यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 4 सितंबर 2021

जब गोगाजी ने छुड़ाए थे गजनवी के छक्के


जब गोगाजी ने छुड़ाए थे गजनवी के छक्के

  
*गोगाजी और महमूद गजनवी के बीच 1024 ईसवी में युद्ध हुआ।*  उस समय गजनवी सोमनाथ पर आखिरी आक्रमण के लिए जा रहा था।


*जब गोगाजी ने छुड़ाए थे गजनवी के छक्के*
गोगाजी और महमूद गजनवी के बीच 1024 ईसवी में युद्ध हुआ। उस समय गजनवी सोमनाथ पर आखिरी आक्रमण के लिए जा रहा था।

हनुमानगढ़. लोकदेवता के रूप में प्रतिष्ठित ददरेवा के चौहानवंशी शासक गोगाजी  प्रजा वत्सल, गोरक्षक और सांपों के देवता के रूप में तो प्रतिष्ठित एवं पूजित  हैं ही। इसके अलावा शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ की रक्षा के लिए उनका महमूद गजनवी जैसे क्रूर और दुर्दांत आक्रांता की विशाल सेना से मुट्ठी भर परिजनों और सैनिकों के साथ लोहा लेकर *वीर गति पाना* इतिहास की ऐसी घटना है, जिस पर भविष्य में भी गर्व होगा।

लेकिन हरामी सेकुलर लेखकों ने गोगा वीर को गोगा पीर प्रचारित किया ताकि  गजनी से लोहा लेने की हकीकत दबाई जा सके...गोगा जी को सेकुलर साबित करने के लिये उनके पास किसी पीर की कब्र बना दी....

*आज भी मारवाड़ में गोगा नवमी को रक्षा बंधन मनाया जाता है इसका मूलकारण है कि मारवाड़ की बहने अपने भाई को गोगा वीर के समान मानती है कि जिस प्रकार गोगा वीर ने सनातन धर्म व बहन बेटियों की रक्षा के लिये अपना पूरा परिवान   न्योछावर कर दिया, वह प्रेरणा भाई को मिलती रहे....*

गुरु गोरखनाथ की कृपा से उत्पन्न गोगाजी के इष्ट देव सोमनाथ ही थे। गोगा बाबा ने सोमनाथ से शिव लिंग लाकर गोगा गढ़ में उसकी प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी।

 *महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर सत्रह बार आक्रमण किया और वहां से अकूत धन संपदा लूटकर गजनी ले गया।*

गोगाजी और महमूद गजनवी के बीच 1024 ईसवी में युद्ध हुआ। उस समय गजनवी सोमनाथ पर आखिरी आक्रमण के लिए जा रहा था।  पूर्व में मरुस्थली के मस्तक पर उसका रास्ता गोगाजी ने ही रोका। *उस समय गोगाजी ददरेवा के शासक थे। उम्र थी 78 साल। सोमनाथ पर गजनवी के आखिरी आक्रमण के बारे में जिन इतिहासकारों ने लिखा है, उन्होंने गोगाजी और गजनवी के बीच हुए युद्ध का उल्लेख जरूर किया है। गोगाजी और उनकी सेना के लिए यह युद्ध आत्महत्या करने जैसा था। एक तरफ गजनवी की विशाल सेना तो दूसरी तरफ मु_ी भर सैनिक। लेकिन सवाल गोगा बाबा के इष्ट देव के मंदिर को लूटने जा रहे लुटेरे को रोकने का था सो संख्या बल गौण हो गया। वर्तमान में जहां गोगामेड़ी है, वहीं पर *भीषण युद्ध हुआ। इसमें गोगा बाबा सहित उनके 82 पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र और दौहित्र तथा ग्यारह सौ सैनिक वीर गति को प्राप्त हुए।*

जौहर की ज्वाला
गोगाजी के वीर गति पाने के बाद उनके गढ़ की स्थिति का वर्णन भी इतिहासकारों ने किया है। गढ़ का नाम गोगा गढ़ और घोघा गढ़ बताया गया है। *गोगा बाबा के परिवार सहित वीर गति पाने का समाचार गढ़ में पहुंचते ही वहां मौजूद स्त्रियां, युवतियां और किशोरियां जौहर की ज्वाला में समा जाती है। इसी दौरान गजनी की सेना लूटमार के लिए गढ़ में प्रवेश करती है। जौहर की ज्वाला में जीवित मूर्तियों को जलते देख गजनी की सेना भयभीत होकर गढ़ से बाहर भाग जाती है।*

*गोगादेव को विदाई*
 
गजनी के साथ युद्ध में गोगा बाबा वीर गति को प्राप्त होते हैं। गजनी की सेना सोमनाथ पर आक्रमण के लिए मरुस्थली में आगे बढ़ जाती है। गोगा गढ़ में जीवित बचे किसान रणभूमि में आते हैं। चारों तरफ शवों के ढेर पड़े हैं। गिद्ध और गीदड़ शवों को नोच रहे होते हैं। शवों के ढेर में से नंदिदत अपने प्रिय गोगा राणा का शव ढूंढ़ निकालते हैं। उसे पीठ पर लादकर शुद्ध स्थान पर ले जाते हैं और वहीं अंतिम संस्कार कर देते हैं। शेष शवों का अंतिम संस्कार मरुस्थली की रेत डाल कर किया जाता है। कई *इतिहासकार गोगाजी का अंतिम संस्कार किसानों की ओर से किए जाने का उल्लेख करते हैं।* 
*मरुस्थली के वीर किसानों ने लिया गजनी के लुटेरे से लोहा*

द दरेवा से आए किसानों ने गोगाजी का अंतिम संस्कार गोगामेड़ी में उसी जगह किया जहां समाधि बनी हुई है। 

इस जगह पर मंदिर निर्माण की सही तिथि तो ज्ञात नहीं। लोक मान्यता है कि भादरा के पास थेहड़ों से ईंटें लाकर गोगा मेड़ी में मंदिर निर्माण किया गया था। 
विक्रम संवत् 1911 में बीकानेर रियासत के महाराजा गंगासिंह ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया तथा सभी जातियों के जल कुण्डों को निर्माण करवाने के लिए भूमि आवंटित की।



कल्याण सिंह नहीं होते तो आज भूमिपूजन भी नहीं होता


जहर पिया कल्याण ने अमृत पिया बीजेपी ने
जब ढांचा टूट रहा था तब कल्याण सिंह 5 कालिदास मार्ग... मुख्यमंत्री आवास की छत पर आराम से जाड़े की धूप सेंक रहे थे... अगर तब कल्याण सिंह नहीं होते तो आज भूमिपूजन भी नहीं होता 

- एक छोटे कद का आदमी... जो दिखने में बहुत सुंदर नहीं था... काला रंग...चेहरे पर दाग... लेकिन संघर्षों में तपा हुआ व्यक्तित्व... ऐसी पर्सनेलिटी की जहां वो पहुंच जाए वहां बड़े से बड़े नेता का कद छोटा हो जाए । व्यक्तित्व की धमक ऐसी बड़े बड़े किरदार बौने दिखने लगें... ऐसे थे कल्याण सिंह 

- कल्याण सिंह ऐसे इसलिए थे क्योंकि उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं था... उनके दिल और दिमाग में कोई अंतर नहीं था... उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा उसूल था... भगवान राम की भक्ति... भगवान राम के प्रति के समर्पण को लेकर उन्होंने कभी कोई समझौता नहीं किया 

- 1990 में लाल कृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए जनसमर्थन इकट्ठा करने का लक्ष्य लेकर राम रथयात्रा निकाली । बिहार में तब लालू यादव मुख्यमंत्री थे और उन्होंने आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया । जिसके बाद राम राथ यात्रा को भारी मात्रा में जनसमर्थन मिल गया और उत्तर प्रदेश में पहली बार बीजेपी की सरकार चुन ली गई जिसके मुख्यमंत्री कल्याण सिंह चुने गए 

- जून 1991 में कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने और इसके बाद राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे विश्व हिंदू परिषद में उत्साह की लहर दौड़ गई और उसने ये घोषणा कर दी कि 6 दिसंबर 1992 को राम मंदिर का निर्माण आरंभ किया जाएगा

- वीएचपी की घोषणा के वक्त मुख्यमंत्री के पद पर कल्याण सिंह थे और प्रदेश की कानून व्यवस्था को संभालने का पूरा जिम्मा कल्याण सिंह पर था । वीएचपी की घोषणा के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव के कान खड़े हो गए और उन्होंने बातचीत के लिए कल्याण सिंह को दिल्ली बुलाया

- कल्याण सिंह से पी वी नरसिम्हा राव ने कहा कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दीजिए लेकिन कल्याण सिंह ने साफ जवाब दिया कि विवाद का एक ही हल है और वो ये कि बाबरी मस्जिद की जमीन हिंदुओं को सौंप दी जाए । इस तरह बात नहीं बनी और केंद्र - राज्य के बीच टकराव तय हो गया

-नरसिम्हा राव ने ऐहतियात बरतते हुए पहले ही केंद्रीय सुरक्षा बल अयोध्या रवाना कर दिए... केंद्रीय सुरक्षा बल अयोध्या के चारों तरफ फैला दिए गए

- 6 दिसंबर तक अयोध्या में राम जन्मभूमि के आस पास 3 लाख कारसेवक इकट्ठे हो गए थे... ऐसे में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन के पास पूरी ताकत थी कि वो कारसेवकों पर गोली चला सकती थी... इससे पहले भी जब मुलायम सिंह यादव की सरकार थी तब मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलवाई थी

- कल्याण सिंह को इस बात का अंदेशा लग गया था कि 6 दिसंबर को कारसेवकों को कंट्रोल करने के लिए उनपर फायरिंग का आदेश कोई भी अधिकारी दे सकता है । इसलिए कल्याण सिंह ने 5 दिसंबर की शाम को ही समस्त अधिकारियों को एक लिखित आदेश जारी किया था और वो ये था कि कोई भी कारसेवकों पर गोली नहीं चलाएगा ।   

- ये फैसला लेना... संवैधानिक पद पर बैठे हुए किसी व्यक्ति के लिए आसान नहीं था । कल्याण सिंह इस बात को जानते थे कि जब वो ये फैसला ले रहे हैं तो अगर अयोध्या में कुछ हो जाता है तो इससे उनकी कुर्सी चली जाएगी... सारी दुनिया उन पर आरोप लगाएगी... ये कहा जाएगा कि कल्याण सिंह एक अराजक मुख्यमंत्री हैं... ये आरोप ही मंदिर आंदोलन का वो विष था... जिसे कल्याण सिंह ने अमृत मानकर पी लिया । 

-आखिर वही हुआ 6 दिसंबर 1992 को दोपहर साढ़े 11 बजे कारसेवक ढांचे को तोड़ने लगे... कल्याण सिंह को पल पल की खबर मिल रही थी.... लेकिन वो आराम से अपने मुख्यमंत्री आवास पर जाड़े की धूप सेंक रहे थे... दिल्ली से फोन घनघना रहे थे लेकिन कल्याण सिंह ने राम भक्ति को प्राथमिकता दी और किसी की कोई बात नहीं सुनी

- केंद्र से गृहमंत्री चव्हाण का फोन आया और उन्होंने कहा कि कल्याण जी मैंने ये सुना है कि कारसेवक ढांचे पर चढ गए हैं तब कल्याण सिंह ने जवाब दिया कि मेरे पास आगे की खबर है और वो ये है कि कारसेवकों ने ढांचा तोड़ना शुरू भी कर दिया है लेकिन ये जान लो कि मैं गोली नहीं चलाऊंगा गोली नहीं चलाऊंगा गोली नहीं चलाऊंगा

- कल्याण सिंह के पूरे व्यक्तित्व और महानता का दर्शन सिर्फ इसी एक लाइन से हो जाता है... कि मैं गोली नहीं चलाऊंगा... मैं गोली नहीं चलाऊँगा... मैं गोली नहीं चलाऊंगा । ढांचा टूट रहा था और केंद्रीय सुरक्षा बल विवादित स्थल पर आने की कोशिश कर रहे थे लेकिन कल्याण सिंह ने ऐसी व्यवस्था करवा दी कि केंद्रीय सुरक्षा बल भी ढांचे तक नहीं पहुंच सके और आखिरकार ढांचा टूट गया... वो कलंक... वो छाती का शूल... वो बलात्कार अनाचार का दुर्दम्य प्रतीक भारत मां की छाती से हटा दिया गया... चारों तरफ हर्ष फैल गया... जन्मभूमि मुक्त हो गई

- नरसिम्हा राव अब कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त करने का फैसला लेने जा रहे थे लेकिन उससे पहले ही शाम साढे 5 बजे कल्याण सिंह राजभवन गए राज्यपाल से मिले और अपना इस्तीफा सौंप दिया... यानी कुर्सी छोड़ दी लेकिन गोली नहीं चलाई... सिंहासन को लात मार दिया और श्री राम की गोद में बैठ गए... श्रीराम के प्यारे भक्त बन गए । ऐसे थे हमारे कल्याण सिंह



- अगर कल्याण सिंह नहीं होते तो शायद किसी और मुख्यमंत्री में ये फैसला लेने की ताकत नहीं होती । कल्याण सिंह ने इसलिए भी गोली ना चलाने का लिखित आदेश दिया ताकि कल को कोई अफसरों को जिम्मेदार नहीं ठहराए । कल्याण सिंह ने कहा कि सारी जिम्मेदारी मेरी है जो करना है वो मेरे साथ करो । सजा  मुझे दो । 

- अगर कल्याण सिंह नहीं होते तो बाबरी नहीं गिरती... अगर बाबरी की दीवारें नहीं गिरतीं तो पुरातत्विक सर्वेक्षण नहीं होता... बाबरी की दीवार के नीचे मौजूद मंदिर की दीवार नहीं मिलती... कोर्ट में ये साबित नहीं हो पाता कि यही रामजन्मभूमि है ।

- उस कलंक के मिटने का जो शुभ कार्य हुआ.... उसका श्रेय स्वर्गीय कल्याण सिंह जी को है... 6 दिसंबर कल्याण सिंह के पॉलिटिकल करियर को कालसर्प की तरह डस गया लेकिन कल्याण सिंह का यश दिग दिगंत में फैल गया । 

- सबसे जरूरी बात अगर कल्याण सिंह ने गोली चलवा दी होती तो बीजेपी और एसपी में कोई फर्क नहीं रह जाता और आज मोदी प्रधानमंत्री भी नहीं होते इसीलिए ये सत्य है कि जहर पिया कल्याण ने अमृत पिया बीजेपी ने ।

मैं उस पुण्य आत्मा को अपने हृदय और आत्मा में मौजूद समस्त ऊर्जा के साथ नमन करता हूं... प्रणाम करता हूं... ईश्वर आपको मोक्ष दे 
ये लेख अपने बच्चों को पढ़ाना... हर ग्रुप में शेयर कर देना 

जय श्री राम।

बच्छ-बारस पर थोड़ा-सा आत्म-मन्थन



(बच्छ-बारस पर थोड़ा-सा आत्म-मन्थन)
"नन्दिनी! आज तो बड़ी चमक रही हो! पीली साड़ी में सज-धज कर कहाँ से आ रही हो? और वो भी इतनी सुबह-सुबह!" पास में रहने वाली सुरभी सजी-धजी नन्दिनी को देख कर पूछ बैठी।
"अरे हाँ! आज हमारे यहाँ बच्छ-बारस की पूजा होती है। तो मैं भी सुबह जल्दी ही तैयार हो कर शहर की गोशाला गई थी, बछड़े और गाय की पूजा करने।"
"हो गई पूजा अच्छे से!"
"नहीं" चिढ़े हुए स्वर में नन्दिनी बोली।
"क्यूँ? क्या गोशाला में भी गाय-बछड़े नहीं मिले?" सुरभी को आश्चर्य हुआ।
"नहीं सुरभी! गायें तो वहाँ पर बहुत थी, पर‐‐‐‐"
"पर क्या नन्दिनी! तुम्हारा तो नाम भी कामधेनु की बेटी के नाम पर ही रखा हुआ है। तुम्हारी ही कामना अधूरी रह गई, ऐसा कैसे!" सुरभी ने चुटकी ली।
"अब क्या बताऊँ तुम्हें सुरभी!" हताशा भरे स्वर में नन्दिनी बोली।
"अरे, वही बता जो हुआ है। मुझे बहुत अचरज हो रहा है कि गायें होने पर भी तुम पूजा कर के क्यों नहीं आई।"
पूरी बात बताने के लिए नन्दिनी सुरभी के घर की सीढ़ियों पर थाली रख कर बैठ गई और लम्बी साँस छोड़ते हुए बोलने लगी। 
"आज सुबह तो मैं बड़ी जल्दी उठी। सुबह से क्या कल रात से ही शादी के बाद की पहली बच्छ-बारस की तैयारी कर रही हूँ। रात में ही बाजरे का आटा ले कर आई, तैयार भीगे हुए मूंग-मोठ भी लाई, साड़ी-गहने सभी रख कर सोई ताकि जल्दी से पूजा कर पाऊँ। गोशाला भी समय पर पहुँच गई। वहाँ और भी कई परिवार आए हुए थे पूजा के लिए। पर वहाँ पहुँच कर पता चला कि गोशाला प्रबन्धक कुछ लोगों को तो पूजा के लिए द्वार खोल कर आगे भेज रहा था और कुछ को लौट जाने को कह रहा था। जब हमारी बारी आई तो पता चला कि जिन लोगों ने भी चमड़े का बना कोई भी सामान पहना था, उनसे कहा जा रहा था कि चमड़ा त्याग कर प्रतिज्ञा करें कि भविष्य में कोई भी चमड़े की वस्तु नहीं खरीदेंगे।"
"अरे! ये क्या बात हुई? चमड़े के सामान का पूजा से क्या सम्बन्ध?" जिज्ञासा भरी सुरभी पूछ बैठी।
"ये ही मैंने भी पूछा उन अंकल से, तो उन्होंने लम्बा-सा भाषण ही दे दिया।"
"बेटा जी! ये चमड़ा इसी गो और उसके अजन्मे बच्चे को 200 डिग्री के गर्म पानी के फव्वारे के नीचे रख, आधा गला छुरी से काट कर अर्द्ध-मृत स्थिति में ही उसकी खाल उधेड़ कर प्राप्त किया जाता है। उसी से ये सब बनता है। बालों को बान्धने का बैण्ड, कलाई घड़ी का बेल्ट, जैकेट, जूते, पर्स वगैरह।"
नन्दिनी आगे बोली "मैंने तो तपाक से कह दिया - क्या अंकल! आप भी बिना सिर-पैर की बातें कर रहे हो। ना तो ऐसा कहीं कुछ होता है और ना ही हम ऐसा कुछ करने के लिए किसी को कहते हैं। अगर ऐसा होता भी हो तो हम क्या कर सकते हैं! लेकिन वो अंकल भी कहाँ मानने वाले थे। फिर शुरू हो गए।" 
"बेटा, आप पूरी बात बताने पर भी समझे नहीं हो तो मैं जो कह रहा हूँ उस विषय में इन्टरनेट पर पढ़ सकते हो। बिजली के खुले तार पर हाथ चाहे जान-बूझकर रखो या भूल से, झटका तो लगेगा ही। आप ने तो नहीं कहा, लेकिन जब आप खरीदने जाते हो और बिक्री बढ़ती है तो बेचने वाला भी बार-बार इन मूक गायों को अधिक से अधिक वध करने लगता है। माँग और पूर्ति का नियम तो समझते हो ना! जितना खरीदोगे उतना ही बिकेगा और तुम भी उस पाप के भागीदार बनोगे।"
नन्दिनी झुंझला कर बोली "मेरे तो कान ही पक गए उनकी बातें सुन-सुन कर। मैंने भी कह दिया क्या बात करते हैं अंकल! हम कहाँ से पाप से भागीदार हो गए? पर अंकल तो मानने को ही तैयार नहीं।"
"इन सब से बचने के लिए किसी एक को तो आगे आना ही होगा। आप बच्छ-बारस का त्यौहार मनाते हो, किन्तु इसकी गहराई समझे बिना। ये त्यौहार इसलिए मनाया जाता है ताकि गो सम्वर्द्धन हो सके। बछड़े हृष्ट-पुष्ट हो सके। धरती की धुरी, धर्म की आत्मा, कान्हा की आस्था, शिव का वाहन, स्वर्ग की समृद्धि का आधार कामधेनु, राजा राम के पूर्वजों को वंशज देने वाली पूजित कामधेनु पुत्री नन्दिनी-सुरभी आदि गोमाता को सनातन धर्म में इसीलिए इतना महत्व दिया गया है। दुर्भाग्य से ये सब हम ने हमारे बच्चों से साझा ही नहीं किया और ये ज्ञान आगे नहीं पहुँचा। इसीलिए आज बच्छ-बारस के इस शुभ अवसर पर मैंने सोचा कि ये जन-जागृति लाऊँ और गो-सम्वर्द्धन की लम्बी-मजबूत जंजीर के लिए एक कड़ी बनूँ।"
सुरभी चकित सुन ही रही थी कि नन्दिनी फिर से भनभनाती हुई बोली "अब तो मैंने हाथ जोड़ दिया। मैं बोली रूकिये अंकल, बहुत हो गया आपका प्रवचन। ये सब बातें मेरी समझ के बाहर हैं। आप तो यूँ कह रहे हो जैसे काई महाराज कथा-वाचन कर रहे हो। ये सब चीज़ें फेंकना या भविष्य में न खरीदना तो सम्भव नहीं है। आप तो ये बताओ कि हम पूजा कर सकते हैं या नहीं। पर अंकल तो अंकल हैं। जाते-जाते और ज्ञान ढोल गए।"
"यहाँ तो नहीं कर सकते हो मैडम। हाँ, शहर में एक जगह गोवध होता है, वहीं चले जाओ। पूजा भी कर लेना और लौटते हुए कुछ चमड़े की वस्तुएँ भी खरीद लेना।"
ठण्डी आँह भरते हुए नन्दिनी बोली "मैं भी वहाँ से आ गई। और रास्ते में मैंने मम्मी से बात कर ली। मम्मी ने भी कहा कि कोई सनकी बूढ़ा होगा। मम्मी ने मुझे सही युक्ति सुझाते हुए कहा कि तू तो घर पर ही मेरी दी हुई चाँदी की गाय की पूजा कर के व्रत पूरा कर लेना। अब मैं जाती हूँ, बहुत भूख लगी है।"
हतप्रभ सुरभी नन्दिनी को जाते हुए देखती रह गई।

रविवार, 29 अगस्त 2021

सांवरिया की तरफ से सभी कृष्ण भक्तो और देशवासियों को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

सांवरिया की तरफ से सभी कृष्ण भक्तो और देशवासियों को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं


नन्द के आनन्द भयो जय यशोदा लाल की......

मेरे लिए मेरे नायक, नेता, मार्गदर्शक, ईश्वर
सबकुछ श्री कृष्ण है।
मैं उनके लिए क्या सोचता हूं। दो शब्द......

कृष्ण एक बहुत नटखट बच्चे हैं। वे एक बांसुरी वादक हैं और बहुत अच्छा नाचते भी हैं। वे अपने दुश्मनों के लिए भयंकर योद्धा हैं। कृष्ण एक ऐसे अवतार हैं जिनसे प्रेम करने वाले हर घर में मौजूद हैं। वे एक चतुर राजनेता और महायोगी भी हैं। वो एक सज्जन पुरुष हैं, और ऐसे अवतार हैं जो जीवन के हर रंग को अपने भीतर समाए हुए हैं।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आपको औऱ आपके परिवार को 
मेरे और मेरे परिवार की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं..........🙏🙏🙏🙏🙏
www.sanwariya.org
www.sanwariyaa.blogspot.com

इन बीमारियों में से किसी भी बीमारी से कोई परेशानी में हो, पीड़ित हो तो तुरंत संपर्क किजिए


💁‍♀️सभी बीमारियों का दुश्मन* इस करोना जैसी महामारी मे बच्चे और हर उम्र के महिला पुरुष के लिये रामबाण सजिवनी बूटी  👇👉धूम मची है प्रोडक्ट्स की👇


💁‍♀️नीचे लिखे बीमारियों में से किसी भी बीमारी से कोई परेशानी में हो, पीड़ित हो और आप उन्हें स्वस्थ, खुशहाल देखना चाहते हैं तो तुरंत  संपर्क किजिए सभी जानकारी जरूर करें...👇

👉 ट्रेन्थ बुस्टर ,सेक्स बुस्टर, स्टेमिना बूस्टर विटिलिटि बुस्टर, हुमिनिटि मेन्स वुमेन पावर फूड (बात )हड्डियों के दर्द और पेट के विकार 

हर प्रकार की बिमारीयो को ठीक भी करेगा और बीमारिया होने से बचायेगा 


 
💁‍♀️हमारे  प्रोडक्ट  100 से ज्यादा बीमारियों को ठीक करने में सहयोग करते  है जैसे:- करोना से कमजोरी, पेटसाफ़ा  शुगर (मधुमेह), ब्लड प्रेशर (B.P.), हृदय रोग, कोलेस्ट्रॉल, कैंसर, दमा, अस्थमा  पैरालिसिस, मोटापा कम करने ,ऊचाई बडाणे, थाइरोइड, माइग्रेन, थकान, संधिवात, आर्थराइटिस, गठिया, जोड़ों का दर्द, कमर में दर्द, बदन दर्द, कमजोर हड्डियां, हड्डियों का पतला होना , ऑस्टिओपोरोसिस, सेक्सुअल समस्या, नपुसंकता, फर्टिलिटी, वीर्य संख्या बढाने में सहायक, गैंग्रीन, पुराना घाव, सर्विकल , मोटापा, त्वचा / चर्म रोग, सोराइसिस,एलर्जी, नासूर, किडनी/पथरी, बवासीर/फिशर, अलसर, एसिडिटी, गैस्ट्रायटिस, कोलाइटिस, श्वसन और पाचन सम्बंधित रोग, एंटी एजिंग, झुर्रिया कम करना, एकाग्रता, डिटॉक्सीफिकेशन, ऊर्जा, ताकत और सहनशक्ति को बढ़ाता है, यूरिक एसिड का बढ़ना, मिर्गी, लीवर से जुडी कोई भी परेशानी, अनिद्रा, अनीमिया (खून की कमी) , मानसीक तनाव, धूम्रपान - तम्बाकू वालो के लिए, कामकाजी लोगों के लिए, शराब पिने वालों के लिए, अल्ज़ाइमर, पार्किंसंस डिसीज, खांसी, प्रोस्टेट, साईनस, पेट में गैस बनना, पैर के तलवे मे जलन, आखों से संबंधित रोग , साइटिका, धात, स्वेद प्रदर, मlसिक धर्म (M.C.) अनियमितता, फाइलेरिया, बालों का झड़ना, प्रजनन क्षमता, पागलपन, कमजोर याददाश्त 
 

👉 *No Side Effects*


💁‍♀️बीमारी को बखूबी से धिरे धीरे ठीक करता है और सारी बीमारियों से दूर भी रखता है............ 
जी हा मित्रो उरोक्त सभी औषधी गुणों से परिपूर्ण है 
💁‍♀️यह पुर्णतः आयुर्वेदिक है और किसी भी प्रकार के नुकसान रहित है।
अब तक 
💁‍♀️* हजारों परिवारों के सम्बंध और हेल्थ को मधुर बनाने में कामयाब रहा है।

 💁‍♀️शारारिक शक्ति -वर्धक भी है,

100+ बीमारियों की रोकथाम कर करता है.....पहले इस्तेमाल करे फिर विश्वास करे,

👉*जोरदार प्रोडक्ट,जोरदार रिज़ल्ट,जोरदार इन्कम,स्टॉकिस्ट, डिलर ,शॉपिं के लिये 
संपर्क करे।

👉*सभी प्रोडक्ट्स* के *नियमित सेवन से आप 100% अपने आपको ज़िंदगी भर फिट तथा स्वस्थ रख सकते हैं---*
👉ऐसे ही कुछ प्रोडक्ट्स मार्केट मे 3000 से 6000 तक बेच रहे है यह आपको बहुत कम दामों में मानव उपलब्ध है,
और जानकारी 

और प्रोडक्ट्स ऑर्डर के लिए कॉल या वाटसप कर डिटेल्स लीजिये 
9352174466
9414129498(calling)

हमारे प्रॉडक्ट यहां देखे 

for order Telegram link
https://t.me/p4dukan

for order online 
https://d-p4shop.dotpe.in 

facebook page 
https://www.facebook.com/p4digitalambulance/
 
व्हाट्सएप पर नए product ki जानकारी प्राप्त करने के लिए
व्हाट्सएप करे 
just whatsapp on 9352174466

Whatsapp link https://wa.me/message/MGAXBXAZ7MHOG1

💁‍♂इसे हर बिमार तक पहुँचाने के लिए शेयर करे, करोना काल मे परिवारो भविष्य मे सुखरुप हो, आओ मानव कल्यान योगदान दे 
🤝🤝धन्यवाद



function disabled

Old Post from Sanwariya