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रविवार, 10 अक्तूबर 2021

पानी, तेल या दूध का कुल्ला करने से बिना दवा के भी रह सकते स्वस्थ

पानी, तेल या दूध का कुल्ला करने के चमत्कारिक फायदे, एक बार आजमाकर देखें, बिना दवा के भी रह सकते स्वस्थ





हमारी परम्पराएँ और घरेलु ज्ञान इतना ज़बरदस्त है के अगर हम इन पर थोडा भी ध्यान देवें तो बिना दवा के भी स्वस्थ रह सकते हैं.

आज आपको ऐसी ही एक विधि से परिचित करवा रहें हैं जिसका नाम है कुल्ला.

कुल्ला एक ऐसी विधि है जिससे आप बिना दवा के जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गले के रोग, मुंह के छाले, शरीर को डी टोक्सिफाय करने, गर्दन के सर्वाइकल जैसे रोगों से मुक्ति पा सकते हैं. आइये जानते हैं कुल्ला करने की सही विधि और इसके चमत्कारिक लाभ.

पानी का कुल्ला

मुंह में पानी का कुल्ला तीन मिनट तक भर कर रखें. इससे गले के रोग, जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गर्दन का दर्द जैसे कड़कड़ाहट से छुटकारा मिलता है. नित्य मुंह धोते समय, दिन में भी मुंह में पानी का कुल्ला भर कर रखें. इससे मुंह भी साफ़ हो जाता है.

मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोएं. ऐसा दिन में तीन बार करें. जब भी पानी के पास जाएँ मुंह में पानी का कुल्ला भर लें और नेत्रों पर पानी के छींटे मारें, धोएं. मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुनः कुल्ला भर लें. मुंह का पानी गर्म ना हो इसीलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहें.

भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से नहीं पोंछे. आपस में दोनों हाथों को रगड़ कर चेहरा व् कानों तक मलें. इससे आरोग्य शक्ति बढती है. नेत्र ज्योति ठीक रहती है.

गले के रोग, सर्दी जुकाम या श्वांस रोग होने पर थोडा गुनगुना पानी ले कर इसमें सेंधव् (सेंधा) नमक मिला कर कुल्ला करना चाहिए, इस से गले, कफ, ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों में बहुत फायदा होता है.

तेल का कुल्ला

तेल से कुल्ला एक प्राचीन आयुर्वेदिक विधि है जिससे न केवल असाध्य रोगों से बचा जा सकता है बल्कि इससे कई तरह की बीमारियों को भी रोका जा सकता है। आम तौर पर मुंह के बैक्टीरिया को मारने के लिए ऑयल को मुंह में भरकर हिलाने की प्रक्रिया को तेल से कुल्ला कहते हैं।  सुबह सुबह बासी मुंह में सरसों या तिल का तेल भर कर पूरे 10 मिनट तक उसको चलाते रहें, ध्यान रहे ये निगलना नहीं है, ऐसा करने से मुंह और दांतों के रोग तो सभी ठीक होंगे ही, साथ में पूरी बॉडी डी टोक्सिफाय होगी. अनेक रोगों से मुक्त होने की इस विधि को तेल चूषण विधि कहा जाता है. आयुर्वेद में इसको गण्डूषकर्म कहा जाता है और पश्चिमी जगत में इसको आयल पुल्लिंग के नाम से जाना जाता है.

इससे सिरदर्द से लेकर साइनस ही नहीं तमाम अन्य बीमारियां भी दूर होती है। तो चलिए जानते हैं तेल से कुल्ला करने का सही तरीका.....

कैसे करें

तेल से कुल्ला करने के लिए तिल, जैतून या नारियल का तेल लेकर मुंह में घूमाना होता है। करीब 10-15 मिनट तक इसे मुंह के अंदर करना होता है और इसके बाद इसे थूक देना होता है। याद रखें एक बूंद भी अंदर न जाने पाए। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मुंह में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस, कवक और अन्य विषैले तत्व शामिल हो चुके होते हैं।

तेल से कुल्ला करने के फायदे

तेल से कुल्ला से मुंह के बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं और दांतों की सेंसिटिविटी कम होती है।

ये थेरेपी सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, दांतदर्द, अल्सर, पेट, किडनी, आंत, हार्ट, लिवर, फेफड़ों के रोग और अनिद्रा में भी राहत देती है।

बॉडी की सूजन का कारण भी इससे ठीक होता है।

कीटाणु और विषैले पदार्थ मुंह से ही जाते हैं लेकिन तेल से कुल्ला से ये रूक सकता है।

तेल से कुल्ला करने से एनर्जी लेवल बढ़ता है।

बॉडी जब डिटॉक्स हो जाती है तो इससे एनर्जी का बढ़ना तय है।

सिरदर्द ,माइग्रेन, साइनस या स्ट्रेस से होने वाला सिर दर्द सब कुछ तेल से कुल्ला से सही हो सकता है।

बॉडी डिटॉक्स होने के कारण पेट का ऐसिडिक लेवल बैलेंस रहता है और इससे माइग्रेन की समस्या नहीं होती है।

बॉडी से जब विषैले तत्व हट जाते हैं तो इससे हार्मोन्स लेवल भी बैलेंस होता है।

तेल से कुल्ला से हार्मोन लेवल का सेक्रिशन भी बेहतर तरीके से होता है।

स्किन के लिए है खास 

बेक्टिरया, वायरस, कवक और दूसरे विषाक्त पदार्थों के बाहर निकलने से त्वचा भी साफ होती है।

चेहरे पर चमक आना इसकी पहली निशानी है कि शरीर आपका डिटॉक्स हो चुका है।

दांतों को मोतियों सा चमकाती है। दांतो की चमक के साथ कई तरह की समस्याएं तेल से कुल्ला से ठीक होती है।

ऑयल में मौजूद नेचुरल एंटीबेक्टिरियल और एंटीबायोटिक गुण होता है जो दांतों को साफ करता है।

2 हफ्ते रोज इसे करने से ही फर्क नजर आ जाएगा।

यह कैविटी, सांसों की दुर्गंध और मसूड़ों से खून आने जैसी दिक्कते भी दूर करता है।


क्या है ऑयल पुलिंग - दरसल ऑयल पुलिंग एक तरह से तेल का कुल्ला करना है। इस प्रक्रिया में ज्यादातर नारियल के तेल का प्रयोग किया जाता है। इसमें तेल को मुंह में डालकर 5 से 10 मिनट तक मुंह में ही घुमाया जाता है, ताकि यह मुंह के कोने-कोने तक पहुंच जाए। और जब यह लार के साथ मिलकर पतला हो जाता है, तो इसे थूक दिया जाता है। कहा जाता है कि यह बैक्टीरिया की सफाई का बढ़िया तरीका है।

नुकसान - 1) इस प्रक्रिया में यह भी संभव है कि तेल की कुछ मात्रा लार के साथ आपके पेट में भी चली जाए। और ऑयल पुलिंग का पहला नुकसान यही है। दरअसल यह तेल अगर पेट में जाता है, तो इसका पाचन काफी मुश्किल होता है और इसके लिए आपके पाचन तंत्र को काफी मेहनत करनी होती है।

2) यह समस्या अगर थोड़ा और बढ़ती है, तो आपके सिर में दर्द भी पैदा होता है जिसे आम भाषा में आप, सिर चढ़ना कहते हैं। तो अगली बार जब भी आप ऑयल पुलिंग करने वाले हों, एक बार इस बारे में जरूर सोच लें।


दूध का कुल्ला.

अगर मुंह में या गले में छाले हो जाएँ और किसी भी दवा से ठीक ना हो रहें हो तो आप सुबह कच्चा दूध (अर्थात बिना उबला हुआ ताज़ा दूध) मुंह में कुछ देर तक रखें. और ध्यान रहे इस दूध को आपको बाहर फेंकना नहीं है. इसको मुंह में जितना देर हो सके 10 से 15 मिनट तक रखें, कुछ देर बाद बूँद बूँद कर के ये गले से नीचे उतरने लगेगा.. इस प्रयोग को दिन में 2-4 बार कर सकते हैं. आपको मुंह, जीभ और गले के छालो में पहले ही दिन में आराम आना शुरू हो जायेगा.


भारत माता की जय 🇮🇳
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2021

नवरात्रि एक आयुर्वेदिक त्योहार

नवरात्रि एक आयुर्वेदिक त्योहार
नवरात्रि नव दुर्गा की नौ शक्तियों का ज्वलंत पर्व है।साथ साथ में हमारे आयुर्वेद के ज्ञाता ऋषि मुनियों ने कुछ औषधियों को इस ऋतु में विशेष सेवन हेतु बताया था।जिससे प्रत्येक दिन हम सभी उसका सेवन कर शक्ति के रूप में शारीरिक व मानसिक क्षमता को बढ़ाकर हम शक्तिवान, ऊर्जावान बलवान व विद्वान बन सकें।

नौ तरह की वह दिव्यगुणयुक्त महा औषधियां निस्संदेह बहुत ही प्रभावशाली व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ साथ हम ताउम्र बदलते मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी स्वयं को ढालने में सक्षम हो और निरोगी बन दीर्घायु प्राप्त करे

नवदुर्गा  के अमूर्त रूप के रूपक औषधि जिनका हमें शीतकाल में सेवन करना चाहिए-
1  हरड़ 2 ब्राह्मी 3 चन्दसूर 4 कूष्मांडा 5 अलसी 6 मोईपा या माचिका 7 नागदान 8 तुलसी 9 शतावरी-

1. *प्रथम शैलपुत्री यानि हरड़* - कई प्रकार की समस्याओं में काम आने वाली औषधि हरड़, हिमावती है यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है, जो सात प्रकार की होती है। 

2.*द्वितीय ब्रह्मचारिणी यानि ब्राह्मी* -  यह आयु और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली, रूधिर विकारों का नाश करने वाली और स्वर को मधुर करने वाली है। इसलिए ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है।यह मन व मस्तिष्क में शक्ति प्रदान करती है और गैस व मूत्र संबंधी रोगों की प्रमुख दवा है। यह मूत्र द्वारा रक्त विकारों को बाहर निकालने में समर्थ औषधि है। 

3. *तृतीय चंद्रघंटा यानि चन्दुसूर* -  चंद्रघंटा, इसे चन्दुसूर या चमसूर कहा गया है। यह एक ऐसा पौधा है जो धनिये के समान है। इस पौधे की पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है, जो लाभदायक होती है। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति को बढ़ाने वाली, हृदय रोग को ठीक करने वाली चंद्रिका औषधि है। 

4. *चतुर्थ कुष्माण्डा यानि पेठा* -इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है, इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक व रक्त के विकार को ठीक कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए यह अमृत समान है। यह शरीर के समस्त दोषों को दूर कर हृदय रोग को ठीक करता है। कुम्हड़ा रक्त पित्त एवं गैस को दूर करता है। 

5. *पंचम स्कंदमाता यानि अलसी* यह औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त, कफ, रोगों की नाशक औषधि है। अलसी नीलपुष्पी पावर्तती स्यादुमा क्षुमा।अलसी मधुरा तिक्ता स्त्रिग्धापाके कदुर्गरु:।।उष्णा दृष शुकवातन्धी कफ पित्त विनाशिनी।

6.  *षष्ठम कात्यायनी यानि मोइया* - इसे आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका। इसके अलावा इसे मोइया अर्थात माचिका भी कहते हैं। यह कफ, पित्त, अधिक विकार व कंठ के रोग का नाश करती है। 
7. *सप्तम कालरात्रि यानि नागदौन* - यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है। सभी प्रकार के रोगों की नाशक सर्वत्र विजय दिलाने वाली मन एवं मस्तिष्क के समस्त विकारों को दूर करने वाली औषधि है/ यह सुख देने वाली और सभी विषों का नाश करने वाली औषधि है। 

8.  *तुलसी* - तुलसी सात प्रकार की होती है- सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरुता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। ये सभी प्रकार की तुलसी रक्त को साफ करती है व हृदय रोग का नाश करती है। तुलसी सुरसा ग्राम्या सुलभा बहुमंजरी।अपेतराक्षसी महागौरी शूलघ्नी देवदुन्दुभि: तुलसी कटुका तिक्ता हुध उष्णाहाहपित्तकृत् । मरुदनिप्रदो हध तीक्षणाष्ण: पित्तलो लघु:।

9. *नवम शतावरी* - जिसे नारायणी या शतावरी कहते हैं। शतावरी बुद्धि बल व वीर्य के लिए उत्तम औषधि है। यह रक्त विकार औरं वात पित्त शोध नाशक और हृदय को बल देने वाली महाऔषधि है। सिद्धिदात्री का जो मनुष्य नियमपूर्वक सेवन करता है। उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं।


*इस आयुर्वेद की भाषा में नौ औषधि के रूप में मनुष्य की प्रत्येक बीमारी को ठीक कर रक्त का संचालन उचित व साफ कर मनुष्य को स्वस्थ करतीं है। अत: *मनुष्य को इन औषधियों का प्रयोग करना चाहिये* ।

मंगलवार, 5 अक्तूबर 2021

रामायण की 8 चौपाइयों का रोजाना श्रद्धापूवर्क जाप करने जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती।

रामायण मानव जीवन को सत्य भक्ति के साथ जीवन जीने का मार्ग दिखाती है। लेकिन कई विद्वान लोग रामायण के पाठ के अन्य फायदे भी बताते हैं। कथा वाचक विजय कौशल महाराज के अनुसार, जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए रामायण यानी श्री रामचरित मानस की 8 चौपाइयों का रोजाना पाठ करना चाहएि। इन चौपाइयों का रोजाना श्रद्धापूवर्क जाप करने जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती। यानी ये चौपाइयां घर परिवार में खुशहाली लाने के लिए मंत्र का काम करती हैं।






उन्हाेंने एक कथा के दौरान कहा कि इन चौपाइयों के पाठ से अमीरी कितनी आएगी ये तो नहीं बता सकते लेकिन गरीबी कभी नहीं आएगी।

आपको बता दें कि गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरित मानस के अयोध्या कांड के शुरू में ही राम विवाह से जुड़ी ये चौपाइयां हैं। श्रद्धालु चाहें ते नवरात्रि से इनका जाप शुरू कर सकते हैं।




अयोध्या कांड

दोहा-
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।

चौपाई : 1-
* जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए॥
भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी॥1॥

भावार्थ:-जब से श्री रामचन्द्रजी विवाह करके घर आए, तब से (अयोध्या में) नित्य नए मंगल हो रहे हैं और आनंद के बधावे बज रहे हैं। चौदहों लोक रूपी बड़े भारी पर्वतों पर पुण्य रूपी मेघ सुख रूपी जल बरसा रहे हैं॥1॥

चौपाई 2 -
* रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई॥
मनिगन पुर नर नारि सुजाती। सुचि अमोल सुंदर सब भाँती॥2॥

भावार्थ:-ऋद्धि-सिद्धि और सम्पत्ति रूपी सुहावनी नदियाँ उमड़-उमड़कर अयोध्या रूपी समुद्र में आ मिलीं। नगर के स्त्री-पुरुष अच्छी जाति के मणियों के समूह हैं, जो सब प्रकार से पवित्र, अमूल्य और सुंदर हैं॥2॥

चौपाई 3 -
* कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥3॥

भावार्थ:-नगर का ऐश्वर्य कुछ कहा नहीं जाता। ऐसा जान पड़ता है, मानो ब्रह्माजी की कारीगरी बस इतनी ही है। सब नगर निवासी श्री रामचन्द्रजी के मुखचन्द्र को देखकर सब प्रकार से सुखी हैं॥3॥

चौपाई 4 -
* मुदित मातु सब सखीं सहेली। फलित बिलोकि मनोरथ बेली॥
राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ। प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ॥4॥

भावार्थ:-सब माताएँ और सखी-सहेलियाँ अपनी मनोरथ रूपी बेल को फली हुई देखकर आनंदित हैं। श्री रामचन्द्रजी के रूप, गुण, शील और स्वभाव को देख-सुनकर राजा दशरथजी बहुत ही आनंदित होते हैं॥4॥


दोहा
सब कें उर अभिलाषु अस कहहिं मनाइ महेसु।
आप अछत जुबराज पद रामहि देउ नरेसु।।

चौपाई 5 -
एक समय सब सहित समाजा। राजसभाँ रघुराजु बिराजा।।
सकल सुकृत मूरति नरनाहू। राम सुजसु सुनि अतिहि उछाहू।।
भावार्थ:-एक समय रघुकुल के राजा दशरथजी अपने सारे समाज सहित राजसभा में विराजमान थे। महाराज समस्त पुण्यों की मूर्ति हैं, उन्हें श्री रामचन्द्रजी का सुंदर यश सुनकर अत्यन्त आनंद हो रहा है॥1॥

चौपाई 6 -
नृप सब रहहिं कृपा अभिलाषें। लोकप करहिं प्रीति रुख राखें।।
वन तीनि काल जग माहीं। भूरिभाग दसरथ सम नाहीं।।

भावार्थ:-सब राजा उनकी कृपा चाहते हैं और लोकपालगण उनके रुख को रखते हुए (अनुकूल होकर) प्रीति करते हैं। (पृथ्वी, आकाश, पाताल) तीनों भुवनों में और (भूत, भविष्य, वर्तमान) तीनों कालों में दशरथजी के समान बड़भागी (और) कोई नहीं है॥2॥

चौपाई 7 -

मंगलमूल रामु सुत जासू। जो कछु कहिअ थोर सबु तासू।।
रायँ सुभायँ मुकुरु कर लीन्हा। बदनु बिलोकि मुकुटु सम कीन्हा।।

भावार्थ:-मंगलों के मूल श्री रामचन्द्रजी जिनके पुत्र हैं, उनके लिए जो कुछ कहा जाए सब थोड़ा है। राजा ने स्वाभाविक ही हाथ में दर्पण ले लिया और उसमें अपना मुँह देखकर मुकुट को सीधा किया॥3॥

चौपाई 8 -
श्रवन समीप भए सित केसा। मनहुँ जरठपनु अस उपदेसा।।
नृप जुबराजु राम कहुँ देहू। जीवन जनम लाहु किन लेहू।।

भावार्थ:-(देखा कि) कानों के पास बाल सफेद हो गए हैं, मानो बुढ़ापा ऐसा उपदेश कर रहा है कि हे राजन्‌! श्री रामचन्द्रजी को युवराज पद देकर अपने जीवन और जन्म का लाभ क्यों नहीं लेते॥4॥

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रविवार, 3 अक्तूबर 2021

एक Good Leader कैसे बने ? L+T+D Success Formula को Use करके एक Good Leader बन सकते हैं


एक Good Leader कैसे बने ? 




L+T+D Success Formula 

यदि आपने कोई Company नए – नए join की है तो आपने Goal भी जरूर Set किए होंगे या आपके मन में यह सवाल होंगे कि आप किस तरह से इस company या Organization में Success होंगे ? ,

 आप एक Good  Leader किस तरह से बनेंगे ? 

, आपके अंदर Good Leader बनने के लिए क्या-क्या Qualities होना चाहिए ? 

क्योकि कहा जाता है कि अगर शेरों की एक Team को एक भेड़ Lead करता है तो सभी शेर भेड़ बन जाते है और यदि भेड़ो की एक Team को एक शेर Lead करता है तो भेड़ भी शेर बन जाते है।  एक Team का पूरा Performance उसके Good Leader के कारण होता है।


Leadership Quality या कहें किसी भी Field में Success होने के गुण किसी में भी पैदाइसी नहीं होते है यह Quality पैदा की जाती है।

 यहाँ मैं Kailash Chandra Ladha आपके साथ LTD Success Formula Share करने जा रहा हु जिसको Follow करके हम किसी भी Field में Success हो सकते है और यदि हम एक Good Leader बनना चाहते है और अपनी Team में भी  Leaders Create  करना चाहते है तो यह हमें हमारी मंज़िल तक पंहुचा सकता है। तो आएये जानत्ते है कि यह LTD Success Formula क्या है ?

Good Leader बनने के लिए L+T+D Success Formula .


 L   =    Learn (सीखना )
 T   =   Teach (सीखाना)
 D   =   Duplicate (अपने जैसे लोग बनाना )

1. Learn (सीखना ) –
किसी भी Field में Success होने के लिए या एक Good  Leader बनने के लिए यह सबसे पहला कदम होता है उस Work को सीखना या कहें अच्छे से सीखना। जब तक हमें किसी Field  के बारे में अच्छे से जानकारी नहीं रहेगी , तब तक उसमें Success होना असंभव है , इसलिए किसी भी Work या Field  में Success के लिए यह पहला Step है जिसका सही रहना बहुत जरूरी है। जिस तरह यदि हमारे Shirt की पहली बटन हम सही लगा लेते हैं तो बाकी की बटन अपने आप सही जगह पर आ जाती है उसी तरह यदि हमारा पहला Step जो कि सीखने का है यदि सही है तो बाकी Step अपने आप सही हो जाएंगे।


किसी भी चीज को सही से सीखने के लिए हम कुछ बातें Follow  कर सकते हैं –

Basic  सीखें – किसी भी Work में सही से और लंबे समय तक आगे बढ़ने के लिए उसका Basic Knowledge रखना बहुत जरूरी है। जिस तरह एक बिल्डिंग कितनी ऊंची बन सकती है यह  उसकी नींव की गहराई पर निर्भर होता है वैसे ही किसी भी Work में Success उसके Basic Knowledge पर निर्भर रहता है इसलिए Basic पर ज्यादा ध्यान दे।
Practice करें – कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें सिर्फ सीखने से कुछ नहीं होता , उनकी Practice करना पड़ती है। यदि में Cricket की कई सारी किताबें पढ़ लूं , सभी मैच TV पर देख लूं और सोचो कि मुझे Cricket का पूरा Knowledge है और Indian Cricket Team  में मुझे जगह मिल जाए , तो यह संभव नहीं है । इसलिए Basic सीखने के बाद उसपर Practice जरूर करें तभी उस Work में Really Success मिलेगी।  
इस पर काफी अच्छा श्लोक है –
” करत करत अभ्यास के , जड़मति होत सुजान।  रसरी आवत जात पर , सिल पर पड़त  निशान। “ 

Problem को Solve करें – जब हम किसी चीज का Basic सीख जाते हैं और उस पर Practically Practice करते हैं तो हमें कुछ ना कुछ Practically Problems जरूर आती है उन Problem का Solution करना भी उतना ही जरूरी है जितना Basic सीखना। अगर हम इस Problem को Solve नहीं करेंगे तो जब हम किसी को यही बातें सिखाएंगे तो उसे भी यह Problems आनी ही है तब हम उन्हें नहीं बता पाएंगे की इन Problems को कैसे Solve करें और हमारी गाड़ी वहीं रुक जाएगी और हम एक Good Leader नहीं बन पाएंगे इसलिए आने वाले Problems को Solve करें या अपने Senior से Solution सीख ले।

Notes  बनाये –  किसी भी Work को सीखना एक लंबी Process होती है , हम हर दिन कुछ न कुछ सीखते रहते हैं तो संभव है कि हम कुछ काम की बातें को भूल जाएं इसलिए Basic से लेकर आगे तक हर चीज के Short Notes बना लेना चाहिए ताकि अगर हमारे दिमाग से कोई बात निकल भी जाए तो हम Notes  को देखकर आसानी से याद कर पाए।

2. Teach (सीखाना) –
किसी भी Work में पारंगत यानि पूर्ण या Perfect होने का सबसे बढ़िया तरीका है कि हमने जो भी चीजें सीखी है वह दूसरों को सिखाएं। इससे दो फायदे होंगे एक तो हममें  सिखाने की कला आएगी जो कि एक Leader बनने के लिए बहुत ही जरुरी है और दूसरा हमारे काम को करने के लिए लोग तैयार होंगे। एक कहावत है कि ”अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। ” मतलब एक अकेला आदमी दूर तक नहीं चल सकता या कहें ज्यादा बड़ी Success बिना Team के Achieve नहीं कर सकता।

मेरा एक दोस्त है जिसने करीबन 10 साल पहले Computer Hardware Servicing का काम सीखा था और अकेले ही यह काम करता था। 5 साल तक वह रोज दुकान जाता कंप्यूटर सुधारता , लोगों के घर जाकर भी Service देता , बहुत मेहनत करता लेकिन 2 साल पहले उसने अपने साथ एक लड़के को रखा Free में सब कुछ सिखाया और काम करने के कुछ पैसे भी दिए ,फिर दूसरे को ,फिर तीसरे को , इस तरह उसने और उसके सीखे लड़कों ने 10 लोगों को सिखा दिया। आज वह सिर्फ दुकान में बैठता है पैसों का हिसाब देखता है और उसकी Income पहले से कई गुना ज्यादा है। यही कमाल है Teaching का।

किसी को सिखाने के लिए भी 
L = Learning वाले Steps Follow करें –
–  उसे भी Basic सिखाएं। 
– उसकी भी Practice करवाएं। 
– Problems को उसे खुद Solve करने दें ,जरुरत पड़ने पर उसकी मदद करें। 
– उससे भी उसके लिए Notes बनवाए।

3. Duplicate करें –
आपने रजनीकांत की Movie Robot जरूर देखी होगी ,जिसमें वह Robot को अपने जैसा एक और Robot बनाता है फिर 1 से 2 , 2 से 4, 4 से 8 , 8 से 16 , 16 से 32 64 128 256 512 1024 2048 4096 8092 16384 ऐसे करते हुए की एक बड़ी फौज बना लेता है। Ultimate Success के लिए या एक Good Leader बनने के लिए यही काम सबसे जरूरी है। यह करके आप अपने Work Load को बहुत कम कर सकते हैं।
मान लो आप की Team में 500 लोग हैं जिन्हें आप खुद सिखाते हो , उनकी Problems Solve करते हो। इसमें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी , पर यदि आप अपने जैसे ही 10  Leaders Create कर (बना) दो तो वह 10 Leaders 50–50 लोगों को Handle करेंगे ,सिखाएंगे , उनकी Problems Solve करेंगे। आपको सिर्फ 10 Leaders को सिखाना है ,इससे आपका काम बहुत आसान हो जाएगा और Growth की Speed भी कई गुना बढ़ जाएगी। बस आपको अपने जैसे ही कुछ  Leaders Create करने पड़ेंगे।
इस बात का भी ध्यान रखना पड़ेगा कि Leaders को उनकी Growth के हिसाब से Results मिले नहीं तो वह आपको छोड़ सकते हैं।

इस LTD Success Formula को Use करके एक Good Leader बन सकते हैं और किसी भी Field में Success हो सकते हैं इस LTD Success Formula से Start हुई Success की गाड़ी अब कभी नहीं रुकेगी। और किसी भी फिल्ड मे 100% सफ़लता मिलेगा !! 


कैलाश चंद्र लढा
 भीलवाड़ा

बालाजी आयुर्वेदिक स्टोर मधुवन द्वारा स्वदेशी आयुर्वेदिक रोग जांच शिविर संपन्न


 कोरोना से पहले भी भारत मे बीमारी के लिए आयुर्वेद प्रचलित था पर इस महामारी ने दूसरी सभी चिकित्सा पद्धतियों की पोल खोल दी और बीमारियों से निपटने के लिए लोगो को प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की महत्ता समझ मे आई









बीमारी से निपटने के लिए जोधपुर के बालाजी आयुर्वेदिक स्टोर, मधुबन हाउसिंग बोर्ड के संचालक  अभिषेक शर्मा द्वारा दिनांक 03  अक्टुंबर २०२१ को श्री मंछापूर्ण जगदम्बा माताजी के मंदिर, मधुबन हाउसिंग बोर्ड, जोधपुर के परिसर में स्वदेशी भारतीय कंपनी आईएमसी का आयुर्वेदिक रोग जाँच शिविर का आयोजन किया जिसमे आयोजक अभिषेक शर्मा, श्रीमती वंदना शर्मा के नेतृत्व में शिविर का  शुभारम्भ प्रातः १० बजे से किया गया और शिविर में जोधपुर के विभिन्न क्षेत्रों से आये हुए रोगी जिनको गैस, पथरी, स्त्री रोग, पाईल्स, पायरिया, किडनी रोग, मूत्र सम्बंधित बीमारियां, कोलेस्ट्रॉल, शुगर, गठिया, खांसी, जोड़ो का दर्द, श्वांस सम्बन्धी रोग, अस्थमा, दमा, कमजोरी, थकान, ह्रदय रोग, एसिडिटी, एलर्जी, सिरदर्द, पेट दर्द, बुखार, वायरल, आँखों की कमजोरी, जलन, मोटापा, डेंगू बुखार, ब्लड प्रेशर आदि से सम्बंधित जाँच के लिए पाली से स्पेशली पधारे हुए आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. एस. एस. शर्मा (BAMS, NIA ) AMO  और उनकी टीम द्वारा जाँच एवं परामर्श दिया गया,  डॉ. दिनेश जी पाराशर, डॉ. योगेंद्र कुमार दवे आदि ने अपनी अमूल्य सेवाएं प्रदान की 




शिविर के  जोधपुर के कंपनी के स्टार एंबेसेडर विशाल संखवाया ने  बताया की इंटरनेशनल मार्केटिंग कंपनी समय समय पर द्वारा स्वदेशी एवं आयुर्वेदिक शिविर आयोजित किये जाते है  इस शिविर को सफल बनाने एवं रोगियों की जांच में अभिषेक जी शर्मा की टीम के मुख्य कार्यकर्ताओं जिसमे श्रीमती वंदना शर्मा, कैलाशचंद्र लढा (सांवरिया), मनीष जोशी, दलवीर सिसोदिया, लक्ष्मण राम भाटी , विशाल शंखवाया, श्रीमती सुमित्रा शर्मा, श्री श्यामलाल  शर्मा, गौरव लखारा, श्रीमती  विमला शर्मा, श्रीमती लखारा, आदि ने अपना योगदान दिया और १५० से ज्यादा रोगियों ने अपनी जाँच की. अब तक कंपनी द्वारा राजस्थान मे भी कई आयुर्वेदिक शिविरों का आयोजन सफलतापूर्वक किया जा चुका है





वार्ड नंबर 43 के मधुबन हाउसिंग बोर्ड दक्षिण पार्षद श्रीमती बसंती मेवाड़ा और श्री विजय मेवाड़ा ने इस शिविर के सभी आयोजकों का आभार व्यक्त किया  और भविष्य में ऐसे शिविरों में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया

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