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गुरुवार, 17 जून 2021

चौरासी लाख योनियों के चक्र का शास्त्रों में वर्णन

चौरासी लाख योनियों के चक्र का शास्त्रों में वर्णन-
          
 ३० लाख बार वृक्ष योनि में जन्म होता है ।
इस योनि में सर्वाधिक कष्ट होता है ।
धूप ताप,आँधी, वर्षा आदि में बहुत शाखा तक टूट जाती हैं ।
शीतकाल में पतझड में सारे पत्ता पत्ता तक झड़ जाता है।लोग कुल्हाड़ी से काटते हैं ।

उसके बाद जलचर प्राणियों के रूप में ९ लाख बार जन्म होता 
है. हाथ और पैरों से रहित देह और मस्तक। सड़ा गला मांस  ही खाने को मिलता है. एक दूसरे का मास खाकर जीवन  रक्षा करते हैं।

उसके बाद कृमि योनि में १० लाख बार जन्म होता है। और फिर ११ लाख बार पक्षी योनि में जन्म होता है।वृक्ष ही आश्रय स्थान होते हैं। जोंक, कीड़-मकोड़े, सड़ा गला जो कुछ भी मिल जाय, वही खाकर उदरपूर्ति करना।
स्वयं भूखे रह कर संतान को खिलाते हैं और जब संतान उडना सीख जाती है  तब पीछे मुडकर भी नहीं देखती । काक और शकुनि का जन्म दीर्घायु होता है।

उसके बाद २० लाख बार पशु योनि,वहाँ भी अनेक प्रकार के कष्ट मिलते हैं।अपने से बडे हिंसक और बलवान् पशु सदा ही पीडा पहुँचाते रहते हैं। भय के कारण पर्वत कन्दराओं में छुपकर रहना। एक दूसरे को मारकर खा जाना । कोई केवल घास खाकर ही जीते हैं। किन्ही को  हल खीचना, गाडी खीचना आदि कष्ट साध्य कार्य करने पडते हैं । 
रोग शोक आदि होने पर  कुछ बता भी नहीं सकते।सदा मल मूत्रादि में ही रहना पडता है।
गौ का शरीर समस्त पशु योनियों में श्रेष्ठ एवं अंतिम माना गया है। तत्पश्चात् ४ लाख बार मानव योनि में जन्म होता है ।
इनमे सर्वप्रथम घोर अज्ञान से आच्छादित ,पशुतुल्य आहार -विहार,वनवासी वनमानुष का जन्म मिलता है।

उसके बाद पहाडी जनजाति के रूप में नागा,कूकी,संथाल आदि में उसके बाद वैदिक धर्मशून्य अधम कुल में ,पाप कर्म करना एवं मदिरा आदि निकृष्ट और निषिद्ध वस्तुओं का सेवन ही सर्वोपरि उसके बाद शूद्र कुल में जन्म होता है,
उसके बाद वैश्य कुल में,
फिर क्षत्रिय  और अंत में ब्राह्मणकुल में जन्म मिलता है,
और सबसे अंत में ब्राह्मणकुल में जन्म मिलता है। 
यह जन्म एक ही बार मिलता है ।
जो ब्रह्मज्ञान सम्पन्न है वही ब्राह्मण है।
अपने उद्धार के लिए वह आत्मज्ञान से परिपूर्ण हो जाता है ।
यदि इस दुर्लभ जन्म में भी ज्ञान नहीं प्राप्त कर लेता तो पुनः चौरासी लाख योनियों में घूमता रहता है।

भगवच्छरणागति के अलावा कोई और सरल उपाय नहीं है ।

यह मानव जीवन बहुत ही दुर्लभ है।
बहुत लम्बा सफर तय करके ही यहाँ तक पहुँचे हैं ।
अतः अपने मानव जीवन को सार्थक बनाइये, हरिजस गाइये।🙏🙏🙏

बन्द रहेंगे विद्यामंदिर खुली रहेंगी मधुशाला

*🥃🥃मधुशाला🥃🥃*

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रचनाकार ने कितना सटीक लिखा है -

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*कोई मांग रहा था देशी,*
*और कोई फॉरेन  वाला।*
*वीर अनेकों टूट पड़े थे,*
*खुल चुकी थी मधुशाला।*

*शासन का आदेश हुआ था,*
*गदगद था ठेके वाला।*
*पहला ग्राहक देव रूप था,*
*अर्पित किया उसे माला।*

*भक्तों की लंबी थी कतारें,*
*भेद मिटा गोरा काला।*
*हिन्दू मुस्लिम साथ खड़े थे,*
*मेल कराती मधुशाला।*

*चालीस दिन की प्यास तेज थी,*
*देशी पर भी था ताला।*
*पहली बूंद के पाने भर से,*
*छलक उठा मय का प्याला।*

*गटक गया वो सारी बोतल,*
*तृप्त हुई अंतर उर की ज्वाला।*
*राग द्वेष सब भूल चुका था,*
*बाहर था वो अंदर वाला।*

*हंस के उसने गर्व से बोला,*
*देख ले ऐ ऊपर वाला।*
*मंदिर मस्जिद बंद हैं तेरे,*
*खुली हुई है मधुशाला।*

*पैर बिचारे झूम रहे थे,*
*आगे था सीवर नाला।*
*जलधारा में लीन हो गया,*
*जैसे ही पग को डाला।*

*दौड़े भागे लोग उठाने,*
*नाक मुंह सब था काला।*
*अपने दीवाने की हालत,*
*देख रही थी मधुशाला।*
🍷🍻🥂

*मंदिर-मस्जिद बंद कराकर ,*
*लटका विद्यालय पर ताला !*
*सरकारों को खूब भा रही ,*
*धन बरसाती मधुशाला !!* 😐

     *डिस्टेंसिंग की ऐसी तैसी ,*
     *लाकडाउन को धो डाला !*
     *भक्तों के व्याकुल हृदयों पर*
     *रस बरसाती मधुशाला ।।*😐

*बन्द रहेंगे  विद्यामंदिर,*
*खुली रहेंगी मधुशाला।*
*ये कैसे महामारी है ,*
*सोच रहा ऊपरवाला ।।*😐

यह केन्द्र और राज्य का जो सास-बहु का खेल चल रहा है

*बहुत सुंदर कहानी पढ़ेंगे तो बहुत आनंद आएगा*

दादा है दमदार!

दादा पोटली भरकर लड्डू, मठरी, कलाकंद पोते-पोतियों के लिये लेकर बेटे के घर आये। पोटली पुत्र वधू के हाथ में थमा दी। पोटली अब पुत्रवधू की सम्पत्ति हो गयी। बच्चों को एक-एक लड्डू पकड़ा दिया और कह दिया कि दादा इतना ही लाये थे। चार बातें और बना दी कि दादा दिखाते ज़्यादा है करते कुछ नहीं है! 

बच्चे बोले कि हमें तो लड्डू और खाने हैं। पुत्र वधू बोली कि मैं बना दूँगी। तुम अभी स्कूल जाओ, मैं पीछे से बना दूँगी। अब दादी के हाथ के लड्डू पुत्र वधू के बनाये हो गये। एक दिन दादा ने कहा कि बहू मैं कलाकंद भी लाया था, उसे निकालकर खत्म कर दो नहीं तो खराब हो जाएगा! 

पोटली बच्चों के सामने ही खुल गयी और दादा कितना लाया था, सभी के सामने सच आ गया। यह हमारे घरों में रोज़मर्रा की कहानी है। लेकिन यह कहानी केन्द्र और राज्य सरकारों के पास चले गयी है। 

केन्द्र रूपी दादा ने वेक्सीन भेजी, राज्य रूपी पुत्र वधू ने कहा कि मेरे कब्जे में रहेगी। घर मेरा है, मैं तय करूँगी कि किसको कितना देनी है। बहुत सारी बर्बाद कर दी गयी, बहुत को दबा लिया गया कि मंहगे भाव से बेचेंगे। 

मोदी ने एक दिन पोटली सबके सामने खोल दी। अब कहा कि यह कलाकंद है जो कुछ ही दिनों में समाप्त करनी पड़ेगी! 

कांग्रेसी राज्य के मुख्यमंत्री एक दूसरे की शक्ल देख रहे हैं कि ब्लेक में बेचना तो दूर, अब जल्दी से निपटाना भी पड़ेगा! 

हर शहर में रातों रात हर सेंटर पर वेक्सीन की बाढ़ आ गयी। जहाँ रोज यह कहा जा रहा था कि केन्द्र वेक्सीन दे नहीं रहा! मोदी ने विदेश में दे दी। अब दस दिन में लाखों वैक्सीन समाप्त करनी है। समाप्त नहीं कि तो आगे मिलेगी नहीं। 

यह केन्द्र और राज्य का जो सास-बहु का खेल चल रहा है, उसे समझना होगा। घर के बेटे को आँख खुली रखनी होगी। नहीं तो बेचारे दादा को बदनाम होते देर नहीं लगेगी लेकिन हमारे दादा है दमदार!

दो चार रोज खेल देखा दादा ने, बहु क्या-क्या गुल खिला रही है और बस सारी पोटली के अधिकार हाथ में ले लिये। बच्चे समझ गये हैं कि लड्डू दादा के हाथ के ही हैं। आस-पड़ोस तक बात जा पहुँची है कि दादा क्या-क्या लाये थे! 

*दमदार दादा को प्रणाम।*🙏🏻

सत्यानाश कर दिया लाइफ का मेडिकल माफिया ने

*सत्यानाश कर दिया लाइफ का*
*मेडिकल माफिया ने*
☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️😊☺️

*क्या आप इससे मुक्त होना चाहते हैं?*

मेडिकल माफिया की करतूतें ..... इससे पता चलती है कि इन्होंने :-

1.पहले सिगरेट को प्रमोट किया ।

2. फिर प्राणघातक  रिफाइंड को प्रमोट किया ।

3. सरसों के शुद्ध तेल और देशी घी का विरोध किया ।

4 .बच्चों के लिये अमृत समान देशी गाय के दूध और शहद के स्थान पर, कैंसर कारक जर्सी गाय के दूध और skimmed milk powder को प्रोमोट किया।

5. खिचड़ी के स्थान पर मैदा की 7 दिन पुरानी ब्रेड को प्रोमोट किया।

6. सेंधा नमक के स्थान पर समुद्री नमक को प्रोमोट किया।

7. गुड़ के स्थान पर 7 जहरीले केमिकल से बनी सफेद चीनी को प्रमोट किया।

क्या मेडिकल माफिया ने इन सबको आपकी भलाई के लिये प्रमोट किया ।

1. क्या किसी मेडिकल माफिया ने आपको बताया कि उच्च रक्तचाप (BP), URIC ACID और अन्य acid आदि की समस्या की जड़ चाय है ? जब चाय छोड़ दोगे तो 10 बड़ी बीमारियों - एसिडिटी, यूरिक एसिड, डायबिटीज, किडनी से सम्बंधित समस्याओं से पीछा भी छूट जाएगा । 

2. क्या किसी मेडिकल माफिया ने आपको मधुमेह ( शुगर) की जड़ गेहूँ के आटे (पैकेज्ड) के बारे में बताया ? इसे छोड़कर अगर आप ज्वार, बाजरा, जों, चन्ने का आटे के मिश्रित आटे जा प्रयोग करेंगे तो मधुमेह आपका पीछा छोड़ देगा ।

3. क्या किसी मेडिकल माफिया ने केमिकल युक्त चीनी के स्थान पर देशी खांड जिसमे कोई केमिकल नहीं पड़ता उसके बारे में बताया ?

4. क्या किसी मेडिकल माफिया ने फ्रिज के ठंडे पानी से होने वाले सिरदर्द के बारें में बताया ? ठंडा पानी छोड़ देंगे तो उसके बाद न केवल सिरदर्द से पीछा छूट जाएगा बल्कि हार्ट ब्लॉकेज की सम्भावना भी खत्म हो जाएगी।

5. क्या किसी मेडिकल माफिया ने हानिकारक विटामिन D के  स्थान पर धूपस्न्नान लेने की सलाह दी?

6. कैल्शियम की गोलियों जिससे कब्ज़ हो जाती है उसके स्थान पर चुने की गोलियों का सेवन की सलाह दी?

7. विटामिन c की गोलियों के स्थान पर खट्टे फल खाने की सलाह दी?

8. Zinc की गोलियों के स्थान पर प्रातः ताम्रपत्र में जल पीने की सलाह दी.

9. पेट से होने वाली 85% बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए क्या कभी ऊषापान की सलाह दी? उल्टे विज्ञापन देते हैं कि रात भर जे डर्टी कीटाणु?? वो भी एक बच्ची के मुंह से कहलवाते हैं, इमोशनल ब्लैकमेल???

मेरी राय में इन मेडिकल माफिया को, और जो डॉक्टर लुटेरे बनकर इसका प्रचार करते हैं, उन्हें फांसी पर लटका देना चाहिए क्योंकि ये सफेद कपड़ों में करोड़ों लोगों को मौत बांट रहे हैं। वरना जो सही डॉक्टर हैं, वो तो खुद अपने गम्भीर रोगों के उपचार के लिए आयुर्वेद व योग की शरण लेने में संकोच नहीं करते।

अगर मेडिकल माफिया या उनकी गैंग का डॉक्टर आपको सही सलाह देगा तो एक तो यह कमीशन से हाथ धो बैठगा दूसरा रोगी के धन से।

अब बताओ! 
या तो यह तथाकथित MEDICAL SCIENCE झूठी है या तुम्हारी नीयत में खोट है...

फैसला आपको करना है।

जयहिन्द 🙏🇮🇳🙏🌹🌹🌹

जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव श्री चम्पत राय बंसल

क्या ऐसे ही किसी ऐरे गैरे को विहिप का सर्वेसर्वा बना दिया जाएगा ? या फिर रामजन्मभूमि ट्रस्ट का महासचिव ? लो आज जानो कौन हैं चम्पत राय जी...

जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव श्री चम्पत राय बंसल 

1975 इँदिरा गाँधी द्वारा थोपे आपातकाल के समय बिजनौर के धामपुर स्थित आर एस एम कॉलेज में एक युवा प्रोफेसर चंपत राय, बच्चों को केमिस्ट्री पढ़ा रहे थे, तभी उन्हें गिरफ्तार करने वहां पुलिस पहुंची क्योंकि वह संघ से जुड़े थे। अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय चंपत राय जानते थे कि उनके वहाँ गिरफ्तार होने पर क्या हो सकता है। पुलिस को भी अनुमान था कि छात्रों का कितना अधिक प्रतिरोध हो सकता है।

प्रोफ़ेसर चंपत राय ने पुलिस अधिकारियों से कहा, आप जाइये में बच्चों की क्लास खत्म कर थाने आ जाऊँगा। पुलिस वाले इस व्यक्ति के शब्दों के वजन को जानते थे अतः वे लौट गए।क्लास खत्म कर बच्चों को शांति से घर जाने के लिए कह कर प्रोफेसर चंपत राय घर पहुँचे, माता पिता के चरण छू आशीर्वाद लिया और लंबी जेल यात्रा के लिए थाने पहुंच गए।

18 महीने उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बेहद कष्टकारी जीवन व्यतीत कर जब बाहर निकले तो इस दृढ़प्रतिज्ञ युवा के आत्मबल को संघ के सरसंघचालक श्री रज्जू भैया ने पहचाना और राममंदिर की लड़ाई के लिए अयोध्या को तैयार करने का जिम्मा उनके कंधों पर डाल दिया।

चंपत राय ने अपनी सरकारी नौकरी को लात मार दिया और राम काज में जुट गए। वे अवध के गाँव गाँव गये हर द्वार खटखटाया। स्थानीय स्तर पर ऐसी युवा फौज खड़ी की जो हर स्थिति से लड़ने को तत्पर थी। अयोध्या के हर गली कूँचे ने चंपत राय को पहचान लिया और हर गली कूंचे को उन्होंने भी पहचान लिया। उन्हें अवध का इतिहास, वर्तमान, भूगोल की ऐसी जानकारी हो गई कि उनके साथी उन्हें "अयोध्या की इनसाइक्लोपीडिया" उपनाम से बुलाने लगे।

बाबरी ध्वंस से पूर्व से ही चंपत राय जी ने राम मंदिर पर "डॉक्यूमेंटल एविडेंस" जुटाने प्रारम्भ किये। लाखों पेज के डॉक्यूमेंट पढ़े और सहेजे, एक एक ग्रंथ पढ़ा और संभाला उनका घर इन कागजातों से भर गया, साथ ही हर जानकारी उंन्हे कंठस्थ भी हो गई। के. परासरण और अन्य साथी वकील जब जन्मभूमि की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे तो उन्हें अकाट्य सबूत देने वाले यही व्यक्ति थे।

6 दिसंबर 1992 को मंच से बड़े बड़े दिग्गज नेता कारसेवकों को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे थे। तमाम निर्देश दिए जा रहे थे। ढांचे को नुकसान न पहुचाने की कसमें दी जा रहीं थीं, उस समय चंपत राय जी मंच से कुछ दूर स्थानीय युवाओं के साथ थे। एक पत्रकार ने चंपत राय से पूछा "अब क्या होगा?" उन्होंने हँस कर उत्तर दिया "ये राम की वानर सेना है, सीटी की आवाज पर पी टी करने यहां नहीं आयी...ये जो करने आयी है करके ही जाएगी."

इतना कह उन्होंने एक बेलचा अपने हाथ में लिया और ढांचे की ओर बढ़ गये, फिर सिर्फ जय श्री राम का नारा गूंजा और... इतिहास रच गया। आदरणीय चंपत राय को यूं ही राम मंदिर ट्रस्ट का सचिव नहीं बना दिया गया है। उन्होंने रामलला के श्रीचरणों में अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित किया है। प्यार से उन्हें लोग "रामलला का पटवारी" भी कहते हैं। यह व्यक्ति सनातन का योद्धा है। कोई मुंह फाड़ बकवास करता कायर नहीं।

ढांचा ध्वंस के मुकदमों में कल्याण सिंह जी के बाद चंपत राय ने ही अदालत और जनसामान्य दोनों के सामने सदैव खुल कर उस घटना का दायित्व अपने ऊपर लिया है। चम्पत राय जी कह चुके हैं, जैसे ही राममंदिर का शिखर देख लेंगे युवा पीढ़ी को मथुरा की ज़िमेदारी निभाने को प्रेरित करने में जुट जाएंगे"।

चंपत राय जी धर्म की छोटी से छोटी चीजों का ध्यान रखने वाले तपस्वी और विद्वान हैं। एक बार वे किसी काम से काशी में किन्हीं के यहां रुके, तब रात्रि में देखा तो पाया कि बैड का डायरेक्शन कुछ ऐसा था कि सोते हुए पैर दक्षिण की तरफ हो जा रहे थे, उन्हें एक रात को भी यह स्वीकार नहीं था, रात में ही उन्होंने बैड का डायरेक्शन ठीक करवाया, तभी सोए। जो धोती कुर्ता पहनकर भारत का गाँव गाँव नापने वाला व्यक्ति अपने निजी जीवन में हिन्दू जीवनचर्या की छोटी छोटी बातों का हठ के साथ पालन करता है वह श्रीराममंदिर के संदर्भ में किस हद तक विचारशील और जुझारू होगा, समझा जा सकता है। 

हरामजादे तो हमेशा रामजादों की पूंछ में आग लगाने की कोशिश करते आए हैं, अंजाम तो उलट पलटि सब लंका जारी ही हुआ है..

जय श्री सियाराम!!!

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