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रविवार, 6 फ़रवरी 2022

मैं बिल्कुल नहीं कहता के आप किसे वोट दें


 प्रासंगिक...
छमा मांगते हुवे कहूंगा कि, राष्ट्र के बड़े राज्य सहित कुल 5 राज्यों में चुनाव है । चुनाव व राजनीति से हम अलगाव नहीं रख सकते । सजग जागरूक मतदाता लोकतंत्र का प्रहरी है, स्वस्थ मतदान हमारे जीवन को असर करता पहलू है ।
जिन लोगों को राजनीतिक विचारधारा की सामग्री से आपत्ति हो, उनसे पूरी विनम्रता से आग्रह कि ये मात्र आपके सोच को परिपक्व करने मात्र का प्रयास भर है - चर्चा मात्र है । मतदान में भागीदारी निभाना भी राष्ट्र आराधना है, लोकतंत्र को जीवित रखने की बेहद जरूरी कड़ी । हाँ,   निर्णय हमेशा आपका अपना !!

मैं बिल्कुल नहीं कहता के आप किसे वोट दें....
ये निर्णय पूरी तरह आपका अपना हो !!
अपना भला बुरा आप खुद समझें...
लेकिन .....

◆आपकी दुकान, व्यापार पर कोई गुंडा हफ्ता वसूलने न आये.....
●आपकी बेटी किसी भैंसा पकाने वाले की बेग़म न बने
◆आपकी बहन को कॉलेज के बाहर खड़े रोमियो छेड़े न उसका दुपट्टा न खिंचे
◆आपके बेटे का अपहरण न हो जिसे आप किसी माननीय के जरिये फिरौती दे छुड़ाएं
◆आपके पाई पाई जोड़ खरीदे उस प्लॉट पर कोई कब्ज़ा न जमाये जिसे बेच आप बिटिया के ब्याह का सपना संजोये हैं
◆आपके मकान का कोई किराएदार किसी नेता के सहारे आपको ही बेघर न कर दे....
◆किसी समारोह में आप किसी अनजान अवैध हथियार की गोली से न मरें
◆आपका घर दंगों में न जले
◆आपके बेटे कहीं उन्मादी भीड़ द्वारा बर्बर मौत न मारे जाएं...
वोट देने से पहले इन पहलुओं पर विचार करके वोट दें ।
बाकी जीवन आपका..... वोट आपका....... निर्णय आपका!

महान सनातन योद्धा सम्राट मिहिर भोज.... जिनसे खौफ खाते थे अरब के 8 मुस्लिम खलीफा


 महान सनातन योद्धा सम्राट मिहिर भोज.... जिनसे खौफ खाते थे अरब के 8 मुस्लिम खलीफा

- सम्राट मिहिर भोज के राष्ट्रवादी मार्ग पर चले...  नमाजवादियों को नहीं... भगवाप्रेमियों को चुनें

- 836 ईस्वी से 885 ईस्वी तक सम्राट मिहिर भोज का शासन रहा... इस कालखंड में बगदाद के अंदर 8 खलीफा आए और गए और हर खलीफा यही ख्वाब देखते देखते अल्लाह को प्यारा हो गया कि महान हिंदू सम्राट मिहिर भोज को किसी तरह हिंदुस्तान की जमीन से हटा दें... लेकिन मां भारती के महान सुपुत्र सम्राट मिहिर भोज का प्रताप इतनी तेजी से फैला कि अफगानिस्तान से लेकर बगदाद तक फैली अरब के खलीफाओं की सत्ता हिल गई... खलीफाओं के खिलाफ ही विद्रोह हो गए

-खौफ के मारे अरब के यात्री सुलेमान ने अपनी किताब सिलसिला-उत-तारिका में लिखा कि सम्राट मिहिरभोज के पास उंटों, घोड़ों और हाथियों की बड़ी विशाल और सर्वश्रेष्ठ सेना है...  उनके राज्य में व्यापार सोने और चांदी के सिक्कों से होता है. .. और इनके शासन में चोरों डाकुओं का भय नहीं है

-सम्राट मिहिर भोज के कालखंड में आए अब्बासी 8 खलीफाओं के नाम निम्नलिखित हैं...

1- मौतसिम (833 से 842 ई०)
2- वासिक (842 से 847 ई०)
3- मुतवक्कल (847 से 861 ई०)
4- मुन्तशिर (861 से 862 ई०)
5- मुस्तईन (862 से 866 ई०)
6- मुहताज (866 से 869 ई०)
7- मुहतदी (869 से 870 ई०)
8- मौतमिद (870 से 892 ई०)

- ये 8 खलीफा अपने संपूर्ण शासन काल में महाप्रतापी सम्राट मिहिर भोज से सीधे शत्रुता मानते रहे ।  672 ईस्वी में अरब सेनापति मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध की जमीन पर अरब मुसलमानों की जड़ें जमा दी थीं... लेकिन मिहिर भोज सिंध को अपने प्रभाव क्षेत्र में ले आए

-सिंध के आगे खलीफा के पांव भारत के अंदर नहीं जम पा रहे थे क्योंकि भारत में तब उत्तर भारत के विशाल हिस्से पर सम्राट मिहिर भोज का शासन था

- सम्राट की सेनाओं ने सिंध में कई युद्ध करके अरब की इस्लामी सेनाओं को पछाड़ दिया और सिंध नदी के पश्चिमी क्षेत्रों पर भी अधिकार स्थापित किया

- धौलपुर के सामन्त चन्द्र महासेन चौहान के 842 ई० के एक लेख में ये स्पष्ट किया गया है कि सम्राट मिहिर भोज ने म्लेच्छों को अपने आधीन करके अर्थात उन पर अपना नियन्त्रण स्थापित करके उनसे कर वसूल किया था ।

(नोट- कई मित्रों ने 9990521782  मोबाइल नंबर दिलीप नाम से सेव किया है लेकिन मिस्ड कॉल नहीं की... लेख के लिए मिस्ड कॉल और नंबर सेव...  दोनों काम करने होंगे क्योंकि मैं ब्रॉडकास्ट लिस्ट से मैसेज भेजता हूं जिन्होंने नंबर सेव नहीं किया होगा उनको लेख नहीं मिलते होंगे.. जिनको लेख मिलते हैं वो मिस्डकॉल ना करें प्रार्थना)

-उस वक्त तक अफगानिस्तान में हिंदू ब्राह्मण राजाओं का शासन था.. लेकिन तब खलीफाओं ने उनको गुलाम बना लिया था... जब सिंध से मिहिर भोज का प्रताप फैला और अफगान हिंदू राजाओं को सपोर्ट मिला तो अफगान के हिंदू राजा ललिया देव (850-870) ने विद्रोह कर दिया और अरब के खलीफा से मुक्ति हासिल की

- सम्राट मिहिर भोज के सहयोग से निरन्तर हिंदू राजाओं ने अरब आक्रान्ताओं को देश से बाहर खदेड़ दिया

-सम्राट मिहिर भोज विष्णु के अनन्य भक्त थे इसीलिए उन्होने आदिवराह की उपाधि ली थी उनकी तलवार धरती पर बोझ बने अरब मलेच्छों के लिए साक्षात मृत्यु थी

-लेख के माध्यम से मेरी अपील है कि सम्राट मिहिर भोज के आदर्शों पर चलते हुए नमाजवादियों को नहीं राष्ट्रवादियों को चुनें

धन्यवाद
भारत माता की जय
वंदेमातरम

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शनिवार, 5 फ़रवरी 2022

बिल्व_वृक्ष_विशेष_पंचपत्रबिल्व_दर्शनम्

🚩ॐ नमः शिवाय 🚩
 
#बिल्व_वृक्ष_विशेष_पंचपत्रबिल्व_दर्शनम्
🌿1. बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते ।
🌿2. अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है ।
🌿3. वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है ।
🌿4. चार पांच छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है ।
🌿5. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है। और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।
🌿6. सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापो का नाश होता है।
🌿7. बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते है।
🌿8. बेल वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
🌿9. बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे ।
🌿10. जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाते है ।
🌿11. बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है।
🌿कृपया बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाये । 
बिल्व पत्र के लिए पेड़ को क्षति न पहुचाएं।

#शिवजी की पूजा में ध्यान रखने योग्य बात:-

#शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को कौन सी चीज़ चढाने से क्या फल मिलता है । किसी भी देवी-देवता का पूजन करते वक़्त उनको अनेक चीज़ें अर्पित की जाती है। प्रायः भगवन को अर्पित की जाने वाली हर चीज़ का फल अलग होता है। शिव पुराण में इस बात का वर्णन
मिलता है कि भगवन शिव को अर्पित करने वाली अलग-अलग चीज़ों का क्या फल होता है।

#शिवपुराण के अनुसार जानिए कौन सा अनाज भगवान शिव को चढ़ाने से क्या फल मिलता है:
👉1. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
👉2. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाताहै।
👉3. जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
👉4. गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में वितरीत कर देना चाहिए।

#शिवपुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन सा रस(द्रव्य) चढ़ाने से उसका क्या फल मिलता है।
🚩1. ज्वर (बुखार) होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
🚩2. नपुंसक व्यक्ति अगर शुद्ध घी से भगवान शिव का अभिषेक करे, ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान संभव है।
🚩3. तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
🚩4. सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है।
🚩5. शिवलिंग पर ईख (गन्ना) का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
🚩6. शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
🚩7. मधु (शहद) से भगवान शिव का अभिषेक करने से राजयक्ष्मा (टीबी) रोग में आराम मिलता है।

#शिवपुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन का फूल चढ़ाया जाए तो उसका क्या फल मिलता है-
☑️1. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
☑️2. चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।
☑️3. अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
☑️4. शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
☑️5. बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती
है।
☑️6. जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
☑️7. कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
☑️8. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
☑️9. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशनकरता है।
☑️10. लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है।
☑️11. दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है।
     
             🌿ॐहर हर महादेव शम्भू 🌿
🙏🙏🏻🔱जय भवानी हर हर महादेव 🙏🙏🏻🔱

पॉलिटिक्स अगर समाज सेवा है तो सैलरी क्यों , अगर नौकरी है तो एजुकेशन एंड क्वालिफिकेशन जरूरी क्यों नहीं

प्रिय असंतुष्ट मध्यम वर्ग के मतदाता..

प्रिय असंतुष्ट मध्यम वर्ग के मतदाता..

 8 साल पहले, 2 लाख और 5 लाख के बीच कर योग्य आय पर आयकर 10% था, जो अब 0 है।

 8 साल पहले रेस्टोरेंट के बिल पर टैक्स 13% से 28% था, जो अब 5% है।

 8 साल पहले होम लोन पर ब्याज 10.3% था, जो अब 6.65% है।

 8 साल पहले 1 जीबी 3जी डाटा पैक 250 रुपये था, अब 1 जीबी 4जी 5 रुपये से कम में

 8 साल पहले दवा और स्टेंट के दाम आसमान छू रहे थे, अब ये बहुत कम हैं।

 8 साल पहले डबल डिजिट में थी महंगाई, अब 5% के नीचे साथ ही दाल और सब्जियों की कीमतों में गिरावट आई है।

 8 साल पहले 17 अलग-अलग अप्रत्यक्ष कर, अब सिर्फ जीएसटी।

 8 साल हमारी अर्थव्यवस्था नाजुक 5 समूह में थी अब यह BAA3 में है।

 8 साल पहले ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में हम 160वें स्थान पर थे, अब शीर्ष प्रदर्शन करने वालों में से एक 77वें स्थान पर है।

 8 साल पहले, रियल एस्टेट बिल्डरों के पास मनमनी थी, अब वे रेरा के तहत समय सीमा से पहले प्रोजेक्ट देने के लिए बाध्य हैं।

 8 साल पहले रेंगने की रफ्तार से बनते थे हाईवे, अब 2014 के मुकाबले 70 फीसदी ज्यादा है।

 8 साल पहले, दवाइयों की कीमतों को बड़ी फार्मा कंपनियों द्वारा नियंत्रित किया जाता था, अब सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है और उन्हें 50% तक कम कर दिया है।

 हम मध्यवर्गीय लोगों के साथ एकमात्र समस्या यह है कि हमें कभी एहसास ही नहीं होता कि ये सभी विकास हमारे लिए हैं।

 उड़ान, स्वच्छ भारत, जनधन, जीएसटी, बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ जैसी योजनाएं हमारे लिए हैं, दोस्त।

 सबसे महत्वपूर्ण बिंदु।

 8 साल पहले हमें यकीन नहीं था कि हमारा पीएम कौन है, अब दुनिया भी उनके बारे में जानती है।  
कम से कम वह कठपुतली तो नहीं है।

*भारत का ख्याल रखना*
*जय हिंद, जय भारत, वन्दे मातरम्*
🇮🇳🚩

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