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रविवार, 28 मार्च 2021

होली – क्या, क्यों, कैसे?

होली – क्या, क्यों, कैसे? – 
 आजकल असभ्यता का त्योहार माना जाने लगा है। यहाँ तक कि सभ्य एवं शिष्ट व्यक्ति इससे बचने लगे हैं। ऐसा इस कारण हुआ, क्योंकि इसका रूप विकृत हो गया है, अन्यथा यह भी चार प्रमुख त्योहारों में से एक है। अन्य तीन त्योहार हैं- रक्षाबन्धन, विजयदशमी एवं दीपावली। वास्तव में होली आरोग्य, सौहार्द एवं उल्लास का उत्सव है। यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और आर्यों के वर्ष का अन्तिम त्योहार है। यह नई ऋतु एवं नई फसल का उत्सव है। इसका प्रह्लाद एवं उसकी बुआ होलिका से कोई सम्बन्ध नहीं है। होलिका की कथा प्रसिद्ध अवश्य है, किन्तु वह कथा इस उत्सव का कारण नहीं है। यह उत्सव तो प्रह्लाद एवं होलिका के पहले से मनाया जा रहा है। होली क्या है? होली नवसस्येष्टि है (नव= नई, सस्य= फसल, इष्टि= यज्ञ) अर्थात् नई फसल के आगमन पर किया जाने वाला यज्ञ है। इस समय आषाढ़ी की फसल में गेहूँ, जौ, चना आदि का आगमन होता है। इनके अधभुने दाने को संस्कृत में ‘होलक’ और हिन्दी में ‘होला’ कहते हैं। शब्दकल्पद्रुमकोश के अनुसार- तृणाग्निभ्रष्टार्द्धपक्वशमीधान्यं होलकः। होला इति हिन्दी भाषा। भावप्रकाश के अनुसार- अर्द्धपक्वशमीधान्यैस्तृणभ्रष्टैश्च होलकः होलकोऽल्पानिलो मेदकफदोषश्रमापहः। अर्थात् तिनकों की अग्नि में भुने हुए अधपके शमीधान्य (फली वाले अन्न) को होलक या होला कहते हैं। होला अल्पवात है और चर्बी, कफ एवं थकान के दोषों का शमन करता है। ‘होली’ और ‘होलक’ से ‘होलिकोत्सव’ शब्द तो अवश्य बनता है, किन्तु यह नामकरण वैदिक उत्सव का वाचक नहीं है। होली नई ऋतु का भी उत्सव है। इसके पन्द्रह दिन पश्चात् नववर्ष, चैत्र मास एवं वसन्त ऋतु प्रारम्भ होती है। कुछ विद्वानों के अनुसार नववर्ष का प्रथम दिवस वसन्त ऋतु का मध्य-बिन्दु है। दोनों ही अर्थों में होली का समय स्वाभाविक हर्षोल्लास का है। इस समय ऊनी वस्त्रों का स्थान सूती एवं रेशमी वस्त्र ले लेते हैं। शीत के कारण जो व्यक्ति बाहर निकलने में संकोच करते हैं, वे निःसंकोच बाहर घूमने लगते हैं। वृक्षों पर नये पत्ते उगते हैं। पशुओं की रोमावलि नई होने लगती है। पक्षियों के नये ‘पर’ निकलते हैं। कोयल की कूक एवं मलय पर्वत की वायु इस नवीनता को आनन्द से भर देती है। इतनी नवीनताओं के साथ आने वाला नया वर्ष ही तो वास्तविक नव वर्ष है, जो होली के दो सप्ताह बाद आता है। इस प्रकार होलकोत्सव या होली नई फसल, नई ऋतु एवं नव वर्षागमन का उत्सव है। होली के नाम पर लकड़ी के ढेर जलाना, कीचड़ या रंग फेंकना, गुलाल मलना, स्वाँग रचाना, हुल्लड़ मचाना, शराब पीना, भाँग खाना आदि विकृत बातें हैं। सामूहिक रूप से नवसव्येष्टि अर्थात् नई फसल के अन्न से बृहद् यज्ञ करना पूर्णतः वैज्ञानिक था। इसी का विकृत रूप लकड़ी के ढेर जलाना है। गुलाब जल अथवा इत्र का आदान-प्रदान करना मधुर सामाजिकता का परिचायक था। इसी का विकृत रूप गुलाल मलना है। ऋतु-परिवर्तन पर रोगों एवं मौसमी बुखार से बचने के लिए टेसू के फूलों का जल छिड़कना औषधिरूप था। इसी का विकृत रूप रंग फेंकना है। प्रसन्न होकर आलिंगन करना एवं संगीत-सम्मेलन करना प्रेम एवं मनोरंजन के लिए था। इसी का विकृत रूप हुल्लड़ करना एवं स्वाँग भरना है। कीचड़ फेंकना, वस्त्र फाड़ना, मद्य एवं भाँग का सेवन करना तो असभ्यता के स्पष्ट लक्षण हैं। इस महत्त्वपूर्ण उत्सव को इसके वास्तविक अर्थ में ही देखना एवं मनाना श्रेयस्कर है। विकृतियों से बचना एवं इनका निराकरण करना भी भद्रपुरुषों एवं विद्वानों का आवश्यक कर्त्तव्य है। होली क्यों मनायें? भारत एक कृषि-प्रधान देश है, इसलिए आषाढ़ी की नई फसल के आगमन पर मुदित मन एवं उल्लास से उत्सव मनाना उचित है। अन्य देशों में भी महत्त्वपूर्ण फसलों के आगमन पर उत्सव का समान औचित्य है। नव वर्ष के आगमन पर एक पखवाड़े पूर्व से ही बधाई एवं शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करना स्वस्थ मानसिकता एवं सामाजिक समरसता के लिए हितकारी है। साथ-साथ रहने पर मनोमालिन्य होना सम्भव है, जिसे मिटाने के  लिए वर्ष में एक बार क्षमा याचना एवं प्रेम-निवेदन करना स्वस्थ सामाजिकता का साधन है। नई ऋतु के आगमन पर रोगों से बचने के लिए बृहद् होम करना वैज्ञानिक आवश्यकता है, इसलिए इस उत्सव को अवश्य एवं सोत्साह मनाना चाहिए। होली कैसे मनायें? होली भी दीपावली की भाँति नई फसल एवं नई ऋतु का उत्सव है, अतः इसे भी स्वच्छता एवं सौम्यतापूर्वक मनाना चाहिए। फाल्गुन सुदी चतुर्दशी तक सुविधानुसार घर की सफाई-पुताई कर लें। फाल्गुन पूर्णिमा को प्रातःकाल बृहद् यज्ञ करें। रात्रि को होली न जलायें। अपराह्न में प्रीति-सम्मेलन करें। घर-घर जाकर मनोमालिन्य दूर करें। संगीत -कला के आयोजन भी करें। रंग, गुलाल, कीचड़, स्वाँग, भाँग आदि का प्रयोग न करें। इनकी कुप्रथा प्रचलित हो गई है, जिसे दूर करना आवश्यक है। स्वस्थ विधिपूर्वक उत्सव मनाने पर मानसिकता, सामाजिकता एवं वैदिक परम्परा स्वस्थ रहती है। ऐसा ही करना एवं कराना सभ्य, शिष्ट एवं श्रेष्ठ व्यक्तियों का कर्त्तव्य है।
#Holi
#holi2021
#happyholi
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

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बुधवार, 24 मार्च 2021

बैंक ग्राहक ध्यान दे आगामी 10 दिनों में 8 दिन रह सकते है बैंक

बैंक ग्राहक ध्यान दे आगामी 10 दिनों में 8 दिन रह सकते है बैंक बंद निपटा ले जरूरी काम आज ही

वित्तीय वर्ष 2021 खत्म होने को है. आज 24 तारीख हो गई और अब गिनती के 6 दिन बचे हैं. पीपीएफ अकाउंट, सुकन्या समृद्धि योजना में न्यूनतम वार्षिक निवेश करने समेत ऐसे कई तरह के काम हैं, जिन्हें 31 मार्च तक निपटाया जाना जरूरी है. वहीं नए फाइनेंशियल ईयर में भी ऐसे कई जरूरी काम होते हैं, जिनके लिए बैंक जाना जरूरी होता है. बैंक से जुड़े कामों के लिए अगले ​10 दिन तक आपको बहुत कम ही समय मिलने वाला है.

आपको बैंक से जुड़ा कोई भी जरूरी काम करना है, तो इसे अगले ​3 दिन के अंदर ​ही निपटा लें, नहीं तो अगले 10 दिन तक के लिए फेर में पड़ सकते हैं. दरअसल, 27 मार्च से लेकर 4 अप्रैल 2021 के बीच बैंक सिर्फ दो ही दिन खुले रहेंगे.

इसलिए यह सलाह दी जा रही है कि अगर आपका बैंक का कोई भी काम बचा है तो उसे जल्दी निपटा लें.

देशभर में महीने के दूसरे और आखिरी शनिवार को बैंक बंद रहते हैं और इसलिए 27 को बैंक बंद रहेंगे. 28 को फिर रविवार है और इस दिन साप्ताहिक अवकाश रहता है. फिर सोमवार को होली है. ऐसे में होली (Holi) के लिए 27 मार्च को छुट्टी रहेगी. फिर अगले दो दिन भी 28 मार्च और 29 मार्च को बैंक बंद रहेंगे. यानी लगातार तीन दिन बैंक बंद रहेंगे.

इस शहर में लगातार बंद रहेंगे बैंक

दरअसल 27 मार्च 2021 को महीने का चौथा शनिवार है. 28 मार्च 2021 को रविवार पड़ता है. यानी दो दिन तो पूरे देशभर में बैंक बंद रहेंगे. फिर 29 मार्च 2021 को होली को लेकर बैंकों में छुट्टी रहेगी. 3 दिन तक तो लगातार बंदी रहेगी. वहीं बिहार की राजधानी पटना की बात करें तो वहां बैंक लगातार चार दिनों तक बंद रहेंगे. RBI की वेबसाइट के अनुसार, पटना में 30 मार्च को भी अपने कार्यों के लिए आप बैंक ब्रांच नहीं जा पाएंगे.

31 मार्च, 1-2 अप्रैल को भी नहीं खुलेंगे बैंक

उसके बाद 31 मार्च को बैंकों की छुट्टी तो नहीं रहती, लेकिन इस दिन मार्च क्लोजिंग यानी वित्तीय वर्ष का अंतिम दिन होने की वजह से सभी ग्राहक सेवाओं पर कर्मी बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं. आगे की बात करें तो एक अप्रैल केा बैंकों की लेखाबंदी के कारण बैंक सेवाएं प्रभावित रहेंगी.

बैंक हॉलिडे लिस्ट

◆ 27 मार्च महीने का दूसरा शनिवार होने के कारण बैंक बंद.

◆ 28 मार्च को रविवार होने के कारण बैंक बंद रहेंगे.

◆ 29 मार्च को होली के कारण बैंक बंद.

◆ 30 मार्च को पटना के बैंक बंद रहेंगे, हालांकि दूसरे शहरों में बैंक खुले रहेंगे.

◆ 31 मार्च वित्त वर्ष का आखिरी दिन इसलिए पब्लिक डीलिंग नहीं.

◆ 1 अप्रैल को नए वित्त वर्ष का पहला दिन लेकिन बैंक अकाउंट क्लोजिंग में व्यस्त.

◆ 2 अप्रैल को गुड फ्राइडे के कारण बैंक बंद रहेंगे.

◆ 3 अप्रैल को बैंक खुला रहेगा.

◆ 4 अप्रैल को रविवार के कारण बैंक बंद.

2 अप्रैल 2021 को गुड फ्राइडे की छुट्टी रहेगी तो इस दिन भी बैंक बंद रहेंगे. इसके बाद तीन अप्रैल 2021 को सभी बैंक खुले रहेंगे, लेकिन 4 अप्रैल को फिर से रविवार पड़ता है. इस दिन भी बैंकों में छुट्टी रहेगी. 5 अप्रैल से बैंक का सामान्य कामकाज शुरू हो जाएगा.

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बुढापे में पाए नियमित आय मोदी सरकार दे रही सहायता

बुढापे में पाए नियमित आय मोदी सरकार दे रही सहायता जानिए केंद्र की क्या क्या है योजनाए

 केंद्र सरकार (Modi Government) की ओर से कुछ खास ऐसी स्कीम चलाई जाती हैं, जिसको लेने के बाद आपको बुढ़ापे में भी पैसों की चिंता नहीं करनी होगी. मोदी सरकार ने देश के गरीब लोगों से लेकर किसानों और सीनियर सिटीजन्स के लिए कई खास इंतजाम किए हैं, जिससे वह आसानी से अपना जीवन टेंशन फ्री होकर बिता सके. आज हम आपको सरकार की 4 ऐसी खास स्कीम (Government Schemes) के बारे में बताएंगे, जिनमें निवेश करने के बाद आपके पैसों की टेंशन खत्म हो जाएगी.

*1. अटल पेंशन योजना*
अटल पेंशन योजना (APY) में कोई भी भारतीय निवेश कर सकता है. इस योजना के लिए आपका बैंक खाता होना जरूरी है. योजना का फायदा उठाने के लिए आपकी उम्र 18 से 40 साल के बीच होनी चहिए. साथ ही APY के तहत पेंशन पाने के लिए आपको कम से कम 20 साल तक निवेश करना होगा. पेंशन योजना (APY) के तहत कम से कम 1,000 रुपये और अधिकतम 5,000 रुपये मासिक पेंशन मिल सकती है. बता दें 60 साल की उम्र से आपको APY के तहत पेंशन मिलना शुरू हो जाएगी.

*2. पीएम श्रमयोगी मानधन योजना*
इस पेंशन योजना की शुरुआत सरकार ने साल 2019 में की है. इस योजना के तहत असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को सरकार की ओर से पेंशन दी जाती है. इस योजना के तहत 60 साल की उम्र के बाद हर महीने 3000 रुपये की पेंशन मिलेगी. यानी आपको सालाना 36 हजार रुपए मिलेंगे. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार इस स्कीम के जरिए अबतक करीब 43.7 लाख लोग जुड़ चुके हैं.

*3. पीएम किसान मानधन योजना*
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत किसानों को पेंशन दी जाती है. पीएम किसान मानधन योजना के तहत 18 से 40 की उम्र के बीच का कोई भी किसान भाग ले सकता है. 60 की उम्र के बाद किसानों को योजना के तहत 3 हजार रुपये महीना या 36 हजार रुपये सालाना पेंशन मिलेगी. अबतक इस स्कीम से करीब 20 लाख किसान जुड़ चुके हैं.

*4. प्रधानमंत्री लघु व्‍यापारी मानधन योजना*
पीएम नरेंद्र मोदी ने सितंबर, 2019 में झारखंड में ही इस योजना को लॉन्‍च किया था. यह मुख्‍य रूप से छोटे कारोबारियों के लिए एक पेंशन योजना है. यह एक तरह से छोटे कारोबारियों को सामाजिक सुरक्षा देने की पहल है, जिसके तहत उन्हें 60 साल की उम्र के बाद 3000 रुपये मंथली पेंशन मिलेगी.

*पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए* कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. पेंशन योजना में सरकार भी बराबर का योगदान करेगी. योजना का फायदा लेने के लिए नियम को बहुत आसान बनाया गया है. खास बात है कि इस योजना का लाभ लेने के लिए आधार नंबर और बैंक खाता के अलावा अन्य किसी डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं होगी.

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सोमवार, 15 मार्च 2021

मनुष्य अपने समय की घटनाओं का माध्यम भर होता है भइया, वह कर्ता नहीं होता

हस्तिनापुर में पाण्डवों के राज्याभिषेक के बाद जब कृष्ण द्वारिका जाने लगे तो धर्मराज युद्धिष्ठर उनके रथ पर सवार हो कर कुछ दूर तक उन्हें छोड़ने के लिए चले गए। भगवान श्रीकृष्ण ने देखा, धर्मराज के मुख पर उदासी ही पसरी हुई थी। उन्होंने मुस्कुरा कर पूछा, "क्या हुआ भइया? क्या आप अब भी खुश नहीं?"
    "प्रसन्न होने का अधिकार तो मैं इस महाभारत युद्ध में हार आया हूँ केशव! मैं तो यह सोच रहा हूँ कि जो हुआ वह ठीक था क्या?" युधिष्ठिर का उत्तर अत्यंत मार्मिक था। कृष्ण खिलखिला उठे। बोले,"क्या हुआ भइया! यह किस उलझन में पड़ गए आप?"
     "हँस कर टालो मत अनुज! मेरी विजय के लिए इस युद्ध में तुमने जो जो कार्य किया है, वह ठीक था क्या? पितामह का वध, कर्ण वध, द्रोण वध, यहाँ तक कि अर्जुन की रक्षा के लिए भीमपुत्र घटोत्कच का वध कराना, यह सब ठीक था क्या? क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुमने अपने ज्येष्ठ भ्राता के मोह में वह किया जो तुम्हे नहीं करना चाहिए था?" धर्मराज बड़े भाई के अधिकार के साथ कठोर प्रश्न कर रहे थे।
        कृष्ण गम्भीर हो गए। बोले,"भ्रम में न पड़िये बड़े भइया! यह युद्ध क्या आपके राज्याभिषेक के लिए लड़ा गया था? नहीं! आप तो इस कालखण्ड के करोड़ों मनुष्यों के बीच एक सामान्य मनुष्य भर हैं। आप स्वयं को राजा मान कर सोचें, तब भी इस समय संसार में असंख्य राजा हैं और असंख्य आगे भी होंगे। इस भीड़ में आप बहुत छोटी इकाई हैं धर्मराज, मैं आपके लिए कोई युद्ध क्यों लड़ूंगा?"
       युधिष्ठिर आश्चर्य में डूब गए। धीमे स्वर में बोले- फिर? फिर यह महाभारत क्यों हुआ?
       "यह युद्ध आपकी स्थापना के लिए नहीं, धर्म की स्थापना के लिए हुआ है। यह भविष्य को ध्यान में रखते हुए जीवन-संग्राम के नए नियमों की स्थापना के लिए हुआ है। महाभारत हुआ है ताकि भविष्य का भारत सीख सके कि विजय ही धर्म है। वो चाहे जिस प्रयत्न से मिले। यह अंतिम धर्मयुद्ध है धर्मराज! क्योंकि यह अंतिम युद्ध है जो धर्म की छाया में हुआ है। भारत को इसके बाद उन बर्बरों का आक्रमण सहना होगा जो केवल सैनिकों पर ही नहीं बल्कि निर्दोष नागरिकों, स्त्रियों, बच्चों, यहाँ तक कि सभ्यता और संस्कृति पर भी प्रहार करेंगे। उन युद्धों में यदि भारत सत्य-असत्य, उचित-अनुचित के भ्रम में पड़ कर कमजोर पड़ा और पराजित हुआ तो उसका दण्ड समूची संस्कृति को युगों युगों तक भोगना पड़ेगा।
     आश्चर्यचकित युद्धिष्ठर चुपचाप कृष्ण को देखते रहे। उन्होंने फिर कहा, "भारत को अपने बच्चों में विजय की भूख भरनी होगी धर्मराज! यही मानवता और धर्म की रक्षा का एकमात्र विकल्प है। इस सृष्टि में एक आर्य परम्परा ही है जो समस्त प्राणियों पर दया करना जानती है, यदि वह समाप्त हो गयी तो न निर्बलों की प्रतिष्ठा बचेगी न प्राण। संसार की अन्य मानव जातियों के पास न धर्म है न दया। वे केवल और केवल दुख देना जानते हैं। ऐसे में भारत को अपना हर युद्ध जीतना होगा, वही धर्म की विजय होगी।
      युद्धिष्ठिर जड़ हो गए थे, कृष्ण ने उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा, "मनुष्य अपने समय की घटनाओं का माध्यम भर होता है भइया, वह कर्ता नहीं होता। भूल जाइए कि किसने क्या किया, आप बस इतना स्मरण रखिये कि इस कालखण्ड के लिए समय ने आपको हस्तिनापुर का महाराज चुना है, और आपको इस कर्तव्य का निर्वहन करना है। यही आपके हिस्से का अंतिम सत्य है।"
       युधिष्ठिर के रथ से उतरने का स्थान आ गया था। वे अपने अनुज कृष्ण को गले लगा कर उतर आए। कृष्ण के सामने अभी अनेक लीलाओं का मंच सजा था।

सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

समाज का हर व्यक्ति जब कुछ ना कुछ *हुनर* जानने वाला होगा, *बेरोजगारी* की समस्या तभी हल होगी

*मुसलमान कभी बेरोजगारी का रोना नहीं रोते*

   साथ ही *आत्महत्या* जैसा कृत्य यह लोग ना के बराबर करते हैं।

जबकि *हिन्दुओं* के बच्चे ही रोना रोते हैं *बेरोजगारी* का

कारण क्या है नीचे पढ़िये 👇

उसका कारण बहुत साधारण है ।
एक जीवंत उदाहरण मैं आपको बता रहा हूँ - 😳

 पड़ोस का एक लड़का कल मेरे पास आया और बोला-  भैया मैं बेरोजगार हूँ, कहीं नौकरी नहीं मिल रही है, बहुत परेशान हूँ। आप ही बताइये मोदी जी ने कहा था कि हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार दूँगा, सात साल होने को जा रहे है, कुछ भी नहीं मिला। उसने अपनी अक्ल मुताबिक *GDP* की माँ बहन की सो अलग

मैंने उससे कुछ प्रश्न पूछे और सारे प्रश्नों का जबाब इस प्रकार रहा... 

तुम तो टेलरिंग/कटिंग (दर्ज़ी) का काम कर लो ?
नहीं !
लेडीज़ ब्यूटी पार्लर पर काम करोगे ?
नहीं !
तो मर्दों के नाई (बार्बर) बन जाओ ?
नहीं !
लांड्री में काम करोगे ?
नहीं !
हलवाई का काम कर लो?
नहीं !
बढ़ई (कारपेंटर) का काम सीखोगे ?
नहीं !
लुहार के यहां काम करोगे ?
नहीं !
खराद मशीन पर काम करोगे ?
नहीं !
वेल्डिंग कर सकते हो?
नहीं !
ग्राफिक डिज़ाइन का कुछ काम आता है ?
नहीं !
कबाड़ी का काम कर लो ?
नहीं !
सब्जी/फ्रूट का धंधा कर लो ?                      
-नहीं !
जूस की दुकान पर काम करोगे ?
नहीं !
आटा चक्की पर काम करोगे?
नहीं !
चाय, पोहे, पकोड़े की दुकान पर काम करोगे ?
नहीं !
किराने की दुकान पर काम करोगे  ?
-नहीं !
रंगाई पुताई कर लोगे ?
नहीं !
मेडिकल स्टोर के काम का कुछ ज्ञान है ?
नहीं !
कार, ट्रक आदि चला लोगे ?
नहीं ! 
बाइक रिपेरिंग आती है ?
नहीं !
कम्प्यूटर चलाना आता है ?
नहीं !
अकाउंट का काम आता है  ?
नहीं !
प्लम्बिंग का काम कर सकते हो?
नहीं !
राज मिस्त्री के साथ काम कर सकते हो?
नहीं !
खेती  बागवानी का काम करोगे ?
नहीं !
पंचर बना लोगे ?
नहीं ! 
होटल या रेस्टोरेंट में काम करोगे  ?
नहीं !
बिजली रिपेरिंग, पंखा, AC, गीज़र, कूलर, वाशिंग मशीन रिपेरिंग कर लोगे ?
नहीं ! 
कपड़े की दुकान पर काम कर सकते हो ?
किराना दुकान पर काम कर सकते हो ?
नहीं ! 
सिलाई या टेलरीग का काम जानते हो ?
नहीं !
पान मसाला गुटखा बेचोगे ?
नहीं ! 
मजदूरी तो कर ही सकते हो ?
-नहीं !

फिर मैंने पूछा तुमको काम  क्याआता है ? 

वो बोला जी मैं पढ़ा लिखा हूँ, BA पास हूँ। ये सब काम मेरे लिए नहीं, मुझे तो बस सरकारी क्लर्क की नौकरी चाहिए। वर्ना मेरी शादी भी नहीं होगी। पढ़े लिखे होने के बाबजूद मुझे कोई काम नहीं मिल रहा है ।

वो बोला मोदी जी ने हम जैसे अनेक युवाओं को बेरोज़गार कर दिया ।

तब से दिमाग़ खराब है मेरा ।

ये वह लोग हैं जिनको मोदी तो क्या पूरी दुनिया में कोई नौकरी नहीं दे सकता। आज के युवा मेहनत करने के बजाए सरकार को गाली देना बेहतर विकल्प मानते हैं ।।

मैं बोला तुमको ही कुछ काम करना नहीं आता, कमी काम करने वालों की है काम की नहीं, काम चारों तरफ बिखरे पड़े हैं, और उनको मुस्लिम लड़के झपट रहे हैं । तुम लोग बस सरकारी या किसी 10k से 20k वाली नौकरी के इंतज़ार में बैठे हो, और बेरोज़गारी का रोना रो रो के मोदी का स्यापा कर रहे हो । मोदी के "स्किल इंडिया" का लाभ मुस्लिम लड़के उठा रहे हैं और हिन्दू लड़के सरकारी या गैर सरकारी परन्तु नौकरी के इंतज़ार में बैठे रहते हैं ।

अपने बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही हुनरमंद भी बनाइए। 

अपने अंदर यह सोच हटा दीजिए कि  "लोग क्या कहेंगे"  या "लोग क्या सोचेंगे' क्योंकि लोग क्या कहेंगे यह सबसे खतरनाक वाक्य है जो हमें बर्बाद कर देता है

बच्चों को समझाइये कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। धीरूभाई अंबानी ने पहले पैट्रोल पम्प पर भी नौकरी की थी, और शुरू शुरू में पुराने कपड़ों के खरीदने बेचने का व्यापार किया था।

 अगर वो सरकारी नौकरी का इंतज़ार करते रहते तो, किसी सरकारी विभाग में क्लर्क/मैनेजर बन कर ही रह जाते, और रिलायंस कम्पनी न बनती ।

अटल बिहारी वाजपेई जी जब पाकिस्तान बस लेकर गए थे तब उनके साथ फिल्म अभिनेता देवानंद भी गए थे और देवानंद जो अपनी डिग्री पाकिस्तान से पलायन के समय नहीं ले पाए थे वह डिग्री जब उन्हें दी गई तब उन्होंने कहा कि आज मैं जो कुछ हूं अपनी इस छूटी हुई डिग्री के कारण हूं

 क्योंकि मेरे भाई मुझे नेवी में क्लर्क की नौकरी दिलवा रहे थे क्योंकि मैं अपनी डिग्री पाकिस्तान ही भूल गया था इसीलिए मुझे वह क्लर्क की नौकरी नहीं मिली शुरू में मैं मायूस रहा कि संघर्ष किया और आज मैं इस मुकाम पर हूं 

अगर मेरे पास यह डिग्री उस वक्त होती तो मैं आज नेवी का क्लर्क होकर मर जाता मुझे कोई नहीं पहचानता

*बच्चों को हुनर सीखने की सीख दीजिये*

हमें भी अपने  समाज के बच्चों को *पढ़ाई के अलावा'* कुछ ना कुछ *हुनर* भी सीखने के लिए ध्यान अवश्य दिलाना चाहिए।

समाज का हर व्यक्ति जब कुछ ना कुछ *हुनर* जानने वाला होगा, *बेरोजगारी* की समस्या तभी हल होगी ।

  
   
*यह संदेश हिन्दू स्वजनों तक पहुँचायें*
*किसी ने भेजा था सही लगा* 
*सोचने  लायक है*
*जय हिन्द* 😳👍🇧🇴

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