यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 22 जुलाई 2021

बाइक में डिस्क ब्रेक अगले पहिए में ही क्यों होता है?


 ऐसी बात नहीं है .डिस्क ब्रेक- अगले और पिछले दोनों पहियों में मिछ्ले 44 सालों से प्रयोग हो रहा है .

हौंडा CB750 मॉडल में 1975 से दोनों पहियों में डिस्क ब्रेक का प्रयोग हो रहा है .

[1]

भारत में भी महंगी बाइक में दोनों पहियों में - डिस्क ब्रेक आम हो गया है - जैसे रॉयल enfield का थंडरबर्ड 500 ( 2.1 लाख ) और सुजुकी gixxer ( 1.3 लाख )

[2]

आम तौर पर मोटर साइकिल में ड्रम ब्रेक का प्रयोग होता है , जिसमें ब्रेक ड्रम - अन्दर बंद रहता है . नीचे चित्र देखें

[3]

ड्रम के भीतर - ब्रेक शू होते हैं जो , फ़ैल कर - ड्रम पर घर्षण पैदा करते हैं

अन्दर अवस्थित होने के कारण - यह जल्दी गर्म हो जाता है और ब्रेक शक्ति में कमी आती है , जिसके निराकारण के लिए - डिस्क ब्रेक की खोज हुई , जो नीचे चित्र में देख सकते हैं बाहर अवस्थित होने के कारण ज्यादा गर्म नहीं होता है ( हवा से ठंडा होता रहता है ) और आकार में ड्रम से बड़ा होता है , सो ज्यादा ब्रेक शक्ति उत्पन्न कर सकता है ; यह ऐसा दिखता है

[4]

सबसे पहला डिस्क ब्रेक 1962 में लम्ब्रेटा स्कूटर TV175 - में प्रयोग हुआ . जिसके केवल अगले पहिये में डिस्क ब्रेक था और पिछले पहिये में - ड्रम ब्रेक .

लेकिन डिस्क ब्रेक के फायदों को देखते हुए 1975 से दोनों पहियों में - डिस्क ब्रेक का प्रयोग होने लगा .

डिस्क ब्रेक में फायदे तो बहुत हैं - पर एक घाटा यह है कि इसमें - ज्यादा ब्रेक शक्ति लगने के कारण - ब्रेक लॉक हो जाता है - यानि - पहिये घूमने बंद हो जाते हैं - और घिसटने लगते हैं - जिससे स्टीयरिंग कंट्रोल ख़त्म हो जाता है . इसके निराकरण हेतु - ABS ( एंटी लॉक ब्रेक सिस्टम ) की खोज हुई और 1988 में प्रसिद्द BMW कंपनी द्वारा BMW K100 LT मोटर साइकिल में इसका प्रयोग हुआ . तबसे मोटर साइकिल में दोनों पहियों में - डिस्क ब्रेक का धडल्ले से प्रयोग हो रहा है ABS के साथ .

डिस्क ब्रेक महंगा होता है - ड्रम ब्रेक के अपेक्षा और ABS का खर्च ऊपर से . इसी कारण भारत में बहुत से मोटर साइकिल निर्माता - केवल अगले पहिये में ही डिस्क ब्रेक लगाते हैं .

इसके अतिरिक्त - 180 -200 किलोमीटर / घंटा की रफ़्तार तक दोनों पहियों में डिस्क ब्रेक की जरुरत नहीं है .

ये तो हुआ खर्च और रफ़्तार के हिसाब से - केवल अगले पहिये में डिस्क ब्रेक लगाने की बात .

अब अगर यह सवाल करें कि - दोनों पहियों में से किसी एक में ही डिस्क ब्रेक लगाना हो तो अगला ही क्यों ?????????

इसका जवाब है - न्यूटन साहब का पहला नियम - जिसके कारण - चलती कार में अचानक ब्रेक लगे तो , आप सामने की ओर झुक जाते हैं और अचानक एक्सलरेट हो तो - पीछे की ओर .

मोटर साइकिल में भी जब ब्रेक मारते हैं तो अगले पहियों पर ज्यादा जोर पड़ता है . जिस कारण ज्यादा ब्रेक शक्ति की जरुरत होती है

इसी नियम का प्रयोग कर - मोटर साइकिल में ऐसे स्टंट दिखाए जाते हैं

स्पीड में चल रही मोटर साइकिल में अचानक ब्रेक मारिये और पिछला पहिया - जमीन से उठ जायेगा - आसमान की तरफ - हवा हवाई

[5]

इसे - रिवर्स व्हीली ( reverse wheelie ) कहते हैं .

तो , केवल अगले पहिये में डिस्क ब्रेक लगाने के तीन कारण उभर के सामने आये

  1. पैसा . डिस्क ब्रेक महंगा होता है ABS के साथ ,
  2. रफ़्तार . 180–200 किलोमीटर / घंटा के नीचे दोनों पहियों में डिस्क ब्रेक की जरुरत नहीं है
  3. जोर - अगले पहिये पर ब्रैकिंग में ज्यादा जोर लगता है

चलते चलते ….

कार में भी रिवर्स व्हीली ( reverse wheelie ) होता है

[6]

और एक मशवरा :

बिना ABS के डिस्क ब्रेक वाली मोटर साइकिल या कार कभी भी नहीं खरीदें . कभी भी नहीं .

कॉपीराइट : लेखक

मूल सवाल

फुटनोट

[2] https://auto.ndtv.com/compare-bikes/royal-enfield-thunderbird-500-1179-vs-suzuki-gixxer-sf-1194[3] Motorcycle History: Brakes[4] Motorcycle History: Brakes[5] Google Image Result for https://live.staticflickr.com/2381/2180930746_efcafd5f5b.jpg[6] Google Image Result for https://speedsociety.com/wp-content/uploads/2016/03/crazy-car-tricks-reverse-wheelie.jpg

भारतीय रेलवे के पास इतना इंटरनेट कहाँ से आता है कि वह फ्री में बाँटता है?


भारतीय रेलवे सभी रेलवे स्टेशन पर मुफ्त इंटरनेट कैसे देता है ? इसे जानने से पहले यह जानते है कि रेलवे कैसे सफ़र करने वालों को फ्री में इंटरनेट की सुविधा देता है ?

इंटरनेट कैसे काम करता है ?

आप अपने मोबाइल में इंटरनेट कैसे इस्तेमाल करते है ? आपका जवाब होगा टावर के माध्यम से या फिर सेटलाइट के माध्यम से लेकिन आप अपने अनुसार तो सही है लेकिन आपका जवाब बिलकुल गलत है और आप उस तथ्य को नहीं जानते है कि आखिर यह इंटरनेट कहाँ से आता है ?

आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि पूरी दुनिया का 99 प्रतिशत इंटरनेट केबल ऑप्टिकल फाइबर वायर के माध्यम से चलती है और दुनिया के सभी देशों को उसी वायर के माध्यम से जोड़ दिया गया है जिसे सबमरीन केबल कहा जाता है और इस वायर को समुद्र के रास्ते सभी देशों को जोड़ा गया है।

इन सबमरीन केबल को बिछाने का काम बड़ी बड़ी कंपनियों द्वारा किया जाता है, जिसे टायर वन कंपनी कहा जाता है और यह वायर सभी देशों के समुद्र तट इलाको के महत्वपूर्ण शहरों तक लाया गया है ।

इसके बाद उन्ही समुद्र तटीय इलाको के महत्वपूर्ण शहरों से भारत के विभिन्न शहरों तक यह वायर बिछाया गया है। जिसे बीएसएनएल , जिओ , एयरटेल इत्यादि ने बिछाया है। और इसे टायर टू कंपनी कहा जाता है और भारत के इन्हीं संचार कंपनियों ने अपना वायर बिछा कर सबमरीन केबल से जोड़ दिया है।

भारतीय रेलवे मुफ्त इंटरनेट सेवा कैसे देती है ?

अब आते है अपने टॉपिक के महत्वपूर्ण बिंदु पर कि भारतीय रेलवे मुफ्त इंटरनेट सेवा कैसे देती है और इसका एक उदाहरण देता हूँ मान लीजिये आपके पास दो कंप्यूटर है और दोनों कंप्यूटर से फाइल या फिल्म का आदान प्रदान करना हो तो कैसे करेंगे ? ब्लूटूथ या wifi से आपको घंटो लग जायेंगे लेकिन दोनों कंप्यूटर को वायर या केबल के माध्यम से जोड़ दिया जाये तो आप कुछ ही मिनटों में फाइल ट्रान्सफर कर सकेंगे ।

आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि दुनिया के किसी भी सर्वर का डाटा फ्री में भेजा या लाया जाता है । इसका मतलब है कि इंटरनेट को कोई भी पैसा नहीं लगता है । यह पूरी तरह से फ्री होता है ।

तो आपके मन में सवाल आएगा कि इंटरनेट फ्री है तो हमसे पैसे क्यों लिया जाता है तो इसका जवाब है कि टायर वन कंपनी जिसने अपना पैसा लगा कर सबमरीन केबल को समुद्र में बिछाया है और वह पैसा टायर टू कंपनी बीएसएनएल , जिओ , एयरटेल इत्यादि हमसे लेकर और कुछ प्रतिशत रख कर दे दिया जाता है।

अब कुछ कुछ बातें आपको समझ में आ गयी होंगी आपको बता दूँ कि भारतीय रेलवे अपने शुरुआत के दिनों में इंटरनेट के लिए बीएसएनएल पर आश्रित था बाद में भारतीय रेलवे ने अपनी पहुँच को बढ़ने के लिए सितम्बर 2000 में रेलटेल नामक एक सरकारी PSU कंपनी की शुरुआत की ।

जिसके द्वारा पुरे भारत में हाई स्पीड ऑप्टिकल फाइबर वायर बिछाया गया वर्तमान में यह हाई स्पीड ऑप्टिकल फाइबर वायर लगभग 45 हज़ार किलोमीटर तक फैला हुआ है । और लगभग 5 हजार रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है जिससे फ्री में इन रेलवे स्टेशन को हाई स्पीड इन्टरनेट से जोड़ दिया गया है। फिर कुछ समय बाद रेलवे ने यह निर्णय लिया कि यह सुविधा आम लोगो को भी दिया जाये क्योंकि भारतीय रेलवे के पास खुद का हाई स्पीड ऑप्टिकल फाइबर बिछा हुआ था तो पैसे केवल टायर वन कंपनी को ही देने थे तो इसके लिए रेलवे ने Google से एक समझौता किया और गूगल ने अपनी उच्च तकनीक लगाकर एक सुरक्षित wifi हॉटस्पॉट बनाया जिसका रेंज सिर्फ रेलवे स्टेशन तक रखा गया।

अब आपको समझ में आ गया होगा कि भारतीय रेलवे के पास इतना सारा इंटरनेट कहाँ से आता है कि वह फ्री में बाँटता है।

[1]

फुटनोट

 

मंगलवार, 20 जुलाई 2021

मेरी ढाई शंका



“मेरी ढाई शंका”!!



एक चर्चित इस्लामिक स्टाल पर कुछेक लोगों की भीड़ देखकर मैं भी पहुँच गया। पता चला 'कुरान-ए-शरीफ़' की प्रति लोगों को मुफ़्त बाँटी जा रही है। शांति, प्रेम और आपसी मेलजोल को इस्लाम का संदेश बताया जा रहा था।

खैर जिज्ञासावश मैंने भी मुफ़्त में कुरान पाने को उनका दिया आवेदन फॉर्म भरने की ठानी जिसमें वो नाम-पता और मोबाइल नम्बर लिखवा रहे थे ताकि बाद में लोगों से सम्पर्क साधा जा सके।

एकाएक एक सज्जन अपनी धर्मपत्नी जी के साथ स्टाल में पधारे सामान्य अभिवादन से पश्चात उन्होंने मुस्लिम विद्वान् के सामने अपना विचार रखा - मैं अपनी धर्मपत्नी के साथ इस्लाम स्वीकार करना चाहता हूँ।

यह सुन मुस्लिम विद्वान के चेहरे पर प्रसन्नत्ता की अनूठी आभा दिखाई दी।
मुस्लिम धर्मगुरु ने अपने दोनों हाथ खोलकर कहा - आपका स्वागत है।
लेकिन उन सज्जन ने कहा - इस्लाम स्वीकार करने से पहले मेरी 'ढाई' शंका है। आपको उनका निवारण करना होगा। यदि आप उनका निवारण कर पाए तो ही मैं इस्लाम स्वीकार कर सकता हूँ!!

मुस्लिम विद्वान ने शंकित से भाव से उनकी ओर देखते हुए प्रश्न किया - महोदय, शंका या तो 'दो' हों या 'तीन'! ये 'ढाई' शंका का क्या तुक है?
सज्जन ने उनको मुस्कुराते हुए कहा - जब मैं शंका रखूँगा आप खुद समझ जायेंगे। यदि आप तैयार हो तो मैं अपनी पहली शंका आपके सामने रखूँ ?
मुस्लिम विद्वान् ने कहा - जी, रखिये...

सज्जन - मेरी पहली शंका है कि सभी इस्लामिक बिरादरी के मुल्कों में जहाँ मुस्लिमों की संख्या 50 फीसदी से ज़्यादा है, मसलन 'मुस्लिम समुदाय' बहुसंख्यक हैं, उनमें एक भी देश में 'समाजवाद' नहीं है, 'लोकतंत्र नहीं है। वहाँ अन्य धर्मों में आस्था रखनेवाले लोग सुरक्षित नहीं हैं। जिस देश में 'मुस्लिम' बहुसंख्यक होते हैं वहाँ कट्टर इस्लामिक शासन की माँग होने लगती है। मतलब उदारवाद नहीं रहता, लोकतंत्र नहीं रहता। लोगों से उनकी अभिवयक्ति की स्वतंत्रता छीन ली जाती है। आप इसका कारण स्पष्ट करें, ऐसा क्यों? मैं इस्लाम स्वीकार कर लूँगा!!

मुस्लिम विद्वान के चेहरे पर एक शंका ने हजारों शंकाए खड़ी कर दीं। फिर भी उन्होंने अपनी शंकाओं को छिपाते हुए कहा - दूसरी शंका प्रकट करें...

सज्जन – मेरी दूसरी शंका है, पूरे विश्व में यदि वैश्विक आतंक पर नज़र डालें तो इस्लामिक आतंक की भागीदारी 95% के लगभग है। अधिकतर मारनेवाले आतंकी 'मुस्लिम' ही क्यों होते है? अब ऐसे में यदि मैंने इस्लाम स्वीकार किया तो आप मुझे कौन-सा मुसलमान बनायेंगे? हर रोज़ जो या तो कभी मस्ज़िद के धमाके में मर जाता, तो कभी ज़रा-सी चूक होने  पर इस्लामिक कानून के तहत दंड भोगनेवाला या फिर वो मुसलमान जो हर रोज़ बम-धमाके कर मानवता की हत्या कर देता है! इस्लाम के नाम पर मासूमों का खून बहानेवाला या सीरिया की तरह औरतों को अगवाकर बाज़ार में बेचनेवाला! मतलब में मरनेवाला मुसलमान बनूँगा या मारनेवाला ?

यह सुनकर दूसरी शंका ने मानो उन विद्वान पर हज़ारों मन बोझ डाल दिया हो। दबी-सी आवाज़ में उन्होंने कहा - बाकी बची आधी शंका भी बोलो ?..
.
सज्जन ने मंद-सी मुस्कान के साथ कहा - वो आधी शंका मेरी धर्मपत्नी जी की है... इनकी शंका 'आधी' इसलिए है कि इस्लाम नारी समाज को पूर्ण दर्जा नहीं देता। हमेशा उसे पुरुष की तुलना में आधी ही समझता है तो इसकी शंका को भी 'आधा' ही आँका जाये!

मुस्लिम विद्वान ने कुछ लज्जित से स्वर में कहा - जी मोहतरमा, फरमाइए!...

सज्जन की धर्मपत्नी जी ने बड़े सहज भाव से कहा - ये इस्लाम कबूल कर लें, मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं किन्तु मेरी इनके साथ शादी हुए करीब 35 वर्ष हो गये। यदि कल इस्लामिक रवायतों-उसूलों के अनुसार किसी बात पर इन्हें गुस्सा आ गया और मुझे
  *'तलाक-तलाक-तलाक'* 
कह दिया तो बताइए मैं इस अवस्था में कहाँ जाऊँगी? यदि तलाक भी न दिया और कल इन्हें कोई पसंद आ गयी और ये उससे निकाह करके घर ले आये तो बताइए उस अवस्था में मेरा, मेरे  बच्चों का, मेरे गृहस्थ जीवन का क्या होगा? तो ये मेरी 'आधी' शंका है।

इस प्रश्न के वार से मुस्लिम विद्वान को निरुत्तर कर दिया। उसने इन जवाबों से बचने के लिए कहा - आप अपना परिचय दे सकते हैं...
सज्जन ने कहा - मेरी शंका ही मेरा परिचय है। यदि आपके पास इन प्रश्नों का उत्तर होगा, हमारी 'ढाई शंका' का निवारण आपके पास होगा तो आप मुझे बताना।

सज्जन तो वहाँ से चले गये पर मौलाना साहब सिर पकड़कर बैठे रहे। किन्तु इस सारे वार्तालाप से मेरे मन में ज़रूर एक शंका खड़ी हो गयी कि आखिर ये सज्जन कौन हैं...?
भारतीय लोग अग्रेषित करे , , इंडियन प्रजाति आगे बढ़े। *(जैसा प्राप्त हुआ वैसा ही भेजा गया)*

🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉

देवशयनी एकादशी : 20 जुलाई


*🌹देवशयनी एकादशी : 20 जुलाई*

*🌹युधिष्ठिर ने पूछा : भगवन् ! आषाढ़ के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? उसका नाम और विधि क्या है? यह बतलाने की कृपा करें ।*
 
*🌹भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम ‘शयनी’ है।  मैं उसका वर्णन करता हूँ । वह महान पुण्यमयी, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, सब पापों को हरनेवाली तथा उत्तम व्रत है ।  आषाढ़ शुक्लपक्ष में ‘शयनी एकादशी’ के दिन जिन्होंने कमल पुष्प से कमललोचन भगवान विष्णु का पूजन तथा एकादशी का उत्तम व्रत किया है, उन्होंने तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन कर लिया । ‘हरिशयनी एकादशी’ के दिन मेरा एक स्वरुप राजा बलि के यहाँ रहता है और दूसरा क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर तब तक शयन करता है, जब तक आगामी कार्तिक की एकादशी नहीं आ जाती, अत: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को भलीभाँति धर्म का आचरण करना चाहिए । जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है, इस कारण यत्नपूर्वक इस एकादशी का व्रत करना चाहिए । एकादशी की रात में जागरण करके शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए । ऐसा करनेवाले पुरुष के पुण्य की गणना करने में चतुर्मुख ब्रह्माजी भी असमर्थ हैं ।*
 
*🌹राजन् ! जो इस प्रकार भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले सर्वपापहारी एकादशी के उत्तम व्रत का पालन करता है, वह जाति का चाण्डाल होने पर भी संसार में सदा मेरा प्रिय रहनेवाला है । जो मनुष्य दीपदान, पलाश के पत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैं, वे मेरे प्रिय हैं । चौमासे में भगवान विष्णु सोये रहते हैं, इसलिए मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए । सावन में साग, भादों में दही, क्वार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए । जो चौमसे में ब्रह्मचर्य का पालन करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है । राजन् ! एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है, अत: सदा इसका व्रत करना चाहिए । कभी भूलना नहीं चाहिए । ‘शयनी’ और ‘बोधिनी’ के बीच में जो कृष्णपक्ष की एकादशीयाँ होती हैं, गृहस्थ के लिए वे ही व्रत रखने योग्य हैं - अन्य मासों की कृष्णपक्षीय एकादशी गृहस्थ के रखने योग्य नहीं होती । शुक्लपक्ष की सभी एकादशी करनी चाहिए ।*

*🌹व्रत खोलने की विधि :   द्वादशी को सेवापूजा की जगह पर बैठकर भुने हुए सात चनों के चौदह टुकड़े करके अपने सिर के पीछे फेंकना चाहिए । ‘मेरे सात जन्मों के शारीरिक, वाचिक और मानसिक पाप नष्ट हुए’ - यह भावना करके सात अंजलि जल पीना और चने के सात दाने खाकर व्रत खोलना चाहिए ।*

सोमवार, 19 जुलाई 2021

बेटी को विवाह पूर्व नौकरी करवाना अधिकांश माता पिता के लिये अब बना मुसीबत का सबब


*अब एक नई समाजिक समस्या:-*

*बेटी को विवाह पूर्व नौकरी करवाना अधिकांश माता पिता के लिये अब बना मुसीबत का सबब)*
आज अधिकांश माता पिता अपनी पुत्रियो को विवाह पूर्व नौकरी करवाकर अपने लिये एक समस्या तैयार कर रहे है और उन्हें उनके विवाह मे जो समस्याये आती है उसका हल निकालना उनके लिये अब दुष्कर होने जा रहा है। 
समस्याये को समझिए :
1👉 आत्म निर्भर हो जाने के कारण अधिकांश पुत्रियाँ माँ बाप की नही मानती ।
2👉 नोकरियो मे उनका वेतन अधिक होने से उनसे कम वेतन वाले लड़के उन्हे पसन्द नही आते।
3👉 अन्य शहर मे नोकरी करने के कारण उनके विजातीय लड़को से रिलेशिनशिप की संभावना से इन्कार नही किया जा सकता । एवं लोक़ लाज़ का भय समाप्त हो जाता है।
4👉 एक बार नौकरी करने पर नौकरी छोड़ने को तैयार नही होती जिससे जिस शहर मे नौकरी करती है उस शहर में ही कार्यरत लड़की से अधिक पेकेज वाला आपके शहर का रहने वाला सजातीय वर चाहिये जो कि माता पिता के लिये जटिल कार्य है।
ऐसे वर की तलाश मे उनकी विवाह की उम्र निकल जाती है। ऐसा वर ढूँढ़ना उन के लिये क्या किसी के लिये भी मुश्किल कार्य है।
5👉 बाहर के शहरों में रहने से बच्चीया स्वछ्ंद तरीके से जीना सीख लेती है,फिर उसे पालकों द्वारा उपदेशीत छोटि छोटि बातें भी संकिर्ण लगती है।
6👉 उम्र का तकाजा कहे या शारिरीक बदलाव कि वज़ह से कहें बच्चियों में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं जो उसे पुरुषों कि और आकर्षीत करते हैं पर उसके साथ घर का कोई सदस्य ना होने से कोई रोक-टोक नहि रहती जीस से वै गलत मार्ग पर चलने कि संभावना बढ़ जाती है
अत: सभी माता पिता से निवेदन है कि यह निर्णय ना ले कि कन्या को कुछ वर्ष नौकरी करा लेंगे फिर शादी करेंगे अगर बहोत हि विपरीत परिस्थितियों में अगर नोकरी करवानी हि हो तो अपने हि शहर में अपने आखौ के सामने घर में हि रखकर करवा सकते हो तो उसपर विच़ार करे अन्यथा कदापी ना करवाए। वर्ना आप निश्चित रुप से भविष्य में आनेवाली जटिल समस्या का सामना करने को तैयार रहे।
    यह सुझाव आपको उस वक्त याद आयेगा जब आप भी अन्य माहेश्वरी भाई लोगो की तरह अपनी पुत्री के विवाह के लिये जटिल समस्या मे फंसे होंगे।
        इसलिए अपनी बेटियों का विवाह सहि समय (21से 24) पर करें और भविष्य में आनेवाली समस्याओ से बचें ।
(उपरोक्त विच़ार/लेख मे व्यक्त कि गई बातों को अपने हि समाज के विभीन्न भाईयों को आ चुकि ऐसी हि समस्याओ के आधार पर लीखने कि चेष्टा कि गई है).*
👌🏻👌🏻

function disabled

Old Post from Sanwariya