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शुक्रवार, 22 जनवरी 2021

अब पता लगा ये ढाई अक्षर क्या है

,,मुझे ठीक से याद नहीं है कि मैने कब पढा था *पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय *ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय* 
अब पता लगा ये ढाई अक्षर क्या है-

*ढाई अक्षर के ब्रह्मा और ढाई अक्षर की सृष्टि*
*ढाई अक्षर के विष्णु और ढाई अक्षर की लक्ष्मी*
*ढाई अक्षर के कृष्ण और ढाई अक्षर की कान्ता।(राधा रानी का दूसरा नाम)*

*ढाई अक्षर की दुर्गा और ढाई अक्षर की शक्ति*
*ढाई अक्षर की श्रद्धा और ढाई अक्षर की भक्ति*
*ढाई अक्षर का त्याग और ढाई अक्षर का ध्यान*

*ढाई अक्षर की तुष्टि और ढाई अक्षर की इच्छा*
*ढाई अक्षर का धर्म और ढाई अक्षर का कर्म*
*ढाई अक्षर का भाग्य और ढाई अक्षर की व्यथा*

*ढाई अक्षर का ग्रन्थ और ढाई अक्षर का सन्त*
*ढाई अक्षर का शब्द और ढाई अक्षर का अर्थ*
*ढाई अक्षर का सत्य और ढाई अक्षर की मिथ्या*

*ढाई अक्षर की श्रुति और ढाई अक्षर की ध्वनि*
*ढाई अक्षर की अग्नि और ढाई अक्षर का कुण्ड*
*ढाई अक्षर का मन्त्र और ढाई अक्षर का यन्त्र*

*ढाई अक्षर की श्वांस और ढाई अक्षर के प्राण*
*ढाई अक्षर का जन्म ढाई अक्षर की मृत्यु*
*ढाई अक्षर की अस्थि और ढाई अक्षर की अर्थी*

*ढाई अक्षर का प्यार और ढाई अक्षर का युद्ध*
*ढाई अक्षर का मित्र और ढाई अक्षर का शत्रु*
*ढाई अक्षर का प्रेम और ढाई अक्षर की घृणा*

*जन्म से लेकर मृत्यु तक हम बंधे हैं ढाई अक्षर में।* 
*हैं ढाई अक्षर ही वक़्त में और ढाई अक्षर ही अन्त में।*
 *समझ न पाया कोई भी है रहस्य क्या ढाई अक्षर में।*

गुरुवार, 14 जनवरी 2021

जब बुढ़ापे में अकेला ही रहना है तो औलाद क्यों पैदा करें

*एक पागल भिखारी*


 जब बुढ़ापे में अकेला ही रहना है तो औलाद क्यों पैदा करें उन्हें क्यों काबिल बनाएं जो हमें बुढ़ापे में दर-दर के ठोकरें खाने  के लिए छोड़ दे ।

क्यों दुनिया मरती है औलाद के लिए, जरा सोचिए इस विषय पर।

मराठी भाषा से हिन्दी ट्रांसलेशन की गई ये सच्ची कथा है ।

जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण आपको प्राप्त होगा।समय निकालकर अवश्य पढ़ें।
👇
हमेशा की तरह मैं आज भी, परिसर के बाहर बैठे भिखारियों की मुफ्त स्वास्थ्य जाँच में व्यस्त था। स्वास्थ्य जाँच और फिर मुफ्त मिलने वाली दवाओं के लिए सभी भीड़ लगाए कतार में खड़े थे।

अनायाश सहज ही मेरा ध्यान गया एक बुजुर्ग की तरफ गया, जो करीब ही एक पत्थर पर बैठे हुए थे। सीधी नाक, घुँघराले बाल, निस्तेज आँखे, जिस्म पर सादे, लेकिन साफ सुथरे कपड़े। 
कुछ देर तक उन्हें देखने के बाद मुझे यकीन हो गया कि, वो भिखारी नहीं हैं। उनका दाँया पैर टखने के पास से कटा हुआ था, और करीब ही उनकी बैसाखी रखी थी।

फिर मैंने देखा कि,आते जाते लोग उन्हें भी कुछ दे रहे थे और वे लेकर रख लेते थे। मैंने सोचा ! कि मेरा ही अंदाज गलत था, वो बुजुर्ग भिखारी ही हैं।

उत्सुकतावश मैं उनकी तरफ बढ़ा तो कुछ लोगों ने मझे आवाज लगाई : 
"उसके करीब ना जाएँ डॉक्टर साहब, 
वो बूढा तो पागल है । "

लेकिन मैं उन आवाजों को नजरअंदाज करता, मैं उनके पास गया। सोचा कि, जैसे दूसरों के सामने वे अपना हाथ फैला रहे थे, वैसे ही मेरे सामने भी हाथ करेंगे, लेकिन मेरा अंदाज फिर चूक गया। उन्होंने मेरे सामने हाथ नहीं फैलाया।

मैं उनसे बोला : "बाबा, आपको भी कोई शारीरिक परेशानी है क्या ? "

मेरे पूछने पर वे अपनी बैसाखी के सहारे धीरे से उठते हुए बोले : "Good afternoon doctor...... I think I may have some eye problem in my right eye .... "

इतनी बढ़िया अंग्रेजी सुन मैं अवाक रह गया। फिर मैंने उनकी आँखें देखीं। 
पका हुआ मोतियाबिंद था उनकी ऑखों में । 
मैंने कहा : " मोतियाबिंद है बाबा, ऑपरेशन करना होगा। "

बुजुर्ग बोले : "Oh, cataract ? 
I had cataract operation in 2014 for my left eye in Ruby Hospital."

मैंने पूछा : " बाबा, आप यहाँ क्या कर रहे हैं ? "

बुजुर्ग : " मैं तो यहाँ, रोज ही 2 घंटे भीख माँगता हूँ  सर" ।

मैं : " ठीक है, लेकिन क्यों बाबा ? मुझे तो लगता है, आप बहुत पढ़े लिखे हैं। "

बुजुर्ग हँसे और हँसते हुए ही बोले : "पढ़े लिखे ?? "

मैंने कहा : "आप मेरा मजाक उड़ा रहे हैं, बाबा। "

बाबा : " Oh no doc... Why would I ?... Sorry if I hurt you ! "

मैं : " हर्ट की बात नहीं है बाबा, लेकिन मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। "

बुजुर्ग : " समझकर भी, क्या करोगे डॉक्टर ? "
अच्छा "ओके, चलो हम, उधर बैठते हैं, वरना लोग तुम्हें भी पागल हो कहेंगे। "(और फिर बुजुर्ग हँसने लगे)

करीब ही एक वीरान टपरी थी। हम दोनों वहीं जाकर बैठ गए।

" Well Doctor, I am Mechanical Engineer...."--- बुजुर्ग ने अंग्रेजी में ही शुरुआत की--- " 
मैं, * कंपनी में सीनियर मशीन ऑपरेटर था।
एक नए ऑपरेटर को सिखाते हुए, मेरा पैर मशीन में फंस गया था, और ये बैसाखी हाथ में आ गई। कंपनी ने इलाज का सारा खर्चा किया, और बाद में  कुछ रकम और सौंपी, और घर पर बैठा दिया। क्योंकि लंगड़े बैल को कौन काम पर रखता है सर ? "
"फिर मैंने उस पैसे से अपना ही एक छोटा सा वर्कशॉप डाला। अच्छा घर लिया। बेटा भी मैकेनिकल इंजीनियर है। वर्कशॉप को आगे बढ़ाकर उसने एक छोटी कम्पनी और डाली। "

मैं चकराया, बोला : " बाबा, तो फिर आप यहाँ, इस हालत में कैसे ? "

बुजुर्ग : " मैं...? 
किस्मत का शिकार हूँ ...."
" बेटे ने अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए, कम्पनी और घर दोनों बेच दिए। बेटे की तरक्की के लिए मैंने भी कुछ नहीं कहा। सब कुछ बेच बाचकर वो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जापान चला गया, और हम जापानी गुड्डे गुड़िया यहाँ रह गए। "
ऐसा कहकर बाबा हँसने लगे। हँसना भी इतना करुण हो सकता है, ये मैंने पहली बार अनुभव किया।

फिर बोला : " लेकिन बाबा, आपके पास तो इतना हुनर है कि जहाँ लात मारें वहाँ पानी निकाल दें। "

अपने कटे हुए पैर की ओर ताकते बुजुर्ग बोले : " लात ? कहाँ और कैसे मारूँ, बताओ मुझे  ? "

बाबा की बात सुन मैं खुद भी शर्मिंदा हो गया। मुझे खुद बहुत बुरा लगा।

प्रत्यक्षतः मैं बोला : "आई मीन बाबा, आज भी आपको कोई भी नौकरी दे देगा, क्योंकि अपने क्षेत्र में आपको इतने सालों का अनुभव जो है। "

बुजुर्ग : " Yes doctor, और इसी वजह से मैं एक वर्कशॉप में काम करता हूँ। 8000 रुपए तनख्वाह मिलती है मुझे। "

मेरी तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। मैं बोला : 
"तो फिर आप यहाँ कैसे ? "

बुजुर्ग : "डॉक्टर, बेटे के जाने के बाद मैंने एक चॉल में एक टीन की छत वाला घर किराए पर लिया। वहाँ मैं और मेरी पत्नी रहते हैं। उसे Paralysis है, उठ बैठ भी नहीं सकती। "
" मैं 10 से 5 नौकरी करता हूँ । शाम 5 से 7 इधर भीख माँगता हूँ और फिर घर जाकर तीनों के लिए खाना बनाता हूँ। "

आश्चर्य से मैंने पूछा : " बाबा, अभी तो आपने बताया कि, घर में आप और आपकी पत्नी हैं। फिर ऐसा क्यों कहा कि, तीनों के लिए खाना बनाते हो ? "

बुजुर्ग : " डॉक्टर, मेरे बचपन में ही मेरी माँ का स्वर्गवास हो गया था। मेरा एक जिगरी दोस्त था, उसकी माँ ने अपने बेटे जैसे ही मुझे भी पाला पोसा। दो साल पहले मेरे उस जिगरी दोस्त का निधन हार्ट अटैक से हो गया तो उसकी 92 साल की माँ को मैं अपने साथ अपने घर ले आया तब से वो भी हमारे साथ ही रहती है। "

मैं अवाक रह गया। इन बाबा का तो खुद का भी हाल बुरा है। पत्नी अपंग है। खुद का एक पाँव नहीं, घरबार भी नहीं, 
जो था वो बेटा बेचकर चला गया, और ये आज भी अपने मित्र की माँ की देखभाल करते हैं। 
कैसे जीवट इंसान हैं ये ?

कुछ देर बाद मैंने समान्य स्वर में पूछा : " बाबा, बेटा आपको रास्ते पर ले आया, ठोकरें खाने को छोड़ गया। आपको गुस्सा नहीं आता उस पर ? "

बुजुर्ग : " No no डॉक्टर, अरे वो सब तो उसी के लिए कमाया था, जो उसी का था, उसने ले लिया। इसमें उसकी गलती कहाँ है ? "

" लेकिन बाबा "--- मैं बोला "लेने का ये कौन सा तरीका हुआ भला ? सब कुछ ले लिया। ये तो लूट हुई। "
" अब आपके यहाँ भीख माँगने का कारण भी मेरी समझ में आ गया है बाबा। आपकी तनख्वाह के 8000 रुपयों में आप तीनों का गुजारा नहीं हो पाता अतः इसीलिए आप यहाँ आते हो। "

बुजुर्ग : " No, you are wrong doctor. 8000 रुपए में मैं सब कुछ मैनेज कर लेता हूँ। लेकिन मेरे मित्र की जो माँ है, उन्हें, डाइबिटीज और ब्लडप्रेशर दोनों हैं। दोनों बीमारियों की दवाई चल रही है उनकी। बस 8000 रुपए में उनकी दवाईयां मैनेज नहीं हो पाती । "
" मैं 2 घंटे यहाँ बैठता हूँ लेकिन भीख में पैसों के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करता। मेडिकल स्टोर वाला उनकी महीने भर की दवाएँ मुझे उधार दे देता है और यहाँ 2 घंटों में जो भी पैसे मुझे मिलते हैं वो मैं रोज मेडिकल स्टोर वाले को दे देता हूँ। "

मैंने अपलक उन्हें देखा और सोचा, इन बाबा का खुद का बेटा इन्हें छोड़कर चला गया है और ये खुद किसी और की माँ की देखभाल कर रहे हैं।
मैंने बहुत कोशिश की लेकिन खुद की आँखें भर आने से नहीं रोक पाया।

भरे गले से मैंने फिर कहा : "बाबा, किसी दूसरे की माँ के लिए, आप, यहाँ रोज भीख माँगने आते हो ? "

बुजुर्ग : " दूसरे की ? अरे, मेरे बचपन में उन्होंने बहुत कुछ किया मेरे लिए। अब मेरी बारी है। मैंने उन दोनों से कह रखा है कि, 5 से 7 मुझे एक काम और मिला है। "

मैं मुस्कुराया और बोला : " और अगर उन्हें पता लग गया कि, 5 से 7 आप यहाँ भीख माँगते हो, तो ? "

बुजुर्ग : " अरे कैसे पता लगेगा ? दोनों तो बिस्तर पर हैं। मेरी हेल्प के बिना वे करवट तक नहीं बदल पातीं। यहाँ कहाँ पता करने आएँगी.... हा....हा... हा...."

बाबा की बात पर मुझे भी हँसी आई। लेकिन मैं उसे छिपा गया और बोला : " बाबा, अगर मैं आपकी माँ जी को अपनी तरफ से नियमित दवाएँ दूँ तो ठीक रहेगा ना। फिर आपको भीख भी नहीं मांगनी पड़ेगी। "

बुजुर्ग : " No doctor, आप भिखारियों के लिए काम करते हैं। माजी के लिए आप दवाएँ देंगे तो माजी भी तो भिखारी कहलाएंगी। मैं अभी समर्थ हूँ डॉक्टर, उनका बेटा हूँ मैं। मुझे कोई भिखारी कहे तो चलेगा, लेकिन उन्हें भिखारी कहलवाना मुझे मंजूर नहीं। "
" OK Doctor, अब मैं चलता हूँ। घर पहुँचकर अभी खाना भी बनाना है मुझे। "

मैंने निवेदन स्वरूप बाबा का हाथ अपने हाथ में लिया और बोला : " बाबा, भिखारियों का डॉक्टर समझकर नहीं बल्कि अपना बेटा समझकर मेरी दादी के लिए दवाएँ स्वीकार कर लीजिए। "

अपना हाथ छुड़ाकर बाबा बोले : " डॉक्टर, अब इस रिश्ते में मुझे मत बांधो, please, एक गया है, हमें छोड़कर...."
" आज मुझे स्वप्न दिखाकर, कल तुम भी मुझे छोड़ गए तो ? अब सहन करने की मेरी ताकत नहीं रही...."

ऐसा कहकर बाबा ने अपनी बैसाखी सम्हाली। और जाने लगे, और जाते हुए अपना एक हाथ मेरे सिर पर रखा और भर भराई, ममता मयी आवाज में बोले : "अपना ध्यान रखना मेरे बच्चे..."

शब्दों से तो उन्होंने मेरे द्वारा पेश किए गए रिश्ते को ठुकरा दिया था लेकिन मेरे सिर पर रखे उनके हाथ के गर्म स्पर्श ने मुझे बताया कि, मन से उन्होंने इस रिश्ते को स्वीकारा था।

उस पागल कहे जाने वाले मनुष्य के पीठ फेरते ही मेरे हाथ अपने आप प्रणाम की मुद्रा में उनके लिए जुड़ गए।

*हमसे भी अधिक दुःखी, अधिक विपरीत परिस्थितियों में* *जीने वाले ऐसे भी लोग हैं।*
*हो सकता है इन्हें देख हमें* *हमारे दु:ख कम प्रतीत हों, और दुनिया को देखने का हमारा नजरिया बदले....*     

हमेशा अच्छा सोचें, हालात का सामना करे...

कहानी से कुछ प्रेरणा मिले तो जीव मात्र पर दया करना ओर परोपकार की भावना बच्चों में जरूर दें।


*कहानी को आगे मित्रो ओर परिजनों को फारवर्ड करे*

शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

स्वतंत्रता के बाद पहला ऐसा सशक्त विपक्ष मिला है जिसने केन्द्र में एक भी घोटाला नही होने दिया है।

स्वतंत्रता के बाद पहला ऐसा सशक्त विपक्ष
🤣🤣🤣🤣
मिला है जिसने केन्द्र में एक भी घोटाला नही होने दिया है। 

ऐसे विपक्ष को 2034 तक छोड़ना नही है
🤣😄
"भारत में ऐसा विपक्ष कभी नहीं आया

हमारे देश का आज का विपक्ष, राहुल गांधीजी के क्रांतिकारी मार्गदर्शन में बहुत ही सशक्त और सकारात्मक सोच के साथ कार्य कर रहा है।

आपने शायद ध्यान नहीं दिया, पिछले 70 वर्षों में पहली बार ऐसा विपक्ष आया है, जिसने अपने कार्यों द्वारा बीजेपी पर लगातार ये दबाव बनाया है कि सरकार हर वो काम करे, जिसे करने का वादा उसने अपने घोषणा-पत्र में किया था।

 जैसे भाजपा ने कहा- 'राफेल लाएँगे'
विपक्ष ने शोर मचाया 
'कब लाओगे ? 
कैसे लाओगे? 
ला के दिखाओ...'
और इतना शोर मचाया कि
अंततः सरकार को राफेल लाना ही पड़ा।

भाजपा ने कहा- 'CAA लाएँगे.'
विपक्ष ने शोर मचाया 
'कब लाओगे? 
कैसे लाओगे? 
ला के दिखाओ...' 
और इतना शोर मचाया कि
अंततः सरकार को CAA लाना पड़ा।

भाजपा ने कहा- '370 हटाएँगे'
विपक्ष ने शोर मचाया 
'कब हटाओगे?
कैसे हटाओगे? 
हटा के दिखाओ....'
और इतना शोर मचाया कि
अंततः सरकार को 370 हटाना पड़ा।

भाजपा ने कहा- 'राम मंदिर बनवाएँगे'
विपक्ष ने शोर मचाया 
'कब बनवाओगे?
कैसे बनवाओगे? 
बनवा के दिखाओ.... '
और इतना शोर मचाया कि
बीजेपी को राम मंदिर बनवाना ही पड़ा।

ऐसे और भी अनेकानेक काम हैं जो अगर विपक्ष ने शोर नहीं मचाया होता, तो शायद इतनी जल्दी पूरे नहीं होते।

इतना सक्षम और दबाव बनाने वाला विपक्ष 70 साल के इतिहास में कभी नहीं देखा गया।
मोदी जी की सरकार को इन सभी कार्यों का कोई श्रेय नहीं लेना चाहिए। सभी कार्यों का असल कारण विपक्ष द्वारा 'कब अपने वायदे पूरे करोगे' का नारा लगाया जाना रहा है। भाजपा अगर विपक्ष में होती, तो वो केवल नौटंकी करती रह जाती, सरकार पर दबाव बनाने में वे हमेशा विफल रहे हैं।

देशहित के सभी कार्य शीघ्र पूर्ण हो जाएँ, इसलिये हमें आज के विपक्ष को आगे आने वाले समय में बहुत वर्षों तक विपक्ष में ही रखना होगा।

ऐसा विपक्ष इस देश को सौभाग्य और ईश्वर के आशीर्वाद से ही मिला है।
अब विपक्ष का अगला नारा है -
POK को कब वापस लोगे और जनसँख्या नियंत्रण कानून कब तक आयेगा।

हमें बहुत सालों तक राहुल गांधीजी के कुशल नेतृत्व वाला ऐसा ही सशक्त विपक्ष चाहिए।
 *भारतमाता की जय!* 
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शनिवार, 2 जनवरी 2021

1 जनवरी से साल के अलावा और क्या क्या बदल रहा जानिये पूरी जानकारी


1 जनवरी से साल के अलावा और क्या क्या बदल रहा जानिये पूरी जानकारी
 1 जनवरी 2021 से साल बदलने के साथ ही कुछ नियमों में भी बदलाव होगा जो साल के पहले महीने से ही देश भर में लागू भी हो जाएंगे. बैंक और बीमा के अलावा कई बड़े क्षेत्रों में बदलाव होने जा रहा है जिसका सीधा असर आम आदमी की जिंदगी पर पड़ेगा. आइए जानते हैं साल के पहले दिन से कौन से बड़े बदलाव होने जा रहे हैं.

1 जनवरी से नए साल की शुरूआत होगी और इसी के साथ साल 2021 में कई बड़े बदलाव भी हो रहे हैं. नये साल में होने जा रहे ये बदलाव आम इंसान की जिंदगी और जेब पर काफी असर डालेंगे. बता दें कि साल के पहले दिन यानी 1 जनवरी से बैंकिंग से लेकर बीमा से जुड़े कई नियम बदल रहे हैं.

इसके अलावा भी कई और क्षेत्रों में बदलाव हो रहे हैं. चलिए जानते हैं नए साल में क्या 10 बड़े बदलाव होने जा रहे हैं जो साल के पहले महीने से ही लागू हो जाएंगे.

*1- ' सरल जीवन बीमा ' स्कीम होगी लॉन्च*

1 जनवरी से बीमा नियामक इरडा ने भी सभी लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों को एक स्टैंडर्ड इंडिविजुअल टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी बेचने के लिए निर्देश जारी किए हैं. यह पॉलिसी 'सरल जीवन बीमा' के नाम से है. गौरतलब है कि स्टैंडर्ड इंडिविजुअल टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी का मैक्सिम सम अस्योर्ड 25 लाख रुपये का होगा. इस स्कीम से कस्टमर्स को कंपनियों की ओर से पहले से दी गई जानकारियो के आधार पर निर्णय लेने में मदद मिलेगी. सरल जीवन बीमा 18 से 65 वर्ष की आयु के लोग खरीद सकते हैं.

*2-कारें-टूव्हीलर होंगे महंगे*

1 जनवरी 2021 से कारें खरीदना भी महंगा हो जाएगा. दरअसल ऑटोमोबाइल कंपनिया नए साल में अपने कई मॉडल के दाम 5 फीसदी तक बढ़ाने जा रही हैं. जिसके बाद कारें महंगी हो जाएंगी. जो कंपनिया अपने कारों के दाम बढ़ा रही हैं नमें मारुति सुजुकी इंडिया, निसान, रेनॉ इंडिया, होंडा कार्स, महिंद्रा एंड महिंद्री, इसूजू. ऑडी इंडिया, फॉक्सवैगन कार कंपनिया, फोर्ड इंडिया, और बीएमडब्लयू इंडिया शामिल हैं. वहीं टूव्हीलर कंपनी हीरो मोटोकॉर्प भी बाइक-स्कूटर की कीमतें 1 जनवरी से बढ़ा रही हैं.

*3-गैस सिलेंडर की कीमत भी बदलेंगी*

हर महीने की पहली तारीख को एलपीजी सिलेंडर की कीमतें सरकारी तेल कंपनियों तय करती हैं. इस दौरान कीमत में इजाफा भी किया जा सकता है और कीमतों में राहत भी दी जा सकती है. ऐसे में 1 जनवरी को सिलेंडर की कीमतों में बदलाव तय है.

*4-चेक से भुगतान करने के नियम में होगा बदलाव*

1 जनवरी 2021 से चेक के जरिए भुगतान करने के नियमों में भी बदलाव हो जाएगा. नए नियम लागू होने के बाद 50 हजार से ज्यादा भुगतान वाले चेक के लिए पॉजिटिव पे सिस्टम लागू होगा. इसके अंतर्गत 50 हजार से ज्यादा के चेक के लिए जरूरी जानकारी की पुष्टि दोबारा की जाएगी. ये नए नियम चेक पेमेंट को ज्यादा सुरक्षित बनाने और बैंक धोखाधड़ी रोकने के लिए बनाए गए हैं.

*5-कॉन्टैक्टलेस कार्ड के जरिए भुगतान की सीमा में बदलाव*

केंद्रीय बैंक 1 जनवरी से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के मकसद से कॉन्टैक्टलेस कार्ड के जरिए भुगतान की सीमा बढ़ाकर 5 हजार रुपए करने जा रहा है. बता दें कि वर्तमान में कॉन्टैक्टलेस कार्ड से भुगतान करने की सीमा 2 हजार रुपये ही है.

*6-साल भर में भरे जाएंगे सिर्फ 4 GS TR-3B रिटर्न फॉर्म*

कारोबारियों को 1 जनवरी से साल भर में सिर्फ 4 GSTR-3B रिटर्न फॉर्म भरने पड़ेंगे. वर्तमान में कारोबारी ऐसे 12 फॉर्म भरते हैं. सरकार ने जीएसटीरिटर्न फाइलिंग प्रोसेस को ज्यादा आसान बनाने के लिए ही क्वारटर्ली फाइलिंग ऑफ रिटर्न विद मंथली पेमेंट योजना लागू की है. इस योजना का लाभ कुल 5 करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर तक वाले कारोबारी उठा सकते हैं.

*7-लैंडलाइन से मोबाइल पर कॉल करने के लिए जीरो लगाना होगा*

1 जनवरी 2021 से पूरे देश में लैंडलाइन से मोबाइल फोन पर कॉल करने के लिए नंबर डायल करने से पहले जीरो लगना होगा. ऐसा होने से टेलीकॉम कंपनियों को ज्यादा नंबर बनाने में मदद मिलेगी.

*8-म्यूचुअल फंड निवेश के नियमों में होगा बदलाव*

1 जनवरी 2021 से म्यूचुअल फंड निवेश के नियम भी बदल रहे हैं. निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए मार्केट रेगुलेटर सेबी ने म्यूचुअल फंड के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं. नए नियम लागू होने के बाद फंड्स का 75 फीसदी हिस्सा इक्विटी में इंवेस्ट करना अनिवार्य होगा. जो कि अभी न्यूनतम 65 फीसदी है.

*9- यूपीआई पेमेंट सर्विस में बदलाव*

1 जनवरी से अमेजन-पे, गूगल-पे और फोन-पे से भुगतान करने पर अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है. एनपीसीआई ने 1 जनवरी से थर्ड पार्टी ऐप प्रोवाइडर्स की ओर से चलाई जाने वाली यूपीआई पेमेंस सर्विस पर एक्सट्रा शुल्क लगान का फैसला किया है. जिसके बाद एनपीसीआई ने नये साल पर थर्ड पार्टी ऐप के ऊपर 30% का कैप लगा दिया है.. पेटीएम इस दायरे में नहीं है.

*10-चार पहिया वाहनों के लिए फास्टैग लगाना अनिवार्य*

केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2021 से सभी चार पहिया वाहनों के लिए फास्टैग अनिवार्य कर दिया है. यह पुराने वाहनों जिनकी बिक्री 1 दिसंबर 2017 से पहले हुई है उन पर एम और एन कैटेगिरी के मोटर वाहनो पर भी लागू होगा. वाहन पर फास्टैग लगाने का फायदा यह होगा कि बिना इंतजार किए टोल आसानी से क्रॉस किया जा सकेगा. नए नियम लागू हो जाने के बाद फास्टैग अकाउंट में कम से कम 150 रुपए की राशि रखनी ही होगी.

गुरुवार, 31 दिसंबर 2020

करें शुरू कुल्हड़ चाय का कारोबार बढ़ाये आमदनी और देवे औरो को भी रोजगार


करें शूरुआत अपने रोजगार की करें शुरू कुल्हड़ चाय का कारोबार बढ़ाये आमदनी और देवे औरो को भी रोजगार_* 

आपको बता दें भारत में एक बड़ी आबादी चाय (Kulhad making business) की शौकीन है. रेलवे स्टेशनों, बस डिपो और हवाईअड्डों पर कुल्हड़ की चाय की लगातार मांग रहती है. ऐसे में आप कुल्हड़ बनाने और बेचने का बिजनेस शुरू कर सकते है. आइए आपको बताते हैं कि आप ये बिजनेस कैसे शुरू कर सकते हैं-

सरकार भी दे रही बढ़ावा
आपको बता दें सरकार इस समय कुल्हड़ की मांग बढ़ाने पर भी फोकस कर रही है.

कुछ समय पहले सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने कुल्हड़ को बढ़ावा देने के लिए प्लास्टिक और कागज के कप में चाय देने पर रोक लगाने की मांग की है.

आपको बता दें कि मोदी सरकार ने कुल्हड़ बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए कुम्हार सशक्तीकरण योजना को लागू किया है. इस योजना के तहत केंद्र सरकार देशभर के कुम्हारों को बिजली से चलने वाली चाक देती है तो वो इससे कुल्हड़ समेत मिट्टी के बर्तन बना सकें. बाद में सरकार कुम्हारों से इन कुल्हड़ को अच्छी कीमत पर खरीद लेती है.

5 हजार लगाकर शुरू कर सकते हैं ये बिजनेस
मौजूदा दौर को देखते हुए यह बिजनेस बेहद कम कीमत में शुरू किया जा सकता है. इसके लिए आपको थोड़ी सी जगह के साथ-साथ 5,000 रुपये की जरूरत होगी. खादी ग्रामोद्योग आयोग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने जानकारी दी है कि इस साल सरकार ने 25 हजार इलेक्ट्रिक चाक वितरित किया है.

कितने रुपए में बेच सकते हैं कुल्हड़?
चाय का कुल्हड़ बेहद किफायती होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिहाज से भी सुरक्षित होता है. मौजूदा दर की बात करें तो चाय के कुल्हड़ का भाव करीब 50 रुपये सैकड़ा है. इसी प्रकार लस्सी के कुल्हड़ की कीमत 150 रुपये सैकड़ा, दूध के कुल्हड़ की कीमत 150 रुपये सैकड़ा और प्याली 100 रुपये सैकड़ा चल रही है. मांग बढ़ने पर इससे अच्छे रेट की भी संभावना है.

होगी अच्छी बचत
आज के समय में शहरों में कुल्हड़ वाली चाय की कीमत 15 से 20 रुपये तक भी होती है. अगर बिजनेस को सही तरीके से चलाया जाए और कुल्हड़ बेचने पर ध्यान दिया जाए तो 1 दिन में 1,000 रुपये के करीब बचत की जा सकती है.

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