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मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022

जरा याद करो कुर्बानी तिरंगे_के_लिए_दी_जान**तारापुर शहीद दिवस 15 फरवरी*

*जरा याद करो कुर्बानी तिरंगे_के_लिए_दी_जान*

*तारापुर शहीद दिवस 15 फरवरी*
 *प्रति वर्ष की भांति बीते 07 फरवरी से लेकर 14 फरवरी तक #पाश्चात्यकरण संस्कृति की अंधी #मैराथन दौड में सम्मिलित हुए "आभासी पटल के दीवाने" को दूर से देखने का अवसर प्राप्त हुआ । इस दौड में सम्मिलित युवाओं ने एक से बढकर एक ने बेहतरीन प्रदर्शन किया जिनका लाईव चित्रण भी कुछ युवाओं ने सोशियल मीडिया पर किया...बेस्ट प्राईज उस तस्वीर को मिला जिसमे कुछ युवा प्रकृति की ओट में पहाड़ियों के मध्य गुफाओं से दौड़ते नजर आए , उनके पीछे पुलिस थी.... आपाधापी की इस दौड़ में उनके ऊंची एड़ी के सैंडिलों ने साथ नही दिया.... इस सप्तदिवसीय इम्तहान का परिणाम आगामी नौ माह के भीतर आज के पाश्चात्य समाज में देखने को मिलने की उम्मीद है .....फिर भी अगर आप चाहे तो इंटरनेट पर गायनोकोलॉजिस्ट से सम्पर्क साध कर ..... भविष्य की मुसीबतों..... माफ कीजियेगा ..….खेर अपने को क्या, इतने सालों से लिख रहा अगले वर्ष फिर लिख दूंगा....*

*बहराल....14 फरवरी की काली रात को बीते समय बीत चुका है एवं आज 15 फरवरी के सूर्योदय के साथ नई प्रभात हुई... आज जब मैने इतिहास के जीवट पन्नों पर जमी रज को अनाच्छादित कर देखा तो इस दिन यानि 15 फरवरी का अर्थ समझ आया....वैसे इस घटना का जिक्र कम ही होता है आज के दौर में..*

*मित्रों, आज ही के दिन यानि 15 फरवरी को एक खुन की होली खेली गई थी .......आप सोच रहे होगें कि 14 फरवरी के अगले दिन खुन की होली कैसी ? यह क्या मजाक है ? खेर , सीधी बात कहने का प्रयास करता हूँ .....*

  *15 फरवरी 1932 की अपरान्ह में सैकड़ों आज़ादी के दीवाने #मुंगेर ज़िला के #तारापुरथाने पर #तिरंगा लहराने निकल पड़े । उन अमर सेनानियों ने अपने हाथों में राष्ट्रीय तिरंगा और होठों पर #वंदे मातरम्', #भारत माता की जय' , का नारा , अंग्रेज भला यह कब सुनते उन्होने तो उन पर ताबडतोड #गोलिया बरसानी शुरू कर दी रैली में मौजुद भारतीयों ने हँसते-हँसते गोलियाँ अपने सीने पर खाई । भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में यह सबसे बडे गोलीकांड में से एक था । 50 से अधिक भारतीय वीर सपूतों की शहादत के पश्चात स्थानीय थाना भवन पर तिरंगा लहराया गया । उन अंग्रेजो ने हमारे शहीदों के साथ जो बर्बरता की उसे भी आज आपको जानना होगा, “शहीदों के शवो को वाहनों में लाद कर #सुल्तानगंज की गंगा नदी में बहा दिया गया ।“*

*हे मेरे युवाओं, बहुत प्रसन्न होते हो ना तुम पाश्चात्यकरण की अंधी दौड में सम्मिलित होकर । बीते कल यानि 14 फरवरी को कुछ युवाओं ने दुसरो की देखा देखी करते हुए फेस बुक, वाटस एप्प को इतना भर दिया कि मानो हमारा जन्म 14 फरवरी के लिए ही हुआ हो .... हलाकि इनमें से बहुत से अपनो ने पुलवामा के शहीदों को भी याद किया ....*

 *दोस्तो, मैं यह नही कहता कि हमे दुसरे देश की संस्कृति से प्रेम नही करना चाहिए, दुसरे देश की संस्कृति को इज्जत दो परन्तु अपने राष्ट्र की संस्कृति को कभी भूलना भी तो समझदारी नही । खैर कोई बात नही आओ आज ही से हम अपने भारत राष्ट्र की संस्कृति को अपनाने का संकल्प लेते हुए 15 फरवरी 1932 को शहीद हुए भारतीय वीरो को नमन करे .....*.

*जय हिन्द जय भारत वन्देमातरम*

*✒️आनन्द जोशी, जोधपुर*

माघ पूर्णिमा संत रविदास जी की जयंती पर विशेष

*माघ पूर्णिमा संत रविदास जी की जयंती पर विशेष*

*आज संत रविदास जी महाराज की प्रत्येक नगर व शहर में शोभायात्रा निकलेगी हिन्दू समाज की तरफ से उस यात्रा का स्वागत करें और कल जन्म जयंती पर परिवार में बैठकर मंगल चर्चा के निमित्त इस विषय पर चर्चा करनी चाहिए* 

रविदाजी को पंजाब में रविदास कहा जाता है। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में उन्हें रैदास के नाम से ही जाना जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र के लोग 'रोहिदास' और बंगाल के लोग उन्हें ‘रुइदास’ कहते हैं। कई पुरानी पांडुलिपियों में उन्हें रायादास, रेदास, रेमदास और रौदास के नाम से भी जाना गया है। माघ मास की पूर्णिमा को जब रविदास जी ने जन्म लिया वह रविवार का दिन था जिसके कारण इनका नाम रविदास रखा गया। उनका जन्म माघ माह की पूर्णिमा को हुआ था। इस वर्ष 16 फरवरी 2022 को उनकी जयंती मनाई जाएगी।
 
संत शिरोमणि रविदास जी का जन्म माघ पूर्णिमा को 1376 ईस्वी को उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के गोबर्धनपुर गांव में हुआ था। रविदासजी चर्मकार कुल से होने के कारण वे जूते बनाते थे। ऐसा करने में उन्हें बहुत खुशी मिलती थी और वे पूरी लगन तथा परिश्रम से अपना कार्य करते थे।

उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में मुगलों का शासन था चारों ओर अत्याचार, गरीबी, भ्रष्टाचार व अशिक्षा का बोलबाला था। उस समय मुस्लिम शासकों द्वारा प्रयास किया जाता था कि अधिकांश हिन्दुओं को मुस्लिम बनाया जाए। संत रविदास जी की प्रसिद्धि निरन्तर बढ़ रही थी जिसके चलते उनके लाखों भक्त थे जिनमें हर जाति के लोग शामिल थे। यह सब देखकर एक मुस्लिम 'सदना पीर' उनको मुसलमान बनाने आया था। उसका सोचना था कि यदि रविदास मुसलमान बन जाते हैं तो उनके लाखों भक्त भी मुस्लिम हो जाएंगे। ऐसा सोचकर उन पर हर प्रकार से दबाव बनाया गया,उनको लालच दिखाया गया,उनको डराया व धमकाया भी गया लेकिन संत रविदास तो हिन्दू समाज के संत थे उन्हें किसी मुस्लिम से मतलब नहीं था। उन्होंने साफ साफ मना कर दिया
 
संत रविदासजी बहुत ही दयालु और दानवीर थे। संत रविदास जी ने अपने दोहों व पदों के माध्यम से समाज में जातिगत भेदभाव को दूर कर सामाजिक एकता पर बल दिया और हिन्दु संस्कृति के जीवन मूल्यों की नींव रखी। रविदासजी ने सीधे-सीधे लिखा कि 
*'रैदास जन्म के कारने होत न कोई नीच, नर कूं नीच कर डारि है, ओछे करम की नीच'*
 यानी कोई भी व्यक्ति सिर्फ अपने कर्म से नीच होता है। जो व्यक्ति गलत काम करता है वो नीच होता है। कोई भी व्यक्ति जन्म के हिसाब से कभी नीच नहीं होता। संत रविदास ने अपनी कविताओं के लिए जनसाधारण की ब्रजभाषा का प्रयोग किया है। साथ ही इसमें अवधी, राजस्थानी, खड़ी बोली और रेख्ता शब्दों का भी मिश्रण है। रविदासजी के लगभग चालीस पद सिख धर्म के पवित्र धर्मग्रंथ 'गुरुग्रंथ साहब' में भी सम्मिलित किए गए है।

स्वामी रामानंदाचार्य  हिन्दू समाज के उच्च कोटि के महान संत थे। ब्राह्मण कुल में उनका जन्म हुआ था। संत रविदास उनके शिष्य थे। संत रविदास तो संत कबीर के समकालीन व गुरूभाई माने जाते हैं। स्वयं कबीरदास जी ने  *'संतन में रविदास'* कहकर इन्हें मान्यता दी है। राजस्थान के मेड़ता की बेटी और मेवाड़ की बहुरानी व कृष्णभक्त  मीराबाई उनकी शिष्या थीं। यह भी कहा जाता है कि चित्तौड़ के राणा सांगा की पत्नी झाली रानी उनकी शिष्या बनीं थीं। वहीं चित्तौड़ में संत रविदास की छतरी बनी हुई है। वाराणसी में 1540 ईस्वी में उन्होंने देह छोड़ दी थी।
वाराणसी में संत रविदास का भव्य मंदिर और मठ है। जहां सभी जाति के लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। 
संत रामानंद जी महाराज ने तथाकथित ऊंच-नीच की कुरीति को तिलांजलि देकर संत रविदास जी महाराज को दीक्षा देकर अपना शिष्य बनाया और हिन्दू समाज में ऊंच-नीच की व्याप्त बुराई को दूर करने का उपदेश दिया।
इसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए संत रविदास जी महाराज ने भी मेवाड़ घराने की बहुरानी मीराबाई को दीक्षित कर हिन्दू समाज को ऊंच-नीच से ऊपर उठाकर गुणपूजा को प्रतिष्ठित करने का संदेश दिया।
*संत रविदास जी महाराज भक्ति आन्दोलन के दैदीप्यमान नक्षत्र थे। हिन्दू समाज उनका चिरकाल तक ऋणी रहेगा*

सोमवार, 14 फ़रवरी 2022

देश-विदेश में 14 फरवरी को छाया रहा मातृ-पितृ पूजन दिवस

*🚩देश-विदेश में 14 फरवरी को छाया रहा मातृ-पितृ पूजन दिवस*

*14 फरवरी 2022*
azaadbharat.org
*🚩जब भी 14 फरवरी निमित्त मातृ-पितृ पूजन की बात आती है तो सबकी जुबान पर एक ही नाम आता है- बापू आसारामजी का, जिन्होंने इस अद्भुत पर्व की सौगात संपूर्ण विश्व को दी, जिसे आज विश्वपटल पर देश-विदेश की गणमान्य हस्तियों द्वारा सराहा जा रहा है।*

*सन 2006 से शुरू हुए इस पर्व ने आज समाज में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। ये पर्व न सिर्फ हिन्दू, बल्कि मुसलमान और ईसाई धर्म को मानने वाले भी बड़े उत्साह से मनाते देखे जा रहे हैं।*

*🚩कौन से माता-पिता चाहेंगे कि उनकी संतान चरित्रहीन हो???*

*किसी भी देश का युवावर्ग उस देश की रीढ़ की हड्डी होता है। पाश्चात्य कल्चर का अन्धानुकरण कर भारत का युवा चारित्रिक पतन की खाई में गिरता चला जा रहा था पर बापू आसारामजी की इस अनूठी मुहिम ने युवाओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया और समाज में बढ़ती माता-पिता और बच्चों के बीच की दूरी को दूर किया।*

*इसलिए बापू आसारामजी द्वारा शुरू की गई इस अनूठी पहल को हर धर्म, हर जाति द्वारा सराहा गया है।*

*विश्व के अमेरिका, दुबई, सऊदी अरब, कनाडा, पाकिस्तान, बर्मा, नेपाल, इटली, इंग्लैंड आदि कई देशों में स्कूल, कॉलेज, वृद्धाश्रम, समाजसेवी संस्थाओं, घर, परिवार, मोहल्ले आदि में जगह-जगह पर मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया गया।*

*🚩माता-पिता अपने बच्चों सहित अपने-अपने क्षेत्रों में जहाँ-जहाँ ये कार्यक्रम आयोजित किये गए वहाँ-वहाँ बड़ी संख्या में पधारे और एक नये उत्साह, नये संस्कार, एक नयी दिव्य अनुभूति और एक अनोखे हर्ष के साथ सबके मुखमंडल प्रफुल्लित हो उठे।*

*सच में जिन्होंने भी इस पर्व को मनाया, अपने माता-पिता की पूजा की, अपनी दिव्य संस्कृति को अपनाया, उनके जीवन में कुछ नया देखने को जरूर मिला।*

*पूजन में आये परिजनों का कहना था कि हम अपने बच्चों को इतने ऊँचे संस्कार देने का कभी सोच भी नहीं सकते थे, जिन महापुरुष ने इस संस्कारी दिवस की नींव रखी है, जो हमने यहाँ अनुभव किया, तो हमें नहीं लगता कि उन्होंने कुछ गलत किया होगा! यह सब देखकर तो अब हमारी भी तीव्र इच्छा होने लगी है बापूजी के दर्शन की। देशभर से कई युवा सेल्फी वीडियो बनाकर मातृ पितृ पूजन दिवस को अपना समर्थन दे रहे हैं।*

*🚩ग्राउंड लेवल से लेकर सोशल मीडिया तक बड़े जोरशोर से मातृ-पितृ पूजन दिवस की धूम मची है।*

*आज ट्विटर पर लाखों ट्वीट्स द्वारा लोग बापू आसारामजी की इस अनूठी पहल का स्वागत करते दिखे।*

*🚩देखा जाए तो वैलेंटाइन डे भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है; ये भी सच है कि वैलेंटाइन डे के पीछे बाजार की ताकत है। भारत की सभी समस्याओं का समाधान हिंदू धर्म की जड़ों में ही छिपा है; भारत जब पूरी तरह हिंदू राष्ट्र हो जाएगा तो फिर से महान हो जाएगा, इसके लिए सतयुग की तरफ देश को लौटाने के सभी प्रयास किए जाने चाहिए।*

*आज जहाँ एक ओर वैलेंटाइन डे का प्रभाव अंधाधुंध बढ़ता जा रहा है तथा इसके कुप्रभाव व दुष्परिणाम समाज के सामने प्रत्यक्ष हो रहे हैं- एड्स, नपुसंकता, दौर्बल्य जैसी गुप्त बीमारियों, छोटी उम्र में ही गर्भाधान (Teenage Pregnency), ऑपरेशन आदि  का सामना समाज को करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर बापू आसारामजी के करोड़ों समर्थकों द्वारा हर साल देशभर में सभी स्थानों पर ग्राउंड लेवल हो या सोशल मीडिया की सभी साइट्स, मातृ-पितृ पूजन दिवस का प्रचार जनवरी से ही शुरू हो जाता है।*

*🚩अनादिकाल से भारत के महान संत ही समाज की रक्षा करते आये हैं। समाज को संवारने का दैवीकार्य महान ब्रह्मवेत्ता तत्वज्ञ संतों द्वारा ही होता आया है।*

*जब-जब समाज कुकर्म और पाप की गहरी खाई में गर्क होने लगता है, अधर्म बढ़ने लगता है तो किसी न किसी महापुरुष को परमात्मा (ईश्वर) धरती पर प्रकटाते हैं या स्वयं भगवान् धरती पर अवतार लेते हैं और इस दिशाहीन समाज को एक नयी दिशा देकर, समाज को सुसंस्कारित कर, समाज में धर्म की स्थापना करते हैं जैसा कि भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है।*

*🚩महापुरुषों की गाथा सुज्ञ समाज अनंत काल तक गाता रहता है। ऐसे ही कई महापुरुष जैसे- संत कबीर, गुरु नानकजी, संत तुलसीदासजी, संत लीलाशाहजी महाराज, संत तुकारामजी, संत ज्ञानेश्वरजी, स्वामी विवेकानंदजी, स्वामी अखंडानन्दजी आदि महान संतों का यश आज भी जीवित है।*

*करोड़ों-अरबों लोग धरती पर आते हैं और यूँ ही चले जाते हैं लेकिन संतों का नाम, आदर, पूजन व यश अनंत काल तक मानवमात्र के हृदयों में अंकित रहता है।*

*ऐसे ही संत आज इस धरा पर हैं लेकिन बहिर्मुख व कृतघ्न समाज को दिखता कहाँ है!*
*कहाँ पहचान पाते हैं हम उन संतों को!!*

*गुरुनानक जैसे महान संतों को जेल डलवा दिया जाता है। दो बार तो गुरुनानकजी को भी जेल जाना पड़ा। संत कबीरजी जैसों को वेश्याओं द्वारा बदनाम करवाया जाता है। स्वामी नित्यानंदजी के ऊपर यौन शोषण का झूठा आरोप लगाया गया था। लेकिन उनकी पूजा आज भी होती है क्योंकि "धर्म की जय और अधर्म का नाश" ये प्राकृतिक सिद्धांत है।*

*🚩आज समाज को एक अद्भुत प्यारा सा पर्व देकर हिन्दू संत आसारामजी बापू ने सभी के दिलों पर राज किया है, सबको प्रेम दिया है, सभी को सन्मार्ग पर ले चलने का बड़ा महान कार्य किया है।*

*कई समाज के बुद्धिजीवी तो संत आसारामजी बापू के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं लेकिन भारत में ही विदेशी षड्यंत्र द्वारा ( क्रिश्चयन मिशनरीज, विदेशी कंपनियों के फंड से ) उन्हें जेल भिजवा दिया गया और समाज मूकदर्शक बनकर देखता रहा।*

*जहां आज का मानव बिना चमत्कार के किसी को नमस्कार नहीं करता, वहीं आज भी बापू आसारामजी के करोड़ों अनुयायी उनके लिए पलकें बिछाये बैठे हैं।*

*बिना सत्य के बल के कोई करोड़ों के जनसमूह को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकता, इतना तो हर समझदार इंसान समझ सकता है।*
*उनकी सत्प्रेरणा से देश-विदेश में 14 फरवरी को माता-पिता का आदर-सत्कार, पूजन करके करोड़ों लोगों ने मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया।*

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Kiss Day (व्यंग्य) आनन्द जोशी, जोधपुर

*Kiss Day (व्यंग्य)*
बीते कल (12-02-22) की लेखनी के आगे...

*उन लड़कों के चले जाने के बाद ....श्रीमती जी  ने मुझे समझाया , क्यों व्यर्थ में इन युवाओं के पीछे तुम अपनी बीपी बढ़ाते हो ... मैं बोला, तुम ठीक ही बोल रही हो । इन युवाओं को भविष्य में जब ठोकर लगेगी तब  इनको  समझ आएगी...*

*श्रीमतीजी के साथ हुई बातो ही बातो में समय कैसे निकल गया पता ही नहीं चला ... अगले दिन सुबह रेडियो में आज के दिन के बारे में पता चला कि आज का दिन किस डे वाला है .... श्रीमती से किया वादा  मुझे याद आ गया  , आज  मुझे  इस  युवाओ के विषय पर कुछ नही बोलना लेकिन  मन में उठने वाले भाव को मैं  रोक नही  पाया  ... पास पड़ी अपनी  डॉयरी व कलम  उठाई व लिखना शुरू कर  दिया..*

*....वर्तमान परिपेक्ष्य  को देखकर मैं दंग हू, मै दंग हू इस बात पर हु  कि मैं किस - किस पर  क्या क्या  व्यंग्य करू,  मैं जानता हॅूं  कि भारत में हर किसी को अभिव्यक्ति की आजादी है ओर इस आजादी के माहोल में  नेता, अभिनेता ओर सन्त   #किस    के कारण न जाने किस -किस   जेल में बंद  है ..... मैं यह भी जानता हूँ कि ये  किस, किसी जमाने मे  पवित्र  हुवा करता था और  कई मायने में आज भी उतना ही पवित्र  है  जैसे कि  एक किस (चुम्बन)  मंगल, भगत,  राजगुरु,  सुखदेव,   खुदीराम, राजेन्द्र लाहिड़ी, बिशमिल, अशफाक , खुदीराम, तिलका माझी  व अनगिनत क्रांतिकारियों ने अपने फाँसी के फंदे  को #किस  देकर देश के  लिए  फाँसी पर  झूल गए थे और एक किस आसाराम, रामपाल, रामरहीम  ने भी दिया नतीजन वो किसी जेल में बंद है ..इसी एक किस के कारण  शिल्पा शेटी दीदी  के पतिदेव राज कुंदा  भाईसाहब को कई तकलीफ झेलनी पडी..ओर  न जाने ऐसे कितने  गुमनाम लोग है  जिनके  किस के बहुत से  किस्से हुए .. .  आज भी  अनेक  किस्से सफेद पोश में   चांद के काले  धब्बे की तरह चोली दामन के साथ की तरह  साथ रहते है... ओर भी  किस  के  अनगिनत  किस्से है, ओर हमारे मारवाड़ की ये कहावत भी सही है,  हर कुवे में भांग गुली है .....*

*लेकिन  माँ    द्वारा अपनी संतान को   वात्सल्य, प्रेम, अपनापन व  निश्छल  भाव के साथ   दिया  जाने वाला किस,  जिसकी  पवित्रता की मिसाल संत दिया करते है  ।*

*मुझे  ये तो नही पता  किस के लिए आज का  युवा किस ड़े मना रहा है  लेकिन    मां की ममता को किस डे मनाने के लिए कैलेंडर में 13 फरवरी का इंतज़ार नही करना पड़ता ।*

*आज मैं  वास्तव में दंग हूँ कि    किस - किस पर  क्या क्या  क्या व्यंग्य करू ......* 

*....लिख ही रहा था, इतने में श्रीमती जी पास आई... ओर बोली....तुम नही सुधरोगे....बोलने का मना किया तो मन की बात लिख डाली ....  मैं बोला लिखी  तो अपने मन की बात है ना,  टेलीप्रॉम्पटर  पर देख कर बोली तो नही ना...... थोड़ा  मुस्कुरा कर रसोई में चली गई.... पीछे से मैंने  धीरे से चुटकी ली और  बोला.... आज डे ....किस का है, मोहतरमा.... इतने में रसोई से  बेलन घुमते हुवे  धड़ाम से मेरे पास  आकर  गिरी😊...... शुक्र है बाल बाल बच गया..... वरना किस डे के चक्कर मे सर के बचे केशो को किस किस जगह पर थे ढूंढना पड़ता😄*

(इस सीरीज का अंतिम व्यंग्य कल, अगर समय मिला तो लिखने का प्रयास करूंगा)

*✒️आनन्द जोशी, जोधपुर*

शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

हग डे (व्यंग्य) आनन्द जोशी, जोधपुर

हग डे (व्यंग्य)
बीते कल (11-02-22)की लेखनी से आगे.....

*.... उस बूढ़ी माँ के आँखो का तारा जिसे अपनी माँ को संभालने का भी उसके पास वक़्त ना था ओर सब कुछ जानते हुवे भी उसकी माँ के ममत्व का नीर उसके चक्षुओ से अवविरल छलकना .... यह सब सोच कर रात भर मुझे नींद नही आई......*.

*सुबह श्रीमती चाय के प्याला से मेरी आँख खुली, पास आकर वो बैठी गई, लग रहा था उसे मेरी ज्यादा चिंता है, वैसे भी उम्र के अंतिम पड़ाव में पति-पत्नी ही एक दूसरे का सहारा होते है.....हम बातें ही कर रहे थे कि इतने में घर की बेल (घण्टी) 2-3 बार बजी, दरवाजा खोला तो 2-3 युवा घर की अंदर आकर छुपने लगे.... हाथ जोड़कर मुझसे बोले अंकल हमे बचा लो, अब हम गलती नही करेगे..... माझरा समझ पाता इतने में पुलिस के दो सिपाही पीछा करते-2 आ गए ..... पूछा कि कुछ युवक आपके घर मे आये है ?.....पर्दे के पीछे छीपे युवा ....हाथ जोड़कर... इशारों में कहने लगे हमे पुलिस से बचा लो..... उन युवाओं की दयनीय स्थिति को देखकर पुलिस सिपाही के सम्मुख मैने झूठ बोला कि युवा नही आये...... पुलिस चली गई, युवक बाहर आये, कारण पूछा तो आँखें नीची कर बोले , रोज हम टीवी सीरियल देखते है, कल उसमे बताया कि आज हग डे , सीरियल में लड़को ने अपनी कॉलेज में हग डे मनाया.…...हमने भी आज ये करने का प्लान बनाया....सुबह सुबह ही कॉलेज में लड़की साथी से हम गले मिलकर हग डे मनाया ...इसकी भनक कॉलेज प्रशासन को लगी, उन्होंने पुलिस को सूचना दी, ओर हम भागते भागते यहां पहुच आए......*

*मैने उनको सुन कर पूछा तुम लोग ऐसा क्यों करते हो...वो बोले अब नही करेंगे । मैने पूछा तुम्हे कैसे पता चलता है कि आज रोज डे है , हग डे है आदि.... आदि.... वो बोले व्हाट्सप, फेसबुक, इंस्टा, टीवी, व सोशियल मीडिया के अन्य आयाम से हमे पता चल जाता है । मैंने उनसे कहा सावन के बाद रक्षा बंधन, कार्तिक मास में दीवाली, फाल्गुन में होली का त्योहार आता है इन सभी त्योहार का महत्व होता है ....एक संस्कृति, एक प्रेरक सीख मिलती है, हमारे त्योहार में.....अगर हम अपने धर्म के त्योहार मनाते हैं तो अपने राष्ट्र के सभ्य नागरिक कहलाते हैं, दूसरे राष्ट्र की संस्कृति जिससे हम अनजान हैं बिना सोचे समझे उनकी संस्कृति का अनुसरण करना हमें गर्त की ओर ढकेलता है , जैसे कि आज तुम्हारे पीछे पुलिस पड़ी है......हग करो, जरूर करो अपनी जननी, पिता , निर्धन से हग करो, सुदामा कृष्णा राम भरत की तरह हग करो उन युवाओं ने अपने कान पकड़े , माफी मांगी और आगे से ऐसा ना करने का वचन देकर अपने घर को गए.......*
(शेष कल, अगर सोचने का समय मिला तो लिखने का प्रयास करूंगा)

*✒️आनन्द जोशी, जोधपुर*

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