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मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

Immunity आप सोचिए संभव कैसे है?

Immunity* आप सोचिए संभव कैसे है? 

1. बड़े शहर में रहने वाले  2से 3दिन पुराना  ब्रेड पर 3से 6 महीने पुराना जैम लगाकर और दो से तीन दिन पुराना थैली वाला दूध पीकर अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 

2. कई महीने पुराना केमिकल युक्त mineral water जिसमें कोई मिनरल्स नहीं है  अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 
3. पिंजरे… जिनको अंग्रेजी में flat फ्लैट कहते हैं जिनमें ना ताज़ी हवा नसीब होती है ना धूप ,में बिना सूरज की रोशनी में और बिना ताजी हवा के  उसमें रहकर अगर आप सोचतें कि बीमारी आपका पीछा छोड़ देगी तो मैं क्या कहूँ ।

4. 85% पानी मिला पैकेटबन्द फ्रूट जूस जिसमे तरह तरह के केमिकल और प्रिजर्वेटिव मिला हुआ है अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 

5. ऐसी अनेक चीजे है जो आपके आस है उनको देखिए समझिए और अपने बच्चो को समझाए की चीज़/ बटर /पीजा/ पास्ता / बेकरी / मयोनेज/ पैकेट में बंद नाइट्रोजन युक्त प्रिजर्वेटिव मिला पाम ऑयल और कई तरह के कोड वर्ड में लिखे हुए इंग्रेडियंट जिनको बिना समझे आप खाकर खुद को शाकाहारी समझ  कर अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 

6. योग और प्राणायाम और बिना खुली हवा के दिनभर में एसी और सिर्फ एसी में रहने वाले आपके फेफड़े करोना का  झटका शायद ही झेल पाएं ।

7.ज्वार बाजरा रागी और भी कई सारे धान छोड़ कर सिर्फ और सिर्फ केमिकल युक्त गेंहू के भरोसे आप अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 

8. नन्हे नन्हे बच्चों और दादी और नानी के नुस्खे छोड़ कर आप डब्बा बंद प्रोटीन देकर सोचते है की ये स्ट्रॉन्ग बन रहा है और स्ट्रॉन्ग  immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 

9.नहाने से लेकर संवारने तक खुद को भी और बच्चो को भी आप कितने केमिकल शरीर पर लगा लेते हो ओर सोचते हो की पोने तीन करोड़ रोम छिद्रों का कोई महत्व नहीं है अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 

11. ताजा फल और उनका रस भारतीय भोजन और तुलसी जी कड़ी पत्ता ताजा नींबू और तरह तरह के घर में बने मुरब्बे और नाश्ते की जगह पैकेट वाला नाश्ता और भोजन खाकर अगर immunity की इच्छा रखतें हैं तो आप सोचिए संभव कैसे है? 


निवेदन है की  सनातन भारत की और लौटें । जो पेड़ अपनी जड़ से कट जातें है वह अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकते ।
 


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सोमवार, 19 अप्रैल 2021

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं एक मंत्र महामृत्युंजय मंत्र के बराबर है - #Pujya_Pandit_Pradeep_Ji_Mishra





श्री शिवाय नमस्तुभ्यं एक मंत्र महामृत्युंजय मंत्र के बराबर है - #Pujya_Pandit_Pradeep_Ji_Mishra

 भगवान शंकर के पंचाक्षरी नाम के प्रताप से बड़े बड़े ऋषि महात्मा के साथ साथ आसुरी प्रवृत्ति ने अपनी मुक्ति के मार्ग को प्रश्स्त किया है। भगवान शिव भाव के भूखे हैं। घर के शुद्ध जल से भरे लोटे को ले जाकर शिवलिंग पर जलधार चढ़ायें तथा एक बिल्व पत्र अर्पण करें अपने जीवन का कल्याण करना हो तो भक्ति भाव से श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप करें। भगवान भोलेनाथ मनोकामना पूर्ण करेंगे। इस सिद्ध मंत्र की महिमा का वर्णन करते हुए  कहा कि भगवान शिव के पास आडम्बर नहीं है वे मुर्दो की भस्म धारण इसलिए करते है कि मनुष्य मरने के बाद जलने के पूर्व उपस्थित अपने जन से राम नाम सत्य है बुलवाता है। जिसके कारण प्रभु राम के नाम का उच्चारण होता है, वो शव तो राम मय हो जाता है। उसकी भस्म में राम समाहित हो जाता है यही कारण है कि शिव अपने शरीर पर उनकी भस्म को धारण करते हैं।

https://www.youtube.com/watch?v=_r8jbIsM_MA

त्रियुगी नारायण मंदिर : शिव और पार्वती का विवाह स्थल



त्रियुगी नारायण मंदिर : शिव और पार्वती का विवाह स्थल

उत्तराखंड में कई देवी देवताओं के निवास स्थल हैं।  फिर वो पंच केदार हों, पंच बद्री हों या राजराजेश्वरी के कई सिद्ध पीठ। यही कारण है उत्तराखंड की संस्कृति में धर्म-कर्म की छाप साफ़ दिखाई देती है।  उत्तराखंड में पांडवों द्वारा निर्मित कई मंदिर है, पुराणों के अनुसार कई मंदिरो का निर्माण भगवान के अंगो से हुआ है पर क्या आपने एक ऐसे मंदिर के बारे में सुना जहां शिव और पार्वती के विवाह के साक्षी स्वयं विष्णु बने थे। ये मंदिर है विष्णु का त्रियुगी नारायण मंदिर


त्रियुगी नारायण मंदिर | Triyugi Narayan Temple

 

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में सोनप्रयाग से 12 किलोमीटर की दूरी और समुद्रतल से 1,980 मीटर की ऊंचाई पर त्रियुगी नारायण मंदिर स्तिथ है।  सोनगंगा व मंदाकनी नदियों के किनारे स्तिथ यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। चारों ओर से हिमालय की सुरम्य पहाड़ियों और हरे भरे खेत खलियानो के बीच स्तिथ यह मंदिर देखने में बेहद ही खूबसूरत लगता है। कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा किया गया था।

त्रियुगी नारायण मंदिर (Triyugi Narayan Temple) को स्थानीय भाषा में त्रिजुगी नारायण (Trijugi Narayan) के नाम से जानते हैं। वहीं इस मंदिर में वर्षों से जल रहे अग्नि कुंड के कारण त्रियुगी नारायण को अखंड धुनी मंदिर (Akhand Dhuni Temple) के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के प्रांगण में चार कुंड – सरस्वती कुंड, रूद्र कुंड, विष्णु कुंड व ब्रह्म कुंड स्तिथ हैं।  जिसमें मुख्य कुंड (सरस्वती कुंड) पास में मौजूद तीन जल कुंडों को भरता है।



देखने में त्रियुगी नारायण की बनावट केदारनाथ मंदिर  संरचना जैसे लगती है। इस मंदिर के बाहर एक यज्ञ कुंड है जो दीर्घकाल से प्रज्वलित किया जा रहा है। मंदिर के भीतर भगवान विष्णु की प्रतिमा के साथ-साथ माता लक्ष्मी व सरस्वती की प्रतिमा भी सुशोभित हैं


त्रियुगीनारायण मंदिर में ही हुआ था शिव-पार्वती का शुभ विवाह

क्या आप जानते हैं कि इसी पृथ्वी पर विद्यमान है वह जगह जहां साक्षात भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
उत्तराखंड का त्रियुगीनारायण मंदिर ही वह पवित्र और विशेष पौराणिक मंदिर है।  इस मंदिर के अंदर सदियों से अग्नि जल रही है। शिव-पार्वती जी ने इसी पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया था। यह स्थान रुद्रप्रयाग जिले का एक भाग है। त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में ही कहा जाता है कि यह भगवान शिव जी और माता पार्वती का शुभ विवाह स्थल है।
 
मंदिर के अंदर प्रज्वलित अग्नि क ई युगों से जल रही है इसलिए इस स्थल का नाम त्रियुगी हो गया यानी अग्नि जो तीन युगों से जल रही है। 
 
त्रियुगीनारायण हिमावत की राजधानी थी। यहां शिव पार्वती के विवाह में विष्णु ने पार्वती के भाई के रूप में सभी रीतियों का पालन किया था। जबकि ब्रह्मा इस विवाह में पुरोहित बने थे। उस समय सभी संत-मुनियों ने इस समारोह में भाग लिया था। विवाह स्थल के नियत स्थान को ब्रहम शिला कहा जाता है जो कि मंदिर के ठीक सामने स्थित है। इस मंदिर के महात्म्य का वर्णन स्थल पुराण में भी मिलता है। 
 
विवाह से पहले सभी देवताओं ने यहां स्नान भी किया और इसलिए यहां तीन कुंड बने हैं जिन्हें रुद्र कुंड, विष्णु कुंड और ब्रह्मा कुंड कहते हैं। इन तीनों कुंड में जल सरस्वती कुंड से आता है। सरस्वती कुंड का निर्माण विष्णु की नासिका से हुआ था और इसलिए ऐसी मान्यता है कि इन कुंड में स्नान से संतानहीनता से मुक्ति मिल जाती है। 
 
जो भी श्रद्धालु इस पवित्र स्थान की यात्रा करते हैं वे यहां प्रज्वलित अखंड ज्योति की भभूत अपने साथ ले जाते हैं ताकि उनका वैवाहिक जीवन शिव और पार्वती के आशीष से हमेशा मंगलमय बना रहे। 
 
वेदों में उल्लेख है कि यह त्रियुगीनारायण मंदिर त्रेतायुग से स्थापित है। जबकि केदारनाथ व बदरीनाथ द्वापरयुग में स्थापित हुए। यह भी मान्यता है कि इस स्थान पर विष्णु भगवान ने वामन देवता का अवतार लिया था। 
 
पौराणिक कथा के अनुसार इंद्रासन पाने के लिए राजा बलि को सौ यज्ञ करने थे, इनमें से बलि 99 यज्ञ पूरे कर चुके थे तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर रोक दिया जिससे कि बलि का यज्ञ भंग हो गया। यहां विष्णु भगवान वामन देवता के रूप में पूजे जाते हैं।

त्रियुगी नारायण मंदिर का महत्व और खास बातें:त्रियुगी नारायण मंदिर का महत्व और खास बातें:

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1. ऐसी मान्यता है कि इसी मंदिर में भगवान शंकर और मां पार्वती की शादी हुई थी.

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2. यह मंदिर हालांकि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का है. लेकिन शंकर-पार्वती की शादी के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है.

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3. जिन लोगों की शादी हो गई है वो यहां आर्शीवाद लेने आते हैं और जिन लोगों की शादी नहीं हो रही है, वह भी यहां वरदान मांगने आते हैं.

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4. इस मंदिर में वह अग्निकुंड अब भी मौजूद है, जिसके फेरे भगवान शंकर और मां पार्वती ने लिए थे.

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5. भगवान शंकर और मां पार्वती की शादी में ब्रह्माजी पुरोहित बने थे. उन्होंने ही विवाह सम्पन्न कराया था. इस मंदिर में आज भी वह स्थान मौजूद है, जहां शिव-पार्वती बैठे थे.

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6. मंदिर में एक ब्रह्मकुंड है, जहां ब्रह्माजी ने विवाह कराने से पहले स्नान किया था.

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7. यहां एक स्तंभ भी मौजूद है, जहां मां पार्वती ने उपहार स्वरूप मिली अपनी गाय बांधी थी.

8. भगवान शंकर और मां पार्वती की शादी में नारायण मां पार्वती के भाई की भूमिका निभाई थी. विवाह संस्कार में शामिल होने से पहले भगवान विष्णु ने विष्णु कुंड में स्नान किया था. वह आज भी यहां मौजूद है.

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9. भगवान श‌िव के व‌िवाह में भाग लेने आए सभी देवी-देवताओं ने इसी कुंड में स्‍नान क‌िया था। इन सभी कुंडों में जल का स्त्रोत सरस्वती कुंड को माना जाता है.

इस मंदिर हर एक हिस्सा आर्शीवाद और महत्व से भरपूर है. ऐसी मान्यता है कि यहां फेरे लेने वाले जोड़े सात जन्मों तक शादी के पवित्र बंधन में बंधे रहते हैं.

https://sanwariyaa.blogspot.com/2021/04/blog-post_19.html


शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

कोरोना सबको होगा ,ये ध्यान रहे - कोरोना को मन से ना लगाओ


कोरोना सबको होगा ,ये ध्यान रहे।

अमेरीका मे एक कैदी को जब फाँसी की सजा सुनाई ,तब वहाँ के कुछ वैज्ञानिकों ने विचार किया कि इस कैदी पर एक प्रयोग किया जाये, तब उस कैदी को बताया गया कि उसे फाँसी की बजाय विषधर कोब्रा से डसवा कर मारा जाएगा।फाँसी वाले दिन उसके सामने एक बड़ा विषधर साँप लाया गया तथा कैदी की आँखो पर पट्टी बाँध कर कुर्सी पर बाँध दिया गया।इसके बाद उसे साँप से ना डसवा कर सेफ्टी पिन चुभाई गई ।
आश्चर्य की बात यह हुई कि कैदी की २ सेकंड में ही मौत हो गई।*
पोस्टमार्टम रिपोर्ट मे कैदी के शरीर में 
"व्हेनम सदु्श्यम" 
विष मिला ,ये विष कहाँ से आया जिससे कैदी की मृत्यु हुई ? पोस्टमार्टम के बाद पता चला कि ये विष कैदी के शरीर में मानसिक डर  की वजह से, उसके शरीर ने ही उत्पन्न किया था।अतः
 तात्पर्य ये है कि

  हमारी अपनी मानसिक  स्थिति के अनुसार Positive अथवा Negative
एनर्जी उत्पन्न होती है  तद्दानुसार ही हमारे शरीर में HORMONES पैदा होते हैं 90% बीमारी का मूल कारण नकारात्मक विचार ऊर्जा का उत्पन्न होना है
आज मनुष्य गलत विचारों का भस्मासुर बना कर खुद का विनाश कर रहा है 
मेरे मतानुसार कोरोना को मन से ना लगाओ
5 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक के लोग Negative हो गये हैं
आकड़ों पर ना जाए ,आधे से ज्यादा लोग व्यवस्थित हैं
मृत्यु पाने वाले केवल कोरोना की वजह से नहीं बल्कि उन्हें अन्य बीमारियाँ भी थीं ,जिसका मुकाबला वे  कर नहीं सके। ये  याद रखें   कोरोना की वजह से कोई भी घर पर नहीं मरा सबकी मृत्यु अस्पताल मे ही हुई
कारण अस्पताल का वातावरण एवं मन का भय इसलिए अपने विचार सकारात्मक रखें और आनंद से रहें।

: Think Positive and Believe good will happen 

*मनोचिकित्सक की सलाह*. 

*1*  कोरोना से जुड़ी ज्यादा खबरें ना देखे ना सुने , आपको जितनी जानकारी चाहिए आप पहले से ही जान चुके हैं

*2* कहीं से भी अधिक जानकारी एकत्र करने का प्रयास छोड़ें क्योंकि ये आपकी मानसिक स्तिथि को और ज्यादा कमजोर ही करेगा 

*3.* दूसरों को वायरस से संबंधित सलाह ना दें क्योंकि सभी व्यक्तियों की मानसिक क्षमता एक सी नहीं होती , कुछ डिप्रेशन अर्थात अवसाद का शिकार हो सकते हैं 

*4.* जितना संभव हो संगीत सुनें , अध्यात्म , भजन आदि भी सुन सकते है , बच्चों के साथ बोर्ड गेम खेलें , परिवार के साथ बैठकर आने वाले वर्षों के लिए प्रोग्राम बनाएं 

*5.* अपने हाथों को नियमित अंतराल पर अच्छे से धोएं , सभी वस्तुएं की सफाई भी करें , किसी भी नव आगंतुक को 1 मीटर दूर से मिले ।

*6* आपकी नकारात्मक सोच-विचार की प्रवृति  डिप्रेशन बढ़ाएगी और वायरस से लड़ने की क्षमता कम करेगी दूसरी ओर सकारात्मक सोच आपको शरीर और मानसिक रूप से मजबूत बनाकर किसी भी स्तिथि या बीमारी से लड़ने में सक्षम बनाएगी ।

*7.* अत्यंत आवश्यक ...विश्वास दृढ़ रखें कि ये समय शीघ्र ही निकलने वाला है और आप हमेशा स्वस्थ और सुरक्षित रहेंगे 
*सकारात्मक रहें -स्वस्थ रहें* ।

Think Positive and Believe good will happen ..
*आयो मिलकर-सकारात्मक विचार फैलाए👍👍*

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सोमवार, 12 अप्रैल 2021

हिन्दू नववर्ष नव संवत्सर 2078 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक 13 अप्रैल 2021

हिन्दू नववर्ष नव संवत्सर 2078 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक 13 अप्रैल 2021 के स्वागत में हम अपनी अपनी गली मोहल्ले में लोगों से  बातचीत कर , घर के बाहर रंगोली बनाने का आग्रह कर सकते हैं...
🚩 रात्रि में सभी अपने अपने घरों के बाहर , 5-7  दीपक जला सकते हैं , और आतिशबाजी भी कर सकते हैं..
🚩 एक छोटा सा प्रयास करके देखें..आपका छोटा सा प्रयास ही , भारत में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है..
🚩 मुझे विश्वास है आप  अपने  से गली तक का छोटा सा प्रयास जरूर करेंगे । एक दूसरे को नववर्ष की बधाई व बधाई संदेश भेजे ।हिन्दू जगे तो विश्व जागेगा ।
🚩नववर्ष की अग्रिम शुभकामना🚩

🙏💐💐🙏
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