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रविवार, 30 मई 2021

राघवयादवीयम् : सीधा पढ़ें तो राम कथा, उल्टा पढ़े कृष्ण की गाथा".


*अति दुर्लभ एक ग्रंथ ऐसा भी है हमारे सनातन धर्म मे*

इसे तो सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए ---

*यह है दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ*

क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो राम कथा के रूप में पढ़ी जाती है और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े
तो कृष्ण कथा के रूप में होती है ।

जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है।
इस ग्रन्थ को
‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे
पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और
विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा (उल्टे यानी विलोम)के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक।

राघवयादवीयम एक संस्कृत स्त्रोत्र है। यह कांचीपुरम के १७वीं शती के कवि वेंकटाध्वरि द्वारा रचित एक अद्भुत ग्रन्थ है।

इस ग्रन्थ को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल ३० श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा के भी ३० श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं ६० श्लोक। पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है राघवयादवीयम। उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैः

वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥[1]
अनुलोम अर्थ

मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूँ जिनके ह्रदय में सीताजी रहती हैं तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्रि की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौटे।

विलोम श्लोक
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥
विलोम अर्थ

मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रणाम करता हू जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं तथा जिनकी शोभा समस्त रत्नों की शोभा को हर लेती है।
" राघवयादवीयम" के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं:-
  • राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः । रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥ विलोमम्: सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः । यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥
  • साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा । पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ॥ २॥ विलोमम्: वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः । राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा ॥ २॥
  • कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका । सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ॥ ३॥ विलोमम्: भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा । कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ॥ ३॥
  • रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् । नामहामक्षररसं ताराभास्तु न वेद या ॥ ४॥ विलोमम्: यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः । तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ॥ ४॥
  • यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ । तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ॥ ५॥ विलोमम्: तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं । सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ॥ ५॥
  • मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं । काविरामदलापागोसमावामतरानते ॥ ६॥ विलोमम्: तेन रातमवामास गोपालादमराविका । तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ॥ ६॥
  • रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते । कादिमोदासहातास्वभासारसा-मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥ विलोमम्: मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका । तेन वा पारिजातेन पीता नवायादवे भादखेदासमानामरा ॥ ७॥
  • सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया । साध्वसाविहरेमेक्षेम्यरमासुरसारहा ॥ ८॥ विलोमम्: हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा । यातसीसुमधाम्नाभूक्षिताधामससारसा ॥ ८॥
  • सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया । सात्रमध्यमयातापेपोतायाधिगतारसा ॥ ९॥ विलोमम्: सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा । यात्तमन्युमताभामा भयेतारभसागसा ॥ ९॥
  • तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा । यालतावृद्धसेवाकाकैकेयीमहदाहह ॥ १०॥ विलोमम्: हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया । सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ॥ १०॥
  • वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो । भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ॥ ११॥ विलोमम्: सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः । होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ॥ ११॥
  • यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे । सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ॥ १२॥ विलोमम्: भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा । वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥ १२॥
  • रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह । यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ॥ १३॥ विलोमम्: नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया । हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ॥ १३॥
  • यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् । सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ॥ १४॥ विलोमम्: यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः । गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ॥ १४॥
  • दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा । ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥ १५॥ विलोमम्: नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः । हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥ १५॥
  • सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् । तं द्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा ॥ १६॥ विलोमम्: हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् । जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः ॥ १६॥
  • सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः । न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ॥ १७ विलोमम्: तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन । सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा ॥ १७॥
  • तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत । वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ॥ १८॥ विलोमम्: केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः । ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् ॥ १८॥
  • गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया । सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा ॥ १९॥ विलोमम्: हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस । यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ॥ १९॥
  • हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः । राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ॥ २०॥ विलोमम्: घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः । धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ॥ २०॥
  • ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः । हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि ॥ २१॥ विलोमम्: विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा । ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ॥ २१॥
  • भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा । चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमहिताहृता ॥ २२॥ विलोमम्: ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा । हानकेहकुधीराशानाकेशादकुमारभाः ॥ २२॥
  • हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः । तंरुमामहितोपेतामोदोसारज्ञरामयः ॥ २३॥ विलोमम्: योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् । जोयुवाघनगेयोविमाराभोदयतोरिहा ॥ २३॥
  • भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं । तंहतामरसाभक्षोतिराताकृतवासविम् ॥ २४॥ विलोमम्: विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं । तं हरोपदमोदासमावाभातनुभानुभाः ॥ २४॥
  • हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि । राजिरावणरक्षोरविघातायरमारयम् ॥ २५॥ विलोमम्: यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा । निजभासुरदारोपजालबद्धरुजासहम् ॥ २५॥
  • सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः । तंसमारुतजंगोप्ताभादासाद्यगतोगजम् ॥ २६॥ विलोमम्: जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं । हस्समारसुशोकेनातिभामागतिरागसा ॥ २६॥
  • वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः । तोयधावरिगोयादस्ययतोनवसेतुना ॥ २७॥ विलोमम् नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः । सहितावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ॥ २७॥
  • हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः । चारुभूतनुजोरामोरमाराधयदार्तिहा ॥ २८॥ विलोमम् हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा । सहितोहिमदीभेसुनाकेलंसहसारिहा ॥ २८॥
  • नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका । रावणारिक्षमेरापूराभेजे हि ननामुना ॥ २९॥ विलोमम्: नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा । कापिसारसुसौरागाराकाभासुरकेलिना ॥ २९॥
  • साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः ॥ निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ॥ ३०॥ विलोमम्: भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि ।स गौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ॥ ३०॥
  • ॥ इति श्रीवेङ्कटाध्वरि कृतं श्री ।।
    • कृपया अपना थोड़ा सा कीमती वक्त निकाले और उपरोक्त श्लोको को गौर से अवलोकन करें कि यह दुनिया में कहीं भी ऐसा न पाया जाने वाला ग्रंथ है ।* जय श्री राम 🚩

रचनाकार

इसकी रचना श्री वेंकटद्वारी ने की थी जिनका जन्म कांचीपुरम के निकट अरसनीपलै में हुआ था। वे वेदान्त देशिक के अनुयायी थे। वे काव्यशास्त्र के पण्डित थे। उन्होने १४ ग्रन्थों की रचना की जिनमें से 'लक्ष्मीसहस्रम्' सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। कहते हैं कि इस ग्रन्थ की रचना पूर्ण होते ही उनकी दृष्टि वापस प्राप्त हो गयी थी।

संदर्भ 

 "राघवयादवीयम् : सीधा पढ़ें तो राम कथा, उल्टा पढ़े कृष्ण की गाथा". मूल से 13 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 फ़रवरी 2017.

शनिवार, 29 मई 2021

दही से बना घी सर्वोत्तम होता या फिर मलाई से बना घी?

दही से बना घी सर्वोत्तम होता या फिर मलाई से बना घी? 



यदि आप देसी घी के बारे मे जानने के इच्छुक हैं।तो आप की जानकारी के लिए बताना आवश्यक है कि देसी घी की दो प्रकार की किस्म होती है एक घी को कच्चा घी कहा जाता है ज्यादातर बहुदेशी कम्पनियाँ अपने प्लांटस मे कच्चे घी का ही उत्पादन करती हैं इस प्रक्रिया मे दूध से सप्रेटा और सप्रेटे से सीधे घी उत्पादित होता है। बाजार मे 95% कच्चा ही उपलब्ध होता हुआ है

पक्के घी की प्रक्रिया 
घी वही होता था जो पुरानी पद्धति से बनता था। उसका रंग, स्वाद, सुगंध और गुण अलग होते थे। दूध को गर्म करके साधारण तापमान पर वापस आने के बाद उसमें जामन डाल कर जमाया जाता था। जमे हुए दही को बिलोकर उस से घी निकाला जाता था।

रही बात बाजार मे बिकने वाले घी कि तो मिल्क फूड,मदर डेयरी, अमूल, मधूसूदन इत्यादि ब्रांड ये सब कच्चे घी हैं। हाँ एक दो ब्रांड के पक्के घी भी बाजार मे उपलब्ध हैं।


आजकल कच्चे दूध से घी निकाला जाता है। फिर दूध से मावा या दूध पाउडर बनाया जाता है। करोड़ों लिटर दूध इन उत्पादों में खप जाता है। इतना दही उपयोग में नहीं आ सकता इसलिये दही से घी निकालने की परंपरा लुप्त हो गयी है। दही वाला घी खाना हो तो घर में बनायें। कंपनियों से मिलने वाला घी दही वाला नहीं होता।

अमूल, पतंजलि… जैसी सभी कपंनियां का घी बनाने का तरीका अलग होता है और घर पर बनाये देशी घी को बनाने का तरीका अलग होता है। घी का स्वाद, खुशबू, गुण आदि घी को बनाने के तरीके पर निर्भर करते हैं।

पैकेट में मिलने वाला घी, कपंनियां सीधे दूध से फैट निकालकर कर बनाती हैं। घी बनाने के लिये दूध से उसकी सारी चिकनाई निकाल ली जाती है, इस चिकनाई(फैट) को गर्म करके घी बना लिया जाता है। और पीछे दूध भी वैसा का वैसा रह जाता है और इस दूध को पैकेटों में पैक करके बेच दिया जाता है। जबकि घर पर घी बनाने के लिये पहले दूध को अच्छी तरह गर्म किया जाता है और फिर इस दूध में जामन लगाकर दही बनाया जाता है। और इस दही को अच्छी तरह बिलौकर मक्खन निकाला जाता है और अतं में मक्खन को गर्म करके घी बनता है। इसलिये घर बनाया हुआ देशी घी सुंगधित, स्वादिष्ट और गुणों से भरपुर होता है।

घर पर बनाया हुआ देशी घी बहुत ही अच्छा होता है । यह एक दम साफ और शुध्द होता है । घर पर देशी घी बनाने के लिए सबसे पहले दुध की मलाई को इकट्ठा करे। ये ध्यान रखे की इस्टील के बर्तन मे मलाई इकट्ठी ना करे उस मे मलाई का स्वाद बदल जाता है । जब 10–12 दिन की मलाई इकट्ठी हो जाए तो मलाई को निकाल ले और अलग बर्तन मे उस को गुनगुना गर्म कर ले, फिर उस मे 2–3 चम्मच दही डाले और उस को जमा दे। (बिल्कुल वैसा ही मलाई जमानी है जैसे दही जमाते है )

हमारे यहां दूध अच्छी क्वालिटी का मिल जाता है ।हमारे यहां 2 लीटर दूध प्रतिदिन आता है सो सप्ताह में 1.5 लीटर मलाई एकत्रित हो जाती है जिसे हम फ्रिज में ही रखते हैं।फिर बाहर निकाल कर उसमें 2 टी स्पून दही अच्छी तरह से मिक्स कर रात भर ढक कर रूम टेंप्रेचर पर रखते हैं।

अगले दिन सुबह इसे ब्लेंडर से मथते हैं।

जब मख्खन छुटने लगता है तब एक लीटर पानी डालते हैं।

अब मख्खन और छाछ अलग हो जाते हैं। इन्हे अलग अलग बर्तनों में निकाल लेते हैं।यह छाछ बहुत स्वादिष्ट व स्वास्थ्यवर्द्धक होती है। एक गिलास छाछ में चिमटी नमक डालकर ऊपर से भुना हुआ जीरा कूटकर डालें और गटागट पी जाएं पूरा डाइजेस्टिव सिस्टम सर्विसिंग हो जाएगा। आप चाहे तो कढ़ी बना सकते हैं । किसी को दे भी सकते हैं।हमारी सहायिका दीदी ले जाती है।

ताजा मक्खन थोड़ा सा अपने लड्डू गोपाल के लिए । इसे ब्रेड पराठें आदि पर लगाकर खाते हैं।बहुत स्वादिष्ट लगता है।

बाकी गर्म करते हैं।

40 या 50 मिनट तक पैर दुखने वाला बोरिंग काम बहुत जानलेवा होता है। गैस के पास ही खड़ा रहना पड़ता है ।क्योकि बीच बीच में चलाना पड़ता है।

हो गया घी तैयार।अब इसे छान लेते है ।

ये बेरी है इसमें पिसी हुई शक्कर मिक्स कर खा सकते हैं यह थोड़ी खट्टी मीठी लगती है। बच्चों को बहुत पसंद आती है।

🙏

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भादवे का घी - मरे हुए को जिंदा करने के अतिरिक्त, यह सब कुछ कर सकता है

कुछ ज़रूरी बातें जिनसे आप पौष्टिक और स्वादिष्ट दही बना सकते हैं:

दही ज़माने का सरल तरीक़ा:

मैंने अपनी माँ को इसी तरीक़े से दही जमाते बचपन से देखा है। एक पतीले में दूध (जितनी दही जमानी हो उस मात्रा में अंदाज़े से दूध लें) लें और उसे उबाल आने तक गरम करें। जब दूध उबलता है तो उसकी सतह पर थोड़ा सूखी सी दिखने वाली परत जम जाती है। जब ऐसा हो तो समझें कि दूध जमाने के लिए तैयार है। चूल्हा बंद कर दें और दूध को ठंडा होने दें। चाहें तो दूध को दही जमाने वाले बर्तन में डाल लें जिससे दूध जल्दी ठंडा हो सके। जब दूध हल्का गुनगुना हो, तब एक चम्मच पहले से बनी दही गुनगुने दूध में डालें। इसे हम जामन कहते हैं।

  • अब दूध को अच्छी तरह से उछालें ताकि दही उसमें अच्छी तरह से मिल जाए और उसमें बढ़िया सा झाग आ जाए। इससे दही बहुत बढ़िया जमती है। यह ठीक वैसे ही उछालें जैसे जब आप गरम दूध को ठंडा करने के लिए दो गिलास के बीच दूध को उछालते हैं।
  • ध्यान रखें कि दही को एक अलग बर्तन में जमाएँ; दूध जिसमें उबला है, उसमें नहीं।

अब दही वाले बर्तन को एक ऐसी जगह पर रखें, जहाँ कोई उसे हाथ ना लगाए। मैं अक्सर उसे माइक्रोवेव के अंदर रख देती हूँ। गरमियों में बाहर भी रख सकते हैं, क्यूँकि उसे और गरमाहट की ज़रूरत नहीं होती। गरमियों में दही अक्सर 4–5 घंटों में जम जाती है। सर्दियों में 6–7 घंटे लग सकते हैं। सर्दियों में आप दही के बर्तन को एक कपड़े में लपेट कर रख सकती हैं।

कुछ ज़रूरी बातें जिनसे आप पौष्टिक और स्वादिष्ट दही बना सकते हैं:

  • जामन वाला दही खट्टा ना हो। इससे नयी दही भी खट्टी ही होगी।
  • किसी उपलक्ष्य पर इस्तेमाल करने के लिए बढ़िया दही बनाने के लिए आप होल मिल्क का इस्तेमाल करें, टोंड मिल्क का नहीं। अन्यथा रोज़ के सेवन के लिए टोंड मिल्क इस्तेमाल कर सकती हैं, क्यूँकि होल मिल्क से बनी दही उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकती है जो वज़न कम करना चाहते हैं या संतुलित रकहन चाहते हैं। बाद यह बहुत मलाईदार और गाढ़ा नहीं होगा।
  • जिस पतीले में दूध उबाला गया, उसमें दही ना जमाएँ।
  • याद रखें, दूध बहुत ज़्यादा गरम ना हो वरना दही खट्टा जम सकता है।
  • दूध बहुत ज़्यादा ठंडा भी ना हो, इससे दही जमने में दिक़्क़त आ सकती है और वह पानी-पानी हो जाएगी।
  • सेहत की आगे बात करें, तो आप दही को एक मिट्टी के बर्तन में जमा सकते हैं। यह बहुत फ़ायदेमंद होती है और अत्यधिक स्वादिष्ट भी। बस दही ज़माने से पहले बर्तन को अच्छी प्रकार से धो लें।
  • दही के सेवन आप पौष्टिक तरीक़ों से कर सकते हैं, जैसे कि, मट्ठा बना कर पीना, दही में अलसी के बीज, धनिया और पुदीना डाल कर खाना इत्यादि। शक्कर मिलाकर खाने से दूर रहें। घर का बना पनीर बना कर खाएँ और पकाएँ। दही का पौष्टिक रायता बना सकते हैं।

बस दही जम जाए तो उसे तुरंत फ़्रिज में रखें और दही से बने विविध प्रकार के व्यंजन का स्वाद लें वरना ज़्यादा देर तक बाहर रखी दही खट्टी हो जाएगी और सेहत के लिए अच्छी नहीं होगी।

दही खाने के फायदे

1. दही के सेवन से हार्ट में होने वाले कोरोनरी आर्टरी रोग से बचाव किया जा सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि दही के नियमित सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रोल को कम किया जा सकता है।

2. चेहरे पर दही लगाने से त्वचा मुलायम होने के साथ उसमें निखार भी आता है। अगर दही से चेहरे की मसाज की जाए तो यह ब्लीच के जैसा काम करता है। इसका प्रयोग बालों में कंडीशनर के तौर पर भी किया जाता है।

3. गर्मियों में त्वचा पर सनबर्न हो जाने पर दही मलने से राहत मिलती है।

4. दही दूध के मुकाबले सौ गुना बेहतर है, क्योंकि इसमें कैल्शियम के चलते हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं। यह ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी से लड़ने में भी मददगार है।

5. हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को रोजाना दही का सेवन करना चाहिए।


6. दही में अजवायन डालकर खाने से कब्ज दूर होता है।
7. दही में बेसन मिलाकर लगाने से त्वचा में निखार आता है। मुंहासे दूर होते हैं।

8. दही को आटे के चोकर में मिलाकर लगाने से त्वचा को पोषण मिलता है और त्वचा कातिमय बनती है। - सिर में रूसी होने पर भी दही फायदेमंद होता है। ये रूसी को हटाकर बालों को मुलायम बनाता है।


लिवर,किडनी, हार्ट, दिमाग की सफाई के लिए


 🏵️लिवर की सफाई के लिए🏵️

20 ग्राम काली किशमिस और 1 ग्लास पानी लेकर मिक्सर मे ज्युस बनाकर सुबह खाली पेट 15 दिनों तक सेवन करने से लिवर की सफाई होती है |

किडनी की सफाई के लिए

हरा धनिया 40 ग्राम +1 ग्लास पानी मिक्स करके मिक्सर मे पिस करके सुबह खाली पेट लिजिए यह 10 दिनों तक करने से किडनी की सफ़ाई होती है। और हमारी किडनी स्वस्थ रहती है।


हार्ट की सफाई के लिए

60 ग्राम अलसी को मिक्सर मे पीस लिजिए फिर सुबह शाम खालीपेट 10-10 ग्राम की मात्रा मे सेवन से हमारा हार्ट (हृदय) स्वस्थ रहता है यह उपाय 1 महिने तक करनां है।


दिमाग की सफाई के लिए

बादाम 8 और अखरोट 2 नग लेकर रात को 1 ग्लास पानी मे भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें। यह पूरे 2 महिनों तक करने से दिमाग को पूरी तरह से जहरमुक्त किया जा सकता है।


फेंफडो की सफाई के लिए

2 चम्मच शहद + 1 चम्मच नींबू का रस + 1 चम्मच अदरक का रस सभी चीजो को मिक्स करके सुबह खाली पेट सेवन करने से बिड़ी, सिगरेट, गुटखा या तंबाकु से जो नुकसान हमारे फेंफडो को हुआ है उन्हे सुधार होगा और हमारे फेंफडे पुरी तरह से स्वस्थ हो जाते है। यह प्रयोग करीब 20 दिनों तक करनां है।


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रसोई गैस सिलेंडर से दुर्घटना होने पर मिलाए है 50 लाख तक जानिए क्या है इस दावे की प्रक्रिया


📌 *_रसोई गैस सिलेंडर से दुर्घटना होने पर मिलाए है 50 लाख तक जानिए क्या है इस दावे की प्रक्रिया_*


आज के समय में गैस सिलेंडर (Gas Cylinder) सभी के घर में होता है. इसका उपयोग बहुत ही सावधानी से किया जाता है क्योंकि एक छोटी सी गलती बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है. ऐसे में जरूरी है कि हमें पता हो कि एलपीजी इस्तेमाल करते हुए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर क्या किया जाना चाहिए. साथ ही पता होना चाहिए कि यदि LPG गैस सिलिंडर फट जाता है या गैस लीक होने की वजह से हादसा हो जाता है तो आपके, एक ग्राहक होने के नाते, क्या अधिकार हैं.

50 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस

LPG यानी रसोई गैस कनेक्शन लेने पर पेट्रोलियम कंपनियां ग्राहक को पर्सनल एक्सीडेंट कवर उपलब्ध कराती हैं.

50 लाख रुपये तक का यह इंश्योरेंस एलपीजी सिलेंडर से गैस लीकेज या ब्लास्ट के चलते दुर्भाग्यवश हादसा होने की स्थिति में आर्थिक मदद के तौर पर है. इस बीमा के लिए पेट्रोलियम कंपनियों की बीमा कंपनियों के साथ साझेदारी रहती है.

डीलर डिलिवरी से पहले चेक करे कि सिलिंडर बिल्कुल ठीक है या नहीं. ग्राहक के घर पर एलपीजी सिलिंडर की वजह से हादसे में हुए जान-माल के नुकसान के लिए पर्सनल एक्सीडेंट कवर देय है. हादसे में ग्राहक की प्रॉपर्टी/घर को नुकसान पहुंचता है तो प्रति एक्सीडेंट 2 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस क्लेम मिलता है.

जानिए गैस सिलेंडर पर कैसे मिलेगा 50 लाख का क्लेम

दुर्घटना के बाद क्लेम लेने का तरीका सरकारी वेबसाइट मायएलपीजी.इन (http://mylpg.in) पर दिया गया है। वेबसाइट के मुताबिक एलपीजी कनेक्शन लेने पर ग्राहक को उसे मिले सिलेंडर से यदि उसके घर में कोई दुर्घटना होती है तो वह व्यक्ति 50 लाख रुपये तक के बीमा का हकदार हो जाता है।

1. एक दुर्घटना पर अधिकतम 50 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है. दुर्घटना से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को अधिकतम 10 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दी जा सकती है.

2. LPG सिलेंडर के बीमा कवर पाने के लिए ग्राहक को दुर्घटना होने की तुरंत सूचना नजदीकी पुलिस स्टेशन और अपने एलपीजी वितरक को देनी होती है.

3. PSU ऑयल विपणन कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल, एचपीसी तथा बीपीसी के वितरकों को व्यक्तियों और संपत्तियों के लिए तीसरी पार्टी बीमा कवर सहित दुर्घटनाओं के लिए बीमा पॉलिसी लेनी होती है.

4. ये किसी व्यक्तिगत ग्राहक के नाम से नहीं होतीं बल्कि हर ग्राहक इस पॉलिसी में कवर होता है. इसके लिए उसे कोई प्रीमियम भी नहीं देना होता.

5. FIR की कॉपी, घायलों के इलाज के पर्चे व मेडिकल बिल तथा मौत होने पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाणपत्र संभाल कर रखें.

गैस सिलेंडर से हादसा होने की स्थिति में सबसे पहले पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी होती है. इसके बाद संबंधित एरिया ऑफिस जांच करता है कि हादसे का कारण क्या है. अगर हादसा एलपीजी एक्सीडेंट है तो एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एजेंसी/एरिया ऑफिस बीमा कंपनी के स्थानीय ऑफिस को इस बारे में सूचित करेगा. इसके बाद संबंधित बीमा कंपनी को क्लेम फाइल होता है. ग्राहक को बीमा कंपनी में सीधे क्लेम के लिए आवदेन करने या उससे संपर्क करने की जरूरत नहीं होती.

🇮🇳 वन्दे मातरम

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