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शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

केमिकल का कमाल, खराब मुरझाई हुई हरी सब्जी एक दम ताजी

केमिकल का कमाल,

खराब मुरझाई हुई हरी सब्जी एक दम ताजी ।

जमीन में भी इतनी ताजी नही होती है जितनी इस केमिकल से होती है।

पोस्ट के साथ दिए गए वीडियो में देखिए कैसे मुरझाई हुई सब्जियों पर केमिकल का प्रयोग करके उसे एकदम ताजी बना देते है




देखिए वीडियो हम जाने अनजाने में कितना जहर खा रहे है।
और यह भी जानिए की इस प्रकार के या अन्य केमिकल का हमारे स्वास्थ्य पर कितना प्रभाव पड़ता है

सब्जियों के साथ क्षेत्रवासी जहर खाने को मजबूर हैं। सब्जियों के साथ यह जहर लोगों के पेट में जा रहा है। इस बारे में न तो किसान जानते हैं और न ही सब्जी विक्रेता और उपभोक्ता। पूछताछ में जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसमें घातक रासायनिक तत्वों का प्रयोग स्वास्थ्य एवं श्वास के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी हरी सब्जियां लोगों में विकृति एवं गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं। लोग सब्जियों के साथ बीमारियां घर ले जा रहे हैं। किसान जाने- अनजाने में यह जहर खाने को मजबूर हैं। न अच्छे किस्म के बीज हैं न खाद न पानी और न ही अपेक्षित सुविधा है। उसके बावजूद भी ज्यादा पैदावार की होड़ ने किसानों को कृत्रिम उपाय अपनाने को विवश कर दिया है।

किसान बने अंजान

दवाओं व रसायनिक छिडक़ाव से फसल अच्छी होती है, यह तो किसानों को पता है। लेकिन यह नहीं मालूम कि इससे सब्जियां जहरीली हो जाती हैं। इस कारण वे जहर छिडक़ते रहते हंै। यानी वे अनजाने में ऐसा कर रहे हैं। इसके प्रति आगाज करने के लिए कोई प्रभावी सरकारी या गैर सरकारी कार्यक्रम किसानों तक नहीं पहुंच पाए हैं। जिसमें सब्जियों में जहर के प्रयोग पर रोक लग सके।

सब्जी का रोज लाखों का कारोबार

क्षेत्र में प्रतिदिन लाखों रुपए का सब्जी का कारोबार किया जाता है। इसलिए किसान ज्यादा पैदावार के लिए घातक रसायनों का सहारा लेने के साथ पानी की कमी के कारण अपने आस-पास बहते नालों के गंदे पानी से खेती करते हैं।

किडनी-कैंसर को बढ़ावा

इन सब्जियों में कई तरह के पेस्टीसाइड व मेटल्स जैसे कीटाणु की मात्रा ज्यादा होने लगी है। जो सब्जियों के साथ शरीर में जाकर स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। यह जहर शरीर के विभिन्न संवेदनशील अंगों में जमा होता रहता है। इस संबंध में कस्बे के राजकीय अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि सब्जियों में सीसा, कॉपर और क्रोमियम जैसी खतरनाक धातुएं और एंडोसल्फॉन, एचसीएन जैसे घातक पेस्टीसाइड के प्रभाव से उल्टी-दस्त किडनी फेल व कैंसर जैसी बीमारियां सामने आती हंै।

कृषि विशेषज्ञ की राय

कृषि पर्यवेक्षक ने बताया कि किसानों द्वारा पैदावार को बढ़ाने के लिए फसलों पर रसायनिक पेस्टीसाइड का उपयोग बहुतायत में किया जाता है। रसायनिक खादों के बढ़ते प्रयोग से हरी सब्जियों का स्वाद गायब हो चला है। कम समय में ज्यादा सब्जियां तैयार करने के लिए प्रतिबंधित ऑक्सीटोसीन इंजेक्शन मुफीद साबित हो रहा है। पैदावार बढ़ाने की आपाधापी में रसायनों का उपयोग उपभोक्ताओं के लिए जहर साबित हो रहा है। अच्छे तेल-मसालों के उपयोग के बाद भी सब्जियों का स्वाद लोगों को रास नहीं आ रहा है।

फल और सब्जियां स्वस्थ्य आहार का हिस्सा जरूर हैं, लेकिन इनके इस्तेमाल से पहले इनमें मौजूद कीटनाशक और जहरीले रसायनों को निकालना जरूरी है। इसमें लापरवाही कई बीमारियों का शिकार बना सकती है।

विशेषज्ञों के मुताबिक फल और सब्जियों को कीट-पतंगों से बचाने और उसके पैदावार को बढ़ाने के लिए अक्सर कीटनाशक और जहरीले रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इनमें आर्सेनिक, डायल्ड्रिन, डीडीआई, डाइऑक्सिन का आमतौर पर उपयोग किया जाता है। जो इंसानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।


ऐसे जहरीले रसायनों को प्रयोग टमाटर, सेब, आड़ू, गोभी, पालक, सलाद, नाशपाती, अंगूर, अजवाइन आदि में प्रयोग किया जाता है। किसान इसके पौधे लगाने के बाद अक्सर ऐसे रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग हरी पत्तिदार सब्जियों पर भी करते हैं। जिससे पौधे जहरीले कीटनाशकों अवशोषित कर लेता है। इसके अंश फलों और सब्जियों में भी मौजूद होते हैं।

बुरी तरह स्वास्थ्य हो सकता है प्रभावित: सफदरजंग अस्पताल के सामुदायिक मेडिसिन विभाग के निदेशक और एचओडी प्रोफेसर डॉक्टर जुगल किशोंर के मुताबिक वयस्कों में ऐसे फल और सब्जियों के सेवन से तंत्रिका तंत्र बाधित करने के साथ हार्मोन भी प्रभावित करता है। वहीं एलर्जी, उच्च रक्तचाप, अवसाद, बांझपन, अस्थमा के साथ कैंसर जैसी घातक बीमारियों को भी उतपन्न कर सकता है।

वहीं बच्चों में इसका दुष्प्रभाव ज्यादा होता है, क्योंकि शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बच्चों के आहार में विशेषतौर पर फल और सब्जियों की तादाद बढ़ाई जाती है। नतीजतन मस्तिष्क से संबंधित विकार के साथ उनकी याददाश्त को भी प्रभावित कर सकता है। इन कीटनाशक और रासायनिक दुष्प्रभाव के कारण बच्चा मंद बुद्धि भी हो सकता है। व्यस्कों और बच्चे दोनों का पाचन तंत्र भी प्रभावित होने के आसार
रहते हैं।


इन बातों को रखें ध्यान
1.अच्छी गुणवत्ता वाली फल-सब्जियां खरीदें। खासतौर से जिनपर दाग-धब्बे न हों।
2.इन्हें काटने से पहले अच्छी तरह पानी से धो लें। सब्जियों को काटने और पकाने से पहले जरूर रनिंग वाटर से धोएं।
3.बाजार से कटे हुए फल खरीदकर कभी भी न खाएं।
4.फंगस और मॉउल्ड से प्रभावित सब्जियों और फलों का इस्तेमाल न करें।
5,हरी और पत्तिदार सब्जियों के पत्तों के ऊपरी आवरण पर खतरनाक रासायनों का अवशेष होता है। इसलिए इसे बारीकी से धोना आवश्यक है।
6.फल और सब्जियों को काटने के बाद किसी अच्छे साबुन से हाथ जरूर धोकर ही कोई अन्य कार्य करें।

आर्गेनिक उत्पाद ही विकल्प है इसका

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गुरुवार, 22 जुलाई 2021

छिपे हुए कैमरों का पता कैसे लगाया जा सकता है?

कोई आपको देख रहा है

प्रौद्योगिकी ने उन्नत किया है कि जासूसी कैमरा एक छोटा, चिकना और चतुर डिजाइन है जिसे एक वस्तु के रूप में प्रच्छन्न किया जा सकता है। शॉपिंग मॉल में चेंजिंग रूम के अंदर हॉस्टल, होटल के कमरे, कारवां (एक अभिनेत्री के मामले में) और किराए के फ्लैट/पीजी आवास में रहने वाली महिलाओं के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है।

हम खबरें सुनते आ रहे हैं कि छिपे हुए कैमरे का इस्तेमाल महिलाओं को नहाते समय और कपड़े बदलते समय कैद करने के लिए किया जाता है। प्रतिद्वंदी लाइव स्ट्रीम सुविधा का उपयोग करके बिना कैमरे को स्विच ऑन किए रिकॉर्ड कर सकते हैं, क्योंकि वे गति का पता लगाने में सक्षम हैं, और वे स्वचालित रूप से रिकॉर्डिंग शुरू कर देते हैं।

लाइव रिकॉर्ड किए गए वीडियो क्लाउड सर्वर में संग्रहीत होते हैं, और आप छिपे हुए कैमरे को तोड़कर रिकॉर्डिंग को नष्ट नहीं कर सकते।

2018 में चेन्नई में हुई एक भयानक घटना; कामकाजी महिला छात्रावास की मालिक ने कई जगहों पर स्पाई कैमरा छुपाया था, खासकर हर बाथरूम के अंदर 3 कैमरे।

हालाँकि, आप बग डिटेक्टर का उपयोग करके एक छिपे हुए कैमरे का पता लगा सकते हैं, लेकिन आपको इसे ऑनलाइन स्टोर से खरीदने के लिए खर्च करना होगा।

बुद्धिमान कैमरे का पता लगाने के लिए एक आसान तरीका उपलब्ध है, क्योंकि चेन्नई छात्रावास में महिलाओं ने एंड्रॉइड ऐप का उपयोग करके छिपे हुए कैमरे को ढूंढ लिया।

क्या आप नीचे दी गई वस्तु के रूप में प्रच्छन्न छिपे हुए कैमरे की पहचान कर सकते हैं?

स्मोक डिटेक्टर

2. डिजिटल अलार्म

3. एक बल्ब

4. ब्लू टूथ स्पीकर के अंदर

5. नाइट लैंप

6. एक गुड़िया में स्पाई कैमरा

यदि स्टफ्ड टॉय का रंग गहरा या व्यस्त पैटर्न है तो लेंस को नहीं देखा जा सकता है

7. सॉकेट में

8. अपने बाथरूम या बेडरूम में कोट हुक

9. फोटो फ्रेम के रूप में

10. लैंडलाइन टेलीफोन सॉकेट

11. आपके बाथरूम के अंदर वायु शोधक

11. आपके बाथरूम के अंदर वायु शोधक

इनमें से अधिकांश कैमरा इकाइयां रिमोट कंट्रोल और मोशन डिटेक्शन के साथ आती हैं, इस प्रकार इस भ्रामक तकनीक से गुप्त निगरानी पूरी तरह से संभव है। ऑनलाइन पोर्टल्स पर 2000 रुपये से कम में स्पाई कैमरे उपलब्ध होने के कारण, इन छिपे हुए कैमरों की पहचान करना और आपकी गोपनीयता की रक्षा करना कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

छिपे हुए कैमरे की कुछ सामान्य विशेषताएं

उच्च रिज़ॉल्यूशन के साथ, ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ 1920X1080p HD वीडियो 30 fps और 120-डिग्री व्यू एंगल वीडियो रिकॉर्डिंग को परिपूर्ण बनाता है

प्रयोग करने में आसान - प्लग एंड प्ले। हाँ, जैसा कि कहा गया है, यह आसान है। बस वाईफाई कनेक्ट करें और काम में प्लग करें, जब आप रिकॉर्डिंग के साथ बस अनप्लग करें। आप अपने मोबाइल या लैपटॉप से ​​कहीं भी लाइव स्ट्रीम कर सकते हैं।

टेक्नोलॉजी - यह लूप रिकॉर्डिंग और अपग्रेडेड मोशन डिटेक्शन टेक्नोलॉजी के साथ आता है। लूप रिकॉर्डिंग आपको एसडी कार्ड स्टोरेज स्पेस के बारे में नहीं सोचने की चिंता करने की अनुमति देती है, यह स्वचालित रूप से रिकॉर्डिंग जारी रखने के लिए पुराने रिकॉर्ड को साफ कर देता है और अपग्रेडेड मोशन डिटेक्शन मोड एसडी कार्ड स्पेस का कुशलतापूर्वक उपयोग करने में मदद करता है, जब आप रिकॉर्डिंग मोड को नियमित रिकॉर्डिंग से मोशन डिटेक्शन में बदल देते हैं तो यह जीत जाता है 'जब तक आच्छादित क्षेत्र में कुछ हलचल न हो तब तक लगातार रिकॉर्ड न करें'

छिपे हुए कैमरों से खुद को कैसे बचाएं? -

हिडन कैमरा डिटेक्टर ऐप के लिए ऐप गूगल प्ले स्टोर सर्च में उपलब्ध हैं। ऐप्स आपके आस-पास के कैमरों का पता लगा सकते हैं और आपके मोबाइल फोन के माध्यम से छिपे हुए कैमरों का पता लगा सकते हैं।

अपरिचित स्थानों जैसे होटल के कमरे, अतिथि कक्ष, शॉवर के नीचे, यहां तक ​​कि आपके निजी कमरे, सार्वजनिक शौचालय आदि में रहने वाली महिलाएं ऐप का उपयोग कर सकती हैं।

ऐप कैसे काम करता है

छिपे हुए कैमरे का पता लगाने और किसी भी असामान्य चुंबकीय गतिविधि को खोजने के लिए आपको बस अपने फोन को अपने परिवेश में ले जाना होगा, जो एक हिडन कैमरा, स्पाई कैमरा, गुप्त कैमरा या एक छिपा हुआ उपकरण हो सकता है।

यदि मोबाइल स्पाई कैमरे के संपर्क में आता है तो उसे एक बीप ध्वनि और एक लाल बत्ती अलर्ट देना चाहिए।

सबसे पहले किसी अन्य कैमरा मोबाइल फोन या कैमरे का उपयोग करके ऐप का परीक्षण करें। आपके एंड्रॉइड फोन के ऐप को यह पता लगाना चाहिए कि यह दूसरे मोबाइल के कैमरे के संपर्क में कब आता है।

नोट- यह लेख हिडन कैमरा या हिडन कैमरा डिटेक्टर ऐप्स की मार्केटिंग के बारे में नहीं है। इस सामग्री का उद्देश्य जागरूकता पैदा करना और महिलाओं को विकृतियों से बचाना है

वीडियो रिकॉर्डिंग करते समय मोबाइल में ऐसी कौन सी सेटिंग है जो सब को नहीं पता होता?

चलिए आज हम आपको वीडियो रिकॉर्डिंग करते समय मोबाइल में ऐसी एक-दो सेटिंग है जो सब को नहीं पता होता जिसके बारे में बताते है।

बिंदु नम्बर 1.

ग्रिड (ग्रिड) -

इसके बारे में सब ने नाम सुना है और आपने अपने फ़ोन के कैमरे में भी इसे देखा है लेकिन उसका उपयोग ज़्यादातर लोगों ने कभी नहीं किया होगा। ये हम यक़ीन के साथ कह सकते है।

हम लोग ज़्यादातर इस तरह फ़ोटो या विड़ीयो रिकोर्ड करते है।

ये सही है लेकिन इससे थोड़ा और बेहतर बनाने के लिए ग्रिड का इस्तेमाल कर सकते है।

ग्रिड का करें इस्तेमाल

फोन से अच्छी फोटो/विड़ीयो क्लिक करने के लिए ग्रिड लाइंस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। फोन से अच्छे शॉट्स लेने का यह पुराना और कारगर तरीका है।

  • ग्रिड का इस्तेमाल करने पर स्क्रीन के ऊपर तीन लाइन बन जाती हैं।
  • इन लाइनों की मदद से ऑब्जेक्ट को फोटो में आसानी से शामिल किया जा सकता है।
  • ग्रिडलाइंस को खोलने के लिए फोन की सेटिंग्स में जाना होगा, उसके बाद वहां से ग्रिड को ऑन कर सकते हैं।

अब यह कुछ इस तरह दिखाई देगा।

  • इससे आपके ऑब्जेक्ट पर असर पड़ता है। यह सिर्फ़ आपके ऑब्जेक्ट पर फ़ोकस करेगा और उसे बेहतरीन बनाने में मदद करता है।
  • इससे पर्टिक्युलर बॉक्स बने होते है जिसमें अलग-अलग ऑब्जेक्ट के हिसाब से विडीओ रिकोर्ड होती है।

बिंदु नम्बर 2.

आमतौर पर लोग बिना कैमरा की सेटिंग में बदलाव किए ही इसका उपयोग करने लग जाते है।(जैसा नया आता है सीधे कैमरा का उपयोग) अगर हम विडीओ बना रहे है तो इस चीज़ का ध्यान और देना होगा।

  • आजकल के फ़ोन उच्च क्वालिटी की विडीओ बनाने में सक्षम है लेकिन इसका उपयोग करने के लिए हमें ज़्यादा जगह भी चाहिए जोकि अब आने लग ही गई है।
  • फ़ोन के साथ कैमरे की सेटिंग डिफ़ॉल्ट आती है,(जिसे आप देख सकते है डिफ़ॉल्ट👇🏻) जिन्हें हमें बदलना होगा। जैसे-
  • आपको पिक्सल का ध्यान रखना होगा।
  • अगर आप स्लो मोशन विडीओ बना रहे है तो आपको 4K 60fps से बचना होगा इसमें कम लेंथ की विडीओ भी ज़्यादा साइज़ में बनती है।
  • अगर आप 4–5 मिनट की विडीओ बना रहे हो तो आप अपनी इच्छानुसार फ़ॉरमेट रख सकते है लेकिन लम्बी विडीओ बनाने पर इसका ध्यान रखे। क्योंकि -
  • ज़्यादा फ़ॉरमेट (4K, 30fps, 60fps) के साथ-साथ विडीओ का साइज़ तो बढ़ता ही है और साथ में ही आपका फ़ोन गर्म भी होगा और बैटरी भी ज़्यादा खर्च होती है। इसलिए इसका विशेषतौर पर ध्यान रखे।

उम्मीद करता हूँ यह टिप्स अपने बहुत काम आई होगी। बताना ज़रूर।

अमेरिका ने भारत से कहा है कि अंतरिक्ष को कूड़ेदान न बनायें.

एक तस्वीर देखिए।

यह लाल चिन्हित बिंदु, सभी मनुष्यों द्वारा बनाए गए उपग्रहों आदि का एक ३डी चित्र है। अब ज़ाहिर-सी बात है कि इनमें सबसे अधिक योगदान किसका होगा, बेशक रूस और अमेरिका का।

अमेरिका वह दयालु देश है जो खुद तो तरक्की करता है लेकिन वही तरक्की कोई दूसरा देश करे, तो उसे यह श्लोक याद आ जाता है-

“विश्व: शान्ति, अंतरिक्ष: शान्ति, वनस्पतयः शान्ति, सर्वज्ञाम शान्ति।”

इसने खुद यह परीक्षण एक नहीं, दो बार सबको करके दिखाया है, और कई बार छिपा कर कर चुका है। कब? अमेरिका ने पहली बार वर्ष १९५९ में पहला ए-सॅट परीक्षण किया था, और फिर २००७ में जब चीन ने यह परीक्षण किया, उसकी कड़ी निंदा करने के साथ साथ अमेरिका ने फिर से यह परीक्षण किया था, बस चीन को दिखाने के लिए कि अभी भी विश्व की महाशक्ति अमेरिका ही है।


विश्व में आतंकवाद को जन्म दिया किसने? अमेरिका ने।

फिर इसको एशिया की समस्या कहकर नज़रअंदाज़ किया, तब तक, जब तक भस्मासुर बनकर इसी आतंकवाद ने उसकी ही ऊंची इमारत को ध्वस्त कर दिया। तब जाकर उसे पता चला कि आतंकवाद विश्व की समस्या है।

दुनिया में परमाणु अस्त्र का प्रयोग केवल एक ही देश ने किया है, कौन? अमेरिका।

जापान के दो शहरों को सदियों के लिए ध्वंस करने के बाद आज यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो लेकर बैठा है। जबकि हमेशा शान्ति का नारा देने वाला भारत आज भी स्थायी सदस्य नहीं बन पाया।

पॅरिस प्रोटोकॉल से सबसे पहले कौन सा देश निकला? अमेरिका। और फिर वह प्रगतिशील देशों पर प्रदूषण का दोष लादता है, जबकि सबसे अधिक कार्बन यही छोड़ता है दुनिया में।

तो इसमें कोई हैरानी नहीं कि भारत जैसे राष्ट्र जहां अमेरिका को बस्तियों और गरीबी के अलावा कुछ और नहीं दिखता, वहां के वैज्ञानिकों ने सम्पूर्ण स्वदेशी कौशल से एन्टी-सॅटेलाइट मिसाइल बनाई और बिना किसी हिचकिचाहट खुद इसका सफल परीक्षण भी किया। इस पर अमेरिका को कूड़ादान नहीं दिखेगा तो और क्या दिखेगा?


इस बात पर मंगलयान को लेकर एक पुराना वाकया याद आता है। जब भारतीय संस्थान इसरो ने नासा के पास मंगल यात्रा में शामिल होने के लिए प्रस्ताव रखा था तब अमरीकी अख़बार 'न्यूयॉर्क times' ने इसका भद्दा मज़ाक उड़ाया था।

उन्होंने भारतीय वैज्ञानिक संस्थानों को गाय जैसा बेवकूफ करार दिया।

फिर भारत ने दुनिया का सबसे सस्ता मिशन बनाकर मंगलयान भेजा। फिर एक साथ कई सारे सॅटेलाइट भी भेजे, कम खर्च पर, और पूरी दुनिया इस बात पर भारत की वाहवाही करने लगी। सारे देश अपने-अपने सॅटेलाइट भारतीय संस्थान द्वारा सस्ते में भेजने के लिए आगे आए।

और भारतीय अख़बारों ने उसका बढ़िया बदला लिया।

फिर क्या! न्यूयॉर्क टाइम्स ने माफी मांगी। :)

प्रश्न था -

अमेरिका ने भारत से कहा है कि अंतरिक्ष को कूड़ेदान न बनायें .इस विषय पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?

आधार -

Watch 20,000 Satellites Orbit Earth In Real Time — Simply Amazing!

New York Times in cartoon apology

Dear New York Times Do You Still Think ISRO Should Be Kept Outside The 'Elite Club'

इजराइल की सी ब्रेकर मिसाइल क्यों चर्चा में है?

इजरायल ने पांचवी पीढ़ी की सी ब्रेकर मिसाइलको दुनिया के सामने पेश किया है। इस महाविनाशक मिसाइल को इजरायली हथियार निर्माता कंपनी राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स

ने बनाया है। बुधवार को इस मिसाइल का उद्धाटन इजरायली रक्षा मंत्री ने किया। इस मिसाइल को समुद्र या जमीन से फायर किया जा सकता है जो 300 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन का खात्मा करने में सक्षम है। इजरायली कंपनी इस मिसाइल को भारत को ऑफर करने के प्लान पर भी काम कर रही है।

सी ब्रेकर मिसाइल

प्रिसिजन गाइडेड मिसाइल है सी ब्रेकर
सी ब्रेकर पांचवी पीढ़ी की लंबी दूरी तक मार करने वाली, ऑटोनोमस प्रिसिजन गाइडेड मिसाइल सिस्टम है। यह मिसाइल किसी भी देश की नौसेना और आर्टिलरी की क्षमता को कई गुना बढ़ा सकती है। इसे जमीन पर स्थित किसी भी सैन्य ठिकाने से या फिर किसी युद्धपोत से फायर किया जा सकता है। कंपनी से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि आने वाले दिनों में इस मिसाइल को मेक इन इंडिया के जरिए भारत को ऑफर किया जा सकता है।

भारत में कल्याणी के साथ काम करती है यह कंपनी
इजरायल की यह कंपनी भारत में कल्याणी ग्रुप के साथ ज्वाइंट वेंचर चलाती है। इसे कल्याणी राफेल एडवांस्ड सिस्टम्स (KRAS) के नाम से जाना जाता है। कल्याणी ग्रुप अकेले में भारत फोर्ज के नाम से अपनी डिफेंस और एयरोस्पेस कंपनी को चलाती है। राफेल एडवांस्ड और कल्याणी साथ मिलकर भारतीय सशस्त्र बलों के लिए कई तरह के हथियारों और गाड़ियों पर काम कर रहे हैं।

सी ब्रेकर मिसाइल की विशेषता
सी ब्रेकर मिसाइल इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स, कंप्यूटर विजन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और निर्णय लेने वाले एल्गोरिदम से लैस है। ऐसे में अगर आखिरी समय में भी मिसाइल को अपना लक्ष्य बदलना पड़े तो इसे कोई परेशानी नहीं होगी। यह मिसाइल प्रिसिजन गाइडेड होने के कारण काफी सटीकता से लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। इसमें एक उन्नत आईआईआर (इमेजिंग इन्फ्रा-रेड) सीकर लगा हुआ है, जो जमीन या समुद्र में स्थिर या गतिमान लक्ष्य को पिन पॉइंट एक्यूरेसी से हिट कर सकता है।

क्यों खतरनाक है सी ब्रेकर मिसाइल
यह मिसाइल समुद्र और जमीन दोनों ही जगहों पर काफी नीचे उड़ान भरती है। ऐसे में समुद्र या जमीन पर मौजूद दुश्मन के रडार इस मिसाइल के आहट को पहचान नहीं पाते हैं। जब मिसाइल दुश्मनों के बिलकुल नजदीक पहुंच जाती है जो उन्हें रिएक्ट करने का समय भी नहीं देती है। ऐसे में इस मिसाइल से दुश्मन का बचना लगभग नामुमकिन हो जाता है।

Spice 250: बालाकोट में तबाही मचाने वाले बम का छोटा वर्जन, इजरायल ने भारत को किया ऑफर


किसी भी प्लेटफॉर्म से किया जा सकता है लॉन्च
सी ब्रेकर मिसाइल को नौसेना के कई प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है। इसमें फॉस्ट अटैक मिसाइल बोट, कोरवेट और फ्रिगेट भी शामिल हैं। समुद्री किनारों की रक्षा के लिए स्पाइडर लॉन्चर्स में इस मिसाइल को फिट किया जा सकता है। यह मिसाइल सभी प्रकार के मौसम में फायर की जा सकती है।

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