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शुक्रवार, 27 अगस्त 2021

वह पौधा चुंबक की तरह धन को आकर्षित करता है


 

पौधा चुंबक की तरह धन को आकर्षित करता है । यह पौधा अंबानी के घर में भी लगाया जाता है । ज्यादातर लोग अपने घर को सजाने के लिए कई तरह के पौधे लगाते हैं । इसके अलावा , वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार , कई लोग अपने घर के अंदर कुछ पौधों को रखते हैं ।

ताकि उसका अच्छा प्रभाव उसके घर पर पड़े । अगर आपके घर के अंदर वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार पौधे लगाए जाते हैं , तो आपको इससे अच्छा लाभ मिलता है ।

यूं तो आपने अपने आस – पास बहुत सारे पौधे देखे होंगे , लेकिन शायद ही आपमें से किसी ने घर पर ऐसा पौधा देखा होगा जो चुंबक की तरह पैसे को आकर्षित करता हो । जी हां , आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं , जो लगभग हर अमीर व्यक्ति के घर में लगाया जाता है और उन्हें चुंबक की तरह पैसा आकर्षित करने में मदद करता है । तो चलिए आपको बताते हैं कि यह पौधा कौन सा है जो धन खींचने में मदद करता है ।

इस पौधे का नाम मयूर बर्ड है । यह सुनने में आपको थोड़ा अजीब लग सकता है , लेकिन सच्चाई यह है कि दुनिया के लगभग सभी अमीर लोगों के घरों में आप इन पौधों को जरूर पा सकते हैं जो पैसा खींचते हैं । अगर यह मोर का पौधा आपके घर में लगाया जाए तो यह आपके घर की सभी परेशानियों को दूर कर देगा । और साथ ही आपके घर में हमेशा के लिए सुख और समृद्धि का वास होता है । इसके अलावा , इन पौधों को बहुत शुभ माना जाता है ।

अगर घर में मोर को सही जगह पर लगाया जाए तो यह बहुत फायदेमंद हो सकता है । ऐसा कहा जाता है कि जब भी आप इस पौधे को लगाते हैं , तो इसे जोड़े में ही लगाएं , नहीं तो सिर्फ पौधे लगाने से कोई फायदा नहीं होता । इन पौधों को हमेशा घर के मुख्य दरवाजे के पास एक दूसरे के सामने लगाया जाना चाहिए । ज्योतिष के अनुसार , यह माना जाता है कि जो पौधे लगाए जाते हैं , वे घर में कभी भी नकारात्मकता नहीं रखते हैं ।

आपको जानकर हैरानी होगी कि लेकिन सच्चाई यह है कि अंबानी के घर में भी मयूर बर्ड का यह पौधा लगाया है और उन्हें भी इस पौधे पर अटूट विश्वास है । इस पौधे की महिमा जानने के बाद , यह कहा जाता है कि जिस घर में यह पौधा पाया जाता है , वहां धन से संबंधित कोई समस्या नहीं होती है । मोर के पंखों का विवरण देव वाहिनी तंत्र में दिया गया है । मोर के पंखों का सभी शास्त्रों , ग्रंथों , वस्तुओं और ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान है । मोर के पंखों को घर में ऐसे स्थान पर रखें जहां यह आसानी से दिखाई दे । मोर के पंखों को घर में रखने का महत्व भी एक धार्मिक प्रयोग है ।

चित्र गूगल से लिए है।

डायरेक्ट-सैलिंग बिज़नेस इसे अपने काम के साथ-साथ भी कर सकते

*JOB*
English में सुनने में कितना अच्छा लगता है ना
*लेकिन*
हिंदी में बोलते है *नोकरी* जिसका मतलब होता है 👉 *नोकर*
*उर्दू* में बोलते हैं *गुलाम* जिसका अपना कोई मर्जी नहीं चलता  !!
दोस्तों हम 12th तक पड़ते है जिंदगी के 12 साल दिए पड़ने में
उसके बाद 3 साल का Graduation
उसके बाद 2 साल की 
*मास्टर डिग्री* 17 साल पढ़ाई की 
उसके बाद किसी *कंपनी*
इंटरव्यू के लिए जाते है।
पढ़ाई में लाखो रूपये खर्च करने के बाद
सामने बैठा हुआ शक्स यह निर्णय लेता है कि 
आपको महीने में कितनी सेलेरी मिलेगी।
1 बात सोचो की पढ़ाई की आपने पैसा लगाया आपने 
तो वो सामने बैठने वाला शख्स कोन होता है आपके दाम लगाने वाला।
की आपको कितनी सेलेरी देना चाहिए
इसमें आपकी कोई गलती नहीं है दोस्तों 
दरअसल आप जहाँ रहते है
आपके *माता-पिता* आपके पडोसी रिश्तेदार लोगो ने आपके दिमाग में एक ही बात डाल रखी है 
की बेटा तुमको अच्छे से पढ़ाई करना है और एक अच्छी *नोकरी* करना है
ये *नोकरी* करने का *कीड़ा* सब लोगो ने आपके दिमाग में भर रखा है।
*लेकिन* 
एक बार सोचो की *नोकरी* करने से क्या होता है 
आप अपने दिन के *24 घंटो* में से *10 घंटे* आपके बॉस को देते हो और उनसे *10000* रूपये लेते हो 
कोई कोई दिन के *14 घंटे* देकर *15000* रूपये लेता है 
इसका मतलब साफ़ है कि आप अपना *समय* *बेंच* रहे हो 
आप आपके बॉस को *1 लांख* का प्रॉफिट देते हो तब जाकर आपको *10 हजार* रूपये मिलते है 
सीधा गणित है आपको आपकी *मेहनत* का *10%* मिलता है 
आपके जैसे हजारो लोग 
*1 कंपनी* में काम करते है
आपका बॉस आपका 
*Time*
*Talent*
*Quality*
*Effort*
*Luck*
सब इस्तेमाल करता है उसके बदले में आपको कुछ हजार रूपये देता हैं
लेकिन दोस्तों सोचिये 
जब आपके 
*टाइम*
*टेलेंट*
*लक*
*क्वालिटी* 
*एफर्ट*
इस्तेमाल करके आपका बॉस *करोड़पति* बन सकता है 
तो 
आप खुद अपना 
*टाइम*
*टेलेंट*
*लक*
*क्वालिटी*
*एफर्ट*
खुद के लिए इस्तेमाल करेंगे तो तो क्या आप करोड़पति नही बन सकते हो
नोकरीं करने वाला हमेशा 
अपने आप से *समझौता* करता है 
न *अच्छी बाइक* होती है।
न *कार* होती है।
न *अच्छा घर* है।
न *घूमना फिरना* होता है।
न ही कोई *लाइफस्टाइल* होती है।
हम *गरीब* पैदा हुए इसमें हमारी गलती नही 
लेकिन गरीब मर जाना *पाप* है}

दोस्तों यदि हम *direct selling*
में work करे तो हम भी अपने सारे *सपने* पूरे कर सकते ह
आइये आज ही हम मिलके शुरूवात करते हैं.
डायरेक्ट-सैलिंग बिज़नेस इसे अपने काम के साथ-साथ भी कर सकते .

*जय महेश*
आदरणीय समाज बंधुवर आज के समय में बहुत सारे व्यक्ति बीमारी व बेरोजगारी से ग्रस्त है और बहुत सारे समाज बंधु जो की नौकरी करते हैं उनमें से बहुत सारे व्यक्तियों की कोरोना की वजह से नौकरियां चली गई है और वह बेरोजगार हैं अथवा उनके पास अच्छी इन्कम नहीं है तथा हर परिवार में कोई न कोई व्यक्ति बीमारी के कारण दवाई गोलियां खा रहा है तो यदि आप इन दोनों समस्याओं से छुटकारा चाहते हैं तो हमारे पास ऐसी अपॉर्चुनिटी व प्लेटफार्म है जिसमें आपको बीमारी और बेरोजगारी दोनों का हल मिल सकता है। यदि आपके परिवार में या कोई जान पहचान वाला व्यक्ति इन समस्याओं से जूझ रहा है तो आप उनकी मदद करिए और मुझसे संपर्क करिए ताकि उनको हम अच्छी हेल्थ व अच्छी वेल्थ ( इन्कम) करवाने में मदद कर सकें और  उनको सिखाएंगे कि किस तरीके से वह यह कर सकते हैं । मेरा उद्देश्य है कि समाज बंधु आगे बढ़े , वे चाहे देश के किसी भी कोने में रहते हो । ज्यादा जानकारी के लिए मैसेज करिए -


*जरा सोचिए*

* क्या आप अपनी वर्तमान आमदनी से संतुष्ट हैं ? 
* क्या आप जो काम कर रहे हैं उससे आपके व आपके परिवार के सपने पूरे हो रहे हैं?
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 चाहते हैं जिससे आप अपने परिवार को अच्छी लाइफ स्टाइल दे सके और उनकी इच्छाओं को पूरी कर सके ?
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कैलाश चंद्र लढ़ा
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सभी लोगों के लिए Google मानचित्र बनें, जो आपके लिए मायने रखते हैं


री-रूटिंग...
*Re-routing*

क्या आपने देखा है कि अगर आप गलत मोड़ लेते हैं, तो Google मानचित्र कभी भी चिल्लाता नहीं है, निंदा नहीं करता या आपको डांटता भी नहीं है।

यह कभी अपनी आवाज नहीं उठाता और न ही ये कहता है-
"आपको आखिरी क्रॉसिंग पर बाएं जाना था, बेवकूफ! अब आपको लंबा रास्ता तय करना होगा और इसमें आपको बहुत अधिक समय लगने वाला है और आपको अपनी मीटिंग के लिए देर होने वाली है!

ध्यान देना सीखो और मेरे निर्देशों को सुनो, ठीक है???"
अगर उसने ऐसा किया, तो संभावना काफी है कि हम में से बहुत से लोग इसका इस्तेमाल करना बंद कर सकते हैं।
लेकिन Google केवल री-रूट करता है और आपको वहां पहुंचने का अगला सबसे अच्छा तरीका दिखाता है।

इसकी प्राथमिक रुचि आपको अपने लक्ष्य तक पहुँचाने में है, न कि आपको गलती करने के लिए बुरा महसूस कराने में। 
एक बहुत अच्छा सबक है ... अपनी निराशा और क्रोध को उन लोगों पर उतारना आसान है , जिन्होंने गलती की है।
विशेष रूप से उन लोगों पर जो हमारे करीबी और परिचित हैं। 

लेकिन सबसे अच्छा विकल्प समस्या को ठीक करने में मदद करना है, दोष देना नहीं।

क्या आपके पास हाल ही में री-रूटिंग क्षण थे ?
औरों के साथ भी और अपनों के साथ भी ? 

अपने बच्चों, जीवनसाथी, टीम के साथी और उन सभी लोगों के लिए Google मानचित्र बनें, जो आपके लिए मायने रखते हैं और जिनकी आपको परवाह है !!!
आइये हम स्वयं को re-routing मोड पर रखे ,चीजों को सृजनात्मक सकारात्मक सुंदर बनाये !

धन्यवाद।

गुरुवार, 26 अगस्त 2021

अपनी गलती हो या ना हो क्षमा मांग लेने से सब झगडे समाप्त हो जाते है


⭐  " *क्षमा"  ** ⭐
   
   *एक सेठ जी ने अपने दामाद को तीन लाख रूपये व्यापार के लिये दिये। उसका व्यापार बहुत अच्छा जम गया, लेकिन उसने रूपये ससुर जी को वापस नहीं लौटाये।*
     *आखिर दोनों में झगड़ा हो गया, झगड़ा भी इस सीमा तक बढ़ गया कि दोनों का एक दूसरे के यहाँ आना जाना बिल्कुल बंद हो गया। घृणा व द्वेष का आंतरिक संबंध अत्यंत गहरा हो गया। सेठ जी, हर समय हर संबंधी के सामने अपने दामाद की निंदा-निरादर व आलोचना करने लगे।*
      *सेठ जी अच्छे साधक भी थे, लेकिन इस कारण उनकी साधना लड़खड़ाने लगी। भजन पूजन के समय भी उन्हें दामाद का चिंतन होने लगा। मानसिक व्यथा का प्रभाव तन पर भी पड़ने लगा। बेचैनी बढ़ गयी। समाधान नहीं मिल रहा था। आखिर वे एक संत के पास गये और अपनी व्यथा सुनायी।*
     *संतश्री ने कहाः- 'बेटा ! तू चिंता मत कर। ईश्वरकृपा से सब ठीक हो जायेगा। तुम कुछ फल व मिठाइयाँ लेकर दामाद के यहाँ जाना और मिलते ही उससे केवल इतना कहना, 'बेटा ! सारी भूल मुझसे हुई है, मुझे "क्षमा" कर दो।'*
     *सेठ जी ने कहाः- "महाराज ! मैंने ही उनकी मदद की है और "क्षमा" भी मैं ही माँगू !"*
     *संतश्री ने उत्तर दियाः- "परिवार में ऐसा कोई भी संघर्ष नहीं हो सकता, जिसमें दोनों पक्षों की गलती न हो। चाहे एक पक्ष की भूल एक प्रतिशत हो दूसरे पक्ष की निन्यानवे प्रतिशत, पर भूल दोनों तरफ से होगी।"*
     *सेठ जी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। उसने कहाः- "महाराज ! मुझसे क्या भूल हुई ?"*
    *"बेटा ! तुमने मन ही मन अपने दामाद को बुरा समझा– यही है तुम्हारी पहली भूल।*
      *तुमने उसकी निंदा, आलोचना व तिरस्कार किया– यह है तुम्हारी दूसरी भूल।* 
     *क्रोध पूर्ण आँखों से उसके दोषों को देखा– यह है तुम्हारी तीसरी भूल।*
      *अपने कानों से उसकी निंदा सुनी– यह है तुम्हारी चौथी भूल।* 
      *तुम्हारे हृदय में दामाद के प्रति क्रोध व घृणा है– यह है तुम्हारी आखिरी भूल।*
     *अपनी इन भूलों से तुमने अपने दामाद को दुःख दिया है। तुम्हारा दिया दुःख ही कई गुना हो तुम्हारे पास लौटा है। जाओ, अपनी भूलों के लिए "क्षमा" माँगों। नहीं तो तुम न चैन से जी सकोगे, न चैन से मर सकोगे। क्षमा माँगना बहुत बड़ी साधना है। ओर तुम तो एक बहुत अच्छे साधक हो।"*
     *सेठ जी की आँखें खुल गयीं। संतश्री को प्रणाम करके वे दामाद के घर पहुँचे। सब लोग भोजन की तैयारी में थे। उन्होंने दरवाजा खटखटाया। दरवाजा उनके दोहीते ने खोला। सामने नानाजी को देखकर वह अवाक् सा रह गया और खुशी से झूमकर जोर-जोर से चिल्लाने लगाः "मम्मी ! पापा !! देखो कौन आये ! नानाजी आये हैं, नानाजी आये हैं....।"*
     *माता-पिता ने दरवाजे की तरफ देखा। सोचा, 'कहीं हम सपना तो नहीं देख रहे !' बेटी हर्ष से पुलकित हो उठी, 'अहा ! पन्द्रह वर्ष के बाद आज पिताजी घर पर आये हैं।' प्रेम से गला रूँध गया, कुछ बोल न सकी। सेठ जी ने फल व मिठाइयाँ टेबल पर रखीं और दोनों हाथ जोड़कर दामाद को कहाः- "बेटा ! सारी भूल मुझसे हुई है, मुझे क्षमा करो ।"*
     *"क्षमा" शब्द निकलते ही उनके हृदय का प्रेम अश्रु बनकर बहने लगा। दामाद उनके चरणों में गिर गये और अपनी भूल के लिए रो-रोकर क्षमा याचना करने लगे। ससुरजी के प्रेमाश्रु दामाद की पीठ पर और दामाद के पश्चाताप व प्रेममिश्रित अश्रु ससुरजी के चरणों में गिरने लगे।*
    *पिता-पुत्री से और पुत्री अपने वृद्ध पिता से क्षमा माँगने लगी। क्षमा व प्रेम का अथाह सागर फूट पड़ा। सब शांत, चुप, सबकी आँखों से अविरल अश्रुधारा बहने लगी। दामाद उठे और रूपये लाकर ससुरजी के सामने रख दिये। ससुरजी कहने लगेः "बेटा ! आज मैं इन कौड़ियों को लेने के लिए नहीं आया हूँ। मैं अपनी भूल मिटाने, अपनी साधना को सजीव बनाने और द्वेष का नाश करके प्रेम की गंगा बहाने आया हूँ ।*
     *मेरा आना सफल हो गया, मेरा दुःख मिट गया। अब मुझे आनंद का एहसास हो रहा है।"*
    *दामाद ने कहाः- "पिताजी ! जब तक आप ये रूपये नहीं लेंगे तब तक मेरे हृदय की तपन नहीं मिटेगी। कृपा करके आप ये रूपये ले लें।*
     *सेठ जी ने दामाद से रूपये लिये और अपनी इच्छानुसार बेटी व नातियों में बाँट दिये । सब कार में बैठे, घर पहुँचे।*
      *पन्द्रह वर्ष बाद उस अर्धरात्रि में जब माँ-बेटी, भाई-बहन, ननद-भाभी व बालकों का मिलन हुआ तो ऐसा लग रहा था कि मानो साक्षात् प्रेम ही शरीर धारण किये वहाँ पहुँच गया हो।*
    *सारा परिवार प्रेम के अथाह सागर में मस्त हो रहा था। "क्षमा" माँगने के बाद उस सेठ जी के दुःख, चिंता, तनाव, भय, निराशारूपी मानसिक रोग जड़ से ही मिट गये और साधना सजीव हो उठी।*
     *हमें भी अपने दिल में "क्षमा" रखनी चाहिए अपने सामने छोटा हो या बडा अपनी गलती हो या ना हो क्षमा मांग लेने से सब झगडे समाप्त हो जाते है।*

🌹 *क्षमा विरस्यभूषणम*👏🏻
*क्षमा ही मनुष्य का सबसे बड़ा गहना है😊 क्षमा मांगने वाला कभी छोटा नहीं हो जाता परन्तु क्षमा करने वाला बड़ा अवश्य हो जाता है भौतिकता में भी आध्यात्मिकता में भी😊💐 इसलिए अपने अंदर कोई ग्लानि या निंदा क्रोध व द्वेष न रखें इससे मन सदैव दिमाग पर कोई बोझ नहीं रहेगा हमेशा तरोताजा महसूस होगा प्रेममयी तथा प्रसन्नचित्त रहेगा।

कल्याण सिंह नहीं होते तो आज भूमिपूजन भी नहीं होता


जहर पिया कल्याण ने अमृत पिया बीजेपी ने
जब ढांचा टूट रहा था तब कल्याण सिंह 5 कालिदास मार्ग... मुख्यमंत्री आवास की छत पर आराम से जाड़े की धूप सेंक रहे थे... अगर तब कल्याण सिंह नहीं होते तो आज भूमिपूजन भी नहीं होता 

- एक छोटे कद का आदमी... जो दिखने में बहुत सुंदर नहीं था... काला रंग...चेहरे पर दाग... लेकिन संघर्षों में तपा हुआ व्यक्तित्व... ऐसी पर्सनेलिटी की जहां वो पहुंच जाए वहां बड़े से बड़े नेता का कद छोटा हो जाए । व्यक्तित्व की धमक ऐसी बड़े बड़े किरदार बौने दिखने लगें... ऐसे थे कल्याण सिंह 

- कल्याण सिंह ऐसे इसलिए थे क्योंकि उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं था... उनके दिल और दिमाग में कोई अंतर नहीं था... उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा उसूल था... भगवान राम की भक्ति... भगवान राम के प्रति के समर्पण को लेकर उन्होंने कभी कोई समझौता नहीं किया 

- 1990 में लाल कृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए जनसमर्थन इकट्ठा करने का लक्ष्य लेकर राम रथयात्रा निकाली । बिहार में तब लालू यादव मुख्यमंत्री थे और उन्होंने आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया । जिसके बाद राम राथ यात्रा को भारी मात्रा में जनसमर्थन मिल गया और उत्तर प्रदेश में पहली बार बीजेपी की सरकार चुन ली गई जिसके मुख्यमंत्री कल्याण सिंह चुने गए 

- जून 1991 में कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने और इसके बाद राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे विश्व हिंदू परिषद में उत्साह की लहर दौड़ गई और उसने ये घोषणा कर दी कि 6 दिसंबर 1992 को राम मंदिर का निर्माण आरंभ किया जाएगा

- वीएचपी की घोषणा के वक्त मुख्यमंत्री के पद पर कल्याण सिंह थे और प्रदेश की कानून व्यवस्था को संभालने का पूरा जिम्मा कल्याण सिंह पर था । वीएचपी की घोषणा के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव के कान खड़े हो गए और उन्होंने बातचीत के लिए कल्याण सिंह को दिल्ली बुलाया

- कल्याण सिंह से पी वी नरसिम्हा राव ने कहा कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दीजिए लेकिन कल्याण सिंह ने साफ जवाब दिया कि विवाद का एक ही हल है और वो ये कि बाबरी मस्जिद की जमीन हिंदुओं को सौंप दी जाए । इस तरह बात नहीं बनी और केंद्र - राज्य के बीच टकराव तय हो गया

-नरसिम्हा राव ने ऐहतियात बरतते हुए पहले ही केंद्रीय सुरक्षा बल अयोध्या रवाना कर दिए... केंद्रीय सुरक्षा बल अयोध्या के चारों तरफ फैला दिए गए

- 6 दिसंबर तक अयोध्या में राम जन्मभूमि के आस पास 3 लाख कारसेवक इकट्ठे हो गए थे... ऐसे में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन के पास पूरी ताकत थी कि वो कारसेवकों पर गोली चला सकती थी... इससे पहले भी जब मुलायम सिंह यादव की सरकार थी तब मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलवाई थी

- कल्याण सिंह को इस बात का अंदेशा लग गया था कि 6 दिसंबर को कारसेवकों को कंट्रोल करने के लिए उनपर फायरिंग का आदेश कोई भी अधिकारी दे सकता है । इसलिए कल्याण सिंह ने 5 दिसंबर की शाम को ही समस्त अधिकारियों को एक लिखित आदेश जारी किया था और वो ये था कि कोई भी कारसेवकों पर गोली नहीं चलाएगा ।   

- ये फैसला लेना... संवैधानिक पद पर बैठे हुए किसी व्यक्ति के लिए आसान नहीं था । कल्याण सिंह इस बात को जानते थे कि जब वो ये फैसला ले रहे हैं तो अगर अयोध्या में कुछ हो जाता है तो इससे उनकी कुर्सी चली जाएगी... सारी दुनिया उन पर आरोप लगाएगी... ये कहा जाएगा कि कल्याण सिंह एक अराजक मुख्यमंत्री हैं... ये आरोप ही मंदिर आंदोलन का वो विष था... जिसे कल्याण सिंह ने अमृत मानकर पी लिया । 

-आखिर वही हुआ 6 दिसंबर 1992 को दोपहर साढ़े 11 बजे कारसेवक ढांचे को तोड़ने लगे... कल्याण सिंह को पल पल की खबर मिल रही थी.... लेकिन वो आराम से अपने मुख्यमंत्री आवास पर जाड़े की धूप सेंक रहे थे... दिल्ली से फोन घनघना रहे थे लेकिन कल्याण सिंह ने राम भक्ति को प्राथमिकता दी और किसी की कोई बात नहीं सुनी

- केंद्र से गृहमंत्री चव्हाण का फोन आया और उन्होंने कहा कि कल्याण जी मैंने ये सुना है कि कारसेवक ढांचे पर चढ गए हैं तब कल्याण सिंह ने जवाब दिया कि मेरे पास आगे की खबर है और वो ये है कि कारसेवकों ने ढांचा तोड़ना शुरू भी कर दिया है लेकिन ये जान लो कि मैं गोली नहीं चलाऊंगा गोली नहीं चलाऊंगा गोली नहीं चलाऊंगा

- कल्याण सिंह के पूरे व्यक्तित्व और महानता का दर्शन सिर्फ इसी एक लाइन से हो जाता है... कि मैं गोली नहीं चलाऊंगा... मैं गोली नहीं चलाऊँगा... मैं गोली नहीं चलाऊंगा । ढांचा टूट रहा था और केंद्रीय सुरक्षा बल विवादित स्थल पर आने की कोशिश कर रहे थे लेकिन कल्याण सिंह ने ऐसी व्यवस्था करवा दी कि केंद्रीय सुरक्षा बल भी ढांचे तक नहीं पहुंच सके और आखिरकार ढांचा टूट गया... वो कलंक... वो छाती का शूल... वो बलात्कार अनाचार का दुर्दम्य प्रतीक भारत मां की छाती से हटा दिया गया... चारों तरफ हर्ष फैल गया... जन्मभूमि मुक्त हो गई

- नरसिम्हा राव अब कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त करने का फैसला लेने जा रहे थे लेकिन उससे पहले ही शाम साढे 5 बजे कल्याण सिंह राजभवन गए राज्यपाल से मिले और अपना इस्तीफा सौंप दिया... यानी कुर्सी छोड़ दी लेकिन गोली नहीं चलाई... सिंहासन को लात मार दिया और श्री राम की गोद में बैठ गए... श्रीराम के प्यारे भक्त बन गए । ऐसे थे हमारे कल्याण सिंह



- अगर कल्याण सिंह नहीं होते तो शायद किसी और मुख्यमंत्री में ये फैसला लेने की ताकत नहीं होती । कल्याण सिंह ने इसलिए भी गोली ना चलाने का लिखित आदेश दिया ताकि कल को कोई अफसरों को जिम्मेदार नहीं ठहराए । कल्याण सिंह ने कहा कि सारी जिम्मेदारी मेरी है जो करना है वो मेरे साथ करो । सजा  मुझे दो । 

- अगर कल्याण सिंह नहीं होते तो बाबरी नहीं गिरती... अगर बाबरी की दीवारें नहीं गिरतीं तो पुरातत्विक सर्वेक्षण नहीं होता... बाबरी की दीवार के नीचे मौजूद मंदिर की दीवार नहीं मिलती... कोर्ट में ये साबित नहीं हो पाता कि यही रामजन्मभूमि है ।

- उस कलंक के मिटने का जो शुभ कार्य हुआ.... उसका श्रेय स्वर्गीय कल्याण सिंह जी को है... 6 दिसंबर कल्याण सिंह के पॉलिटिकल करियर को कालसर्प की तरह डस गया लेकिन कल्याण सिंह का यश दिग दिगंत में फैल गया । 

- सबसे जरूरी बात अगर कल्याण सिंह ने गोली चलवा दी होती तो बीजेपी और एसपी में कोई फर्क नहीं रह जाता और आज मोदी प्रधानमंत्री भी नहीं होते इसीलिए ये सत्य है कि जहर पिया कल्याण ने अमृत पिया बीजेपी ने ।

मैं उस पुण्य आत्मा को अपने हृदय और आत्मा में मौजूद समस्त ऊर्जा के साथ नमन करता हूं... प्रणाम करता हूं... ईश्वर आपको मोक्ष दे 
ये लेख अपने बच्चों को पढ़ाना... हर ग्रुप में शेयर कर देना 

जय श्री राम।

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