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मंगलवार, 22 मार्च 2022

क्या शिवलिंग रेडिएटर हैं?

क्या शिवलिंग रेडिएटर हैं?
हाँ 100% सच!!

भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठाएं, हैरान रह जाएंगे आप! भारत सरकार की परमाणु भट्टी के बिना सभी ज्योतिर्लिंग स्थलों में सर्वाधिक विकिरण पाया जाता है।

शिवलिंग और कुछ नहीं परमाणु भट्टे हैं, इसीलिए उन पर जल चढ़ाया जाता है, ताकि वे शांत रहें।

महादेव के सभी पसंदीदा भोजन जैसे बिल्वपत्र, अकामद, धतूरा, गुड़ आदि सभी परमाणु ऊर्जा सोखने वाले हैं।

क्योंकि शिवलिंग पर पानी भी रिएक्टिव होता है इसलिए ड्रेनेज ट्यूब क्रॉस नहीं होती।

भाभा अनुभट्टी की संरचना भी शिवलिंग की तरह है।

नदी के बहते जल के साथ ही शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल औषधि का रूप लेता है।

इसीलिए हमारे पूर्वज हमसे कहा करते थे कि महादेव शिवशंकर नाराज हो गए तो अनर्थ आ जाएगा।

देखें कि हमारी परंपराओं के पीछे विज्ञान कितना गहरा है।

जिस संस्कृति से हम पैदा हुए, वही सनातन है।

विज्ञान को परंपरा का आधार पहनाया गया है ताकि यह प्रवृत्ति बने और हम भारतीय हमेशा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें।

आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में केदारनाथ से रामेश्वरम तक एक ही सीधी रेखा में बने महत्वपूर्ण शिव मंदिर हैं। आश्चर्य है कि हमारे पूर्वजों के पास ऐसी कौन सी विज्ञान और तकनीक थी जो हम आज तक समझ नहीं पाए? उत्तराखंड के केदारनाथ, तेलंगाना के कालेश्वरम, आंध्र प्रदेश के कालेश्वर, तमिलनाडु के एकम्बरेश्वर, चिदंबरम और अंत में रामेश्वरम मंदिर 79°E 41'54" रेखा की सीधी रेखा में बने हैं।

ये सभी मंदिर प्रकृति के 5 तत्वों में लैंगिक अभिव्यक्ति दिखाते हैं जिन्हें हम आम भाषा में पंचभूत कहते हैं। पंचभूत का अर्थ है पृथ्वी, जल, अग्नि, गैस और अवकाश। इन पांच सिद्धांतों के आधार पर इन पांच शिवलिंगों की स्थापना की गई है।

तिरुवनैकवाल मंदिर में पानी का प्रतिनिधित्व है,
आग का प्रतिनिधित्व तिरुवन्नामलाई में है,
काल्हस्ती में पवन दिखाई जाती है,
कांचीपुरम और अंत में पृथ्वी का प्रतिनिधित्व हुआ
चिदंबरम मंदिर में अवकाश या आकाश का प्रतिनिधित्व!

वास्तुकला-विज्ञान-वेदों का अद्भुत समागम दर्शाते हैं ये पांच मंदिर

भौगोलिक दृष्टि से भी खास हैं ये मंदिर इन पांच मंदिरों का निर्माण योग विज्ञान के अनुसार किया गया है और एक दूसरे के साथ एक विशेष भौगोलिक संरेखण में रखा गया है। इसके पीछे कोई विज्ञान होना चाहिए जो मानव शरीर को प्रभावित करे।

मंदिरों का निर्माण लगभग पांच हजार साल पहले हुआ था, जब उन स्थानों के अक्षांश को मापने के लिए उपग्रह तकनीक उपलब्ध नहीं थी। तो फिर पांच मंदिर इतने सटीक कैसे स्थापित हो गए? इसका जवाब भगवान ही जाने।

केदारनाथ और रामेश्वरम की दूरी 2383 किमी है। लेकिन ये सभी मंदिर लगभग एक समानान्तर रेखा में हैं। आखिरकार, यह आज भी एक रहस्य ही है, किस तकनीक से इन मंदिरों का निर्माण हजारों साल पहले समानांतर रेखाओं में किया गया था।

श्रीकालहस्ती मंदिर में छिपा दीपक बताता है कि यह हवा में एक तत्व है। तिरुवनिक्का मंदिर के अंदर पठार पर पानी के स्प्रिंग संकेत देते हैं कि वे पानी के अवयव हैं। अन्नामलाई पहाड़ी पर बड़े दीपक से पता चलता है कि यह एक अग्नि तत्व है। कांचीपुरम की रेती आत्म तत्व पृथ्वी तत्व और चिदंबरम की असहाय अवस्था भगवान की असहायता अर्थात आकाश तत्व की ओर संकेत करती है।

अब यह कोई आश्चर्य नहीं है कि दुनिया के पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच लिंगों को सदियों पहले एक ही पंक्ति में स्थापित किया गया था।

हमें अपने पूर्वजों के ज्ञान और बुद्धिमत्ता पर गर्व होना चाहिए कि उनके पास विज्ञान और तकनीक थी जिसे आधुनिक विज्ञान भी नहीं पहचान सका।

माना जाता है कि सिर्फ ये पांच मंदिर ही नहीं बल्कि इस लाइन में कई मंदिर होंगे जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी लाइन में आते हैं। इस पंक्ति को 'शिवशक्ति अक्षरेखा' भी कहते हैं, शायद ये सभी मंदिर 81.3119° ई में आने वाली कैलास को देखते हुए बने हैं!?

इसका जवाब सिर्फ भगवान शिव ही जानते हैं

आश्चर्यजनक कथा 'महाकाल' उज्जैन में शेष ज्योतिर्लिंग के बीच संबंध (दूरी) देखें।

उज्जैन से सोमनाथ - 777 किमी

उज्जैन से ओंकारेश्वर - 111 किमी

उज्जैन से भीमाशंकर - 666 किमी

उज्जैन से काशी विश्वनाथ - 999 किमी

उज्जैन से मल्लिकार्जुन - 999 किमी

उज्जैन से केदारनाथ - 888 किमी

उज्जैन से त्र्यंबकेश्वर - 555 किमी

उज्जैन से वैद्यनाथ - 999 किमी

उज्जैन से रामेश्वरम - 1999 किमी

उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 किमी

हिंदू धर्म में कुछ भी बिना कारण के नहीं किया जाता है।

सनातन धर्म में हजारों वर्षों से माने जाने वाले उज्जैन को पृथ्वी का केंद्र माना जाता है। इसलिए उज्जैन में सूर्य और ज्योतिष की गणना के लिए लगभग 2050 वर्ष पूर्व मानव निर्मित उपकरण बनाए गए थे।

और जब एक अंग्रेज वैज्ञानिक ने 100 साल पहले पृथ्वी पर एक काल्पनिक रेखा (कर्क) बनाई तो उसका मध्य भाग उज्जैन गया। उज्जैन में आज भी वैज्ञानिक सूर्य और अंतरिक्ष की जानकारी लेने आते हैं।

          🙏|| हर हर महादेव ||🙏

कश्मीर मैं हिंदुओं के कत्लेआम का एकमात्र खलनायक यदि कोई है तो फारुख अब्दुल्ला

कश्मीर मैं हिंदुओं के कत्लेआम का एकमात्र खलनायक यदि कोई है तो फारुख अब्दुल्ला है अफसोस कि कश्मीर का यह हिटलर कश्मीर में हिंदुओं का जीनोसाइड करने वाला फारूक अब्दुल्लाह एकदम आजाद घूम रहा है उसके ऊपर यह केस तक दर्ज नहीं हुआ 

आप सोचिए मात्र 5 या 6 पीढ़ी पहले यह खुद एक कश्मीरी पंडित था फिर भी उसके मन में हिंदुओं के प्रति इतनी नफरत थी कि कश्मीर घाटी से हिंदुओं के कत्लेआम और हिंदुओं के सफाए से इसका मन नहीं भरा उसके बाद इसने कश्मीर घाटी में जो हिंदुओं की करोड़ों अरबों रुपए की प्रॉपर्टी थी उसको इसने मुसलमानों को देने के लिए एक षड्यंत्र रच दिया 

लेकिन अफसोस 20 सालों तक यानी दो दशकों तक मीडिया ने कभी हिंदुओं की प्रॉपर्टी को मुफ्त में मुसलमानों को देने का फारुख अब्दुल्ला के षड्यंत्र के बारे में हमें नहीं बताया

फारुख अब्दुल्ला ने जो हिंदुओं की संपत्ति को मुसलमानों को मुफ्त में देने का षड्यंत्र रचा उस षड्यंत्र को रोशनी एक्ट कहते हैं

अब मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर का रोशनी एक्ट खत्म कर दिया 

सोचिए आज तक किसी मीडिया ने हम लोगों को रोशनी एक्ट के बारे में बताया ही नहीं 

यह रोशनी एक्ट कश्मीर छोड़कर भाग गए हिंदुओं के मकान दुकान और जमीन और खेत मुस्लिमो को देने का फारुख अब्दुल्ला द्वारा बनाया गया एक षड्यंत्र था जिसमें कांग्रेसी भी शामिल थी

1990 के दशक में जितने भी हिंदू कश्मीर से भागे उन्हें पाकिस्तान के मुसलमानों ने मार कर नहीं भगाया बल्कि उनके ही पड़ोसी जिनके साथ वह बचपन में सेवई खाते थे त्यौहार मनाते थे चाय पीते थे उन्हीं पड़ोसियों अब्दुल असलम गफ्फार ने मार मार कर भगाया 

उसके बाद जब पूरा कश्मीर घाटी हिंदुओं से खाली हो गया तब फारुख अब्दुल्ला के पास कुछ मुस्लिम गए और बोले कि हिंदुओं के इन मकानों दुकानों जमीनों खेतों खलिहानो को मुसलमानों को देने के लिए आप कुछ नियम बनाइए 

तब फारुख अब्दुल्ला ने एक रोशनी एक्ट बनाया और इस रोशनी एक्ट के द्वारा सिर्फ ₹101 में किसी भी हिंदू की जमीन खेत मकान या दुकान एक मुसलमान की हो जाती थी

शगुफा यह छोड़ा गया कि मुसलमानों के घरों के आसपास के घर जो हिंदुओं के थे वह नहीं है बिजली का कनेक्शन काट देने की वजह से उनके आसपास अंधेरा रहता है जिससे उनके लिए खतरा हो सकता है इसलिए ऐसे घरों को रोशन करना जरूरी है

 इस तरह रोशनी एक्ट का ताना-बाना बना

चुकी हिंदू जब अपना सब कुछ छोड़ कर भाग गए तब बिजली का बिल नहीं चुका पाने की वजह से उनके खेतों के ट्यूबेल का या दुकानों का या घर का बिजली का कनेक्शन काट दिया गया.... फिर फारुख अब्दुल्ला ने एक रोशनी एक्ट बनाया जिसके द्वारा मात्र ₹101 फीस भरकर कोई भी मुसलमान अपने नाम से उस हिंदू के खेत खलिहान मकान दुकान के लिए बिजली का कनेक्शन लेने का आवेदन भर सकता था

 इस तरह पहले उस मुसलमान के नाम बिजली का बिल जनरेट कर दिया जाता था उसके बाद कुछ ही सालों में उस वक्त हिंदू की मकान दुकान या खेत का पूरा मालिकाना हक उस मुसलमान को दे दिया गया

 इस तरह इस जालिमाना रोशनी एक्ट द्वारा फारुख अब्दुल्ला ने कश्मीर घाटी के हजारों हिंदुओं की बेशकीमती प्रॉपर्टी मुसलमानों को मात्र 101 रुपये।में दे दी




और सबसे आश्चर्य की भारत की वामपंथी मीडिया कभी इस रोशनी एक्ट की चर्चा नहीं की

इसको पढ़ लीजियेगा लोग, सारा भ्रम दूर हो जायेगा ।

इसको पढ़ लीजियेगा लोग, सारा भ्रम दूर हो जायेगा ।

राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री रहे 31 October 1984 से 2 December 1989 तक। भाजपा नेता टिक्का लाल टपलू जिनकी हत्या से कश्मीर नरसंहार की शुरूआत होती है उनकी घर में घुसकर हत्या हुई 14 सितंबर 1989 को यानि जब टिक्का लाल जी को मारा गया तब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे। टिक्का लाल टपलू जी के हत्या के बाद 4 नवंबर 1989 को जम्मू कश्मीर के हाईकोर्ट के जज नीलकंठ गज्जू जी को घर में घुसकर मार दिया गया तब भी राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। 1986 Kashmir riots जिससे सैकड़ों कश्मीरी पंडित मारे गए तब भी राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे।

पूर्ण बहुमत लेकर सत्ता में बैठे राजीव गांधी ने क्या इन हत्याओं पर इस्तीफा दिया?

क्या आपने किसी एक भी सेक्युलर आदमी का पोस्ट कांग्रेस, राजीव गांधी के खिलाफ देखा जो भाजपा को जबरदस्ती इसका जिम्मेदार ठहरा कर अपना पीछा छुडा़ने में लगे हैं। 

वोट तो कांग्रेस को भी हिन्दुओं से ही मिलते हैं फिर ये इतने पापमुक्त क्यों है? 

वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने 2 दिसंबर 1989 को और हिन्दु कश्मीर छोड़कर भागे 19 जनवरी 1990 को । यानि जो कुछ हुआ उसके लिए सिर्फ एक महीने पुरानी सरकार और उस सरकार को बाहर से समर्थन देने वाली भाजपा जिम्मेदार है और जो पांच साल पूर्ण बहुमत से राज करके चले गए पाक साफ है। जगमोहन जम्मू और कश्मीर के दो बार गवर्नर रहे। पहली बार राजीव गांधी के समय 26 अप्रैल 1984 – 11 जुलाई 1989 तक

1987 में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस मिलकर चुनाव जीती और फारुक अब्दुल्ला सीएम बने। 1990 जनवरी में वीपी सिंह सरकार ने जगमोहन को वापस जम्मू और कश्मीर का गवर्नर नियुक्त किया और 18 January 1990 फारुक अब्दुल्ला ने इस्तीफा दे दिया जब तक जगमोहन श्रीनगर पहुंच कर चार्ज संभालते अनाथ कश्मीर में 19 जनवरी की रात कश्मीर में पंडितों के लिए आखिरी रात साबित हुई।

30 साल बाद वो बता रहे हैं। इस सबके लिए भाजपा और जगमोहन जिम्मेदार हैं, क्योंकि पता इन्हें कुछ भी बोलकर मूर्ख बनाया जा सकता है। लेकिन एक बात याद रखिए जब कश्मीरी पंडित सहायता मांगने गुरुतेगबहादुर के पास गए थे जब औरंगजेब ने दिल्ली में 09 नवम्बर 1675 भाई मती दास जी, भाई सतीदास, भाई दयाला और गुरु तेगबहादुर जी को दिल्ली के चांदनी चौक में जिहादी तरीके से शहीद किया गया। तब न जगमोहन गवर्नर थे ने वीपी सिंह-राजीव गांधी की सरकार थी लेकिन मारने वालों की सोच वो ही थी। आरे से चाहे गिरिजा टिक्कू काटी गई हों या भाई मती दास काटने वाले एक ही सोच के थे। और अपनी लड़ाई इसी सोच के खिलाफ है। 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर में तिरंगा फहराने वाले नरेंद्र मोदी जरूर आज देश के प्रधानमंत्री है .

- साभार

मोदी इन तैयारियों की आड़ में कुछ नया और बड़ा करने जा रहे है

🚩🇮🇳

*ये जो काश्मीर में चुनाव की हवा बहाई जा रही है मुझे इसपर थोड़ा कम विश्वास है।*
*मोदी इन तैयारियों की आड़ में कुछ नया और बड़ा करने जा रहे है ऐसा मेरा सोचना है।*
क्योंकि 
जो आपकी पकड़ में आ जाए वो मोदी कैसे?
*पिछले एक महीने के घटनाक्रम को यदि सिलसिलेवार देखा जाए तो बहुत बड़ा मेसेज और अनुमान निकलकर सामने आ रहे है।*
भारत का रूस को खुल्लम खुल्ला समर्थन,अमेरिकी प्रतिबन्धों के चलते क्रूड खरीदना,और देश में oil riserv बढ़ाना।
 *पाकिस्तान में अज्ञात हमलावरों द्वारा विमान अपहर्ताओं को चुन चुनकर निपटाना, ब्रम्होस का भटककर पाकिस्तान में गिरना,और अब इमरान खान की सरकार पर संकट गहराना। आज फिर अज्ञात मिसाईल ने पाकिस्तान का गोला बारूद नष्ट कर दिया । 😀😝*
*चिन के विदेशमंत्री के भारत दौरे की चर्चा,इसराईल का रुस दौरा।*
*यह सब अचानक एक माह में होना बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर रहा है।*
इसी सब घटनाक्रम में कश्मीर में चुनावों की तैयारियां बात कुछ हजम नही हो रही है।
वैसे भी मोदी चूहा चूहा बोलकर सांप निकालने में माहिर है।
इतना तो है कि भारत के लिए अगले चार छः माह बहुत महत्वपूर्ण है।
 *मोदी को समझना नामुमकिन है*🚩🚩🚩🚩🚩🚩

संत एकनाथ जयन्ती, मीराबाई जयन्ती एवं क्रान्तिकारी भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु बलिदान दिवस


दिनॉक 23 मार्च 2,022

          *संत एकनाथ जयन्ती, मीराबाई जयन्ती एवं क्रान्तिकारी भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु बलिदान दिवस)*
*************** *सन्त एकनाथ* ***************
                   एकनाथ (1533 - 1599 ई.) प्रसिद्ध मराठी सन्त जिनका जन्म पैठण में सन्त भानुदास के कुल में हुआ था। इन्होंने सन्त ज्ञानेश्वर द्वारा प्रवृत्त साहित्यिक तथा धार्मिक कार्य का सब प्रकार से उत्कर्ष किया। ये संत भानुदास के पौत्र थे। गोस्वामी तुलसीदास के समान मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण ऐसा विश्वास है कि कुछ महीनों के बाद ही इनके माता पिता की मृत्यु हो गई थी।
                   बालक एकनाथ स्वभावत: श्रद्धावान तथा बुद्धिमान थे। देवगढ़ के हाकिम जनार्दन स्वामी की ब्रह्मनिष्ठा, विद्वत्ता, सदाचार और भक्ति देखकर भावुक एकनाथ उनकी ओर आकृष्ट हुए और उनके शिष्य हो गए। एकनाथ ने अपने गुरु से ज्ञानेश्वरी, अमृतानुभव, श्रीमद्भागवत आदि ग्रंथों का अध्ययन किया और उनका आत्मबोध जाग्रत हुआ। गुरु की आज्ञा से ये गृहस्थ बने। 
                  एकनाथ अपूर्व सन्त थे। प्रवृत्ति और निवृत्ति का ऐसा अनूठा समन्वय कदाचित् ही किसी अन्य संत में दिखाई देता है। आज से लगभग 675 वर्ष पूर्व इन्होंने मानवता की उदार भावना से प्रेरित होकर अछूतोद्धार का प्रयत्न किया। 
                  ये जितने ऊँचे सन्त थे उतने ही ऊँचे कवि भी थे। इनकी टक्कर का बहुमुखी सर्जनशील प्रतिभा का कवि महाराष्ट्र में इनसे पहले पैदा नहीं हुआ था। महाराष्ट्र की अत्यंत विषम अवस्था में इनको साहित्यसृष्टि करनी पड़ी। 
                  मराठी भाषा, उर्दू-फारसी से दब गई थी। दूसरी ओर संस्कृत के पंडित देशभाषा मराठी का विरोध करते थे। इन्होंने मराठी के माध्यम से ही जनता को जाग्रत करने का बीड़ा उठाया।

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