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बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

ममता का यूपी आना… बंगाल की तर्ज पर मुसलमानों को हिंदुओं के नरसंहार के लिये उकसाना है

 ममता का यूपी आना… बंगाल की तर्ज पर मुसलमानों को हिंदुओं के नरसंहार के लिये उकसाना है

हर हिंदू… 10 हिंदुओं को योगी को वोट देने के लिए तैयार करे… ये धर्मयुद्ध है… हार गए तो सब कुछ हिंदुओं के हाथ से निकल जाएगा


-हिंदू विरोधी छवि होने के बाद भी अखिलेश ने ममता को इसलिये बुलाया है ताकि यूपी के मुसलमानों को ये संदेश दिया जा सके कि जैसे बंगाल में मुसलमानों का एकमुश्त वोट टीएमसी को गया… वैसे ही मुसलमानों का एक मुश्त वोट अगर अखिलेश की तरफ गया तो ना सिर्फ अखिलेश की सरकार बनेगी बल्कि जिस तरह ममता के मुस्लिम गुंडों ने हिंदुओं का नरसंहार किया… हिंदू औरतों को सड़क पर खींच कर रेप किया और हिंदुओं को पलायन के लिए मजबूर कर दिया और फिर गांव में वापस लौटने के लिए टीएमसी के मुस्लिम गुंडों ने ये शर्त रखी की पहली काफिर औरतें हमारे हवाले कर दो… ठीक इसी तरह बंगाल की तर्ज पर यूपी के मुसलमानों को माल-ए-गनीमत की लूट और दंगे फ़साद का मौका मिलेगा


- मुसलमान हमेशा अपने वोट की पूरी क़ीमत वसूलता है बंगाल का चुनाव जीतने के बाद अपने वोट की क़ीमत मुसलमानों ने इस तरह से वसूली की हिंदुओं को असम पलायन करना पड़ा… इसीलिेए आपसे अनुरोध है कि अब हर हिंदू को जागना है और योगी जी के लिए वोट करना है जो संत हैं उनका कोई परिवार नहीं है… देश ही उनका परिवार है… योगी जी को सपोर्ट कीजिए.. थोड़ी बहुत तकलीफ़ भी हो तो उसके ऊपर हिंदुत्व की भावना को रखिए

-यूपी में वोटिंग शुरू हो गई है… इंतज़ार मत कीजिए कि जब पन्ना प्रमुख आएंगे और आपको कहेंगे कि वोट देने चलिए तब आप आराम से राजा की तरह उठेंगे और वोट डालने जाएंगे… ऐसा मत कीजिए…. सबसे पहले जाकर वोट डालिए… और कार्यकर्ताओं का काम आसान कीजिए…. कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाना आपका मक़सद होना चाहिए


-आप जिस तरह से भी मदद कर सकते हैं योगी जी की मदद कीजिए… बीजेपी वर्कर्स के लिए अपनी गाड़ियाँ ही दे दीजिए कि भाई इस गाड़ी में बैठाकर लोगों को ले जाइए… या उनको कम से कम पेट्रोल का खर्च ही दे दीजिए…. जैसा भी हो सके जो बन सके… बीजेपी के कार्यकर्ताओं की मदद कीजिए जो बिना स्वार्थ देश की सेवा में लगे हुए हैं




-एक बात और ध्यान रखनी है इस बार मुस्लिमों के ना तो कोई फ़तवे आए ना तो किसी मुसलमान ने कोई ऐसी टिप्पणी की जिससे हिंदू एकजुट होकर वोट करे… उल्टा मुसलमान मोदी योगी की तारीफ़ में मीठी बातें कर रहे हैं ताकी हिंदू वोट ध्रुवीक्रत ना हो… और अखिलेश की जीत हो जाए…. मुस्लिमों की इस चालाकी को समझकर एकतरफ़ा योगी को जी को जिताने के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर दें


-अपने बच्चों के चेहरे को देखें… वो तभी सुरक्षित रहेंगे जब मुसलमानों पर नियंत्रण होगा….  और ये क्षमता सिर्फ योगी जी में ही है

-योगी जी को 300+ दिलाना है इससे कम सीट आई तो ब्रांड योगी ख़तरे में आ जाएगा

-अहम बात ये कि मायावती का कोर जाटव वोट अब कानून व्यवस्था के नाम पर योगी जी की तरफ शिफ्ट हो रहा है…. आप लोग उनको और प्रेरित करेंगे तो योगी जी की मदद होगी


हर ग्रुप में शेयर कर दें
वोटिंग से पहले हर वोटर के मोबाइल में ये मैसेज होना ही चाहिए
क्रॉपी पेस्ट कॉपी पेस्ट झड़ी लगा दो

जय श्री राम

मुख्य द्वार के पास कभी भी कूड़ादान ना रखें इससे पड़ोसी शत्रु हो जायेंगे

 [1] मुख्य द्वार के पास कभी भी कूड़ादान ना रखें इससे पड़ोसी शत्रु हो जायेंगे |

[२] सूर्यास्त के समय किसी को भी दूध,दही या प्याज माँगने पर ना दें इससे घर की बरक्कत समाप्त हो जाती है |

[३] छत पर कभी भी अनाज या बिस्तर ना धोएं..हाँ सुखा सकते है इससे ससुराल से सम्बन्ध खराब होने लगते हैं |

[४] फल खूब खाओ स्वास्थ्य के लिए अच्छे है लेकिन उसके छिलके कूडादान में ना डालें वल्कि बाहर फेंकें इससे मित्रों से लाभ होगा |

[५] माह में एक बार किसी भी दिन घर में मिश्री युक्त खीर जरुर बनाकर परिवार सहित एक साथ खाएं अर्थात जब पूरा परिवार घर में इकट्ठा हो उसी समय खीर खाएं तो माँ लक्ष्मी की जल्दी कृपा होती है |

[६] माह में एक बार अपने कार्यालय में भी कुछ मिष्ठान जरुर ले जाएँ उसे अपने साथियों के साथ या अपने अधीन नौकरों के साथ मिलकर खाए तो धन लाभ होगा |

[७] रात्री में सोने से पहले रसोई में बाल्टी भरकर रखें इससे क़र्ज़ से शीघ्र मुक्ति मिलती है और यदि बाथरूम में बाल्टी भरकर रखेंगे तो जीवन में उन्नति के मार्ग में बाधा नही आवेगी |

[८] वृहस्पतिवार के दिन घर में कोई भी पीली वस्तु अवश्य खाएं हरी वस्तु ना खाएं तथा बुधवार के दिन हरी वस्तु खाएं लेकिन पीली वस्तु बिलकुल ना खाएं इससे सुख समृद्धि बड़ेगी |

[९] रात्रि को झूठे बर्तन कदापि ना रखें इसे पानी से निकाल कर रख सकते है हानि से बचोगें |

[१०] स्नान के बाद गीले या एक दिन पहले के प्रयोग किये गये तौलिये का प्रयोग ना करें इससे संतान हठी व परिवार से अलग होने लगती है अपनी बात मनवाने लगती है अतः रोज़ साफ़ सुथरा और सूखा तौलिया ही प्रयोग करें |

[११] कभी भी यात्रा में पूरा परिवार एक साथ घर से ना निकलें आगे पीछे जाएँ इससे यश की वृद्धि होगी |

ऐसे ही अनेक अपशकुन है जिनका हम ध्यान रखें तो जीवन में किसी भी समस्या का सामना नही करना पड़ेगा तथा सुख समृद्धि बड़ेगी |

Kuchh vaastu tips🔴🔴🔴🔴


💥१. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं ।

💥२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेशा छुपा कर रखें |

💥३. बिस्तर पर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से धन की हानी होती हैं। लक्ष्मी घर से निकल जाती है1 घर मे अशांति होती है1

💥४. घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।

💥५. पूजा सुबह 6 से 8 बजे के बीच भूमि पर आसन बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाहिए । पूजा का आसन जुट अथवा कुश का हो तो उत्तम होता है |

💥६. पहली रोटी गाय के लिए निकालें। इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है |

💥७.पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें जो जितना संभव हो ईशान कोण के हिस्से में हो |

💥८. आरती, दीप, पूजा अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं।

💥९. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में |

💥१०. घर के मुख्य द्वार पर दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं |

💥११. घर में कभी भी जाले न लगने दें, वरना भाग्य और कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है |

💥१२. सप्ताह में एक बार जरुर समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोछा लगाएं | इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है |

💥१३. कोशिश करें की सुबह के प्रकाश की किरणें आपके पूजा घर में जरुर पहुचें सबसे पहले |

💥१४. पूजा घर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ती है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो, ऐसी व्यवस्था करे |

नदियों को साफ मत कीजिए, बस गंदा करना बंद कर दीजिए।

 🍀 जय श्री कृष्ण 🍀
नदियों को साफ मत कीजिए, बस गंदा करना बंद कर दीजिए। साफ तो वो खुद अपने आप को कर लेगी।

जंगल मत उगाइए, बस पेड़ काटना बन्द कर दीजिए,जंगल खुद उग जाएगा।

शांति स्थापित मत कीजिए, अशांति फैलाना बंद कर दीजिए, शांति खुद हो जाएगी।

व्यवस्था मत बनाइए, व्यवस्थित रहिए, व्यवस्था खुद हो जाएगी ।                                
            🙏❤️🙏
🌹आपका का दिन मंगलमय हो। 🌹

बाबाआम्टे पुण्य तिथी 9 फरवरी - आनन्द जोशी, जोधपुर

*बाबाआम्टे पुण्य तिथी 9 फरवरी*

*महाराष्ट्र के निकट #ब्राह्मण जागीरदार परिवार में आपका जन्म हुआ । बचपन में सोने के पालने में सोने वाले बाबा आम्टे को चांदी के चम्मच से खाना खिलाया जाता था । बडा होकर यही बालक समाज सुधारक एवं देश भक्त हुवा...* 

*1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वकील आम्टे जेल गए । नेताओं के मुकदमें लड़ने के लिए आपने अपने साथी वकीलों को संगठित किया । उस दरमियान आप मे जबरदस्त बदलाव देखने को मिला । एक दिन राह चलते आपने सड़क किनारे कीड़ों से भरे #कुष्ठ रोगीयो को पहली बार देखा, उन्हें देखकर इनके जीवन जीने की धारा ही बदल गई । आपने अपना वकालती चोगा और सुख-सुविधा जीवन शैली त्यागकर कुष्ठरोगियों और दलितों के बीच उनके कल्याण के लिए काम करना प्रारंभ कर दिया । उस समय भारतवर्ष में कुष्ठ रोगियो के लिए जो सेवा आपने की , ऐसी सेवा शायद ही किसी दुसरे ने की होगी।*

*कुष्ठ रोगियों के लिए बाबा आम्टे ने सर्वप्रथम ग्यारह साप्ताहिक औषधालय स्थापित किए, फिर 'आनंदवन' नामक संस्था की स्थापना की । कुष्ठ रोगियों की चिकित्सा का प्रशिक्षण आपने लिया । बाबा आम्टे के प्रयत्न से महाराष्ट्र में दो अस्पताल बने, एक #अनाथालय खोला गया , #नेत्रहीनों के लिए एक स्कूल बनाई गई और तकनीकी शिक्षा क्षेत्र में भी आपके प्रयासो से नई व्यवस्था हुई ।*

*आज ही के दिन यानि 9 फरवरी 2008 को 94 साल की आयु में #चन्द्रपुर ज़िले के #वड़ोरा में आपका निधन हो । भारत की धरा पर अनेक सेवार्थीयो ने जन्म लिया, ओर दीन, दुःखियों की सेवा व देखभाल की , जिसमे एक नाम #महात्मा गांधी का भी सेवार्थीयो की अग्रणी पंक्ति में लिया जाता है ।*

*भारत राष्ट्र के इस महान सेवार्थी की पुण्य तिथि पर नमन ।*

*✒️आनन्द जोशी, जोधपुर*

*पप्रोज डे (व्यंग्य) - आनन्द जोशी, जोधपुर

*पप्रोज डे  (व्यंग्य)*

कल(07-02-22) की लेखनी से आगे ...... 

.... *बिना गुलाब की माला लिये घर पहुचा तो गुलाब की माला ना पाकर श्रीमतीजी थोड़ी रूष्ठ  हुई,  फिर बोली जब हमारी   शादी हुई, उस समय तो  तुम नभ से  चांद तारे  तोड़ लाने की बाते किया करते थे,  आज कहा गया वो आनन्द जो मेरे  लिये एक  गुलाब की माला तक ना ला पाया .. रूष्ट हुई  श्रीमतीजी को मनाने के जतन मैने  खूब किए लेकिन पारा उनका सातवे आसमान  पर था....वैसे भी  नाराज भी उन्ही से हुवा जाता है  जिनसे हमारा आपसी अधिक प्रेम हो, ओर  जब   पति-पत्नी की उम्र  55-60  के करीब हो जाती है  तो पति-पत्नी में  नोक-जोक आम बात होती है ....*

 *उनको मनाने में दिन  बीता , सांझ ढलने लगी  , रात्री के चार  प्रहर बीत गए ,  नवीन  प्रभात  हुई ....प्रातः पूजा के पश्चात  अखबार पढ़ रहा था, तो ध्यान रीट की परीक्षा निरस्त होने वाली खबर पर गया, तो  मन मेरा  रोया ...सोचा कि आज का  पढ़ने वाला  युवा   फिर से  ठगा गया......*

  *अखबार का दूसरा पन्ना ही  पलटा  था कि  युवा   पोता,  मेरे पास  प्रेम से  पास आकर बैठा, मैं  बोला बेटे क्या काम आन पड़ा... कि वृद्ध  दादा की आज याद आई.... मुस्कराते हुवे पोता बोला,  दादू  2 हजार रुपये चाहिए..... मैने पोते से कहा ,  पिछले सप्ताह ही तो स्कूल की फीस तेरी जमा करवाई  थी, अब कहा जरूरत आन पडी,  पोता बोला दादू आज "प्रपोज डे" है.....इसलिये ..  बूढ़ी आँखे कुछ समझ पाती ......उससे पहले ही वो बोला,  आप नही समझोगें ..…. मैं मन ही मन   बुदबुदाया कि  मैं नही समझता या आज का युवा बहुत ज्यादा समझता है ..  वैसे भी सामान्यत आज के युवाओं की अवांछनीय बुरी आदतो  का शुभारम्भ उनके घरो से ही होता है..... ओर मैने   ना चाहते हुवे भी,  मूल से ज्यादा ब्याज (दादा पोते का सम्बन्ध) के भाव को समझकर  अपनी तिजोरी से  2000 रूपयें निकाल   उसे  दे दिया ।* 

*युवा पोता फर्राटेदार बाईक लेकर ऐसा भागा मानो  पुष्पक विमान को   #रावण  चला कर....  #सीता का  हरण  करने  जा रहा हो .....पोते के बाहर निकलते ही मैने "प्रपोज डे" का अर्थ जानने का प्रयास करने लगा.... अंग्रेजी ज्यादा नही आने के कारण  #प्रपोज  शब्द  का  हिन्दी में संधि विच्छेद किया तो. अर्थ निकला  पर+पोज* .

 *मुझे  "पर" का अर्थ  ज्ञात था,  पिछले वर्ष  ही  मुरारी बापु की  रामकथा   में  सुना कि   लंकापति अहंकारी  रावण ने "पर" स्त्री का हरण किया ..... तो  मर्यादा पुरूषोतम श्रीराम के हाथो    मारा गया ..... अब मुझे अपने पोते की  चिन्ता  सताने लगी .... मैं सोचने लगा कि  यह "पर" शब्द तो    अच्छा नही ...... मेरा पोता न जाने किस "पर" का "पोज" लेने  2000  रू. का नोट लेकर घर से निकला है ... पूरा दिन ढल गया....  चिंता मेरी  बढ़ने लगी .....  इस प्रप्रोज (पर+पोज) डे  की सुबह से शाम  हो गई ..... पर पोते का  “प्रपोज डे”  खत्म ना )हुआ ..... मैं व्यथित भाव से मन ही मन  रामरक्षा स्त्रोत्र पढने लगा ओर प्रभु श्रीराम  से प्रार्थना  करने लगा कि.... हे  मेरे  राम  ......मेरे पोते की  रक्षा करना  वो  "पर"  "पोज" डे मनाने गया*  

  ...(शेष कल, अगर सोचने का समय मिला , तो लिखने का प्रयास करूंगा)

*✒️आनन्द जोशी, जोधपुर*

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

कल्पना जोशी (कल्पनादत्त) पुण्य तिथी 08 फरवरी - आनंद जोशी, जोधपुर

 कल्पनाजोशी (कल्पनादत्त) पुण्यतिथी 08 फरवरी



प्रसिद्ध क्रान्तिकारियों में कल्पना दत्त  वो नाम था जो अपने बचपन  से ही  क्रांतिकारियों की जीवनियाँ पढ़कर  प्रभावित हुईं और  माँ भारती के लिए  कुछ करने को आतुर हो उठती थी ।  श्रीपुर गांव (वर्तमान में बांग्लादेश) के  एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म लेनी वाली  बालिका की  प्रारम्भिक शिक्षा गांव  में ही हुई । क्रान्तिकारी #सूर्यसेन के दल से आपका  संपर्क  हुवा  एवं कई बार   वेश बदलकर क्रांतिकारियों  को बालिका कल्पना  गोला-बारूद  पहुँचाया करती थीं । इसके साथ ही साथ  नन्ही वीरागंना ने  निशाना लगाने का भी अभ्यास किया । मई, 1933   में  पुलिस और क्रान्तिकारियों के बीच सशस्त्र मुकाबला होने के पश्चात  कल्पना दत्त को भी गिरफ्तार कर  लिया गया । मुकदमा चला और फ़रवरी, 1934 ई. में #सूर्यसेन तथा #तारकेश्वर दस्तीकार को फांसी हुई तथा  21 वर्ष की कल्पना दत्त को आजीवन कारावास की सज़ा  दी गई  । 1937 ई. में जब पहली बार प्रदेशों में भारतीय मंत्रिमंडल बने तब गांधी जी, रवीन्द्रनाथ टैगोर आदि के विशेष प्रयत्नों से कल्पना  को जेल से बाहर आने का मौका मिला  ।


आज 08 फरवरी को आपकी पुण्य तिथी है,  श्रद्धा से उन्हें सुमन💐 अर्पित करता हु, जिन्होंने देश के लिये नेक काम किया है  ।


।। जय हिंद, जय भारत, वन्देमातरम  ।।

*✒️आनन्द जोशी, जोधपुर*

शचीन्द्रनाथ सान्याल क्रांतिकारी पुण्यतिथी 07 फरवरी - आनन्द जोशी, जोधपुर

 शचीन्द्रनाथसान्याल क्रांतिकारी  पुण्यतिथी 07 फरवरी



इतिहास साक्षी है कि भारत को #गुलामी की बेडियां से  आज़ाद कराने में  जबरदस्त  संघर्ष हुवा , जिसमे सम्मिलित होने वाली  उन सभी हुतात्माओ को   हमारा सादर नमन  .... इन महान व्यक्तित्व में  से एक  क्रांतिकारी  थे, #शाचीन्द्र नाथ सान्याल ।

सान्याल जी, ने राष्ट्रीय एवं क्रांतिकारी आंदोलनों में सक्रिय रूप से  भाग लिया ओर  नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व भी किया  । आप 'गदर पार्टी' और 'अनुशीलन संगठन' के दूसरे स्वतंत्रता संघर्ष के प्रयासों के कार्यकर्ता और संगठनकर्ता  भी रहे ।  वर्ष 1923 में "#हिन्दुस्तानरिपब्लिकन एसोसिएशन" से   #भगत सिंह एवं अन्य साथियों को "हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ" के रूप में विकसित किया । आपने जीवन में दो बार '#कालापानी' की सज़ा भुगती  । आपने 'हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन' के गठन के साथ ही देश बन्धुओं के नाम से एक अपील जारी भी की  थी, जिसमें आपने भारत को पूर्ण स्वतंत्रता के लक्ष्य के साथ और सम्पूर्ण एशिया के महासंघ बनाने की परिकल्पना  प्रस्तुत की  ।

दोस्तो, आज ही के दिन यानि  07 फरवरी को #शतीन्द्रजी ने अंतिम श्वास लिया ।  देश के लिए कठोर कारावास में रहते हुए आपको  क्षय रोग हो गया, अपने  ही  घर में आपको  नजरबंद  रखा गया,  जहा आपका  निधन  हो गया ।

  संभव है  कि आज 07 फरवरी को  कुछ भारतीय युवा पाश्चात्यकरण की  अंधी दौड़ में इस  सभ्यता  का हिस्सा बनेंगे... बहुत से  #गुलाब के पुष्प  उनकी फेस बुक  व्हाट्सप, इंस्टाग्राम की वॉल से लेकर  हाथो में भी नजर आयेंगे ओर कुछ  अपनी प्रियतमा के साथ भी नजर आएंगे ..... कोरोना के कारण अभी भी स्कूल कॉलेज नियमित नही  है ....लेकिन फिर भी वो   पाश्चात्करण की  मैराथन दौड़ दौड़ेंगे...  नतीजा.....  संस्कृति पर हमला .....ओर धीरे धीरे  बालाजी के मंदिर में जाकर मत्था  टेकने वाले हमारे ही लोग .. कही  ओर जाकर मोमबती जलायेगे.......

   साथियों  , अगर आपको सही लगे तो आज मेरे कहने से  एक गुलाब भारत  देश के  वीर क्रातिकारी #शचीन्द्रनाथसान्याल को अर्पण कर दीजियेगा,  जिन्होंने हमे स्वतन्त्र भारत में खुली हवा में श्वास लेने हेतु अपने प्राणो तक  की आहुति दे दी थी  ।  

वीर नायक #शचीन्द्र नाथ सान्याल की पुण्य तिथी पर नमन ।

जय हिंद, जय भारत वन्देमातरम
*✒️आनन्द जोशी, जोधपुर*

हैप्पी #रोजडे (व्यंग्य) - आनंद जोशी, जोधपुर

 हैप्पी #रोजडे (व्यंग्य)


श्रीमतीजी  से  आदेश मिला.. मंदिर में पूजा के लिये  पुष्प लाना  है ..
मै सूर्य-उदय से पूर्व  ही फुल-माला की दुकान पहुचा  , माली को  10/- का सिक्का  देते हुवे  ,बोला "एक गुलाब की माला   देना",  माली ने 10 का सिक्का वापस पकड़ाते बोला , अंकल, "आज गुलाब की माला ,  रोज के हिसाब से नही मिलेगी, आज कीमत में इजाफा है"  मैने   पुछा, क्यों भाई,  वित्त मंत्री ने  इस #बजट में गुलाब पर  भी कोई भारी #टैक्स लगा दिया  ?  या सारे गुलाब  स्वर कोकिला लताजी  जी को अर्पण कर दिए है  .. माली बोला ,  नही, ऐसा कुछ नही है,  आज “रोजडे” है , इस कारण  10 रूपयें में गुलाब की माला नही, एक फूल  मिल जाएगा .…....मैं रोजड़े को समझने का प्रयास करने लगा ही था कि इतने में....


 एक  #युवा,   जिसका वजन मुश्किल से 40-45 किलोग्राम का रहा होगा , फर्राटेदार फटफट की आवाज करते हुवे  #रॉयल इनफील्ड पर आया,  मुह में भरी  #गुटके की पीक,  बीच सडक पर  थूका , गुलाब का गुच्छ  खरीदा , बदले में  100/- का नोट  पकड़ाया ओर सुल्तान की तरह  वापस नये गुटके के पाउच को  मुह में डाला, पन्नी को सड़क पर फैका ओर  फटफट करते हुवे आगे चला,   उसके जाने के बाद मेरी नजर  गुटके की पन्नी पर गई, जिस पर मोटे अक्षर से लिखा था, तम्बाकू खाने से होता है #कैंसर  ....इतने में दो स्कूटी मेरे पास आकर रुकी,  दोनो चालक के मुँह  मास्क व स्काफ से  बंदे हुवे थे, मैंने सोचा  सर्दी ज्यादा है , ओर कोरोना भी है....लेकिन  पिछवाडे का खुला बदन देख समझ आया  कि  वाहन चालक वर्तमान काल की  #देवी रूपा है ....दोनो देवियों ने गुलाब गुच्छ खरीदे ओर #शिक्षण संस्थान के विपरीत दिशा  में चलती बनी ....


गुलाबो की भारी मात्रा में खरीद फरोख्त  देखकर  वहां खड़े  युवाओ   से  मैंने पुछा  "बेटे  आज तुम सभी लोग  गुलाब किसके लिए लेकर खरीद रहे हों ? क्या आज भी  तुम्होरे  विघालय में बसन्त उत्सव मनाया जा रहा है  ?  या भारत राष्ट्र के  वीर महान  क्रांतिकारी #शर्चीद्र नाथ सान्याल , जिनकी आज 07 फरवरी  को पुण्य तिथि है उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने जा रहे हो ।


  लडको ने कहा, अंकल हम    “रोजडे” मना रहे  है जो 07 फरवरी को आता है और .... ओर  वो लडके  अपने अपने हाथों में रोज लेकर  मन्तव्य करते हुए अपने  गन्तव्य की ओर चल दिए ओर मैं 10 का सिक्का  पुनः अपनी जेब में डाल कर   बिना #गुलाब खरीदे ही  घर की ओर  चलने लगा ....


 

पैदल  ही अपने  घर की ओर   जा ही   रहा था कि  कि बीच  खेतो में से कुछ  #रोजडे(चौपाहिया जानवर)  मुझे  दिखाई दिये जिसके  शरीर पर, सिर पर, कान पर, पूछ पर, किसी भी  अंग पर   #गुलाब  नजर नही आया, मैं अब  यह  सोचने लगा कि युवा   तो  यह कह रहे था कि आज #रोजडे है ओर इस “रोजडे” के शरीर पर  तो एक भी #गुलाब का फुल नही तो फिर आज गुलाब के फुल इतने मंहगे क्यु ? ………ओर मैं इसी सोच के साथ आगे चलने लगा  ..........


शेष कल (अगर सोचने का समय मिला तो लिखने का प्रयास करूगा)😊
आनंद जोशी, जोधपुर

सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

सांप की मौसी किसे कहा जाता है ?

 

सांप की मौसी किसे कहा जाता है ?

हमारे यहां कभी-कभी एक छिपकली जैसा लेकिन वह चलता साँप जैसा जीव दिखाई देता है उसे यहाँ हमारी स्थानीय भाषा में 'सांप की मौसी' और 'बामनी' कहते हैं।

(चित्र :- हाथों में दस्ताना पहनकर पकड़ी हुई बामनी हालाँकि यह ख़तरनाक नहीं है।)

इसका रंग सांप जैसा चमकीला होता है। इसके काटने से जहर नहीं फैलता है।

बचपन में रेत में खेलते वक़्त निकला करती थी। हम तब किसी भी तरह इसकी पूछ को छु लेना चाहते थे। कहते है इसे छूना सौभाग्यशाली होता है।

चलते-चलते इसके बारे में थोड़ा सा और जान लेते है-

वैज्ञानिक नाम :- Eutropis Carinata

सामान्य नाम :- Keeled Indian Mabuya (स्किंक)

  • जहरीली नही।
  • अधिकतम लंबाई 15 cm
  • पूछ को अलग कर सकती है। Regenerative Tail
  • कीड़े इत्यादि खाकर इको सिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • स्किंक तमाम प्रकार के पर्यावासों में रहते हैं।
  • छिपकली जैसी शक्ल-सूरत, आकार-प्रकार। लेकिन, चमकदार त्वचा और देखने में गोरी-चिट्टी और साफ-सुथरी। शायद इसी के चलते इसे बभनी कहा जाता होगा।

स्किंक जहरीले नहीं होते हैं। उन्हें देखकर डरन की जरूरत नहीं है। कुछ लोग सरीसृपों (रेप्टाइल) या रेंगने वाले जीवों से घृणा करते हैं। अक्सर ही इन्हें सांप के साथ जोड़कर देखा जाता है, इसलिए लोग इन्हें जहरीला भी समझते हैं। इन्हें देखकर घृणा करने की भी जरूरत नहीं है।

बदलाव :- आज घर पर फिर से दिखाई दी यह देखिए-

  • भोजपुरी में इसे लोटनी कहते हैं।
  • छत्तीसगढ़ी में बिजगुरीया
  • सादरी में गछई कहते हैं।
  • हमारे बचपन मे इसे नुकसान पहुचाने की सख्त मनाही थी,दादी कहती थीं ये अपने माँ की इकलौती औलाद होते हैं।
  • इसे भोलेनाथ के कुँडल मानते हैं। कहते थे इसे छूने से पैसे मिलते है।

ये भी ईकोसिस्टम में अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं। उससे कहीं ज्यादा, जितना होमो सेपियंस अदा कर रहे हैं।

बच्चों को फोन से दूर रखना तो ख़ासा मुश्किल काम है

 बच्चे और धर्म

सम्मलेन “साइबर क्राइम” पर था और चूँकि ऑनलाइन गालीगलौच से अक्सर कम उम्र के या सोशल मीडिया पर नए आये लोगों के अवसाद में जाने की घटनाएँ होती रहती हैं, इसलिए वहाँ एक मनोवैज्ञानिक भी मौजूद थे। महिलाओं में से एक ने प्रश्न किया कि मोबाइल और सोशल मीडिया बच्चों के लिए घातक है, ये तो समझ में आता है, मगर बच्चों को फोन से दूर रखना तो ख़ासा मुश्किल काम है। वो तो मौका पाते ही फोन झपट लेते हैं और न देने पर रोना-धोना बंद करवाना भी काफी मुश्किल होता है! जवाब में मनोवैज्ञानिक ने प्रतिप्रश्न किया, अगर मैं आपके घर ऐसे वक्त आऊं जब आप कोई काम न कर रही हों, तो आप क्या करती मिलेंगी? क्या आप अपने मोबाइल फ़ोन में कोई वीडियो देख रही होंगी, या खाली समय में व्हाट्सएप्प वगैरह पर चैटिंग कर रही होंगी?



जब कई महिलाओं का जवाब हाँ में आया तो मनोवैज्ञानिक ने अपनी आगे की बात रखी। बच्चे वही सीखते हैं जो वो बड़ों को करते देखते हैं। इससे पिछली पीढ़ी में संभवतः कई लोग शाम में टीवी शो देखते पाए जाते थे तो अगली पीढ़ी यानी हम लोगों ने बचपन में वो सीख लिया। फिर अब जब वही टीवी शो वगैरह मोबाइल पर भी आने लगे तो हमारी पीढ़ी अपने खाली समय का काफी हिस्सा फोन पर बिताने लगी। किताबें पढ़ना, सिलाई-बुनाई, चित्रकारी जैसे शौक को अब उतना समय नहीं दिया जाता। बच्चे जो भी बड़ों को करते देखते हैं, वो उसी की नक़ल करके सीखते हैं। ऐसे में वो लगातार सभी को मोबाइल फ़ोन में व्यस्त देखने लगे, तो बाहर खेलने जाना, चित्रकारी या पढ़ने जैसी चीज़ें वो सीखेंगे कहाँ से?




इसी को थोड़ा आगे ले आकर आप ये सोचिये कि क्या आपको कोई भजन, पूरा न सही कोई एक दो वाक्य ही, याद हैं? जो याद हैं, क्या वो वही नहीं हैं जो आपके घर में कोई रिश्तेदार, संभवतः दादी-नानी जैसे कोई लोग गुनगुनाया करते थे? पूजा-पाठ जैसे तरीके भी आपने अपने परिवार के लोगों को जैसे करते पाया, वही सीखा है। जब आप खुद तिलक लगाये नहीं दिखते, पूजा नहीं करते, बच्चों को साथ लेकर मंदिर नहीं गए, तो आज थोड़ा बड़े होने पर, किशोरावस्था में आने पर वो अगर ये सब नहीं कर रहे हैं तो आश्चर्य क्यों होना चाहिए? ध्यान रहे किशोरावस्था तेरह वर्ष की आयु पर शुरू और उन्नीस पर ख़त्म मानी जाती है, और कानूनी तौर पर 18 से कम उम्र का कोई भी बच्चा ही है। ऐसे में हम जिन्हें बच्चा कह रहे हैं वो अगर 13 से 18 के बीच के हैं तो किशोरावस्था वाला विद्रोही स्वभाव और बच्चों वाली जिज्ञासा दोनों का सामना करना होगा।


अगर आप ये नहीं बता सकते कि कोई त्यौहार क्यों मनाया जाता है, तो क्या होगा? उदाहरण के तौर पर दुर्गा पूजा क्यों मनाई जाती है, ये अगर आपने नहीं बताया तो नतीजा यही होगा कि कोई और इयान डीकॉस्टा जैसा अपने फॉरवर्ड प्रेस के जरिये आकर जब उसे सिखा देगा कि महिषासुर एक मूल निवासी राजा था जिसे विदेशी दुर्गा ने छल से मार दिया तो उसके पास विश्वास करने के सिवा क्या चारा होगा? आपने तो कुछ बताया ही नहीं था। ऐसे ही जब आप नहीं बताते कि होली के आस-पास भारत में मौसम सूखा और गर्म होने लगता है। ऐसे मौसम में ही वन विभाग आग लगने की चेतावनियाँ जारी करना शुरू करता है। हिन्दुओं में परंपरागत रूप से आग जिन लकड़ियों में लग सकती हो उसे होलिका दहन में इकठ्ठा करके जला देते हैं और होली पर पानी का छिड़काव वातावरण में आद्रता बढ़ा देता है।

छोटे कस्बों-गावों में अब भी इस मौसम के शुरू होते ही घरों दुकानों के सामने पानी का छिड़काव करके सूखी लकड़ियों, जाड़े के बाद टूटे पत्तों, कागज और दूसरे ज्वलनशील कचरे को इकठ्ठा किया जाने लगता है। फिर सामुदायिक रूप से कई लोगों की निगरानी में इसे जला दिया जाता है ताकि आग को खुराक न मिले। रिहाइशी इलाकों में पानी के छिड़काव से आद्रता रहेगी, तो आस पास जंगलों में आग लगेगी तो भी मनुष्यों की आबादी वाले इलाके का अधिक नुकसान नहीं हो पायेगा। लेकिन आपने तो ये सिखाया ही नहीं! ऐसे में जब उसे कोई होली को पानी की बर्बादी बताएगा तो वो क्यों पूछेगा कि एक लीटर पानी साफ़ करने में जो आरओ नौ लीटर पानी बर्बाद कर देता है, उसे रोककर पानी बचाओ। वो क्यों बहकाने वाले को याद दिलाएगा कि दो-दो कारों को धोने में जो हर रोज पानी बर्बाद होता है, उसे बचाया जाए।

दीपावली के समय जब कोई उसे धुंए या प्रदुषण की सीख देने लगे तो जब उसे आपने ये पहले से बताया हो कि दफ्तरों में चौबीसों घंटे चलने वाले एसी का जो पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है, उसे भी देखा जाए, तभी वो इस बारे में पूछेगा। वर्ष भर कार पूल या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग, फ्रिज बंद रखना, सिगरेट छोड़ना जैसा कुछ किसी ने किया है जो उससे पूछने आया है दीपावली के प्रदुषण पर, ये तो आपको याद दिलाना होगा। ऐसे सभी मसलों पर अगर आप सर हिलाते हुए कहते हैं कि हमारी युवा पीढ़ी धर्म से कटती जा रही है तब असल में उसकी ओर इशारा करते वक्त आपके ही हाथ की तीन उँगलियाँ आपकी तरफ मुड़ जाती हैं। कहीं न कहीं पिछली पीढ़ी ने उसे सिखाने, उसे बताने में कमी छोड़ी इसी लिए आज उसकी जानकारी कम है। कहीं न कहीं पिछली पीढ़ी ने उससे संवाद कम रखा, छोड़ दिया, या उसकी भाषा, उसे समझ में आने वाली शैली में नहीं किया, इसी लिए आज उसकी इस विषय में रूचि कम है।


याद रखिये कि जब आप कोई पौधा लगाते हैं और वो उस तरह फलता-फूलता, या पनपता नहीं जैसा उसे बढ़ना चाहिए था तो आप पौधे को दोष देने नहीं बैठते। आप देखते हैं की कहीं खाद-मिट्टी अनुपयुक्त तो नहीं, कहीं पानी ज्यादा या कम मिला हो ऐसा तो नहीं, कहीं वातावरण तो पौधे के लिए प्रतिकूल नहीं था? इसलिए जब ऐसे सवाल सामने आयें तो हमें सोचना होगा कि हमसे कहाँ कमियां रह गयी हैं। हमें आज ये अच्छी तरह मालूम है कि संविधान में सेक्युलर का हिन्दी अर्थ पंथनिरपेक्ष लिखा हुआ है, लेकिन उसे धर्म-निरपेक्ष बनाकर स्कूलों के पाठ्यक्रम से धर्म सम्बन्धी शिक्षा हटा ली गयी है। ये बच्चों ने नहीं हमारी आपकी, या हमसे पीछे की पीढ़ियों ने किया है। घर में अगर हमने सिखाया नहीं और स्कूल-कॉलेज में ये पाठ्यक्रम में था

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