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शनिवार, 10 जुलाई 2021

कुपुत्र (कपूत) होने की पराकाष्ठा


कुपुत्र (कपूत) होने की पराकाष्ठा 

चार्जशीट के मुताबिक, सुनील ने अपनी 62 साल की मां की चाकू गोदकर हत्या की एवं शव को नमक मिर्च लगाकर खाया भी था...। आरोपी के मुंह पर मां के शरीर का खून लगा हुआ था..।


पुलिस की जांच में, बुजुर्ग महिला का शव अलग-अलग हिस्सों में कटा हुआ मिला था..। हर हिस्से पर नमक-मिर्च लगी थी..। पुलिस ने सुनील को जब पकड़ा तो उसके मुंह पर खून लगा था..।

बाद में उसने मां के अंग को खाने की बात कबूल भी की..।

2017 में अपनी मां की निर्ममता से हत्या करने और फिर उसके दिल, गुर्दे और आंतें निकाल कर उसमें नमक-मिर्च लगाकर खाने वाले शख्स को स्थानीय अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है…।


गुरुवार को आरोपी को सजा सुनाते हुए जिला अदालत के जज महेश जाधव ने कहा कि ऐसा जघन्य मामला आज तक नहीं देखने को मिला है, इसलिए आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। 35 साल का सुनील कुचिकोरवी वारदात के बाद से ही जेल में बंद था। हालांकि, उसके पास अभी सजा के खिलाफ अपील करने के कई विकल्प मौजूद हैं..।

शराब के लिए पैसे नहीं देने पर की थी हत्या :-
जांच में सामने आया कि सुनील शराब का आदी था और वारदात वाले दिन वह अपनी मां से शराब खरीदने के लिए पैसे मांगने गया था। मां ने मना किया तो गुस्से में उनका कत्ल कर दिया। इसके बाद आरोपी ने उसके शरीर के दाहिने हिस्से को चीर दिया और दिल, गुर्दे, आंत और अन्य अंगों को निकालकर रसोई के पास रख दिया और खाने लगा। इस मामले में 12 लोगों की गवाही हुई, जिसमें आरोपी के रिश्तेदार और पड़ोसी शामिल हैं। सभी ने बताया कि शराब पीने के बाद आरोपी आउट ऑफ कंट्रोल हो जाता था..।

बिच्छू अपनी माँ को क्यों खा जाता है?


बिच्छू अपनी माँ को क्यों खा जाता है?



बिच्छू एक ऐसा जीव है जो जन्म लेते ही अपनी मां को खा जाता है इस कारण वह अपनी मां को देख नहीं पाता है। बिच्छू के पैदा होते ही बिच्छू अपनी मां की पीठ पर चिपक जाते हैं और अपनी मां को खाने लगते हैं क्योंकि उनकी मां का शरीर ही उनका आहार होता है और यह बिच्छू अपनी मां के शरीर को तब तक खाते हैं जब तक बिच्छू जिंदा रहता है, और जब बिच्छू का सारा शरीर और मांस खत्म हो जाता है तब वह अपनी मां के पेट से उतर जाते हैं और स्वतंत्र होकर अपना जीवन यापन करते हैं अर्थात बिच्छू अपनी मां के शरीर को खाकर बड़ा होता है और बड़ा होने के बाद जब वह शरीर के सारे मांस को खा जाता है तो वह दूसरी जगह चला जाता है। बिच्छू के जहर में पाए जाने वाले रसायन को क्लोरोटोक्सिन कहा जाता है।


क्या ब्रांडेड घी वाकई शुद्ध है?

क्या पतंजलि का घी वाकई शुद्ध है?

तो चलिए हम भी आपसे कुछ पुछें ,,,

क्या अमूल, महान, गोपीकृष्ण, इंडाना, सरस, एवरी डे, या मदर डेयरी जैसे ब्रांडेड घी तो शुद्ध हैं,,,??

किसी भी खाद्य पदार्थों की शुद्धता के मापदंड पैकेट्स पर लिखित रूप में तो हो सकता है बेहद खूबसूरत और आकर्षक हों,,,पर वास्तविकता क्या है ये या तो ईश्वर जानता है या उसे बनाने वाले निर्माता,,,

हमारे देश में किसी भी सरकार को खाद्य पदार्थों की शुद्धता को लेकर मैंने अपने जीवन में कभी गंभीर नहीं देखा,, हमारे यहां साल में एक बार खाद्य विभाग के दिवाली से पंद्रह दिन पहले जागने का रिवाज है,, जिसमें मिठाई ,तेल घी वालों की सेंपलिंग का कार्य , कुछ सड़े मावे और मिठाइयों को नाली में डाल कर नष्ट करने जैसे वीरता पूर्ण कार्यों का फोटो सेशन अखबारों में देखने का सौभाग्य मिलता है,, फिर बाजार में शेष बची शुद्ध मिठाई और दूध को हम खा पीकर अपनी सेहत बनाते हैं,, फिर,,

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जिन दुकानों पर घटिया और सड़ी मिठाई मिली थी उस पर कभी कोई कार्रवाई हुई या नहीं उसकी कोई खबर नहीं मिलती,,,

हमसें तो पशु ठीक हैं जो सूंघ कर पता तो लगा लेते हैं कि ये खाने योग्य है अथवा नहीं,,,हम तो सरकारी तंत्र के भरोसे बैठे वो जीव हैं जिन्हें fssai की अनुमति के बिना ही उसका लोगो इस्तेमाल कर पचास रुपए का पाम आयल छः सौ के भाव कोई भी खिला कर भाग जाता है,,,और हम खा कर अपने दिल को थपकी देकर कहते रहते हैं,,,


आल इज वेल,,,आल इज वेल

फोटो : गूगल बाबा की देन

शुक्रवार, 9 जुलाई 2021

10 जुलाई को है शनि अमावस्या, शनिदेव की पूजा का जाने समय, साढ़ेसाती और ढैय्या से मिलेगी राहत।



Shani Amavasya July 2021: शनि देव की पूजा के लिए 10 जुलाई 2021 शनिवार का दिन बहुत ही उत्तम है. इस दिन आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है. इस अमावस्या की तिथि को शनि अमावस्या या शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाता है.

शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या जिन लोगों पर बनी हुई है, उनके लिए शनि अमावस्या की तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण है. वर्तमान समय में मिथुन राशि, तुला राशि, धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि पर शनि की विशेष दृष्टि है.

मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या और धनु,मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है.

शनि देव का फल (Mahima Shani Dev Ki)
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को नवग्रहों में न्याय करने वाला देवता माना गया है. इसके साथ ही शनि को मेहनत यानि परिश्रक का कारक भी माना गया है. शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहते हैं, शनि की चाल बहुत ही धीमी बताई गई है. यही कारण है कि शनि देव एक राशि से दूसरी राशि में जाने पर लगभग ढाई साल का समय लेते हैं. शनि व्यक्ति को कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं. इसलिए जिन लोगों पर साढ़ेसाती, ढैय्या या फिर शनि की महादशा, अंर्तदशा चल रही है उन्हें गलत कार्य और आदतों से दूर रहना चाहिए.

शनि अमावस्या शुभ मुहूर्त
10 जुलाई को शनिवार के दिन अमावस्या की तिथि प्रात: 06 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी. शनि देव की पूजा अमावस्या की तिथि के समापन से पूर्व करना उत्तम है. इस दिन शनि चालीसा और शनि मंत्र के साथ शनि आरती का पाठ करें. ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. पूजा के बाद शनि से जुड़ी चीजों का दान अवश्य करें. एबीपी

शब्दों का अपना एक संसार होता है


*-शब्दों का संसार-*

शब्द *रचे* जाते हैं,
शब्द *गढ़े* जाते हैं,
शब्द *मढ़े* जाते हैं,
शब्द *लिखे* जाते हैं,
शब्द *पढ़े* जाते हैं,
शब्द *बोले* जाते हैं,
शब्द *तौले* जाते हैं,
शब्द *टटोले* जाते हैं,
शब्द *खंगाले* जाते हैं,

*#अंततः*

शब्द *बनते* हैं,
शब्द *संवरते* हैं,
शब्द *सुधरते* हैं,
शब्द *निखरते* हैं,
शब्द *हंसाते* हैं,
शब्द *मनाते* हैं,
शब्द *रूलाते* हैं,
शब्द *मुस्कुराते* हैं,
शब्द *खिलखिलाते* हैं,
शब्द *गुदगुदाते* हैं, 
शब्द *मुखर* हो जाते हैं,
शब्द *प्रखर* हो जाते हैं,
शब्द *मधुर* हो जाते हैं,

*#फिर भी-*

शब्द *चुभते* हैं,
शब्द *बिकते* हैं,
शब्द *रूठते* हैं,
शब्द *घाव* देते हैं,
शब्द *ताव* देते हैं,
शब्द *लड़ते* हैं,
शब्द *झगड़ते* हैं,
शब्द *बिगड़ते* हैं,
शब्द *बिखरते* हैं
शब्द *सिहरते* हैं,

*#किंतु-*

शब्द *मरते* नहीं,
शब्द *थकते* नहीं,
शब्द *रुकते* नहीं,
शब्द *चुकते* नहीं,

*#अतएव-*

शब्दों से *खेले* नहीं,
बिन सोचे *बोले* नहीं,
शब्दों को *मान* दें,
शब्दों को *सम्मान* दें,
शब्दों पर *ध्यान* दें,
शब्दों को *पहचान* दें,
ऊँची लंबी *उड़ान* दे,
शब्दों को *आत्मसात* करें...
*उनसे उनकी* बात करें,
शब्दों का *अविष्कार* करें...
ध्यान से *सुने* .....
गहन *सार्थक विचार* करें.....
व *ध्यान से समझें*, फिर *उत्तर दें*
*#क्योंकि-*

*शब्द* *अनमोल* हैं...
ज़ुबाँ से निकले *बोल* हैं,
शब्दों में *धार* होती है,
शब्दों की *महिमा अपार* होती,
शब्दों का *विशाल भंडार* होता है,

*और सच तो यह है कि-*
*शब्दों का अपना एक संसार होता है*
💐💐💐💐💐🙏🙏🙏🙏🙏

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