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शुक्रवार, 21 मई 2021

ये फिल्म अभिनेता (या अभिनेत्री) ऐसा क्या करते हैं कि इनको एक फिल्म के लिए 50-100 करोड़

एक बात मेरी समझ में कभी नहीं आई कि 
ये फिल्म अभिनेता (या अभिनेत्री) ऐसा क्या करते हैं कि इनको एक फिल्म के लिए 50 करोड़ '--
या 100 करोड़ रुपये मिलते हैं?
सुशांत सिंह की मृत्यु के बाद यह चर्चा चली थी कि 
जब वह इंजीनियरिंग का टॉपर था तो फिर उसने फिल्म का क्षेत्र क्यों चुना?

जिस देश में शीर्षस्थ वैज्ञानिकों , डाक्टरों , इंजीनियरों , प्राध्यापकों , अधिकारियों इत्यादि को प्रतिवर्ष 10 लाख से 20 लाख रुपये मिलता हो, 
जिस देश के राष्ट्रपति की कमाई प्रतिवर्ष 
1 करोड़ से कम ही हो-
उस देश में एक फिल्म अभिनेता प्रतिवर्ष 
10 करोड़ से 100 करोड़ रुपए तक कमा लेता है। आखिर ऐसा क्या करता है वह?
देश के विकास में क्या योगदान है इनका? आखिर वह ऐसा क्या करता है कि वह मात्र एक वर्ष में इतना कमा लेता है जितना देश के शीर्षस्थ वैज्ञानिक को शायद 100 वर्ष लग जाएं?

आज जिन तीन क्षेत्रों ने देश की नई पीढ़ी को मोह रखा है, वह है -  सिनेमा , क्रिकेट और राजनीति। 
इन तीनों क्षेत्रों से सम्बन्धित लोगों की कमाई और प्रतिष्ठा सभी सीमाओं के पार है। 

यही तीनों क्षेत्र आधुनिक युवाओं के आदर्श हैं,
जबकि वर्तमान में इनकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगे हैं। स्मरणीय है कि विश्वसनीयता के अभाव में चीजें प्रासंगिक नहीं रहतीं और जब चीजें 
महँगी हों, अविश्वसनीय हों, अप्रासंगिक हों -
तो वह देश और समाज के लिए व्यर्थ ही है,
कई बार तो आत्मघाती भी।

सोंचिए कि यदि सुशांत या ऐसे कोई अन्य 
युवक या युवती आज इन क्षेत्रों की ओर आकर्षित होते हैं तो क्या यह बिल्कुल अस्वाभाविक है? 
मेरे विचार से तो नहीं। 
कोई भी सामान्य व्यक्ति धन , लोकप्रियता और चकाचौंध से प्रभावित हो ही जाता है ।

बॉलीवुड में ड्रग्स वा वेश्यावृत्ति, 
क्रिकेट में मैच फिक्सिंग, 
राजनीति में गुंडागर्दी  - भ्रष्टाचार 
इन सबके पीछे मुख्य कारक धन ही है 
और यह धन उन तक हम ही पहुँचाते हैं। 
हम ही अपना धन फूँककर अपनी हानि कर रहे हैं। मूर्खता की पराकाष्ठा है यह।

*70-80 वर्ष पहले तक प्रसिद्ध अभिनेताओं को     
 सामान्य वेतन मिला करता था। 

*30-40 वर्ष पहले तक क्रिकेटरों की कमाई भी 
  कोई खास नहीं थी।

*30-40 वर्ष पहले तक राजनीति भी इतनी पंकिल नहीं थी। धीरे-धीरे ये हमें लूटने लगे 
और हम शौक से खुशी-खुशी लुटते रहे। 
हम इन माफियाओं के चंगुल में फँस कर हम
अपने बच्चों का, अपने देश का भविष्य को
बर्बाद करते रहे।

50 वर्ष पहले तक फिल्में इतनी अश्लील और फूहड़ नहीं बनती थीं।  क्रिकेटर और नेता इतने अहंकारी नहीं थे - आज तो ये हमारे भगवान बने बैठे हैं। 
अब आवश्यकता है इनको सिर पर से उठाकर पटक देने की - ताकि इन्हें अपनी हैसियत पता चल सके।

एक बार वियतनाम के राष्ट्रपति 
हो-ची-मिन्ह भारत आए थे। 
भारतीय मंत्रियों के साथ हुई मीटिंग में उन्होंने पूछा -
" आपलोग क्या करते हैं ?"

इनलोगों ने कहा - " हमलोग राजनीति करते हैं ।"

वे समझ नहीं सके इस उत्तर को। 
उन्होंने दुबारा पूछा-
"मेरा मतलब, आपका पेशा क्या है?"

इनलोगों ने कहा - "राजनीति ही हमारा पेशा है।"

हो-ची मिन्ह तनिक झुंझलाए, बोला - 
"शायद आपलोग मेरा मतलब नहीं समझ रहे। 
राजनीति तो मैं भी करता हूँ ; 
लेकिन पेशे से मैं किसान हूँ , 
खेती करता हूँ। 
खेती से मेरी आजीविका चलती है। 
सुबह-शाम मैं अपने खेतों में काम करता हूँ। 
दिन में राष्ट्रपति के रूप में देश के लिए 
अपना दायित्व निभाता हूँ ।"

भारतीय प्रतिनिधिमंडल निरुत्तर हो गया
कोई जबाब नहीं था उनके पास।
जब हो-ची-मिन्ह ने दुबारा वही वही बातें पूछी तो प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने झेंपते हुए कहा - "राजनीति करना ही हम सबों का पेशा है।"

स्पष्ट है कि भारतीय नेताओं के पास इसका कोई उत्तर ही न था। बाद में एक सर्वेक्षण से पता चला कि भारत में 6 लाख से अधिक लोगों की आजीविका राजनीति से चलती थी। आज यह संख्या करोड़ों में पहुंच चुकी है।

कुछ महीनों पहले ही जब कोरोना से यूरोप तबाह हो रहा था , डाक्टरों को लगातार कई महीनों से थोड़ा भी अवकाश नहीं मिल रहा था , 
तब पुर्तगाल की एक डॉक्टरनी ने खीजकर कहा था -
"रोनाल्डो के पास जाओ न , 
जिसे तुम करोड़ों डॉलर देते हो।
मैं तो कुछ हजार डॉलर ही पाती हूँ।"

मेरा दृढ़ विचार है कि जिस देश में युवा छात्रों के आदर्श वैज्ञानिक , शोधार्थी , शिक्षाशास्त्री आदि न होकर अभिनेता, राजनेता और खिलाड़ी होंगे , उनकी स्वयं की आर्थिक उन्नति भले ही हो जाए , 
देश की उन्नत्ति कभी नहीं होगी। सामाजिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक, रणनीतिक रूप से देश पिछड़ा ही रहेगा हमेशा। ऐसे देश की एकता और अखंडता हमेशा खतरे में रहेगी।

जिस देश में अनावश्यक और अप्रासंगिक क्षेत्र का वर्चस्व बढ़ता रहेगा, वह देश दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जाएगा। 
देश में भ्रष्टाचारी व देशद्रोहियों की संख्या बढ़ती रहेगी, ईमानदार लोग हाशिये पर चले जाएँगे व राष्ट्रवादी लोग कठिन जीवन जीने को विवश होंगे।

 सभी क्षेत्रों में कुछ अच्छे व्यक्ति भी होते हैं। 
उनका व्यक्तित्व मेरे लिए हमेशा सम्माननीय रहेगा ।
आवश्यकता है हम प्रतिभाशाली,ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, समाजसेवी, जुझारू, देशभक्त, राष्ट्रवादी, वीर लोगों को अपना आदर्श बनाएं।

नाचने-गानेवाले, ड्रगिस्ट, लम्पट, गुंडे-मवाली, भाई-भतीजा-जातिवाद और दुष्ट देशद्रोहियों को जलील करने और सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से बॉयकॉट करने की प्रवृत्ति विकसित करनी होगी हमें।

यदि हम ऐसा कर सकें तो ठीक, अन्यथा देश की अधोगति भी तय है।🙏 आप स्वयं तय करो सलमान खान,आमिर खान,अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, जितेंद्र,हेमा,रेखा, जया देश के विकास में इनका योगदान क्या है हमारे बच्चे मूर्खों की तरह इनको आइडियल बनाए हुए है।

जिसने भी लिखा है शानदार लिखा है। सभी को पढ़ना चाहिए।

ब्लैक फंगस से बचाव के तरीके


देश में कोविड-19 महामारी के बीच हाल के दिनों में म्यूकोरमाइकोसिस (जिसे ब्लैक फंगस के नाम से भी जाना जाता है) के मामलों में भी तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। कैंसर के समान घातक इस संक्रमण को लेकर डॉक्टर, लोगों से विशेष सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि  म्यूकोरमाइकोसिस के कारण होने वाली मृत्यु दर 50 से 60 फीसदी तक हो सकती है, यानी इस संक्रमण से ग्रसित 100 में से लगभग 60 लोगों को मौत का खतरा रहता है।
कोविड से ठीक हो रहे मरीजों (विशेषकर डायबिटिक) में म्यूकोरमाइकोसिस के मामले ज्यादा देखे जा रहे हैं। संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच लोगों के मन में इससे संबंधित कई तरह के सवाल पैदा हो रहे हैं। ऐसा ही एक सवाल है कि क्या कोरोना की तरह ब्लैक फंगस का संक्रमण भी एक व्यक्ति से दूसरे को हो सकता है?
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कितना संक्रामक है ब्लैक फंगस?
ब्लैक फंगस संक्रमण के बारे स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ सौरभ चौधरी कहते हैं कि इस संक्रमण के मामले काफी दुर्लभ होते हैं। हमारे वातावरण में यह फंगस हमेशा से मौजूद रहे हैं लेकिन इनका असर सिर्फ उन्हीं लोगों पर ज्यादा होता है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। यह संक्रमण सामान्यतौर पर एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। अनियंत्रित शुगर लेवल और ब्लड कैंसर के रोगी विशेषकर जो कीमोथेरपी ले रहे हैं, उनमें इस संक्रमण का खतरा अधिक होता है।

घरों में भी मौजूद हो सकता है फंगस?
ब्लैक फंगस संक्रमण की प्रकृति और इसकी मौजूदगी के बारे में जानने के लिए हमने एनेस्थीसियॉलॉजिस्ट (निश्चेतनविज्ञानी) डॉ एचके महाजन से बात की। डॉ महाजन बताते हैं यह फंगस घरों में भी हो सकता है। खराब हो रही सब्जियों, मिट्टी और फ्रिज में यह फंगस मौजूद हो सकता है। इसलिए इन सभी की अच्छी तरह से साफ-सफाई करना बेहद जरूरी होता है। इसके साथ सभी को व्यक्तिगत स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। सब्जियों को अच्छे से धोकर ही उपयोग में लाएं, घरों में जो सब्जियां खराब हो रही हैं उन्हें तुरंत फेंक दें।

किन्हें विशेष सावधान रहना चाहिए?
फंगल संक्रमण किसी भी इम्यूनो-कंप्रोमाइज यानी कि जिसकी इम्यूनिटी कमजोर होती है, उसे हो सकता है। म्यूकोरमाइकोसिस का खतरा कोविड संक्रमित रह चुके डायबिटिक रोगियों को ज्यादा होता है। इसकी वजह ऐसे रोगियों के ब्लड शुगर का अनियंत्रित स्तर माना जाता है। कोविड के इलाज के समय स्टेरॉयड्स भी दी जाती हैं, जोकि शुगर को बढ़ा देती हैं इसलिए इन रोगियों में भी खतरा हो सकता है।

उपचार कैसे किया जाता है?

डॉ महाजन बताते हैं कि लक्षण दिखते ही ब्लैक फंगस का निदान करना अनिवार्य हो जाता है। इसके लिए शरीर के प्रभावित हिस्से अंश लेकर बायोप्सी किया जाता है। उपचार के तौर पर प्रभावित हिस्से को निकालने की भी जरूरत पड़ सकती है। मरीजों को एंटी-फंगल दवाइयां दी जाती हैं। रोगी को चार से छह हफ्ते तक इन दवाइयों की आवश्यकता हो सकती है।  
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नोट: यह लेख इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में एनेस्थीसियॉलॉजिस्ट डॉ एचके महाजन और  विनायक हॉस्पिटल नोएडा के डायरेक्टर डॉ सौरभ चौधरी से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: सांवरिया ब्लॉग की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को इंटरनेट  से संकलित संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। सांवरिया लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें तथा किसी भी दवा का सेवन बिना डॉक्टरी सलाह के न करें।

ब्लैक फंगस से बचाव के तरीके

1.लोग मास्क को कई दिन तक धोते नहीं है उल्टा सैनिटाइजर से साफ करके काम चलाते है। ऐसा न करें। कपड़े के मास्क बाहर से आने पर तुरंत मास्क साबुन से धोएं, धूप में सुखाएं और प्रेस करें। सर्जिकल मास्क एक दिन से ज्यादा इस्तेमाल न करें। 
N95 मास्क को मेंहगा होने की वजह से लंबे समय तक उपयोग करना पड़े तो साबुन के पानी में प्रतिदिन कई बार डुबोकर धो लें, रगड़े नहीं। बेहतर हो कि नया इस्तेमाल करें।

2. अधिकांश सब्जियां खासकर प्याज़ छीलते समय दिखने वाली काली फंगस हाथों से होकर आंखों या मुंह मे चली जाती है। बचाव करें। साफ पानी , फिटकरी के पानी या सिरके से धोएं फिर इस्तेमाल करें।

3. फ्रिज के दरवाजों और अंदर काली फंगस जमा हो जाती है खासकर रबर पर तो उसे तत्काल ब्रश साबुन से साफ करें । और बाद में साबुन से हाथ भी धो लें।

4. जब तक बहुत आवश्यक न हो, ऑक्सीजन लेवल सामान्य है तो अन्य दवाओं के साथ स्टेरॉयड न लें। जब तक आपका डॉक्टर सलाह नहीं दे। विशेष तौर पर यह शुगर वाले मरीजों के लिए अधिक खतरनाक है।

 5. डॉक्टर की सलाह पर ही ऑक्सिजन लगायें। अपने आप अपनी मर्ज़ी से नहीं। यदि मरीज को ऑक्सीजन लगी है तो नया मास्क और वह भी रोज साफ करके इस्तेमाल करें। साथ ही ऑक्सीजन सिलिंडर या concentrator में स्टेराइल वाटर/saline डालें और रोज बदलें।
6. बारिश के मौसम में मरीज को या घर पर ठीक होकर आ जाएं तब भी किसी भी नम जगह बिस्तर या नम कमरे में नहीं रहना है। अस्पताल की तरह रोज बिस्तर की चादर और तकिए के कवर बदलना है । और बाथरूम को नियमित साफ रखना है।
रूमाल गमछा तौलिया रोज धोना है। 

आप इन सब बातों का ध्यान रखें और दूसरों को भी बताएं तो इस घातक बीमारी से बचाव संभव है। क्योंकि इसका उपचार अभी बहुत दुर्लभ और महंगा है इसलिए सावधानी ही उपचार है...🙏

अस्वीकरण: सांवरिया ब्लॉग की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को इंटरनेट  से संकलित संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। सांवरिया लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें तथा किसी भी दवा का सेवन बिना डॉक्टरी सलाह के न करें।

निर्जीव खिलौने ने जीवित खिलौने को गुलाम बनाकर रख दिया

*"ग़जब का रिश्ता"*
मैं बिस्तर पर से उठा, अचानक छाती में दर्द होने लगा। मुझे हार्ट की तकलीफ तो नहीं है? ऐसे विचारों के साथ मैं आगे वाली बैठक के कमरे में गया। मैंने देखा कि मेरा पूरा परिवार मोबाइल में व्यस्त था।
""""""""""""""""""""""""""'''''''''''''''''''''''''''
मैंने पत्नी को देखकर कहा- "मेरी छाती में आज रोज से कुछ ज़्यादा दर्द हो रहा है, डाॅक्टर को दिखा कर आता हूँ।"
"हाँ मगर सँभलकर जाना, काम हो तो फोन करना"   मोबाइल में देखते-देखते ही पत्नी बोलीं।
मैं एक्टिवा की चाबी लेकर पार्किंग में पहुँचा, पसीना मुझे बहुत आ रहा था, ऐक्टिवा स्टार्ट नहीं हो रही थी।
ऐसे वक्त्त हमारे घर का काम करने वाला ध्रुव साईकिल लेकर आया, साईकिल को ताला लगाते ही, उसने मुझे सामने खड़ा देखा।
"क्यों सा'ब ऐक्टिवा चालू नहीं हो रही है?
मैंने कहा- "नहीं..!!"
आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती सा'ब, 
इतना पसीना क्यों आ रहा है?
सा'ब इस हालत में स्कूटी को किक नहीं मारते, मैं किक मार कर चालू कर देता हूँ। ध्रुव ने एक ही किक मारकर ऐक्टिवा चालू कर दिया, साथ ही पूछा- 
"साब अकेले जा रहे हो?"
मैंने कहा- "हाँ"
उसने कहा- ऐसी हालत में अकेले नहीं जाते, 
चलिए मेरे पीछे बैठ जाइये।
मैंने कहा- तुम्हें एक्टिवा चलानी आती है?
"सा'ब गाड़ी का भी लाइसेंस है, चिंता  छोड़कर बैठ जाओ"
पास ही एक अस्पताल में हम पहुँचे। ध्रुव दौड़कर अंदर गया और व्हील चेयर लेकर बाहर आया। 
"सा'ब अब चलना नहीं, इस कुर्सी पर बैठ जाओ"।
ध्रुव के मोबाइल पर लगातार घंटियां बजती रहीं, मैं समझ गया था। फ्लैट में से सबके फोन आते होंगे कि अब तक क्यों नहीं आया? ध्रुव ने आखिर थक कर किसी को कह दिया कि *आज नहीं आ सकता।*
ध्रुव डाॅक्टर के जैसे ही व्यवहार कर रहा था, उसे बगैर बताये ही मालूम हो गया था कि सा'ब को हार्ट की तकलीफ है। लिफ्ट में से व्हील चेयर ICU की तरफ लेकर गया।
डाॅक्टरों की टीम तो तैयार ही थी, मेरी तकलीफ सुनकर। सब टेस्ट शीघ्र ही किये।
डाॅक्टर ने कहा- "आप समय पर पहुँच गये हो, इसमें भी आपने व्हील चेयर का उपयोग किया, वह आपके लिए बहुत फायदेमन्द रहा।"
अब किसी की राह देखना आपके लिए बहुत ही हानिकारक है। इसलिए बिना देर किए हमें हार्ट का ऑपरेशन करके आपके ब्लोकेज जल्द ही दूर करने होंगे। इस फार्म पर आप के स्वजन के हस्ताक्षर की ज़रूरत है। डाॅक्टर ने ध्रुव की ओर देखा।
मैंने कहा- "बेटे, दस्तखत करने आते हैं?"
उसने कहा- 
"सा'ब इतनी बड़ी जिम्मेदारी मुझ पर न डालो।"
"बेटे तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। तुम्हारे साथ भले ही लहू का सम्बन्ध नहीं है, फिर भी बगैर कहे तुमने अपनी जिम्मेदारी पूरी की। वह जिम्मेदारी हकीकत में मेरे परिवार की थी। एक और जिम्मेदारी पूरी कर दो बेटा। मैं नीचे सही करके लिख दूँगा कि मुझे कुछ भी होगा तो जिम्मेदारी मेरी है। ध्रुव ने सिर्फ मेरे कहने पर ही हस्ताक्षर  किये हैं", बस अब... ..
*"और हाँ घर फोन लगा कर खबर कर दो"।*
बस, उसी समय मेरे सामने मेरी पत्नी का फोन ध्रुव के मोबाइल पर आया। वह शांति से फोन सुनने लगा।
थोड़ी देर के बाद ध्रुव बोला- "मैडम, आपको पगार काटने का हो तो काटना, निकालने का हो तो निकाल देना मगर अभी अस्पताल में ऑपरेशन शुरु होने के पहले पहुँच जाओ। हाँ मैडम, मैं सा'ब को अस्पताल लेकर आया हूँ, डाक्टर ने ऑपरेशन की तैयारी कर ली है और राह देखने की कोई जरूरत नहीं है"।
मैंने कहा- "बेटा घर से फोन था?"
"हाँ सा'ब।"
मैंने मन में पत्नी के बारे में सोचा, तुम किसकी पगार काटने की बात कर रही हो और किसको निकालने की बात कर रही हो? आँखों में आँसू के साथ ध्रुव के कन्धे पर हाथ रखकर मैं बोला- "बेटा चिंता नहीं करते।"
"मैं एक संस्था में सेवायें देता हूँ, वे बुज़ुर्ग लोगों को सहारा देते हैं, वहां तुम जैसे ही व्यक्तियों की ज़रूरत है।"
"तुम्हारा काम बरतन कपड़े धोने का नहीं है, तुम्हारा काम तो समाज सेवा का है, बेटा पगार मिलेगा। 
*इसलिए चिंता बिल्कुल भी मत करना।"*
ऑपरेशन के बाद मैं होश में आया, मेरे सामने मेरा पूरा परिवार नतमस्तक खड़ा था। मैं आँखों में आँसू लिये बोला- "ध्रुव कहाँ है?"
पत्नी बोली- "वो अभी ही छुट्टी लेकर गाँव चला गया। कह रहा था कि उसके पिताजी हार्ट अटैक से गुज़र गये है, 
15 दिन के बाद फिर आयेगा।"
अब मुझे समझ में आया कि उसको मेरे अन्दर उसका बाप दिख रहा होगा।
हे प्रभु, मुझे बचाकर आपने उसके बाप को उठा लिया?
पूरा परिवार हाथ जोड़कर, मूक, नतमस्तक माफी माँग रहा था।
एक मोबाइल की लत (व्यसन) एक व्यक्ति को अपने दिल से कितना दूर लेकर जाती है, वह परिवार देख रहा था। यही नहीं मोबाइल आज घर-घर कलह का कारण भी बन गया है। बहू छोटी-छोटी बातें तत्काल अपने माँ-बाप को बताती है और माँ की सलाह पर ससुराल पक्ष के लोगों से व्यवहार करती है, जिसके परिणाम स्वरूप  वह बीस-बीस साल में भी ससुराल पक्ष के लोगों से अपनत्व नहीं जोड़ पाती।
डाॅक्टर ने आकर कहा- "सबसे पहले यह बताइये ध्रुव भाई आप के क्या लगते हैं?"
मैंने कहा- "डाॅक्टर साहब,  कुछ सम्बन्धों के नाम या गहराई तक न जायें तो ही बेहतर होगा, उससे सम्बन्ध की गरिमा बनी रहेगी, बस मैं इतना ही कहूँगा कि वो आपात स्थिति में मेरे लिए फरिश्ता बन कर आया था।"
पिन्टू बोला- "हमको माफ़ कर दो पापा, जो फर्ज़ हमारा था, वह ध्रुव ने पूरा किया, यह हमारे लिए शर्मनाक है। अब से ऐसी भूल भविष्य में कभी भी नहीं होगी पापा।"
"बेटा, *जवाबदारी और नसीहत (सलाह) लोगों को देने के लिये ही होती है।*
जब लेने की घड़ी आये, तब लोग  बग़लें झाँकते हैं या ऊपर नीचे हो जाते हैं।
                   अब रही मोबाइल की बात...
बेटे, एक निर्जीव खिलौने ने जीवित खिलौने को गुलाम बनाकर रख दिया है। अब समय आ गया है कि उसका मर्यादित उपयोग करना है।
नहीं तो....
*परिवार समाज और राष्ट्र* को उसके गम्भीर परिणाम भुगतने पडेंगे और उसकी कीमत चुकाने के लिये तैयार रहना पड़ेगा।"
अतः बेटे और बेटियों को बड़ा *अधिकारी या व्यापारी* बनाने की जगह एक *अच्छा इन्सान* बनायें।
          🙏🙏🙏🙏
पता नहीं, किन महानुभाव ने लिखी है, लेकिन मेरे दिल को इतना छू गयी कि शेयर करने से मैं अपने आप को रोक नहीं पाया।🙏

गुरुवार, 20 मई 2021

लाशों के व्यापारी - 16 जून 2013 को उत्तराखंड केदारनाथ में जलप्रलय शुरू हुआ जो भीषण तबाही मचा गया था

*लाशों के व्यापारी* 16 जून 2013 को उत्तराखंड केदारनाथ में जलप्रलय शुरू हुआ जो भीषण तबाही मचा गया था

आज कल बहस चल रही है किस सरकार ने आपदा समय में क्या किया तो मुझे 2013 की बाबा केदारनाथ धाम मे भीषण बादल फटने की घटना याद आ गई। आइये जानें इस आपदा में काँग्रेस ने कैसे की लोगों की मदद।

16 जून 2013 को उत्तराखंड केदारनाथ में जलप्रलय शुरू हुआ जो भीषण तबाही मचा गया था। *केदारनाथ में लगभग पच्चीस हजार श्रद्धालु मर गये थे।* तीन दिन चली इस भीषण तबाही में कांग्रेस की सरकार ने केदारनाथ में फंसे श्रद्धालु भक्तों की कोई मदद नही की। चौथे दिन जब इस भयंकर तबाही की खबर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बन गई तब निर्लज्जता से कांग्रेस ने सहायता भेजने का एलान किया। ध्यान रहे सिर्फ एलान किया था।

18 जून को सोनिया गांधी अमेरिका अपना किसी गुप्त बिमारी का इलाज कराने गई हुई थीं और राहुल गांधी बैंकॉक में थे। मनमोहन सिंह कोई निर्णय नही ले सकते थे। सो उन्हें सूचना भेजी गई, तब दोनों मां बेटे 21 जून को भारत पहुंचे। कांग्रेस ने बहुत तामझाम करके आपदा में फंसे लोगों की सहायता के लिये बिस्किट के पैकेट और पानी की बोतलों के आठ ट्रक रवाना किये। जिन पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बड़े बड़े पोस्टर लगाकर मां बेटे ने उन्हें झंडी दिखाकर रवाना किया। फोटो भी खिंचवाए गये जो अखबारों की सुर्खियां बने थे।

उन ट्रकों को न किराया दिया गया न डीजल दिया गया था। आठ दिन भटककर उन ड्राइवरों ने वो बिस्किट बेचकर अपना किराया वसूल किया, और निकल लिये। आज तक किसी को भी पता नही उस राहत सामग्री का क्या हुआ ? फिर जब वहां लाशें सड़ने लगीं तो महामारी का खतरा बढ़ता देख आसपास के गांवों के लोगों ने आन्दोलन किया। वह भी पन्द्रह दिन बाद किया जब लाशों से बदबू आने लगी थी। कई ग्रामीणों ने सामूहिक दाहसंस्कार भी किये, लेकिन शव ही शव फैले देखकर लोग डर गये थे। *तब देश के जिन प्रदेशों में भाजपा की सरकारें थी उन सबने अपने राज्य के सरकारी हेलिकॉप्टर उत्तराखंड की काँग्रेस सरकार को बचाव कार्य हेतु ऑफर किए थे। तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 24 हेलिकॉप्टर देने की पेशकश की थी, मगर उत्तराखंड की काँग्रेस सरकार ने दिये गये सभी ऑफर ठूकरा दिए थे।* 

*अब देखें हिन्दुओ की लाशों पर कैसे व्यापार हुआ ?*

तब कांग्रेस ने उन लाशों को निकालने के लिये एक विज्ञप्ति निकाली। *ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड नामक एक एअरक्राफ्ट चारटरिंग कम्पनी आगे आई। इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन नंबर था -U52100DL2007PTC170055 इस कंपनी के केवल दो डायरेक्टर हैं राॅबर्ट वाड्रा और उनकी मां मौरीन वाड्रा। वर्ष 2008 तक प्रियंका वाड्रा भी इस कंपनी मे डायरेक्टर थीं। इस कंपनी ने एक लाश निकालने के 4,60,000 रुपये में टेंडर लिया था। और लगभग 16, 000 लाशें तीन दिन में निकाली थीं। सरकार ने उस कम्पनी को 'सात अरब छतीस करोड़ रूपयों का भुगतान तुरन्त कर दिया था।* हालांकि लाशें मिलने का सिलसिला महीनों चलता रहा फिर कई दिन तक कंकाल मिलते रहे।

*हाँ लाशें निकालने वाली कम्पनी रॉबर्ट वाड्रा की थी।* कांग्रेस की सरकारी सहायता के नाम पर किया गया नाटक भी याद रखियेगा। *मां बेटे के भेजे बिस्किट आज भी नही पहुंचे हैं। विश्व के इतिहास में लाशों का इतना बड़ा व्यापार सुनने को मिले तो बताइएगा।*

*और 7,36,00 ,00,000 (सात अरब छत्तीस करोड़ ) का घोटाला तो शायद आप भूल जाएंगे। क्योंकि हम भारत की जनता भूलने में माहिर हैं।*

अब आते हैैं 2021 में :

सिर्फ 4 घण्टे के अंदर सेना, ITBP, SDRF, NDRF उत्तराखण्ड पहुंची,
और 4 अस्थायी पुल बना कर राहत कार्य शुरू कर दिया। इसे कहते हैं सुशासन। नकारात्मक लिखना बोलना सरल है पर किया जाना मुश्किल है।
हो सकता है किसी स्तर पर गलती हुई हो पर गलती होने पर ही सीख मिलती है।

जय मां भारती

-साभार 🇮🇳🙏🕉️🙏🚩 अमर सिंह

देश के सबसे बड़े बैंक SBI के बदल गए कामकाज के तरीके और समय और जानिए कैसे बदले मोबाइल नं

 📌 देश के सबसे बड़े बैंक SBI के बदल गए कामकाज के तरीके और समय और जानिए कैसे बदले मोबाइल नं

कोरोना वायरस संक्रमण से ग्राहकों और कर्मचारियों को बचाने के लिए देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई (SBI-State Bnak of India) लगातार कदम उठा रहा है. इसी कड़ी में बैंक ने अब ब्रांच खुलने और बंद होने के समय में भी बदलाव किया है. साथ ही, बैंक अब चुनिंदा काम ही करेगा.


ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बैंक ग्राहक बहुत जरूरी काम के लिए ही ब्रांच जाएं. साथ, ही वे 31 मई तक सुबह 10 बजे से 1 बजे के बीच ही ब्रांच में पहुंचे क्योंकि बैंक शाखा 2 बजे तक बंद हो जाएंगे.


अब क्या है नई टाइमिंग


SBI की ब्रांच अब सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक ही खुलेंगी.


साथी ही, नए नोटिफिकेशन में साफ तौर से कहा गया है बैंक के प्रशासनिक कार्यालय 50 फीसदी स्टाफ सदस्यों के साथ पहले की तरह पूरे बैंकिंग कार्य अवधि में कार्यरत रहेंगे.


बिना मास्क वालों को नहीं मिलेगी एंट्री

बैंक शाखा में जाने वाले ग्राहक मास्क लगाकर जरूर आएं वरना उन्हें एंट्री करने नहीं दी जाएगी.


बैंकों में अब होंगे सिर्फ ये 4 काम

SBI की ओर से जारी Twitter पर दी गई जानकारी के मुताबिक, बैंक में अब सिर्फ 4 काम है.


(1) कैश जमा करना और निकालना

(2) चेक से जुड़े काम

(3) डीडी यानी डिमांड ड्राफ्ट/RTGS/NEFT से जुड़े काम

(4) गवर्मेंट चालान


ग्राहक उठा सकते है SBI फोन बैंकिंग सर्विस का फायदा

SBI फोन बैंकिंग के लिए के पहले रजिस्ट्रेशन कराना होता है. इसके बाद पासवर्ड बनाना होता है, ग्राहक संपर्क केंद्र के माध्यम से फोन पर नीचे दी गई सर्विस का फायदा उठा सकते है.


बैंक खाते से जुड़ी जानकारी

खाता संबंधी सूचना पा सकते है. इसके अलावा बैलेंस और लेनदेन का पूरा ब्यौरा मिलेगा. डाक या ईमेल के माध्यम से अधिकतम 6 महीने की बैंक स्टेटमेंट मंगाई जा सकती है.


चैक बुक से जुड़े काम

चैक बुक मंगाने, चेक रुकवाने का काम भी आसानी से अब घर बैठे किया जा सकता है.


घर बैठे ऐसे अपडेट करें SBI खाते का फोन नंबर

- एसबीआई की वेबसाइट (www.onlinesbi.com) पर जाएं और लॉगिन करें।

- अब टॉप-लेफ्ट कॉर्नर में मौजूद My Accounts and Profile ऑप्शन में जाएं।

- यहां आपको Profile का विकल्प दिया गया है।

- इसके बाद Personal details/Mobile के ऑप्शन पर क्लिक करें।

- अब आपको Personal password डालकर Submit पर क्लिक करना होगा।

- अब Change Mobile Number-Domestic only (Through OTP/ATM/Contact Centre) पर क्लिक करें।

- अब एक नई स्क्रीन (Personal Details-Mobile Number Update) ओपन होगी।

- अब अपना नया मोबाइल नंबर दर्ज करें। और Submit पर क्लिक करें।

- अब एक पॉप-अप मैसेज खुलेगा, जिसमें मोबाइल नंबर वेरिफाई करने के लिए कहा जाएगा। OK पर क्लिक करें।

- अब आपको तीन ऑप्शन- OTP, IRATA और Contact Centre दिए जाएंगे।

- सबसे पहले विकल्प By OTP on both the Mobile Number को चुनें और Proceed पर क्लिक करें।

- पहले अकाउंट और फिर ATM card सिलेक्ट करके Proceed पर क्लिक करें।

- अगली स्क्रीन पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का पेमेंट गेटवे दिखेगा।

- कार्ड की डीटेल्स डालें और Submit बटन पर क्लिक करें।

- डीलेट्स वेरिफाई करें और Pay बटन पर क्लिक करें।

- जानकारी सही होने पर आपको नए और पुराने नंबर पर OTP आएगा।

- अब आपको दोनों ही फोन नंबर से एक मैसेज भेजना है।

- मैसेज में आपको ACTIVATE <8 डिजिट का OTP> <13 डिजिट का रेफ्रेंस नंबर> लिखकर 567676 पर भेजना होगा।

- जानकारी वेरिफाई होने के बाद आपको सफलता पूर्वक नंबर बदलने का मैसेज मिल जाएगा।


 वन्दे मातरम

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