यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 27 जून 2021

मधुमक्खियों द्वारा बनाया गया एक स्वास्थ्यवर्धक आहार - शहद

मधु - मधुमक्खियों द्वारा बनाया गया एक स्वास्थ्यवर्धक आहार

मधु या शहद (Honey) एक मीठा, चिपचिपाहट वाला अर्ध तरल पदार्थ होता है जो मधुमक्खियों द्वारा पौधों के पुष्पों में स्थित मकरन्दकोशों से स्रावित मधुरस से तैयार किया जाता है और आहार के रूप में मौनगृह में संग्रह किया जाता है


बोतल में छत्ते के साथ रखी मधु

शहद को प्राचीन काल से ही विभिन्न धर्मों में उच्च मान्यता मिली हुई है। हिन्दु धर्म के प्राचीन ग्रन्थ, ऋगवेद में भी शहद तथा मधुमक्खियों के बारे में बहुत से सन्दर्भ मिलते हैं। शहद हिन्दू धर्म के बहुत से धार्मिक कृत्यों तथा समारोहों में प्रयोग होता है। प्राचीन यूनानी सभ्यता में भी शहद को बहुत मूल्यवान आहार तथा भगवान की देन माना जाता था। यूनानी देवताओं को अमरत्व प्राप्त था जिसका कारण उनके द्वारा किया गया ऐम्ब्रोसिआ सेवन बताया गया था, जिसमें शहद एक प्रमुख भाग होता था। अरस्तु की पुस्तक नेचुरल हिस्टरी में भी शहद पर बहुत से प्रत्यक्ष प्रेक्षण उपलब्ध हैं। उसका विश्वास था कि शहद में जीवन वृद्धि तथा शरीर हृष्ट-पुष्ट रखने के लिए आसाधारण गुण होते हैं। 

अगर आप 'मधु' शब्द के बारे में ढूंढ रहे हैं तो मधु (शब्द) देखिये शहद में जो मीठापन होता है वो मुख्यतः ग्लूकोज़ और एकलशर्करा फ्रक्टोज के कारण होता है। शहद का प्रयोग औषधि रूप में भी होता है। शहद में ग्लूकोज व अन्य शर्कराएं तथा विटामिनखनिज और अमीनो अम्ल भी होता है जिससे कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं जो घाव को ठीक करने और उतकों के बढ़ने के उपचार में मदद करते हैं। प्राचीन काल से ही शहद को एक जीवाणु-रोधी के रूप में जाना जाता रहा है। शहद एक हाइपरस्मॉटिक एजेंट होता है जो घाव से तरल पदार्थ निकाल देता है और शीघ्र उसकी भरपाई भी करता है और उस जगह हानिकारक जीवाणु भी मर जाते हैं। जब इसको सीधे घाव में लगाया जाता है तो यह सीलैंट की तरह कार्य करता है और ऐसे में घाव संक्रमण से बचा रहता है

इसमें पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वों के बारे में जानते हैं।

शहद के पौष्टिक तत्व – Honey Nutritional Value in Hindi 

शहद में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व कुछ इस प्रकार हैं :

पोषक तत्वमात्रा प्रति 100 ग्राम
पानी17.1 ग्राम
कैलोरी304 kcal
प्रोटीन0.3 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट82.4 ग्राम
फाइबर0.2 ग्राम
शुगर82.12 ग्राम
मिनरल्स
कैल्शियम6 मिलीग्राम
आयरन0.42 मिलीग्राम
मैग्नीशियम2 मिलीग्राम
फास्फोरस4 मिलीग्राम
पोटैशियम52 मिलीग्राम
सोडियम4 मिलीग्राम
जिंक0.22 मिलीग्राम
मैंगनीज0.08 मिलीग्राम
कॉपर0.036 मिलीग्राम
सेलेनियम0.8 माइक्रोग्राम
विटामिन
विटामिन सी0.5 मिलीग्राम
राइबोफ्लेविन0.038 मिलीग्राम
नियासिन0.121 मिलीग्राम
फोलेट2 माइक्रोग्राम
कोलीन2.2 मिलीग्राम

मधु शर्कराओं एवं अन्य यौगिकों का मिश्रण होता है। कार्बोहाईड्रेट के संदर्भ में मधु में मुख्यतः फ्रक्टोज़ (लगभग ३८.५%) एवं ग्लूकोज़ (लगभग ३१.०%) होता है,जो इसे कृत्रिम रूप से उत्पादित इन्वर्टेड शुगर सीरप के समाण रखता है, जिसमें ४८% फ्रक्टोज़, ४७% ग्लूकोज़ एवं ५% सकरोज़ होते हैं। मधु के शेष कार्बोहाईड्रेट में माल्टोज़, सकरोज़ एवं अन्य जटिल कार्बोहाईड्रेट होते हैं। मधु में नाममात्र को विभिन्न विटामिन एवं खनिज होते हैं। अन्य सभी पोषक स्वीटनरों की भांति ही, मधु में अधिकांश शर्करा ही होती है और ये विटामिन या खनिजों का विशेष स्रोत नहीं है। मधु में अति लघु मात्रा में विभिन्न अन्य यौगिक भी होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट्स का कार्य करते हैं, साथ ही क्राइसिनपाइनोबैंकसिनविटामिन सीकैटालेज़, एवं पाइनोसेंब्रिन भी होते हैं। फिर भी मधु के विशिष्ट संयोजन उसे बनाने वाली मधुमक्खियों पर व उन्हें उपलब्ध पुष्पों पर निर्भर करते हैं।शहद एक प्राकृतिक स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक आहार है जिसे त्‍वचा को सुंदर बनाने और मोटापा कम करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। अगर आप अपने बढ़ते हुए वजन से परेशान हो चुके हैं और जिम जाने का समय नहीं है तो शहद का प्रयोग कर के आप बिल्‍कुल स्‍लिम-ट्रिम बन सकते हैं।


टेक्सास के एक मेल में शहद की विभिन्न किस्में एवं फ्लेवर
मधु के कई प्रकार होते हैं। इन प्रकारों का वर्गीकरण प्रायः उन मधुमक्खियों द्वारा मधुरस एकत्रित किये जाने वाले प्रमुख स्रोतों के आधार पर किया जाता है। उदाहरणार्थ अल्फा-अल्फा मधु, बरसीम मधु, छिछड़ी या शैन मधु, लीची मधु आदि। इसके अलावा शहद के संसाधन और शोधन की प्रक्रिया के आधार पर किया जा सकता है

निष्कासित मधु
निष्कासित मधु को छाना हुआ शहद भी कहते हैं। यह मधु निष्कासन मशीन द्वारा निकाला जाता है तथा शहद का शुद्धतम प्रकार होता है। यह मौनगृहों से पाली गई मधुमक्खियों जैसे एपिस मैलीफरा और एपिस सिराना से प्राप्त होता है। निष्कासित मधु निम्न प्रकार का हो सकता है।

तरल मधु
तरल मधु वह होता है जो शहद दृश्य रवों (क्रिस्टल) से मुक्त हो यानि जो एकदम रवेदार न हो।

रवेदार मधु
इसमें मधु पूर्ण रूप से रवेदार या ठोस बन जाता है। यह क्रिस्टलीकरण प्राकृतिक रूप से या भिन्न क्रिस्टलीकरण क्रियाओं द्वारा हो सकता है।
निचोड़ने से प्राप्त शहद
यह शहद मधुमक्खियों को निर्दयी ढंग से मारने के बाद प्राप्त किया जाता है क्योंकि शहद प्राप्त करने के लिए उनके छत्ते को निचोड़ा जाता है। इस प्रकार का शहद प्राकृतिक रूप से बने छत्तों से प्राप्त होता है जैसे जंगली मौन (एपिस डौरसेटा) या भारतीय मौन (एपिस सिराना) जो प्राकृतिक रूप से जंगलों, चट्टानों, पुरानी इमारतों आदि में छत्ते बनाती हैं। निचोड़ने से प्राप्त शहद न केवल अशुद्ध होता है परन्तु जल्दी ही खराब भी हो जाता है।
कोष्ठ मधु
कोष्ठ मधु या हनी कॉम्ब
कोष्ठ या कॉम्ब मधु छत्तों के कोष्ठों में होता है जहां पर यह संग्रह किया जाता है। कौम्ब मधु भिन्न प्रकार का होता हैः

खण्ड कौम्ब मधु
यह भिन्न माप के वर्गाकार या आयाताकार मोमी छत्तों के खण्डों में पैदा किया जाता है।

व्यक्तिगत खम्ड कौम्ब मधु
इसे छोटे-छोटे मोमी छत्तों के खण्डों में पैदा किया जाता है। प्रत्येक खण्ड साधारण खण्ड के माप का एक चौथाई भाग होता है।

अम्बार कौम्ब मधु
यह मधु छिछली निष्कासन की जानी वाली फ्रेमों से, जिनमें पतली सुपर छत्ताधार लगी होती है, से पैदा किया जाता है। ये छत्ते जब पूरी तरह मधु से भर जाते हैं तथा कोष्ठक सील कर दिये जाते हैं तो इसे मौन गृह से निकाल कर ऐसे ही पैक कर बेच दिया जाता है।
काट कौम्ब मधु
इसमें अम्बार कौम्ब मधु को भिन्न माप के टुकड़ों में काटा जाता है, इसके किनारों को निष्कासित किया जाता है तथा व्यक्तिगत टुकड़ों को पोलीथीन के थैलों में लपेटा जाता हैं।

चंक मधु
इसमें कट कौम्ब मधु को एक डिब्बे में, जिसमें तरल निष्कासित मधु भरा होता है, पैक कर दिया जाता है।
भौतिक गुण


शहद के भौतिक गुण इसकी शुद्धता मानक ज्ञात करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

आद्रता बही गुण
शहद आर्द्र होता है तथा हवा से नमी सोख लेता है। जिन क्षेत्रों में बहुत अधिक नमी होती है वहां मधु के खराब होने की अधिक संभावना होती है। शहद में आर्द्रता सोखने की गुणवत्ता इसमें उपस्थित शर्करा की सान्ध्रता तथा नमी पर निर्भर करती है। शहद में उपस्थित नमी का विशेष आपेक्षिक आर्द्रता के साथ सन्तुलन में होती है। मधु को नमी सोखने तथा सड़ने से बचाने के लिए ठीक संग्रहण करना चाहिए।
गाढ़ापन
शहद गाढ़ा द्रव्य होता है तथा गाढ़ेपन का माप इसके बहाव/प्रवाह को दर्शाता है। गर्म करने से इसका गाढ़ापन कम हो जाता है। गाढ़ापन प्रोटीन मात्रा पर भी निर्भर करता है जो अन्ततः मधुरस स्रोत पर निर्भर करता है। जिस मधु में प्रोटीन की अधिक मात्रा होती है वह अधिक गाढ़ा होता है।

सुगन्ध और रंग
मधु का रंग तथा इसकी गन्ध पुष्पन स्रोत पर निर्भर करती है जहां से इसे एकत्र किया जाता है। भिन्न फूलों से प्राप्त मधुरस का रंग तथा गन्ध भिन्न होती है और यह मधुरस की मूल रचना पर निर्भर करता है। भिन्न मधु का रंग हल्के से गहरे अम्बर (तृणमणि) का तथा गन्ध मध्यम सुखद होती है।

औषधीय गुण
शहद को जीवाणु निवारण रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में शहद के उत्पादन में काम करने वाली मधुमक्खियां एन्जाइम ग्लूकोज ऑक्सीडेज को नेक्टर में बदल देती हैं। जब शहद को घाव पर लगाया जाता है तो इस एंजाइम के साथ हवा की ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही बैक्टीरीसाइड हाइड्रोजन पर आक्साइड बनती है। मनुका (मेडिहनी) औषधीय मधु होता है जिसके जीवाणु-रोधी कई तरह के स्रोतों से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड आदि स्थानों से प्राप्त किए जाते हैं। वर्ष २००७ में हेल्थ कनाडा ओर यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने क्रमश: पहली बार इस मेडिसिनल हनी को घाव और जलने में प्रयोग की अनुशंसा की है। इनके अलावा शहद के प्रयोग से सूजन और दर्द भी दूर हो जाते हैं। घावों या सूजन से आने वाली दुर्गंध भी दूर होती है। शहद की पट्टी बांधने से मरे हुए ऊतकों की कोशिकाओं के स्थान पर नई कोशिकाएं पनप आती हैं। इस प्रकार मधु से घाव तो भरते ही हैं और उनके निशान भी नहीं रहते।
अहार-रूप में उपयोग
मधु एक ऊष्मा व ऊर्जा दायक आहार है तथा दूध के साथ मिलाकर यह सम्पूर्ण आहार बन जाता है। इसमें मुख्यतः अवकारक शर्कराएं, कुछ प्रोटीन, विटामिन तथा लवण उपस्थित होते हैं। शहद सभी आयु के लोगों के लिए श्रेष्ठ आहार माना जाता है और रक्त में हीमोग्लोबिन निर्माण में सहायक होता है। एक किलोग्राम शहद से लगभग ५५०० कैलोरी ऊर्जा मिलती है। एक किलोग्राम शहद से प्राप्त ऊर्जा के तुल्य दूसरे प्रकार के खाद्य पदार्थो में ६५ अण्डों, १३ कि.ग्रा. दूध, ८ कि.ग्रा. प्लम, १९ कि.ग्रा. हरे मटर, १३ कि.ग्रा. सेब व २० कि.ग्रा. गाजर के बराबर हो सकता है।

रॉ हनी vs कमर्शियल हनी - कौन सा बेहतर है?

कभी आपने सोचा है कि शहद के लिए अलग-अलग लेबल क्यों इस्तेमाल किए जाते हैं? रॉ हनी, कमर्शियल हनी, ऑर्गेनिक हनी और अनफिल्टर्ड हनी है? क्या वे सभी अनिवार्य रूप से समान नहीं हैं? खैर, पोषण मूल्य और प्रसंस्करण के संदर्भ में, वे समान नहीं हैं। आइए जानते हैं, रॉ हनी और कमर्शियल हनी के बारे में, और उनमें अंतर क्या होते हैं।

शहद के विभिन्न प्रकार होते हैं, यह कई रूपों में आता है, यह क्रीमयुक्त, रनी, सेट या कॉम्ब शहद हो सकता है। कुछ लोग मधुमक्खी पालक से सीधे शहद खरीदना पसंद करते हैं, अन्य इसे विशेष स्टोर या सुपरमार्केट से उठाते हैं।

हमेशा नकली शहद (फेक हनी) खरीदने का जोखिम होता है जो भारी संसाधित और पास्चुरीकृत होता है। प्रसंस्करण सभी प्राकृतिक विटामिन, खनिज, एमिनो एसिड और एंजाइम को नष्ट कर देता है और शहद के पोषण मूल्य को भी कम करता है।

कच्चे शहद क्या है?

इसे सीधे शब्दों में कहें, तो कच्चे शहद वह है जिसे फ़िल्टर, पास्चुरीकृत या संसाधित नहीं किया जाता है। कच्चा शहद किसी भी प्रकार के उच्च ताप या प्रसंस्करण से नहीं गुजरता है।

कच्चे शहद को नेचुरल हनी, अनफिल्टर्ड हनी या प्योर हनी भी कहा जाता है।

कच्चे शहद को केवल स्थानीय मधुमक्खी पालकों से खरीदा जाना चाहिए जो किसी भी तरह से अपने शहद को संसाधित नहीं करते हैं।

कच्चे शहद को सीधे मधुकोश से निकाला जाता है और कभी भी पास्चुरीकृत नहीं किया जाता है। मधुमक्खी पालक किसी भी मलबे या अशुद्धियों को हटाने के लिए केवल शहद को छानता है। कच्चा शहद अपारदर्शी या बादलदार दिखता है लेकिन फिर भी इसका सेवन करना सुरक्षित होता है।

कमर्शियल हनी क्या है?

कमर्शियल हनी वह होता है जो उच्च तापमान वाली गर्मी में तेजी से ठंडा होने के बाद प्रसंस्करण से गुजरता है।

पैक किए जाने पर शहद की आसान हैंडलिंग को सक्षम करने के लिए इसे पास्चुरीकृत किया जाता है। शहद को गर्म करने के बाद, पानी की तरह हो जाता है, इसलिए कमर्शियल शहद को छानना आसान होता है। इसके अलावा, अशुद्धियों को हटाने के अलावा, छानने से शहद बनावट में चिकना और साफ दिखाई देता है।

शहद का पास्चुरीकरण उसके शैल्फ जीवन को बढ़ाता है, शहद की उपस्थिति को बढ़ाता है, और खमीर कोशिकाओं को भी मारता है जो शहद के स्वाद को बदल सकता है। हालांकि, पाश्चराइजेशन शहद में पोषक तत्वों और एंटीऑक्सिडेंट की संख्या को कम करता है।

रॉ हनी और कमर्शियल हनी के बीच तुलना

कच्चा शहद, शहद का सबसे प्राकृतिक रूप है और इसके सभी स्वस्थ गुणों को बनाए रखता है। मधुमक्खियां विभिन्न वनस्पतियों और फूलों से अमृत इकट्ठा करती हैं।

बाद में मधुमक्खियां इस अमृत को अपने छत्ते में ले जाती हैं और इसे मधुमक्खियों के छत्ते में रख देती हैं। एक बार जब अमृत को संग्रहीत किया जाता है, तो मधुमक्खियां अपने पंखों का उपयोग अमृत से पानी की सामग्री को निकालने के लिए करती हैं।

समय के साथ, अमृत परिपक्व हो जाता है और शहद बन जाता है। इसमें लगभग 2-3 सप्ताह लगते हैं। मधुमक्खी पालक मधुमक्खी के कणों को बनाए रखने के लिए छत्ते से शहद निकालता है और उसे छानता है लेकिन मधुमक्खियों या अन्य अशुद्धियों को हटा देता है।

दुकानों से खरीदा गया कमर्शियल शहद अत्यधिक प्रसंस्करण का अनुभव कराता है। शहद का पास्चुरीकरण किया जाता है जहाँ शहद को लगभग 70 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किया जाता है। हालांकि, मधुमक्खी का तापमान केवल 40 डिग्री तक जा सकता है।

इसके कारण, कमर्शियल शहद अपनी सभी प्राकृतिक विशेषताओं को खो देता है।

कमर्शियल शहद को अत्यधिक मात्रा में छान लिया जाता है जिसके कारण यह समृद्ध पौष्टिक मूल्यों को खो देता है, और शहद बहुत साफ और चिकना होता है। कमर्शियल शहद में भी चीनी का सिरप होता है और परिणामस्वरूप, विभिन्न रूपों में आप केवल कमर्शियल शुगर का उपभोग कर रहे होते हैं।

स्वास्थ्यप्रद शहद कैसे लिया जा सकता है?

  1. स्वास्थ्यप्रद शहद को चेरी-लेने के लिए, इसे सीधे मधुमक्खी पालक से खरीदना पसंद करें।

    लेकिन अगर आपको शुद्ध ऑर्गेनिक शहद चाहिए तो आप damolik कंपनी का wild forest honey ले सकते है 


    Call or whatsapp for wild forest Honey - 9352174466

    Whatsapp link  https://wa.me/message/MGAXBXAZ7MHOG1
  2. यदि यह आपके लिए संभव नहीं है, तो शहद ब्रांडों की तलाश करें जो लेबल पर कच्चे होते हैं।
  3. ध्यान रखें कि शुद्ध या जैविक के रूप में लेबल किए गए शहद ब्रांड निश्चित रूप से कच्चे नहीं हो सकते हैं।
  4. शहद की उपस्थिति अन्य कारक है जो आपको तय करने में मदद कर सकती है!
  5. कमर्शियल शहद बनावट में बहुत चिकना और स्पष्ट दिखाई देता है जबकि कच्चा शहद थोड़ा बादल या मलाईदार लगता है क्योंकि इसे फ़िल्टर नहीं किया जाता है।
  6. कमर्शियल शहद की तुलना में कच्चा शहद स्वाद और रंग में अधिक विविधता रखता है।

रॉ हनी और कमर्शियल हनी - उनके बीच क्या अंतर है?

कच्चे शहद और कमर्शियल हनी के बीच अंतर निम्नलिखित है:

  1. कच्चा शहद अधिक पौष्टिक होता है

    कच्चा शहद विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों से भरा होता है जिसमें अमीनो एसिड, खनिज, विटामिन और एंजाइम शामिल होते हैं। कच्चे शहद में पॉलीफेनॉल्स के रूप में जाना जाने वाला बायोएक्टिव प्लांट यौगिक भी होता है जो एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है।

    दूसरी ओर, कमर्शियल शहद में भारी प्रसंस्करण के कारण केवल एंटीऑक्सिडेंट और पोषक तत्वों के निशान हो सकते हैं।

  2. कमर्शियल हनी किसी भी पराग को शामिल नहीं करता है

    कच्चे शहद में मौजूद मधुमक्खी पराग बेहद पौष्टिक होते हैं और इसमें आवश्यक फैटी एसिड और सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। इसमें उल्लेखनीय स्वास्थ्य लाभ होते हैं और यह सूजन से लड़ने और लिवर के कार्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।

    कमर्शियल शहद, अल्ट्राफिल्ट्रेशन और हीट ट्रीटमेंट जैसे प्रसंस्करण विधियों से गुजरता है जो मधुमक्खी पराग को शहद से दूर करते हैं।

  3. कमर्शियल हनी में आर्टिफिशियल शुगर या एडिटिव्स होते हैं

    कच्चे शहद में पराग होता है और अधिक पौष्टिक होता है। कमर्शियल शहद में शुगर और एडिटिव्स होते है।

सारांश:

जब शहद के फायदे की बात आती है तो कच्चा शहद को लेना चाहिए। यह सभी प्राकृतिक तत्वों को धारण करता है क्योंकि यह संसाधित नहीं होता है, इसलिए यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए अधिक उपयुक्त है जो स्वास्थ्य के लिए शहद का उपयोग करते हैं। कच्चे शहद को केवल हल्के से फ़िल्टर किया जाता है, इसलिए यह इसके अधिकांश पोषक तत्वों और एंटीऑक्सिडेंट्स को बरकरार रखता है।

दुर्भाग्य से, कमर्शियल शहद ग्राहकों के लिए इसे और अधिक आकर्षक बनाने के लिए कई प्रकार के प्रसंस्करण और उपचार से गुजरता है, लेकिन यह पराग जैसे उपयोगी पोषक तत्वों को हटा देता है और शहद में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट के स्तर को भी कम करता है।

जब हेल्दी शहद लेने की बात आती है, तो कच्चा शहद खरीदना सबसे अच्छा होता है। इसलिए, उपभोक्ताओं को सतर्क रहना चाहिए और बड़े सुपरमार्केट से शहद खरीदने से पहले, उन्हें यह पता होना चाहिए कि शहद असली और कच्चा है या नहीं, यह जानने के लिए सामग्री और अन्य पैकेजिंग विवरण के लिए लेबल को पढ़ना चाहिए।

बाज़ार में उपलब्ध शहद
शहद का सेवन करने के कई फायदे हैं जिनमें शरीर में ऊर्जा बढ़ाने से लेकर दमकती त्वचा और वजन घटाने तक के फायदे शामिल हैं। शहद के इन्हीं फ़ायदों के चलते आज इसके व्यपार में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। आज बाज़ार में विभिन्न कंपनियों के शहद मिल रहे हैं, जिनमें डाबर, हिमालया, पतंजलि और खादी के नाम शामिल हैं। 

जानते हैं कि शहद को कहां से खरीदा जा सकता है।

शहद कहां से खरीदें? 

आजकल शहद हर जगह आसानी से मिल जाता है। इसको खरीदने की सबसे अच्छी जगह आयुर्वेद की दुकान या फिर मेडिकल स्टोर है। वहां आप इसे इसकी एक्सपायरी डेट देखकर खरीद सकते हैं। लेकिन अगर आपको शुद्ध ऑर्गेनिक शहद चाहिए तो आप damolik कंपनी का wild forest honey ले सकते है 


Call or whatsapp for wild forest Honey - 9352174466

Whatsapp link  https://wa.me/message/MGAXBXAZ7MHOG1

शहद के फायदे और नुकसान 

हनी यानी शहद कई गुणों और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसका उपयोग आयुर्वेद में कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता रहा है और प्राचीन काल में इसे देवताओं का अमृत भी कहा जाता है। शहद सेहत के लिए कई प्रकार से फायदेमंद तो हैं ही साथ में कमजोरी और बीमारियों को भी दूर भगाने में मददगार हो सकता है। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे शहद के गुण के बारे में। साथ ही बीमारियों से बचने के लिए शहद के फायदे भी जानेंगे। वहीं, अगर कोई बीमार है, तो शहद कुछ लक्षणों को कम कर सकता है। साथ ही अगर कोई गंभीर रूप से बीमार है, तो डॉक्टर से इलाज करवाना ही बेहतर है। आर्टिकल में शहद के फायदे और नुकसान के संबंध में दी गई जानकारी कई शोधों के आधार पर है। इनमें से अधिकतर शोध जानवरों पर किए गए है और कुछ मनुष्यों पर

शहद के प्रकार –

शहद के विभिन्न प्रकार आपको बाजार में मिल जाएंगे, जिन्हें निम्नलिखित रूपों में जाना जाता है:

  • मनुका शहद
  • क्लॉवर शहद
  • लेदर वुड हनी
  • बकवीट हनी
  • अल्फाल्फा हनी
  • रोजमेरी हनी
  • ब्लूबेरी हनी
  • लैवेंडर हनी

आयुर्वेद में भी शहद के विभिन्न रूपों का उल्लेख किया गया है, जैसे – माक्षिक, भ्रामर, क्षौद्र, पौतिक, छात्र, आर्ध्य, औद्दालिक और दाल। 

आइए, अब शहद के फायदों के बारे में विस्तार से बात करते हैं। 

शहद के फायदे – Benefits of Honey

जिस प्रकार शहद कई गुणों से भरपूर होता है, वैसे ही इसके फायदे भी अनगिनत हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कि सेहत के लिए शहद किस प्रकार से फायदेमंद साबित हो सकता है।

1. वजन घटाने में मददगार

यहां हम बता रहे हैं कि वजन घटाने के लिए हनी का इस्तेमाल किस प्रकार करें। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, शहद में वजन को बढ़ने से रोकने के गुण पाए जाते हैं और यह वजन के बढ़ने की गति को धीमा कर देता है। इसके अलावा, शहद के गुण कुछ हद तक वजन को कम करने में भी कारगर हो सकते हैं। एनसीबीआई की ओर से उपलब्ध एक अन्य शोध में भी कहा गया है कि मोटापे को नियंत्रित करने के लिए शहद का इस्तेमाल दवा की तरह किया जा सकता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि शहद में एंटीओबेसिटी प्रभाव होता है ।

एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध की बात की जाए, तो रॉ हनी में एंटीडिप्रेसेंट प्रभाव पाया जाता है। इस प्रभाव के कारण शहद में अवसाद या तनाव को कम करने वाला गुण शामिल होते हैं । एक अन्य शोध में भी कहा गया है कि शहद का सेवन करने से तनाव कम हो सकता है। चिंता को कम करने के साथ-साथ शहद के गुण स्मृति में भी सुधार कर सकते हैं । हां, अगर कोई गंभीर रूप से तनाव या डिप्रेशन में है, तो उसे बिना देरी किए डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए।

3. मधुमेह की समस्या में

4. जले हुए और घाव के लिए हनी के फायदे

शहद का उपयोग जलने पर और घावों की स्थिति को सुधारने के लिए किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से पता चला है कि शहद न सिर्फ जलने की समस्या को ठीक करने में मददगार हो सकता है, बल्कि घाव को भरने में भी फायदेमंद हो सकता है। शोध में पाया गया कि शहद में एंटी इंफेक्शन, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और घाव भरने वाले गुण पाए जाते हैं। शहद में पाए जाने वाले ये गुण स्किन बर्निंग को कुछ हद तक कम करने के साथ ही घाव के उपचार में भी लाभदायक हो सकते हैं । हालांकि, जलने और घाव की गंभीर स्थिति होने पर शहद का उपयोग करने के स्थान पर डॉक्टर को चेकअप करना ज्यादा बेहतर होगा।

रक्तचाप की समस्या के कारण गई प्रकार की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए शहद उपयोगी हो सकता है। जानवरों पर किए एक शोध में पाया गया कि शहद में क्वेरसेटिन (Quercetin) नामक फ्लेवोनोइड पाया जाता है। यह क्वेरसेटिन रक्तचाप की समस्या को कुछ हद तक कम करने में मददगार हो सकता है ।

6. कोलेस्ट्रॉल से लड़ सकता है 

बढ़ते हुए कॉलेस्ट्रॉल के कारण हृदय रोग जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और स्थिति गंभीर होने पर हृदयाघात जैसी स्थिति भी बन सकती है। शहद इस समस्या को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। कई शोध में पाया गया है कि शहद के सेवन से कुल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड्स कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, यह फायदेमंद कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल को बढ़ाने में मददगार हो सकता है । वहीं, एक अन्य शोध में पाया गया कि शहद में पाए जाने वाले फ्लेवोनोइड्स हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार हो सकते हैं ।

7. एनर्जी को बूस्ट करने के लिए 

शहद का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा को बनाए रखने में भी मदद मिल सकती है। शोध में पाया गया है कि शहद में विभिन्न तरह के मिनरल्स और विटामिन पाए जाते हैं, जो ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में फायदेमंद हो सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित इस शोध में यह भी पाया गया कि शुगर की अपेक्षा शहद ऊर्जा को बढ़ाने में ज्यादा लाभदायक हो सकता है। शोध में आगे यह भी पता चला है कि शारीरिक व्यायाम के दौरान ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने के लिए ग्लूकोज की जगह शहद का उपयोग किया जा सकता है ।

8. हड्डियों के लिए

कमजोर हड्डियों के कारण कई प्रकार की समस्याओं का समाना करना पड़ सकता है, उन्हीं में से एक है ऑस्टियोपोरोसिस। हड्डियों को मजबूत बनाने और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए शहद का उपयोग किया जा सकता है। शोध के अनुसार शहद में एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं, जो फ्री रेडिकल्स की समस्या के साथ ही सूजन को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इन गुणों के कारण ही शहद का उपयोग पोस्टमेनोपॉजल ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार के रूप में हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए किया जा सकता है ।

9. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए

इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने से कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं जैसे कि सर्दी, खांसी व जुकाम आदि। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने के लिए शहद का उपयोग किया जा सकता है। इस संबंध में एनसीबीआई ने एक रिसर्च पेपर प्रकाशित किया है। इस रिसर्च पेपर की माने, तो शहद का सेवन करने से शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण तेज गति से होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने में मदद कर सकता है ।

10. हृदय रोगों से लड़ने के लिए शहद खाने के फायदे 

शहद का उपयोग करने पर यह हृदय की समस्याओं को भी दूर करने में मदद मिल सकती है। जैसा कि लेख में ऊपर बताया गया है कि शहद का उपयोग करने पर हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे हृदय रोग का खतरा होता है। इसके अलावा, एक अन्य शोध में पाया गया है कि शहद में क्वेरसेटिन, कैफिक एसिड फेनिथाइल एस्टर जैसे कई फेनोलिक कंपाउंड पाए जाते हैं। शहद में पाए जाने वाले ये आवश्यक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट गुण हृदय रोगों के उपचार में कुछ हद तक फायदेमंद हो सकते हैं ।

11. दमा का इलाज 

शहद अस्थमा के दौरान खांसी का इलाज करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह बलगम की समस्या को भी दूर करने में मदद कर सकता है। शोध में पता चला है कि शहद अस्थमा के उपचार के लिए भी कुछ हद तक फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा, शोध में पाया गया है कि अस्थमा के साथ ही शहद का उपयोग बुखार और संक्रमण के लिए भी कारगर हो सकता है। हनी के एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इम्यूनो मॉड्यूलेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण शरीर में अस्थमा के प्रभाव को काफी कम कर सकते हैं ।

12. ओरल हेल्‍थ के लिए फायदेमंद 

अनियंत्रित खान-पान और शरीर में पोषण के अभाव का नकारात्मक प्रभाव दांतों पर भी देखा गया है। इन पोषक तत्वों की कमी के कारण दांत कमजोर होकर टूटने लगते हैं। इस स्थिति को दूर करने में शहद फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके अलावा, दांतों से संबंधी अन्य परेशानियों को दूर करने के लिए भी शहद का इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे कि शहद में एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं, जो ओरल बैक्टीरिया को दूर करने में मदद कर सकते हैं। शोध में यह भी पाया गया कि शहद को लगाने से ऑर्थोडॉन्टिक वाले रोगियों में मसूड़े की सूजन और दांतों के टूटने को रोकने में मदद मिल सकती है । ऑर्थोडॉन्टिक्स दंत चिकित्सा का उपयोग बिगड़े हुए दांत और जबड़े में सुधार के लिए किया जाता है।

13. कैंसर के लिए शहद खाने के फायदे 

शहद में पाए जाने वाले फेनोलिक कंपाउंड्स में एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं, जो कैंसर के कई प्रकारों से बचाने में फायदेमंद हो सकते हैं। इसके अलावा, शहद में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो इसे कैंसर को रोकने का सबसे खास खाद्य पदार्थ बनाते हैं। इसके साथ ही शहद प्रतिरक्षा प्रणाली को भी सुधारने का काम कर सकता है, जिससे कैंसर को बढ़ने से रोकने में कुछ हद तक मदद मिल सकती है । बेशक, शहद में एंटीकैंसर प्रभाव पाया जाता है, लेकिन यह कैंसर का इलाज नहीं हो सकता है। अगर कोई कैंसर से पीड़ित है, तो उसे बिना देरी के डॉक्टर से संपूर्ण इलाज करवाना चाहिए।

14. एसिडिटी के लिए 

एसिडिटी के कारण कई बार खट्टी डकार और उल्टी जैसी समस्याओं का समाना करना पड़ सकता है। इस समस्या को एसिड एसोफैगिटिस कहा जाता है। इस समस्या को दूर करने में शहद का सहारा लिया जा सकता है। शोध में पाया गया है कि शहद में एंटीऑक्सीडेंट गुण के साथ ही एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो एसिडिटी का कारण बनने वाले रिफ्लक्स एसोफैगिटिस के इलाज में फायदेमंद हो सकते हैं ।

15. मुंहासों के लिए 

एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, घाव के संक्रमण को दूर करने के साथ-साथ, शहद डर्मेटोफाइट्स (Dermatophytes) नामक फंगल को बढ़ने से रोकने में भी फायदेमंद हो सकता है। डर्मेटोफाइट्स मुंहासे का कारण बनता है और शहद का उपयोग करने पर संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया की रोकथाम की जा सकती है, जिससे मुंहासों की समस्या को दूर किया जा सकता है। इससे अलावा, शोध में पाया गया है कि प्रोपियोनीबैक्टीरियम एक्ने (propionibacterium acnes) के कारण भी मुंहासों की समस्या हो सकती है। शहद में पाए जाने वाले एंटी माइक्रोबियल गुण बैक्टीरिया और इससे हाेने वाली मुंहासों जैसी समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं ।

16. झुर्रियों को बेहतर बनाने में शहद खाने के फायदे

समय से पहले त्वचा पर झुर्रियों का दिखाई देना परेशानी का कारण बन सकता है। इसके लिए शहद का उपयोग फायदेमंद हाे सकता है। दरअसल, शहद प्राकृतिक मॉइस्चराइजर की तरह काम कर सकता है, जो त्वचा की परतों को मॉइस्चर करता है। यह प्रक्रिया चेहरे की झुर्रियों को दूर कर स्किन टोन को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। इसके अलावा, शहद में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा को जवां बनाए रख सकते हैं ।

17. रूखे और फटे होंठों के लिए 

शहद का उपयोग मॉइस्चराइजर के अलावा त्वचा के टिश्यू को ठीक करने के लिए भी किया जा सकता है। कॉस्मेटिक सामग्री के साथ ही फटे होंठों पर शहद के फायदे भी देखे गए हैं। फटे होंठ पर शहद लगाने से इस समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है ।

18. चेहरे की सफाई 

चेहरे पर शहद लगाने के फायदे कई प्रकार से हो सकते हैं। शोध में पाया गया कि शहद त्वचा में जमी हुई गंदगी को हटाने में मदद करता है। इसका उपयोग फेशवॉश, फेशिअल क्लिंजिंग स्क्रब और फेशियल की तरह किया जा सकता है । इसके अलावा, एक अन्य शोध में पाया गया है कि स्वदेशी लोग शहद का उपयोग त्वचा की कई समस्याओं को दूर करने के साथ ही त्वचा को साफ करने वाले एजेंट के रूप में कर सकते हैं ।

19. बालों के लिए 

रूखे और बेजान बालों में शहद लगाने के फायदे भी हो सकते हैं। शहद में एंटी बैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के साथ ही आवाश्यक पोषक तत्व भी होते हैं। एक शोध के अनुसार, शहद का उपयोग करने से सेबोरहाइक डर्मेटाइटिस और डैंड्रफ की रोकथाम में मदद मिल सकती है। साथ ही शहद बालों की कई समस्याओं को दूर करने में भी मदद कर सकता है, जैसे – रूसी, बाल टूटना, दोमुंहे बाल व रूखापन आदि। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि त्वचा और बालों में शहद लगाने के फायदे कई हैं |


पढ़ते रहें आर्टिकल

शहद में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को जानने के बाद इसके उपयोग के संबंध में चर्चा करते हैं।

शहद का उपयोग 

शहद का उपयोग कई प्रकार से कर सकते हैं। यहां पर शहद के कुछ आसान और फायदेमंद उपयोगों के बारे में बता रहे हैं:

  • सलाद की ड्रेसिंग के रूप में शहद का उपयोग कर सकते हैं।
  • चीनी के विकल्प में कई जगह शहद को मिलाया जा सकता है।
  • सोने से पहले एक चम्मच शहद को दूध में मिक्स करके भी ले सकते हैं। आयुर्वेद में इसके कई फायदे बताए गए हैं।
  • रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच शहद का सेवन किया जा सकता है।
  • हनी का उपयोग सीरप बनाकर भी किया जा सकता है।
  • तुलसी, हनी और आम का शरबत भी बनाया जा सकता है।
  • एक गिलास गर्म पानी में शहद और नींबू का रस मिक्स करके भी पी सकते हैं। यह मिश्रण डिटॉक्स का काम करता है। इसे सुबह खाली पेट पीने की सलाह दी जाती है।

शहद के उपयोग के बाद यह जानते हैं कि इसे स्टोर करके कैसे रखा जाए। 

शहद को लंबे समय तक सुरक्षित कैसे रखें? 

अगर शहद को सही तरीके से स्टोर न किया जाए, तो यह जल्द खराब हो सकता है। इसलिए, शहद खाने के तरीके के साथ यह जानना भी जरूरी है कि शहद को कैसे सुरक्षित रखना है। आइए, जानते हैं:

  • आप कंटेनर या गिलास के जार में शहद को स्टोर कर सकते हैं।
  • शहद को स्टोर करने के लिए रसोई एक अच्छा स्थान हो सकता है। फिर भी शहद को स्टोव और ठंडे स्थान से दूर ही रखना चाहिए। इन स्थानों पर तापमान में अचानक परिवर्तन की संभावना होती है, जिससे शहद खराब हाे सकता है।
  • शहद को धूप से दूर रखें। सूरज की रोशनी शहद को नुकसान पहुंचा सकती है।
  • शहद को फ्रिज में भी रख सकते हैं। इससे शहद को कुछ वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।


आर्टिकल के इस हिस्से में हम शहद के नुकसान के बारे में बता रहे हैं। 

शहद के नुकसान – Side Effects of Honey in Hindi

किसी भी चीज के सकारात्मक पक्ष के साथ नकारात्मक पक्ष भी जरूर होते हैं। जिस प्रकार शहद खाने के तरीके कई हैं वैसे ही शहद खाने के फायदे के साथ शहद के कई नुकसान भी हैं। नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से जानिए, शहद के नुकसान के बारे में।

  • एलर्जी : जिन्हें पराग के कणों से एलर्जी होती है, वो शहद का सेवन न करें। साथ ही भोजन में शहद की अधिकता शहद से संबंधित एलर्जी को बढ़ा सकती हैं। शहद के नुकसान में एनाफिलेक्सिस का नाम भी आता है, जो एक प्रकार का एलर्जिक रिएक्शन है ।
  • पेट में दर्द : शहद के नुकसानों में पेट दर्द भी शामिल है। शहद के अधिक सेवन से पेट दर्द की समस्या खड़ी हो सकती है। इसमें फ्रुक्टोज की मात्रा पाई जाती है, जो छोटी आंतों के पोषक तत्व को अवशोषित करने की क्षमता को बाधित कर सकता है ।
  • भोजन विषाक्तता : शहद के नुकसान के अंतर्गत फूड पॉइजनिंग भी आ सकती है। शहद के अधिक सेवन से बोटुलिज्म पॉइजनिंग हो सकती है। यह समस्या ज्यादातर बच्चों में पाई जाती है ।
  • ब्लड शुगर : शहद का अधिक सेवन ब्लड शुगर को अस्थिर कर सकता है, क्योंकि इसमें कुछ मात्रा फ्रुक्टोज की होती है। इसलिए, मधुमेह के मरीज को शहद का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। डॉक्टर ही शुगर के मरीज को शहद खाने के तरीके बता सकते हैं ।

शहद औषधि गुणों से भरपूर एक प्राकृतिक खाद्य पदार्थ है, जिसका इस्तेमाल आप विभिन्न तरीकों से कर सकते हैं। नए के साथ ही पुराना शहद के फायदे भी कई मामलों में देखे गए हैं। आम शारीरिक समस्याओं से लेकर गंभीर बीमारियों का इलाज शहद के माध्यम से किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि इसका उचित सेवन और इस्तेमाल ही आपको फायदा पहुंचाएगा। अगर कोई किसी गंभीर समस्या से ग्रसित हैं, तो इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर ले।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अच्छी गुणवत्ता वाला शहद कौन-सा होता है?

शहद जो अन्य पदार्थों (जैसे कॉर्न सिरप) के साथ मिश्रित नहीं होता है, उसे अच्छी गुणवत्ता वाला शहद माना जाता है। अच्छी गुणवत्ता वाले शहद में पानी की मात्रा 18 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

क्या शहद शिशुओं के लिए अच्छा है?

एक वर्ष से कम उम्र के शिशुओं के लिए नहीं । एक वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को भी डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही शहद देना चाहिए।

कौन-सा शहद सबसे अच्छा है?

मनुका शहद आमतौर पर सबसे अच्छा माना जाता है।

क्या शहद के साथ काली चाय वजन घटाने के लिए फायदेमंद है?

हां, शहद और काली चाय दोनों ही वजन को कम करने में फायदेमंद हो सकते हैं, लेकिन, इस विषय पर शोध की आवश्यकता है।

क्या शहद से बाल सफेद होते हैं?

शहद शर्करा और हाइड्रोजन पेरोक्साइड का मिश्रण है। हाइड्रोजन पेरोक्साइड की उच्च मात्रा ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को बढ़ा सकती है, जो बालों के सफेद होने का एक कारण है। इसलिए, सीमित मात्रा में शहद का सेवन करने से बालों पर हाइड्रोजन पेरोक्साइड का नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है।

क्या रात को शहद ले सकते हैं?

हां, सोने से कुछ समय पहले रात में शहद ले सकते हैं।

क्या शहद को खाली पेट लिया जा सकता है?

हां, मनुका शहद को खाली पेट ले सकते हैं ।

क्या शहद और दूध साथ लेने से कोई नुकसान होता है?

नहीं, दूध के साथ सीमित मात्रा में शहद का सेवन नुकसान नहीं करता है। फिर भी इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए, क्योंकि इन्हें एक साथ लेने से शहद और दूध के नुकसान भी हो सकते हैं।

नीचे क्रमवार जानिए कि विभिन्न सामग्रियों के साथ हल्दी और शहद का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है और इसके क्या लाभ हो सकते हैं :

1. त्वचा के लिए हल्दी और शहद के साथ दूध से बना फेस मास्क

सामग्री :

  • एक चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर
  • 1 चम्मच शहद
  • 2 चम्मच दूध

कैसे करें उपयोग :

  • एक बाउल में सभी सामग्रियों को अच्छी तरह से मिला लें।
  • अब इस पैक को चेहरे पर लगाएं।
  • 15-20 मिनट बाद जब यह पैक सूख जाए, तो चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें।

कैसे है फायदेमंद :

त्वचा के लिए हल्दी और शहद किस प्रकार लाभकारी हैं, ये हम ऊपर बता चुके हैं। वहीं, इसमें अगर दूध मिलाया जाए, तो यह फेस पैक और गुणकारी हो सकता है। दरअसल, विषय से जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि दूध का उपयोग चेहरे की चमक बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह त्वचा में नमी बनाए रखने में मदद कर सकता है। साथ ही त्वचा पर दाग-धब्बों को हटाने के साथ-साथ त्वचा को जवां बनाए रखने में भी सहायक साबित हो सकता है।

2. हल्दी, शहद और नींबू से बना फेस मास्क

सामग्री :

  • एक चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर
  • 1 चम्मच शहद
  • आधा चम्मच नींबू का रस
  • 1 चम्मच पानी

कैसे करें उपयोग :

  • एक कटोरे में शहद और हल्दी डालकर अच्छे से मिलाएं।
  • अब इसमें नींबू के रस को डालें।
  • जरूरत पड़ने पर इसमें पानी भी मिला सकते हैं।
  • अब तैयार पैक को पूरे चेहरे और गर्दन पर लगाएं।
  • करीब 15 मिनट बाद गुनगुने पानी से चेहरे और गर्दन को धो लें।

कैसे है फायदेमंद :

हल्दी और शहद के साथ नींबू का उपयोग इस फेस पैक को त्वचा के लिए और भी प्रभावी बना सकता है। दरअसल, नींबू में विटामिन-सी पाया जाता है, जो त्वचा को कई मायनों में लाभ पहुंचाने का काम कर सकता है। विटामिन सी त्वचा को मुलायम बनाने में सहयोग कर सकता है। साथ ही यह एंटी-एजिंग प्रभाव दिखा सकता है और झुर्रियों को कम करने में मदद कर सकता है ।

3. हल्दी, शहद और चंदन से बना फेस मास्क

सामग्री :

  • दो चम्मच चंदन पाउडर
  • एक चौथाई चम्मच हल्दी
  • आधा चम्मच शहद
  • पानी या गुलाब जल (आवश्यकतानुसार)

कैसे करें उपयोग :

  • चंदन पाउडर में हल्दी और शहद मिलाकर पेस्ट बना लें।
  • जरूरत पड़ने पर पानी या गुलाब जल मिलाया जा सकता है।
  • अब इस फेस पैक को चेहरे पर लगाएं।
  • लगभग 15 मिनट तक लगे रहने के बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें।

कैसे है फायदेमंद :

त्वचा के लिए हल्दी और शहद के साथ चंदन का इस्तेमाल भी लाभकारी हो सकता है। विषय से जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि चंदन का उपयोग स्किन एलर्जी में कारगर हो सकता है। यह त्वचा पर कूलिंग और सूदिंग (त्वचा को आराम देने वाला) प्रभाव दिखा सकता है। साथ ही प्रदूषण के प्रभाव से भी त्वचा का बचाव कर सकता है। इसके अलावा, यह एक्ने को कम करने के साथ-साथ त्वचा ग्लोइंग और हेल्दी बनाने में मदद कर सकता है ।

4. हल्दी, शहद और दही से बना फेस मास्क

सामग्री :

  • एक चौथाई चम्मच हल्दी
  • 1 चम्मच शहद
  • दो चम्मच ताजा दही

कैसे करें उपयोग :

  • एक बाउल में सभी सामग्रियों को मिलाकर पेस्ट बना लें।
  • अब इस पैक को चेहरे पर लगाएं।
  • जब फेस पैक सूख जाए, तो उसे गुनगुने पानी से धो लें।

कैसे है फायदेमंद :

स्किन के लिए हल्दी और शहद के औषधीय गुणों से तो हम आपको परिचित करवा चुके हैं। वहीं, बात करें इस फेस पैक में दही के इस्तेमाल की, तो दही का उपयोग त्वचा को कई तरह से लाभ पहुंचाने में मदद कर सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में जिक्र मिलता है कि दही का उपयोग त्वचा की इलास्टिसिटी में सुधार करने के साथ-साथ त्वचा को चमकदार बना सकता है और त्वचा में नमी को बनाए रखने में मददगार हो सकता है ।

5. हल्दी, शहद और बेसन से बना फेस मास्क

सामग्री :

  • 1 चम्मच शहद
  • दो चम्मच बेसन
  • एक चौथाई चम्मच हल्दी
  • गुलाब जल (आवश्यकतानुसार)

कैसे करें उपयोग :

  • इस पैक को बनाने के लिए एक बाउल में बेसन, हल्दी-शहद और गुलाब जल को मिलाकर पेस्ट बना लें।
  • अब इस पैक को चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट तक सूखने दें।
  • 15 मिनट बाद चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें।

कैसे है फायदेमंद :

हल्दी और शहद के साथ बेसन का उपयोग त्वचा को कई तरह के लाभ प्रदान कर सकता है। दरअसल, एक अध्ययन से पता चलता है कि बेसन का उपयोग त्वचा को साफ करने और त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद कर सकता है। साथ ही यह त्वचा से अतिरिक्त तेल को हटाने में मदद कर सकता है और मुंहासों के जोखिम को भी कम कर सकता है। इसके अलावा, त्वचा पर बेसन का फेस पैक स्किन को निखारने में मदद कर सकता है।


त्वचा के लिए हल्दी और शहद का उपयोग जानने के बाद नीचे जानिए इनके उपयोग से जुड़ी सावधानियां।

त्वचा पर हल्दी और शहद के उपयोग से जुड़ी सावधानियां –

स्किन के लिए हल्दी और शहद का प्रयोग करते वक्त कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है। पढ़ें नीचे :

  • त्वचा के लिए हल्दी और शहद का इस्तेमाल करने से पहले चेहरे को अच्छी तरह पानी से साफ कर लें।
  • किसी भी फेस पैक को इस्तेमाल करने से पहले उसका पैच टेस्ट जरूर करें।
  • फेस पैक को ज्यादा देर चेहरे पर लगा न रहने दें।
  • फेस पैक में शहद होने की वजह से चिपचिपाहट महसूस हो सकती है। ऐसे में गुनगुने पानी से चेहरा धो लें।
  • अगर फेस पैक में इस्तेमाल होने वाली किसी भी सामग्री से एलर्जी है, तो उसके प्रयोग से बचें।
  • फेस पैक को आंखों के बिलकुल नजदीक इस्तेमाल न करें।
  • स्किन के लिए हल्दी और शहद के इस्तेमाल के बाद चेहरे पर मॉइस्चराइजर लगा सकते हैं।

अंत में जानिए स्किन पर होने वाले हल्दी और शहद के नुकसान।

त्वचा पर हल्दी और शहद के उपयोग से जुड़े नुकसान – Side Effects Of Using Turmeric and Honey On Your Face in Hindi

हल्दी और शहद दोनों ही प्राकृतिक तत्व हैं और त्वचा पर इनके नकारात्मक प्रभाव से जुड़े शोध का अभाव है। फिर भी कुछ संभावित नुकसान देखने को मिल सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं :

  • हल्दी में मौजूद करक्यूमिन डर्माटाइटिस (त्वचा पर लाल चकत्ते) का कारण बन सकता है। ऐसे में, अति संवेदनशील त्वचा वाले हल्दी के उपयोग से बचें (14)।
  • त्वचा पर हल्दी का उपयोग कुछ समय के लिए त्वचा को पीला बना सकता है।
  • जिन्हें शहद से एलर्जी हैं, ऐसे लोगों में शहद का उपयोग एलर्जी का कारण बन सकता है।

त्वचा के लिए हल्दी और शहद वरदान साबित हो सकते हैं। इन्हे आज ही अपने स्किन केयर रूटीन में शामिल करें। आशा करते हैं कि इस लेख में बताए गए फेस मास्क चमकती और दमकती त्वचा प्रदान करने में आपकी मदद करेंगे। वहीं, इन फेस मास्क का इस्तेमाल करने से पहले लेख में दी गई सावधानियों का पालन जरूर करें। अगर ठीक से उपयोग किया जाए, तो त्वचा के लिए हल्दी और शहद के फायदे हासिल किए जा सकते हैं। वहीं, इन फेस पैक को लगाने के बाद किसी भी तरह के दुष्प्रभाव नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :

क्या हल्दी और शहद काले धब्बों को कम कर सकते हैं?

हल्दी और शहद का उपयोग त्वचा के काले धब्बों को हल्का करने में मदद कर सकता है। दरअसल, हल्दी मेलेनिन (स्किन पिगमेंट यानी रंगद्रव्य) को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभा सकती है। इससे त्वचा को गहरा होने से बचाया जा सकता है (15)। वहीं, शहद का उपयोग त्वचा पर व्हाइटनिंग प्रभाव दिखा सकता है (16)।

क्या हल्दी और शहद त्वचा में निखार ला सकते हैं?

हां, हल्दी और शहद का उपयोग त्वचा में निखार और उसे चमकदार बनाने में मदद कर सकता है। इससे जुड़ी जानकारी हम ऊपर दे चुके हैं।

क्या मैं हल्दी और शहद को रोजाना चेहरे पर लगा सकती हूं?

किसी भी चीज का अत्यधिक उपयोग नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में, हल्दी और शहद का फेस पैक आप हफ्ते में दो बार इस्तेमाल कर सकते हैं।

क्या हल्दी और शहद को सीधे ही चेहरे पर उपयोग किया जा सकता है?

हां, हल्दी और शहद को आप सीधे चेहरे पर लगा सकते हैं। वहीं, इसे और कारगर बनाने के लिए ऊपर बताए गए हल्दी और शहद के फेस पैक इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं।

क्या हल्दी और शहद त्वचा पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं?

जिन्हें हल्दी और शहद से एलर्जी है, उनकी त्वचा पर ये दोनों एलर्जी का कारण बन सकते हैं।

हल्दी और शहद को चेहरे पर कब तक लगा रहने दिया जा सकता है?

हल्दी और शहद को 15-20 मिनट तक लगाकर छोड़ सकते हैं। इसके बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें।




शनिवार, 26 जून 2021

महेश पखवाड़ा 2021- मौका घर बेठे Online अपना टैलेंट दिखाने का और बहुत सारे ईनाम जीतने का

जय महेश
महेश नवमी महोत्सव 2021



महेश पखवाड़ा 2021
(19 जून 2021 से 04 जुलाई 2021)

आप सभी का इन्तजार हुआ खत्म!!!!
पश्चिमी राजस्थान प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन एवं जोधपुर जिला माहेश्वरी युवा संगठन लेकर आए है आप सभी माहेश्वरी बंधुओ के लिए लिए:

महेश पखवाड़ा 2021
जिससे आपको मौका मिलेगा घर बेठे बेठे अपने मोबाइल-लैपटॉप-कम्प्यूटर से Online FACEBOOK GROUP और अन्य ऑनलाइन APPs के माध्यम से अपना टैलेंट दिखाने का और बहुत सारे ईनाम जीतने का ।

इतना ही नहीं इस पखवाड़ा के अंतिम दिन होगा MEGA HOUSIEY जिसमें आप जीत सकते है ढेर सारे उपहार :
तो हो जाओ तैयार महेश नवमी नए अंदाज मे मनाने को!!

रनिश दरगड़
निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष
(संयोजक)
9828258376

नोट:- प्रतियोगिता तथा कार्यक्रम की सूची इसी पोस्ट मे संलग्न है।

आयोजक :
पश्चिमी राजस्थान प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन एवं
जोधपुर जिला माहेश्वरी युवा संगठन

कार्यक्रम की अधिक जानकारी के लिए हमारे Facebook ग्रूप से जुड़े और सभी माहेश्वरी बंधुओ को जोड़े ।

हमारा Facebook Group है -

https://www.facebook.com/groups/336524407880467/?ref=share



#podharopanmnm2021
#mehandiMNM2021
#maheshwariidolMNM2021
#rangoliMNM2021
#chitrakalaMNM2021
#MaheshwaridancingstarMNM2021
#fancydressMNM2021
#vadyaYantraMNM2021
#Maheshwari
#maheshnavmi2021
#Maheshnavmipakhwada
#prpmys



































कार्यक्रम की अधिक जानकारी के लिए हमारे Facebook ग्रूप से जुड़े और सभी माहेश्वरी बंधुओ को जोड़े ।

हमारा Facebook Group है -

https://www.facebook.com/groups/336524407880467/?ref=share

शुक्रवार, 25 जून 2021

क्या भगवान हमारे द्वारा चढ़ाया गया भोग खाते हैं ?

*क्या भगवान हमारे द्वारा चढ़ाया गया भोग खाते हैं ?*
यदि खाते हैं, तो वह वस्तु समाप्त क्यों नहीं हो जाती ?
और यदि नहीं खाते हैं, तो भोग लगाने का क्या लाभ ?

*एक लड़के ने पाठ के बीच में अपने गुरु से यह प्रश्न किया....*

गुरु ने तत्काल कोई उत्तर नहीं दिया। 
वे पूर्ववत् पाठ पढ़ाते रहे। 
उस दिन उन्होंने पाठ के अन्त में एक श्लोक पढ़ाया: 

 पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते ।
  पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥

पाठ पूरा होने के बाद गुरु ने शिष्यों से कहा कि वे पुस्तक देखकर श्लोक कंठस्थ कर लें।

एक घंटे बाद गुरु ने प्रश्न करने वाले शिष्य से पूछा कि उसे श्लोक कंठस्थ हुआ कि नहीं ? 
उस शिष्य ने पूरा श्लोक शुद्ध-शुद्ध गुरु को सुना दिया। 

फिर भी गुरु ने सिर 'नहीं' में हिलाया,

 तो शिष्य ने कहा कि" वे चाहें, तो पुस्तक देख लें; श्लोक बिल्कुल शुद्ध है।” 

गुरु ने पुस्तक देखते हुए कहा“ श्लोक तो पुस्तक में ही है, तो तुम्हारे दिमाग में कैसे चला गया? 

शिष्य कुछ भी उत्तर नहीं दे पाया।

तब गुरु ने कहा “ पुस्तक में जो श्लोक है, वह स्थूल रूप में है। 
तुमने जब श्लोक पढ़ा, तो वह सूक्ष्म रूप में तुम्हारे दिमाग में प्रवेश कर गया, 
उसी सूक्ष्म रूप में वह तुम्हारे मस्तिष्क में रहता है। 
और जब तुमने इसको पढ़कर कंठस्थ कर लिया, 
*तब भी पुस्तक के स्थूल रूप के श्लोक में कोई कमी नहीं आई ...*

*इसी प्रकार पूरे विश्व में व्याप्त परमात्मा हमारे द्वारा चढ़ाए गए निवेदन को सूक्ष्म रूप में ग्रहण करते हैं, और इससे स्थूल रूप के वस्तु में कोई कमी नहीं होती।  उसी को हम प्रसाद के रूप में  ग्रहण करते हैं।*

*शिष्य को उसके प्रश्न का उत्तर मिल गया .....*
*☺️सदा खुश रहे श्री हरि नाम का जाप करते रहे कराते रहे☺️*
*🚩हरे कृष्ण हरे कृष्णा कृष्ण कृष्ण हरे हरे🚩*
*🚩हरे राम हरे रामा राम राम हरे हरे🚩*

गुरुवार, 24 जून 2021

माहेश्वरी समाज मना रहा ऑनलाइन महेश नवमी पखवाड़ा 2021

कोरोना काल में माहेश्वरी समाज मना रहा ऑनलाइन महेश नवमी पखवाड़ा 2021

दिनांक 19 जून 2021 से 04 जुलाई 2021 तक 

जय महेश

कोरोना को देखते हुए जोधपुर से पश्चिमी राजस्थान प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन ने 

सम्पूर्ण भारत के समस्त माहेश्वरी समाज के लिए ज्यादातर सामाजिक कार्यक्रम को ऑनलाइन संपन्न करने में एक अनूठा उदाहरण पेश किया 

जिसमे सभी प्रतियोगिताएं को ऑनलाइन संपन्न करना, ऑनलाइन योग ट्रेनिंग, कई प्रकार की प्रतियोगिताओ को सोशल मीडिया के माध्यम से ऑनलाइन प्रविष्टिया मंगवाकर उनका सोशल मीडिया के माध्यम से समस्त माहेश्वरी समाज के लोगो के सामने प्रस्तुत करने का अनूठा कार्य की पहल की है 

इसके अलावा महेश नवमी पखवाड़ा 2021 में जोधपुर से सम्पूर्ण माहेश्वरी समाज द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम जिसमे ऑनलाइन रंगोली प्रतियोगिता (महेश नवमी पर अपने घर आंगन में), निशुल्क चिकित्सा केम्प, वृक्षारोपण कार्यक्रम (पौधारोपण के साथ सेल्फी), रक्तदान शिविर, कोविड टीकाकरण जागरूकता एवं टीकाकरण शिविर में सहयोग, ऑनलाइन एक शाम भगवान महेश के नाम , ऑनलाइन योग प्रशिक्षण शिविर,  स्वास्थ्य, कोविड, संस्कार एवं व्यापार संबंधित ऑनलाइन वेबिनार कार्यक्रम, गणित/विज्ञान/धार्मिक प्रश्नोत्तरी एवं प्रतियोगिता ऑनलाइन, ऑनलाइन तंबोला निशुल्क , ऑनलाइन शतरंज प्रतियोगिता,  निबंध प्रतियोगिता ऑनलाइन, गीता श्लोक संबंधित कार्यक्रम, भगवान महेश के ऊपर कोई भी गीत-भजन-गाने की प्रतियोगिता आदि का प्रारम्भ दिनांक 19 जून २०२१ से कर ०४ जुलाई २०२१ तक महेश नवमी पखवाड़ा मनाया जा रहा है 

इसी कड़ी में अब तक *जोधपुर जिला माहेश्वरी युवा संगठन* के साथ मिलकर *पश्चिमी राजस्थान प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन* द्वारा भी किया गया जिसमें जोधपुर क़े लगभग सभी *माहेश्वरी परिवारों* तक युवा साथियों द्वारा महेश नवमी के पावन पर्व पर कोरोना महामारी को देखते हुए इसके बचाव हेतु 5000 *मास्क* का वितरण अब तक किया गया है जो आगे भी जारी है 

मास्क वितरण के साथ ही भगवान महेश को भोग लगाकर महेश भोग (महाप्रसाद) का सम्पूर्ण माहेश्वरी समाज में वितरण किया गया जिसमे 

मास्क के साथ मात्र 2 दिनो में जोधपुर के लगभग 170 युवा साथियों के सहयोग से हमारे आराध्य देव भगवान महेश के भोग लगा  *1151 किलो महाप्रसाद( महेश भोग )* का वितरण भी समाज के 4600 परिवारों तक घर घर जाकर पहुँचाने का प्रयास किया गया एवं उन्हें युवा संगठन के कार्यो से अवगत करवाया गया ।चुकी सम्पूर्ण पश्चिमी राजस्थान प्रदेश मे जोधपुर महानगर सबसे बड़ा इलाक़ा है इसलिए *प्रथम चरण* में जोधपुर जिला माहेश्वरी युवा संगठन के सहयोग से प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन द्वारा यहाँ के सभी परिवारों तक पहुँचने के लिए ये कार्य किया गया ताकी हर घर तक युवा संगठन पहुँच सके ओर समाज हित के क़ार्य कर सके । 


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर अखिल भारतवर्षीय  माहेश्वरी युवा संगठन के आह्वान पर पश्चिमी राजस्थान प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन एवं जोधपुर जिला माहेश्वरी युवा संगठन द्वारा  World Record Holder and International Yoga Trainer   अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अजीतगढ़ की राजी (राजकुमारी )फलोड  के साथ online Webinar का ३ दिवसीय आयोजन किया जिसमे  ऑनलाइन योग प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा गया जिसमे माहेश्वरी समाज के कई नामचीन हस्तियों ने भाग लिए

click for video 

जिसमे देश ही नहीं विदेश में रहने वाले माहेश्वरी बंधुओ ने भी ने ऑनलाइन योग ट्रेनिंग ज्वाइन किया, राजकुमारी फलोड जिसे डॉक्टर से वर्ष पहले घुटनो की ऑपरेशन के बाद डांस नहीं करने की सलाह दी लेकिन राजकुमारी ने अपने दृढ निश्चय से नियमित योग करके डॉक्टर्स को भी गलत साबित कर दिया और १ मिनट २६ सेकंड में १८ बार सूर्य नमस्कार करके इंटरनैशनल बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया,

माहेश्वरी समाज का यह महेश नवमी पखवाड़ा १९ जून से  होकर दिनांक ४ जुलाई २०२१ तक चलेगा जिसमे कई कार्यक्रम ऑनलाइन  आयोजित किये जायेंगे 

इस प्रकार के सभी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जोधपुर पश्चिमी राजस्थान  प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन ने सोशल मीडिया पर महेश नवमी महोत्सव 2021 जोधपुर के नाम से एक ग्रुप बनाया है 


महेश नवमी महोत्सव 2021 जोधपुर
https://www.facebook.com/groups/336524407880467/?ref=share
यह ग्रुप सम्पूर्ण विश्व में फैले समस्त माहेश्वरी बंधुओं के लिए है। आप सभी माहेश्वरी बंधुओं का इस ग्रुप में स्वागत है। 

आप सभी से निवेदन है कि संपूर्ण भारत वर्ष एवम् विश्व मे फैले माहेश्वरी बंधुओं को इस ग्रुप में जोड़े। 

महेश नवमी महोत्सव 2021 कि प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए इस ग्रुप का सदस्य होना आवश्यक है। सभी ऑनलाइन  कार्यक्रम में अपनी प्रविष्टि ऑनलाइन पोस्ट करने के लिए ग्रुप का सदस्य होना आवश्यक है
महेश नवमी महोत्सव 2021 जोधपुर
https://www.facebook.com/groups/336524407880467/?ref=share

योग व् अन्य वेबिनार कार्यक्रम के लिए अपने मोबाइल में ज़ूम डाउनलोड करके उसे फेसबुक से लॉगिन करे ताकि आपकी फेसबुक प्रोफाइल स्वतः इसमें नाम एवं फोटो के साथ आ जाएगी उसके बाद ज्वाइन मीटिंग पर क्लिक करके सम्बंधित कार्यक्रम की 9 डिजिट मीटिंग आईडी दर्ज करे एवं मीटिंग आईडी के से दिया गया पासवर्ड दर्ज करे उसके बाद ज्वाइन by कंप्यूटर ऑडियो पर क्लिक करे
wifi और cellular डाटा पर क्लिक करे और ऑनलाइन वेबिनार अटेंड करे 

ज्यादा से ज्यादा लोगो को मीटिंग का लिंक भेजे 

सभी को फेसबुक ग्रुप में ऐड करे ताकि सभी कार्यक्रम की जानकारी मिलती रहे 

https://www.facebook.com/groups/336524407880467/?ref=share


 पश्चिमी राजस्थान प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन

संयोजक - रनिश दरगड़ 9828258376

प्रदेश अध्यक्ष - दिनेश राठी

जिला अध्यक्ष - संतोष गांधी

समन्वयक - जितेंद्र गांधी

प्रदेश सांस्कृतिक मंत्री - प्रेरणा राठी

बुधवार, 23 जून 2021

राजस्थान का इतिहास गर्व से लबरेज और यहाँ का जीवन सबसे शुद्ध हैं..!

राजस्थानी लोगों को छोड़कर शेष दुनिया को लगता है कि राजस्थान में पानी नहीं है और यहाँ खून सस्ता व पानी महँगा हैं...
जबकि यहाँ सबसे शुद्धता वाला पानी जमीन में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।

राजस्थान के लोगों को पूरे विश्व में सबसे बड़े कंजूस कृपण समझा जाता है...
जबकि पूरे भारत के 95% बड़े उद्योगपति राजस्थान के हैं, राममंदिर के लिए सबसे ज्यादा धन राजस्थान से मिला है... 
राममंदिर निर्माण में उपयोग होने वाला पत्थर भी राजस्थान का ही है..!

राजस्थान के लोगों के बारे में दुनिया समझती है ये प्याज और मिर्च के साथ रोटी खाने वाले लोग हैं...
जबकि पूरे विश्व मे सर्वोत्तम और सबसे शुद्ध भोजन परम्परा राजस्थान की हैं... 
पूरे विश्व मे सबसे ज्यादा देशी घी की खपत राजस्थान में होती हैं,
यहाँ का बाजरा विश्व के सबसे पौष्टिक अनाज का खिताब लिये हुए है..!

राजस्थानी लोगों को छोड़कर शेष दुनिया को लगता है कि राजस्थान के लोग छप्पर और झौपड़ियों में रहते हैं इन्हें पक्के मकानों की जानकारी कम हैं...
जबकि यहाँ के किले,इमारतें और उन पर अद्भुत नक्काशी विश्व में दूसरी जगह कहीं नही हैं... 
यहाँ अजेय किले और हवेलियाँ हजारों वर्ष पुरानी हैं...
मकराना का मार्बल,जोधपुर व जैसलमेर का पत्थर अपनी अनूठी खूबसूरती के कारण विश्व प्रसिद्ध हैं !
राजस्थान में चीन की दीवार जैसी ही दूसरी उससे मजबूत दीवार भी है जिसे दुनिया में पहचान नहीं मिली..!

राजस्थानी लोगों को छोड़कर शेष दुनिया को लगता है कि राजस्थान में कुछ भी नहीं... 
जबकि यहाँ पेट्रोलियम का अथाह भंडार मिला है... गैसों का अथाह भंडार मिला है... 
यहाँ कोयले का अथाह भंडार मिला है..!

अकेले राजस्थान में यहाँ की औरतों के पास का सोना इक्ठ्ठा किया जाए तो शेष भारत की औरतों से ज्यादा सोना होगा।
सबसे ज्यादा सोने की बिक्री भी राजस्थान के जोधपुर में होती हैं !

राजस्थान के जलवायु के बारे में दुनिया समझती है यहाँ बंजर भूमि और रेतीले टीले हैं जहाँ आँधियाँ चलती रहती है...
जबकि राजस्थान में कई झीलें ,झरने और अरावली पर्वतमाला के साथ रणथम्भौर पर्वतीय शिखर हैं जो विश्व के टॉप टूरिज्म पैलेस हैं, 
इसके अलावा राजस्थान में झीलों से निकला नमक शेष भारत में 80% नमक की आपूर्ति करता है जो 100%शुद्ध प्राकृतिक नमक हैं,

इसके अलावा भी बहुत सारी ऐसी बातें हैं जिन्हें दुनिया नहीं जानती और यह सब बॉलीवुड की वजह से राजस्थान का नकारात्मक चरित्र गढ़ा गया जिसे दुनियाभर में सच समझा गया..!

राजस्थान में बहन को प्यार से 'बाईसा' कहा जाता है,
यहाँ चार बाईसा हुई जिन्हें हर राजस्थानी बाईसा कहकर ही सम्बोधित करते हैं...
मीरां बाई, करमा बाई, सुगना बाई, नानी बाई और  मीरां ने ईश्वर को प्रेम भक्ति से ऐसा वशीभूत किया कि ईश्वर को आना पड़ा...!
करमा बाई ने निष्ठा भक्ति से ईश्वर को ऐसा अभिभूत किया कि ईश्वर को करमा के हाथ से खाना पड़ा...।
सुगना बाई ने राजस्थान की पीहर और ससुराल परम्परा का ऐसा अनूठा स्त्रीत्व भक्ति पालन किया कि ईश्वर को उनका उद्गार सुनना पड़ा
और नानी बाई ने ईश्वर की ऐसी विश्वास भक्ति की की ईश्वर को उनके घर आना पड़ा। 
ये सब इसी युग में वर्तमान में हुआ जिनकी भक्ति आस्था और निष्ठा को राजस्थान के हर मंच से गाया जाता है...
नारी भक्ति का ऐसा उदाहरण शेष विश्व में और कहीं नही।

यहाँ राजस्थान की बलुई मिट्टी पूनम की रात में कुंदन की तरह चमककर स्वर्ण का आभास कराती हैं... 
इन्ही पहाड़ो की वजह से इसे 'मरुधरा' कहा जाता है..!
राजस्थान का इतिहास गर्व से लबरेज और यहाँ का जीवन सबसे शुद्ध हैं..!
कण कण वंदनीय और गाँव- गाँव एक इतिहास में दर्ज कहानियों पर खड़ा है..!✍️आनंद के चर्मोत्कर्ष पर *🙏🙏*

कुत्ता 🐶पालने वाले हिन्दू, हिन्दुत्व की निम्न बातों को ध्यान में रखते हुए कुत्तों से दूर रहें

*कुत्ता 🐶पालने वाले हिन्दू,  हिन्दुत्व की निम्न बातों को ध्यान में रखते हुए कुत्तों से दूर रहें* 
*1. जिसके घर में कुत्ता🐕 होता है  उसके यहाँ देवता हविष्य (भोजन) ग्रहण नहीं करते ।*

2. यदि कुत्ता घर में हो और किसी का देहांत हो जाए तो देवताओं तक पहुँचने वाली वस्तुएं देवता स्वीकार नहीं करते, अत: यह मुक्ति में बाधा हो सकता है ।

3. कुत्ते के छू जाने पर द्विजों के यज्ञोपवीत खंडित हो जाते हैं, अत: धर्मानुसार कुत्ता पालने वालों के यहाँ ब्राह्मणों को नहीं जाना चाहिए ।

4. कुत्ते के सूंघने मात्र से प्रायश्चित्त का विधान है, कुत्ता यदि हमें सूंघ ले तो हम अपवित्र हो जाते हैं ।

5. कुत्ता किसी भी वर्ण के यहाँ पालने का विधान नहीं है, कुत्ता प्रतिलोमाज वर्ण संकरों (अत्यंत नीच जाति जो कुत्ते का मांस तक खाती है) के यहाँ ही पलने योग्य है ।

6. और तो और अन्य वर्ण यदि कुत्ता पालते हैं तो वे भी उसी नीचता को प्राप्त हो जाते हैं।

7. कुत्ते की दृष्टि जिस भोजन पर पड़ जाती है वह भोजन खाने योग्य नहीं रह जाता। और यही कारण है कि जहाँ कुत्ता पला हो वहाँ  जाना  नहीं चाहिए ।

उपरोक्त सभी बातें शास्त्रीय हैं, अन्यथा ना लें,ये कपोल कल्पित बातें नहीं है।

*इस विषय पर कुतर्क करने वाला व्यक्ति यह भी स्मरण रखे कि...
         
*कुत्ते के साथ व्यवहार के कारण तो युधिष्ठिर को भी स्वर्ग के बाहर ही रोक दिया गया था।

घर मे कुत्ता पालने का शास्त्रीय शंका समाधान!!!!!!

महाभारत में महाप्रस्थानिक/स्वर्गारोहण पर्व का अंतिम अध्याय,
इंद्र ,धर्मराज और युधिष्ठिर संवाद में इस बात का उल्लेख है।

जब युधिष्ठिर ने पूछा कि मेरे साथ साथ यंहा तक आने वाले इस कुत्ते को मैं अपने साथ स्वर्ग क्यो नही ले जा सकता, तब इंद्र ने कहा।         

इंद्र उवाच!!!!!!!
           ⬇️
हे राजन कुत्ता पालने वाले के लिए स्वर्ग में स्थान नही है ! ऐसे व्यक्तियों का स्वर्ग में प्रवेश वर्जित है। कुत्ते से पालित घर मे किये गए यज्ञ,और पुण्य कर्म के फल को क्रोधवश नामक राक्षस उसका हरण कर लेते है और तो और उस घर के व्यक्ति जो कोई दान, पुण्य, स्वाध्याय, हवन और कुवा बावड़ी इत्यादि बनाने के जो भी पुण्य फल इकट्ठा होता है, वह सब घर में कुत्ते की उपस्थित और उसकी दृष्टि पड़ने मात्र से निष्फल हो जाता है ।

 इसलिए कुत्ते का घर मेपालना निषिद्ध और वर्जित है।

  कुत्ते का संरक्षण होना चाहिए ,उसे भोजन देना चाहिए, घर की रोज की एक रोटी पे कुत्ते का अधिकार है! इस पशु को कभी प्रताड़ित नहीं करना चाहिए और दूर से ही इसकी सेवा करनी चाहिए परंतु घर के बाहर, घर के अंदर नहीं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अवारा कुत्तों को दूध रोटी डालने से राहु,केतु शांत होते हैं व जातक की परेशानी दूर होती है!
 यह शास्त्र मत है।

अतिथि और गाय,घर के अंदर
कुत्ता, कौवा, चींटी घर के बाहर, ही फलदाई होते हैं।

यह लेख शास्त्र और धर्मावलंबियों के लिए है। आधुनिक विचारधारा के लोग इससे सहमत या असहमत होने के लिए बाध्य नहीं है। इसलिए उन लोगो से अनुरोध है कि इस पोस्ट पे फालतू की कमेंट न करने की कृपा करें।
                
गाय, बूढ़े मातापिता,क्रमशः दिल, घर, शहर से निकलते हुए।गौशालाओं व वृध्दाश्रम मे पहुंच गए,और कुत्ते,घर के बाहर से घर, सोफे, बिस्तर से होते हुए दिल मे पहुंच गए,यही सांस्कृतिक पतन हैं।

साभार संकलन -
सनातन सेवा समिति!

तिरुपति बालाजी को गोविंदा क्यों कहते है

तिरुपति बालाजी को गोविंदा क्यों कहते है

यह एक अत्यंत रोचक घटना है
माँ महालक्ष्मी की खोज में भगवान विष्णु जब भूलोक पर आए, तब यह सुंदर घटना घटी। भूलोक में प्रवेश करते ही उन्हें भूख एवं प्यास मानवीय गुण प्राप्त हुए।

भगवान श्रीनिवास ऋषि अगस्त्य के आश्रम में गए और बोले, "मुनिवर मैं एक विशिष्ट मुहिम से भूलोक पर (पृथ्वी) पर आया हूँ और कलयुग का अंत होने तक यहीं रहूंगा। मुझे गाय का दूध अत्यंत पसंद है। और और मुझे अन्न के रूप में उसकी आवश्यकता है। मैं जानता हूँ कि आपके पास एक बड़ी गौशाला है, उसमें अनेक गाएँ हैं, मुझे आप एक गाय दे सकते हैं क्या?"

ऋषि अगस्त्य हँसे और कहने लगे, "स्वामी मुझे पता है कि आप श्रीनिवास के मानव स्वरूप में, श्रीविष्णु हैं। मुझे अत्यंत आनंद है कि इस विश्व के निर्माता और शासक स्वयं मेरे आश्रम में आए हैं। मुझे यह भी पता है की आपने मेरी भक्ति की परीक्षा लेने के लिए यह मार्ग अपनाया है। फिर भी स्वामी, मेरी एक शर्त है कि मेरी गौशाला की पवित्र गाय केवल ऐसे व्यक्ति को मिलनी चाहिए जो उसकी पत्नी संग यहाँ आए। मुझे आप को उपहार स्वरूप गाय देना अच्छा लगेगा, परंतु जब आप मेरे आश्रम में देवी लक्ष्मी संग आइएगा और गौदान देने के लिए पूछेंगे, तभी मैं ऐसा कर पाऊँगा।"

भगवान श्रीनिवास हँसे और बोले ठीक है मुनिवर, "तुम्हें जो चाहिए वह मैं करूँगा," ऐसा कहकर वे वापस चले गए।

बाद में भगवान श्रीनिवास ने देवी पद्मावती से विवाह किया।

विवाह के कुछ दिन पश्चात भगवान श्रीनिवास पत्नी दिव्य पत्नी पद्मावती के साथ ऋषि अगस्त्य महामुनि के आश्रम में आए पर उस वक्त ऋषि आश्रम में नहीं थे।

भगवान श्रीनिवासन से उनके शिष्यों ने पूछा, "आप कौन हैं और हम आपके लिए क्या कर सकते हैं?"

प्रभु ने उत्तर दिया, "मेरा नाम श्रीनिवासन है और यह मेरी पत्नी पद्मावती है। आपके आचार्य को मैंने मेरी रोज की आवश्यकता के लिए एक गाय दान करने के लिए कहा था परंतु उन्होंने कहा था कि पत्नी के साथ आकर दान मांगेंगे तभी मैं गाय दान दूंगा। यह आपके आचार्य की शर्त थी इसीलिए मैं अब पत्नी संग आया हूँ।"

शिष्यों ने विनम्रता से कहा, "हमारे आचार्य आश्रम में नहीं है इसीलिए कृपया आप गाय लेने के लिए बाद में आइये।"

श्रीनिवासन हंँसे और कहने लगे, "मैं आपकी बात से सहमत हूंँ, परंतु मैं संपूर्ण जगत का सर्वोच्च शासक हूंँ, इसीलिए आप सभी शिष्यगण मुझ पर विश्वास रख सकते हैं और मुझे एक गाय दे सकते हैं, मैं फिर से नहीं आ सकता।"

शिष्यों ने कहा, "निश्चित रूप से आप धरती के शासक हैं बल्कि यह संपूर्ण विश्व भी आपका ही है परंतु हमारे दिव्य आचार्य हमारे लिए सर्वोच्च हैं और उनकी आज्ञा के बिना हम कोई भी काम नहीं कर सकते।"

धीरे-धीरे हंसते हुए भगवान कहने लगे, "आपके आचार्य का आदर करता हूँ। कृपया वापस आने पर आचार्य को बताइए कि मैं सपत्नीक आया था।" ऐसा कहकर भगवान श्रीनिवासन तिरुमाला की दिशा में जाने लगे।

कुछ मिनटों में ऋषि अगस्त्य आश्रम में वापस आए, और जब उन्हें इस बात का पता लगा तो वे अत्यंत निराश हुए और इस प्रकार कथन किया, "श्रीमन नारायण स्वयं माँ लक्ष्मी के संग मेरे आश्रम में आए थे। दुर्भाग्यवश मेैं आश्रम में नहीं था, यह तो बड़ा अनर्थ हुआ। फिर भी कोई बात नहीं प्रभु को जो गाय चाहिए थी वह तो देना ही चाहिए।"

ऋषि तुरंत गौशाला में दाखिल हुए और एक पवित्र गाय लेकर भगवान श्रीनिवास और देवी पद्मावती की दिशा में भागते हुए निकले। थोड़ी दूरी पर श्रीनिवास एवं पत्नी पद्मावती उन्हें नजर आए।

उनके पीछे भागते हुए ऋषि तेलुगु भाषा में पुकारने लगे, "स्वामी (देवा) गोवु (गाय) इंदा (ले जाओ), स्वामी, गोवु इंदा... स्वामी, गोवु इंदा... स्वामी, गोवु इंदा... स्वामी, गोवु इंदा... (स्वामी गाय ले जाइए)..।"

कई बार पुकारने के पश्चात भी भगवान ने नहीं देखा, इधर मुनि ने अपनी गति बढ़ाई और स्वामी ने पुकारे हुए शब्दों को सुनना शुरू किया।

भगवान की लीला उन शब्दों का रूपांतर क्या हो गया। स्वामी गोविंदा, स्वामी गोविंदा, स्वामी गोविंदा, गोविंदा गोविंदा गोविंदा!!

ऋषि के बार बार पुकारने के पश्चात भगवान श्रीनिवास वेंकटेश्वर एवं देवी पद्मावती वापिस मुड़े और ऋषि से पवित्र गाय स्वीकार की ।

प्रभु बोले, "मुनिवर तुमने ज्ञात अथवा अज्ञात अवस्था में मेरे सबसे प्रिय नाम गोविंदा को 108 बार बोल दिया है। कलयुग के अंत तक पवित्र सप्त पहाड़ियों पर मूर्ति के रूप में भूलोक पर रहूँगा और मुझे मेरे सभी भक्त "गोविंदा" नाम से पुकारेंगे। भक्त पहाड़ी पर चढ़ते हुए अथवा मंदिर में मेरे सामने मुझे गोविंदा नाम से पुकारेंगे। मुनिराज कृपया ध्यान दीजिए, हर समय मुझे इस नाम से पुकारे जाते वक्त आपको भी स्मरण किया जाएगा क्योंकि इस प्रेम भरे नाम का कारण आप हैं। यदि किसी भी कारणवश कोई भक्त मंदिर में आने में असमर्थ रहेगा और मेरे गोविंदा नाम का स्मरण करेगा। तब उसकी सारी आवश्यकता मैं पूरी करूँगा। सात पहाड़ियों पर चढ़ते हुए जो गोविंदा नाम को पुकारेगा उन सभी श्रद्धालुओं को मैं मोक्ष दूंगा।"

*गोविंदा हरि गोविन्दा वेंकटरमणा गोविंदा, श्रीनिवासा गोविन्दा वेंकटरमणा गोविन्दा!!*

*चलने वाले पैरों में कितना फर्क है‚ एक आगे तो एक पीछे‚*

*पर न तो आगे वाले कोʺअभिमान‘ है और ना पीछे वाले को ʺअपमान‘*।

*क्योंकि उन्हें पता होता है कि पलभर में ये बदलने वाला होता है। इसी को जिन्दगी कहते हैं*।......

सोमवार, 21 जून 2021

जोधपुर में महेश नवमी महोत्सव 2021 में कई आकर्षक कार्यक्रम ऑनलाइन एवं ऑफलाइन किए गये

जय महेश , 
आप सभी महानुभवों को महेश नवमी की हार्दिक बधाई व अनंत शुभकामनाएं..💐🙏🏻

महेश नवमी के पावन उत्सव पर सम्पूर्ण भारत में युवा साथियों द्वारा कई  आकर्षक कार्यक्रम किए गए 

*महेश नवमी महोत्सव 2021*


:- भगवान महेश की पुजा- अर्चना एवं अभिषेक

:- भगवान महेश को भोग लगाकर महेश भोग (महाप्रसाद) का सम्पूर्ण माहेश्वरी समाज में वितरण 

एवं कोरोना से बचाव के लिए समाज के संपूर्ण परिवारों में मास्क का वितरण  
इसके अलावा महेश नवमी सप्ताह में माहेश्वरी समाज द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम जिसमे  रंगोली प्रतियोगिता (महेश नवमी पर अपने घर आंगन में), पौधारोपण के साथ सेल्फी, रक्तदान शिविर, कोविड टीकाकरण जागरूकता एवं टीकाकरण शिविर में सहयोग, एक शाम भगवान महेश के नाम , योग प्रशिक्षण शिविर,  स्वास्थ्य, कोविड, संस्कार एवं व्यापार संबंधित ऑनलाइन वेबिनार कार्यक्रम, गणित/विज्ञान/धार्मिक प्रश्नोत्तरी एवं प्रतियोगिता ऑनलाइन, ऑनलाइन तंबोला निशुल्क , ऑनलाइन शतरंज प्रतियोगिता,  निबंध प्रतियोगिता ऑनलाइन, गीता श्लोक संबंधित कार्यक्रम, भगवान महेश के ऊपर कोई भी गीत-भजन-गाने की प्रतियोगिता आदि का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया 
इसी कड़ी में एक छोटा सा प्रयास *जोधपुर जिला माहेश्वरी युवा संगठन* के साथ मिलकर *पश्चिमी राजस्थान प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन* द्वारा भी किया गया जिसमें जोधपुर क़े लगभग सभी *माहेश्वरी परिवारों* तक युवा साथियों द्वारा महेश नवमी के पावन पर्व पर कोरोना महामारी को देखते हुए इसके बचाव हेतु 5000*मास्क* का वितरण किया गया ! 
मास्क के साथ मात्र 2 दिनो में जोधपुर के लगभग 170 युवा साथियों के सहयोग से हमारे आराध्य देव भगवान महेश के भोग लगा  *1151 किलो महाप्रसाद( महेश भोग )* का वितरण भी समाज के 4600 परिवारों तक घर घर जाकर पहुँचाने का प्रयास किया गया एवं उन्हें युवा संगठन के कार्यो से अवगत करवाया गया । 


चुकी सम्पूर्ण पश्चिमी राजस्थान प्रदेश मे जोधपुर महानगर सबसे बड़ा इलाक़ा है इसलिए *प्रथम चरण* में जोधपुर जिला माहेश्वरी युवा संगठन के सहयोग से प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन द्वारा यहाँ के सभी परिवारों तक पहुँचने के लिए ये कार्य किया गया ताकी हर घर तक युवा संगठन पहुँच सके ओर समाज हित के क़ार्य कर सके । 

अगले चरण में किसी ओर रूप के साथ सम्पूर्ण प्रदेश के माहेश्वरी परिवारों तक पहुँचने के लिए संगठन द्वारा कार्य किया जाएगा । 

उसके लिए सभी युवा साथियों का दिल से धन्यवाद । 
साभार  *दिनेश राठी* अध्यक्ष
एवं समस्त *पश्चिमी राजस्थान प्रादेशिक माहेश्वरी युवा संगठन*


जानिए कलयुग क्या है?

मित्रो आज हम आपको कलयुग के गुण और अवगुण बतायेंगे, रामचरितमानस के उत्तरकांड में गोस्वामी तुलसीदास जी ने कलयुग का बहुत सटीक वर्णन किया है, लेकिन इससे पहले जानिए कलयुग क्या है?

कलयुग क्या है ? 

कलयुग का सीधा सा अर्थ है कलह। जहाँ भी कलह है वहां पर कलयुग है। जब भगवान श्री कृष्ण जी अपनी लीला करके अपने लोक में चले गए थे उसी समय से द्वापर युग खत्म हो गया था और कलयुग का आगमन हो गया है।

कलयुग कितने साल का है। हमारे शास्त्रों में बताया गया है की कलयुग 4,32,000 वर्ष तक रहेगा। जिसकी गणना इस प्रकार की गई है।

पुराण के मुताबिक मानव का एक वर्ष देवताओं के एक अहोरात्र यानी दिन-रात के बराबर है। जिसमें उत्तरायण दिन व दक्षिणायन रात मानी जाती है। दरअसल, एक सूर्य संक्रान्ति से दूसरी सूर्य संक्रान्ति की अवधि सौर मास कहलाती है। मानव गणना के ऐसे 12 सौर मासों का 1 सौर वर्ष ही देवताओं का एक अहोरात्र होता है। ऐसे ही 30 अहोरात्र, देवताओं के एक माह और 12 मास एक दिव्य वर्ष कहलाता है।

देवताओं के इन दिव्य वर्षो के आधार पर चार युगों की मानव सौर वर्षों में अवधि इस तरह है,

सतयुग 4800 (दिव्य वर्ष) 17,28,000 (सौर वर्ष)
त्रेतायुग 3600 (दिव्य वर्ष) 12,96,100 (सौर वर्ष)
द्वापरयुग 2400 (दिव्य वर्ष) 8,64,000 (सौर वर्ष)
कलियुग 1200 (दिव्य वर्ष) 4,32,000 (सौर वर्ष)

उस समय घोर कलयुग आएगा जिस समय माँ गंगा और गोवर्धन पर्वत लुप्त हो जायेंगे। क्योंकि इन दोनों को श्राप है। पढ़िए इस कलयुग में क्या-क्या घटित होगा।

 कलयुग के अवगुण और लक्षण,,,,

श्री तुलसीदासकृत रामचरतिमानस में इसका वर्णन आया है। काकभुशुण्डि जी गरुड़ जी को बता रहे हैं कलयुग के लक्षण और प्रभाव-

नर-नारी पापपरायण (पापों में लिप्त) रहेंगें॥ कलियुग के पापों ने सब धर्मों को ग्रस लिया, सद्ग्रंथ लुप्त हो गए, दम्भियों ने अपनी बुद्धि से कल्पना कर-करके बहुत से पंथ प्रकट कर दिए॥ सभी लोग मोह के वश हो गए, शुभ कर्मों को लोभ ने हड़प लिया।

कलियुग में न वर्णधर्म रहता है, न चारों आश्रम रहते हैं। सब पुरुष-स्त्री वेद के विरोध में लगे रहते हैं। ब्राह्मण वेदों के बेचने वाले और राजा प्रजा को खा डालने वाले होते हैं। वेद की आज्ञा कोई नहीं मानता॥ जिसको जो अच्छा लग जाए, वही मार्ग है। जो डींग मारता है, वही पंडित है। जो मिथ्या आरंभ करता (आडंबर रचता) है और जो दंभ में रत है, उसी को सब कोई संत कहते हैं॥

जो (जिस किसी प्रकार से) दूसरे का धन हरण कर ले, वही बुद्धिमान है। जो दंभ करता है, वही बड़ा आचारी है। जो झूठ बोलता है और हँसी-दिल्लगी करना जानता है, कलियुग में वही गुणवान कहा जाता है॥

जो आचारहीन है और वेदमार्ग को छोड़े हुए है, कलियुग में वही ज्ञानी और वही वैराग्यवान् है। जिसके बड़े-बड़े नख और लंबी-लंबी जटाएँ हैं, वही कलियुग में प्रसिद्ध तपस्वी है॥

जो अमंगल वेष और अमंगल भूषण धारण करते हैं और भक्ष्य-भक्ष्य (खाने योग्य और न खाने योग्य) सब कुछ खा लेते हैं वे ही योगी हैं, वे ही सिद्ध हैं और वे ही मनुष्य कलियुग में पूज्य हैं॥

जिनके आचरण दूसरों का अपकार (अहित) करने वाले हैं, उन्हीं का बड़ा गौरव होता है और वे ही सम्मान के योग्य होते हैं। जो मन, वचन और कर्म से लबार (झूठ बकने वाले) हैं, वे ही कलियुग में वक्ता माने जाते हैं॥

सभी मनुष्य स्त्रियों के विशेष वश में हैं और बाजीगर के बंदर की तरह (उनके नचाए) नाचते हैं। ब्राह्मणों को शूद्र ज्ञानोपदेश करते हैं और गले में जनेऊ डालकर कुत्सित दान लेते हैं॥

सभी पुरुष काम और लोभ में तत्पर और क्रोधी होते हैं। देवता, ब्राह्मण, वेद और संतों के विरोधी होते हैं। अभागिनी स्त्रियाँ गुणों के धाम सुंदर पति को छोड़कर पर पुरुष का सेवन करती हैं॥

सुहागिनी स्त्रियाँ तो आभूषणों से रहित होती हैं, पर विधवाओं के नित्य नए श्रृंगार होते हैं।

शिष्य और गुरु में बहरे और अंधे का सा हिसाब होता है। एक (शिष्य) गुरु के उपदेश को सुनता नहीं, एक (गुरु) देखता नहीं (उसे ज्ञानदृष्टि) प्राप्त नहीं है)॥

जो गुरु शिष्य का धन हरण करता है, पर शोक नहीं हरण करता, वह घोर नरक में पड़ता है। माता-पिता बालकों को बुलाकर वही धर्म सिखलाते हैं, जिससे पेट भरे॥

स्त्री-पुरुष ब्रह्मज्ञान के सिवा दूसरी बात नहीं करते, पर वे लोभवश कौड़ियों (बहुत थोड़े लाभ) के लिए ब्राह्मण और गुरु की हत्या कर डालते हैं॥

शूद्र ब्राह्मणों से विवाद करते हैं (और कहते हैं) कि हम क्या तुमसे कुछ कम हैं? जो ब्रह्म को जानता है वही श्रेष्ठ ब्राह्मण है। (ऐसा कहकर) वे उन्हें डाँटकर आँखें दिखलाते हैं॥

संत जन बताते हैं की यहाँ शुद्र का मतलब किसी जाति से नहीं बल्कि नीच आचरण करने वाले से है। और ब्राह्मण का अर्थ जो मन कर्म वचन से किसी का बुरा नही करता और जीव मात्र में परमात्मा का दर्शन करके उसकी(परमात्मा) भक्ति करता है।

जो पराई स्त्री में आसक्त, कपट करने में चतुर और मोह, द्रोह और ममता में लिपटे हुए हैं, वे ही मनुष्य अभेदवादी (ब्रह्म और जीव को एक बताने वाले) ज्ञानी हैं। मैंने उस कलियुग का यह चरित्र देखा॥

वे स्वयं तो नष्ट हुए ही रहते हैं, जो कहीं सन्मार्ग का प्रतिपालन करते हैं, उनको भी वे नष्ट कर देते हैं। जो तर्क करके वेद की निंदा करते हैं, वे लोग कल्प-कल्पभर एक-एक नरक में पड़े रहते हैं॥

तेली, कुम्हार, चाण्डाल, भील, कोल और कलवार आदि जो वर्ण में नीचे हैं, स्त्री के मरने पर अथवा घर की संपत्ति नष्ट हो जाने पर सिर मुँड़ाकर संन्यासी हो जाते हैं॥

वे अपने को ब्राह्मणों से पुजवाते हैं और अपने ही हाथों दोनों लोक नष्ट करते हैं। ब्राह्मण अपढ़, लोभी, कामी, आचारहीन, मूर्ख और नीची जाति की व्यभिचारिणी स्त्रियों के स्वामी होते हैं॥

शूद्र नाना प्रकार के जप, तप और व्रत करते हैं तथा ऊँचे आसन (व्यास गद्दी) पर बैठकर पुराण कहते हैं। सब मनुष्य मनमाना आचरण करते हैं। अपार अनीति का वर्णन नहीं किया जा सकता॥

कलियुग में सब लोग वर्णसंकर और मर्यादा से च्युत हो गए। वे पाप करते हैं और (उनके फलस्वरूप) दुःख, भय, रोग, शोक और (प्रिय वस्तु का) वियोग पाते हैं॥

वेद सम्मत तथा वैराग्य और ज्ञान से युक्त जो हरिभक्ति का मार्ग है, मोहवश मनुष्य उस पर नहीं चलते और अनेकों नए-नए पंथों की कल्पना करते हैं॥

संन्यासी बहुत धन लगाकर घर सजाते हैं। उनमें वैराग्य नहीं रहा, उसे विषयों ने हर लिया। तपस्वी धनवान हो गए और गृहस्थ दरिद्र। हे तात! कलियुग की लीला कुछ कही नहीं जाती॥

कुलवती और सती स्त्री को पुरुष घर से निकाल देते हैं और अच्छी चाल को छोड़कर घर में दासी को ला रखते हैं। पुत्र अपने माता-पिता को तभी तक मानते हैं, जब तक स्त्री का मुँह नहीं दिखाई पड़ता॥

जब से ससुराल प्यारी लगने लगी, तब से कुटुम्बी शत्रु रूप हो गए। राजा लोग पाप परायण हो गए, उनमें धर्म नहीं रहा। वे प्रजा को नित्य ही (बिना अपराध) दंड देकर उसकी विडंबना (दुर्दशा) किया करते हैं॥

धनी लोग मलिन (नीच जाति के) होने पर भी कुलीन माने जाते हैं। द्विज का चिह्न जनेऊ मात्र रह गया और नंगे बदन रहना तपस्वी का। जो वेदों और पुराणों को नहीं मानते, कलियुग में वे ही हरिभक्त और सच्चे संत कहलाते हैं॥

कवियों के तो झुंड हो गए, पर दुनिया में उदार (कवियों का आश्रयदाता) सुनाई नहीं पड़ता। गुण में दोष लगाने वाले बहुत हैं, पर गुणी कोई भी नहीं। कलियुग में बार-बार अकाल पड़ते हैं। अन्न के बिना सब लोग दुःखी होकर मरते हैं॥

कलियुग में कपट, हठ (दुराग्रह), दम्भ, द्वेष, पाखंड, मान, मोह और काम आदि (अर्थात् काम, क्रोध और लोभ) और मद ब्रह्माण्डभर में व्याप्त हो गए (छा गए)॥

मनुष्य जप, तप, यज्ञ, व्रत और दान आदि धर्म तामसी भाव से करने लगे। देवता (इंद्र) पृथ्वी पर जल नहीं बरसाते और बोया हुआ अन्न उगता नहीं॥

स्त्रियों के बाल ही भूषण हैं (उनके शरीर पर कोई आभूषण नहीं रह गया) और उनको भूख बहुत लगती है (अर्थात् वे सदा अतृप्त ही रहती हैं)। वे धनहीन और बहुत प्रकार की ममता होने के कारण दुःखी रहती हैं। वे मूर्ख सुख चाहती हैं, पर धर्म में उनका प्रेम नहीं है। बुद्धि थोड़ी है और कठोर है, उनमें कोमलता नहीं है॥

मनुष्य रोगों से पीड़ित हैं, भोग (सुख) कहीं नहीं है। बिना ही कारण अभिमान और विरोध करते हैं। दस-पाँच वर्ष का थोड़ा सा जीवन है, परंतु घमंड ऐसा है मानो कल्पांत (प्रलय) होने पर भी उनका नाश नहीं होगा॥

कलिकाल ने मनुष्य को बेहाल (अस्त-व्यस्त) कर डाला। कोई बहिन-बेटी का भी विचार नहीं करता। (लोगों में) न संतोष है, न विवेक है और न शीतलता है। जाति, कुजाति सभी लोग भीख माँगने वाले हो गए॥

ईर्षा (डाह), कडुवे वचन और लालच भरपूर हो रहे हैं, समता चली गई। सब लोग वियोग और विशेष शोक से मरे पड़े हैं। वर्णाश्रम धर्म के आचरण नष्ट हो गए॥

इंद्रियों का दमन, दान, दया और समझदारी किसी में नहीं रही। मूर्खता और दूसरों को ठगना, यह बहुत अधिक बढ़ गया। स्त्री-पुरुष सभी शरीर के ही पालन-पोषण में लगे रहते हैं। जो पराई निंदा करने वाले हैं, जगत् में वे ही फैले हैं॥  

कलिकाल पाप और अवगुणों का घर है, किंतु कलियुग में एक गुण भी बड़ा है कि उसमें बिना ही परिश्रम भवबंधन से छुटकारा मिल जाता है॥ सुनु ब्यालारि काल कलि मल अवगुन आगार। गुनउ बहुत कलिजुग कर बिनु प्रयास निस्तार॥

कलियुग केवल नाम अधारा , सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा : कलयुग में केवल भगवान का नाम ही भवसागर से पार उतरने का साधन है केवल भगवान का नाम सुमिरन से इस भवसागर से पार पाया जा सकता है।

कृतजुग त्रेताँ द्वापर पूजा मख अरु जोग। जो गति होइ सो कलि हरि नाम ते पावहिं लोग॥ सत्ययुग, त्रेता और द्वापर में जो गति पूजा, यज्ञ और योग से प्राप्त होती है, वही गति कलियुग में लोग केवल भगवान्‌ के नाम से पा जाते हैं॥

सत्ययुग में सब योगी और विज्ञानी होते हैं। हरि का ध्यान करके सब प्राणी भवसागर से तर जाते हैं। त्रेता में मनुष्य अनेक प्रकार के यज्ञ करते हैं और सब कर्मों को प्रभु को समर्पण करके भवसागर से पार हो जाते हैं॥ द्वापर में श्री रघुनाथजी के चरणों की पूजा करके मनुष्य संसार से तर जाते हैं, दूसरा कोई उपाय नहीं है और कलियुग में तो केवल श्री हरि की गुणगाथाओं का गान करने से ही मनुष्य भवसागर की थाह पा जाते हैं॥ कलिजुग केवल हरि गुन गाहा। गावत नर पावहिं भव थाहा॥

कलियुग में न तो योग और यज्ञ है और न ज्ञान ही है। श्री रामजी का गुणगान ही एकमात्र आधार है। अतएव सारे भरोसे त्यागकर जो श्री रामजी को भजता है और प्रेमसहित उनके गुणसमूहों को गाता है, वही भवसागर से तर जाता है, इसमें कुछ भी संदेह नहीं।

 कलियुग का एक पवित्र प्रताप (महिमा) है कि मानसिक पुण्य तो होते हैं, पर (मानसिक) पाप नहीं होते॥

कलिजुग सम जुग आन नहिं जौं नर कर बिस्वास। गाइ राम गुन गन बिमल भव तर बिनहिं प्रयास॥

यदि मनुष्य विश्वास करे, तो कलियुग के समान दूसरा युग नहीं है, (क्योंकि) इस युग में श्री रामजी के निर्मल गुणसमूहों को गा-गाकर मनुष्य बिना ही परिश्रम संसार (रूपी समुद्र) से तर जाता है॥

शुद्ध सत्त्वगुण, समता, विज्ञान और मन का प्रसन्न होना, इसे सत्ययुग का प्रभाव जानें॥

सत्त्वगुण अधिक हो, कुछ रजोगुण हो, कर्मों में प्रीति हो, सब प्रकार से सुख हो, यह त्रेता का धर्म है।

रजोगुण बहुत हो, सत्त्वगुण बहुत ही थोड़ा हो, कुछ तमोगुण हो, मन में हर्ष और भय हो, यह द्वापर का धर्म है॥

तमोगुण बहुत हो, रजोगुण थोड़ा हो, चारों ओर वैर-विरोध हो, यह कलियुग का प्रभाव है।

जिसका श्री रघुनाथजी के चरणों में अत्यंत प्रेम है, उसको कालधर्म (युगधर्म) नहीं व्यापते।

एहिं कलिकाल न साधन दूजा। जोग जग्य जप तप ब्रत पूजा॥ 
रामहि सुमिरिअ गाइअ रामहि। संतत सुनिअ राम गुन ग्रामहि॥

तुलसीदासजी कहते हैं- इस कलिकाल में योग, यज्ञ, जप, तप, व्रत और पूजन आदि कोई दूसरा साधन नहीं है। बस, श्री रामजी का ही स्मरण करना, श्री रामजी का ही गुण गाना और निरंतर श्री रामजी के ही गुणसमूहों को सुनना चाहिए॥

नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु। कलियुग में राम का नाम कल्पतरु (मन चाहा पदार्थ देने वाला) और कल्याण का निवास (मुक्ति का घर) है।

और इसके बाद कह दिया केवल कलियुग की ही बात नहीं है, चारों युगों में, तीनों काल में और तीनों लोकों में नाम को जपकर जीव शोकरहित हुए हैं।

राम नाम कलि अभिमत दाता। हित परलोक लोक पितु माता॥ कलियुग में यह राम नाम मनोवांछित फल देने वाला है, परलोक का परम हितैषी और इस लोक का माता-पिता है (अर्थात परलोक में भगवान का परमधाम देता है और इस लोक में माता-पिता के समान सब प्रकार से पालन और रक्षण करता है।)

कलियुग में न कर्म है, न भक्ति है और न ज्ञान ही है, राम नाम ही एक आधार है। नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू॥

भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ। नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ॥

अच्छे भाव (प्रेम) से, बुरे भाव (बैर) से, क्रोध से या आलस्य से, किसी तरह से भी नाम जपने से दसों दिशाओं में कल्याण होता है।

इसलिए सब चिंता, भय छोड़कर, मन क्रम और वाणी से भगवान का नाम जपिए और सत्कर्म कीजिये।

function disabled

Old Post from Sanwariya