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सोमवार, 14 फ़रवरी 2022

देश-विदेश में 14 फरवरी को छाया रहा मातृ-पितृ पूजन दिवस

*🚩देश-विदेश में 14 फरवरी को छाया रहा मातृ-पितृ पूजन दिवस*

*14 फरवरी 2022*
azaadbharat.org
*🚩जब भी 14 फरवरी निमित्त मातृ-पितृ पूजन की बात आती है तो सबकी जुबान पर एक ही नाम आता है- बापू आसारामजी का, जिन्होंने इस अद्भुत पर्व की सौगात संपूर्ण विश्व को दी, जिसे आज विश्वपटल पर देश-विदेश की गणमान्य हस्तियों द्वारा सराहा जा रहा है।*

*सन 2006 से शुरू हुए इस पर्व ने आज समाज में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। ये पर्व न सिर्फ हिन्दू, बल्कि मुसलमान और ईसाई धर्म को मानने वाले भी बड़े उत्साह से मनाते देखे जा रहे हैं।*

*🚩कौन से माता-पिता चाहेंगे कि उनकी संतान चरित्रहीन हो???*

*किसी भी देश का युवावर्ग उस देश की रीढ़ की हड्डी होता है। पाश्चात्य कल्चर का अन्धानुकरण कर भारत का युवा चारित्रिक पतन की खाई में गिरता चला जा रहा था पर बापू आसारामजी की इस अनूठी मुहिम ने युवाओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया और समाज में बढ़ती माता-पिता और बच्चों के बीच की दूरी को दूर किया।*

*इसलिए बापू आसारामजी द्वारा शुरू की गई इस अनूठी पहल को हर धर्म, हर जाति द्वारा सराहा गया है।*

*विश्व के अमेरिका, दुबई, सऊदी अरब, कनाडा, पाकिस्तान, बर्मा, नेपाल, इटली, इंग्लैंड आदि कई देशों में स्कूल, कॉलेज, वृद्धाश्रम, समाजसेवी संस्थाओं, घर, परिवार, मोहल्ले आदि में जगह-जगह पर मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया गया।*

*🚩माता-पिता अपने बच्चों सहित अपने-अपने क्षेत्रों में जहाँ-जहाँ ये कार्यक्रम आयोजित किये गए वहाँ-वहाँ बड़ी संख्या में पधारे और एक नये उत्साह, नये संस्कार, एक नयी दिव्य अनुभूति और एक अनोखे हर्ष के साथ सबके मुखमंडल प्रफुल्लित हो उठे।*

*सच में जिन्होंने भी इस पर्व को मनाया, अपने माता-पिता की पूजा की, अपनी दिव्य संस्कृति को अपनाया, उनके जीवन में कुछ नया देखने को जरूर मिला।*

*पूजन में आये परिजनों का कहना था कि हम अपने बच्चों को इतने ऊँचे संस्कार देने का कभी सोच भी नहीं सकते थे, जिन महापुरुष ने इस संस्कारी दिवस की नींव रखी है, जो हमने यहाँ अनुभव किया, तो हमें नहीं लगता कि उन्होंने कुछ गलत किया होगा! यह सब देखकर तो अब हमारी भी तीव्र इच्छा होने लगी है बापूजी के दर्शन की। देशभर से कई युवा सेल्फी वीडियो बनाकर मातृ पितृ पूजन दिवस को अपना समर्थन दे रहे हैं।*

*🚩ग्राउंड लेवल से लेकर सोशल मीडिया तक बड़े जोरशोर से मातृ-पितृ पूजन दिवस की धूम मची है।*

*आज ट्विटर पर लाखों ट्वीट्स द्वारा लोग बापू आसारामजी की इस अनूठी पहल का स्वागत करते दिखे।*

*🚩देखा जाए तो वैलेंटाइन डे भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है; ये भी सच है कि वैलेंटाइन डे के पीछे बाजार की ताकत है। भारत की सभी समस्याओं का समाधान हिंदू धर्म की जड़ों में ही छिपा है; भारत जब पूरी तरह हिंदू राष्ट्र हो जाएगा तो फिर से महान हो जाएगा, इसके लिए सतयुग की तरफ देश को लौटाने के सभी प्रयास किए जाने चाहिए।*

*आज जहाँ एक ओर वैलेंटाइन डे का प्रभाव अंधाधुंध बढ़ता जा रहा है तथा इसके कुप्रभाव व दुष्परिणाम समाज के सामने प्रत्यक्ष हो रहे हैं- एड्स, नपुसंकता, दौर्बल्य जैसी गुप्त बीमारियों, छोटी उम्र में ही गर्भाधान (Teenage Pregnency), ऑपरेशन आदि  का सामना समाज को करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर बापू आसारामजी के करोड़ों समर्थकों द्वारा हर साल देशभर में सभी स्थानों पर ग्राउंड लेवल हो या सोशल मीडिया की सभी साइट्स, मातृ-पितृ पूजन दिवस का प्रचार जनवरी से ही शुरू हो जाता है।*

*🚩अनादिकाल से भारत के महान संत ही समाज की रक्षा करते आये हैं। समाज को संवारने का दैवीकार्य महान ब्रह्मवेत्ता तत्वज्ञ संतों द्वारा ही होता आया है।*

*जब-जब समाज कुकर्म और पाप की गहरी खाई में गर्क होने लगता है, अधर्म बढ़ने लगता है तो किसी न किसी महापुरुष को परमात्मा (ईश्वर) धरती पर प्रकटाते हैं या स्वयं भगवान् धरती पर अवतार लेते हैं और इस दिशाहीन समाज को एक नयी दिशा देकर, समाज को सुसंस्कारित कर, समाज में धर्म की स्थापना करते हैं जैसा कि भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है।*

*🚩महापुरुषों की गाथा सुज्ञ समाज अनंत काल तक गाता रहता है। ऐसे ही कई महापुरुष जैसे- संत कबीर, गुरु नानकजी, संत तुलसीदासजी, संत लीलाशाहजी महाराज, संत तुकारामजी, संत ज्ञानेश्वरजी, स्वामी विवेकानंदजी, स्वामी अखंडानन्दजी आदि महान संतों का यश आज भी जीवित है।*

*करोड़ों-अरबों लोग धरती पर आते हैं और यूँ ही चले जाते हैं लेकिन संतों का नाम, आदर, पूजन व यश अनंत काल तक मानवमात्र के हृदयों में अंकित रहता है।*

*ऐसे ही संत आज इस धरा पर हैं लेकिन बहिर्मुख व कृतघ्न समाज को दिखता कहाँ है!*
*कहाँ पहचान पाते हैं हम उन संतों को!!*

*गुरुनानक जैसे महान संतों को जेल डलवा दिया जाता है। दो बार तो गुरुनानकजी को भी जेल जाना पड़ा। संत कबीरजी जैसों को वेश्याओं द्वारा बदनाम करवाया जाता है। स्वामी नित्यानंदजी के ऊपर यौन शोषण का झूठा आरोप लगाया गया था। लेकिन उनकी पूजा आज भी होती है क्योंकि "धर्म की जय और अधर्म का नाश" ये प्राकृतिक सिद्धांत है।*

*🚩आज समाज को एक अद्भुत प्यारा सा पर्व देकर हिन्दू संत आसारामजी बापू ने सभी के दिलों पर राज किया है, सबको प्रेम दिया है, सभी को सन्मार्ग पर ले चलने का बड़ा महान कार्य किया है।*

*कई समाज के बुद्धिजीवी तो संत आसारामजी बापू के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं लेकिन भारत में ही विदेशी षड्यंत्र द्वारा ( क्रिश्चयन मिशनरीज, विदेशी कंपनियों के फंड से ) उन्हें जेल भिजवा दिया गया और समाज मूकदर्शक बनकर देखता रहा।*

*जहां आज का मानव बिना चमत्कार के किसी को नमस्कार नहीं करता, वहीं आज भी बापू आसारामजी के करोड़ों अनुयायी उनके लिए पलकें बिछाये बैठे हैं।*

*बिना सत्य के बल के कोई करोड़ों के जनसमूह को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकता, इतना तो हर समझदार इंसान समझ सकता है।*
*उनकी सत्प्रेरणा से देश-विदेश में 14 फरवरी को माता-पिता का आदर-सत्कार, पूजन करके करोड़ों लोगों ने मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया।*

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Kiss Day (व्यंग्य) आनन्द जोशी, जोधपुर

*Kiss Day (व्यंग्य)*
बीते कल (12-02-22) की लेखनी के आगे...

*उन लड़कों के चले जाने के बाद ....श्रीमती जी  ने मुझे समझाया , क्यों व्यर्थ में इन युवाओं के पीछे तुम अपनी बीपी बढ़ाते हो ... मैं बोला, तुम ठीक ही बोल रही हो । इन युवाओं को भविष्य में जब ठोकर लगेगी तब  इनको  समझ आएगी...*

*श्रीमतीजी के साथ हुई बातो ही बातो में समय कैसे निकल गया पता ही नहीं चला ... अगले दिन सुबह रेडियो में आज के दिन के बारे में पता चला कि आज का दिन किस डे वाला है .... श्रीमती से किया वादा  मुझे याद आ गया  , आज  मुझे  इस  युवाओ के विषय पर कुछ नही बोलना लेकिन  मन में उठने वाले भाव को मैं  रोक नही  पाया  ... पास पड़ी अपनी  डॉयरी व कलम  उठाई व लिखना शुरू कर  दिया..*

*....वर्तमान परिपेक्ष्य  को देखकर मैं दंग हू, मै दंग हू इस बात पर हु  कि मैं किस - किस पर  क्या क्या  व्यंग्य करू,  मैं जानता हॅूं  कि भारत में हर किसी को अभिव्यक्ति की आजादी है ओर इस आजादी के माहोल में  नेता, अभिनेता ओर सन्त   #किस    के कारण न जाने किस -किस   जेल में बंद  है ..... मैं यह भी जानता हूँ कि ये  किस, किसी जमाने मे  पवित्र  हुवा करता था और  कई मायने में आज भी उतना ही पवित्र  है  जैसे कि  एक किस (चुम्बन)  मंगल, भगत,  राजगुरु,  सुखदेव,   खुदीराम, राजेन्द्र लाहिड़ी, बिशमिल, अशफाक , खुदीराम, तिलका माझी  व अनगिनत क्रांतिकारियों ने अपने फाँसी के फंदे  को #किस  देकर देश के  लिए  फाँसी पर  झूल गए थे और एक किस आसाराम, रामपाल, रामरहीम  ने भी दिया नतीजन वो किसी जेल में बंद है ..इसी एक किस के कारण  शिल्पा शेटी दीदी  के पतिदेव राज कुंदा  भाईसाहब को कई तकलीफ झेलनी पडी..ओर  न जाने ऐसे कितने  गुमनाम लोग है  जिनके  किस के बहुत से  किस्से हुए .. .  आज भी  अनेक  किस्से सफेद पोश में   चांद के काले  धब्बे की तरह चोली दामन के साथ की तरह  साथ रहते है... ओर भी  किस  के  अनगिनत  किस्से है, ओर हमारे मारवाड़ की ये कहावत भी सही है,  हर कुवे में भांग गुली है .....*

*लेकिन  माँ    द्वारा अपनी संतान को   वात्सल्य, प्रेम, अपनापन व  निश्छल  भाव के साथ   दिया  जाने वाला किस,  जिसकी  पवित्रता की मिसाल संत दिया करते है  ।*

*मुझे  ये तो नही पता  किस के लिए आज का  युवा किस ड़े मना रहा है  लेकिन    मां की ममता को किस डे मनाने के लिए कैलेंडर में 13 फरवरी का इंतज़ार नही करना पड़ता ।*

*आज मैं  वास्तव में दंग हूँ कि    किस - किस पर  क्या क्या  क्या व्यंग्य करू ......* 

*....लिख ही रहा था, इतने में श्रीमती जी पास आई... ओर बोली....तुम नही सुधरोगे....बोलने का मना किया तो मन की बात लिख डाली ....  मैं बोला लिखी  तो अपने मन की बात है ना,  टेलीप्रॉम्पटर  पर देख कर बोली तो नही ना...... थोड़ा  मुस्कुरा कर रसोई में चली गई.... पीछे से मैंने  धीरे से चुटकी ली और  बोला.... आज डे ....किस का है, मोहतरमा.... इतने में रसोई से  बेलन घुमते हुवे  धड़ाम से मेरे पास  आकर  गिरी😊...... शुक्र है बाल बाल बच गया..... वरना किस डे के चक्कर मे सर के बचे केशो को किस किस जगह पर थे ढूंढना पड़ता😄*

(इस सीरीज का अंतिम व्यंग्य कल, अगर समय मिला तो लिखने का प्रयास करूंगा)

*✒️आनन्द जोशी, जोधपुर*

शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

हग डे (व्यंग्य) आनन्द जोशी, जोधपुर

हग डे (व्यंग्य)
बीते कल (11-02-22)की लेखनी से आगे.....

*.... उस बूढ़ी माँ के आँखो का तारा जिसे अपनी माँ को संभालने का भी उसके पास वक़्त ना था ओर सब कुछ जानते हुवे भी उसकी माँ के ममत्व का नीर उसके चक्षुओ से अवविरल छलकना .... यह सब सोच कर रात भर मुझे नींद नही आई......*.

*सुबह श्रीमती चाय के प्याला से मेरी आँख खुली, पास आकर वो बैठी गई, लग रहा था उसे मेरी ज्यादा चिंता है, वैसे भी उम्र के अंतिम पड़ाव में पति-पत्नी ही एक दूसरे का सहारा होते है.....हम बातें ही कर रहे थे कि इतने में घर की बेल (घण्टी) 2-3 बार बजी, दरवाजा खोला तो 2-3 युवा घर की अंदर आकर छुपने लगे.... हाथ जोड़कर मुझसे बोले अंकल हमे बचा लो, अब हम गलती नही करेगे..... माझरा समझ पाता इतने में पुलिस के दो सिपाही पीछा करते-2 आ गए ..... पूछा कि कुछ युवक आपके घर मे आये है ?.....पर्दे के पीछे छीपे युवा ....हाथ जोड़कर... इशारों में कहने लगे हमे पुलिस से बचा लो..... उन युवाओं की दयनीय स्थिति को देखकर पुलिस सिपाही के सम्मुख मैने झूठ बोला कि युवा नही आये...... पुलिस चली गई, युवक बाहर आये, कारण पूछा तो आँखें नीची कर बोले , रोज हम टीवी सीरियल देखते है, कल उसमे बताया कि आज हग डे , सीरियल में लड़को ने अपनी कॉलेज में हग डे मनाया.…...हमने भी आज ये करने का प्लान बनाया....सुबह सुबह ही कॉलेज में लड़की साथी से हम गले मिलकर हग डे मनाया ...इसकी भनक कॉलेज प्रशासन को लगी, उन्होंने पुलिस को सूचना दी, ओर हम भागते भागते यहां पहुच आए......*

*मैने उनको सुन कर पूछा तुम लोग ऐसा क्यों करते हो...वो बोले अब नही करेंगे । मैने पूछा तुम्हे कैसे पता चलता है कि आज रोज डे है , हग डे है आदि.... आदि.... वो बोले व्हाट्सप, फेसबुक, इंस्टा, टीवी, व सोशियल मीडिया के अन्य आयाम से हमे पता चल जाता है । मैंने उनसे कहा सावन के बाद रक्षा बंधन, कार्तिक मास में दीवाली, फाल्गुन में होली का त्योहार आता है इन सभी त्योहार का महत्व होता है ....एक संस्कृति, एक प्रेरक सीख मिलती है, हमारे त्योहार में.....अगर हम अपने धर्म के त्योहार मनाते हैं तो अपने राष्ट्र के सभ्य नागरिक कहलाते हैं, दूसरे राष्ट्र की संस्कृति जिससे हम अनजान हैं बिना सोचे समझे उनकी संस्कृति का अनुसरण करना हमें गर्त की ओर ढकेलता है , जैसे कि आज तुम्हारे पीछे पुलिस पड़ी है......हग करो, जरूर करो अपनी जननी, पिता , निर्धन से हग करो, सुदामा कृष्णा राम भरत की तरह हग करो उन युवाओं ने अपने कान पकड़े , माफी मांगी और आगे से ऐसा ना करने का वचन देकर अपने घर को गए.......*
(शेष कल, अगर सोचने का समय मिला तो लिखने का प्रयास करूंगा)

*✒️आनन्द जोशी, जोधपुर*

प्रोमीस डे ( व्यंग्य) - आनन्द जोशी, जोधपुर

*प्रोमीस डे ( व्यंग्य)*

बीते कल (10-02-22)की लेखनी से आगे.....

*...घर पहुचा तो चिन्ता की लकीरें मस्तक पर देख श्रीमती  पानी की गिलास दी, ओर बोली जमाना तुम्हारे अकेले से नही बदलेगा....तुम्हे कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा ? सोचा है कभी तुमने ? ..... दुनिया की छोड़ो, वो चाहे  किसी का भी दिन मनाए ?  .... तुम अपना माथा क्यो खपाते हो..... उनकी डाट में प्रेम स्प्ष्ट झलक रहा था....अब थोड़ा आराम कर लो, मैं तुम्हारे  पैर दबा देती हूं..... ओर वो मेरे पैर दबाते हुवे बोली, कल शुक्रवार है माँ संतोषी माता के दर्शन व   मोर को चुगा डालने चलना है, कल  ।  ऑटो टेक्सी वाले से बात कर लेना । मैं मन मे सोचने लगा कि पत्नी के कितने रूप होते है लक्ष्मी  रूप धर कर वो ससुराल को स्वर्ग भी बना सकती है और  वो चाहे तो.....*

 *अगले दिन  अपरान्ह  में मै टेक्सी मे श्रीमतीजी के साथ संतोषी माता के दर्शन किये....मोर व अन्य पक्षियों को दाना- पानी- चुगा डाल पैदल ही  घर की ओर लौट  रहे थे कि....   राह में  पानी पीने की  इच्छा  हुई....... हलाकि सामने दुकान में  #बिसलेरी   बोतल उपलब्ध थी....... लेकिन सोचा जल को खरीदने की बजाय  किसी घर से मांग कर मुफ्त में  ही  पी लेते है ...... वैसे भी आजकल  मुफ्त के वादे  करने से  #सरकार तक बन जाती है ......  बाद में भलेही  किये वादे पर झाड़ू लगें या चल जाये साइकिल क्या फर्क पड़ता है....जिसको  खिलना होता खिल ही जाता है..... कुछ ही दूर विराने में एक भवन नजर आया । पानी की चाहत में, उस भवन के  समीप पहुचा ...  भवन के मुख्य  द्वार  पर एक #बुढी  माँ टकटकी लगाए हुए   बैठी  थी....मैं अपनी पत्नी के साथ   उसके  निकट  जा ही रहा था कि पहले तो दूर से देखकर वो  मुस्कराई ... समीप पहुचा तो  थोड़ी उदास हुई...... उसके चेहरे की झुरिया से    बूढ़ी माँ की उम्र 85-90 वर्ष नजर आ रही थी ....शायद उन्हें  किसी  अपनो का इन्तजार  था  ....  बूढ़ी आँखों ने मुझे व पत्नी को देख शायद धोखा खा लिया हो....इस बड़े   भवन में   बहुत से बुजर्ग महिलाए  एव पुरूष   थे ....  मैंने वृद्धा को..... माँ.....  से सम्बोधित कर  बोला..... , माई मुझे #पानी पीना है .. क्या  हमे पिलाओगी*   .

 *माँ शब्द सुनते ही  .... उस वृद्ध माई  मे  नई  जान आ गई हो....  ऐसा लग रहा था कि शायद  मरु भूमि  की तपती रज पर   अनन्त वषों के  बाद  मेघ की  कृपा हुई  हो....बूढ़ी माँ  अपनी  क्षमता से  अधिक .... दौडी ...  भवन से   पानी का लौटा छलकाते हुवे  मेरे समीप  ले आई ..... मै  यह नही समझ पा रहा था कि  मैं इसस माँ   के हाथ में पकड़े लोटे से  कंठ की प्यास बुझाऊ  या   माँ के आँखों से अविरल छलकते  प्रेम के  अश्रुधारा का पान करू ....*


*उस माँ के प्रेम, स्नेह के   नीर का पान कर मैने  पुछा, माई तुम दरवाजे पर किसकी राह  तक  रही हो ?.....ओर इस भवन में सभी  रहवासी  वृद्धजन क्यों है ? ...... माई बोली बेटा....यह #वृद्धाश्रम है  यहाँ हम सभी  वृद्धजनों को हमारे  ही अपने #रिश्तेदारो ने   रहने को मजबुर किया है ....  इतना बोली ही थी कि,  माई की  आंखों में फिर से  अश्रुधारा बह उठी..... माई से मैने फिर से सवाल किया....., माई   तुम दरवाजे पर किसका इन्तजार कर रही थी ? ..... वो बोली....... बेटे, आज से 15 वर्ष   पूर्व मेरे बेटे-बहु ने मुझे इस आश्रम में  छोड  दिया ...ओर मुझसे यह  बोल कर  चले गये थे  कि ...... हम एक महीने के लिए  पोते की आगे की  पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे है, जब  वापस आयेगें तो तुम्हे  घर लेकर जायेगें ..... तब तक तुम यही रहना.....*.  

*....माई  अपने  आंखो से अश्रुधारा पुछते हुए  बोली ,  बेटे उस बात को महीने ,...  वर्ष  बीत गए पर  आज तक  वो मुझे  लेने  नही आए ....... पर  आज सुबह इस आश्रम में लगी  टीवी पर  मैने  देखा ...  आज #प्रोमीस डे  है तो.. मैने सोचा कि  आज  मेरे    बेटा   बहुँ जरूर आएंगे क्यो कि उन्होंने   प्रोमीस(वादा)   किया था........ ओर आज #प्रॉमिसडे है  मैं  उनकी राह तक रही हूँ ....बेटे..... मैने दूर से तुझे व तेरी पत्नी को देखा तो एकबार  लगा कि मेरे बेटे बहु मुझे लेने आ गए......लेकिन तुम वो नही हो..... उस माँ ने मुझसे कहा बेटे, क्या ऐसा होता है प्रोमिस.....* 

 *मेरे पास  उस माई को प्रतिउत्तर देने हेतु सिवाय शीश झुकाने के अलावा कोई शब्द ना था ....मैने माई को नम आंखों से  हाथ जोड़ निकल आया  ....ओर प्रॉमिस किया  आपस मे कि हम पति- पत्नी जीवन के अंतिम पड़ाव तक हम जुदा ना होंगे... भलेही संताने अपने अपने अलग अलग घर बना ले....हम 15 - 15 दिन में विभक्त ना होंगे......*

(शेष कल, अगर सोचने का  समय मिला तो लिखने का प्रयास करूंगा)

*✒️आनन्द जोशी, जोधपुर*

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022

टेडीबीयर डे (व्यंग्य) आनन्द जोशी, जोधपुर

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*टेडीबीयर डे (व्यंग्य जोधपुर की मारवाड़ी  भाषा में)*
*बीते कल (09-02-22) की लेखनी से आगे*....

*लारले तीण  दिणों  सु ,  भारतीय समाज रा  ए छोरा- छोरिया,   होडा-होड, , गोड़ा-फोड़, फिरंगियों री संस्कृति देख ने उवोरी नकल करता करता  मारी रातो री नींद  उडा दी ....... कदई तो ऐं   भोडंलागिया ..... रोजडे रो दिण मनावे  ओर कदई परपोज रो दिण    ओर मने आज अचम्बो  इण बात रो है कि काले तो ए छोरा  स्कूल में पढाउण वाली चॉक रो दिन भी  मना लियो,  उन चॉक रो अंगेजी में स्वर्गवास कर दिया ....  चॉक रे लारे .....लेट  लगा दियो .........*  
.*आज  मैं इण  सब दिनों सु तंग आ ने  घर सु  गेढियों ले ने इण बात रो पतो लेवण रे वास्ते निकलियों हूूं  ...ताकि मने आ तो पतो लाग  सके,  कि  आज मारे शहर में किणों दिण मनायो जा  रियो  है ....सिरे बाजार  जदै    मैं पुगियो  तो  सडको माते भालू रा नैनकिया ......नैनकिया टाबरिया बिकण रे वास्ते  आयोडा  हा,  उठे उबा छोरो ने मैं पुछियो .....रे छोरो ...आज, कई ढोंग मचा राखियों हो .......  छोरा बालिया   काकोसा आज टेडीबीयर डे है .....मैं आंखियों मातु चश्मों हटा ने  पाछो पुछियो कि ओ कई हुवे रे .... जवाब दियो थे  हमझो  ला कोनी काकोसा ......  आप तो घरे पधारो .... काकीजी जिको कोम भलायो है ....कर ने घरे सीधा घरे जावो .परा ......  हुनी टेम पास मत करो....मैं पाछो बोलियों,  रे छोरो.....जै थे छोरा घर रो कोम  कर देवता,  तो मने डोकरो ने क्यु बाजार आवणों पडतो ........ टेम पास री बात करे, माउ....*.

*खेर ....बीयर रो नोम हुणतो ही इज मैं तो गहरे सदमें में पहुच गियो ...... बचपन मे  जदे पोशाल  (पाठशाला) पढ़ता, उण टेम   माडसाहब कैवता दारू, बीयर नरक रा द्धार हुवे....   जीवन भर  उन कनी देखजो मत, जै कदई देख ली, तो कुते री मोत मरो ला . ......  उण  टैम इज...  माडसाब रे होमे गौ माता  री... होगन्ध खाई   कि जिन्दगी भर  बीयर, दारू ओर शराब   सु दूर रैवो ला सा....ओर आज तक मने  माडसाहब  रे होमे ली होगन्द याद है और उवोरी कैयो डी  बातो भी.... मैं दारू, बीयर  पीवणों री बात तो दूर ... मैं  खाली  बोतल रे  भी हाथ कोनी  लगाऊँ ....  पण मनै  आज इण बात रो  अचम्बो है कि  आज रा छोरा,   होडा -होड,  गोडा -फोड ने  बीयर  ने टेढ़ी कर ने उन्हों  भी  दिन  मना रिया है ।*

*बाजार में जीवती मछली, बकरा, मुर्गो रो माँस तो मिलतो ही इज हो....बाजार में  भालु रा नैनकिया नैनकिया  टाबरिया निर्जीव रूप में आ गया है....इण देश रा युवा क्यु खुद री  चोकी- चोकी  संस्कृति ने छोड़ ने  फिरंगियों री हुगली बातों  मनाउंन ने  आमदा हु  रिया है.....इन बुढ़ापे में ऐडा दिन किनही भी नही दिखावे.....होचतो होचतो मैं उठु रवाना हु गियो..........*

(शेष कल, अगर सोचने का समय मिला तो लिखने का प्रयास करूंगा)

*✒️आनन्द जोशी, जोधपुर*

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