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रविवार, 11 जुलाई 2021

आपके खाते में किसी ने पैसे उड़ा लिया तो तुरंत इस नंबर पर करें फोन, मिनटों में होगी कार्रवाई।


आपके खाते में किसी ने पैसे उड़ा लिया तो तुरंत इस नंबर पर करें फोन, मिनटों में होगी कार्रवाई।

जैसे-जैसे ऑनलाइन का प्रचलन बढ़ रहा है, साइबर फ्रॉड की घटनाओं में भी तेजी देखी जा रही है. जालसाजी करने वाले लोगों ने अपना एक संगठित गिरोह बना लिया है. इस गिरोह का काम है बेगुनाह लोगों को झांसे में लेकर ठगना. इस ठगी में बैंक अकाउंट से पैसे उड़ाना सबसे ज्यादा देखा जा रहा है. जुर्म की दुनिया में दिनोदिन बढ़ती इन घटनाओं को सरकार ने गंभीरता से लिया है और एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. साइबर फ्रॉड के शिकार लोग इस नंबर पर तुरंत फोन करें तो फौरन कार्रवाई होती है.

बैंक या और भी किसी तरह का साइबर अपराध होता है, तो आप हेल्पलाइन नंबर 155260 पर फोन कर सकते हैं. फोन कर किसी भी घटना की शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.

अभी यह हेल्पलाइन नंबर पायलट प्रोजेक्ट में चल रहा है और सिर्फ 7 राज्यों में अमल में आया है. जिन राज्यों में अभी यह हेल्पलाइन नंबर चल रहा है, उनमें छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. सरकार इस हेल्पलाइन की सुविधा को जल्द ही पूरे देश में लागू करने वाली है.

कैसे काम करता है हेल्पलाइन नंबर

हेल्पलाइन नंबर शिकायत करने के बाद उसे रियल टाइम में पुलिस और जांच एजेंसियों से साझा किया जाएगा. ऑनलाइन नंबर इस बात की सुविधा देता है कि जो भी शिकायत हो, उस पर मिनटों में कार्रवाई शुरू हो जाए. इस घटना की जानकारी सभी एजेंसियों से साझा होती हैं ताकि घटना के तार को जोड़ने में दिक्कत न आए. फिलहाल इस हेल्पलाइन और इसके रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म में सभी प्रमुख सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक शामिल हैं. इन बैंकों के खाताधारक के साथ अगर कोई धोखाधड़ी या साइबर अपराध होता है, तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई शुरू की जा सकेगी. गृह मंत्रालय के तहत हेल्पलाइन 155260 और इसके रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन (आई4सी) की ओर से शुरू किया गया है. इस प्लेटफॉर्म पर भारतीय रिजर्व बैंक, सभी बड़े बैंकों, पेमेंट बैंक, वॉलेट और ऑनलाइन कारोबारी शामिल हैं.

7 राज्यों में हुई शुरुआत

अभी देश के जिन 7 राज्यों में इसे शुरू किया गया है, उन राज्यों में देश की लगभग 35 फीसद आबादी बसती है. इस हिसाब से 35 फीसद लोगों के पास साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ शिकायत और कार्रवाई के लिए एक उचित प्लेटफॉर्म दे दिया गया है. सरकार का कहना है कि आने वाले दिनों में इसे अन्य राज्यों में भी शुरू किया जाएगा. साइबर धोखाधड़ी की घटनाएं जिस हिसाब से तेजी से बढ़ रही हैं, उसे देखते हुए काफी अरसे से ऐसे किसी ‘डेडिकेटेड प्लेटफॉर्म’ की मांग की जा रही थी. इस हेल्पलाइन नंबर के शुरू होते ही शिकायतों का अंबार लगना शुरू हो गया है. लोग अपनी शिकायत दर्ज करा रहे हैं और उसी के मुताबिक कार्रवाई भी हो रही है.

ये सभी बैंक इससे जुड़े

शुरुआत के बाद दो महीने की छोटी अवधि में ही हेल्पलाइन 155260 से फर्जीवाड़े की 1.85 करोड़ रुपये की रकम जालसाजों के हाथों में जाने से रोकने में मदद मिली है. जो रकम गई है, उसकी वसूली का पूरा इंतजाम किया जा रहा है. ऐसे भी प्रबंध किए गए हैं कि रकम जालसाजों के हाथों में जाने से पहले ही रोक दी जाए.

हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म से सभी बड़े सरकारी और निजी बैंक जुड़े हैं जिनमें भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, येस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक आदि शामिल हैं. इसमें पेटीएम, फोनपे, मोबिक्विक, फ्लिपकार्ट और एमेजॉन जैसे पेमेंट और वॉलेट प्लेटफॉर्म भी शामिल हैं.

क्या वास्तव में अकबर उतना ही महान था जितना हमारे स्कूल की किताबों में लिखा गया है?




क्या वास्तव में अकबर उतना ही महान था जितना हमारे स्कूल की किताबों में लिखा गया है?


मीना बाजार एक घटना थी, जो विशेष रूप से कमांडरों की महिलाओं के लिए थी, और शहरों के लिए। आगरा किले के परिसर में मीना बाजार में नूरोज़ मेले का भी आयोजन किया गया था जहाँ अकबर और कुछ अन्य उल्लेखनीय पुरुषों को आमंत्रित किया गया था। नौरोज़ मेले में, मुगल पुरुषों की खुशी के लिए सुंदर लड़कियों को लेने की परंपरा थी।


एक बार अकबर ने एक महिला किरण देवी को इस आयोजन के दौरान पाया और उसकी सुंदरता की प्रशंसा की। यह जानने के बावजूद कि वह उनके सहयोगी शक्ति सिंह की बेटी थी, उन्होंने उसका पीछा किया।

अकबर ने किरण का पीछा किया और अकेले होने पर उसका रास्ता रोक दिया। अकबर ने उसके साथ एक रात बिताने की पेशकश की। किरण देवी ने खुद को पृथ्वीराज राठौर की पत्नी के रूप में पेश किया, जो अकबर के नौ रत्नों में से एक थी।

फिर भी अकबर अपनी वासना को नियंत्रित नहीं कर सका। वह किरण के करीब गया। अगले ही पल वह तुरंत अकबर की ओर उछली और खंजर उसके सीने से निकाल लिया। उसने अपने पैरों से अपनी छाती को दबाते हुए अकबर से कहा।


मैं मेवाड़ की राजकुमारी हूँ। मैं दुश्मन को मार दूंगी, या मर जाऊगी, लेकिन कभी समर्पण नहीं करुँगी। हम मेवाड़ी हैं जो जौहर की चिता में कूदते हैं, बजाय आत्मसमर्पण के अपमान में पड़ने के।

अकबर किरण से इसकी उम्मीद नहीं कर रहा था और उसने तुरंत क्षमा माँग ली। किरण देवी ने एक शर्त रखी कि नौरोज़ मेला फिर कभी आयोजित नहीं किया जाएगा। अकबर इस पर सहमत हो गया और इस तरह उसने उसे क्षमा कर दिया। अकबर मुंह पर चुप्पी और शर्म के साथ चला गया। एक व्यक्ति जो महिलाओं का सम्मान नहीं करता है वह कभी महान नहीं हो सकता है।

डिटोल के टीवी के एड्स में एक कीटाणु क्यों बच जाता है?

इसमें वक्त लगता है, जो कि i)जीवाणुओं के प्रकार, ii)जीवाणुओं की संख्या और iii)एंटीसेप्टिक आदि की सांद्रता ((concentration) पर निर्भर करता है और यह आधा मिनट से लेकर 3 घंटे तक हो सकता है। प्रियोन्स (Prions) और बैक्टीरियल स्पोर्स को मारना या निष्प्रभावी करना सबसे मुश्किल होता है।[1]

  1. सामान्य सतहों से जीवाणुओं को हटाने के लिए डिसइनफेक्टेंट का प्रयोग किया जाता है ।
  2. जीवित प्राणियों में इसी कार्य को करने हेतु ( जीवाणुओं को हटाने ) एंटीसेप्टिक का प्रयोग किया जाता है। एंटीसेप्टिक में डिसइनफेक्टेंट के गुण तो होते ही हैं लेकिन यह मानव त्वचा को हानि नहीं पहुंचाता है।[2] [3]

आम जीवन में देखें तो फिनोल , लिजोल आदि डिसइनफेक्टेंट हैं और डेटोल, सेवलोन और बीटा डीन आदि एंटीसेप्टिक हैं।

हालाँकि, सबसे पहला एंटीसेप्टिक फिनॉल (अन्य नाम कार्बोलिक एसिड) ही था जिसे इंग्लैंड के सर्जन जोसफ लिस्टर ने खोजा था और 1867 में लैंसेट मेडिकल जर्नल में छापा था। [4]

लिस्टर विश्व के पहले एंटीसेप्टिक फिनॉल(कार्बोलिक एसिड) का छिड़काव आपरेशन टेबल पर करते हुए। (चित्र स्रोत JSTOR लिंक नीचे )

अब यह भी आश्चर्यजनक है कि चिकित्सा जगत ने इस खोज को मानने से इंकार कर दिया और काफी प्रतिरोध हुआ।

यहाँ तक कि 1881 में अमेरिका के 20वे[5] राष्ट्रपति जेम्स हारफील्ड जब गोलियों से जख्मी हुए तो अमेरिका के डॉक्टरों ने बिना अपने हाथों पर एंटीसेप्टिक का प्रयोग किए और सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स को बिना स्टरलाइज किए ही जख्म को हैंडल किया और 11 सप्ताह बाद उनकी मृत्यु हो गई।

खैर, सवाल पर वापिस आते हुए - 1 जीवाणु/कीटाणु को जीवित ही छोड़ देना - डेटोल कंपनी के लिए कोर्ट में सहायक है क्योंकि वे कह सकते हैं कि शत प्रतिशत (100%) मारने का हमने तो कोई दावा ही नहीं किया था। वैसे हकीकत में 1 से ज्यादा बच जाते हैं। [6] [7]

अन्य स्रोत: Joseph Lister's Antiseptic Revolution | JSTOR Daily

© लेखक

फुटनोट

[2] Antiseptics and Disinfectants: Activity, Action, and Resistance[3] What Is Antiseptic: Antiseptic vs. Disinfectant, Uses, and Safety[4] Joseph Lister's Antiseptic Revolution | JSTOR Daily[5] The Assassination of President James A. Garfield[6] What 0.1% is left when you kill 99.9% of germs with soap?[7] What Does "Kills 99.9% of Germs" REALLY Mean?

आंतों को बिल्कुल साफ करने का तरीका


आंतों को बिल्कुल साफ करने का क्या तरीका है जिससे सारा कूड़ा, मिट्टी, गंदगी सब बाहर निकल‌ जाए?


1 एनिमा




एनिमा चिकित्सा की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति के गुदा द्वार के माध्यम से निचली आंत में तरल पदार्थ को इंजेक्ट किया जाता है।

एनिमा क्रिया में, गुदा द्वार के माध्यम से आंतों में तरल पदार्थ डाल कर कब्ज का इलाज किया जाता हैं। यह तरल पदार्थ ठोस मल को नरम करता है, जबकि एनिमा नोजल गुदा द्वार को ढीला करती है। इस क्रिया के कारण आंत में हलचल होती है।

एनिमा का सबसे अधिक उपयोग कब्ज से छुटकारा पाने और चिकित्सा जाँच या प्रक्रिया से पहले आंत को साफ करने के लिए होता है।

आम तौर पर कब्ज से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए अंतिम उपाय के रूप में एनिमा की सिफारिश की जाती है। कब्ज वाले लोगों को एनिमा क्रिया से राहत प्रदान की जा सकती है।

2 पेठे का रस पीना

इसका जूस पीने से आंतों में जमी गंदगी को चुंबक की भांति खींच कर बाहर निकाल देता है


कुम्हडा़ (पेठा)
पेठा फल कद्दू वर्गीय प्रजाति का होता है, इसलिए इसे पेठा कद्दू भी कहते हैं. यह हल्के हरे रंग का होता है और लंबे व गोल आकार में पाया जाता है. इस फल के ऊपर हल्के सफेद रंग की पाउडर जैसी परत चढ़ी होती है.

यह कद्दू से थोड़ा छोटा सफेद रंग का फल होता है. इसके कच्चे फल से सब्जी और पके हुये फल से हलवा और पेठा मिठाई (मुरब्बा) बनाए जाते हैं. इसका लेटिन नाम बेनिनकासा हिष्पिड़ा है।

3 कपाल भारती


4 सुबह उठकर पानी पीना


धन्यवाद ।

डार्क वेब का एक्सेस

डार्क वेब का एक्सेस करने के लिए आपको किसी की अनुमति नहीं टेक्नोलॉजी चाहिए होती है। टेक्नोलॉजी जो आपको इंटरनेट की इस अँधेरी दुनिया में ले जाए और सुरक्षित भी रखे। सामान्य सर्च इंजन जैसे-कि गूगल; याहू; बिंग; डक डक गो इत्यादि और वेब ब्राउज़र यथा- क्रोम; एज; मोजिला इत्यादि डार्क वेब का एक्सेस नहीं दे सकते क्योंकि यहाँ उपस्थित वेबसाइट्स का डोमेन .com न होकर .onion होता है, जिन्हें एक्सेस करने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर बनाए गए हैं जिनमें से एक तो है टोर, द अनियन राऊटर 

डार्क वेब में स्वयं को सुरक्षित रखना अति आवश्यक है क्योंकि डार्क वेब वह जगह है जहाँ हर प्रकार के अवैध काम होते हैं, हो सकता है जब आप डार्क वेब की सैर पर हों तो वहां आप स्वयं को डिस्काउंट रेट पर बिकते हुए देखें। कहने का तात्पर्य है कि बुरे हैकर्स लोगों से उनका निजी डाटा चुराकर डार्क वेब पर बेचने के लिए डाल देते हैं और लोग इसे खरीदते भी हैं।

डार्क वेब पर जाना खतरे से खाली नहीं होता यहाँ हानिकारक सॉफ्टवेयर की भरमार होती है जो वेबपेजेस के पीछे छिपे होते हैं, गलती से आपने किसी ऐसे पेज पर क्लिक कर दिया तो वह मैलवेयर आपके सिस्टम में प्रवेश कर सकता है।

यहाँ यदि आपने सावधानी नहीं रखी तो आपकी पहचान चोरी हो सकती है, इसीलिए यहाँ जाने के लिए छद्म नाम चाहिए होता है।

वैसे भी आम आदमी को डार्क वेब में जाने की क्या आवश्यकता! यह तो हैकर; लॉ इंफोर्स्मेंट एजेंसी; जासूस और अपराधियों इत्यादि के लिए है। सरफेस वेब में ही बहुत सारा कंटेंट भरा पड़ा है उसका आनंद लीजिए।

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