यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 15 मार्च 2021

मनुष्य अपने समय की घटनाओं का माध्यम भर होता है भइया, वह कर्ता नहीं होता

हस्तिनापुर में पाण्डवों के राज्याभिषेक के बाद जब कृष्ण द्वारिका जाने लगे तो धर्मराज युद्धिष्ठर उनके रथ पर सवार हो कर कुछ दूर तक उन्हें छोड़ने के लिए चले गए। भगवान श्रीकृष्ण ने देखा, धर्मराज के मुख पर उदासी ही पसरी हुई थी। उन्होंने मुस्कुरा कर पूछा, "क्या हुआ भइया? क्या आप अब भी खुश नहीं?"
    "प्रसन्न होने का अधिकार तो मैं इस महाभारत युद्ध में हार आया हूँ केशव! मैं तो यह सोच रहा हूँ कि जो हुआ वह ठीक था क्या?" युधिष्ठिर का उत्तर अत्यंत मार्मिक था। कृष्ण खिलखिला उठे। बोले,"क्या हुआ भइया! यह किस उलझन में पड़ गए आप?"
     "हँस कर टालो मत अनुज! मेरी विजय के लिए इस युद्ध में तुमने जो जो कार्य किया है, वह ठीक था क्या? पितामह का वध, कर्ण वध, द्रोण वध, यहाँ तक कि अर्जुन की रक्षा के लिए भीमपुत्र घटोत्कच का वध कराना, यह सब ठीक था क्या? क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुमने अपने ज्येष्ठ भ्राता के मोह में वह किया जो तुम्हे नहीं करना चाहिए था?" धर्मराज बड़े भाई के अधिकार के साथ कठोर प्रश्न कर रहे थे।
        कृष्ण गम्भीर हो गए। बोले,"भ्रम में न पड़िये बड़े भइया! यह युद्ध क्या आपके राज्याभिषेक के लिए लड़ा गया था? नहीं! आप तो इस कालखण्ड के करोड़ों मनुष्यों के बीच एक सामान्य मनुष्य भर हैं। आप स्वयं को राजा मान कर सोचें, तब भी इस समय संसार में असंख्य राजा हैं और असंख्य आगे भी होंगे। इस भीड़ में आप बहुत छोटी इकाई हैं धर्मराज, मैं आपके लिए कोई युद्ध क्यों लड़ूंगा?"
       युधिष्ठिर आश्चर्य में डूब गए। धीमे स्वर में बोले- फिर? फिर यह महाभारत क्यों हुआ?
       "यह युद्ध आपकी स्थापना के लिए नहीं, धर्म की स्थापना के लिए हुआ है। यह भविष्य को ध्यान में रखते हुए जीवन-संग्राम के नए नियमों की स्थापना के लिए हुआ है। महाभारत हुआ है ताकि भविष्य का भारत सीख सके कि विजय ही धर्म है। वो चाहे जिस प्रयत्न से मिले। यह अंतिम धर्मयुद्ध है धर्मराज! क्योंकि यह अंतिम युद्ध है जो धर्म की छाया में हुआ है। भारत को इसके बाद उन बर्बरों का आक्रमण सहना होगा जो केवल सैनिकों पर ही नहीं बल्कि निर्दोष नागरिकों, स्त्रियों, बच्चों, यहाँ तक कि सभ्यता और संस्कृति पर भी प्रहार करेंगे। उन युद्धों में यदि भारत सत्य-असत्य, उचित-अनुचित के भ्रम में पड़ कर कमजोर पड़ा और पराजित हुआ तो उसका दण्ड समूची संस्कृति को युगों युगों तक भोगना पड़ेगा।
     आश्चर्यचकित युद्धिष्ठर चुपचाप कृष्ण को देखते रहे। उन्होंने फिर कहा, "भारत को अपने बच्चों में विजय की भूख भरनी होगी धर्मराज! यही मानवता और धर्म की रक्षा का एकमात्र विकल्प है। इस सृष्टि में एक आर्य परम्परा ही है जो समस्त प्राणियों पर दया करना जानती है, यदि वह समाप्त हो गयी तो न निर्बलों की प्रतिष्ठा बचेगी न प्राण। संसार की अन्य मानव जातियों के पास न धर्म है न दया। वे केवल और केवल दुख देना जानते हैं। ऐसे में भारत को अपना हर युद्ध जीतना होगा, वही धर्म की विजय होगी।
      युद्धिष्ठिर जड़ हो गए थे, कृष्ण ने उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा, "मनुष्य अपने समय की घटनाओं का माध्यम भर होता है भइया, वह कर्ता नहीं होता। भूल जाइए कि किसने क्या किया, आप बस इतना स्मरण रखिये कि इस कालखण्ड के लिए समय ने आपको हस्तिनापुर का महाराज चुना है, और आपको इस कर्तव्य का निर्वहन करना है। यही आपके हिस्से का अंतिम सत्य है।"
       युधिष्ठिर के रथ से उतरने का स्थान आ गया था। वे अपने अनुज कृष्ण को गले लगा कर उतर आए। कृष्ण के सामने अभी अनेक लीलाओं का मंच सजा था।

सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

समाज का हर व्यक्ति जब कुछ ना कुछ *हुनर* जानने वाला होगा, *बेरोजगारी* की समस्या तभी हल होगी

*मुसलमान कभी बेरोजगारी का रोना नहीं रोते*

   साथ ही *आत्महत्या* जैसा कृत्य यह लोग ना के बराबर करते हैं।

जबकि *हिन्दुओं* के बच्चे ही रोना रोते हैं *बेरोजगारी* का

कारण क्या है नीचे पढ़िये 👇

उसका कारण बहुत साधारण है ।
एक जीवंत उदाहरण मैं आपको बता रहा हूँ - 😳

 पड़ोस का एक लड़का कल मेरे पास आया और बोला-  भैया मैं बेरोजगार हूँ, कहीं नौकरी नहीं मिल रही है, बहुत परेशान हूँ। आप ही बताइये मोदी जी ने कहा था कि हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार दूँगा, सात साल होने को जा रहे है, कुछ भी नहीं मिला। उसने अपनी अक्ल मुताबिक *GDP* की माँ बहन की सो अलग

मैंने उससे कुछ प्रश्न पूछे और सारे प्रश्नों का जबाब इस प्रकार रहा... 

तुम तो टेलरिंग/कटिंग (दर्ज़ी) का काम कर लो ?
नहीं !
लेडीज़ ब्यूटी पार्लर पर काम करोगे ?
नहीं !
तो मर्दों के नाई (बार्बर) बन जाओ ?
नहीं !
लांड्री में काम करोगे ?
नहीं !
हलवाई का काम कर लो?
नहीं !
बढ़ई (कारपेंटर) का काम सीखोगे ?
नहीं !
लुहार के यहां काम करोगे ?
नहीं !
खराद मशीन पर काम करोगे ?
नहीं !
वेल्डिंग कर सकते हो?
नहीं !
ग्राफिक डिज़ाइन का कुछ काम आता है ?
नहीं !
कबाड़ी का काम कर लो ?
नहीं !
सब्जी/फ्रूट का धंधा कर लो ?                      
-नहीं !
जूस की दुकान पर काम करोगे ?
नहीं !
आटा चक्की पर काम करोगे?
नहीं !
चाय, पोहे, पकोड़े की दुकान पर काम करोगे ?
नहीं !
किराने की दुकान पर काम करोगे  ?
-नहीं !
रंगाई पुताई कर लोगे ?
नहीं !
मेडिकल स्टोर के काम का कुछ ज्ञान है ?
नहीं !
कार, ट्रक आदि चला लोगे ?
नहीं ! 
बाइक रिपेरिंग आती है ?
नहीं !
कम्प्यूटर चलाना आता है ?
नहीं !
अकाउंट का काम आता है  ?
नहीं !
प्लम्बिंग का काम कर सकते हो?
नहीं !
राज मिस्त्री के साथ काम कर सकते हो?
नहीं !
खेती  बागवानी का काम करोगे ?
नहीं !
पंचर बना लोगे ?
नहीं ! 
होटल या रेस्टोरेंट में काम करोगे  ?
नहीं !
बिजली रिपेरिंग, पंखा, AC, गीज़र, कूलर, वाशिंग मशीन रिपेरिंग कर लोगे ?
नहीं ! 
कपड़े की दुकान पर काम कर सकते हो ?
किराना दुकान पर काम कर सकते हो ?
नहीं ! 
सिलाई या टेलरीग का काम जानते हो ?
नहीं !
पान मसाला गुटखा बेचोगे ?
नहीं ! 
मजदूरी तो कर ही सकते हो ?
-नहीं !

फिर मैंने पूछा तुमको काम  क्याआता है ? 

वो बोला जी मैं पढ़ा लिखा हूँ, BA पास हूँ। ये सब काम मेरे लिए नहीं, मुझे तो बस सरकारी क्लर्क की नौकरी चाहिए। वर्ना मेरी शादी भी नहीं होगी। पढ़े लिखे होने के बाबजूद मुझे कोई काम नहीं मिल रहा है ।

वो बोला मोदी जी ने हम जैसे अनेक युवाओं को बेरोज़गार कर दिया ।

तब से दिमाग़ खराब है मेरा ।

ये वह लोग हैं जिनको मोदी तो क्या पूरी दुनिया में कोई नौकरी नहीं दे सकता। आज के युवा मेहनत करने के बजाए सरकार को गाली देना बेहतर विकल्प मानते हैं ।।

मैं बोला तुमको ही कुछ काम करना नहीं आता, कमी काम करने वालों की है काम की नहीं, काम चारों तरफ बिखरे पड़े हैं, और उनको मुस्लिम लड़के झपट रहे हैं । तुम लोग बस सरकारी या किसी 10k से 20k वाली नौकरी के इंतज़ार में बैठे हो, और बेरोज़गारी का रोना रो रो के मोदी का स्यापा कर रहे हो । मोदी के "स्किल इंडिया" का लाभ मुस्लिम लड़के उठा रहे हैं और हिन्दू लड़के सरकारी या गैर सरकारी परन्तु नौकरी के इंतज़ार में बैठे रहते हैं ।

अपने बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही हुनरमंद भी बनाइए। 

अपने अंदर यह सोच हटा दीजिए कि  "लोग क्या कहेंगे"  या "लोग क्या सोचेंगे' क्योंकि लोग क्या कहेंगे यह सबसे खतरनाक वाक्य है जो हमें बर्बाद कर देता है

बच्चों को समझाइये कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। धीरूभाई अंबानी ने पहले पैट्रोल पम्प पर भी नौकरी की थी, और शुरू शुरू में पुराने कपड़ों के खरीदने बेचने का व्यापार किया था।

 अगर वो सरकारी नौकरी का इंतज़ार करते रहते तो, किसी सरकारी विभाग में क्लर्क/मैनेजर बन कर ही रह जाते, और रिलायंस कम्पनी न बनती ।

अटल बिहारी वाजपेई जी जब पाकिस्तान बस लेकर गए थे तब उनके साथ फिल्म अभिनेता देवानंद भी गए थे और देवानंद जो अपनी डिग्री पाकिस्तान से पलायन के समय नहीं ले पाए थे वह डिग्री जब उन्हें दी गई तब उन्होंने कहा कि आज मैं जो कुछ हूं अपनी इस छूटी हुई डिग्री के कारण हूं

 क्योंकि मेरे भाई मुझे नेवी में क्लर्क की नौकरी दिलवा रहे थे क्योंकि मैं अपनी डिग्री पाकिस्तान ही भूल गया था इसीलिए मुझे वह क्लर्क की नौकरी नहीं मिली शुरू में मैं मायूस रहा कि संघर्ष किया और आज मैं इस मुकाम पर हूं 

अगर मेरे पास यह डिग्री उस वक्त होती तो मैं आज नेवी का क्लर्क होकर मर जाता मुझे कोई नहीं पहचानता

*बच्चों को हुनर सीखने की सीख दीजिये*

हमें भी अपने  समाज के बच्चों को *पढ़ाई के अलावा'* कुछ ना कुछ *हुनर* भी सीखने के लिए ध्यान अवश्य दिलाना चाहिए।

समाज का हर व्यक्ति जब कुछ ना कुछ *हुनर* जानने वाला होगा, *बेरोजगारी* की समस्या तभी हल होगी ।

  
   
*यह संदेश हिन्दू स्वजनों तक पहुँचायें*
*किसी ने भेजा था सही लगा* 
*सोचने  लायक है*
*जय हिन्द* 😳👍🇧🇴

बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

अगर किसी अन्य के बैंक अकाउंट में गलती से हमारे पैसे ट्रांसफर हो जाएं तो हमें क्या करना चाहिए?

नमस्कार ।

जब से इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग का चलन शुरू हुआ है इस तरह की घटनाएँ आम हो गई हैं। मेरे सामने भी अक्सर इस तरह की समस्या आती है जहाँ किसी ग्राहक ने पैसे भेजते समय गलती से किसी और के खाते में पैसे भेज दिए हों। और जब पाने वाले का बैंक कोई दूसरा हो तो पैसे वापस मिलना बड़ा कठिन हो जाता है।

चित्र स्रोत: गूगल

इसी समस्या का समाधान आपने अपने इस इस प्रश्न से जानने की कोशिश की है।

अगर किसी अन्य के बैंक अकाउंट में गलती से हमारे पैसे ट्रांसफर हो जाएं तो हमें क्या करना चाहिए?

एक बैंक से दूसरे बैंक में पैसे भेजने के आपके पास निम्नलिखित विकल्प हैं ।

  1. आरटीजीएस (RTGS)
  2. एनईएफटी (NEFT)
  3. आईएमपीएस (IMPS)
  4. यूपीआई (UPI)

इनमें से पहला विकल्प बैंक का फाॅर्म भरके ( Offline Mode) , दूसरा विकल्प बैंक का फाॅर्म भरके या इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग (Online Mode), तीसरा और चौथा विकल्प मोबाइल बैंकिंग (Online Mode) से किया जाता है।

कब आती है समस्या?

  • जब कोई ग्राहक( Remitter) अपने इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के द्वारा अपने खाते से पैसे किसी दूसरे बैंक के खाते में भेजता है।
  • या फिर बैंक का आरटीजीएस/ एनईएफटी फार्म भरते समय ।

वह पाने वाले(Beneficiary) की खाता संख्या गलत भर देता है।

क्यों आती है समस्या?

  • जब हम किसी दूसरे बैंक की खाता संख्या भरते हैं तो हमारा बैंक उस खाताधारक के नाम की पुष्टि नहीं कर पाता।
  • इसका कारण यह है कि एक बैंक दूसरे बैंको से अपने खाताधारकों का विवरण साझा नहीं करते।
  • अब जो गलत खाता संख्या भरी गई हैं उसके दो परिणाम हो सकते हैं ।
  1. उस गलत खाता संख्या का कोई भी खाता, पाने वाली बैंक में नहीं है।ऐसा होने पर पैसा अपने आप ही भेजने वाले (Remitter) के खाते में लौटा दिया जाता है।इसकी और अधिक जानकारी के लिए मेरे निम्न उत्तर को पढें ।

यदि कोई हमारे एक्सिस बैंक के बंद खाते में आरटीजीएस कर दे, तो वह पैसा कहाँ जायेगा और हमें कैसे मिलेगा?

2. उस गलत खाता संख्या का खाता, पाने वाली बैंक(Beneficiary's Bank) में मौजूद है।और आपके पैसे उसमें जमा हो जाते हैं।

मेरी समझ से आप भी इसी दूसरे परिणाम के बारे में जानना चाहते हैं । तो आगे पढें ।

समस्या होने पर क्या करें?

अब दूसरी बैंक में फंड ट्रांसफर हो जाने के बाद ना तो भेजने वाला खाताधारक (Remitter) और ना ही उसका बैंक(Remitting Bank) ही कुछ कर पाते हैं ।

तब भेजने वाले खाताधारक को तुरंत अपनी बैंक को एक लिखित निवेदन देकर सूचित कर देना चाहिए ।

आपकी बैंक निवेदन पाते ही ,पैसे पाने वाली बैंक (Beneficiary'sBank) को सूचित कर देगी।

पाने वाली बैंक निम्नलिखित जाँच करके पाने वाले (Beneficiary) के खाते में उतने पैसों का 'ग्रहणी का अंकन' (Lien marking) कर देगी । इससे पाने वाला इस रकम को नहीं निकाल पाएगा।

जाँच इस प्रकार होगी।

  • क्या भेजे गए पैसे के विवरण में खाताधारक का नाम और जमा पैसे के खाताधारक का नाम मिल रहा है?
  • यदि हाँ , तो निवेदन अस्वीकृत कर दिया जाएगा। क्योंकि यह गलती से भेजा हुआ पैसा नहीं है।
  • यदि नहीं , तो फिर यह जाँच की जाएगी कि आपके निवेदन पत्र में जो सही खाता संख्या है( जिसे आपने पैसे भेजते समय नहीं भरा), उसके खाताधारक का नाम और भेजे गए पैसे के विवरण में खाताधारक का नाम मिल रहा है या नहीं ।
  • यदि नहीं तो और पूछताछ की जाएगी और संतोषजनक उत्तर पाने पर ही आगे की कार्यवाही होगी ।
  • यदि हाँ , तो यह गलती से भेजा हुआ पैसा है।

फिर आगे की कार्यवाही इस प्रकार होगी ।

  1. यदि पैसे पाने वाले के खाते में आवेदन पाने तक पैसे नहीं निकले तो पाने वाले के खाते में उतने पैसों का 'ग्रहणी का अंकन' (Lien marking) लगा दिया जाता है।
  2. अब पाने वाली बैंक, भेजने वाली बैंक से अपने पक्ष में एक ' क्षतिपूर्ति पत्र' ( Idemnity Letter) मांगेगी।
  3. भेजने वाली बैंक इस ' क्षतिपूर्ति पत्र' को पाने वाली बैंक के पक्ष में देने से पहले , भेजने वाले ग्राहक से एक 'क्षतिपूर्ति पत्र' अपने पक्ष में लेगी।
  4. जैसे ही पाने वाली बैंक को भेजने वाली बैंक से उसके पक्ष में यह 'क्षतिपूर्ति पत्र' मिल जाता है वह पाने वाले के खाते में लगाया हुआ 'ग्रहणी का अंकन' हटाकर पैसे भेजने वाले के खाते में भेजता देगी।

लेकिन दिक्कत तब आती है जब पाने वाली बैंक के पास सूचना पहुँचने के पहले ही पाने वाला खाता धारक पैसे निकाल लेता है। तब उस बैंक के पास सिर्फ एक ही उपाय बचता है, पाने वाले ग्राहक से पैसे की वसूली (Recovery) के प्रयास । जबतक यह प्रयास सफल नहीं होता आप इंतजार ही कर सकते हैं!

इसलिए भलाई इसी में है की पैसे भेजने के पहले हम ये सावधानीयाँ रखें:

  1. पाने वाले का नाम(Beneficiary'sName), खाता संख्या (Beneficiary's Account No.) और आईएफएस कोड (IFSC) की अच्छी तरह पाने वाले से जाँच कर लें। इसके लिए आप पाने वाले से उसके बैंक खाते की चेक या पासबुक के पहले पन्ने की छवि मंगवाकर उसके साथ मिला लें।
  2. अपने खाते के इंटरनेट या मोबाईल बैंकिग लाॅगिन से पाने वाले को रजिस्टर करें ।
  3. फिर एक छोटी राशि जैसे 1 रू, 5 रू, 10रू या 100 रू भेजकर पाने वाले से उस पैसे के मिलने की पुष्टि कर लें।
  4. अब आप निश्चिंत होकर पैसे भेज सकते हैं ।

ध्यान दें कि आपको इस अभ्यास को केवल एक बार करने की आवश्यकता है। जब आप पहली बार पाने वाले को रजिस्टर कर रहे हैं । अगली बार उसे पैसे भेजते समय आपको अपने रजिस्टर किए हुए पाने वालों कि सूची से उन्हें चुनना है और सिर्फ पैसे की संख्या भर के भेज देनी है।

आशा है आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी और आप इससे लाभान्वित होंगे ।

कृपया इसे अपने परिचित लोगों से भी बाँटे तथा स्वयं के साथ दूसरों को भी सुरक्षित रखें ।

धन्यवाद् ।

क्या फेसबुक, व्हाट्स ऍप पर हमारी आपसी बातचीत पर भी कोई नज़र रखता है?

काफी सर्च करने के बाद मुझे ये पता चला के सिर्फ फेसबुक या वाट्सअप ही नहीं बल्कि अगर आप इंटरनेट पर किसी भी जानकारी को शेयर कर रहे है तो ऐसा हो ही नहीं सकता के कोई इस पर नज़र न रखे

या तो आपके फ्रेंड्स आपको देखते है, या तो दुश्मन, या तो हैकर, या कोई अजनबी, या कोई रिश्तेदार, और मानलो अगर इन सब से अगर आप बच भी जाते हो तो कंपनीज़ से आपको कौन बचाएगा जिन्हे आपकी हर चीज़ पर नज़र रखने की इजाज़त आप इनके दरवाज़े में दाखिल होने से पहले खुद ही देकर आये है इनकी टर्म्स एंड कंडीशन को एक्सेप्ट करके ..

तो इन सभी बातो से मैंने इतना ही जाना है के ऑनलाइन प्राइवेसी की बात करना ऐसा है जैसे रेगिस्तान में पानी की नाव चलाना..

खैर वैसे तो कम्पनीज हर किसी बातो पर नज़र नहीं रखती वो सिर्फ ऐड दिखाने के लिए ही ज़्यादातर आपकी जानकारी यूज़ करती है मगर आखिर इन कम्पनीज के पास तो आपकी सारी जानकारी होती ही है ना जिन्हे हैक करना कोई ज़्यादा बड़ी बात नहीं है किसी प्रोफेशनल हैकर के लिए !

यूट्यूब पर जो डेस्पेसिटो जैसे गाने के नाम बदले गए,

अभिताभ बच्चन के ट्विटर अकाउंट को हैक करके जो पोस्ट की गयी थी वो सब शायद आप में से कई लोग जानते होंगे

तो जब इतनी बड़ी बड़ी कंपनीज़ भी हैक हो सकती है तो हमारा अकाउंट क्या है

अंत में बस इतना कहना चाहूंगा के इंटरनेट पर उतना ही शेयर करे जितनी ज़रुरत हो और जिससे अगर किसी को वो जानकारी मिल भी जाती है तो उससे आप पर कोई फर्क ना पड़े क्युकी यहाँ सब पर नज़र रखी जाती है यहाँ तक जो में लिख रहा हूँ उस पर भी!

शुक्रिया ....

क्या आप जानते हैं वर्तमान में बैंक फ्रोड का कौनसा तरीका चल रहा है?

डिजीटल पेमेंट के चलते स्वाइप मशीन रखना अनिवार्य हो गया है। पिछले साल आइसीआइसीआइ बैंक से एक एक्सक्यूटिव शॉप पर आया और अपनी स्वाइप मशीन की बडी तारिफ करने लगा। जरूरत थी, सो बैंक की शाखा में जाकर जरुरी विधि करके मशीन ले लिया। हमें कहा गया कि शुरुआत में चार हजार रुपये लगेंगे, फिर साल में एक बार कुछ रकम रेंट चार्जस के रुप में कटेगी। और यह चार हजार भी जब कोई कार्ड स्वाइप होगा तो अपने आप कटेंगे, हमें कैश देने की जरुरत नहीं है।

यहां बेंकवाले ने यह नहीं बताया कि पहली बार चार हजार कटने के बाद कितनी रकम हर साल कटेंगी। और यहीं गलती हो गई।

पिछले अप्रैल में एक साल मशीन लिए हुए पूरा हुआ। तब लॉकडाउन के कारण सारा बिजनेस ठप था। जून के दूसरे सप्ताह में जब ओड इवन के तहत दुकाने खोलने की छूट दी, तो पहले दिन कुछ पंद्रह सौ रुपये का स्वाइप मशीन से पेमेंट हुआ। अब पेमेंट का मैसेज तो आता हैं, पर बैंक के खाते में पैसा जमा नहीं दिखा रहा था। सोचा खाते में आने को कुछ समय लगता होगा। दो दिन बाद जब दूकान खुली तो फिर से पाच सौ का एक कार्ड हुआ। मैसेज आया पर पैसा खाते में जमा नहीं हुआ। सो ग्राहकों को पेमेंट के लिए गूगल पे वगैरह से पेमेंट करने के लिए कहना पडा।

बैंक की शाखा में जाकर इस विषय में पूछा तो जो जवाब मिला, उसे सुनकर तो दिमाग घूम गया।

कर्मचारी ने बताया कि अप्रैल महीने में मशीन का सालाना चार्ज ड्यु करना था। पर आपने नहीं भरा है। तो अब वो सालाना चार्ज प्लस इंटरेस्ट कट रहा है, इसलिए पैसा आपके खाते में जमा नहीं हो रहा है।

आगे जब पूछा कि ठीक है चार्ज कट रहा है पर इतना कितना चार्ज काट रहे हो?

'चार हजार और इंटरेस्ट ' उसने जवाब दिया। मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आया। ' अरे भाई, चार हजार तो शुरूआती चार्ज था न' मैने कहा। वह बोला, ' नो सर, सालाना चार्ज चार हजार ही है। और जब तक यह पूरा नहीं होगा पैसा आपके अकाउंट में नहीं आएगा। '

मैने कहा 'यार ये तो फ्रोड है। आपने एसा नहीं कहा था कि हर साल चार हजार चार्ज लगेगा। '

वो बोला, ' सर ये आपको मशीन लेते समय बताया गया होगा।'

क्या करता? मेरी गलती कि बैंकवालों के एक सामान्य फ्रोड में फंस गया। वहीं खडे खडे मशीन सरंडर करने का फार्म भर के दे दिया। मशीन सरंडर करने के बाद भी मशीन से संलग्न अकाउंट से दो सौ - दो सौ रुपये करके सोलह सौ रुपये काट लिए है। जब पुनः बैंक वालों को पूछा तो कहते है कि इनक्वायरी करके बताएंगे।

आखिर संलग्न खाते से सारा पैसा दूसरे खाते में ट्रांसफ़र कर दिया है। अब बैंक वाला प्रतिदिन फोन करके ब्रांच में बुलाता हैं। पर मै नहीं जाता।

बस, किसी दिन दूकान पर आए, इतनी देर।

पढने के लिए धन्यवाद।

function disabled

Old Post from Sanwariya