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रविवार, 4 जुलाई 2021

परंपरा कैसे जन्म लेती है...?


परंपरा कैसे जन्म लेती है...? 😄😄

एक कैम्प में नए कमांडर की पोस्टिंग हुई....
इंस्पेक्शन के दौरान उन्होंने देखा कि कैम्प एरिया के मैदान में दो सिपाही एक बैंच की पहरेदारी कर रहे हैं.....😄

कमांडर ने सिपाहियों से पूछा कि वे इस बैंच की पहरेदारी क्यों कर रहे हैं ? 

सिपाही बोले:- हमें पता नहीं सर, लेकिन आपसे पहले वाले कमांडर साहब ने इस बैंच की पहरेदारी करने को कहा था.....😄
शायद ये इस कैम्प की परंपरा है क्योंकि......
शिफ्ट के हिसाब से चौबीसों घंटे इस बैंच की पहरेदारी की जाती है.... 😄

वर्तमान कमांडर ने पिछले कमांडर को फोन किया और उस विशेष बैंच की पहरेदारी की वजह पूछी.....? 😎

पिछले कमांडर ने बताया:- मुझे नहीं पता, लेकिन मुझसे पिछले कमांडर उस बैंच की पहरेदारी करवाते थे.......
अतः मैंने भी परंपरा को कायम रखा..... 😄

नए कमांडर बहुत हैरान हुए....😎
उन्होंने पिछले के और पिछले-पिछले 3 कमांडरों से बात की......😎
सबने उपरोक्त कमांडर जैसा ही जवाब दिया....😎
यूं ही पीछे के इतिहास में जाते नए कमांडर की बात फाइनली एक रिटायर्ड जनरल से हुई जिनकी उम्र 100 साल थी.....😎 

नए कमांडर उनसे फोन पर बोले:-
आपको डिस्टर्ब करने के लिए क्षमा चाहता हूं सर.....
मैं उस कैम्प का नया कमांडर हूं......
जिसके आप, 60 साल पहले कमांडर हुआ करते थे...😄
मैंने यहां दो सिपाहियों को एक बैंच की पहरेदारी करते देखा है.....😄
क्या आप मुझे इस बैंच के बारे में कुछ जानकारी दे सकते हैं....?ताकि मैं समझ सकूं कि, इसकी पहरेदारी क्यों आवश्यक है....? 😄😄

सामने वाला फोन पर आश्चर्यजनक स्वर में बोला:-
क्या ? उस बैंच का "ऑइल पेंट" अभी तक नहीं सूखा........?
😄😄😄

ट्रकों पर कोरोना शायरी


*ट्रक के पीछे जब हमारी गाडी होती है, तब कई बार पीछे लिखी रोचक शायरी पढने को मिलती है ।  किसी ने 'ट्रकों पर कोरोना शायरी’’ की अनूठी पहल की है और यह कोरोना शायरी भी उसी रोचक और मौजी अंदाज में लिखी हैं । इसमें अनेक भावों के साथ वैक्सीन लगवाने और मास्क का निरंतर उपयोग करने के संदेश हैं।* 

*"देखो मगर प्यार से….*
*कोरोना डरता है वैक्सीन की मार से"*
—-
*"मैं खूबसूरत हूं मुझे नजर न लगाना*
*जिंदगी भर साथ दूंगी, वैक्सीन जरूर लगवाना"*
—-
*"हंस मत पगली, प्यार हो जाएगा*
*टीका लगवा ले, कोरोना हार जाएगा"*
—-
*"टीका लगवाओगे तो बार-बार मिलेंगे*
*लापरवाही करोगे तो हरिद्वार मिलेंगे"*
—-
*"यदि करते रहना है सौंदर्य दर्शन रोज-रोज*
*तो पहले लगवा लो वैक्सीन के दोनों डोज"*
—-
*"टीका नहीं लगवाने से*
*यमराज बहुत खुश होता है।"*
*"चलती है गाड़ी, उड़ती है धूल*
*वैक्सीन लगवा लो वरना होगी बड़ी भूल"*
—-
*"बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला*
*अच्छा होता है वैक्सीन लगवाने वाला"*
—-
*"कोरोना से सावधानी हटी,*
*तो समझो सब्जी-पूड़ी बंटी"*
—-
*"मालिक तो महान है, चमचो से परेशान है।*
*कोरोना से बचने का, टीका ही समाधान है।*

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

अंग्रेजो के द्वारा बनाए गए 200 काले ओर घटिया कानूनों को बदलने ओर हटाने के लिए आंदोलन 8 अगस्त 2021


पहली बार कोई सकारात्मक आन्दोलन आजाद भारत में शुरु होने की आहट हुई है। इससे नेहरु और गान्धी की कुछ नई तस्वीर सामने आयेगी जो आज तक मिडिया ने छुपाकर रक्खी गई है। में पूरी तरह से तन, मैन, धन और अपनी जानकारी के साथ इस उद्देश्य मे समरपित हुँ।       
 
मित्रों ! जानिए - मानिए - करिए सहयोग*

प्रथम बार देश के पुराने कानूनों को हटाकर, नए, न्यायपूर्ण, राष्ट्रीय कानूनों को बंधारण में लाने हेतु, 
राष्ट्रवादी - बुद्धिजीवी - संस्कृतिप्रेमीओ द्वारा संचालित एक देशव्यापी आंदोलन को जानने हेतु आपका अमूल्य समय निकालिए। 

 =🇮🇳 *राष्ट्रीय पहल* 🇮🇳==
सुप्रीम कोर्ट के राष्ट्रवादी, हिन्दूवादी वरिष्ठ वकील श्री अश्वीनी उपाध्याय 8 अगस्त 2021 को दिल्ली मे पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ की टीम के साथ उन पुराने ओर अंग्रेजो के द्वारा बनाए गए 200 काले ओर घटिया कानूनों को बदलने ओर हटाने के लिए आंदोलन करने जा रहे है जिनको बनाकर अंग्रेजो ने इस देश को लुटा था, इस देश की सनातन संस्कृति,शिक्षा पद्धति (गूरुकुल)को नष्ट किया था ओर अंग्रेजो के बाद इन घटिया कानूनों के द्वारा कांग्रेसी, वामपंथी, कम्युनिस्ट और अलगाववादी जैसी राष्ट्रविरोधी सरकारों ने इस देश को लूटा, देश का इतिहास बदला ओर इन कमजोर कानूनों की मदद से ही ये सारे राष्ट्रविरोधी राजनीतिक दल अब तक देश के खिलाफ षडयंत्र कर रहे है हिन्दूओ का धर्मांतरण कर रहे है इन कानूनों की वजह से ही देश का हिंदू देश मे ही केरल, कश्मीर, बंगाल जेसे राज्यों से पलायन करने को मजबूर हुआ ओर इन राज्यो मे हिंदु ओर हिन्दू संस्कृति कमजोर हो गई या नष्ट हो गई इस आंदोलन मे अश्वीनी उपाध्याय जी के साथ देश के उच्च शिक्षित ओर उच्च पदो पर सेवा दे चुके लोग शामिल है जो राष्ट्र को बचाना चाहते है, घुसपैठियो को भगाना चाहते है, हिन्दू सनातन संस्कृति की रक्षा करना चाहते है, जिहाद, आतंकवाद की समस्या को जड़ से खत्म करना चाहते है 
1.जनरल GD बक्क्षी (पुर्व आर्मी आफिसर)
2.कर्नल RSN सिंह (पुर्व RAW आफिसर)
3.सूशील पंडित(1990 के पीड़ित कश्मीरी पंडितों के नेता)
4.विष्णु शंकर जैन(सुप्रीम कोर्ट मे राम मंदिर के पक्षकार)
5.देवदत्त मांझी (बंगाल के राष्ट्रवादी हिन्दूवादी नेता)
6.अंकुर शर्मा (जमु कश्मीर के राष्ट्रवादी नेता)
7.आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा
8.प्रोफेसर कपिल कूमार (दिल्ली मे सुभाषचंद्र बोस का म्यूजियम बनाने वाले)
9.ललित अम्बरदार (1990 के पीड़ित कश्मीरी पीड़ित)
10.नीरज अत्री (देश मे कांग्रेस ओर कम्युनिस्टों के बनाए गए  education system को उजागर करने वाले)
11.विक्रम सिंह(उ.प्र के पुर्व DGP)
12.RVS मणि(केंद्र सरकार मे पुर्व officer)
13.यति नरसिंहानंद सरस्वती जी (डासना मंदिर विवाद मे जिहादियों का विरोध करने वाले)
14.कालीचरण महाराज
15.captain सिकंदर रिजवी(पाक अधिकार वाले कश्मीर प्रांत गिलगित बाल्टिस्तान के नेता)
16.अभिनेता पूनीत  इस्सर (महाभारत के दूर्योधन)
17.वसीम रिजवी(कुरान की 26 आयतो के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाले) 
18. एन.के सूद (पुर्वRAW officer) 
19.मेजर गौरव आर्य(पुर्व indian army officer) 
20. विवेक अग्निहोत्री (फिल्म निर्माता, निर्देशक) 
ओर भी राष्ट्रवादी, राष्ट्रप्रेमी लोग इस आंदोलन का हिस्सा है, आयोजक है, संयोजक है
संभवतः 1947 के बाद ये देश का पहला ऐसा आंदोलन होगा जिसमे राष्ट्रीय चेतना होगी ओर देशभक्त लोग शामिल होगे अभी तक देश मे बडे़ आंदोलन(CAA एवं NRC के खिलाफ शाहीन बाग ओर किसान आंदोलन)राजनीतिक स्वार्थ के लिए ओर राष्ट्र को तोड़ने के लिए गद्दारों ने दुश्मन देशों की मदद से किए है पर यह पहला आंदोलन है जो राष्ट्रहित मे, हिन्दूधर्म के हित मे ओर भारतीय संस्कृति के हित मे है ओर 2011 के अन्ना हजारे के आंदोलन की तरह गुमराह नही होगा
याद रखना
1.भारत के 9 राज्यों मे हिन्दू 10% से कम हो चुके है वहा दुश्मन देशों के दलाल सरकार चला रहे है
2. कांग्रेस ने 2006 मे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाकर अप्लसंख्यक आयोग बनाया जो इन गद्दारो को कई तरह की सुविधा देता है
3. वक्फबोर्ड जमीन का कानून जिसके कारण ही मथुरा मे कृष्णजन्म भुमि पर ईदगाह बन गई
4.हमारे दिये Tax से मदरसो के मोलवी ओर जमातियो को वजीफा, पेंशन आदि दिया जा रहा है
5.हिन्दूमंदिरों के चढ़ावे, पैसे पर देश की सरकार का कब्जा है सरकार ये पैसा हिन्दू समाज के लिए उपयोग नही करती जबकि मस्जिदों का चढ़ावा, पेसा मुस्लिम समाज के लोगों के लिए ओर उनकी धार्मिक गतिविधियों के लिए ही उपयोग होता है ओर आप जानते ही हो ये गतिविधिया किस प्रकार की है
ये तो हुए वो मुद्दे जो हिन्दूधर्म, हिन्दू संस्कृति के खिलाफ है इनके अलावा ओर भी बहुत से कानून नियम हिन्दू धर्म के विरोध मे है

ओर अब वे कमजोरिया, वे मुद्दे ओर कानून जो देश को खोखला कर रहे है
6. करोड़ों रुपये का घोटाला करने के बाद भी किसी नेता को सिर्फ 7 साल की सजा क्यों??
7. भारत मे ही घुसपैठ क्यों हो रही है अमेरिका, चायना, इजराइल ओर फ्रांस मे क्यो नही?? 
8.लगभग 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुका है उसे अल्पसंख्यक का दर्जा ओर अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली सुविधाएं नही मिल रही क्यों??
9. देश मे मुसलमानों को अपने धर्म की शिक्षा ओर धार्मिक ग्रंथ कुरान को पढा़ने की अनुमति है पर हिन्दूओ को नही क्यों?? 
10. देश मे मिलावटखोरो के लिए भी 7 साल की सजा, बलात्कारियों के लिए भी 7 साल की सजा, धर्म परिवर्तन करवाने वालो के लिए भी 7 साल की सजा, देश से गद्दारी करने वाले के लिए भी 7 साल की सजा, करोड़ों रुपये का घोटाला करने वालो के लिए भी 7 साल की सजा ओर तो ओर कई मामलो मे देश पर हमला करने वाले, देश के खिलाफ षड्यंत्र करने वाले को भी 7 साल की सजा ही मिलती है क्यों??? 
देश की सारी समस्याओं की जड़ इस तरह के लगभग 200 से ज्यादा कानून है जो अंग्रेज़ों ने कई वर्षों पहले अपने हिसाब से देश को लुटने के लिए बनाए थे इनको बदलना हटाना बहुत आवश्यक है अभी सरकार भी देश के अनुकूल है अगर 100 करोड़ हिन्दूओ मे से 50 करोड़ हिन्दू भी अपने राष्ट्र के लिए, अपने धर्म के लिए चिंतित है ओर उनमे से 10% यानि 5 करोड़ लोग भी अगर 8 अगस्त को दिल्ली पहुँच जाते है तो सरकार को आपकी बात, आपकी मांगे माननी ही होगी
ये आंदोलन के आयोजक ओर कार्यकर्ता वो लोग है जो इस देश की सरकारी सेवाओ (सेना,खुफिया एजेंसी, पुलिस शिक्षा,ब्युरोक्रेसी) मे रह चुके है और इसलिए ये लोग सब जानते है इसलिए इनका साथ दीजिये

माना कि हर हर कोई दिल्ली नही जा सकता पर इस मेसेज को जितने लोगो को भेज सकता है भेजे हर राष्ट्रवादी हिन्दू के पास ये मेसेज होना चाहिए
.... याद रखिये 8 अगस्त 2021🇮🇳🇮🇳

मिर्ची बड़ा पुराण


मिर्ची बड़ा पुराण :-

यदि आपने कभी मिर्चीबड़ा का नाम नही सुना। कभी खाया नही । तो मैं बेहिचक मान लूंगा कि आप एलियन हैं।

कोई इस पृथ्वी पर जन्में और बिना मिर्चीबड़ा खाये मर जाये , ये तो हो ही नही सकता।

मिर्ची बड़े के लिए जोधपुर के एक शायर ने जोरदार जुमला जड़ा है..

वे कहते हैं-बेसन के कफ़न में लिपटा,

मिर्च का ताबूत है मिर्चीबड़ा।

बेसन के घोल में सुनहरे तले हुये कवर में लम्बी हरि मिर्ची के साथ भरे मसालेदार दुष्ट आलूओ का दल है ये। जो सदियों से नशे की तरह जोधपुरियो के दिल दिमाग पर हावी बना हुआ है।

हमारा राष्ट्रीय भोजन है ये। सुबह नाश्ते मे मिर्चीबड़ा हों, दोपहर मे भूख लगने पर मिल जाये ये या शाम को चाय के साथ ही इनके दर्शन हो जायें, किसी की मजाल नही जो इन्हे ना कह दे।

मिर्चिबड़े का भूख से कोई लेना देना नही होता। पेट भरा है, ये नियम मिर्चिबड़े पर लागू नही होता। मिर्चिबड़े सामने हों तो दिमाग काम करना बंद कर देता है। दिल मर मिटता है मिर्चीबड़े पर। ये बेबस कर देते हैं आपको। मिर्चीबड़े को कोई बंदा ना कह दे ऐसे किसी शख्स से मै अब तक मिला नही हूँ।

मिर्चीबड़े मे बडी एकता होती है। इनमें से कोई अकेला आपके पेट मे जाने को तैयार नही होता। आप पहला मिर्चीबड़ा खाते हैं तो आँखे दूसरे मिर्चीबड़े को तकने लगती है, तीसरा आपके दिमाग पर कब्जा कर लेता है और दिल की सवारी कर रहे चौथे मिर्चीबड़ेे की बात आप टाल नही पाते।

मिर्चीबड़े को देखते ही आपकी समझदारी घास चरने चली जाती हैं। आप अपने डॉक्टर की सारी सलाह, अपने कोलेस्ट्राल की खतरनाक रिपोर्ट भूल जाते हैं। पूरी दुनिया पीछे छूट जाती है आपके और आप मिर्चीबड़े के पीछे होते हैं।

मिर्चीबड़ेे को गरम गरम बनते देखना तो और भी खतरनाक है। आप कहीं भी कितने जरूरी काम से जा रहे हो, सडक किनारे किसी दुकान की कढाई मे गरम गरम तेल मे छनछनाते, झूमते सुनहरे मिर्चीबड़े आपके पाँव रोक ही लेगें। ये जादूगर होते हैं। आप को सम्मोहित कर लेते हैं ये। आप दुनिया जहान को भूल जाते हैं। आप खुद-ब-खुद खिंचे चले आते है मिर्चीबड़े की दुकान की तरफ, और तब तक खडे रहते है जब तक दुकानदार दया करके आपको मिर्चीबड़े की प्लेट ना थमा दें।

किसी मशहूर मिर्चीबड़े दुकान को ध्यान से देखिये, यहाँ जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्रियता, अमीरी, गरीबी का कोई भेद नही होता। मिर्चीबड़ेे से प्यार करने वाले एक साथ धीरज से अपनी बारी का इंतजार करते हैं। जिन बातो ने हमारे देश की एकता अखंडता बनाये रखने मे मदद की है उनमें मिर्चीबड़े को बाइज्जत शामिल किया ही जाना चाहिये।

मिर्चीबड़ा पीज्जा, बर्गर के दादा हैं। आदमी का पेट खराब करना पीज्जा, बर्गर ने मिर्चीबड़े से ही सीखा है, पर जीभ के आगे पेट की सुनता कौन है।

वो तो हम पैसे धैले के मामले मे अमेरिका से उन्नीस पडते हैं वरना पूरी दुनिया मे मैकडोनाल्ड की जगह मिर्चीबड़े कार्नर की चेन्स होतीं।

हमारे खाने पीने की दुनिया के बाद़शाह है मिर्ची बड़ेे । और हमारे देश मे बादशाह को ना कहने का नहीं झुक झुक कर सलाम करने का रिवाज है।

तो फिर जाइये, अब देर किस बात की। तुरन्त दो-चार मिर्चीबड़े उदरस्थ कीजिये और मस्त-मलंग हो कर दोबारा फिर मिर्चीबड़ा खाने के समय को निर्धारित कीजिये।

पर्यावरण को बचाना नए फलदार पेड़ लगाना एवं ऑक्सीजन देने वाले पेड़ लगाना


*बरगद एक लगाइये,पीपल रोपें पाँच।*
*घरघर नीम लगाइये,यही पुरातन साँच।।*
*यही पुरातन साँच,- आज सब मान रहे हैं।*
*भाग जाय प्रदूषण सभी अब जान रहे हैं।।*
*विश्वताप मिट जाये होय हर जन मन गदगद।*
*धरती पर त्रिदेव हैं- नीम पीपल औ बरगद।।*

*आप को लगेगा अजीब बकवास है किन्तु यह सत्य है.. .*

*पिछले 68 सालों में पीपल, बरगद और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना बन्द किया गया है*

*पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजार्बर है, बरगद 80% और नीम 75 %*

*अब सरकार ने इन पेड़ों से दूरी बना ली तथा इसके बदले विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया जो जमीन को जल विहीन कर देता है*

*आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है*

*अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नही रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही*

*हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाये तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त हिन्दुस्तान होगा*

*वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए*
*पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है*
*जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं।*
*वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है। इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए-*

*मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु,*
*सखा शंकरमेवच।*
*पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम,*
*वृक्षराज नमस्तुते।*
*अब करने योग्य कार्य*

*इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगाने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ायें...*

*पर्यावरण को बचाना नए फलदार पेड़ लगाना एवं ऑक्सीजन देने वाले पेड़ लगाना*
*यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है जो हमारी भारतीय संस्कृति में लगातार रही है*
*पर्यावरण सुरक्षित मानव जीवन सुरक्षित*

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