यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 19 मई 2021

घर में कुछ पैसे आएंगे, तो तुमसे ही सब्जी लिया करूंगी

🍂ll #स्नेह_के_आँसू ll 
गली से गुजरते हुए सब्जी वाले ने तीसरी मंजिल  की घंटी  का बटन दबाया।  ऊपर से बालकनी का दरवाजा खोलकर बाहर आई महिला ने नीचे देखा। 🍂

"बीबी जी !  सब्जी ले लो ।  बताओ क्या- क्या तोलना है।  कई दिनों से आपने सब्जी नहीं खरीदी मुझसे, कोई और देकर जा रहा है?" 
सब्जी वाले ने चिल्लाकर कहा। 

"रुको भैया!  मैं नीचे आती हूँ।"🍂

उसके बाद महिला घर से नीचे उतर कर आई  और सब्जी वाले के पास आकर बोली - 
"भैया ! तुम हमारी घंटी मत बजाया करो। हमें सब्जी की जरूरत नहीं है।"🍂

"कैसी बात कर रही हैं बीबी जी ! सब्जी खाना तो सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। किसी और से लेती हो क्या सब्जी ?" 
सब्जीवाले ने कहा। 🍂

🍂"नहीं भैया!  उनके पास अब कोई काम नहीं है। और किसी  तरह से हम लोग अपने आप को जिंदा रखे हुए हैं।  जब सब  ठीक होने लग जाएगा, घर में कुछ पैसे आएंगे,  तो तुमसे ही सब्जी लिया करूंगी।  मैं किसी और से सब्जी  नहीं खरीदती हूँ। तुम घंटी बजाते हो तो उन्हें बहुत बुरा लगता है,  उन्हें अपनी मजबूरी पर गुस्सा आने लगता है।  इसलिए भैया अब तुम हमारी घंटी मत बजाया करो।" 
महिला कहकर अपने घर में वापिस जाने लगी। 🍂

"ओ बहन जी !  तनिक रुक जाओ। हम इतने बरस से  तुमको सब्जी दे रहे हैं । जब तुम्हारे अच्छे दिन थे,  तब तुमने हमसे खूब सब्जी और फल लिए थे।  अब अगर थोड़ी-सी परेशानी आ गई है, तो क्या हम तुमको ऐसे ही छोड़ देंगे ? सब्जी वाले हैं, कोई नेता जी तो है नहीं  कि वादा करके छोड़ दें।  रुके रहो दो मिनिट।" 

🍂और सब्जी वाले ने  एक थैली के अंदर टमाटर , आलू, प्याज, घीया, कद्दू और करेले डालने के बाद धनिया और मिर्च भी उसमें डाल दिया । महिला हैरान थी। उसने तुरंत कहा – 🍂

"भैया !  तुम मुझे उधार  सब्जी दे रहे हो,  कम से कम तोल तो लेते,  और मुझे पैसे भी बता दो।  मैं तुम्हारा हिसाब लिख लूंगी।  जब सब ठीक हो जाएगा तो तुम्हें तुम्हारे पैसे वापस कर दूंगी।" महिला ने कहा। 🍂

"वाह..... ये क्या बात हुई भला ? तोला तो इसलिए नहीं है कि कोई मामा अपने भांजी -भाँजे से पैसे नहीं लेता है। और बहिन ! मैं  कोई अहसान भी नहीं कर रहा हूँ ।  ये सब  तो यहीं से कमाया है,  इसमें तुम्हारा हिस्सा भी है। गुड़िया के लिए ये आम रख रहा हूँ, और भाँजे के लिए मौसमी । बच्चों का खूब ख्याल  रखना। ये बीमारी बहुत बुरी है। और आखिरी बात सुन लो .... घंटी तो मैं जब भी आऊँगा, जरूर बजाऊँगा।" 
और सब्जी वाले ने मुस्कुराते हुए दोनों थैलियाँ महिला के हाथ में थमा दीं। 
🍂
अब महिला की आँखें मजबूरी की जगह स्नेह के आंसुओं से भरी हुईं थीं। 

(नि:शब्द  )🍂

मंगलवार, 18 मई 2021

300 से ज्यादा असाध्य रोगों का काल है ज्वारों का रस

300 से ज्यादा असाध्य रोगों का काल है


●जीवन और मरण के बीच जूझते रोगियों को प्रतिदिन चार बड़े गिलास भरकर ज्वारों का रस दिया जाता है।●जीवन की आशा ही जिन रोगियों ने छोड़ दी उन रोगियों को भी तीन दिन या उससे भी कम समय में चमत्कारिक लाभ होता देखा गया है।
●ज्वारे के रस से रोगी को जब इतना लाभ होता है, तब नीरोगी व्यक्ति ले तो कितना अधिक लाभ होगा?
🙏🏼तो अगर आप अपने जीवन को निरोगी बनाना चाहते है तो हमारी पोस्ट ओर जानकारी को ध्यान पूर्वक पढ़े और शरीर आपका है तो आज से ही नीचे लिखे प्रयोग को काम में लाये।

🌾कैंसर में गेहूँ के ज्वारे का उपयोग🌾

●गेहूँ के दाने बोने पर जो एक ही पत्ता उगकर ऊपर आता है उसे ज्वारा कहा जाता है। नवरात्रि आदि उत्सवों में यह घर-घर में छोटे-छोटे मिट्टी के पात्रों में मिट्टी डालकर बोया जाता है। ये गेहूँ के ज्वारे का रस, प्रकृति के गर्भ में छिपी औषधियों के अक्षय भंडार में से मानव को प्राप्त एक अनुपम भेंट है।
●शरीर के आरोग्यार्थ यह रस इतना अधिक उपयोगी सिद्ध हुआ है कि विदेशी जीववैज्ञानिकों ने इसे ‘हरा लहू’ (Green Blood) कहकर सम्मानित किया है। डॉ. एन. विगमोर नामक एक विदेशी महिला ने गेहूँ के कोमल ज्वारों के रस से अनेक असाध्य रोगों को मिटाने के सफल प्रयोग किये हैं।
●उपरोक्त ज्वारों के रस द्वारा उपचार से 300 से अधिक रोग मिटाने के आश्चर्यजनक परिणाम देखने में आये हैं। जीव-वनस्पति शास्त्र में यह प्रयोग बहुत मूल्यवान है।
●गेहूँ के ज्वारों के रस में रोगों के उन्मूलन की एक विचित्र शक्ति विद्यमान है। शरीर के लिए यह एक शक्तिशाली टॉनिक है।
●इसमें प्राकृतिक रूप से कार्बोहाईड्रेट आदि सभी विटामिन, क्षार एवं श्रेष्ठ प्रोटीन उपस्थित हैं। इसके सेवन से असंख्य लोगों को विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिली है।
●कैन्सर, मूत्राशय की पथरी, हृदयरोग, लीवर, डायबिटीज, पायरिया एवं दाँत के अन्य रोग, पीलिया, लकवा, दमा, पेट दुखना, पाचन क्रिया की दुर्बलता, अपच, गैस, विटामिन ए, बी आदि के अभावोत्पन्न रोग, जोड़ों में सूजन, गठिया, संधिशोथ, त्वचासंवेदनशीलता (स्किन एलर्जी) सम्बन्धी बारह वर्ष पुराने रोग, आँखों का दौर्बल्य, केशों का श्वेत होकर झड़ जाना, चोट लगे घाव तथा जली त्वचा सम्बन्धी सभी रोग।हजारों रोगियों एवं निरोगियों ने भी अपनी दैनिक खुराकों में बिना किसी प्रकार के हेर-फेर किये गेहूँ के ज्वारों के रस से बहुत थोड़े समय में चमत्कारिक लाभ प्राप्त किये हैं।
●ये अपना अनुभव बताते हैं कि ज्वारों के रस से आँख, दाँत और केशों को बहुत लाभ पहुँचता है। कब्जी मिट जाती है, अत्यधिक कार्यशक्ति आती है और थकान नहीं होती।

*🌾गेहूँ के ज्वारे उगाने की विधि :🌾*

■आप मिट्टी के नये खप्पर, कुंडे या सकोरे लें। उनमें खाद मिली मिट्टी लें। रासायनिक खाद का उपयोग बिलकुल न करें। पहले दिन एक कुंडे की सारी मिट्टी ढँक जाये इतने गेहूँ बोयें। पानी डालकर कुंडों को छाया में रखें। सूर्य की धूप कुंडों को अधिक या सीधी न लग पाये इसका ध्यान रखें।
■इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा कुंडा या मिट्टी का खप्पर बोयें और प्रतिदिन एक बढ़ाते हुए नौवें दिन नौवां कुंडा बोयें। सभी कुंडों को प्रतिदिन पानी दें। नौवें दिन पहले कुंडे में उगे गेहूँ काटकर उपयोग में लें। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ उगा दें। इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा, तीसरे दिन तीसरा करते चक्र चलाते जायें। इस प्रक्रिया में भूलकर भी 🤜🏼प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग कदापि न करें❌।
■प्रत्येक कुटुम्ब अपने लिए सदैव के उपयोगार्थ 10, 20, 30 अथवा इससे भी अधिक कुंडे रख सकता है। प्रतिदिन व्यक्ति के उपयोग अनुसार एक, दो या अधिक कुंडे में गेहूँ बोते रहें। मध्याह्न के सूर्य की सख्त धूप न लगे परन्तु प्रातः अथवा सायंकाल का मंद ताप लगे ऐसे स्थान में कुंडों को रखें।
■सामान्यतया आठ-दस दिन नें गेहूँ के ज्वारे पाँच से सात इंच तक ऊँचे हो जायेंगे। ऐसे ज्वारों में अधिक से अधिक गुण होते हैं। ❌ज्यो-ज्यों ज्वारे सात इंच से अधिक बड़े होते जायेंगे त्यों-त्यों उनके गुण कम होते जायेंगे।❌ अतः उनका पूरा-पूरा लाभ लेने के लिए ✅सात इंच तक बड़े होते ही उनका उपयोग कर लेना चाहिए।✅
■ज्वारों की मिट्टी के धरातल से कैंची द्वारा काट लें अथवा उन्हें समूल खींचकर उपयोग में ले सकते हैं। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ बो दीजिये। इस प्रकार प्रत्येक दिन गेहूँ बोना चालू रखें।

🌾ज्वारों का रस बनाने की विधि :🌾

◆जब समय अनुकूल हो तभी ज्वारे काटें। काटते ही तुरन्त धो डालें। धोते ही उन्हें कूटें। कूटते ही उन्हें कपड़े से छान लें। इसी प्रकार उसी ज्वारे को तीन बार कूट-कूट कर रस निकालने से अधिकाधिक रस प्राप्त होगा।
◆चटनी बनाने अथवा रस निकालने की मशीनों आदि से भी रस निकाला जा सकता है। रस को निकालने के बाद विलम्ब किये बिना तुरन्त ही उसे धीरे-धीरें पियें।
◆किसी 🙏🏼✅🙏🏼सशक्त अनिवार्य कारण के अतिररिक्त एक क्षण भी उसको पड़ा न रहने दें, कारण कि उसका गुण प्रतिक्षण घटने लगता है और तीन घंटे में तो उसमें से पोषक तत्व ही नष्ट हो जाता है। प्रातःकाल खाली पेट यह रस पीने से अधिक लाभ होता है।🙏🏼✅🙏🏼
◆दिन में किसी भी समय ज्वारों का रस पिया जा सकता है। परन्तु रस लेने के *आधा घंटा पहले और लेने के आधे घंटे* बाद तक कुछ भी खाना-पीना न चाहिए।
◆❌आरंभ में कइयों को यह रस पीने के बाद उबकाई आती है, उलटी हो जाती है अथवा सर्दी हो जाती है। परंतु इससे घबराना न चाहिए।❌
◆शरीर में कितने ही विष एकत्रित हो चुके हैं यह प्रतिक्रिया इसकी निशानी है। सर्दी, दस्त अथवा उलटी होने से शरीर में एकत्रित हुए वे विष निकल जायेंगे।ज्वारों का रस निकालते समय मधु, अदरक, नागरबेल के पान (खाने के पान) भी डाले जा सकते हैं।
◆इससे स्वाद और गुण का वर्धन होगा और उबकाई नहीं आयेगी। विशेषतया यह बात ध्यान में रख लें कि ज्वारों के रस में नमक अथवा नींबू का रस तो कदापि न डालें।
◆रस निकालने की सुविधा न हो तो ज्वारे चबाकर भी खाये जा सकते हैं। इससे दाँत मसूढ़े मजबूत होंगे। मुख से यदि दुर्गन्ध आती हो तो दिन में तीन बार थोड़े-थोड़े ज्वारे चबाने से दूर हो जाती है। दिन में दो या तीन बार ज्वारों का रस लीजिये।

*🌾सस्ता और सर्वोत्तम ज्वारों का रस 🌾*
■ज्वारों का रस दूध, दही और मांस से अनेक गुना अधिक गुणकारी है। दूध और मांस में भी जो नहीं है उससे अधिक इस ज्वारे के रस में है।
■इसके बावजूद दूध, दही और मांस से बहुत सस्ता है। घर में उगाने पर सदैव सुलभ है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी इस रस का उपयोग करके अपना खोया स्वास्थ्य फिर से प्राप्त कर सकता है।गरीबों के लिए यह ईश्वरीय आशीर्वाद है।
◆नवजात शिशु से लेकर घर के छोटे-बड़े, अबालवृद्ध सभी ज्वारे के रस का सेवन कर सकते हैं।
◆ नवजात शिशु को प्रतिदिन पाँच बूँद दी जा सकती है।
◆ज्वारे के रस में लगभग समस्त क्षार और विटामिन उपलब्ध हैं। इसी कारण से शरीर मे जो कुछ भी अभाव हो उसकी पूर्ति ज्वारे के रस द्वारा आश्चर्यजनक रूप से हो जाती है।
■इसके द्वारा प्रत्येक ऋतु में नियमित रूप से प्राणवायु, खनिज, विटामिन, क्षार और शरीरविज्ञान में बताये गये कोषों को जीवित रखने से लिए आवश्यक सभी तत्त्व प्राप्त किये जा सकते हैं।
◆डॉक्टर की सहायता के बिना गेहूँ के ज्वारों का प्रयोग आरंभ करो और खोखले हो चुके शरीर को मात्र तीन सप्ताह में ही ताजा, स्फूर्तिशील एवं तरावटदार बना दो।
◆ज्वारों के रस के सेवन के प्रयोग किये गये हैं। कैंसर जैसे असाध्य रोग मिटे हैं। शरीर ताम्रवर्णी और पुष्ट होते पाये गये हैं।

Call for Pure Organic and Ayurvedic Products
in in all over India

Kailash Chandra Ladha 9352174466
Hemant Bajpai  9414129498

#organic 
#Sanwariya 
#chemicalfree 
#organicfood 
#organicproducts
#chemicalfreeskincare 
#chemicalfreeliving 
#chemicalfreeproducts 
#ayurveda

शनिवार, 15 मई 2021

हैल्थ कार्ड बनवाए, भारत में कहीं भी इलाज करवाईए Make your health card & free from Hospital bills payment

 For chat on  Whatsapp -  https://wa.me/message/MGAXBXAZ7MHOG1



1.क्या आपके पास भी है आकस्मिक Hospital खर्चो से बचने के लिए पर्याप्त हेल्थ कवर?

2.क्या आपकी हेल्थ पॉलिसी भी करती है कवर (ABCD) यानि अस्थमा, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्राल, और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का खर्चा?

3.क्या आपकी हेल्थ पालिसी भी देती है वर्ल्डवाइड मेडिकल असिस्टेंस?

4.क्या आपकी पालिसी भी देती है हेल्थ कवर एक्सास्ट होने पर 100% कवर रीलोड का बेनिफिट?

5.क्या आपकी पॉलिसी में है नो क्लेम बोनस का एक छोटे से क्लेम से 0 ना हो जाने वाला फीचर?

6.सबसे महत्वपूर्ण सवाल,  क्या आपकी पॉलिसी देती है आपको स्वयं को फिट रखने पर अगले साल के प्रीमियम में 30% तक का डिस्काउंट?

अगर इन सभी सवालों का जवाब है "नहीं" तो जानिए कैसे आप ये सब बेनिफिट ले सकते हैं l••

एक फैमिली में पांच मेम्बर है
पति राजेंद्र (व्यापारी)
पत्नी रागिनी (हाउसवाइफ)
पिता राजेश (रिटायर्ड)
बड़ा बेटा ( राहुल)
छोटा बेटा ( राज)
अब आपको पता होगा यह पूरा परिवार राजेंद्र जी पे डिपेंड हैं।।।
राजेंद्र जी इस परिवार के पिल्ल्लर है।।
अगर राजेंद्र जी बीमार हो जाते है तो क्या क्या दिक्कत आ सकती है ।।।🏨🏥
सोचिए जरा उनकी सेविंग जाएगी और पिता जी में अचानक से जिम्मेदारी आएगी ।।।💸
पत्नी जी को  जादा जिम्मेदारी आ  जाएगी।।
हॉस्पिटल के बिल्स दवाइयों का पैसा बहुत सारे टेस्टों का पैसा एडवांस जमा करवाना होगा।।।
आपको रिस्तेदारो की मदद लेनी होगी।।।
ऐसे में आप परिवार को बहुत दिक्कत में कर रहे है ।।।
इसलिए जागरूक बनिए बिना कोई लापरवाही किए बिना ।।हैल्थ कार्ड बनवाइए।।इलाज मुफ्त करवाइए।।।

इसलिए घर के परिवार के मुखिया को कुछ होता है तो हम है उनके हैल्थ कार्ड के द्वारा सारा इलाज का खर्च का भुगतान हम कंपनी द्वारा किया जाएगा।।।
इसलिए आज ही अपना हैल्थ कार्ड बनवाए ।।।
जिससे आप भारत में कहीं भी इलाज करवाईए।।
हैल्थ कार्ड बनवाने के बाद आपके परिवार में हॉस्पिटल में लेके कभी कोई शिकायत नहीं रहेगी।।।

Kailash Chandra Ladha
9352174466

ADITYA BIRLA HEALTH INSURANCE CARD

TATA AIG HEALTH INSURANCE CARD

Day Care Treatment :

Day Care Treatment होता वो treatment जो एक दिन मैं हो जाते है जैसे Eye treatment ,Nose ,Ear treatment। तो इस पालिसी मैं कुल 586 listed procedures cover है। आप इन treatments को अपने SI use कर सकते है।

Health Check-up Program :

Health Check-up की बात करे तो साल मैं एक बार आपको Health Check-up free मैं मिलेगा।

Organ Donor Expenses :

अगर आपको कभी organ donor की जरूरत पड़ती है तो इसका भी खर्चा इस पालिसी मैं कवर होता है।

Domestic & International Emergency Assistance Services भी इस पालिसी मैं available है including Air Ambulance।✈✈✈🏨🏥

HealthReturns™:

इस पालिसी मैं आपको फिट रहो और पायो 30 % discount अगले साल की Policy मैं वाला ऑप्शन दिया जा रहा है।
आपको एक app आपके फ़ोन मैं install करना है नाम है Activ health app जो आपको playstore मैं मिल जाएगी और हर महीने 13 Active days complete करने है यानि 10000 steps हर दिन या 30 minutes Gym main या 300 Calories burned करनी है और आपको अगले साल 30 % discount।

In-patient Hospitalization :

इसका मतलब होता है की आपको अपना कवर तभी मिलता है जब आप 24 घंटो के लिए hospitalized होते है किसी भी treatment के लिए।

महामारी के लिए कवर -

हम जानते हैं की लोग कोरोना वायरस के वजह से डरे हुए हैं इसलिए हम उसको भी कवर करते हैं |

Domiciliary Hospitalization :

यानि home care कई बार ऐसा होता है आपको घर से इलाज करवाना पड़ता है और उस मैं डॉक्टर घर पर ही visit करता है



Call for Health Insurance/ Mediclaim Policy,
Term Insurance,
Children Future Policy,
Pension Plan,
Tax saving plan,
Mutual funds 





Jai shree krishna

Thanks,

Regards,

कैलाश चन्द्र लढा(Jodhpur)

www.sanwariya.org

sanwariyaa.blogspot.com

https://www.facebook.com/mastermindkailash

बुधवार, 12 मई 2021

डर के माहौल व oxygen बिजनेस ने लोगों को इतना मानसिक कमजोर कर दिया है कि oxygen का लेवल 93 से नीचे आते ही सब सिलेंडर तलाशने लग जाते हैं।

गांवों में बहुत सारे हुक्के , बीडी पीने वाले बुड्ढे मिल जायेंगे, जिनको सांस की दिक्कत होती है,

उनका oxygen लेवल दिन में कई बार 93 से बहुत नीचे भी जाता है, लेकिन फिर भी वे उसको आराम से बर्दाश्त कर जाते हैं।

क्यों? क्योंकि उन्हें उस समय 
Oximeter लगाकर oxygen लेवल नाप कर डराने वाला कोई नहीं होता है। उनके हिसाब से थोडी देर पंखे के सामने उलटा-सीधा होकर लेटना-बैठना ही इसका इलाज है। 
उनको नहीं पता कि oxygen cylinder क्या होता है। उनको बस यह पता है कि थोडी देर शरीर दुखेगा और उसके बाद अपने आप एडजस्ट कर लेगा। उनको पता है कि इसका इलाज उनके अंदर ही है।

जबकि वर्तमान डर के माहौल व oxygen बिजनेस ने लोगों को इतना मानसिक कमजोर कर दिया है कि oxygen का लेवल 93 से नीचे आते ही सब सिलेंडर तलाशने लग जाते हैं।

हमारा शरीर सांस लेते समय जो हवा अंदर लेता है, उसमें oxygen का प्रतिशत लगभग 21 होता है। अब उसके स्थान पर अचानक से 60% , 90% ,100% concentrated Oxygen दोगे तो क्या शरीर मजबूत हो जायेगा ?

हमारा शरीर जिस माहौल के लिए सालों से तैयार है, के स्थान‌ पर अचानक से ऐसे कृत्रिम माहौल में शरीर को घुसेड़ देंगे तो फिर शरीर भी बदलने लगेगा। फेंफड़ों में , व शरीर के अन्य हिस्सों में भी परिवर्तन होने लगेगा।

हमारे शरीर में जादुई गुण होते हैं, कि वह हर माहौल के हिसाब से बदलने की प्राकृतिक ताकत रखता है। जब उस प्राकृतिक गुण को मशीनों से रिप्लेस करने की कोशिश करेंगे तो फिर नुकसान तो होंगे ही ।

डर का माहौल ऐसा बनाया हुआ है, कि लोग अपनी कारों में सिलेंडर लगवा कर लेटे हुए हैं, ओक्सीजन लेवल कितना क्या रखना है, कैसे मोनिटर करना है, कुछ अता-पता नहीं।

Industrial Oxygen बनाते- बनाते  medical oxygen बनाने लग गये ... प्रोडक्शन को कोन रेगुलेट कर रहा है,अंदर क्या किस अनुपात में भर रखा है, पता नहीं।

डरे हुए लोग अपने परिवारजनों को ना खो देने के डर से जिधर-जहां ,जो मिल रहा हैं, आंख मूंद के ले रहे हैं। 

लोग अनजाने में, मरने‌ के डर से, मरने के लिए ही अपनी सालों ‌की कमाई को रातों रात लूटा रहे हैं।

वर्तमान समय में फ्लू के थोडे से लक्षण दिखने पर ही अंट-शंट दवाइयां, सिलेंडर के चक्कर में पडे बिना‌, अपने आप पर भरोसा रखिये। हाई विटामिन सी डाईट पर शिफ्ट हो जाइये। डर फैलाने वालों से दूर रहिए। बुखार हो तो दवाईयों से कम करने की कोशिश मत किजिए। बुखार खराब चीज़ नहीं है, वह शरीर के ठीक होने से पहले के युद्ध का परिणाम है।

बहुत ज्यादा ही टेम्परेचर होने पर गीली पट्टी वगैरह से टैम्प्रेचर कम कर लीजिए। सांस की दिक्कत होने पर prone ventilation या देशी तरीकों से शरीर को मजबूत कीजिए, ना कि सिलेंडरों पर शरीर को निर्भर बनाइये।

डरना-घबराना नहीं है, खुद पर भरोसा रखिये अपने साथी को मानसिक रूप से तगडा रहने में मदद कीजिए।

अपने साथी या परिवारजन को सिलेंडर लगवा कर बैंगन की तरह पडे रहने के लिए मत छोड़ दीजिए ।

बातें किजिए, हंसी-मजाक, ठहाके लगाने में मदद किजिए। मानसिक अकेलेपन की गिरफ्त में मत जाने दिजिए। डर मत फैलाइए। खुद मत डरिये। कम लोगो के सम्पर्क में आइए। हो सके उतना भय के माहौल से दूर रहिए। भय का कोई इलाज नही है सिवाय मौत के।
www.sanwariyaa.blogspot.com

मंगलवार, 11 मई 2021

तीनों ही वैक्सीन (कोविशील्ड,कोवाक्सिन और स्पुतनिक) जो भी वैक्सीन मिल जाये, तुरन्त लगवाएं

*वैक्सीन* 

®️ *कोविशील्ड (Covishield)*

कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर तैयार किया है और इसके उत्पादन के लिए भारत में इसे पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बना रही है।ये एक तरह का सौदा है जिसमें प्रति वैक्सीन की *आधी कीमत ऑक्सफ़ोर्ड* के पास जाती है। कोविशील्ड दुनिया की सबसे लोकप्रिय वैक्सीन में से है क्योंकि कई देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।कोविशील्ड म्यूटेंट स्ट्रेन्स (अर्थात रूप बदले हुए वायरस) के खिलाफ सबसे असरदार और प्रभावी है। कोवीशील्ड एक वायरल वेक्टर टाइप की वैक्सीन है।

®️कोविशील्ड को *सिंगल वायरस के जरिए* बनाया गया है जो कि चिम्पैंजी में पाए जाने वाले एडेनोवायरस (चिंपैंजी के मल में पाया जाने वाला वायरस) ChAD0x1 से बनी है।
ये वही वायरस है जो चिंपैंजी में होने वाले *जुकाम का कारण* बनता है लेकिन इस वायरस की जेनेटिक सरंचना COVID के वायरस से मिलती है इसलिए एडेनो-वायरस का उपयोग कर के शरीर मे एंटीबॉडी बनाने को वैक्सीन इम्युनिटी सिस्टम को प्रेरित करती है। कोवीशील्ड को भी WHO ने मंजूरी दी है।  इसकी प्रभाविकता या *इफेक्टिवनेस रेट 70 फीसदी* है। यह वैक्सीन कोरोना के गंभीर लक्षणों से बचाती है और संक्रमित व्यक्ति जल्दी ठीक होता है।ये व्यक्ति को वेन्टिलर पर जाने से भी बचाती है। इसका रख-रखाव रखना बेहद आसान है क्योंकि यह लगभग 2° से 8°C पर कहीं भी ले जाई जा सकती है इसलिए इसकी उपयोग में लाने के बाद बची हुई वैक्सीन की वायल को फ्रिज में स्टोर किया जा सकता है।


®️ *कोवैक्सिन (Covaxin)*

कोवैक्सिन को ICMR और भारत बायोटेक ने मिलकर तैयार किया है। इसे वैक्सीन बनाने के सबसे पुराने अर्थात पारंपरिक  *इनएक्टिवेटेड प्लेटफॉर्म*  पर बनाया गया है। इनएक्टिवेटेड का मतलब है कि इसमें डेड वायरस को शरीर में डाला जाता है, जिससे एंटीबॉडी पैदा होती है और फिर यही एंटीबॉडी वायरस को मारती है। यह वैक्सीन लोगों को संक्रमित करने में सक्षम नहीं है क्योंकि वैक्सीन बनाना बेहद फाइन बैलेंस का काम होता है ताकि वायरस शरीर मे एक्टिवेट न हो सके। ये इनक्टिवेटेड वायरस शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को असली वायरस को पहचानने के लिए तैयार करता है और संक्रमण होने पर उससे लड़ता है और उसे खत्म करने की कोशिश करता है।
इस वैक्सीन से कोरोना वायरस को खतरा है, इंसानों को नहीं।

®️कोवैक्सीन की *प्रभाविकता 78 फीसदी* है। एक शोध में ये भी बताया गया है कि यह वैक्सीन घातक संक्रमण और मृत्यु दर के जोखिम को 100 फीसदी तक कम कर सकती है। हाल ही में हुए शोध में यह दावा किया गया है कि कोवैक्सिन कोरोना के सभी वेरिएंट्स के खिलाफ कारगर है।

®️Note- इन सभी वैक्सीन में सिर्फ covaxin अकेली वैक्सीन है जिसे वैक्सीन बनाने के सबसे पुराने तरीके से बनाया गया है इसमें कोरोना वायरस के ही *(इनक्टिवेटेड वायरस अर्थात मृत-स्वरूप* को उपयोग में लाया है और यही एक बड़ा कारण है जोकि covaxin को कोरोना के 671 वैरिएंट (हाल ही में हुए शोध अनुसार) के खिलाफ प्रभावी बनाता है मतलब ये कि चाहे कोरोना वायरस कितना भी म्यूटेशन कर ले (अर्थात रूप बदल लें) covaxin उन सभी पर प्रभावी रहेगी।

®️अब आते हैं सबसे अंत में-

®️ *स्पुतनिक- V (Sputnik V)*

इसे मॉस्को के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने तैयार किया है,जिसे भारत में डॉ० रेड्डी लैब द्वारा बनाया जाएगा। इसे भी 2-8°C पर स्टोर किया जा सकता है।स्पुतनिक V भी एक *वायरल वेक्टर वैक्सीन* है, लेकिन इसमें और बाकी वैक्सीन में एक बड़ा फर्क यही है कि बाकी वैक्सीन को एक वायरस से बनाया गया है, जबकि इसमें दो वायरस हैं और इसके दोनों डोज अलग-अलग होते हैं। स्पुतनिक V को भारत ही नहीं बल्कि हर जगह अब तक की सबसे प्रभावी वैक्सीन माना गया है। इस पैमाने पर भारत की सबसे इफेक्टिव वैक्सीन है। स्पुतनिक V *91.6 % प्रभावी* है। ऐसे में इसे सबसे अधिक प्रभावी वैक्सीन कहा जा सकता है। यह सर्दी, जुकाम और अन्य श्वसन रोग पैदा करने वाले एडेनोवायरस-26 (Ad26) और एडेनोवायरस-5 ( Ad5) अर्थात 2 अलग अलग प्रकार के वायरस पर आधारित है। यह कोरोना वायरस में पाए जाने वाले कांटेदार प्रोटीन  (Spike प्रोटीन- यही वो प्रोटीन है जो शरीर की कोशिकाओं अर्थात सेल्स में एंट्री लेने में मदद करता है) की नकल करती है, जो शरीर पर सबसे पहले हमला करता है। वैक्सीन शरीर में पहुंचते ही इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है। और शरीर में एंटीबॉडी पैदा हो जाती है। यही एंटीबॉडी शरीर को कोरोना वायरस से बचाती हैं।

®️अब बात करते हैं स्पुतनिक की ही *सिंगल डोज वाली वैक्सीन अर्थात sputnik Light की,*

®️चूंकि स्पुतनिक वैक्सीन की दोनों डोज में दो अलग अलग वायरस उपयोग होते है तो स्पुतनिक लाइट वैक्सीन असल में स्पुतनिक-V वैक्सीन का पहला डोज ही है। ध्यान रहे कि स्पुतनिक-V में दो अलग-अलग वैक्सीन तीन हफ्ते के अंतराल के बाद दिए जाते हैं। अब इसे बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि स्पुतनिक-V का पहला डोज भी कोरोना संक्रमण से बचाने में कारगर है और इसे ही स्पुतनिक-लाइट के रूप में लांच किया गया है।जिसका इफेक्टिवनेस 79.4% है जोकि अन्य वैक्सीन के दो डोज से भी अधिक है यदि इसकी मंजूरी भारत में मिलती है तो एक डोज में ही अधिक टीकाकरण किया जा सकेगा।जिससे टीकाकरण में तेजी भी लाई जा सकेगी।

®️ इन तीनों के अलावा 2 वैक्सीन और भी हैं विश्व में जिनको आपातकालीन मंजूरी दी गयी है लेकिन फिलहाल भारत मे मान्य नहीं है जोकि मोडर्ना और फाइजर की हैं,

®️मोडर्ना को जहाँ *-20° पर* स्टोर करना होता है वहीं दूसरी ओर फाइजर की वैक्सीन को *-70°C से -75°C* पर सुरक्षित रखना पड़ता है यही कारण है भारत इन वैक्सीन को मंजूरी देने में कदम पीछे खींच रहा है क्योंकि भारत मे ऐसे तंत्र को विकसित करना मुश्किल है जिसमें इस तापमान को मेंटेन रखा जाए।इससे भी अलग एक बात ये है कि इस वैक्सीन को बनाने में परम्परागत तकनीक से अलग तकनीक उपयोग में लाई गई है।

®️परंपरागत वैक्सीन के जरिए हमारे शरीर के रक्तप्रवाह में जीवित या मृत वायरस डाला जाता है। साथ ही इसमें कई पदार्थ होते हैं, जो प्रतिरोधी प्रक्रिया के उत्पादन के लिए जरूरी होते हैं। लेकिन कोविड-19 की नई वैक्सीन में मैसेंजर आरएनए (MRNA) का इस्तेमाल किया गया है, जो एक प्रकार का न्यूक्लिक अम्ल है।

®️यह मैसेंजर आरएनए एक आनुवंशिक तंत्र (genetic mechanism) का संकेत देता है, जिससे कोविड एंटीबॉडी उत्पन्न होती है, जो वायरस के निशानों को नष्ट कर देती है। यानी इस प्रक्रिया में वायरस को शरीर में सीधे इंजेक्ट नहीं किया जाता है।

®️Special Note- तुलनात्मक अध्ययन सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं क्योंकि अभी तक *भारत में स्वीकृत तीनों ही वैक्सीन (कोविशील्ड,कोवाक्सिन और स्पुतनिक) कोविड को गम्भीर होने और वेंटिलेटर पर जाने से बचाती हैं* और जो भी वैक्सीन मिल जाये, *तुरन्त लगवाएं* क्योंकि ये तीनों की वैक्सीन रोग के गम्भीर होने के खतरे को टाल देती है और आपकी रक्षा करती हैं।

धन्यवाद

function disabled

Old Post from Sanwariya