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सोमवार, 13 सितंबर 2021

किन -किन धातुओं को मिलाकर चुंबक बनाते हैं?

लौह और निकल युक्त क्रोड के कारण हमारी धरती भी चुम्बकीय गुणों युक्त है।


प्राकृतिक रूप से चुम्बकीय गुणों युक्त लोहे का एक खनिज मेग्नेटाइट, जिसे लोडस्टोन भी कहते हैं, प्रथम ज्ञात चुम्बकीय पदार्थ था। साधारण मेग्नेटाइट चुम्बकीय गुणों युक्त नहीं रह पाता। किन्तु, मेग्हेमाइट (cubic

) युक्त मेग्नेटाइट (

) जिसमें टाइटेनियम, अल्युमीनियम और मैंग्नीज के आयनों की अशुद्धि है, स्थायी चुम्बकत्व वाले लोडस्टोन में मिलते हैं। ईसा पूर्व छठी शताब्दी के ग्रीक दार्शनिक थालेस ऑफ मिलेतुस (Thales of Miletus) को चुम्बकीय गुणों का वर्णन करने वाला पहला व्यक्ति मानते हैं। भारत में भी चुम्बक का विवरण लगभग इतना ही पुराना है। चौथी सदी ईसा पूर्व में चीन के साहित्य में भी इसका विवरण मिलता है। तथा चीन में ही ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में दिक्सूचक के रूप में लोडस्टोन का प्रयोग किया गया।

उत्तरी अमेरिका की ओल्मेक सभ्यता में चुम्बक के प्रयोग के प्राचीनतम प्रमाण मिलते हैं। यह लोडस्टोन

(लोहे और टाइटेनियम के अयस्क) से बना था।

लगभग सभी चुम्बकीय द्रव्यों का एक तापमान (जिसे क्यूरी तापमान कहते हैं — पियरे क्यूरी के सम्मान में) से अधिक तापमान पर स्थाई चुम्बकीय गुण समाप्त हो जाता है।


वर्तमान समय में स्थाई चुम्बकीय गुणों वाले अनेक द्रव्य हैं। इनमें प्रमुख हैं :

१. अल्निको (Alnico)

अल्युमिनियम, निकल तथा कोबाल्ट की मिश्र-धातु। इसमें ८–१२% Al (अल्युमिनियम), १५–२६% Ni (निकल), ५–२४% Co (कोबाल्ट), ०-६% Cu (ताम्र), ०-१% Ti (टाइटेनियम), तथा शेष Fe (लौह) होता है। इस मिश्रधातु से बने चुम्बकों से शक्तिशाली स्थाई चुम्बक १९७० के उपरान्त ही बन पाए।पहली माइक्रोवेव ओवन में अल्निको चुम्बक ही काम में लिए गए।

२. फैराइट

यह एक प्रकार का सैरामिक पदार्थ है। इसमें आयरन ऑक्साइड (

, जंग) में कम मात्रा में स्ट्रोंसियम (strontium), बेरियम (barium), मैंग्नीज (manganese), निकल (nickel), तथा यशद (zinc) में से एक या अधिक धातुओं के साथ मिला कर पकाया जाता है। यह विद्युत के कुचालक हैं, अतः इनका उपयोग ट्रांसफार्मर, विद्युत मोटर आदि में किया जाता है।

स्ट्रोंसियम तथा बेरियम के फैराइट विद्युत उपकरणों में सामान्यतः प्रयोग किए जाते हैं।

३, समेरियम-कोबाल्ट चुम्बक (samarium–cobalt (SmCo))

इन्हें १९६० में विकसित किया गया। समेरियम तथा कोबाल्ट १:५ अथवा २:१७ में मिश्रित किए जाते हैं। इन्हे हैडफोन, उच्च श्रेणी की विद्युत मोटरों, टर्बो उपकरणों आदि में प्रयोग किया जाता है।

४. नियोडियम चुम्बक

१९८४ में नियोडियम चुम्बक बनाए गए जोकि सर्वाधिक शक्तिशाली चुम्बकीय गुणों युक्त हैं। यह नियोडियम (Nd), लौह (Fe) तथा बोरोन (B) का २:१४:१ मोलर अनुपात की मिश्रधातु है। यह कम्प्यूटर हार्डडिस्क, शक्तिशाली छोटे जनरेटर आदि में प्रयोग आते हैं। इनमें सरलता से जंग लगती है, अतः इनपर अन्य पदार्थों का लेप लगाया जाता है।


यहाँ स्थाई चुम्बकीय गुणों वाले कुछ द्रव्यों का उल्लेख दिया गया है, जिन्हें अधिक से कम क्यूरी तापमान के आधार पर क्रम में सजाया गया है:

पदार्थ क्यूरी-ताप (॰ काल्विन)

Co (कोबाल्ट धातु) — १३८८॰

Fe (लौह) — १०४३॰

(फैरस-फैरिक ऑक्साइडों का मिश्रण) — ८५८॰

(निकल-फैरिक ऑक्साइडों का मिश्रण) — ८५८॰

(क्युप्रस-फैरिक ऑक्साइडों का मिश्रण) — ७२८॰

(मेग्नीशियम-फैरिक ऑक्साइडों का मिश्रण) — ७१३॰

MnBi (मैंग्नीज-बिस्मथ मिश्रधातु) — ६३०॰

Ni (निकल) — ६२७॰

MnSb (मैंग्नीज-स्टैबियम मिश्रधातु) — ५८७॰

(मैंग्नीज-फैरिक ऑक्साइडों का मिश्रण) — ५७३॰

(यिट्रियम आक्साइड-फैरस पेन्टाक्साइड) — ५६०॰

(क्रोमियम ऑक्साइड) — ३८६॰

MnAs (मैंग्नीज-आर्सेनिक मिश्रधातु) — ३१८॰

Gd (गैडेलियम धातु) — २९२॰

सिद्धान्ततः इन सभी पदार्थो के सामान्य ताप पर आकर्षित करने वाले स्थाई चुम्बक बनाए जा सकते हैं।


इनके अतिरिक्त कुछ पदार्थ विद्युत चुम्बकीय होते हैं। तथा कुछ अस्थाई रूप से चुम्बकीय, इनके चुम्बकीय गुण शीघ्रतापूर्वक समाप्त हो जाते हैं।


वास्को दा गामा ने भारतीय नाविकों के चुम्बकीय दिक्सूचक यंत्रों के प्रयोग का विवरण दिया है।

भारतीय परम्परा में चुम्बक को कान्तलोह भी कहा गया है।

नागार्जुन कृत रसरत्नाकर, रसरत्नसमुच्चय, सोमदेव कृत रसेन्द्रचुडामणि, भावप्रकाश आदि ग्रंथों में कान्तलोह अथवा चुम्बक का विवरण दिया है। यह ग्रंथ नवीं से सोलहवीं शताब्दी के मध्य लिखे गए हैं।

चुम्बक का विवरण रसेन्द्रचूडामणि: (सोमदेव रचित) में इस प्रकार किया गया है :

कान्तलोहं चतुर्धोक्तं रोमकं भ्रामकं तथा ।
चुम्बकं द्रावकं चेति तेषु श्रेष्ठं परं परम् ॥ १४.८८ ॥

विन्ध्याद्रौ चुम्बकाश्मानश्चुम्बन्त्यायसकीलकम् ।
क्षिप्रं समाहरत्येव यूनां चित्तमिवाङ्गना ॥ १४.९१ ॥

आयुर्वेदप्रकाशः में

अथ द्वितीयोऽध्याय: ॥ अथोपरसा कथ्यन्ते । गन्धो हेिङ्गुलमभ्रतालकशिलाः स्रोतोञ्जनं टङ्कणं राजावर्तकचुम्बकौ च स्फटिका शङ्खः खटी गैरिकम् । कासीसं रसकं कपर्दसिकताबोलाश्व कडुष्ठक सौराष्ट्री च मता अमी उपरसाः स्रुतस्य केिचिद्गुणैः । तुल्याः स्युर्यदि ते वेिशोध्य विधिना संसाधिताः सेवितास्तत्तद्रोगह्वरानुपानसहितैर्योगैश्चिरायुःप्रदाः ॥ १ ॥

अथ चुम्बक: । स तु पाषाणजाति: । उक्तं च कान्तलोहाश्मभेदाः स्युधुम्बकभ्रामकादय: । चुम्बक: कान्तपाषाणोऽवँस्कान्तो लोह्वकर्षकः ॥ ११ ॥

भावप्रकाशः के पूर्वखण्ड में भावप्रकाशनिघण्टुः के धातूपधातुरसोपरसरत्नोपरत्नविषोपविषवर्गः (धातु, उपधातु रसों तथा रसरत्नों, विष तथा उपविष वर्ग) में

चुम्बकः कान्तपाषाणोऽयस्कान्तो लौहकर्षकः

चुम्बको लेखनः शीतो मेदोविषगरापहः १४५



स्रोत — हिन्दी तथा अंग्रेजी विकिपीडिया

आखिर यह डार्क वेब क्या बला है ?


डार्क वेब से सामान्य लोग अनजान बने रहें यही उनके लिए अच्छा है क्यों? क्योंकि यह जगह उनके लिए है ही नहीं, यह तो लॉ एनफोर्समेंट एजेंसीज़, जासूस, हैकर इत्यादि लोगों के लिए है। यहाँ जो काम होते हैं उनसे सामान्य जन का कोई सरोकार नहीं होता।

डार्क वेब क्या है यह जानने के पहले कुछ बातें पता होनी चाहिए। इंटरनेट पर जितना भी डाटा संग्रहित है उसे सामान्यतः तीन भागों में विभाजित किया गया है जिनके नाम इस प्रकार हैं -

सरफेस वेब, डीप वेब और डार्क वेब

चलिए तीनों के बारे में संक्षेप में जानते हैं

सरफेस वेब - दैनिक जीवन में हम इंटरनेट पर सर्च इंजन के माध्यम से जो भी काम करते हैं जैसे-कि ऑनलाइन खरीदी करना, कोरा पर प्रश्न करना उनके उत्तर पढ़ना, यह सारे क्रियाकलाप सरफेस वेब पर हो रहे होते हैं। माना जाता है कि वेब का ४% भाग ही सरफेस वेब कहलाता है।

डीप वेब - सभी प्रकार के डेटाबेस जो डाटा स्टोर करते हैं वह सब डीप वेब का भाग होता है इसे केवल अधिकृत लोग ही एक्सेस कर सकते हैं।

डार्क वेब - डीप वेब के अंतर्गत ही एक छिपी हुई दुनिया है इसे हम इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड कह सकते हैं। इसको डार्क वेब इसीलिए कहते हैं क्योंकि यहाँ काले काम होते हैं, काले काम जैसे-कि मानव तस्करी, नशीले पदार्थों की खरीद-बिक्री, अवैध हथियारों की खरीद-बिक्री, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के लिए कॉन्ट्रैक्ट लेने-देने इस प्रकार के काम यहाँ होते हैं। हैकर लोग जो डेटा चुराते हैं उसको वे डार्क वेब पर ही बेचते हैं और कुछ लोग हैं जो यह डेटा खरीदते भी हैं।

हम दैनिक जीवन में हम गूगल क्रोम, माइक्रोसॉफ्ट एज, फायरफॉक्स इत्यादि वेब ब्राउज़र्स का उपयोग करते हैं इनके द्वारा डार्क वेब पर मौजूद वेबसाइट्स को एक्सेस नहीं किया जा सकता इसके लिए हमें विशेष सॉफ्टवेयर्स की आवश्यकता होती है जैसे-कि tor ब्राउज़र।

डार्क वेब पर सामान्य लोगों का जाना कितना खतरनाक है

डार्क वेब का एक्सेस करने के लिए आपको किसी की अनुमति नहीं टेक्नोलॉजी चाहिए होती है। टेक्नोलॉजी जो आपको इंटरनेट की इस अँधेरी दुनिया में ले जाए और सुरक्षित भी रखे। सामान्य सर्च इंजन जैसे-कि गूगल; याहू; बिंग; डक डक गो इत्यादि और वेब ब्राउज़र यथा- क्रोम; एज; मोजिला इत्यादि डार्क वेब का एक्सेस नहीं दे सकते क्योंकि यहाँ उपस्थित वेबसाइट्स का डोमेन .com न होकर .onion होता है, जिन्हें एक्सेस करने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर बनाए गए हैं जिनमें से एक तो है टोर, द अनियन राऊटर ( इस पर एक अलग से उत्तर लिख रहा हूँ, बहुत ही जल्द आपको पढ़ने को मिलेगा )

डार्क वेब में स्वयं को सुरक्षित रखना अति आवश्यक है क्योंकि डार्क वेब वह जगह है जहाँ हर प्रकार के अवैध काम होते हैं, हो सकता है जब आप डार्क वेब की सैर पर हों तो वहां आप स्वयं को डिस्काउंट रेट पर बिकते हुए देखें। कहने का तात्पर्य है कि बुरे हैकर्स लोगों से उनका निजी डाटा चुराकर डार्क वेब पर बेचने के लिए डाल देते हैं और लोग इसे खरीदते भी हैं।

डार्क वेब पर जाना खतरे से खाली नहीं होता यहाँ हानिकारक सॉफ्टवेयर की भरमार होती है जो वेबपेजेस के पीछे छिपे होते हैं, गलती से आपने किसी ऐसे पेज पर क्लिक कर दिया तो वह मैलवेयर आपके सिस्टम में प्रवेश कर सकता है।

यहाँ यदि आपने सावधानी नहीं रखी तो आपकी पहचान चोरी हो सकती है, इसीलिए यहाँ जाने के लिए छद्म नाम चाहिए होता है।


वैसे भी आम आदमी को डार्क वेब में जाने की क्या आवश्यकता! यह तो हैकर; लॉ इंफोर्स्मेंट एजेंसी; जासूस और अपराधियों इत्यादि के लिए है। सरफेस वेब में ही बहुत सारा कंटेंट भरा पड़ा है उसका आनंद लीजिए।

चित्र स्रोत [1]

फुटनोट

मोदी निजीकरण करके देश बेच रहे हैं।


आप सुबह उठकर चप्पल पहनते हैं। वह निजी कम्पनी ने बनाया है।

फिर वाशरुम जाते हैं, वह भी किसी निजी क्षेत्र ने ही बनाया है।

अब आप साबुन/ हैंडवाश से हाथ धोते हैं, वह भी निजी क्षेत्र ने बनाया है।

अब आप ब्रश उठाते हो और उस पर मंजन लगाते हो, वह भी निजी क्षेत्र ने बनाया है। 

अब आप बाहर निकलते हैं और तौलिये से मुह पोछते हैं और सोफे/ कुर्सी पर बैठते है, यह भी निजी क्षेत्र ने बनाया है। 

इसके बाद अब आप मोबाईल चलाते हैं और तीव्र गति से फेसबूक देख रहे होते हैं, यह सब भी निजी क्षेत्र ने बनाया है।

अब आपकी मिसेज़ आपके लिये नाश्ता बना रही हैं, आपकी मिसेज़ 😁 और वह नाश्ता भी निजी क्षेत्र के है।

जिस बर्तन में परोसा गया और जिस बार से उसे धुला गया और धुलने के लिये जिसको रखा भी गया, वह सब भी निजी क्षेत्र के है।

अब आप नहाने जाते हैं और शैम्पू, बाडी वाश, रेजर का इस्तेमाल करते हैं, सब भी निजी क्षेत्र का है।

नहाने के बाद आप जो तेल, क्रीम, पाउडर, कंघा आदि इस्तेमाल करते हैं, वह सब भी निजी क्षेत्र का है।

उसके बाद आप जो कपड़े, बेल्ट, टाई, पर्स पहनते हैं, वह भी निजी क्षेत्र का है।

अब आप अपने गाड़ी, कार आदि को स्टार्ट करते हैं या फिर आटो, टेम्पो, रिक्सा पकड़ते हैं, वह भी निजी क्षेत्र का है। 

अब आप उन 1% लोगों में नहीं हैं, जो सरकारी नौकर हैं, तो आप जिस गली, मुहल्ले, दुकान, माल, आफिस में जा रहे हैं, वह भी निजी क्षेत्र का है।

आप दोपहर में जो टिफ़िन लेकर गये थे खाने के लिये, वह भी निजी क्षेत्र का है। 

दोपहर के बाद आप थोड़ा चाय सिगरेट काफी के लिये आफिस के बाहर आते हैं, वह भी निजी क्षेत्र का है।

अब शाम हो आयी है, घर लौट रहे है, उसी निजी क्षेत्र के वाहन से...

शाम को बैठकर टीवी देख रहे हैं, कोई चैनल लगाया, पंखा चलाया रिलैक्स हुए, यह सब निजी क्षेत्र का है। 

अभी अभी दूध वाले ने आवाज लगाई, कपड़े धोने वाला कपड़ा लेकर आया, यह सब निजी क्षेत्र के हैं। 

अब आप अपने बच्चो के साथ बैठे हैं, बच्चो को सरप्राईज़ करने के लिये आपने अचानक कुछ चाकलेट और खिलौने निकाले, यह सब निजी क्षेत्र के हैं। 

अब आप अपने निजी पत्नी के साथ 😃 बच्चो के लेकर जिस टेबल कुर्सी पर बैठकर खा रहे हैं, वह भी निजी क्षेत्र का है।

अब 09 बज चुके हैं। आप ने गलती से NDTV लगा दिया वहा रवीश कुमार प्रकट हुए, वह भी निजी क्षेत्र के हैं।

उन्होने बताया की मोदी निजीकरण करके देश बेच रहे हैं।

अब आप अपने निजी पत्नी के साथ निजी क्षेत्र द्वारा बनाये बिस्तर और पलंग पर बैठकर इस निजीकरण से बेहद चिंतित हैं। आपकी रातों की नींद गायब है। 
ईश्वर आप का कल्याण करें।

बीमारी और बेरोज़गारी निवारण हेतु आईएमसी कंपनी की स्वदेशी व्यापार कार्यशाला संपन्न

आज कोरोना महामारी के कारण सबसे ज़्यादा प्रभावित एवं बेरोज़गार हुए भारत की आम जनता को दो मुख्य समस्याओं ने जकड़ा वो है

पहली बीमारी और दूसरी बेरोज़गारी

कोरोना से पहले भी भारत मे बीमारी के लिए आयुर्वेद प्रचलित था पर इस महामारी ने दूसरी सभी चिकित्सा पद्धतियों की पोल खोल दी और बीमारियों से निपटने के लिए लोगो को प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की महत्ता समझ मे आई

बीमारी और बेरोज़गारी से निपटने के लिए स्वदेशी भारतीय कंपनी आईएमसी द्वारा दिनांक 12 सितंबर 2021 को श्रीराम एक्शीलेंसी होटल मे युवतियों और नवयुवको हेतु कार्यशाला का आयोजन किया जिसमे सिरसा से श्रीमान अजयमान, हरियाणा से सुखदेव सिंह, जोधपुर के स्टार एंबेसेडर सुरजीत सिंह, सोना मेडी हब हॉस्पिटल के संचालक डॉ अजय सिंह परिहार, डॉ सोनल परिहार एवं विभिन्न जिलो जिसमे बीकानेर, नोखा, बिलाडा, बालोतरा, उदयपुर, फलोदी, शेरगढ़, .भिनमाल, जालोर से कई युवक और युवतिया उपस्थित थे






जोधपुर के कंपनी के स्टार एंबेसेडर युवा विशाल संखवाया ने इस कार्यशाला को होस्ट किया



सर्व प्रथम सुश्री यति शर्मा ने गणेश वंदना देव श्रीगणेश से कार्यशाला का आरंभ किया एवं मुख्य अतिथि का स्वागत किया







जोधपुर के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों द्वारा योगा प्रदर्शन किया गया  



अजयमान, सुखदेव सिंह, सुरजीत सिंह ने बेरोज़गारी से निपटने के लिए टीम वर्क के महत्व के बारे मे डाइरेक्ट सेलिंग हेतु युवाओं को तकनीक और गुर बताए की किस प्रकार ज़ीरो इनवेस्टमेंट से भी आयुर्वेदिक व स्वदेशी वस्तुओं को घर से व्यापार प्रारंभ किया जा सकता है |

जोधपुर मे कंपनी के स्टार एंबेसेडर विशाल संखवाया जिन्होने बहुत ही कम समय मे पूरे राजस्थान मे 10000 से अधिक युवाओं को स्वदेशी एवं आयुर्वेदिक वस्तुओं का रोज़गार प्रारंभ करवा चुके है |



डॉ सोनल परिहार व डॉ अजय सिंह परिहार द्वारा कंपनी के स्किनकेअर और हेल्थकेअर प्रॉडक्ट की गुणवत्ता की प्रसंशा की| 



कार्यक्रम मे युवतियों मे भी अधिक उत्साह देखा गया| डॉ सोनल परिहार द्वारा स्टेज पर रोज़गार मे अग्रणी युवतियों द्वारा किए जा रहे सामूहिक नृत्य मे युवतियों के साथ मे शिरकत कर कार्यक्रम मे ज़्यादा संख्या मे आई हुई युवतियों को प्रोत्साहित किया एवं आभार व्यक्त किया|






कंपनी के अभिषेक शर्मा, श्रीमती वंदना शर्मा ने डॉ सोनल परिहार व डॉ अजय सिंह परिहार को मालाओं से स्वागत किया|


कंम्पनी मे सबसे कम उम्र के राजा लखारा जो की 17 वर्ष की उम्र मे पढ़ाई के साथ साथ डाइरेक्ट सेलिंग मे 50 से ज़्यादा युवाओं की टीम को घर बैठे रोज़गार शुरू कराकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया,
आईएमसी के इस रोज़गार पद्धति द्वारा डाइरेक्ट सेलिंग के इस रोज़गार मेले के रूप मे आयोजित इस कार्यक्रम मे कई युवाओं एवं युवतियों ने भाग लिया इसमे जोधपुर मे कंपनी के मुख्य कार्यकर्ताओं जिसमे अभिषेक शर्मा, श्रीमती वंदना शर्मा, सोमाराम, विवेक शाह, सुश्री बिंदु शर्मा, श्रीमती अरुणा, संजय लखारा, श्रीमती कांता, सुश्री सुमित्रा, श्रीमती मनीषा परिहार, रतन लाल राठी, नारायण माली, धीरेन्द्र रावत, मनोज लखारा, प्रशांत सोनी,  डॉ कमलेश सोनी, जयप्रकाश खींची, धन्नाराम चौधरी (नोखा), बाबूलाल प्रजापत (पाली), प्रेम सिंह नरूका (जैसलमेर), कमल किशोर दाधीच (बिलाडा), सुश्री गायत्री गिरी (बीकानेर) आदि ने कार्यशाला मे युवक युवतियों को रोज़गार हेतु प्रोत्साहित किया|



इस कार्यशाला से कई युवतियों एवं नवयुवको को रोज़गार हेतु दिशा मिलेगी एवं भारत मे बीमारी एवं बेरोज़गारी के निवारण हेतु किए जा रहे इस महान प्रयास से अब तक कंपनी द्वारा राजस्थान मे भी कई आयुर्वेदिक शिविरों का आयोजन सफलतापूर्वक किया जा चुका है 













रविवार, 12 सितंबर 2021

सास और बहू


*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳*


*💐💐सास और बहू💐💐* 

अरे मधु  ... वट सावित्री के व्रत के दिन भी तूने मेंहदी नहीं लगाई... पहले तो हमेशा लगाती थी.... और वो तेरी शादी वाली लाल चुनरी भी नहीं पहनी आज  ....।,,

" वो आंटी जी.... बस जल्दी जल्दी में भूल गई  । ,,

  कहकर मधु नजरें चुराकर आगे जाकर अपनी पूजा करने लगी  । दर असल उसे काम काम में याद ही नहीं रहा कि मेंहदी लगानी है, लेकिन रह रहकर उसका ध्यान भी   मंदिर में आई बाकी औरतों के हाथों पर जा रहा था  ।  सबके हाथों में रची मेंहदी देखकर आज उसे अपनी सासु माँ की बहुत याद आ रही थी....। कैसे हर त्यौहार के पहले दिन ही वो बोलने लगती थीं  , " बहु.... मेंहदी जरूर लगा लेना । त्यौहार पर खाली हाथ! अच्छे नहीं लगते  .... ।,,

सास की इस बात पर मधु को बहुत खीझ भी आती थी।    वो बुदबुदाती रहती  " घर के काम करूँ या मेंहदी लगाकर बैठ जाऊँ??? ,,

सासु माँ भी शायद उसके मन की बात समझ जाती थी और कहतीं,
   " अरे बहु.. आजकल तो रेडिमेड मेंहदी की कीप आती हैं.. आधे घंटे में ही रच भी जाती हैं। हमारे टाइम में तो खुद ही मेंहदी घोल कर कीप बनानी पड़ती थी ।  ऊपर से कम से कम तीन चार घंटे तक उसे सुखाना भी पड़ता था   ।
  ....  चाय  वाय तो में भी बना दूंगी तूं जा मेंहदी लगा ले।   ,,

  उनके बार बार टोकने पर मधु मेंहदी लगा लेती थी ।  जब सुबह अपने गोरे हाथों में रची हुई मेंहदी देखती तो खुश भी हो जाती थी  । मौहल्ले की सारी औरतें जब उसकी मेंहदी की तारिफ़ करती थीं तो उसे अपनी सासु माँ पर बहुत प्यार आता था...।

  मंदिर से घर वापस आकर मधु चुपचाप बैठ गई।   थोड़ी देर में मधु का बेटा आरव भागते हुए आया और बोला, " मम्मी मम्मी... कुछ खाने को दो ना । ,,

  " बेटा वहाँ बिस्किट रखे हैं अभी वो खा लो।   ,,

" मुझे नहीं खाने बिस्किट..। पहले तो आप मठरी और लड्डू बनाती थीं लेकिन दादी के जाने के बाद क्यों नहीं बनातीं । ,, आरव ने मुंह फुलाते हुए कहा।  

मधु चुप थी..... कहती भी क्या?? सच में सास के जाने के बाद उसने मठरी और लड्डू नहीं बनाए थे । सासु माँ तो पीछे पड़ी रहती थीं, " बहु घर में बनाई हुई चीजें अच्छी रहती हैं और साथ साथ बरकत भी करती हैं   ।  घर में अचानक से कोई मेहमान आ जाए तो भी चाय के साथ नाश्ते के लिए बाहर नहीं भागना पड़ता।   ,,

मधु को उस वक्त उनकी बातें अच्छी नहीं लगती थीं  । वो कहती  , " आजकल सब कुछ रेडिमेड भी तो आता है... ये सब बनाने के चक्कर में सारा दिन निकल जाता है । ,,

लेकिन सासु माँ नहीं मानती और खुद ही मठरी बनाने लग  जातीं ।  फिर मधु को ना चाहते हुए भी ये सब बनवाना पड़ता था ।

   ये सब बातें याद करते करते मधु अनमनी हो रही थी । घर के काम करते करते दोपहर हो गई थी । अचानक से उसका सर घूमने लगा तब उसे याद आया कि उसने सुबह से पानी भी नहीं पीया है ।

जब उसकी सास थीं तो व्रत वाले दिन सुबह से ही पीछे पड़ जाती थीं ।
   कहतीं  " पहले थोड़ा जूस निकाल कर पी ले फिर घर के काम कर लेना ।  नहीं तो गर्मी में चक्कर आने लगेगा।   ,,

आज ये सब बातें मधु को अंदर ही अंदर कचोट रही थीं । उसे हमेशा अपनी सास का टोकना अच्छा नहीं लगता था। लेकिन अब उसे टोकने वाला कोई नहीं था । फिर भी वो खुश नहीं थी।

  कहीं बाहर जाने से पहले भी उसे अब दस बार सोचना पड़ता है। घर के सारे काम करके जाओ फिर आते ही फिर से काम में जुट जाओ। यहाँ तक की घर की चिंता भी लगी रहती है कि कहीं कुछ खुला तो नहीं छोड़ आई  । कहीं कपड़े छत पर तो नहीं रह गए ।

सब की नजरों में तो वो आज आजाद थी लेकिन वो कितना बंध गई है ये बात उसके अलावा कोई नहीं जानता था... ।

दोस्तों, हमारे बड़ो का साथ हमारे सर पर छत्रछाया सा होता है जो हमेशा हमारे लिए कवच की तरह काम करता है ... लेकिन उनकी अहमियत को हम नजर अंदाज करते रहते हैं । जब वो हमसे दूर हो जाते हैं तब उनकी कमी का एहसास हमें पल पल होता रहता है.... ।

*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

🙏🙏🙏🙏🌳🌳🌳🙏🙏🙏🙏🙏

शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

मोदी की बुराई धाप के कर लो - मोदीकाण्ड


सारे देश में इस सन्देश को पहुंचाइये !_*
  *1 - मोदी राम मंदिर बनवाता है...*
_तो मोदी IIT, IIM or AIIMS भी बनवाता है !_
*2 - मोदी लाकडाउन लगाता है...*
_तो मोदी फ्री राशन ओर 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज भी देता है !_
*3 - मोदी ताली, थाली बजवाता है...*
_तो मोदी वैक्सीन भी बनवाता है !_ 
*4 - मोदी दिये मोमबत्ती जलवाता है...*
_तो मोदी 18000 गांव में बिजली पहुंचाता है !_
*5 - मोदी स्टैचू आफ युनिटी बनवाता है...*
_तो मोदी वार मैमोरियल भी बनवाता है !_
*6 - मोदी भाजपा कार्यालय बनवाता है...*
_तो मोदी नया संसद भवन भी बनवाता है !_
*7 - मोदी रोहिंग्याओ को भगाता है...*
_तो मोदी कश्मीरी पण्डितो को बसाता है !_
*8 - मोदी 10 लाख का सूट बूट पहनता है...*
_तो उनकी निलामी करके सारा पैसा चैरीटी भी करता है !_
*9 - मोदी राफेल खरिदता है...*
_तो मोदी ब्रहम्मोस बेचता भी है  !_
*10 - मोदी तेजस को PPP माडल पे चलाता है...*
_तो मोदी गतिमान ओर बुलेट ट्रेन भी चलाता है !_
*11 - मोदी कुछ स्टेशन PPP माडल पर करता है...*
_तो डेडीकेटेड़ फ्रेट कारिड़ोर (DDFC) भी बनवाता है  !_
*12 - मोदी अगर टोल टैक्स वसूल करता है....*
_तो मोदी 14 लेन हाईवे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे,अटल टलन , बोगीबिल‌ ब्रिज भी बनवाता है  !_
*13 - मोदी पैट्रोल-डिजल महंगा करता है...*
_तो मोदी ईरान का 43000 करोड़ भी चुकाता है ओर आपात स्थिति के लिए फ्यूल रिजर्व सैन्टर भी बनाता है !_
*14 - मोदी सिलेंड़र महंगा करता है....*
_तो मोदी 7 करोड़ गरीबो को फ्री सिलेंडर भी देता है  !_
*15 - मोदी स्वच्छ भारत मिशन चलाता है....*
_तो मोदी 12 करोड़ शोचालय भी बनवाता है  !_
*16 - मोदी CAA, NRC, CAB लेके आता है....*
_तो मोदी पाकिस्तान विस्थापितो को भारत में बसाता है  !_
*17 - मोदी चाईना की कम्पनीयो को भगाता है....*
_तो मोदी आत्मनिर्भर भारत , मेक इन इंडिया भी लेके आता है  !_
*18 - मोदी नोटबंदी करता है...*
_तो मोदी डिजिटल पेमेंट, नयी करंसी लेके आता है  !_
*19 - मोदी चाईना की ऐप्स बंद करता है...*
_तो मोदी स्वदेसी नाविक सैटेलाईट लेकर आता है  !_
*20 - चाईना पाकिस्तान आंख दिखाता है...*
_तो मोदी डोकलाम, ओर सर्जिकल स्ट्राईक कराता है  !_
*21 - मोदि अगर खुद को हिंदू कहता है....*
_तो कांग्रेसियो,TMC को भी घाट-घाट,मंदिर-मंदिर घुमाता है  !_
*_👉   शताब्दियों बाद भारत को‌ कोई सनातनी राजा मिला है... पैट्रोल -डीजल में बिक जायेंगे इतनी छोटी नही हस्ती हमारी....  आप इस सन्देश को देशभर में फारवर्ड कीजिये और हिंदुत्व के सच्चे सारथी बनिये  !_*
बाकी जिसे विरोध करना है करने दीजिए। जरा बारिश तेज़ हुवी तो लोग आसमान को दोष देते हैं । लोगों को दुख दर्द मिलता है तो भगवान को दोष देते हैं। नाकामयाब होते हैं तो किस्मत को दोष देते हैं। जमीन जायदाद कम मिलती है तो माँ बाप को दोष देते  हैं। लोगों का क्या ।
[16/05, 18:44]  हरे कृष्णा जी।
प्रश्न 1:- भारत में गरीबी कब शुरू हुई ?
उत्तर  :-  26 मई 2014 से
              इससे पहले, गरीब महंगी कारों में घूम रहे थे और ठंडी कॉफी पी रहे थे।

प्रश्न २ :- कुटिल मीडिया और कुछ धार्मिक संस्थानों का भारतीय लोकतंत्र में कब भरोसा टूटा ?
उत्तर  :-  26 मई 2014 को

प्रश्न ३ :- अंबानी और अदानी कब अमीर बन गए?
उत्तर  :- 26 मई 2014 को
             इससे पहले, वे मुंबई सड़कों पर भीख मांग रहे थे।

प्रश्न 4 :- पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि कब हुई?
उत्तर  :- 26 मई 2014 को
             उस दिन तक, प्रति लीटर 14 रुपये में पेट्रोल बेचा जाता था।

प्रश्न 5 :-  कश्मीर मुद्दे कब शुरू हुए ?
उत्तर  :-  26 मई 2014 से
              उसके पहले सभी आतंकवादी शांति के दूत थे। वे घाटी में बच्चों को चॉकलेट बाँटते थे और 
               वहाँ की स्त्रियों को अपनी माँ- बहन मानते थे।

प्रश्न 6 :-  चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के मुद्दे कब शुरू हुये ?
उत्तर  :-  26 मई 2014 से
              इससे पहले पाकिस्तान और चीन ने भारतीयों को बहुत प्यार करते थे। उन्हें देखते ही गले 
              लगा लेते थे।

प्रश्न 7 :-  लोगों को कब पता चला कि विदेशी बैंकों में भारतीयों का काला धन जमा है?

उत्तर  :-  26 मई 2014 को
             इसके पहले भारतीयों को ब्लैक मनी के बारे में कुछ पता ही नहीं था। उन्होंने सोचा था कि 
             जिन नोटों पर काली इंक गिर जाती है वह काला धन होता है और उसे साफ करने के लिए 
              विदेश भेजा जाता है।

प्रश्न 8 :- "असहिष्णुता" शब्द का आविष्कार कब किया गया ?

उत्तर  :-  26 मई 2014 को
              इसी दिन यह शब्द शब्दकोश में जोड़ा गया । इसके पहले लोगों को यह पता भी नहीं था कि 
               इस चीज को पुरस्कार वापस करके महसूस किया जा सकता है।

प्रश्न 9 :-  भारत मे किसानों की आत्महत्या कब शुरू हुई

उत्तर :-  26 मई 2014 से ।
            पहले किसान ओडी , टोयटा जैसी कार मे घूमते थे ।
            युरिया की तो होम डिलीवरी होती थी वह भी फ्री मे , 24 घंटे बिजली , पानी ।
O            फसल तो बोने के तुरंतबाद सौदे हो जाते थे, व्यापारी एडवांस जमा कराने को तरसते थे ।

प्रश्न 10 :-  हवाईजहाज से उड़कर विदेशी यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधान मंत्री कौन थे?

उत्तर    :-   नरेंद्र मोदी
                इससे पहले, भारतीय प्रधान मंत्री सपनों में उड़ कर विदेश जाते थे।

*अब क्या हुआ 
☼☼☼  एक समय था कि अफगानिस्तान में बौद्ध मंदिरों को तोपों से उड़ा दिया गया था और आज वहां के राष्ट्रपति हमारे मुल्क देश पे आतंकवादी हमला हुआ तो उन्होंने दक्षेस सम्मलेन में पाक जाने से मना कर दिया।

☼☼☼  एक समय था जब ईरान हमारी एक नहीं सुनता था, आज उन्हीने भारत को चाबहार 
           बंदरगाह बनाने और ईरान में अपनी फौजें रखने की इज़ाज़त दे दी।

☼☼☼ एक समय था कि नार्थ ईस्ट में terrorists हमला करके म्यांमार भाग जाते थे। *आज वहां की 
           सरकार के सहयोग से इंडियन आर्मी ने वहीँ जा के उनके terrorist camps तबाह कर दिए।*

☼☼☼  एक समय था जब खाड़ी देश पाक का साथ देते थे। दाऊद बरसों तक दुबई में शरण लिए रहा। 
            आज सऊदी अरब ने दाऊद की संपत्ति ही जब्त कर ली।

☼☼☼  एक समय था जब खाड़ी देश भारत को कमजोर और गरीब समझते थे, *आज अचानक क्या 
            हुआ जो उन्हीने भारत के PM के आगमन पे अपने यहाँ पहला हिन्दू मंदिर बनाने के लिए 
            जमीन दे दी।*

☼☼☼  आज अचानक क्या हुआ जो बुर्ज खलीफा तिरंगे में रंगा दिखने लगा।

☼☼☼  आज अचानक क्या हुआ जो हमारी 26 जनवरी की परेड में UAE का फौजी दस्ता शामिल 
             हुआ।

☼☼☼  आज अचानक क्या हुआ जो भारत में इतनी हिम्मत आ गयी कि चीन के अरुणांचल के 
             बॉर्डर में सड़कें बना ली, हवाई पट्टी बना ली, 100 मिसाइल भी तैनात कर दिए और टैंक की 
             डिवीजन पोस्ट कर दी।

☼☼☼  आज अचानक क्या हुआ जो USA के नवनिर्वाचित प्रेजिडेंट ने सबसे पहले भारत के PM 
             को फोन करके आभार व्यक्त किया ।

☼☼☼  आज अचानक क्या हुआ जो ऑस्ट्रेलिया, इंडिया को यूरेनियम देने को राजी हो गया।

☼☼☼ आज अचानक जापान ने इंडिया के साथ युद्धाभ्यास किया ।
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"तब मन ने जवाब दिया कि ये सब परिवर्तन आये मात्र छ साल में नरेंद्र मोदी के आगमन के साथ।

प्रश्न- क्या भारत में नरेंद्र मोदी के अलावा वर्तमान नेताओं जैसे कि

लालू, 
मुलायम, 
अखिलेश, 
मायावती
सोनिया, 
राहुल,
ममता, 
केजरीवाल

आदि में कोई नेता है इस कैलिबर का जो इस प्रकार विश्व को झुका ले !!

इसलिए बंधुओं,
अब फैसला आपको करना है कि घर में ही युद्ध करने वाले चाहिए या घर-द्वार त्याग कर मातृभूमि को समर्पित ऐसा ओजस्वी !

हर बात लाऊडस्पीकर से नहीं बताई जा सकती |☝ 

तीन मित्रों को भेजकर राष्ट्रीय, सांस्कृतिक, धार्मिक विश्वास की सेवा करें.. 
🚩🚩🚩🚩
🙏🙏 🙏🙏

मंगलवार, 7 सितंबर 2021

आंवला: प्रकृति प्रदत्त विटामिन्स का सबसे बड़ा स्त्रोत

आंवला: प्रकृति प्रदत्त विटामिन्स का सबसे बड़ा स्त्रोत

 आंवला की खूबियां और उपयोग

*आंवला*
आंवले का पेड़ भारत के प्राय: सभी प्रांतों में पैदा होता है। तुलसी की तरह आंवले का पेड़ भी धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र माना जाता है। स्त्रियां इसकी पूजा भी करती हैं। आंवले के पेड़ की ऊचांई लगभग 6 से 8 तक मीटर तक होती है। आंवले के पत्ते इमली के पत्तों की तरह लगभग आधा इंच लंबे होते हैं। इसके पुष्प हरे-पीले रंग के बहुत छोटे गुच्छों में लगते हैं तथा फल गोलाकार लगभग 2.5 से 5 सेमी व्यास के हरे, पीले रंग के होते हैं। पके फलों का रंग लालिमायुक्त होता है। खरबूजे की भांति फल पर 6 रेखाएं 6 खंडों का प्रतीक होती हैं। फल की गुठली में 6 कोष होते हैं, छोटे आंवलों में गूदा कम, रेशेदार और गुठली बड़ी होती है, औषधीय प्रयोग के लिए छोटे आंवले ही अधिक उपयुक्त होते हैं।* 

*आंवले का पेड़ 6 से 8 मीटर ऊंचा होता है तथा इसका तना टेढ़ा-मेढ़ा और 150 से 300 सेमी तक मोटा होता है। फरवरी-मई में इस पेड़ पर फूल लगने शुरू होते हैं तथा अक्टूबर से अप्रैल तक फल मिलते हैं। आंवले के पेड़ की छाल पतली और परत छोड़ती हुई होती है। आंवले के फूल पीले रंग के और गुच्छों में लगे होते हैंआंवले का फल गोलाकार आधे से एक इंच व्यास के गूदेदार पीलापन लिए हरे और पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। इस फल पर छ: रेखाए होती हैं। फल के अंदर षट्कोषीय बीज होता है।आंवला शीतल (ठंडी) प्रकृति का होता है।*

*आंवला प्लीहा (तिल्ली) के लिए हानिकारक होता है लेकिन शहद के साथ सेवन करने से यह दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है। शहद और बादाम का तेल आंवले के दोषों को दूर करता है तथा इसके गुणों में सहायक होता है। आंवले का रस 10 से 20 मिलीलीटर। चूर्ण 5 से 10 ग्रामआंवला युवकों को यौवन और बड़ों को युवा जैसी शक्ति प्रदान करता है। एक टॉनिक के रूप में आंवला शरीर और स्वास्थ्य के लिए अमृत के समान है। दिमागी परिश्रम करने वाले व्यक्तियों को वर्ष भर नियमित रूप से किसी भी विधि से आंवले का सेवन करने से दिमाग में तरावट और शक्ति मिलती है। कसैला आंवला खाने के बाद पानी पीने पर मीठा लगता है।*
*आंवला हरा, ताजा हो या सुखाया हुआ पुराना हो, इसके गुण नष्ट नहीं होते। इसकी अम्लता इसके गुणों की रक्षा करती है। आयुर्वेद में आंवले को बहुत महत्ता प्रदान की गई है, जिससे इसे रसायन माना जाता है। च्यवनप्राश आयुर्वेद का प्रसिद्ध रसायन है, जो टॉनिक के रूप में आम आदमी भी प्रयोग करता है। इसमें आंवले की अधिकता के कारण ही विटामिन `सी´ भरपूर होता है। यह शरीर में आरोग्य शक्ति बढ़ाता है। त्वचा, नेत्र रोग और केश (बालों) के लिए विटामिन बहुत उपयोगी है। संक्रमण से बचाने, मसूढ़ों को स्वस्थ रखने, घाव भरने और खून बनाने में भी विटामिन सी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।*

विभिन्न रोगों में सहायक :

1. बालों के रोग : आंवले का चूर्ण पानी में भिगोकर रात्रि में रख दें। सुबह इस पानी से रोजाना बाल धोने से उनकी जड़े मजबूत होंगी, उनकी सुंदरता बढ़ेगी और मेंहदी मिलाकर बालों में लगाने से वे काले हो जाते हैं।

2. पेशाब की जलन :
आधा कप आंवले के रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर पिएं।
हरे आंवले का रस 50 मिलीलीटर, शक्कर या शहद 25 ग्राम थोड़ा पानी मिलाकर सुबह-शाम पीएं। यह एक खुराक का तोल है। इससे पेशाब खुलकर आयेगा जलन और कब्ज ठीक होगी। इससे शीघ्रपतन दूर भी होता है।

3. हकलाहट, तुतलापन :
बच्चे को 1 ताजा आंवला रोजाना कुछ दिनों तक चबाने के लिये दें। इससे जीभ पतली, आवाज साफ, हकलाना और तुतलापन दूर होता है।
हकलाने और तुतलाने पर कच्चे, पके हरे आंवले को कई बार चूस सकते हैं।

4. खून के बहाव (रक्तस्राव) : स्राव वाले स्थान पर आंवले का ताजा रस लगाएं, स्राव बंद हो जाएगा।

5. धातुवर्द्धक (वीर्यवृद्धि) : एक चम्मच घी में दो चम्मच आंवले का रस मिलाकर दिन में 3 बार कम-से-कम 7 दिनों तक ले सकते हैं।

6. पेशाब रुकने पर : कच्चे आंवलों को पीसकर बनी लुग्दी पेडू पर लगाएं।

7. आंखों (नेत्र) के रोग में :
लगभग 20-50 ग्राम आंवले के फलों को अच्छी तरह से पीसकर 2 घंटे तक 500 मिलीलीटर  पानी में उबालकर उस जल को छानकर दिन में 3 बार आंखों में डालने से आंखों के रोगों में बहुत लाभ होता है।
वृक्ष पर लगे हुये आंवले में छेद करने से जो द्रव पदार्थ निकलता है। उसका आंख के बाहर चारों ओर लेप करने से आंख के शुक्ल भाग की सूजन मिटती है।
आंवले के रस को आंखों में डालने अथवा सहजन के पत्तों का रस 4 ग्राम तथा सेंधानमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग इन्हें एक साथ मिलाकर आंखों में लगाने से शुरुआती मोतियाबिंद (नूतन अभिष्यन्द) नष्ट होता है।
लगभग 6 ग्राम आंवले को पीसकर ठंडे पानी में भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उन आंवलों को निचोड़कर फेंक दें और उस जल में फिर दूसरे आंवले भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उनको भी निचोड़ कर फेंक दें। इस प्रकार 3-4 बार करके उस पानी को आंखों में डालना चाहिए। इससे आंखो की फूली मिटती है।
आंवले का रस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। आंवले के साथ हरा धनिया पीसकर खाने से भी आंखों के रोग में लाभ होता है।

8. सुन्दर बालों के लिए :
सूखे आंवले 30 ग्राम, बहेड़ा 10 ग्राम, आम की गुठली की गिरी 50 ग्राम और लौह चूर्ण 10 ग्राम, रात भर कढाई में भिगोकर रखें। बालों पर इसका रोजाना लेप करने से छोटी आयु में सफेद हुए बाल कुछ ही दिनों में काले पड़ जाते हैं।
आंवले, रीठा, शिकाकाई तीनों का काढ़ा बनाकर सिर धोने से बाल मुलायम, घने और लम्बे होते हैं।
आंवले और आम की गुठली की मज्जा को साथ पीसकर सिर में लगाने से मजबूत लंबे केश पैदा होते हैं।

9. आवाज का बैठना :
अजमोद, हल्दी, आंवला, यवक्षार, चित्रक इनको समान मात्रा में मिलाकर, 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच मधु और 1 चम्मच घी के साथ चाटने से आवाज का बैठना ठीक हो जाता है।
एक चम्मच पिसे हुए आंवले को गर्म पानी से फंकी लेने से बैठा हुआ गला खुल जाता है और आवाज साफ आने लगती है।
कच्चे आंवले बार-बार चूस-चूसकर खाएं।

10. हिक्का (हिचकी) :
पिपली, आंवला, सोंठ इनके 2-2 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम खांड तथा एक चम्मच शहद मिलाकर बार-बार प्रयोग करने से हिचकी तथा श्वास रोग शांत होते हैं।
आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस और 2-3 ग्राम पीपल का चूर्ण, 2 चम्मच शहद के साथ दिन में सुबह और शाम सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
10 मिलीलीटरआंवले के रस में 3 ग्राम पिप्पली चूर्ण और 5 ग्राम शहद मिलाकर चाटने से हिचकियों से राहत मिलती है।
आंवला, सोंठ, छोटी पीपल और शर्करा के चूर्ण का सेवन करने से हिचकी नहीं आती है।
आंवले के मुरब्बे की चाशनी के सेवन से हिचकी में बहुत लाभ होता है।

11. वमन (उल्टी) :
हिचकी तथा उल्टी में आंवले का 10-20 मिलीलीटर रस, 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर देने से आराम होता है। इसे दिन में 2-3 बार लेना चाहिए। केवल इसका चूर्ण 10-50 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ भी दिया जा सकता है।
त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) से पैदा होने वाली उल्टी में आंवला तथा अंगूर को पीसकर 40 ग्राम खांड, 40 ग्राम शहद और 150 मिलीलीटर जल मिलाकर कपड़े से छानकर पीना चाहिए।
आंवले के 20 मिलीलीटर रस में एक चम्मच मधु और 10 ग्राम सफेद चंदन का चूर्ण मिलाकर पिलाने से वमन (उल्टी) बंद होती है।
आंवले के रस में पिप्पली का बारीक चूर्ण और थोड़ा सा शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आने के रोग में लाभ होता है।
आंवला और चंदन का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर 1-1 चम्मच चूर्ण दिन में 3 बार शक्कर और शहद के साथ चाटने से गर्मी की वजह से होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।
आंवले का फल खाने या उसके पेड़ की छाल और पत्तों के काढ़े को 40 मिलीलीटर सुबह और शाम पीने से गर्मी की उल्टी और दस्त बंद हो जाते हैं।
आंवले के रस में शहद और 10 ग्राम सफेद चंदन का बुरादा मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाती है।

12. संग्रहणी : मेथी दाना के साथ इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 से 20 मिलीलीटरकी मात्रा में दिन में 2 बार पिलाने से संग्रहणी मिट जाती है।

13. मूत्रकृच्छ (पेशाब में कष्ट या जलन होने पर) :
आंवले की ताजी छाल के 10-20 मिलीलीटर रस में दो ग्राम हल्दी और दस ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से मूत्रकृच्छ मिटता है।
आंवले के 20 मिलीलीटर रस में इलायची का चूर्ण डालकर दिन में 2-3 बार पीने से मूत्रकृच्छ मिटता है।

14. अर्श (बवासीर) :
आंवलों को अच्छी तरह से पीसकर एक मिट्टी के बरतन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बर्तन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।
बवासीर के मस्सों से अधिक खून के बहने में 3 से 8 ग्राम आंवले के चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में 2-3 बार करना चाहिए।
सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
सूखे आंवले को बारीक पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम 1 चम्मच दूध या छाछ में मिलाकर पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।
आंवले का बारीक चूर्ण 1 चम्मच, 1 कप मट्ठे के साथ 3 बार लें।
आंवले का चूर्ण एक चम्मच दही या मलाई के साथ दिन में तीन बार खायें।

15. शुक्रमेह : धूप में सुखाए हुए गुठली रहित आंवले के 10 ग्राम चूर्ण में दुगनी मात्रा में मिश्री मिला लें। इसे 250 मिलीलीटर तक ताजे जल के साथ 15 दिन तक लगातार सेवन करने से स्वप्नदोष (नाइटफॉल), शुक्रमेह आदि रोगों में निश्चित रूप से लाभ होता है।

भारत माता की जय 🇮🇳
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः*

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