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गुरुवार, 20 जनवरी 2022

इन 6 वर्षों में विभिन्न माध्यमों से मुझे कुछ ऐसे सत्य पता चले जो हैरान करने वाले थे।

 मात्र 6-7 वर्ष पहले मैं भी एक सामान्य व्यक्ति था,  मुझे भी औरों की तरह नेहरू, गांधी, गांधी परिवार तथा हिन्दू मुस्लिम भाई भाई जैसे नारे अच्छे लगते थे।

मगर .....! मगर ...!!

इन 6 वर्षों में विभिन्न माध्यमों से मुझे कुछ ऐसे सत्य पता चले जो हैरान करने वाले थे।

1. सोशल मीडिया से मुझे यह पता चला कि "पत्रकार" निष्पक्ष नहीं होते। वे भी किसी मकसद/व्यक्तिगत स्वार्थ से जुड़े होते हैं।

2. लेखक, साहित्यकार भी निष्पक्ष नहीं होते। वे भी किसी खास विचारधारा से जुड़े होते हैं।

3. साहित्य अकादमी, बुकर, मैग्ससे पुरस्कार प्राप्त बुद्धिजीवी भी निष्पक्ष नहीं होते।

4. फिल्मों के नाम पर एक खास विचारधारा को बढ़ावा दिया जाता है। बालीबुड का सच पता चला।

5. हिन्दू धर्म को सनातन धर्म कहते हैं और देश का नाम हिंदुस्तान है, क्योंकि यह हिंदुओं का इकलौता देश है।

6. हिन्दू शब्द सिंधु से नहीं (ईरानियों द्वारा स को ह बोलने से) नहीं आया बल्कि "हिन्दू" शब्द "ऋग्वेद" में लाखों वर्ष पूर्व से ही वर्णित था।

7. जातिवाद, बाल विवाह, पर्दा प्रथा हजारों वर्ष पूर्व सनातनी नहीं बल्कि मुगलों के आगमन से उपजी कु-व्यवस्था थी, जिसे अंग्रेजों ने सनातन से जोड़कर हिन्दुओं को बांटा। उसे लिखित इतिहास बनाया।

8. किसी समय भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म पूरे विश्व में फैला था, पता चला।

9. वास्कोडिगामा का सच ये था कि वह एक लुटेरा, धोखेबाज था और किसी भारतीय जहाज का पीछा करते हुए, भारत पहुंचा।

10. बप्पा रावल का नाम, काम और अद्भुत पराक्रम सुना। उनसे डरकर 300 वर्ष तक मुस्लिम आक्रांता इधर झांके भी नहीं, पता चला।

11. बाबर, हुमायूँ, अकबर, औरंगजेब, टीपू सुलतान सहित सभी मुगल शासक क्रूर, हत्यारे, इस्लाम के प्रचारक, प्रसारक और हिंदुओं के नरसंहारक थे, यह सच पता चला।

12. ताज़महल, लालकिला, कुतुब मीनार हिन्दू भवन थे, इनकी सच्चाई कुछ और थी।

13. जिसे लोग व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी कहकर मजाक उड़ाते हैं, उसी ने मुझे  हेडगेवार, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल व हिन्दू समाज के साथ कि गई गद्दारी की सच्चाई बताईं।

14. गाँधी जी की तुष्टिकरण और भारत विभाजन के बारे में ज्ञान हुआ। गांधी जी जब अहिंसा के पुजारी थे तो शांतिदूतो को अहिंसा का पाठ न पढाके सिर्फ़ हिन्दुओं को क्यों पढाया ? पता चला !

15. नेहरू की असलियत, उसके इरादे, उसकी हरकतें, पता चलीं।

16. POJKL के बारे में भी इन 6 वर्षों में जाना कि कैसे पाकिस्तान ने कब्जा किया। और किस नेता की छुपी करतूत थी, कौन लोग POJKL को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं, पता चला।

17. अनुच्छेद 370 और उससे बने नासूर का पता चला।

18. कश्मीर में दलितों को आरक्षण नहीं मिलता, यह भी अब पता चला।

19. AMU मे दलितों को आरक्षण नहीं मिलती, वह इसी संविधान के तहत संविधान से परे ब्यवहार के लिये स्वतंत्रत है, पता चला।

20. जेएनयू की असलियत, वहाँ के खेल और हमारे टैक्स से पलने वाली टुकड़े टुकड़े गैंग का पता चला।

21. वामपंथी-देशद्रोही विचारधारा के बारे में पता चला।

22. जय भीम समुदाय के बारे में पता चला। भीमराव के नाम पर उनके मत से सर्वथा भिन्न खेल का पता चला। मीम, भीम, दलित औऱ हिन्दू-दलित अलग-अलग होते हैं, पता चला !

23. मदर टेरेसा की असलियत अब जाकर ज्ञात हुई।

24. ईसाई मिशनरी और धर्मांतरण के बारे में पता चला।

25. समुदाय विशेष में तीन तलाक, हलाला, तहरुष, मयस्सर, मुताह जैसी कुरीतियों के नाम भी अब जाकर सुना। इनका मतलब जाना।

26. अब मुझे पता चला कि धिम्मी, काफिर, मुशरिक, शिर्क, जिहाद, क्रुसेड जैसे शब्द हिन्दुओं के लिए क्या संदेश रखते हैं।

27. सच बताऊं ! गजवा-ऐ-हिन्द के बारे मे पता भी नहीं था, कभी नाम भी नहीं सुना था। यह सब इन 6 वर्षों में पता चला। स्टॉकहोम सिंड्रोम और लवजिहाद का पता चला।

28. सेकुलरिज्म की असलियत अब पता चली। मानवाधिकार, बॉलीवुड, बड़ी बिंदी गैंग, लुटियंस जोन इन सबके लिए तो हिन्दू एक चारा था।

29. हिन्दू पर्सनल लॉ और मुस्लिम पर्सनल लॉ अलग हैं, यह भी सोशल मीडिया ने ही बताया। नेहरू ने हिन्दू पर्सनल लॉ को समाप्त कर दिया लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ को रहने दिया।

30. भारतीय इतिहास के नाम पर हमें झूठी कहानी पढ़ायी गयी, जिन मुगलों ने हमें लूटा, हम पर अत्याचार किया उन्हें महान बताया गया। यदि कोई बाहरी व्यक्ति आपके घर पर कब्जा करे, लूटे, अत्याचार करे, वह लुटेरा महान कैसे हो सकता है ?

31. इतना सब पता चलने के बाद भी और मोदीजी के महान नेतृत्व के बाद भी केवल तीस प्रतिशत हिन्दू ही असलियत समझ पाए हैं, बाकी वैसे ही हैं !

32. यहां तक कि न्यायमूर्ति कहे जाने वाले न्यायाधीश तक निष्पक्ष नहीं होते, कुछ विचारधारा से, कुछ डर के कारण, न्याय नहीं कर सकते!

33. अभिव्यक्ति की आजादी और सही इतिहास जिसे दफन कर दिया गया था वह अब धरती फाड़कर बाहर आ रहा हैै, पर पहले लिखा इतिहास सारा झूठ का पुलंदा था।

34. सभी राजनीतिक पार्टियों की वास्तविक हकीकत, और उनका एजेंडा पता चला !

🙏🏼 जय श्रीराम 🙏🏼

फ़िल्म में हिंदुओं के नरसंहार का जिम्मेदार हाजी बना हीरो, राष्ट्रवादी दिखाने की घोषणा

🚩 फ़िल्म में हिंदुओं के नरसंहार का जिम्मेदार हाजी बना हीरो, राष्ट्रवादी दिखाने की घोषणा

20 अगस्त 2020
azaadbharat.org

🚩 हिंदुस्तान में सदियों से हिंदुओं पर अनगिनत अत्याचार हुए है फिर भी हिंदू प्रगाढ़ निद्रा में है इसके कारण आज भी सनातन धर्म विरोधी अपनी गतिविधियों द्वारा हिंदुओं पर हुए अत्याचार को मिटाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं और हिंदुओं के खिलाफ़ धृणा पैदा करने वाली अनेक इतिहास लिखा जा चुका है और लिख रहे हैं और उसके ऊपर फिल्में बनाकर हिंदू धर्म को नीचा दिखाने व मिटाने की कोशिशें कर रहे हैं।

🚩 आपको बता दे कि साल 1921 में केरल में हुए हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार वरियमकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji ) की जिंदगी पर आधारित फिल्म बनने वाली है। इस फिल्म को बनाने वाले का नाम आशिक अबु है। हाजी का किरदार निभाने वाले एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन हैं। और, फिल्म का टाइटल वरियमकुन्नन (Vaariyamkunnan) हैं। ये सब सूचना स्वयं अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन ने अपने फेसबुक पर दी है।

🚩 उन्होंने अपनी नई फिल्म का ऐलान करते हुए हाजी को ब्रिटिशों के ख़िलाफ़ लड़ने वाली शख्सियत बताया है। साथ ही हाजी को न केवल एक नेता के तौर पर दर्शाया, बल्कि उसे एक फौजी और राष्ट्रवादी भी कहा।

🚩 इसके अलावा मालाबार में हुए हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को पृथ्वीराज ने मालाबार क्रांति का पहला चेहरा लिखा और जानकारी दी कि इसकी फिल्मिंग हाजी की 100वीं बरसी पर शुरू करेंगे।

🚩 यहाँ बता दें, इस जानकारी के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर एक नया विवाद खड़ा हो गया। लोग पूछने लगे कि आखिर हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार व्यक्ति हीरो कैसे हो सकता है? या ये समझें कि ये फिल्म फिर से समुदाय विशेष के कुकर्मों को धोने का एक प्रयास है, जिसके जरिए सच्चाई को छिपाते हुए नया इतिहास समझाने की कोशिश हो रही है।

क्यों है विवाद?

🚩 दरअसल, साल 2021 में रिलीज होने वाली यह फिल्म मोपला समुदाय के उस मुस्लिम नेता की जिंदगी पर आधारित है, जिसे साल 1921 में मालाबार में हजारों हिंदुओं के नरसंहार का जिम्मेदार बताया जाता है।

कौन था वरियम कुन्नथु हाजी कुंजाहम्मद हाजी?

🚩 वरियमकुन्नथु या चक्कीपरांबन वरियामकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji), वही शख्स है जो खुद को ‘अरनद का सुल्तान’ कहता था। उसी क्षेत्र का सुल्तान जहाँ सैंकड़ों मोपला हिंदुओं का नरसंहार हुआ। जहाँ इस्लामिक ताकतों ने मिलकर लूटपाट की और अंग्रेजों के ख़िलाफ़ विद्रोह की आड़ में हिंदुओं का रक्तपात किया। मगर, फिर भी, उन आतताइयों के उस चेहरे को छिपाने के लिए इतिहास के पन्नों में उन्हें मोपला के विद्रोहियों का नाम दिया गया।

🚩 बता दें, मोपला में हिंदुओं का नरसंहार वही घटना है, जब हिंदुओं पर मुस्लिम भीड़ ने न केवल हमला बोला। बल्कि आगे चलकर पॉलिटिकल नैरेटिव गढ़ने के लिए उस बर्बरता को इतिहास के पन्नों से ही गुम कर दिया या फिर काट-छाँटकर इसपर जानकारी दी गई।

🚩 केरल के मालाबार में हिंदुओं पर अत्याचार के उन 4 महीनों ने सैंकड़ों हिंदुओं की जिंदगी तबाह की। बताया जाता है कि मालाबार में ये सब स्वतंत्रता संग्राम के तौर पर शुरू हुआ। लेकिन जब खत्म होने को आया तो उसका उद्देश्य साफ पता चला कि वरियमकुन्नथु जैसे लोग केवल उत्तरी केरल से हिंदुओं की जनसंख्या कम करना चाहते थे।

🚩 खिलाफत आंदोलन का सक्रिय समर्थक वरियमकुन्नथु ने अपने दोस्त अली मुसलीयर के साथ मिलकर मोपला दंगों का नेतृत्व किया। जिसमें 10,000 हिंदुओं का केरल से सफाया हुआ। जबकि माना जाता है कि इसके बाद करीब 1 लाख हिंदुओं को केरल छोड़ने पर मजबूर किया गया। इस दौरान हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया गया। जबरन धर्मांतरण हुए और कई प्रकार के ऐसे अत्याचार हिंदुओं पर किए गए, जिन्हें शब्दों में बयान कर पाना लगभग नामुमकिन है।

🚩 बाबा साहेब अंबेडकर अपनी किताब में इस नरसंहार का जिक्र करते हैं। वे पाकिस्तान ऑर पार्टिशन ऑफ इंडिया नाम की अपनी किताब में लिखते हैं कि हिन्दुओं के खिलाफ मालाबार में मोपलाओं द्वारा किए गए खून-खराबे के अत्याचार अवर्णनीय थे। दक्षिणी भारत में हर जगह हिंदुओं के ख़िलाफ़ लहर थी। जिसे खिलाफत नेताओं ने भड़काया था।

🚩 इसके अलावा एनी बेसेंट ने इस घटना का जिक्र अपनी किताब में करते हुए बताया कि कैसे धर्म न त्यागने पर हिंदुओं पर अत्याचार हुए। उन्हें मारा-पीटा गया । उनके घरों में लूटपाट हुई। एनी बेंसेंट ने अपनी किताब में बताया कि करीब लाख से ज्यादा हिंदू लोगों को उस दौरान अपने घरों को तन पर बाकी एक जोड़ी कपड़े के साथ छोड़ना पड़ा था। उन्होंने लिखा, “मालाबार ने हमें सिखाया है कि इस्लामिक शासन का क्या मतलब है, और हम भारत में खिलाफत राज का एक और नमूना नहीं देखना चाहते हैं।”

🚩 आज मलयालम फिल्म को प्रोड्यूस करने वाले अधिकतर लोग मालाबार मुसलमान हैं। जिन्हें लगता है शायद इस तरह के प्रयासों से वह हिंदुओं पर हुई बर्बरता को लोगों की नजरों में धुँधला कर देंगे और अपनी कोशिशों से एक नया इतिहास नई पीढ़ी के सामने पेश करेंगे।

🚩 लेकिन, आपको बता दें, ये पहली बार नहीं है जब हाजी के आतताई चेहरे को नायक में तब्दील करने की कोशिश हुई। इससे पहले भी जामिया प्रदर्शन के समय सुर्खियों में आई बरखा दत्त की शीरो लदीदा ने हाजी का महिमामंडन किया था।
https://twitter.com/OpIndia_in/status/1296309080953217026?s=19

🚩 मोपला मुसलमानों के एक अलीम ने यह घोषणा कर दी कि उसे जन्नत के दरवाजे खुले नजर आ रहे हैं । जो आज के दिन, दीन की खिदमत में शहीद होगा वह सीधा जन्नत जाएगा । जो काफ़िर को हलाक करेगा वह गाज़ी कहलाएगा । एक गाज़ी को कभी दोज़ख का मुख नहीं देखना पड़ेगा । उसके आहवान पर मोपला भूखे भेड़ियों के समान हिन्दुओं की बस्तियों पर टूट पड़े । टीपू सुल्तान के समय किये गए अत्याचार फिर से दोहराए गए । अनेक मंदिरों को भ्रष्ट किया गया । हिन्दुओं को बलात मुसलमान बनाया गया, उनकी चोटियां काट दी गई । उनकी सुन्नत कर दी गई । मुस्लिम पोशाक पहना कर उन्हें कलमा जबरन पढ़वाया गया । जिसने इंकार किया उसकी गर्दन उतार दी गई । ध्यान दीजिये कि इस अत्याचार को इतिहासकारों ने अंग्रेजी राज के प्रति रोष के रूप में चित्रित किया हैं जबकि यह मज़हबी दंगा था । 2021 में इस दंगे के 100 वर्ष पूरे होंगे।

🚩 हिंदुओं का नर संहार करने वाले लोगों को आज हीरो बनाया जा रहा है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि रोल करने वाला भी हिंदू ही हैं, और देखने वाले भी अधिकतर हिंदू ही है, आज बॉलीवुड में अधिकतर फिल्में भी हिन्दू विरोधी ही बन रही है अभी "आश्रम" नाम की फ़िल्म बनाकर हिंदू धर्म को बदनाम ही किया जा रहा है। हिंदुओं को अब जागरूक होना चाहिए ऐसी फिल्मों का पुरजोर से विरोध करना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को ये लोग गुमराह करके हिंदू धर्म को खत्म न कर सकें।

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विश्व का एकमात्र मेंढक का मंदिर

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है जिसमे शिवजी मेंढक की पीठ पर विराजमान हैं। जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर ओयल कस्बे में स्थित इस मन्दिर को मेंढक मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां नर्मदेश्वर महादेव का शिवलिंग रंग बदलता है, और यहां खड़ी नंदी की मूर्ति है जो आपको कहीं देखने को नहीं मिलेगी। मंदिर के बारे में इतिहासकार माणिक लाल गुप्ता कहते हैं कि "मंदिर राजस्थानी स्थापत्य कला पर बना है, और तांत्रिक मण्डूक तंत्र पर बना है। मंदिर के बाहरी दीवारों पर शव साधना करती उत्कीर्ण मूर्तियां इसे तांत्रिक मंदिर ही बताती हैं।

सामने से मेंढक के पीठ पर करीब सौ फिट का ये मन्दिर अपनी स्थापत्य के लिए यूपी ही नहीं पूरे देश के शिव मंदिर में सबसे अलग है।"

Unique frog temple at Lakhimpur khiri..

सावन में महीने भर दूर-दूर से भक्त यहां आकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर ओयल स्टेट के राजा बख्त सिंह ने करीब 200 साल पहले बनवाया था। इतिहास के जानकार रामपाल सिंह कहते हैं मंदिर के बनवाने के पीछे दो बातें सामने आती हैं। ओयल के राजाओं ने इसे युद्ध में जीते पैसे को सदुपयोग के लिए बनवाया वही कहा यह भी जाता है कि अकाल से निपटने को किसी तांत्रिक की सलाह पर ये अदभुद मंदिर बनवाया गया। मेंढक मंदिर के चारों कोनों पर भी बड़ी सुंदर गुम्बद बने हैं।

अश्वगंधा: एक चमत्कारी औषधि

अश्वगंधा को आधुनिक वैज्ञानिक जगत में वंडर हर्ब (Wonder Herb) कहा है और प्राचीन आयुर्वेद में इसे रसायन का दर्जा प्राप्त है। प्राचीन परंपरा और आधुनिक विज्ञान के मध्य अगर मैं सेतु (ब्रिज़) बना कर लिखने की कोशिश करूं तो अश्वगंधा के गुणों के बखान में जगह और समय दोनो कम पड़ जाएंगे। फिर भी मैं कोशिश करता हूं। संयोग है कि आज सुबह ही मैने अश्वगंधा की तस्वीर भी ली थी।



राज-निघण्टु के मतानुसार अश्वगंधा स्तम्मक या कसैला, उष्ण, तिक्त, मद्यगंधयुक्त, बलकारक, वातनाशक, तथा खाँसी, श्वास, क्षय और व्रण को नष्ट करने वाली है।

भाव-प्रकाश के मतानुसार अश्वगंधा वात, कफ, सूजन, श्वेत कुष्ठ और कफ-रोगनाशक तथा बलकारक, रसायन, कसैली, तिक्त, उष्णवीर्य, और अत्यंत वीर्यवर्धक है।

अश्वगंधा: प्राचीन आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान

एक अन्य मतों के अनुसार अश्वगंधा के पत्तों का लेप गाँठ, गलगाँठ आदि ग्रंथि रोगों को दूर करने वाला है। यह निद्रा लाने वाली और मूत्र बढ़ाने वाली अत्यंत गुणकारी औषधि है। शुक्र-वृद्धिकारक होने के कारण इसको शुक्ला भी कहते हैं।

इसके प्रयोग से गठिया, क्षीणता, प्रमेह, कटिशूल, क्षयरोग, बंधत्व, वात रक्त, दिल-दिमाग की कमजोरी, बुढ़ापे की कमजोरी और सिर के रोगों में बहुत लाभ होता है। जिनको वीर्य की कमी से नामर्दी अथवा क्षय हो उनके लिये तो अश्वगंधा अमृत है।

अश्वगंधा: स्त्रियों के लिए भी हितकारी

यूनानी चिकित्सा पद्धति में असगंध को पुष्ट करने वाली, श्वास में लामदायक तथा नलियों के प्रदाह को मिटाने वाली है । यह ऋतुस्राव को नियमित करने वाली, गर्भाधान में सहायक तथा कटिवात और संधि-प्रदाह में लाभकारी है|



आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इसके पुष्टिकारक, दाह शामक, कैंसररोधी, एंटीस्ट्रेस, एंटीऑक्सिडेंट, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (रोग प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ाने वाला), रक्तवर्धक और कायाकल्पकारी गुणों को सही पाया गया। यह भी पाया गया है कि अश्वगंधा शरीर में अंतःस्रावी हार्मोन तंत्र, हृदय, फेफड़ों और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

  • उपरोक्त लेख वनौषधि चंद्रोदय खंड-1 और अश्वगंधा पर केंद्रित कई आधुनिक विज्ञान के शोध पत्रों के अध्यन से प्राप्त जानकारी के आधार पर लिखा है
  • सभी तस्वीरों के सर्वाधिकार सुरक्षित हैं।

बुधवार, 19 जनवरी 2022

वार्षिक माघ मेले का आकर्षण कल्पवासी होते हैं

वार्षिक माघ मेले का आकर्षण कल्पवासी होते हैं
कल्पवास की शुरूआत पौष पूर्णिमा के स्नान से आरंभ होती है
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती पर हर साल लगने वाला सबसे बड़ा धार्मिक माघ मेला चल रहा है. संगम की रेती पर लगने वाले कुम्भ की पहचान अखाड़े होते हैं, जबकि वार्षिक माघ मेले का आकर्षण कल्पवासी होते हैं. श्रद्धालु नियम और संयम के साथ कठोर तप कर एक महीने यहां ठहरकर अपना कल्पवास सम्पन्न करते हैं. इस कल्पवास की शुरूआत पौष पूर्णिमा के स्नान से आरंभ हो जाती है.

कितना कठिन होता है कल्पवास?
कल्पवास करने आए श्रद्धालु पौष पूर्णिमा के दिन तुलसी-शालिग्राम की स्थापना करते हैं और दिन में तीन बार स्नान और एक बार भोजन करते हैं. श्रद्धालु भजन-कीर्तन कर अपना समय व्यतीत करते हैं. दान पुण्य करते हैं और जमीन पर सोते हैं. ऐसा बारह वर्षों तक किया जाता है. कुछ श्रद्धालु इससे ज्यादा भी कल्पवास करते हैं और ईश्वर का आशीर्वाद लेकर अपना परिवारिक जीवन सार्थक करते हैं.

कौन करता है कल्पवास?
वैसे तो एक माह तक संगम की रेती पर कल्पवास करने वाले साधक अपने जीवन के सभी कार्यों से विरत होते हैं. इसके बाद श्रद्धालु यहां आकर कल्पवास करते हैं. यानी बच्चों की शादी और तमाम कार्य जब व्यक्ति पूरे कर लेता है और जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाता है तो 12 वर्षों तक लगातार कल्पवास करता है और एक माह कल्पवास करने वाले साधक को ब्रम्हा के एक दिन का पुण्य मिलता है. कल्पवासी को इस साधना के बाद मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. उसे जन्म-जन्मांतर के बंधनों से भी मुक्ति मिल जाती है.

कल्पवास करने से क्या मिलता है फल?
ऐसी मान्यताएं हैं कि 100 साल तक बिना अन्न के तपस्या करने वाले को जो फल मिलता है वो एक माह संगम की रेती पर कल्पवास करने से मिल जाता है. इससे कल्पवासी की हर मनोकामना पूरी होती है. अपने घर के बाहर कल्पवास करने वाले तुलसी का पौधा लगाते हैं भोर में जागकर साधक स्नान कर पूजा पाठ में लग जाते हैं.

सिर्फ प्रयाग में ही होता है कल्पवास
ऐसा बताया जाता है कि प्रयाग में महर्षि भारद्वाज का आश्रम रहा करता था और ब्रम्हा जी ने यहां यज्ञ और पूजन किया था. तभी से ऋषियों और मुनियों की इस तपोभूमि पर साधू-संत और गृहस्त जीवन बिताने वाले श्रद्धालु कल्पवास करते हैं और ये सिर्फ प्रयाग में ही होता है. साधू-संत और कल्पवास करने वाले श्रद्धालु अपने हांथो से कुटिया बनाकर यहां रहते हैं. हालांकि आज के दौर में कुटिया का रूप आधुनिक टेंटों ने ले लिया है.
          ।।    माघ मेला प्रयागराज में।।

🔻🔻🔴नक्षत्र एवं संबंधित दान 🔻🔻 🔴


अश्विनी नक्षत्र में कांस्य पात्र में घी भरकर दान करने से रोग मुक्ति होती है। 
- भरणी नक्षत्र में ब्राह्मण को तिल एवं धेनु का दान करने से सद्गतिप्राप्त होती है व कष्ट कम होता है। 
- कृतिका नक्षत्र में घी और खीर से युक्त भोजन ब्राह्मण व साधु संतांे को दान करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है ..

- रोहिणी नक्षत्र में घी मिश्रित अन्न को ब्राह्मण व साधुजन को दान करना चाहिए।
 – मृगशिरा नक्षत्र में ब्राह्मणों को दूध दान करने से किसी प्रकार का ऋण नहीं रहता व व्याधि से दूर रहते हैं। 
- आद्र्रा नक्षत्र में तिल मिश्रित खिचड़ी का दान करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्त हो जाते हंै। 
- पुनर्वसु नक्षत्र में घी के बने मालपुए ब्राह्मण को दान करने से रोग का निदान होता है। 
-पुष्य नक्षत्र में इच्छा अनुसार स्वर्ण दान करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हंै। 
- अश्लेषा नक्षत्र में इच्छा अनुसार चांदी दान करने से रोग से शांति व निर्भय हो जाता है।
- मघा नक्षत्र में तिल से भरे घड़ों का दान करने से रोग से निदान व धन की प्राप्ति भी होती है। 
-पूर्वाफाल्गुनी में ब्राह्मण को घोड़ी का दान करने से सद्गति मिलती है।
 – उत्तराफाल्गुनी में स्वर्ण कमल ब्राह्मण को दान देने से बाधाएं दूर हो जाती हैं व रोग से शांति मिलती है। 
- हस्त नक्षत्र में रोग से निदान पाने के लिए ब्राह्मण को चांदी दान करना व जल सेवा लाभदायक होती है। 
- चित्रा नक्षत्र में ताम्रपत्र, घी का दान शुभ होता है। 
- स्वाति नक्षत्र में जो पदार्थ स्वयं का प्रिय हो, उनका दान करने से शांति मिलती हैऔर अंत में सद्गति मिलती है।
 – विशाखा नक्षत्र में वस्त्रादि के साथ अपना कुछ धन ब्राह्मण को देने से सारे कष्ट दूर होते हैं साथही आपके पितृगण भी प्रसन्न होते हंै। 
- अनुराधा नक्षत्र में यथाशक्ति कम्बल ओढ़ने तथा पहनने वाले वस्त्र ब्राह्मण को दान किये जायें तो आयु में वृद्धि होती है। 
- ज्येष्ठा नक्षत्र में मूली दान देने से अभीष्ट गति प्राप्त होती है।
 – मूल नक्षत्र में कंद, मूल, फल, आदि देने से पितृ संतुष्ट हो जाते हैं, स्वास्थ्य मेंलाभ व उत्तम गति मिलती है।
 -पूर्वाषाढ़ा में कुलीन और वेदवेत्ता ब्राह्मण को दधिपात्र देने से कष्ट दूर हो जाते हंै।
 – उत्तराषाढ़ा में घी और मधु का दान ब्राह्मण को देने से रोग में शांति होती है।
 – श्रवण नक्षत्र में पुस्तक दान करना लाभदायक। 
- धनिष्ठा में दो गायों का दान करने से रोग में शांति व जन्मांेतक सुख की प्राप्ति भी होतीहै।

 – शतभिषा नक्षत्र में अगरु व चन्दन दान करने से शरीर के कष्ट दूर हो जाते हैं। 
- पूर्वाभाद्रपद में साबुत उड़द के दान से सभी कष्ट से आराम व सुख प्राप्तहोता है। 
- उत्तराभाद्रपद में सुन्दर वस्त्रों के दान से पितृ संतुष्ट होते हैं और उसे सद्गति प्राप्त होती है। 
- रेवती में कांस्य के पात्र दान करना लाभदायक होता है।🕉️🌹🌷💐🕉️

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