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शनिवार, 29 मई 2021

दही से बना घी सर्वोत्तम होता या फिर मलाई से बना घी?

दही से बना घी सर्वोत्तम होता या फिर मलाई से बना घी? 



यदि आप देसी घी के बारे मे जानने के इच्छुक हैं।तो आप की जानकारी के लिए बताना आवश्यक है कि देसी घी की दो प्रकार की किस्म होती है एक घी को कच्चा घी कहा जाता है ज्यादातर बहुदेशी कम्पनियाँ अपने प्लांटस मे कच्चे घी का ही उत्पादन करती हैं इस प्रक्रिया मे दूध से सप्रेटा और सप्रेटे से सीधे घी उत्पादित होता है। बाजार मे 95% कच्चा ही उपलब्ध होता हुआ है

पक्के घी की प्रक्रिया 
घी वही होता था जो पुरानी पद्धति से बनता था। उसका रंग, स्वाद, सुगंध और गुण अलग होते थे। दूध को गर्म करके साधारण तापमान पर वापस आने के बाद उसमें जामन डाल कर जमाया जाता था। जमे हुए दही को बिलोकर उस से घी निकाला जाता था।

रही बात बाजार मे बिकने वाले घी कि तो मिल्क फूड,मदर डेयरी, अमूल, मधूसूदन इत्यादि ब्रांड ये सब कच्चे घी हैं। हाँ एक दो ब्रांड के पक्के घी भी बाजार मे उपलब्ध हैं।


आजकल कच्चे दूध से घी निकाला जाता है। फिर दूध से मावा या दूध पाउडर बनाया जाता है। करोड़ों लिटर दूध इन उत्पादों में खप जाता है। इतना दही उपयोग में नहीं आ सकता इसलिये दही से घी निकालने की परंपरा लुप्त हो गयी है। दही वाला घी खाना हो तो घर में बनायें। कंपनियों से मिलने वाला घी दही वाला नहीं होता।

अमूल, पतंजलि… जैसी सभी कपंनियां का घी बनाने का तरीका अलग होता है और घर पर बनाये देशी घी को बनाने का तरीका अलग होता है। घी का स्वाद, खुशबू, गुण आदि घी को बनाने के तरीके पर निर्भर करते हैं।

पैकेट में मिलने वाला घी, कपंनियां सीधे दूध से फैट निकालकर कर बनाती हैं। घी बनाने के लिये दूध से उसकी सारी चिकनाई निकाल ली जाती है, इस चिकनाई(फैट) को गर्म करके घी बना लिया जाता है। और पीछे दूध भी वैसा का वैसा रह जाता है और इस दूध को पैकेटों में पैक करके बेच दिया जाता है। जबकि घर पर घी बनाने के लिये पहले दूध को अच्छी तरह गर्म किया जाता है और फिर इस दूध में जामन लगाकर दही बनाया जाता है। और इस दही को अच्छी तरह बिलौकर मक्खन निकाला जाता है और अतं में मक्खन को गर्म करके घी बनता है। इसलिये घर बनाया हुआ देशी घी सुंगधित, स्वादिष्ट और गुणों से भरपुर होता है।

घर पर बनाया हुआ देशी घी बहुत ही अच्छा होता है । यह एक दम साफ और शुध्द होता है । घर पर देशी घी बनाने के लिए सबसे पहले दुध की मलाई को इकट्ठा करे। ये ध्यान रखे की इस्टील के बर्तन मे मलाई इकट्ठी ना करे उस मे मलाई का स्वाद बदल जाता है । जब 10–12 दिन की मलाई इकट्ठी हो जाए तो मलाई को निकाल ले और अलग बर्तन मे उस को गुनगुना गर्म कर ले, फिर उस मे 2–3 चम्मच दही डाले और उस को जमा दे। (बिल्कुल वैसा ही मलाई जमानी है जैसे दही जमाते है )

हमारे यहां दूध अच्छी क्वालिटी का मिल जाता है ।हमारे यहां 2 लीटर दूध प्रतिदिन आता है सो सप्ताह में 1.5 लीटर मलाई एकत्रित हो जाती है जिसे हम फ्रिज में ही रखते हैं।फिर बाहर निकाल कर उसमें 2 टी स्पून दही अच्छी तरह से मिक्स कर रात भर ढक कर रूम टेंप्रेचर पर रखते हैं।

अगले दिन सुबह इसे ब्लेंडर से मथते हैं।

जब मख्खन छुटने लगता है तब एक लीटर पानी डालते हैं।

अब मख्खन और छाछ अलग हो जाते हैं। इन्हे अलग अलग बर्तनों में निकाल लेते हैं।यह छाछ बहुत स्वादिष्ट व स्वास्थ्यवर्द्धक होती है। एक गिलास छाछ में चिमटी नमक डालकर ऊपर से भुना हुआ जीरा कूटकर डालें और गटागट पी जाएं पूरा डाइजेस्टिव सिस्टम सर्विसिंग हो जाएगा। आप चाहे तो कढ़ी बना सकते हैं । किसी को दे भी सकते हैं।हमारी सहायिका दीदी ले जाती है।

ताजा मक्खन थोड़ा सा अपने लड्डू गोपाल के लिए । इसे ब्रेड पराठें आदि पर लगाकर खाते हैं।बहुत स्वादिष्ट लगता है।

बाकी गर्म करते हैं।

40 या 50 मिनट तक पैर दुखने वाला बोरिंग काम बहुत जानलेवा होता है। गैस के पास ही खड़ा रहना पड़ता है ।क्योकि बीच बीच में चलाना पड़ता है।

हो गया घी तैयार।अब इसे छान लेते है ।

ये बेरी है इसमें पिसी हुई शक्कर मिक्स कर खा सकते हैं यह थोड़ी खट्टी मीठी लगती है। बच्चों को बहुत पसंद आती है।

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भादवे का घी - मरे हुए को जिंदा करने के अतिरिक्त, यह सब कुछ कर सकता है

कुछ ज़रूरी बातें जिनसे आप पौष्टिक और स्वादिष्ट दही बना सकते हैं:

दही ज़माने का सरल तरीक़ा:

मैंने अपनी माँ को इसी तरीक़े से दही जमाते बचपन से देखा है। एक पतीले में दूध (जितनी दही जमानी हो उस मात्रा में अंदाज़े से दूध लें) लें और उसे उबाल आने तक गरम करें। जब दूध उबलता है तो उसकी सतह पर थोड़ा सूखी सी दिखने वाली परत जम जाती है। जब ऐसा हो तो समझें कि दूध जमाने के लिए तैयार है। चूल्हा बंद कर दें और दूध को ठंडा होने दें। चाहें तो दूध को दही जमाने वाले बर्तन में डाल लें जिससे दूध जल्दी ठंडा हो सके। जब दूध हल्का गुनगुना हो, तब एक चम्मच पहले से बनी दही गुनगुने दूध में डालें। इसे हम जामन कहते हैं।

  • अब दूध को अच्छी तरह से उछालें ताकि दही उसमें अच्छी तरह से मिल जाए और उसमें बढ़िया सा झाग आ जाए। इससे दही बहुत बढ़िया जमती है। यह ठीक वैसे ही उछालें जैसे जब आप गरम दूध को ठंडा करने के लिए दो गिलास के बीच दूध को उछालते हैं।
  • ध्यान रखें कि दही को एक अलग बर्तन में जमाएँ; दूध जिसमें उबला है, उसमें नहीं।

अब दही वाले बर्तन को एक ऐसी जगह पर रखें, जहाँ कोई उसे हाथ ना लगाए। मैं अक्सर उसे माइक्रोवेव के अंदर रख देती हूँ। गरमियों में बाहर भी रख सकते हैं, क्यूँकि उसे और गरमाहट की ज़रूरत नहीं होती। गरमियों में दही अक्सर 4–5 घंटों में जम जाती है। सर्दियों में 6–7 घंटे लग सकते हैं। सर्दियों में आप दही के बर्तन को एक कपड़े में लपेट कर रख सकती हैं।

कुछ ज़रूरी बातें जिनसे आप पौष्टिक और स्वादिष्ट दही बना सकते हैं:

  • जामन वाला दही खट्टा ना हो। इससे नयी दही भी खट्टी ही होगी।
  • किसी उपलक्ष्य पर इस्तेमाल करने के लिए बढ़िया दही बनाने के लिए आप होल मिल्क का इस्तेमाल करें, टोंड मिल्क का नहीं। अन्यथा रोज़ के सेवन के लिए टोंड मिल्क इस्तेमाल कर सकती हैं, क्यूँकि होल मिल्क से बनी दही उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकती है जो वज़न कम करना चाहते हैं या संतुलित रकहन चाहते हैं। बाद यह बहुत मलाईदार और गाढ़ा नहीं होगा।
  • जिस पतीले में दूध उबाला गया, उसमें दही ना जमाएँ।
  • याद रखें, दूध बहुत ज़्यादा गरम ना हो वरना दही खट्टा जम सकता है।
  • दूध बहुत ज़्यादा ठंडा भी ना हो, इससे दही जमने में दिक़्क़त आ सकती है और वह पानी-पानी हो जाएगी।
  • सेहत की आगे बात करें, तो आप दही को एक मिट्टी के बर्तन में जमा सकते हैं। यह बहुत फ़ायदेमंद होती है और अत्यधिक स्वादिष्ट भी। बस दही ज़माने से पहले बर्तन को अच्छी प्रकार से धो लें।
  • दही के सेवन आप पौष्टिक तरीक़ों से कर सकते हैं, जैसे कि, मट्ठा बना कर पीना, दही में अलसी के बीज, धनिया और पुदीना डाल कर खाना इत्यादि। शक्कर मिलाकर खाने से दूर रहें। घर का बना पनीर बना कर खाएँ और पकाएँ। दही का पौष्टिक रायता बना सकते हैं।

बस दही जम जाए तो उसे तुरंत फ़्रिज में रखें और दही से बने विविध प्रकार के व्यंजन का स्वाद लें वरना ज़्यादा देर तक बाहर रखी दही खट्टी हो जाएगी और सेहत के लिए अच्छी नहीं होगी।

दही खाने के फायदे

1. दही के सेवन से हार्ट में होने वाले कोरोनरी आर्टरी रोग से बचाव किया जा सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि दही के नियमित सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रोल को कम किया जा सकता है।

2. चेहरे पर दही लगाने से त्वचा मुलायम होने के साथ उसमें निखार भी आता है। अगर दही से चेहरे की मसाज की जाए तो यह ब्लीच के जैसा काम करता है। इसका प्रयोग बालों में कंडीशनर के तौर पर भी किया जाता है।

3. गर्मियों में त्वचा पर सनबर्न हो जाने पर दही मलने से राहत मिलती है।

4. दही दूध के मुकाबले सौ गुना बेहतर है, क्योंकि इसमें कैल्शियम के चलते हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं। यह ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी से लड़ने में भी मददगार है।

5. हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को रोजाना दही का सेवन करना चाहिए।


6. दही में अजवायन डालकर खाने से कब्ज दूर होता है।
7. दही में बेसन मिलाकर लगाने से त्वचा में निखार आता है। मुंहासे दूर होते हैं।

8. दही को आटे के चोकर में मिलाकर लगाने से त्वचा को पोषण मिलता है और त्वचा कातिमय बनती है। - सिर में रूसी होने पर भी दही फायदेमंद होता है। ये रूसी को हटाकर बालों को मुलायम बनाता है।


लिवर,किडनी, हार्ट, दिमाग की सफाई के लिए


 🏵️लिवर की सफाई के लिए🏵️

20 ग्राम काली किशमिस और 1 ग्लास पानी लेकर मिक्सर मे ज्युस बनाकर सुबह खाली पेट 15 दिनों तक सेवन करने से लिवर की सफाई होती है |

किडनी की सफाई के लिए

हरा धनिया 40 ग्राम +1 ग्लास पानी मिक्स करके मिक्सर मे पिस करके सुबह खाली पेट लिजिए यह 10 दिनों तक करने से किडनी की सफ़ाई होती है। और हमारी किडनी स्वस्थ रहती है।


हार्ट की सफाई के लिए

60 ग्राम अलसी को मिक्सर मे पीस लिजिए फिर सुबह शाम खालीपेट 10-10 ग्राम की मात्रा मे सेवन से हमारा हार्ट (हृदय) स्वस्थ रहता है यह उपाय 1 महिने तक करनां है।


दिमाग की सफाई के लिए

बादाम 8 और अखरोट 2 नग लेकर रात को 1 ग्लास पानी मे भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें। यह पूरे 2 महिनों तक करने से दिमाग को पूरी तरह से जहरमुक्त किया जा सकता है।


फेंफडो की सफाई के लिए

2 चम्मच शहद + 1 चम्मच नींबू का रस + 1 चम्मच अदरक का रस सभी चीजो को मिक्स करके सुबह खाली पेट सेवन करने से बिड़ी, सिगरेट, गुटखा या तंबाकु से जो नुकसान हमारे फेंफडो को हुआ है उन्हे सुधार होगा और हमारे फेंफडे पुरी तरह से स्वस्थ हो जाते है। यह प्रयोग करीब 20 दिनों तक करनां है।


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रसोई गैस सिलेंडर से दुर्घटना होने पर मिलाए है 50 लाख तक जानिए क्या है इस दावे की प्रक्रिया


📌 *_रसोई गैस सिलेंडर से दुर्घटना होने पर मिलाए है 50 लाख तक जानिए क्या है इस दावे की प्रक्रिया_*


आज के समय में गैस सिलेंडर (Gas Cylinder) सभी के घर में होता है. इसका उपयोग बहुत ही सावधानी से किया जाता है क्योंकि एक छोटी सी गलती बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है. ऐसे में जरूरी है कि हमें पता हो कि एलपीजी इस्तेमाल करते हुए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर क्या किया जाना चाहिए. साथ ही पता होना चाहिए कि यदि LPG गैस सिलिंडर फट जाता है या गैस लीक होने की वजह से हादसा हो जाता है तो आपके, एक ग्राहक होने के नाते, क्या अधिकार हैं.

50 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस

LPG यानी रसोई गैस कनेक्शन लेने पर पेट्रोलियम कंपनियां ग्राहक को पर्सनल एक्सीडेंट कवर उपलब्ध कराती हैं.

50 लाख रुपये तक का यह इंश्योरेंस एलपीजी सिलेंडर से गैस लीकेज या ब्लास्ट के चलते दुर्भाग्यवश हादसा होने की स्थिति में आर्थिक मदद के तौर पर है. इस बीमा के लिए पेट्रोलियम कंपनियों की बीमा कंपनियों के साथ साझेदारी रहती है.

डीलर डिलिवरी से पहले चेक करे कि सिलिंडर बिल्कुल ठीक है या नहीं. ग्राहक के घर पर एलपीजी सिलिंडर की वजह से हादसे में हुए जान-माल के नुकसान के लिए पर्सनल एक्सीडेंट कवर देय है. हादसे में ग्राहक की प्रॉपर्टी/घर को नुकसान पहुंचता है तो प्रति एक्सीडेंट 2 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस क्लेम मिलता है.

जानिए गैस सिलेंडर पर कैसे मिलेगा 50 लाख का क्लेम

दुर्घटना के बाद क्लेम लेने का तरीका सरकारी वेबसाइट मायएलपीजी.इन (http://mylpg.in) पर दिया गया है। वेबसाइट के मुताबिक एलपीजी कनेक्शन लेने पर ग्राहक को उसे मिले सिलेंडर से यदि उसके घर में कोई दुर्घटना होती है तो वह व्यक्ति 50 लाख रुपये तक के बीमा का हकदार हो जाता है।

1. एक दुर्घटना पर अधिकतम 50 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है. दुर्घटना से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को अधिकतम 10 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दी जा सकती है.

2. LPG सिलेंडर के बीमा कवर पाने के लिए ग्राहक को दुर्घटना होने की तुरंत सूचना नजदीकी पुलिस स्टेशन और अपने एलपीजी वितरक को देनी होती है.

3. PSU ऑयल विपणन कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल, एचपीसी तथा बीपीसी के वितरकों को व्यक्तियों और संपत्तियों के लिए तीसरी पार्टी बीमा कवर सहित दुर्घटनाओं के लिए बीमा पॉलिसी लेनी होती है.

4. ये किसी व्यक्तिगत ग्राहक के नाम से नहीं होतीं बल्कि हर ग्राहक इस पॉलिसी में कवर होता है. इसके लिए उसे कोई प्रीमियम भी नहीं देना होता.

5. FIR की कॉपी, घायलों के इलाज के पर्चे व मेडिकल बिल तथा मौत होने पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाणपत्र संभाल कर रखें.

गैस सिलेंडर से हादसा होने की स्थिति में सबसे पहले पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी होती है. इसके बाद संबंधित एरिया ऑफिस जांच करता है कि हादसे का कारण क्या है. अगर हादसा एलपीजी एक्सीडेंट है तो एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एजेंसी/एरिया ऑफिस बीमा कंपनी के स्थानीय ऑफिस को इस बारे में सूचित करेगा. इसके बाद संबंधित बीमा कंपनी को क्लेम फाइल होता है. ग्राहक को बीमा कंपनी में सीधे क्लेम के लिए आवदेन करने या उससे संपर्क करने की जरूरत नहीं होती.

🇮🇳 वन्दे मातरम

कर्ण मुख नासिका सूक्ष्म क्रिया योग : मुंह, दांत, नाक और श्रवण कान को स्वस्थ व बेहतर कार्यकुशलता के लिए

कर्ण मुख नासिका सूक्ष्म क्रिया योग : मुंह, दांत, नाक और श्रवण कान को स्वस्थ व बेहतर कार्यकुशलता के लिए

वर्तमान दौड़ती जिंदगी में स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो केमिकलयुक्त भोजन व फ़ास्ट फ़ूड, दूषित वातावरण और मोबाइल का अंधाधुन प्रयोग जीवन शैली में अनियमितता और समस्या पैदा कर रहा है।

इसी भागदौड़ के बीच हम कुछ समय कुछ सूक्ष्य क्रियाए जर अपना स्वास्थ्य ठीक कर सकते है कर्ण मुख नासिका सूक्ष्म क्रिया योग उसी दिशा में एक कदम है
जिसमे शामिल है। ये सभी क्रियाए सुखासन में बैठकर की जानी चाहिए।

1 नासिका नाक संबंधित क्रियाए
2 मुख व दांत संबंधित क्रियाए
3 कर्ण कान व श्रवण शक्ति संबंधित क्रियाए

*नासिका व जबडों की संवर्धन क्रियाएँ*

*नासिका व जबडों की संवर्धन क्रियाएँ लाभ –*
इन क्रियाओं से नाक तथा गालों पर जमा व्यर्थ चर्बी घट जायेगी।
 नाक के अंदर बढ़ने वाला दुर्मास कम होगा। 
सांस बेरोक टोक चलेगी। 
खाना खाते समय जबड़ों को श्रम नहीं होगा। 
चेहरे का आकर्षण बढ़ेगा |

*नासिका व जबडों की संवर्धन क्रिया विधि*

*प्रथम क्रिया* दोनों होंठ बंद कर लें । ठुड़ी धीरे धीरे दायीं तथा बायीं ओर नाक सहित मोड़ते रहें।

*द्वितीय क्रिया* दोनों होंठ बंद करें। नाक सहित लुड़ी को ऊपर तथा नीचे करतें रहें।

*तृतीय क्रिया* होंठ बंद करें। नाक सहित मुँह तथा टुड़ी को गोलाकार में एक तरफ 5-6 बार, दूसरी तरफ 5-6 बार घुमाते रहें।

*चतुर्थ क्रिया* मुँह में हवा भर लें। जिस तरह खाना चबाते हैं, उसी तरह मुँह में भरी हवा को चबाते रहें। साधक शक्ति के अनुसार यह क्रिया करने के बाद हवा मुँह से बाहर छोड़ दें।

*मुख शुद्धि व संवर्धन क्रिया*

*मुख शुद्धि व संवर्धन क्रिया के लाभ* –
इससे मुँह की बदबू दूर हो जायेगी। 
मुँह के अंदर जो फोड़े होते हैं वे कम होंगे। मुँह साफ होगा।

*मुख शुद्धि व संवर्धन क्रिया विधि*
सिर थोड़ा ऊपर उठावें। जीभ को चमचे की तरह मोड़ कर उसे बाहर निकालें, मुँह में हवा भर लें, बाद में मुँह बंद कर लें, गाल फुलावें, आँखें बंद करें सिर नीचे झुकावें। थोड़ी देर तक वैसे ही रहें। । इसके बाद सिर उठाकर नाक से हवा बाहर निकाल दें। चार-पांच बार यह क्रिया करें।

*मुख दंतशक्ति संवर्धन क्रिया*

*मुख दंतशक्ति संवर्धन क्रिया के लाभ*–
इससे सभी दाँतों को शक्ति मिलेगी। 
दाँतों का हिलना, दाँतों का दर्द, पीब या रक्त का निकलना, पयोरिया जैसी व्याधियाँ दूर होंगी। 
गालों पर चर्बी, झुर्रियाँ तथा फुन्सियाँ कम होगी, जिससे उनकी सुंदरता बढ़ेगी।

*मुख दंतशक्ति संवर्धन क्रिया*
मुँह की शुद्धि क्रिया की ही तरह दांतों की शक्ति बढ़ाने की क्रिया भी की जाती है, लेकिन इस क्रिया में सांस लेते समय दोनों अंगूठों से दोनों नथुने बंद कर लें।

इस क्रिया में गाल अधिक से अधिक फुला कर दाँतों के बीच हवा का प्रसार ज्यादा करें। चार-पाँच बार दोहराएं|

*कर्ण व श्रवणशक्ति संवर्धन क्रिया*

*कर्ण संवर्धन क्रिया के लाभ –*
श्रवण शक्ति बढ़ेगी। 
कानों को सुनायी पड़ने वाली अपरिचित ध्वनि कम होगी | 
कानों से बहता रक्त या पस भी कम होगा |

*कर्ण व श्रवणशक्ति संवर्धन क्रिया विधि*
श्रवणशक्ति बढ़ाने के लिए  हाथों के दोनों अंगूठों के सिरों से दोनों कान बंद करें। दोनों तर्जनियो से दोनों ऑखें बंद करें | दोनों मध्यम उंगलियों से दोनों नासिका रंध्र बंद करें। जीभ को चमचे की तरह मोड़ कर बाहर निकालें। उसके द्वारा हवा मुँह में भरें। शक्तिअनुसार हवा मुँह में रोक कर रखें। सिर झुका लें। थोड़ी देर बाद सिर ऊपर उठावें | नाक पर से ऊँगलियाँ हटा कर नाक के द्वारा हवा बाहर छोड़ दें। इस प्रकार चार पाँच बार करें | अंगूठों को कानों में इस तरह रखे रहें कि बाहर की कोई भी ध्वनि सुनायी न पड़े।

इस क्रिया के बाद उँगलियों से कानों की मालिश करते हुए कनपट्टी को नीचे की तरफ धीरे से खींचते रहें। कानों की किनारीयों को रगडें ।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

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