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गुरुवार, 17 जून 2021

जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव श्री चम्पत राय बंसल

क्या ऐसे ही किसी ऐरे गैरे को विहिप का सर्वेसर्वा बना दिया जाएगा ? या फिर रामजन्मभूमि ट्रस्ट का महासचिव ? लो आज जानो कौन हैं चम्पत राय जी...

जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव श्री चम्पत राय बंसल 

1975 इँदिरा गाँधी द्वारा थोपे आपातकाल के समय बिजनौर के धामपुर स्थित आर एस एम कॉलेज में एक युवा प्रोफेसर चंपत राय, बच्चों को केमिस्ट्री पढ़ा रहे थे, तभी उन्हें गिरफ्तार करने वहां पुलिस पहुंची क्योंकि वह संघ से जुड़े थे। अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय चंपत राय जानते थे कि उनके वहाँ गिरफ्तार होने पर क्या हो सकता है। पुलिस को भी अनुमान था कि छात्रों का कितना अधिक प्रतिरोध हो सकता है।

प्रोफ़ेसर चंपत राय ने पुलिस अधिकारियों से कहा, आप जाइये में बच्चों की क्लास खत्म कर थाने आ जाऊँगा। पुलिस वाले इस व्यक्ति के शब्दों के वजन को जानते थे अतः वे लौट गए।क्लास खत्म कर बच्चों को शांति से घर जाने के लिए कह कर प्रोफेसर चंपत राय घर पहुँचे, माता पिता के चरण छू आशीर्वाद लिया और लंबी जेल यात्रा के लिए थाने पहुंच गए।

18 महीने उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बेहद कष्टकारी जीवन व्यतीत कर जब बाहर निकले तो इस दृढ़प्रतिज्ञ युवा के आत्मबल को संघ के सरसंघचालक श्री रज्जू भैया ने पहचाना और राममंदिर की लड़ाई के लिए अयोध्या को तैयार करने का जिम्मा उनके कंधों पर डाल दिया।

चंपत राय ने अपनी सरकारी नौकरी को लात मार दिया और राम काज में जुट गए। वे अवध के गाँव गाँव गये हर द्वार खटखटाया। स्थानीय स्तर पर ऐसी युवा फौज खड़ी की जो हर स्थिति से लड़ने को तत्पर थी। अयोध्या के हर गली कूँचे ने चंपत राय को पहचान लिया और हर गली कूंचे को उन्होंने भी पहचान लिया। उन्हें अवध का इतिहास, वर्तमान, भूगोल की ऐसी जानकारी हो गई कि उनके साथी उन्हें "अयोध्या की इनसाइक्लोपीडिया" उपनाम से बुलाने लगे।

बाबरी ध्वंस से पूर्व से ही चंपत राय जी ने राम मंदिर पर "डॉक्यूमेंटल एविडेंस" जुटाने प्रारम्भ किये। लाखों पेज के डॉक्यूमेंट पढ़े और सहेजे, एक एक ग्रंथ पढ़ा और संभाला उनका घर इन कागजातों से भर गया, साथ ही हर जानकारी उंन्हे कंठस्थ भी हो गई। के. परासरण और अन्य साथी वकील जब जन्मभूमि की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे तो उन्हें अकाट्य सबूत देने वाले यही व्यक्ति थे।

6 दिसंबर 1992 को मंच से बड़े बड़े दिग्गज नेता कारसेवकों को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे थे। तमाम निर्देश दिए जा रहे थे। ढांचे को नुकसान न पहुचाने की कसमें दी जा रहीं थीं, उस समय चंपत राय जी मंच से कुछ दूर स्थानीय युवाओं के साथ थे। एक पत्रकार ने चंपत राय से पूछा "अब क्या होगा?" उन्होंने हँस कर उत्तर दिया "ये राम की वानर सेना है, सीटी की आवाज पर पी टी करने यहां नहीं आयी...ये जो करने आयी है करके ही जाएगी."

इतना कह उन्होंने एक बेलचा अपने हाथ में लिया और ढांचे की ओर बढ़ गये, फिर सिर्फ जय श्री राम का नारा गूंजा और... इतिहास रच गया। आदरणीय चंपत राय को यूं ही राम मंदिर ट्रस्ट का सचिव नहीं बना दिया गया है। उन्होंने रामलला के श्रीचरणों में अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित किया है। प्यार से उन्हें लोग "रामलला का पटवारी" भी कहते हैं। यह व्यक्ति सनातन का योद्धा है। कोई मुंह फाड़ बकवास करता कायर नहीं।

ढांचा ध्वंस के मुकदमों में कल्याण सिंह जी के बाद चंपत राय ने ही अदालत और जनसामान्य दोनों के सामने सदैव खुल कर उस घटना का दायित्व अपने ऊपर लिया है। चम्पत राय जी कह चुके हैं, जैसे ही राममंदिर का शिखर देख लेंगे युवा पीढ़ी को मथुरा की ज़िमेदारी निभाने को प्रेरित करने में जुट जाएंगे"।

चंपत राय जी धर्म की छोटी से छोटी चीजों का ध्यान रखने वाले तपस्वी और विद्वान हैं। एक बार वे किसी काम से काशी में किन्हीं के यहां रुके, तब रात्रि में देखा तो पाया कि बैड का डायरेक्शन कुछ ऐसा था कि सोते हुए पैर दक्षिण की तरफ हो जा रहे थे, उन्हें एक रात को भी यह स्वीकार नहीं था, रात में ही उन्होंने बैड का डायरेक्शन ठीक करवाया, तभी सोए। जो धोती कुर्ता पहनकर भारत का गाँव गाँव नापने वाला व्यक्ति अपने निजी जीवन में हिन्दू जीवनचर्या की छोटी छोटी बातों का हठ के साथ पालन करता है वह श्रीराममंदिर के संदर्भ में किस हद तक विचारशील और जुझारू होगा, समझा जा सकता है। 

हरामजादे तो हमेशा रामजादों की पूंछ में आग लगाने की कोशिश करते आए हैं, अंजाम तो उलट पलटि सब लंका जारी ही हुआ है..

जय श्री सियाराम!!!

ज्यादातर भारतीय, 50 की आयु आते-आते

*उम्र पचास कि खल्लास !*
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ज्यादातर भारतीय,  50 की आयु आते-आते अपना स्वास्थ्य खो बैठते हैं !
वे अपने शरीर की गाड़ी को इतना रफ़ चलाते हैं  कि आधे रास्ते में ही उनके रिंग, पिस्टन, प्लग, वॉल्व  सब घिस जाते हैं !
..क्योंकि इस गाड़ी का ड्राइवर महत्वाकांक्षा की शराब में धुत्त होता है !
उसका एक पैर नुमाइश के क्लच पर होता है,  और दूसरा,  प्रतिस्पर्धा के एक्सीलेटर पर  !!
..और दोनों एकसाथ दबे रहते हैं !
फिर वह एक ही गेयर पर  पूरी गाड़ी को  घसीटे रहता है !
बहुधा यह गेयर,  धन कमाने  या सामाजिक हैसियत प्राप्त करने का होता है !

स्वाभाविक है.. ऐसा चालक बहुत जल्दी गाड़ी को ख़राब कर देगा !
यही होता भी है !

*सौ में नब्बे भारतीय, पचास  की आयु* आते-आते बीमारियों का पैकेज़ लिए घूमते हैं !
और यह प्रक्रिया 35 से ही शुरू हो जाती है !

मुझे हैरानी होती है कि जब 30-35 ,उम्र के विवाहित युगल भी, ज्योतिष परामर्श के दौरान यह बताते हैँ कि अब लव लाईफ में कोई एक्साइटमेंट नही रहा !

90 फीसदी बॉयज कुंठित हैं कि 'वे' तैयार ही नही हो पाते.. अथवा चुटकियों में फ़ारिग हो जाते हैं !
कारण साफ है...भागमभाग की प्रतिस्पर्धी जीवन शैली.. शरीर से अपना शुल्क वसूल रही है !
बहुत कम उम्र में बी.पी. ,  शुगर,  मोटापा,  हार्ट डिज़ीज़  कॉमन बातें हो गई हैं !
इसके इतर,  ज्वाइंट्स पेन ,  थॉयरॉइड,  सर्वाइकल, टेंशन हेडेक,  हाइपर एसिडिटी,  अल्सर,  स्टमक अपसेट,  पाईल्स आदि  तो इतनी सामान्य बातें हो गई हैं.. कि इनकी तो गिनती ही रोग में नही की जाती !
...फिर body ache, स्टिफनेस,  मोटा चश्मा  तो श्वास-प्रश्वास की तरह सहज स्वीकार्य हैं  !

चूंकि बी.पी.,  शुगर,  हार्ट का पेशेंट सेक्सुअली काबिल नही रह जाता.. लिहाजा,  सेक्स लाईफ बिगड़ने से उसमें मानसिक अस्वास्थ्य के अन्य लक्षण  भी प्रकट होने लगते हैं.. मसलन - चिड़चिड़ापन,  आकस्मिक क्रोध,  बात बात पर हाइपर हो जाना ,  शंकालुपन,  दोषदर्शी होना..,  देश.., समाज हर  बात के प्रति नकार से भर उठना और इनफीरिआरिटी कॉम्प्लेक्स,  जिसका बाय प्रोडक्ट है.. सुपीरियरिटी कॉम्प्लेक्स !

फिज़िकल डिसऐबेलिटी,  उसके हर रस को मानसिक कर देती है !
लिहाजा उसका रस प्रेम से अधिक पैसे में हो जाता है,  रोमांस से अधिक संस्थान.  में,  और सेक्स से अधिक टेक्स में !
...क्योंकि उसे पता है कि  उसका मोटा पेट,  डबल चिन, पसरा चेहरा और बुझा शरीर.. किसी स्त्री के दिल में,  उसके लिये रोमांटिक प्रेमी का ख्वाब नही पैदा करने वाला !
..जिस स्त्री को पाने के लिए वह जवानी में पैसा या सामाजिक हैसियत जुटा रहा था....वह उसकी हैसियत से आकर्षित हो भी गई.. तो अब असली मैदान में उसका फीता ढीला पड़ने ही वाला है.. क्योंकि इस जुगत में वह  अपना शरीर गवा बैठा है !
यानि लक्ष्य सिद्ध होने तक  उद्देश्य  ही ढह जाता है  !
..फिर ऐसे पुरुष के साथ रहते रहते, भारतीय स्त्री तो  और  भी जल्दी, लगभग 40 आते -आते खत्म हो जाती है ! क्योंकि उसकी भी वही गत हो जाती है.. जो पुरुष की है.. यानि मोटापा और बहुत सी शारीरिक व्याधियों का पैकेज़ !
.. फिर उसके बाद का जीवन सिर्फ कटता ही है , जिया नही जाता !

फिर एक बात और है, जो 50 में रोगग्रस्त है.. वह एकाएक नही होता !
35-40 से ही उसके स्वास्थ्य में गिरावट प्रारम्भ हो जाती है !
देखा जाए तो भारतीय स्त्री /पुरुष , ठीक ठाक स्वास्थ्य में बहुत कम ही जी पाते हैं !
क्योंकि ठीक ठाक स्वास्थ्य,  महज़ शारीरिक मामला ही नही है ! 
स्वस्थ होने के लिए प्राण भी स्वस्थ होना ज़रूरी है, 
मानसिक स्वास्थ्य भी ज़रूरी है, 
भावनात्मक और सोशली स्वस्थ होना भी ज़रूरी है, 
अध्यात्मिक स्वास्थ्य तो बहुत दूर की बात है !

50 वह उम्र नही,  कि जहाँ तक आते आते शरीर को ख़राब कर लिया जाए !
उम्र का आना स्वाभाविक है,  रोग का आना स्वाभाविक नही है !

रोग हमारी वासना से पैदा होता है ! हमारी कमअक्ली, हमारी असजगता और जीवन के प्रति गलत दृष्टिकोण से पैदा होता है !!
और इसकी वजहें,  हमारे पूर्वाग्रह ग्रसित मानस और अहंजनित सामाजिक ताने बाने में छिपी हैं !

हमने जीवन की समस्त धाराओं को एकमुखी कर दिया है !
और वह है - धन या सामाजिक हैसियत की प्राप्ति !
हम प्रत्येक व्यक्ति का मूल्यांकन इन्हीं दो बिंदुओं के आधार पर करते हैं !
और हमें पता होता है कि हमारा मूल्यांकन भी इन्हीं दो बिंदुओं के आधार पर होने वाला है,  लिहाजा.., 
हम जीवन की सारी ऊर्जा और शक्ति इन्हीं की  प्राप्ति में झोंक देते हैं !
हम धन और हैसियत से इतर जीवन कभी देख ही नही पाते !

हम प्रेम नही कर पाते,  
क्योंकि हमें ख़तरा होता है कि जब तक हम प्रेम करेंगे.. दूसरा हमसे आगे निकल जाएगा !
फिर प्रेम आता भी है जीवन में,  तो उससे भी हम वस्तु संग्रहण की तरह बर्ताव करते हैं ! 
हम शीघ्र ही शादी कर उसे अपने शो केस में सजा लेते हैं... और किसी मैराथन धावक की तरह दो घूंट पानी गटक कर पुनः दौड़ में लग जाते हैं !
..और प्रेम वहीं छूट जाता है !

फिर ..यही बर्ताव हम कलात्मक संवेग या अज्ञात का  निमंत्रण आने पर भी करते हैं !
..हम उसे जीने के बजाए, उसे किसी भौतिक वस्तु की तरह संगृहीत कर लेना चाहते हैं !
और दिव्यता का वह क्षण हमारे हाथ से फिसल जाता है !

हम सारा क़ीमती गवाए जाते हैं और सारा मूल्यहीन जुटाए चले जाते हैं !
क्योंकि .. हम प्रदर्शनप्रिय लोग हैं और  हम जानते हैं कि प्रदर्शन सिर्फ भौतिक का किया जा सकता है.. अभौतिक का नही !!
..लिहाजा, हम अपनी 90 फीसदी ऊर्जा भौतिक के संग्रहण में झोंके रहते हैं !
..फिर इच्छाओं की यह ओवर लोडेड गाड़ी, 
पचास की उम्र आते आते,  किसी टर्निंग पर पलट ही जाती है !
अनेकों का तो इंजन ही सीज़ हो जाता है.. और वे पचास आते-आते खेत रहते हैं !

फिर कुछ ऐसे भी हैं, जो स्वास्थ्य के लिए भी थोड़ा वक़्त निकाल लेते हैं ! 
किंतु वह भी स्वास्थ्य के लिए कम,  स्वास्थ्य की नुमाइश के लिए अधिक होता है !
.. वे सुबह गार्डन चले जाते हैं  या शाम को जिम !
हेल्थी डायट  भी शुरू कर देते हैं 
किंतु,  कोई उपाय काम नही कर पाता !
हज़ार रख रखाव के बाद भी,  वे रोग की चपेट में आ ही जाते हैं !

कारण क्या है?? 
कारण है.. समग्र स्वास्थ्य पे दृष्टि न होना !
हमारे स्वास्थ्य के अनेक तल हैं !
प्रत्येक तल की एक -दूसरे पर अन्तःक्रिया है ! 
सभी तल अन्योनाश्रित हैं !
सच्चा स्वास्थ्य..,  
शरीर,  मन,  प्राण,  बुद्धि और शुद्ध चेतना का संतुलित संयोजन है !
.. एकांगी उपाय काम नही करता !

अच्छे स्वास्थ्य को,  अच्छे मनोभावों की दरकार है !
हमारे मस्तिष्क की प्रत्येक गतिविधि और हृदय की भावना,  हमारे प्राण को आंदोलित करती है !
क्रोध में प्राण,  सिकुड़ जाता  है,  प्रेम में प्राण  फैल जाता है !
तनाव में,  चिंता में,  ईर्ष्या,  द्वेष,  डाह  में  प्राण उत्तेजित हो जाता है,  श्वास  उथली हो जाती है !
लिहाजा  प्राण जल जाता है.. क्षय हो जाता है !
किंतु, 
सुकून में, निश्चिंतता में,  भरोसे में,  गहन विश्रांति में   प्राण  संग्रहित होता है.. विस्तारित होता है !

ख्याल रखें..
रनिंग, जिमिंग, और योगा सेशन से भी जो प्राण मिलता है... उसे हमारी  चिंतित, भयभीत और कुंठित  मनोदशा.. चुटकियों में चट  कर जाती है !

प्रेमपूर्ण मनोदशा,  चौबीस घंटे का प्राणायाम है !

हमारा स्वास्थ्य,  हमारे रूटीन और खानपान पर कम,  किंतु  हमारी  मनोदशा पर अधिक निर्भर है !

क्षमा करें, ये लेख बड़ा हुआ जा रहा है... चलिए इसे जल्दी समेट देता हूं !
कुल मिलाकर यह है कि, 
ज़रा होशपूर्वक जिएं !
ऐसा बदहवास न जिएं !
ऐसा भागमभाग न जिएं !
स्वभाव में जिएं.. दूसरे को दिखाने के लिए न जिएं !
आज जो लोग दिखाई दे रहे हैँ.. वे सभी एक दिन मर जाएंगे !
किसको दिखा के क्या कर लीजिएगा !
..नही चेत रहे थे.. तो ##कोरोना  ने और चेता दिया है !
जितना ग़लत खेलेंगे.. उतनी जल्दी आउट होंगे !
अगर पचास आते आते आप अपना स्वास्थ्य खो दिए.. तो  जानिए आप बहुत कम स्कोर पर बहुत अधिक विकेट गवा दिए !

वहीं, अगर आप सही तरह से जिएं.. तो जीवन का सही मज़ा 40 के बाद शुरू होता है.. क्योंकि तब तक आप अनेक अनुभवों से गुज़र कर रिफाइंड हो चुके होते हैं !

एशिया में सिर्फ भारत में ही कोरोना का हाहाकार क्यों है?क्योंकि

कभी सोचा है कि 
#एशिया में सिर्फ भारत में ही कोरोना का हाहाकार क्यों है?
क्योंकि
#ट्रंप की तरह मोदी झुक नही रहा है।

फार्मा- ऑयल - आर्म्स लॉबी ने 
कोरोना 
और 
#blacklivesmatter 
#जॉर्ज_फ्लोयड मुद्दों का मीडिया में भयानक उफान मचाकर ट्रंप को हराया।
क्योंकि
ट्रंप इन लॉबी के सामने खुलेआम आ खड़े हुए थे।
आज वही लोग मोदी के पीछे लगे है।
जानते है,,,,
क्यों?
क्योंकि,,,,
फार्मा कंपनियों का बिज़नेस कम से कम ४-६ ट्रिलियन डॉलर का है।

(सालाना आधार पर)
1. कम से कम 1.25 ट्रिलियन डॉलर का वैक्सीन बिज़नेस ज़ीरो कर दिया ।
#फार्मा_लॉबी.....

2. 500 बिलियन डॉलर का PPE kit और मास्क का बिजनेस लगभग ज़ीरो कर दिया।
#फार्मा_लॉबी.....

3. अगले २-३ सालो में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के liyw 75000 से 100000 चार्जिंग स्टेशन बनाए जा रहे है जिससे तेल की खपत ३०% कम हो जाएगी।
#ऑयल_लॉबी.....

4.  भारत ने LCA लड़ाकू विमानों का व ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात चालू कर दिया है।
#आर्म_लॉबी....

मोदी उनकी राह में बहुत बड़ा कांटा है,...
उससे जनता के गुस्से से ही हराया जा सकता है..
एक और पहलू 
ज़्यादातर लोग अब असम और पश्चिम बंगाल के चुनावों में मोदी की रेलियाँ और प्रचार को लेकर ग़ुस्सा हो रहे है। किंतु 
उन्हें जिओ पॉलिटिक्स की समझ ही नहीं है।
पश्चिम बंगाल में 1.5 करोड़ बंगलादेशीयो और रोहिंग्या व असम में भी कई लाख घुसपेठिए मेहमान बनायें जा चुके है।
 (दीदी और गांधी ने सबके आधार भी बनवा दिए है) 
असम व बंगाल भारत के लिए कश्मीर की तरह, शायद उससे भी अति अति महत्वपूर्ण है।

गूगल पर “चिकन नेक” सर्च करिए।

“आप माने या ना माने पर भारत में चीनी कोरोना का दूसरा राउंड मोदी को हर मोर्चे पर विफल करने और देश में सिविल वोर करवाने के लिए ही लाया गया है।”

ग़ैर भाजपा सरकारों की मोदी सरकार के ख़िलाफ़ कोरोना की नीच राजनीति व मीडिया का 24x7 लाशें व ऑक्सिजन की कमी दिखाना इस षड्यंत्र का ही हिस्सा है।
थोड़े थोड़े अंतराल के बाद यह लड़ाई बहुत आगे तक जाने वाली है। 

#सारी_कायनात_जिसे_झुकाने_के_लिये_ऐड़ी_चोटी_का_जोर_लगा_रही_हो #वो_व्यक्ति_अवश्य_ही_एक्स्ट्रा_ऑर्डिनरी_होगा 
#अगर_अगली_पीढ़ी_को_ग़ुलाम_नहीं_बनाना_है_तो_हर_हाल_में_मोदी_का_साथ_देना_ही_होगा,👊🙋🙏

प्लाज्मा क्या है plazma

*प्लाज्मा क्या है?*
हमारे खून (blood) में चार प्रमुख चीजें होती हैं. डब्ल्यूबीसी, आरबीसी, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा. आजकल किसी को भी होल ब्लड (चारों सहित) नहीं चढ़ाया जाता. बल्कि इन्हें अलग-अलग करके जिसे जिस चीज की ज़रूरत हो वो चढ़ाया जाता है. प्लाज्मा, खून में मौजूद 55 फीसदी से ज्यादा हल्के पीले रंग का पदार्थ होता है, जिसमें पानी, नमक और अन्य एंजाइम्स होते हैं. ऐसे में किसी भी स्वस्थ मरीज जिसमें एंटीबॉडीज़ विकसित हो चुकी हैं, का प्लाज़्मा निकालकर दूसरे व्यक्ति को चढ़ाना ही प्लाज्मा थेरेपी है.

*क्या सभी लोग प्लाज्मा दान कर सकते हैं?*
नहीं! जो लोग कोरोना होने के बाद ठीक हो चुके हैं. उनके अंदर एंटीबॉडीज विकसित हो चुकी हैं. सिर्फ वे ही लोग ठीक होने के 28 दिन बाद प्लाज्मा दान कर सकते हैं.

*प्लाज्मा देने वाले को क्या खतरे हो सकते हैं?*
प्लाज्मा देने वाले को कोई खतरा नहीं है. बल्कि यह रक्तदान से भी ज्यादा सरल और सुरक्षित है. प्लाज्मा दान करने में डर की कोई बात नहीं है. हीमोग्लोबिन भी नहीं गिरता. प्लाज्मा दान करने के बाद सिर्फ एक-दो गिलास पानी पीकर ही वापस पहली स्थिति में आ सकते हैं.

*रक्तदान और प्लाज्मा दान में क्या अंतर है?*
रक्तदान में आपके शरीर से पूरा खून लिया जाता है. जबकि प्लाज्मा में आपके खून से सिर्फ प्लाज्मा लिया जाता है और रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स वापस आपके शरीर में पहुंचाए जाते हैं. ऐसे में प्लाज्मा दान से शरीर पर कोई बहुत फर्क नहीं पड़ता.

*प्लाज्मा दान में कितना वक्त लगता है*
400 ML प्लाज्मा लेने में 30 से 45 मिनट लगते है

🩸🩸🩸🩸🩸
 प्लाज़्मा डोनेट करे, डरे नही
करोना से मिलकर लड़े एक दूसरे की मदद के लिए आगे आए

उत्तम सेहत के लिए पेट को रखें सही

*उत्तम सेहत के लिए पेट को रखें सही* 
 
गर्म पानी
अगर आपको पेट की समस्या बनी रहती है, तो आप सुबह के समय हल्का गर्म पानी पीने की आदत डालें। चाहे तो आप गर्म पानी में नींबू का रस भी मिलाकर पी सकते हैं। यह आपको पेट की समस्या से राहत देने में मदद करेगा।

अजवाइन
अजवाइन का उपयोग पेट की समस्या से आराम पाने के लिए बहुत फायदेमंद है। अगर आपको एसिडिटी की समस्या है तो अजवाइन का सेवन जरूर करें। रोज खाने के बाद आप थोड़ी-सी अजवाइन जरूर खाएं। यह आपको पेट की समस्या से आराम देगा, साथ ही आप अजवाइन को गर्म तवे पर सेंककर इसमें काला नमक मिलाकर खा सकते हैं। यह पेट की समस्या से निजात दिलाने के लिए बहुत फायदेमंद है।

सौंफ
एसिडिटी की समस्या होने पर सौंफ का सेवन करने से राहत मिलती है। इसके लिए आप खाना खाने के बाद आधा चम्मच सौंफ ले सकते हैं।

लौंग
लौंग का सेवन पेट में एसिडिटी को कम करने के लिए बहुत उपयोगी है। लौंग पाचन तंत्र को दुरुस्त रखती है और इसके सेवन से आपको पेट संबंधित समस्या से भी आराम मिलेगा।

गले के सभी प्रकार के रोगो इन्फेक्शन के लिए

*गले के सभी प्रकार के रोगो इन्फेक्शन के लिए*

✍🏻एक गिलास देशी गाय के दूध में एक चौथाई चम्मच हल्दी और एक चम्मच देशी गाय का घी मिलाकर उबालें और रात्रि में सोने से पहले चाय की तरह पिये और सो जाये चाहे तो मिश्री मिला सकते हैं परंतु चीनी कभी नहीं।

और यदि हाल ही में किसी को टॉन्सिल हुआ है तो उसके लिए केवल  इतना ही करे कि रात्रि में देशी गाय के एक गिलास दूध में  एक चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर को मिलाकर उबालें और रात्रि में सोने से पहले चाय की तरह पिये।

यदि टॉन्सिल पुराना है तो उसके लिए एक चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर को मुह के अंदर जहां तक मुंह खुल सकता है वहीं चम्मच की सहायता से छोड दें और इसे धीरे-धीरे लार के साथ अंदर जाने दें और एक घंटे तक पानी न पिये, अर्थात कुछ भी न खाये पिये

हफ्ते में तीन या चार दिन ये कर सकते हैं दिन में दो बार कीजिये।

बेचारा रिटायर्ड पति क्या करे

*बेचारा रिटायर्ड पति क्या करे ?*

1. रिटायर पति अगर देर तक सोया रहे तो....

बीवी : अब उठ भी जाइये ! आपके जैसा भी कोई सोता है क्या ? रिटायर हो गये तो इसका मतलब यह नहीं कि सोते ही रहियेगा....!
😐😐😐😐😐

2. रिटायर पति अगर जल्दी उठ जाये तो....

बीवी: आपको तो बुढापे में नींद पड़ती नहीं, एक दिन भी किसी को चैन से सोने नही देते हो, 5:30 बजे उठ कर बड़ बड़ करने लगते हो। अब तो आफिस भी नहीं जाना है, चुपचाप सो जाइये और सबको सोने दीजिए.....!
😢😢😢 
३. रिटायर पति अगर घर पर ही रहे तो....

बीवी: सबेरा होते ही मोबाइल लेकर बैठ जाते हो और चाय पर चाय के लिए चिल्लाते रहते हो, कुछ काम अपने से भी कर लिया कीजिए । सब लोगों को कुछ न कुछ काम रहता है, कौन दिनभर पचास बार चाय बना कर देता रहे। यह नहीं होता है कि जल्दी से उठकर नहा धोकर नाश्ता पानी कर लें, अब इनके लिए सब लोग बैठे रहें....!
😢😢😢

4. रिटायर पति अगर घर से देर तक बाहर रहे तो....

बीवी : कहाँ थे आप आज पूरा दिन ? अब नौकरी भी नही है, कभी मुँह से भगवान का नाम भी ले लिया कीजिए...!
😢😢😢

5. रिटायर पति अगर पूजा करे तो...

बीवी : ये घन्टी बजाते रहने से कुछ नहीं होने वाला। अगर ऐसा होता तो इस दुनिया के रईसों में टाटा या बिल गेट्स का नाम नहीं होता, बल्कि किसी पुजारी का नाम होता...!
😢😢😢

6. अगर रिटायर पति खाली समय में पैसा कमाने के लिए कुछ काम करे तो...

बीवी : हर वक़्त काम, काम काम, आपके पास अब नौकरी भी नही सिर्फ काम का नाटक उसी से सात फेरे ले लेने चाहिए थे। हम क्या यहाँ पर बंधुआ मजदूर हैं जो सारा दिन काम करें और शाम को आपका इंतज़ार करें...?
😢😢😢

7. रिटायर पति अगर पत्नी को घुमाने के लिए ले जाए तो...

बीवी : देखिये, सक्सेना जी अपनी बीबी को हर महीने घुमाने ले जाते हैं और वो भी स्विट्ज़रलैंड और दार्जिलिंग जैसी जगहों पर, आपकी तरह "हरिद्वार" नहाने नहीं जाते....!
😢😢😢

8. रिटायर पति अगर अपनी ऐसी-तैसी करा कर नैनीताल, मसूरी, गोवा, माउन्ट आबू, ऊटी जैसी जगहों पर घुमाने ले भी जाए तो....!

बीवी : अपना घर ही सबसे अच्छा, बेकार ही पैसे लुटाते फिरते है। इधर उधर बंजारों की तरह घूमते फिरो। क्या रखा है घूमने में ? इतने पैसे से अगर घर पर ही रहते तो पूरे 2 साल के लिए कपड़े खरीद सकते थे...!

*रिटायर्ड पतियो की मनोदशा का संकलन...!!!!*

😕😕😭😭😡😡

चमचो की हकीकत ऐसे समझे

*कटु सत्य!*

चमचो की हकीकत ऐसे समझे👇😆😂😅

*एक अंधेरी रात में एक काफिला एक रेगिस्तानी सराय में जाकर ठहरा। उस काफिले में सौ ऊंट थे। उन्होंने खूंटियां गाड़कर ऊंट बांधे, किंतु अंत में पाया कि एक ऊंट अनबंधा रह गया है। उनकी एक खूंटी और रस्सी कहीं खो गई थी। अब आधी रात वे कहां खूंटी-रस्सी लेने जाएं?*

*काफिले के सरदार ने सराय मालिक को उठाया - "बड़ी कृपा होगी यदि एक खूंटी और रस्सी हमें मिल जाती। ९९ ऊंट बंध गए, एक रह गया - अंधेरी रात है, वह कहीं भटक सकता है।"*

*वृद्ध बोले - मेरे पास न तो रस्सी है, और न खूंटी, किंतु एक युक्ति है। जाओ, और खूंटी गाड़ने का नाटक करो, और ऊंट से कह दो–सो जाए।*

 *सरदार बोले - अरे, कैसा पागलपन है?*

*वृद्ध बोले - बड़े नासमझ हो, ऐसी खूंटियां भी गाड़ी जा सकती हैं जो न हों, और ऐसी रस्सियां भी बांधी जा सकती हैं जिनका कोई अस्तित्व न हो? अंधेरी रात है, आदमी धोखा खा जाता है, ये तो एक ऊंट है!* 

*विश्वास तो नहीं था किंतु विवशता थी! उन्होंने गड्ढा खोदा, खूंटी ठोकी–जो नहीं थी। केवल आवाज हुई ठोकने की, ऊंट बैठ गया। खूंटी ठोकी जा रही थी। रोज-रोज रात उसकी खूंटी ठुकती थी, वह बैठ गया। उसके गले में उन्होंने हाथ डाला, रस्सी बांधी। रस्सी खूंटी से बांध दी गई–रस्सी, जो नहीं थी। ऊंट सो गया!*

*वे बड़े हैरान हुए! एक बड़ी अदभुत बात उनके हाथ लग गई! सो गए! सुबह उठकर उन्होंने ९९ ऊंटों की रस्सियां निकालीं, खूंटियां निकालीं–वे ऊंट खड़े हो गए! किंतु सौवां ऊंट बैठा रहा। उसको धक्के दिए, पर वह नहीं उठा!*

*फिर वृद्ध से पूछा गया. वृद्ध बोले, "ऊंट हिंदुओं की भांति बड़ा धार्मिक है! जाओ, पहले खूंटी निकालो! रस्सी खोलो!" सरदार बोले, "लेकिन रस्सी हो तब ना खोलूँ!*
*वृद्ध बोले - जैसा बांधने का नाटक किया था, वैसे ही खोलने का करो!"*

*ऐसा ही किया गया, और ऊंट खड़ा हो गया! सरदार ने उस वृद्ध का धन्यवाद किया - "बड़े अदभुत हैं आप, ऊंटों के बाबत आपकी जानकारी बहुत गहरी है!"*

*वृद्ध बोले, "यह सूत्र ऊंटों की जानकारी से नहीं, हिंदुओं की जानकारी से निकला है!"*

*वह हिंदू, जिसको अंग्रेजों ने जाने से पहले कांग्रेसी खूंटे से बांध दिया था, आज भी वहीं बंधा है! वो आज भी अंग्रेजी भाषा और संस्कृति की गुलामी कर रहा है. उसे बार-बार बताने पर कि "तू स्वतंत्र हो गया है", खड़ा नहीं हो रहा! सहस्र वर्षों की गुलामी की रस्सी गले में लटका कर घूम रहा है! जो उसे धक्के देकर उठाना चाह रहा है, उसे शत्रु मान रहा है! फिर से गुलाम होना चाह रहा है!*

         *🚩जय हिंद! 🚩*

आपके मुंह में ही है आपके अनेक रोगों की दवा लार का उपयोग कर पाये मर्ज पर काबू

.☘️ *आपके मुंह में ही है आपके अनेक रोगों की दवा  लार का उपयोग कर पाये मर्ज पर काबू*

*👅लार का महत्व*

✍🏻लार का महत्व जानिए और ये उपाय रात्रि में सोने से पहले, दातों को साफ करके सोएँ और सुबह उठकर बीना कुल्ला किये, बिना थूके प्रयोग करे।

*ये मुह की लार हमारे शरीर के सर्वोत्तम सर्वोत्तम हैं।*

1:- यदि किसी की आखों के नीचे काले घेरे हो गये हैं, वो सुबह मुह की लार से धीरे धीरे मालिश करें।

2:- जिनको चश्मा लगा है वे सुबह उठकर आखों में ये मुह लार लगाये।

3:- डायबिटीज के रोगियों को जहाँ चोट लगी हो, वहां सुबह की लार लगाये।

4:- जिन लोगों के जलने का दाग नही जा रहा वे इसी लार की मालिश करें।

5:- जिन लोगों के दाद हो गये हैं वे भी इस लार को प्रतिदिन सुबह उठते ही अपने मूंह की लार लगाये।

*और भी अनेको बीमारी का इलाज है ये मुह की लार*

मुंह की लार में टायलिन नामक एंजाइम होता है जो हमारी पाचन क्रिया को बढाता है। 

*गुटका सेवन और केंसर*

जो लोग गुटखा खाते हैं या थूकते रहते हैं, धीरे धीरे ये लार बनना बंद हो जाती है और मुह के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।

*दातुन का प्रयोग*

इस लार का PH मान 8.3 होता है और आप सभी माने तो पेस्ट करना बंद करे क्योकि इससे लार को हम थूक देते हैं। इसके स्थान पर नीम या बबूल की दातुन करे क्यूंकि दातुन करने से लार सर्वाधिक लार बनती है।जितनी दातुन की, उसे काट कर निकाल दे और पानी मे भिगोकर रखें।अगले दिन फिर उसी दातुन को पर्योग करें।

*ये परिणाम सिर्फ शाकाहारी ही ले सकते हैं।*

करेले से होने वाले फायदे

*करेले से होने वाले ये 8 फायदे* 

(1)  करेले में फास्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह कफ, कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। इसके सेवन से भोजन का पाचन ठीक तरह से होता है, और भूख भी खुलकर लगती है।

(2)  अस्थमा की शि‍कायत होने पर करेला बेहद फायदेमंद होता है। दमा रोग में करेले की बगैर मसाले की सब्जी खाने से लाभ मिलता है।

(3)  पेट में गैस बनने और अपच होने पर करेले के रस का सेवन करना अच्छा होता है, जिससे लंबे समय के लिए यह बीमारी दूर हो जाती है।

(4)  करेले का जूस पीने से लीवर मजबूत होता है, और लीवर की सभी समस्याएं खत्म हो जाती है। प्रतिदिन इसके सेवन से एक सप्ताह में परिणाम प्राप्त होने लगते हैं। इससे पीलिया में भी लाभ मिलता है।

(5)  करेले की पत्त‍ियों या फल को पानी में उबालकर इसका सेवन करने से, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, और किसी भी प्रकार का संक्रमण हो, ठीक हो जाता है।

(6)  उल्टी-दस्त या हैजा हो जाने पर करेले के रस में काला नमक मिलाकर पीने से तुरंत आराम मिलता है। जलोदर की समस्या होने पर भी दो चम्मच करेले का रस पानी में मिलाकर पीने से लाभ होता है।

(7)  लकवा या पैरालिसिस में भी करेला बहुत कारगर उपाय है। इसमें कच्चा करेला खाना रोगी के लिए लाभदायक होता है।

(8)  खून साफ करने के लिए भी करेला अमृत के समान है।
मधुमेह में यह बेहद असरकारक माना जाता है। मधुमेह में एक चौथाई कप करेले का रस, उतने ही गाजर के रस के साथ पीने पर लाभ मिलता है।

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