्रगति करने में मदद करता है.

सोर्स TV9 भारतवर्ष


शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले, पत्तलों और उनसे होने वाले लाभ


*'संकल्प छोटा, परिणाम बड़ा'* 

*संकल्प लें सहभोज मे पत्तलों का प्रयोग कर माँ प्रकृति का सम्मान करेंगे*...।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा, कि हमारे देश में 2000 से अधिक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले, पत्तलों और उनसे होने वाले लाभों के विषय में पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान उपलब्ध है, पर मुश्किल से पाँच प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग हम अपनी दिनचर्या मे करते हैं।
आम तौर पर केले की पत्तियो में खाना परोसा जाता है...प्राचीन ग्रंथों में केले की पत्तियों पर परोसे गये भोजन को, स्वास्थ्य के लिये लाभदायक बताया गया है.. आजकल महंगे होटलों और रिसोर्ट मे भी केले की पत्तियों का यह प्रयोग होने लगा है..।

1. पलाश के पत्तल में भोजन करने से जो पुण्य व आरोग्य मिलता है वह स्वर्ण के बर्तन में भोजन करने से भी नहीं  मिलता है...।
2. केले के पत्तल में भोजन करने से, चांदी के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है..।
3. रक्त की अशुद्धता के कारण होने वाली बीमारियों के लिये, पलाश से तैयार पत्तल को उपयोगी माना जाता है.... पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के लिये भी, इसका उपयोग होता है....। आम तौर पर लाल फूलों वाले पलाश को हम जानते हैं, पर सफेद फूलों वाला पलाश भी उपलब्ध है.... इस दुर्लभ पलाश से तैयार पत्तल को बवासीर (पाइल्स) के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है...।

4. जोडों के दर्द के लिये, करंज की पत्तियों से तैयार पत्तल उपयोगी माना जाता है.... पुरानी पत्तियों को नयी पत्तियों की तुलना मे अधिक उपयोगी माना जाता है...।
5. लकवा (पैरालिसिस) होने पर, अमलतास की पत्तियों से तैयार पत्तलों को उपयोगी माना जाता है..।

इसके अन्य लाभ~
1. सबसे पहले तो उसे धोना नहीं पड़ेगा, इसको हम सीधा मिटटी में दबा सकते है।
2. न पानी नष्ट होगा।
3. न केमिकल (रासायनिक पदार्थ ) उपयोग करने पड़ेंगे। और न ही  शरीर को आंतरिक हानि पहुंचेगी।
4. अधिक से अधिक वृक्ष उगाये जायेंगे, जिससे कि अधिक ऑक्सीजन भी मिलेगी।
5. प्रदूषण भी घटेगा।
6. सबसे महत्वपूर्ण झूठे पत्तलों को एक जगह गाड़ने पर, खाद का निर्माण किया जा सकता है एवं मिटटी की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है।
7. पत्तल बनाए वालों को भी रोजगार प्राप्त होगा।
8. सबसे मुख्य लाभ, हम नदियों को दूषित होने से बहुत बड़े स्तर पर बचा
सकते हैं।
 *चलें प्रकृति के साथ, करें संस्कृति का सम्मान।* 🌹🙏
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11 दिसम्बर 2020 को एकादशी है वह त्रिस्पर्शा एकादशी है

*ऊँ जय गोमाता!🕉 जय गोपाल!!*
🕉 बन्धुबर जय सियाराम
11 दिसम्बर 2020  को एकादशी है वह त्रिस्पर्शा एकादशी है मतलब उस दिन एकादशी द्वादशी और त्रयोदशी एक ही दिन हैं अर्थात सबसे बड़ी एकादशी मानी गई है इसका उपवास करने से एक हजार एकादशी उपवास करने का पुण्य फल प्राप्त होता है। मनुष्य 40 वर्ष तक एकादशी का उपवास करते हैं तब उनकी एक हजार एकादशी होती है मतलब कि 40 वर्ष का पुण्य एक ही दिन में प्राप्त होता है तो इसका सभी सनातनी पूर्ण लाभ लें ऐसी सबसे विनम्र प्रार्थना है। जय श्रीसीताराम जी 🙏नमो राघवाय 🙏कल्यानमस्तु ✋

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