यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

Immunity आप सोचिए संभव कैसे है?

Immunity* आप सोचिए संभव कैसे है? 

1. बड़े शहर में रहने वाले  2से 3दिन पुराना  ब्रेड पर 3से 6 महीने पुराना जैम लगाकर और दो से तीन दिन पुराना थैली वाला दूध पीकर अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 

2. कई महीने पुराना केमिकल युक्त mineral water जिसमें कोई मिनरल्स नहीं है  अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 
3. पिंजरे… जिनको अंग्रेजी में flat फ्लैट कहते हैं जिनमें ना ताज़ी हवा नसीब होती है ना धूप ,में बिना सूरज की रोशनी में और बिना ताजी हवा के  उसमें रहकर अगर आप सोचतें कि बीमारी आपका पीछा छोड़ देगी तो मैं क्या कहूँ ।

4. 85% पानी मिला पैकेटबन्द फ्रूट जूस जिसमे तरह तरह के केमिकल और प्रिजर्वेटिव मिला हुआ है अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 

5. ऐसी अनेक चीजे है जो आपके आस है उनको देखिए समझिए और अपने बच्चो को समझाए की चीज़/ बटर /पीजा/ पास्ता / बेकरी / मयोनेज/ पैकेट में बंद नाइट्रोजन युक्त प्रिजर्वेटिव मिला पाम ऑयल और कई तरह के कोड वर्ड में लिखे हुए इंग्रेडियंट जिनको बिना समझे आप खाकर खुद को शाकाहारी समझ  कर अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 

6. योग और प्राणायाम और बिना खुली हवा के दिनभर में एसी और सिर्फ एसी में रहने वाले आपके फेफड़े करोना का  झटका शायद ही झेल पाएं ।

7.ज्वार बाजरा रागी और भी कई सारे धान छोड़ कर सिर्फ और सिर्फ केमिकल युक्त गेंहू के भरोसे आप अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 

8. नन्हे नन्हे बच्चों और दादी और नानी के नुस्खे छोड़ कर आप डब्बा बंद प्रोटीन देकर सोचते है की ये स्ट्रॉन्ग बन रहा है और स्ट्रॉन्ग  immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 

9.नहाने से लेकर संवारने तक खुद को भी और बच्चो को भी आप कितने केमिकल शरीर पर लगा लेते हो ओर सोचते हो की पोने तीन करोड़ रोम छिद्रों का कोई महत्व नहीं है अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 

11. ताजा फल और उनका रस भारतीय भोजन और तुलसी जी कड़ी पत्ता ताजा नींबू और तरह तरह के घर में बने मुरब्बे और नाश्ते की जगह पैकेट वाला नाश्ता और भोजन खाकर अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 


निवेदन है की  सनातन भारत की और लौटें । जो पेड़ अपनी जड़ से कट जातें है वह अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकते ।
 


Call for Pure Organic and Ayurvedic Products
in in all over India

Kailash Chandra Ladha 9352174466
Hemant Bajpai  9414129498

#organic 
#Sanwariya 
#chemicalfree 
#organicfood 
#organicproducts
#chemicalfreeskincare 
#chemicalfreeliving 
#chemicalfreeproducts 
#ayurveda

सोमवार, 19 अप्रैल 2021

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं एक मंत्र महामृत्युंजय मंत्र के बराबर है - #Pujya_Pandit_Pradeep_Ji_Mishra





श्री शिवाय नमस्तुभ्यं एक मंत्र महामृत्युंजय मंत्र के बराबर है - #Pujya_Pandit_Pradeep_Ji_Mishra

 भगवान शंकर के पंचाक्षरी नाम के प्रताप से बड़े बड़े ऋषि महात्मा के साथ साथ आसुरी प्रवृत्ति ने अपनी मुक्ति के मार्ग को प्रश्स्त किया है। भगवान शिव भाव के भूखे हैं। घर के शुद्ध जल से भरे लोटे को ले जाकर शिवलिंग पर जलधार चढ़ायें तथा एक बिल्व पत्र अर्पण करें अपने जीवन का कल्याण करना हो तो भक्ति भाव से श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप करें। भगवान भोलेनाथ मनोकामना पूर्ण करेंगे। इस सिद्ध मंत्र की महिमा का वर्णन करते हुए  कहा कि भगवान शिव के पास आडम्बर नहीं है वे मुर्दो की भस्म धारण इसलिए करते है कि मनुष्य मरने के बाद जलने के पूर्व उपस्थित अपने जन से राम नाम सत्य है बुलवाता है। जिसके कारण प्रभु राम के नाम का उच्चारण होता है, वो शव तो राम मय हो जाता है। उसकी भस्म में राम समाहित हो जाता है यही कारण है कि शिव अपने शरीर पर उनकी भस्म को धारण करते हैं।

https://www.youtube.com/watch?v=_r8jbIsM_MA

त्रियुगी नारायण मंदिर : शिव और पार्वती का विवाह स्थल



त्रियुगी नारायण मंदिर : शिव और पार्वती का विवाह स्थल

उत्तराखंड में कई देवी देवताओं के निवास स्थल हैं।  फिर वो पंच केदार हों, पंच बद्री हों या राजराजेश्वरी के कई सिद्ध पीठ। यही कारण है उत्तराखंड की संस्कृति में धर्म-कर्म की छाप साफ़ दिखाई देती है।  उत्तराखंड में पांडवों द्वारा निर्मित कई मंदिर है, पुराणों के अनुसार कई मंदिरो का निर्माण भगवान के अंगो से हुआ है पर क्या आपने एक ऐसे मंदिर के बारे में सुना जहां शिव और पार्वती के विवाह के साक्षी स्वयं विष्णु बने थे। ये मंदिर है विष्णु का त्रियुगी नारायण मंदिर


त्रियुगी नारायण मंदिर | Triyugi Narayan Temple

 

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में सोनप्रयाग से 12 किलोमीटर की दूरी और समुद्रतल से 1,980 मीटर की ऊंचाई पर त्रियुगी नारायण मंदिर स्तिथ है।  सोनगंगा व मंदाकनी नदियों के किनारे स्तिथ यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। चारों ओर से हिमालय की सुरम्य पहाड़ियों और हरे भरे खेत खलियानो के बीच स्तिथ यह मंदिर देखने में बेहद ही खूबसूरत लगता है। कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा किया गया था।

त्रियुगी नारायण मंदिर (Triyugi Narayan Temple) को स्थानीय भाषा में त्रिजुगी नारायण (Trijugi Narayan) के नाम से जानते हैं। वहीं इस मंदिर में वर्षों से जल रहे अग्नि कुंड के कारण त्रियुगी नारायण को अखंड धुनी मंदिर (Akhand Dhuni Temple) के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के प्रांगण में चार कुंड – सरस्वती कुंड, रूद्र कुंड, विष्णु कुंड व ब्रह्म कुंड स्तिथ हैं।  जिसमें मुख्य कुंड (सरस्वती कुंड) पास में मौजूद तीन जल कुंडों को भरता है।



देखने में त्रियुगी नारायण की बनावट केदारनाथ मंदिर  संरचना जैसे लगती है। इस मंदिर के बाहर एक यज्ञ कुंड है जो दीर्घकाल से प्रज्वलित किया जा रहा है। मंदिर के भीतर भगवान विष्णु की प्रतिमा के साथ-साथ माता लक्ष्मी व सरस्वती की प्रतिमा भी सुशोभित हैं


त्रियुगीनारायण मंदिर में ही हुआ था शिव-पार्वती का शुभ विवाह

क्या आप जानते हैं कि इसी पृथ्वी पर विद्यमान है वह जगह जहां साक्षात भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
उत्तराखंड का त्रियुगीनारायण मंदिर ही वह पवित्र और विशेष पौराणिक मंदिर है।  इस मंदिर के अंदर सदियों से अग्नि जल रही है। शिव-पार्वती जी ने इसी पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया था। यह स्थान रुद्रप्रयाग जिले का एक भाग है। त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में ही कहा जाता है कि यह भगवान शिव जी और माता पार्वती का शुभ विवाह स्थल है।
 
मंदिर के अंदर प्रज्वलित अग्नि क ई युगों से जल रही है इसलिए इस स्थल का नाम त्रियुगी हो गया यानी अग्नि जो तीन युगों से जल रही है। 
 
त्रियुगीनारायण हिमावत की राजधानी थी। यहां शिव पार्वती के विवाह में विष्णु ने पार्वती के भाई के रूप में सभी रीतियों का पालन किया था। जबकि ब्रह्मा इस विवाह में पुरोहित बने थे। उस समय सभी संत-मुनियों ने इस समारोह में भाग लिया था। विवाह स्थल के नियत स्थान को ब्रहम शिला कहा जाता है जो कि मंदिर के ठीक सामने स्थित है। इस मंदिर के महात्म्य का वर्णन स्थल पुराण में भी मिलता है। 
 
विवाह से पहले सभी देवताओं ने यहां स्नान भी किया और इसलिए यहां तीन कुंड बने हैं जिन्हें रुद्र कुंड, विष्णु कुंड और ब्रह्मा कुंड कहते हैं। इन तीनों कुंड में जल सरस्वती कुंड से आता है। सरस्वती कुंड का निर्माण विष्णु की नासिका से हुआ था और इसलिए ऐसी मान्यता है कि इन कुंड में स्नान से संतानहीनता से मुक्ति मिल जाती है। 
 
जो भी श्रद्धालु इस पवित्र स्थान की यात्रा करते हैं वे यहां प्रज्वलित अखंड ज्योति की भभूत अपने साथ ले जाते हैं ताकि उनका वैवाहिक जीवन शिव और पार्वती के आशीष से हमेशा मंगलमय बना रहे। 
 
वेदों में उल्लेख है कि यह त्रियुगीनारायण मंदिर त्रेतायुग से स्थापित है। जबकि केदारनाथ व बदरीनाथ द्वापरयुग में स्थापित हुए। यह भी मान्यता है कि इस स्थान पर विष्णु भगवान ने वामन देवता का अवतार लिया था। 
 
पौराणिक कथा के अनुसार इंद्रासन पाने के लिए राजा बलि को सौ यज्ञ करने थे, इनमें से बलि 99 यज्ञ पूरे कर चुके थे तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर रोक दिया जिससे कि बलि का यज्ञ भंग हो गया। यहां विष्णु भगवान वामन देवता के रूप में पूजे जाते हैं।

त्रियुगी नारायण मंदिर का महत्व और खास बातें:त्रियुगी नारायण मंदिर का महत्व और खास बातें:

5

1. ऐसी मान्यता है कि इसी मंदिर में भगवान शंकर और मां पार्वती की शादी हुई थी.

7

2. यह मंदिर हालांकि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का है. लेकिन शंकर-पार्वती की शादी के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है.

lord-vishnu-ji-mobile-wallpapers

3. जिन लोगों की शादी हो गई है वो यहां आर्शीवाद लेने आते हैं और जिन लोगों की शादी नहीं हो रही है, वह भी यहां वरदान मांगने आते हैं.

1

4. इस मंदिर में वह अग्निकुंड अब भी मौजूद है, जिसके फेरे भगवान शंकर और मां पार्वती ने लिए थे.

2

5. भगवान शंकर और मां पार्वती की शादी में ब्रह्माजी पुरोहित बने थे. उन्होंने ही विवाह सम्पन्न कराया था. इस मंदिर में आज भी वह स्थान मौजूद है, जहां शिव-पार्वती बैठे थे.

3

6. मंदिर में एक ब्रह्मकुंड है, जहां ब्रह्माजी ने विवाह कराने से पहले स्नान किया था.

4

7. यहां एक स्तंभ भी मौजूद है, जहां मां पार्वती ने उपहार स्वरूप मिली अपनी गाय बांधी थी.

8. भगवान शंकर और मां पार्वती की शादी में नारायण मां पार्वती के भाई की भूमिका निभाई थी. विवाह संस्कार में शामिल होने से पहले भगवान विष्णु ने विष्णु कुंड में स्नान किया था. वह आज भी यहां मौजूद है.

6

9. भगवान श‌िव के व‌िवाह में भाग लेने आए सभी देवी-देवताओं ने इसी कुंड में स्‍नान क‌िया था। इन सभी कुंडों में जल का स्त्रोत सरस्वती कुंड को माना जाता है.

इस मंदिर हर एक हिस्सा आर्शीवाद और महत्व से भरपूर है. ऐसी मान्यता है कि यहां फेरे लेने वाले जोड़े सात जन्मों तक शादी के पवित्र बंधन में बंधे रहते हैं.

https://sanwariyaa.blogspot.com/2021/04/blog-post_19.html


शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

कोरोना सबको होगा ,ये ध्यान रहे - कोरोना को मन से ना लगाओ


कोरोना सबको होगा ,ये ध्यान रहे।

अमेरीका मे एक कैदी को जब फाँसी की सजा सुनाई ,तब वहाँ के कुछ वैज्ञानिकों ने विचार किया कि इस कैदी पर एक प्रयोग किया जाये, तब उस कैदी को बताया गया कि उसे फाँसी की बजाय विषधर कोब्रा से डसवा कर मारा जाएगा।फाँसी वाले दिन उसके सामने एक बड़ा विषधर साँप लाया गया तथा कैदी की आँखो पर पट्टी बाँध कर कुर्सी पर बाँध दिया गया।इसके बाद उसे साँप से ना डसवा कर सेफ्टी पिन चुभाई गई ।
आश्चर्य की बात यह हुई कि कैदी की २ सेकंड में ही मौत हो गई।*
पोस्टमार्टम रिपोर्ट मे कैदी के शरीर में 
"व्हेनम सदु्श्यम" 
विष मिला ,ये विष कहाँ से आया जिससे कैदी की मृत्यु हुई ? पोस्टमार्टम के बाद पता चला कि ये विष कैदी के शरीर में मानसिक डर  की वजह से, उसके शरीर ने ही उत्पन्न किया था।अतः
 तात्पर्य ये है कि

  हमारी अपनी मानसिक  स्थिति के अनुसार Positive अथवा Negative
एनर्जी उत्पन्न होती है  तद्दानुसार ही हमारे शरीर में HORMONES पैदा होते हैं 90% बीमारी का मूल कारण नकारात्मक विचार ऊर्जा का उत्पन्न होना है
आज मनुष्य गलत विचारों का भस्मासुर बना कर खुद का विनाश कर रहा है 
मेरे मतानुसार कोरोना को मन से ना लगाओ
5 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक के लोग Negative हो गये हैं
आकड़ों पर ना जाए ,आधे से ज्यादा लोग व्यवस्थित हैं
मृत्यु पाने वाले केवल कोरोना की वजह से नहीं बल्कि उन्हें अन्य बीमारियाँ भी थीं ,जिसका मुकाबला वे  कर नहीं सके। ये  याद रखें   कोरोना की वजह से कोई भी घर पर नहीं मरा सबकी मृत्यु अस्पताल मे ही हुई
कारण अस्पताल का वातावरण एवं मन का भय इसलिए अपने विचार सकारात्मक रखें और आनंद से रहें।

: Think Positive and Believe good will happen 

*मनोचिकित्सक की सलाह*. 

*1*  कोरोना से जुड़ी ज्यादा खबरें ना देखे ना सुने , आपको जितनी जानकारी चाहिए आप पहले से ही जान चुके हैं

*2* कहीं से भी अधिक जानकारी एकत्र करने का प्रयास छोड़ें क्योंकि ये आपकी मानसिक स्तिथि को और ज्यादा कमजोर ही करेगा 

*3.* दूसरों को वायरस से संबंधित सलाह ना दें क्योंकि सभी व्यक्तियों की मानसिक क्षमता एक सी नहीं होती , कुछ डिप्रेशन अर्थात अवसाद का शिकार हो सकते हैं 

*4.* जितना संभव हो संगीत सुनें , अध्यात्म , भजन आदि भी सुन सकते है , बच्चों के साथ बोर्ड गेम खेलें , परिवार के साथ बैठकर आने वाले वर्षों के लिए प्रोग्राम बनाएं 

*5.* अपने हाथों को नियमित अंतराल पर अच्छे से धोएं , सभी वस्तुएं की सफाई भी करें , किसी भी नव आगंतुक को 1 मीटर दूर से मिले ।

*6* आपकी नकारात्मक सोच-विचार की प्रवृति  डिप्रेशन बढ़ाएगी और वायरस से लड़ने की क्षमता कम करेगी दूसरी ओर सकारात्मक सोच आपको शरीर और मानसिक रूप से मजबूत बनाकर किसी भी स्तिथि या बीमारी से लड़ने में सक्षम बनाएगी ।

*7.* अत्यंत आवश्यक ...विश्वास दृढ़ रखें कि ये समय शीघ्र ही निकलने वाला है और आप हमेशा स्वस्थ और सुरक्षित रहेंगे 
*सकारात्मक रहें -स्वस्थ रहें* ।

Think Positive and Believe good will happen ..
*आयो मिलकर-सकारात्मक विचार फैलाए👍👍*

WWW.SANWARIYAA.BLOGSPOT.COM

सोमवार, 12 अप्रैल 2021

हिन्दू नववर्ष नव संवत्सर 2078 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक 13 अप्रैल 2021

हिन्दू नववर्ष नव संवत्सर 2078 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक 13 अप्रैल 2021 के स्वागत में हम अपनी अपनी गली मोहल्ले में लोगों से  बातचीत कर , घर के बाहर रंगोली बनाने का आग्रह कर सकते हैं...
🚩 रात्रि में सभी अपने अपने घरों के बाहर , 5-7  दीपक जला सकते हैं , और आतिशबाजी भी कर सकते हैं..
🚩 एक छोटा सा प्रयास करके देखें..आपका छोटा सा प्रयास ही , भारत में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है..
🚩 मुझे विश्वास है आप  अपने  से गली तक का छोटा सा प्रयास जरूर करेंगे । एक दूसरे को नववर्ष की बधाई व बधाई संदेश भेजे ।हिन्दू जगे तो विश्व जागेगा ।
🚩नववर्ष की अग्रिम शुभकामना🚩

🙏💐💐🙏
#hindu 
#hindunavvarsh 
#newyear 
#navvarsh 
#hinduism 
#happy 
#navratri 
#navsamvatsar2078
#jaishreeram 
#ram
#n 
#ramram 

शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021

कोरोना के लिए घर पर आवश्यक चिकित्सा किट

कोरोना के लिए घर पर आवश्यक चिकित्सा किट:
1. पारासिटामोल या डोलो 650 mg SOS leve

2. बीटाडीन गार्गल माउथवॉश के लिए गुनगुने पानी के साथ

3. विटामिन सी जैसे  Tab Limcee 500mg चूसने की दिन में 3 या 4 बार ।।ये बहुत ही शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है बहुत ही कारगर है इममुनिटी बढ़ाता है ।।वायरस को असक्रिय कर देती हैं।

 और  Tab विटामिन D3 60k सप्ताह में एक 4 सप्ताह तक

4.Tab बी कॉम्प्लेक्स साथ मे मल्टीविटामिन एव ट्रेस एलिमेंट्स 
जैसे Neurokind plus रोज एक 10 से 15 दिन तक इममुनिटी के लिये

5. भाप लेवे -गले मे खराश ठीक एव वायरल लोड कम कर वायरस को असक्रिय कर देता है

6. पल्स ऑक्सीमेटर रखे ऑक्सिजन लेवल देखने के लिए नॉर्मल 90 से ऊपर होना चाहिए

7. ऑक्सीजन सिलेंडर (केवल आपातकाल के लिए)

8. सास लेने में तकलीफ होतो उल्टा पेट के बल सोये जिससे फेफड़ो में ऑक्सिजन सर्कुलेशन बढ़ जाता हैं

9 गुनगुने पानी मे नमक के गरारे कर एव गुनगुने पानी मे निम्बू निचोड़ कर दिन में 3 या 4 बार पिये 

गहरी साँस लेने के व्यायाम करे

*👉कोरोना के तीन चरण:-*

1. *केवल नाक में कोरोना* - रिकवरी का समय आधा दिन होता है, 
इसमें आमतौर पर बुखार नहीं होता है और इसे *असिम्टोमाटिक कहते है |* 
इसमें क्या करे :- स्टीम इन्हेलिंग करे व विटामिन सी लें | 

2. *गले में खराश* - रिकवरी का समय 1 दिन होता है  इसमें क्या करे : -

गर्म पानी का गरारा करें, पीने में गर्म पानी लें, निम्बू पानी लेवे
अगर बुखार हो तो पारासिटामोल लें |
अगर गंभीर हो तो विटामिन सी, बी. कम्पलेक्स ,डी और एंटीबायोटिक लें | 

3. *फेफड़े में खांसी* - 4 से 5 दिन में खांसी और सांस फूलना। 
इसमें क्या करें :
गर्म पानी का गरारा करें, पीने में गर्म पानी लें, निम्बू पानी लेवे
विटामिन सी, बी कॉम्प्लेक्स, पारासिटामोल ले और गुनगुने पानी के साथ नींबू का सेवन करे| पल्स ऑक्सिमीटर से अपने ऑक्सीजन लेवल की 
जाँच करते रहे | अगर आपके पास ऑक्सीमेटर नहीं हो तो आप किसी भी दवा दुकान से खरीद ले अथवा गहरी साँस लेने का व्यायाम करे
अगर समस्या गंभीर हो तो ऑक्सीजन सिलिंडर मंगाए और डॉक्टर से ऑनलाइन परामर्श ले | 
बहुत ज्यादा तकलीफ होतो एंटीवायरल मेडिसिन चिकित्सक परामर्श से लेवे।

*अस्पताल जाने के लिए स्टेज:*
ऑक्सिमीटर से अपने ऑक्सीजन लेवल की जाँच करते रहे। यदि यह 92(सामान्य 95-100) के पास जाता है और आपको कोरोना के लक्षण
(जैसे की बुखार, सांस फूलना इत्यादि) हैं तो आपको ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता होती है। इसके लिए तुरंत नजदीकी स्वास्थ सेवा केंद्र पे संपर्क करे व परामर्श ले | 

*स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें!*
 कृपया अपने परिवार और समाज का ख्याल रखें | घर पे रहे और सुरक्षित रहे | 
 
 *ध्यान दें:*
कोरोनावायरस का pH  5.5 से 8.5 तक होता है
इसलिए, वायरस को खत्म करने के लिए हमें बस इतना करना है कि वायरस की अम्लता के स्तर से अधिक क्षारीय खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
 
 *जैसे कि:*
- *केले*
- *हरा नींबू - 9.9 पीएच*
- *पीला नींबू - 8.2 पीएच*
- *एवोकैडो - 15.6 पीएच*
- *लहसुन - 13.2 पीएच*
- *आम - 8.7 पीएच*
- *कीनू - 8.5 पीएच*
- *अनानास - 12.7 पीएच*
- *जलकुंड - 22.7 पीएच*
- *संतरे - 9.2 पीएच*

 *कैसे पता चलेगा कि आप* *कोरोना वायरस से संक्रमित हैं .?*

 1.  *गला सुखना*
 2. *सूखी खांसी*
 3. *शरीर का उच्च तापमान* 
 4. *सांस की तकलीफ*
 5. सिर दर्द
६. बदन दर्द

गर्म पानी के साथ नींबू पीने से वायरस फेफड़ों तक पहुँचने से पहले ही खत्म 
हो जाते हैं | 

*इस जानकारी को खुद तक न रखें।* इसे अपने सभी परिवार और दोस्तों और सभी के साथ शेयर करे । 
आपको नहीं पता की इस जानकारी को शेयर करके आप कितनी जान बचा रहे है | 
*इसे शेयर करे और लोगों की मदद करे ताकि अधिक से अधिक लोगों को  जानकारी हो सके एवं कोरोना से बचाव हो*


www.sanwariyaa.blogspot.com

फोड़े - फुन्सियां का कारण, निवारण और घरेलू प्राकृतिक आयुर्वेदिक उपचार

फोड़े - फुन्सियां का कारण, निवारण और घरेलू प्राकृतिक आयुर्वेदिक उपचार

गर्मी और बरसात के मौसम में फोड़े-फुन्सियाँ निकलना एक आम समस्या है। शरीर के रोम कूपों में 'एसको' नामक जीवाणु इकठ्ठे हो जाते हैं जो संक्रमण पैदा कर देते हैं जिसके कारण शरीर में जगह-जगह फोड़े-फुन्सियां निकल आती हैं।

इसके अलावा खून में खराबी पैदा होने की वजह से,आम के अधिक सेवन से,मच्छरों के काटने से या कीटाणुओं के फैलने के कारण भी फुन्सियां निकल आती हैं| भोजन में गर्म पदार्थों के अधिक सेवन से भी  फोड़े-फुन्सियाँ निकल आते हैं।

फोड़े-फुन्सियाँ होने पर भोजन में अधिक गर्म पदार्थ, मिर्च-मसाले, तेल, खट्टी चीज़ें और अधिक मीठी वस्तुएं नहीं खानी चाहियें। फोड़े-फ़ुन्सियों को ढककर या पट्टी बांधकर ही रखना चाहिए।

*फोड़े-फुन्सियों का विभिन्न औषधियों से उपचार*
        
नीम की 5-8 पकी निम्बौलियों को 2 से 3 बार पानी के साथ सेवन करने से फुन्सियाँ शीघ्र ही समाप्त हो जाती हैं।

नीम की पत्तियों को पीसकर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।

 दूब को पीसकर लेप बना लें | पके फोड़े पर यह लेप लगाने से फोड़ा जल्दी फूट जाता है।

खून के विकार से उत्पन्न फोड़े-फुन्सियों पर बेल की लकड़ी को पानी में पीसकर लगाने से लाभ मिलता है।

 तुलसी और पीपल के नए कोमल पत्तों को बराबर मात्रा में पीस लें | इस लेप को दिन में तीन बार फोड़ों पर लगाने से फोड़े जल्दी ही नष्ट हो जाते हैं| 

फोड़े में सूजन,दर्द और जलन आदि हो तो उसपर पानी निकाले हुए दही को लगाकर ऊपर से पट्टी बांधनी चाहिए| यह पट्टी दिन में तीन बार बदलनी चाहिए, लाभ होता है|

वंदे मातरम 


www.sanwariyaa.blogspot.com

Call for Pure Organic and Ayurvedic Products
in in all over India

Kailash Chandra Ladha 9352174466
Hemant Bajpai  9414129498

#organic 
#Sanwariya 
#chemicalfree 
#organicfood 
#organicproducts
#chemicalfreeskincare 
#chemicalfreeliving 
#chemicalfreeproducts 
#ayurveda

रविवार, 28 मार्च 2021

होली – क्या, क्यों, कैसे?

होली – क्या, क्यों, कैसे? – 
 आजकल असभ्यता का त्योहार माना जाने लगा है। यहाँ तक कि सभ्य एवं शिष्ट व्यक्ति इससे बचने लगे हैं। ऐसा इस कारण हुआ, क्योंकि इसका रूप विकृत हो गया है, अन्यथा यह भी चार प्रमुख त्योहारों में से एक है। अन्य तीन त्योहार हैं- रक्षाबन्धन, विजयदशमी एवं दीपावली। वास्तव में होली आरोग्य, सौहार्द एवं उल्लास का उत्सव है। यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और आर्यों के वर्ष का अन्तिम त्योहार है। यह नई ऋतु एवं नई फसल का उत्सव है। इसका प्रह्लाद एवं उसकी बुआ होलिका से कोई सम्बन्ध नहीं है। होलिका की कथा प्रसिद्ध अवश्य है, किन्तु वह कथा इस उत्सव का कारण नहीं है। यह उत्सव तो प्रह्लाद एवं होलिका के पहले से मनाया जा रहा है। होली क्या है? होली नवसस्येष्टि है (नव= नई, सस्य= फसल, इष्टि= यज्ञ) अर्थात् नई फसल के आगमन पर किया जाने वाला यज्ञ है। इस समय आषाढ़ी की फसल में गेहूँ, जौ, चना आदि का आगमन होता है। इनके अधभुने दाने को संस्कृत में ‘होलक’ और हिन्दी में ‘होला’ कहते हैं। शब्दकल्पद्रुमकोश के अनुसार- तृणाग्निभ्रष्टार्द्धपक्वशमीधान्यं होलकः। होला इति हिन्दी भाषा। भावप्रकाश के अनुसार- अर्द्धपक्वशमीधान्यैस्तृणभ्रष्टैश्च होलकः होलकोऽल्पानिलो मेदकफदोषश्रमापहः। अर्थात् तिनकों की अग्नि में भुने हुए अधपके शमीधान्य (फली वाले अन्न) को होलक या होला कहते हैं। होला अल्पवात है और चर्बी, कफ एवं थकान के दोषों का शमन करता है। ‘होली’ और ‘होलक’ से ‘होलिकोत्सव’ शब्द तो अवश्य बनता है, किन्तु यह नामकरण वैदिक उत्सव का वाचक नहीं है। होली नई ऋतु का भी उत्सव है। इसके पन्द्रह दिन पश्चात् नववर्ष, चैत्र मास एवं वसन्त ऋतु प्रारम्भ होती है। कुछ विद्वानों के अनुसार नववर्ष का प्रथम दिवस वसन्त ऋतु का मध्य-बिन्दु है। दोनों ही अर्थों में होली का समय स्वाभाविक हर्षोल्लास का है। इस समय ऊनी वस्त्रों का स्थान सूती एवं रेशमी वस्त्र ले लेते हैं। शीत के कारण जो व्यक्ति बाहर निकलने में संकोच करते हैं, वे निःसंकोच बाहर घूमने लगते हैं। वृक्षों पर नये पत्ते उगते हैं। पशुओं की रोमावलि नई होने लगती है। पक्षियों के नये ‘पर’ निकलते हैं। कोयल की कूक एवं मलय पर्वत की वायु इस नवीनता को आनन्द से भर देती है। इतनी नवीनताओं के साथ आने वाला नया वर्ष ही तो वास्तविक नव वर्ष है, जो होली के दो सप्ताह बाद आता है। इस प्रकार होलकोत्सव या होली नई फसल, नई ऋतु एवं नव वर्षागमन का उत्सव है। होली के नाम पर लकड़ी के ढेर जलाना, कीचड़ या रंग फेंकना, गुलाल मलना, स्वाँग रचाना, हुल्लड़ मचाना, शराब पीना, भाँग खाना आदि विकृत बातें हैं। सामूहिक रूप से नवसव्येष्टि अर्थात् नई फसल के अन्न से बृहद् यज्ञ करना पूर्णतः वैज्ञानिक था। इसी का विकृत रूप लकड़ी के ढेर जलाना है। गुलाब जल अथवा इत्र का आदान-प्रदान करना मधुर सामाजिकता का परिचायक था। इसी का विकृत रूप गुलाल मलना है। ऋतु-परिवर्तन पर रोगों एवं मौसमी बुखार से बचने के लिए टेसू के फूलों का जल छिड़कना औषधिरूप था। इसी का विकृत रूप रंग फेंकना है। प्रसन्न होकर आलिंगन करना एवं संगीत-सम्मेलन करना प्रेम एवं मनोरंजन के लिए था। इसी का विकृत रूप हुल्लड़ करना एवं स्वाँग भरना है। कीचड़ फेंकना, वस्त्र फाड़ना, मद्य एवं भाँग का सेवन करना तो असभ्यता के स्पष्ट लक्षण हैं। इस महत्त्वपूर्ण उत्सव को इसके वास्तविक अर्थ में ही देखना एवं मनाना श्रेयस्कर है। विकृतियों से बचना एवं इनका निराकरण करना भी भद्रपुरुषों एवं विद्वानों का आवश्यक कर्त्तव्य है। होली क्यों मनायें? भारत एक कृषि-प्रधान देश है, इसलिए आषाढ़ी की नई फसल के आगमन पर मुदित मन एवं उल्लास से उत्सव मनाना उचित है। अन्य देशों में भी महत्त्वपूर्ण फसलों के आगमन पर उत्सव का समान औचित्य है। नव वर्ष के आगमन पर एक पखवाड़े पूर्व से ही बधाई एवं शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करना स्वस्थ मानसिकता एवं सामाजिक समरसता के लिए हितकारी है। साथ-साथ रहने पर मनोमालिन्य होना सम्भव है, जिसे मिटाने के  लिए वर्ष में एक बार क्षमा याचना एवं प्रेम-निवेदन करना स्वस्थ सामाजिकता का साधन है। नई ऋतु के आगमन पर रोगों से बचने के लिए बृहद् होम करना वैज्ञानिक आवश्यकता है, इसलिए इस उत्सव को अवश्य एवं सोत्साह मनाना चाहिए। होली कैसे मनायें? होली भी दीपावली की भाँति नई फसल एवं नई ऋतु का उत्सव है, अतः इसे भी स्वच्छता एवं सौम्यतापूर्वक मनाना चाहिए। फाल्गुन सुदी चतुर्दशी तक सुविधानुसार घर की सफाई-पुताई कर लें। फाल्गुन पूर्णिमा को प्रातःकाल बृहद् यज्ञ करें। रात्रि को होली न जलायें। अपराह्न में प्रीति-सम्मेलन करें। घर-घर जाकर मनोमालिन्य दूर करें। संगीत -कला के आयोजन भी करें। रंग, गुलाल, कीचड़, स्वाँग, भाँग आदि का प्रयोग न करें। इनकी कुप्रथा प्रचलित हो गई है, जिसे दूर करना आवश्यक है। स्वस्थ विधिपूर्वक उत्सव मनाने पर मानसिकता, सामाजिकता एवं वैदिक परम्परा स्वस्थ रहती है। ऐसा ही करना एवं कराना सभ्य, शिष्ट एवं श्रेष्ठ व्यक्तियों का कर्त्तव्य है।
#Holi
#holi2021
#happyholi
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

www.sanwariyaa.blogspot.com

बुधवार, 24 मार्च 2021

बैंक ग्राहक ध्यान दे आगामी 10 दिनों में 8 दिन रह सकते है बैंक

बैंक ग्राहक ध्यान दे आगामी 10 दिनों में 8 दिन रह सकते है बैंक बंद निपटा ले जरूरी काम आज ही

वित्तीय वर्ष 2021 खत्म होने को है. आज 24 तारीख हो गई और अब गिनती के 6 दिन बचे हैं. पीपीएफ अकाउंट, सुकन्या समृद्धि योजना में न्यूनतम वार्षिक निवेश करने समेत ऐसे कई तरह के काम हैं, जिन्हें 31 मार्च तक निपटाया जाना जरूरी है. वहीं नए फाइनेंशियल ईयर में भी ऐसे कई जरूरी काम होते हैं, जिनके लिए बैंक जाना जरूरी होता है. बैंक से जुड़े कामों के लिए अगले ​10 दिन तक आपको बहुत कम ही समय मिलने वाला है.

आपको बैंक से जुड़ा कोई भी जरूरी काम करना है, तो इसे अगले ​3 दिन के अंदर ​ही निपटा लें, नहीं तो अगले 10 दिन तक के लिए फेर में पड़ सकते हैं. दरअसल, 27 मार्च से लेकर 4 अप्रैल 2021 के बीच बैंक सिर्फ दो ही दिन खुले रहेंगे.

इसलिए यह सलाह दी जा रही है कि अगर आपका बैंक का कोई भी काम बचा है तो उसे जल्दी निपटा लें.

देशभर में महीने के दूसरे और आखिरी शनिवार को बैंक बंद रहते हैं और इसलिए 27 को बैंक बंद रहेंगे. 28 को फिर रविवार है और इस दिन साप्ताहिक अवकाश रहता है. फिर सोमवार को होली है. ऐसे में होली (Holi) के लिए 27 मार्च को छुट्टी रहेगी. फिर अगले दो दिन भी 28 मार्च और 29 मार्च को बैंक बंद रहेंगे. यानी लगातार तीन दिन बैंक बंद रहेंगे.

इस शहर में लगातार बंद रहेंगे बैंक

दरअसल 27 मार्च 2021 को महीने का चौथा शनिवार है. 28 मार्च 2021 को रविवार पड़ता है. यानी दो दिन तो पूरे देशभर में बैंक बंद रहेंगे. फिर 29 मार्च 2021 को होली को लेकर बैंकों में छुट्टी रहेगी. 3 दिन तक तो लगातार बंदी रहेगी. वहीं बिहार की राजधानी पटना की बात करें तो वहां बैंक लगातार चार दिनों तक बंद रहेंगे. RBI की वेबसाइट के अनुसार, पटना में 30 मार्च को भी अपने कार्यों के लिए आप बैंक ब्रांच नहीं जा पाएंगे.

31 मार्च, 1-2 अप्रैल को भी नहीं खुलेंगे बैंक

उसके बाद 31 मार्च को बैंकों की छुट्टी तो नहीं रहती, लेकिन इस दिन मार्च क्लोजिंग यानी वित्तीय वर्ष का अंतिम दिन होने की वजह से सभी ग्राहक सेवाओं पर कर्मी बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं. आगे की बात करें तो एक अप्रैल केा बैंकों की लेखाबंदी के कारण बैंक सेवाएं प्रभावित रहेंगी.

बैंक हॉलिडे लिस्ट

◆ 27 मार्च महीने का दूसरा शनिवार होने के कारण बैंक बंद.

◆ 28 मार्च को रविवार होने के कारण बैंक बंद रहेंगे.

◆ 29 मार्च को होली के कारण बैंक बंद.

◆ 30 मार्च को पटना के बैंक बंद रहेंगे, हालांकि दूसरे शहरों में बैंक खुले रहेंगे.

◆ 31 मार्च वित्त वर्ष का आखिरी दिन इसलिए पब्लिक डीलिंग नहीं.

◆ 1 अप्रैल को नए वित्त वर्ष का पहला दिन लेकिन बैंक अकाउंट क्लोजिंग में व्यस्त.

◆ 2 अप्रैल को गुड फ्राइडे के कारण बैंक बंद रहेंगे.

◆ 3 अप्रैल को बैंक खुला रहेगा.

◆ 4 अप्रैल को रविवार के कारण बैंक बंद.

2 अप्रैल 2021 को गुड फ्राइडे की छुट्टी रहेगी तो इस दिन भी बैंक बंद रहेंगे. इसके बाद तीन अप्रैल 2021 को सभी बैंक खुले रहेंगे, लेकिन 4 अप्रैल को फिर से रविवार पड़ता है. इस दिन भी बैंकों में छुट्टी रहेगी. 5 अप्रैल से बैंक का सामान्य कामकाज शुरू हो जाएगा.

*जागरूकता के लिए शेयर अवश्य करें*


बुढापे में पाए नियमित आय मोदी सरकार दे रही सहायता

बुढापे में पाए नियमित आय मोदी सरकार दे रही सहायता जानिए केंद्र की क्या क्या है योजनाए

 केंद्र सरकार (Modi Government) की ओर से कुछ खास ऐसी स्कीम चलाई जाती हैं, जिसको लेने के बाद आपको बुढ़ापे में भी पैसों की चिंता नहीं करनी होगी. मोदी सरकार ने देश के गरीब लोगों से लेकर किसानों और सीनियर सिटीजन्स के लिए कई खास इंतजाम किए हैं, जिससे वह आसानी से अपना जीवन टेंशन फ्री होकर बिता सके. आज हम आपको सरकार की 4 ऐसी खास स्कीम (Government Schemes) के बारे में बताएंगे, जिनमें निवेश करने के बाद आपके पैसों की टेंशन खत्म हो जाएगी.

*1. अटल पेंशन योजना*
अटल पेंशन योजना (APY) में कोई भी भारतीय निवेश कर सकता है. इस योजना के लिए आपका बैंक खाता होना जरूरी है. योजना का फायदा उठाने के लिए आपकी उम्र 18 से 40 साल के बीच होनी चहिए. साथ ही APY के तहत पेंशन पाने के लिए आपको कम से कम 20 साल तक निवेश करना होगा. पेंशन योजना (APY) के तहत कम से कम 1,000 रुपये और अधिकतम 5,000 रुपये मासिक पेंशन मिल सकती है. बता दें 60 साल की उम्र से आपको APY के तहत पेंशन मिलना शुरू हो जाएगी.

*2. पीएम श्रमयोगी मानधन योजना*
इस पेंशन योजना की शुरुआत सरकार ने साल 2019 में की है. इस योजना के तहत असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को सरकार की ओर से पेंशन दी जाती है. इस योजना के तहत 60 साल की उम्र के बाद हर महीने 3000 रुपये की पेंशन मिलेगी. यानी आपको सालाना 36 हजार रुपए मिलेंगे. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार इस स्कीम के जरिए अबतक करीब 43.7 लाख लोग जुड़ चुके हैं.

*3. पीएम किसान मानधन योजना*
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत किसानों को पेंशन दी जाती है. पीएम किसान मानधन योजना के तहत 18 से 40 की उम्र के बीच का कोई भी किसान भाग ले सकता है. 60 की उम्र के बाद किसानों को योजना के तहत 3 हजार रुपये महीना या 36 हजार रुपये सालाना पेंशन मिलेगी. अबतक इस स्कीम से करीब 20 लाख किसान जुड़ चुके हैं.

*4. प्रधानमंत्री लघु व्‍यापारी मानधन योजना*
पीएम नरेंद्र मोदी ने सितंबर, 2019 में झारखंड में ही इस योजना को लॉन्‍च किया था. यह मुख्‍य रूप से छोटे कारोबारियों के लिए एक पेंशन योजना है. यह एक तरह से छोटे कारोबारियों को सामाजिक सुरक्षा देने की पहल है, जिसके तहत उन्हें 60 साल की उम्र के बाद 3000 रुपये मंथली पेंशन मिलेगी.

*पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए* कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. पेंशन योजना में सरकार भी बराबर का योगदान करेगी. योजना का फायदा लेने के लिए नियम को बहुत आसान बनाया गया है. खास बात है कि इस योजना का लाभ लेने के लिए आधार नंबर और बैंक खाता के अलावा अन्य किसी डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं होगी.

*जागरूकता के लिए शेयर अवश्य करें*


function disabled

Old Post from Sanwariya