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शुक्रवार, 9 जुलाई 2021

शब्दों का अपना एक संसार होता है


*-शब्दों का संसार-*

शब्द *रचे* जाते हैं,
शब्द *गढ़े* जाते हैं,
शब्द *मढ़े* जाते हैं,
शब्द *लिखे* जाते हैं,
शब्द *पढ़े* जाते हैं,
शब्द *बोले* जाते हैं,
शब्द *तौले* जाते हैं,
शब्द *टटोले* जाते हैं,
शब्द *खंगाले* जाते हैं,

*#अंततः*

शब्द *बनते* हैं,
शब्द *संवरते* हैं,
शब्द *सुधरते* हैं,
शब्द *निखरते* हैं,
शब्द *हंसाते* हैं,
शब्द *मनाते* हैं,
शब्द *रूलाते* हैं,
शब्द *मुस्कुराते* हैं,
शब्द *खिलखिलाते* हैं,
शब्द *गुदगुदाते* हैं, 
शब्द *मुखर* हो जाते हैं,
शब्द *प्रखर* हो जाते हैं,
शब्द *मधुर* हो जाते हैं,

*#फिर भी-*

शब्द *चुभते* हैं,
शब्द *बिकते* हैं,
शब्द *रूठते* हैं,
शब्द *घाव* देते हैं,
शब्द *ताव* देते हैं,
शब्द *लड़ते* हैं,
शब्द *झगड़ते* हैं,
शब्द *बिगड़ते* हैं,
शब्द *बिखरते* हैं
शब्द *सिहरते* हैं,

*#किंतु-*

शब्द *मरते* नहीं,
शब्द *थकते* नहीं,
शब्द *रुकते* नहीं,
शब्द *चुकते* नहीं,

*#अतएव-*

शब्दों से *खेले* नहीं,
बिन सोचे *बोले* नहीं,
शब्दों को *मान* दें,
शब्दों को *सम्मान* दें,
शब्दों पर *ध्यान* दें,
शब्दों को *पहचान* दें,
ऊँची लंबी *उड़ान* दे,
शब्दों को *आत्मसात* करें...
*उनसे उनकी* बात करें,
शब्दों का *अविष्कार* करें...
ध्यान से *सुने* .....
गहन *सार्थक विचार* करें.....
व *ध्यान से समझें*, फिर *उत्तर दें*
*#क्योंकि-*

*शब्द* *अनमोल* हैं...
ज़ुबाँ से निकले *बोल* हैं,
शब्दों में *धार* होती है,
शब्दों की *महिमा अपार* होती,
शब्दों का *विशाल भंडार* होता है,

*और सच तो यह है कि-*
*शब्दों का अपना एक संसार होता है*
💐💐💐💐💐🙏🙏🙏🙏🙏

गुरुवार, 8 जुलाई 2021

अर्ध नग्न महिलाओं को देख कर 90℅ कौन मजे लेता है?


*अर्ध नग्न महिलाओं को देख कर  90℅ कौन मजे लेता है??⁉*  
*नारी स्वतंत्रता पर सच्चाई जाने, समझें???* एक लेख
👇👇👇👇👇👇👇

एक दिन मोहल्ले में किसी ख़ास अवसर पर महिला सभा का आयोजन किया गया, सभा स्थल पर महिलाओं की संख्या अधिक और पुरुषों की कम थी..!!
मंच पर तकरीबन  *पच्चीस वर्षीय खुबसूरत युवती, आधुनिक वस्त्रों से* *सुसज्जित, माइक थामें कोस रही थी पुरुष समाज को..!!*

वही पुराना आलाप.... कम और छोटे कपड़ों को जायज, और कुछ भी पहनने की स्वतंत्रता का बचाव करते हुए, पुरुषों की गन्दी सोच और खोटी नीयत का दोष बतला रही थी.!!

तभी अचानक सभा स्थल से... तीस बत्तीस वर्षीय सभ्य, शालीन और आकर्षक से दिखते नवयुवक ने खड़े होकर अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति मांगी..!!

अनुमति स्वीकार कर माइक उसके हाथों मे सौप दिया गया .... हाथों में माइक आते ही उसने बोलना शुरु किया..!!

"माताओं, बहनों और भाइयों, मैं आप सबको नही जानता और आप सभी मुझे नहीं जानते कि, आखिर मैं कैसा इंसान हूं..?? 

लेकिन पहनावे और शक्ल सूरत से मैं आपको कैसा लगता हूँ बदमाश या शरीफ..??

सभास्थल से कई आवाजें गूंज उठीं... पहनावे और बातचीत से तो आप शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो....

बस यही सुनकर, अचानक ही उसने अजीबोगरीब हरकत कर डाली... सिर्फ हाफ पैंट टाइप की अपनी  अंडरवियर छोड़ कर के बाक़ी सारे कपड़े मंच पर ही उतार दिये..!!

ये देख कर .... पूरा सभा स्थल आक्रोश से गूंज उठा, मारो-मारो गुंडा है, बदमाश है, बेशर्म है, शर्म नाम की चीज नहीं है इसमें.... मां बहन का लिहाज नहीं है इसको, नीच इंसान है, ये छोड़ना मत इसको....

ये आक्रोशित शोर सुनकर... अचानक वो माइक पर गरज उठा... 

"रुको... पहले मेरी बात सुन लो, फिर मार भी लेना , चाहे तो जिंदा जला भी देना मुझको..!!

अभी अभी तो....ये बहन जी कम कपड़े , तंग और बदन नुमाया छोटे-छोटे कपड़ों की पक्ष के साथ साथ स्वतंत्रता की दुहाई देकर गुहार लगाकर..."नीयत और सोच में खोट" बतला रही थी...!!

तब तो आप सभी तालियां बजा-बजाकर सहमति जतला रहे थे..फिर मैंने क्या किया है..?? 

सिर्फ कपड़ों की स्वतंत्रता ही तो दिखलायी है..!!

"नीयत और सोच" की खोट तो नहीं ना और फिर मैने तो, आप लोगों को... मां बहन और भाई भी कहकर ही संबोधित किया था..फिर मेरे अर्द्ध नग्न होते ही.... आप में से किसी को भी मुझमें "भाई और बेटा" क्यों नहीं नजर आया..?? 

मेरी नीयत में आप लोगों को खोट कैसे नजर आ गया..??

मुझमें आपको सिर्फ "मर्द" ही क्यों नजर आया? भाई, बेटा, दोस्त क्यों नहीं नजर आया? आप में से तो किसी की "सोच और नीयत" भी खोटी नहीं थी... फिर ऐसा क्यों?? "

सच तो यही है कि..... झूठ बोलते हैं लोग कि... 
"वेशभूषा" और "पहनावे" से कोई फर्क नहीं पड़ता

हकीकत तो यही है कि मानवीय स्वभाव है कि किसी को सरेआम बिना "आवरण" के देख लें तो कामुकता जागती है मन में...
रूप, रस, शब्द, गन्ध, स्पर्श ये बहुत प्रभावशाली कारक हैं  इनके प्रभाव से “विस्वामित्र” जैसे मुनि के मस्तिष्क में विकार पैदा हो गया था..जबकि उन्होंने सिर्फ रूप कारक के दर्शन किये..आम मनुष्यों की विसात कहाँ..??
दुर्गा शप्तशती के देव्या कवच में श्लोक 38 में भगवती से इन्हीं कारकों से रक्षा करने की प्रार्थना की गई है..

“रसे_रुपे_च_गन्धे_च_शब्दे_स्पर्शे_च_योगिनी।
सत्त्वं_रजस्तमश्चैव_रक्षेन्नारायणी_सदा।।”

रस रूप गंध शब्द स्पर्श इन विषयों का अनुभव करते समय योगिनी देवी रक्षा करें तथा सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण की रक्षा नारायणी देवी करें.!!

अब बताइए, हम भारतीय हिन्दु महिलाओं को "हिन्दु संस्कार" में रहने को समझाएं तो स्त्रियों की कौन-सी "स्वतंत्रता" छीन रहे हैं..??

*सोशल मीडिया पर अर्ध-नग्न होकर नाचती 90% कन्याएँ-महिलाएँ..हिंदू हैं..और मज़े लेने वाले 90% कौन है⁉.ये बताने की भी ज़रूरत है क्या..‼?*
*आँखे खोलिए…संभालिए अपने आप को और अपने समाज को, क्योंकि भारतीय समाज और संस्कृति का आधार नारीशक्ति है और धर्म विरोधी, अधर्मी, चांडाल (बॉलीवुड, वामपंथी,मिशनरी) ये हमारे समाज के आधार को तोड़ने का षड्यंत्र कर रहे हैं..!!*

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कोरोना की वजह से नौकरियां चली गई मुझसे संपर्क करिए


*जय महेश*
आदरणीय समाज बंधुवर आज के समय में बहुत सारे व्यक्ति बीमारी व बेरोजगारी से ग्रस्त है और बहुत सारे समाज बंधु जो की नौकरी करते हैं उनमें से बहुत सारे व्यक्तियों की कोरोना की वजह से नौकरियां चली गई है और वह बेरोजगार हैं अथवा उनके पास अच्छी इन्कम नहीं है तथा हर परिवार में कोई न कोई व्यक्ति बीमारी के कारण दवाई गोलियां खा रहा है तो यदि आप इन दोनों समस्याओं से छुटकारा चाहते हैं तो हमारे पास ऐसी अपॉर्चुनिटी व प्लेटफार्म है जिसमें आपको बीमारी और बेरोजगारी दोनों का हल मिल सकता है। यदि आपके परिवार में या कोई जान पहचान वाला व्यक्ति इन समस्याओं से जूझ रहा है तो आप उनकी मदद करिए और मुझसे संपर्क करिए ताकि उनको हम अच्छी हेल्थ व अच्छी वेल्थ ( इन्कम) करवाने में मदद कर सकें और  उनको सिखाएंगे कि किस तरीके से वह यह कर सकते हैं । मेरा उद्देश्य है कि समाज बंधु आगे बढ़े , वे चाहे देश के किसी भी कोने में रहते हो । 

ज्यादा जानकारी के लिए मैसेज करिए -
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 कैलाश चंद्र लढ़ा
9352174466


कान्वेंट शब्द पर गर्व न करें...सच समझें।


*कान्वेंट शब्द पर गर्व न करें...*
*सच समझें।*

*" काँन्वेंट "*
*सब से पहले तो यह जानना आवश्यक है कि, ये शब्द आखिर आया कहाँ से है।*
*तो आइये प्रकाश डालते हैं।*

*ब्रिटेन में एक कानून था।*
*" लिव इन रिलेशनशिप "*

*बिना किसी वैवाहिक संबंध के एक लड़का और एक लड़की का साथ में रहना।*
 *तो इस प्रक्रिया के अनुसार संतान भी पैदा हो जाती थी।*
*तो उन संतानों को किसी चर्च में छोड़  दिया जाता था।*

*अब ब्रिटेन की सरकार के सामने यह गम्भीर समस्या हुई कि इन बच्चों का क्या किया जाए।*

*तब वहाँ की सरकार ने काँन्वेंट खोले।*
*अर्थात् जो बच्चे अनाथ होने के साथ साथ नाजायज हैं।*
*उनके लिए ये काँन्वेंट बने।*

*उन अनाथ और नाजायज बच्चों को रिश्तों का एहसास कराने के लिए उन्होंने अनाथालयो में एक फादर, एक मदर, एक सिस्टर की नियुक्ति कर दी।* 
*क्योंकि ना तो उन बच्चों का कोई जायज बाप है ना ही माँ है।*

*तो काँन्वेन्ट बना नाजायज बच्चों के लिए जायज।* 

*इंग्लैंड में पहला काँन्वेंट स्कूल सन् 1609 के आसपास एक चर्च में खोला गया था।*
*जिसके ऐतिहासिक तथ्य भी मौजूद हैं।*
*और भारत में पहला काँन्वेंट स्कूल कलकत्ता में सन् 1842 में खोला गया था।*

*परंतु तब हम गुलाम थे।*
*और आज तो लाखों की संख्या में काँन्वेंट स्कूल चल रहे हैं।*

*जब कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया, उस समय इसे*
*" फ्री स्कूल "* 
*कहा जाता था।*
*इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी।*
*और ये तीनों गुलामी के ज़माने की यूनिवर्सिटी आज भी इस देश में हैं।*

*मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी।*
*बहुत मशहूर चिट्ठी है।*

*उसमें वो लिखता है कि*
*“ इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे*
*लेकिन, दिमाग से अंग्रेज होंगे।*

*इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा।*

*इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा।*

*इनको अपनी परम्पराओं के बारे में भी कुछ पता नहीं होगा।*

*इनको अपने मुहावरे भी नहीं मालूम होंगे।*
*जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो* 
*" अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से, अंग्रेजियत नहीं जाएगी। ”*

*उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़ - साफ़ दिखाई दे रही है। और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है।*

*अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रुवाब पड़ेगा।* 
 
*लोगों का तर्क है कि*
*“अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है ”।*

*दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में ही बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है ?*

*इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है*
*वो भी अंग्रेजी में नहीं थी*
*और ईसा मसीह भी अंग्रेजी नहीं बोलते थे।*

*ईसा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी।*

*अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी।*

*समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी।*

*दुर्भाग्य की बात यह है कि, जिन चीजों का हमने त्याग किया अंग्रेजो ने वो सभी चीज़ों को पोषित और संचित किया, फिर भी हम सबने उनकी त्यागी हुई गुलामी की सोच को आत्मसात कर गर्वित होने का दुस्साहस किया।*

*आइए आगे से जब भी हमसे कोई आश्रय कॉन्वैंट स्कूल की बात कहेगा या करेगा तो उसे उपरोक्त तथ्यों से परिचित अवश्य कराएंगे।
जय श्री राम
धन्यवाद 💐🙏

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