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शुक्रवार, 25 मार्च 2022

भागवत कथा में बांस की स्थापना क्यों की जाती है?

भागवत कथा में बांस की स्थापना क्यों की जाती है?

जब महात्मा गोकर्ण जी ने महाप्रेत धुंधुकारी के उद्धार के लिए श्रीमद् भागवत की कथा सुनायी थी, तक धुंधुकारी के बैठने के लिए कोई बांस की अलग से व्यवस्था नहीं की थी । बल्कि उसके बैठने के लिए एक सामान्य आसान ही बिछाया गया था ।

महात्मा गोकर्ण जी ने धुंधुकारी का आह्वान किया और कहा - "भैया धुंधुकारी ! आप जहाँ कहीं भी हों, आ करके इस आसान पर बैठ जाईये । यह भागवत जी की परम् पवित्र कथा विशेषकर तेरे लिए ही हो रही है । इसको सुनकर तुम इस प्रेत योनि से मुक्त हो जाओगे । अब धुंधुकारी का कोई शरीर तो था नहीं, जो आसन पर स्थिर रहकर भागवत जी की कथा सुन पाते । वह जब जब आसन पर बैठने लगता, हवा का कोई झोंका आता और उसे कहीं दूर उड़ाकर ले जाता । ऐसा उसके साथ बार-बार हुआ ।

वह सोचने लगा कि ऐसा क्या किया जाये कि मुझे हवा उड़ा ना पाए और मैं सात दिन तक एक स्थान पर बैठकर भागवत जी की मंगलमयी कथा सुन पाऊँ, जिससे मेरा उद्धार हो जाये और मेरी मुक्ति हो जाये । वह सोचने लगा कि मेरे तो अब माता-पिता भी नहीं हैं, जिनके भीतर प्रवेश करके या उनके माध्यम से मैं कथा सुन पाता । वो भी मेरे ही कारण मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं ।

मेरे परिवार का तो कोई सदस्य भी नहीं बचा, जिनके माध्यम से मैं भागवत जी की मोक्षदायिनी कथा सुन पाऊँ । अब तो सिर्फ मेरे सौतेले भाई महात्मा गोकर्ण ही बचे हैं । जिनका जन्म गऊ माता के गर्भ से हुआ है । लेकिन उनके अन्दर मैं कैसे प्रवेश कर सकता हूँ, क्योंकि वो तो पवित्र व्यास पीठ पर बैठकर मुझे परमात्मा की अमृतमयी कथा सुनाने के लिए उपस्थित हैं ।

वह धुंधुकारी महाप्रेत ऐसा विचार कर ही रहा था कि उसने देखा जहाँ व्यास मंच बना हुआ है, वहाँ बांस का एक बगीचा भी है और उसकी नजर एक सात पोरी के बांस पर पड़ी । यह सोचकर कि बांस में हवा का प्रकोप नहीं होगा, सो वह बांस के अन्दर प्रवेश कर गया और बांस की पहली पोरी में जाकर बैठ गया ।

पहले दिन की कथा के प्रभाव से बांस की पहली पोरी चटक गयी । धुंधुकारी दूसरी पोरी में जाकर बैठ गया । दूसरे दिन की कथा के प्रभाव से दूसरी पोरी चटक गयी । धुंधुकारी तीसरी पोरी में जाकर बैठ गया । ऐसे ही प्रतिदिन की कथा के प्रभाव से क्रमशः बांस की एक-एक पोरी चटकती चली गयी

और जब अन्तिम सातवें दिन की कथा चल रही थी तो धुंधुकारी महाप्रेत भी अन्तिम सातवीं पोरी में ही बैठा हुआ था । अब जैसे ही अन्तिम सातवें दिन भागवत जी की कथा का पूर्ण विश्राम हुआ तो बांस बीच में से दो फाड़ हो गया और धुंधुकारी महाप्रेत देवताओं के समान शरीर धारण करके प्रकट हो गया ।

उसने हाथ जोड़कर बड़े ही विनय भाव से महात्मा गोकर्ण जी का धन्यवाद किया और कहा - "भैया जी ! मैं आपका शुक्रिया किन शब्दों में करुँ ? मेरे पास तो शब्द भी नहीं हैं । आपने जो परमात्मा की मंगलमयी पवित्र कथा सुनाई, देखो उस महाभयंकर महाप्रेत योनि से मैं मुक्त हो गया हूँ

और मुझे अब देव योनि प्राप्त हो गयी है । आपको मेरा बारम्बार प्रणाम् तभी सबके देखते-देखते धुंधुकारी के लिए भगवान के धाम से सुन्दर विमान आया और धुंधुकारी विमान में बैठकर भगवान के धाम को चले गए।

सही मायने में सात पोरी का बांस और कुछ नहीं, हमारा अपना शरीर ही है । हमारे शरीर में मुख्य सात चक्र हैं ।

मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहद चक्र,विशुद्ध चक्र, आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र ।

यदि किसी योग्य गुरु के सानिध्य में रहकर प्राणायाम का अभ्यास करते हुए मनोयोग से सात दिन की कथा सुनें तो उसको आत्म ज्ञान प्राप्त हो जाता है और उसकी कुण्डलिनी शक्ति पूर्णरुप से जागृत हो जाती है । इसमें कोई शक नहीं है । यह सात पोरी का बांस हमारा ही शरीर है।

बुधवार, 23 मार्च 2022

AC का प्रयोग कैसे करें ? आओ जानिये

 AC का प्रयोग कैसे करें ?
आओ जानिये

   AC को 26+ डिग्री पर रखें और यदि चाहें तो पंखा चला ले।


 EB से एक कार्यकारी इंजीनियर द्वारा भेजी गई बहुत उपयोगी जानकारी:--

 AC का सही उपयोग:--

एक ही टेम्प्रेचर पर रखें एसी

यह कई रिपोर्ट में सामने आ चुका है कि अगर एसी का टेम्प्रेचेर एक ही रहता है या स्टेबेल रहता है तो इससे बिजली के बिल पर काफी असर पड़ता है. बताया जाता है कि इससे एक डिग्री पर करीब 6 फीसदी बिजली का असर पड़ता है और आप थोड़ा टेम्प्रेचर बढ़ाकर रखते हैं तो इससे आपके एसी से आने वाले बिल पर 24 फीसदी तक का फर्क पड़ जाता है.


 चूंकि गर्मियां शुरू हो गई हैं और हम नियमित रूप से एयर कंडिशनर (AC) का उपयोग करते हैं, आइये, हम AC चलाने की सही विधि का पालन करें।

    ज्यादातर लोगों को अपने AC को 20-22 डिग्री पर चलाने की आदत होती है और जब उन्हें ठंड लगती है, तो वे अपने शरीर को कंबल से ढक लेते हैं।

 इससे दोहरा नुकसान होता है, किस तरह जानिये ?

   क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है ? शरीर 23 डिग्री से लेकर 39 डिग्री तक का तापमान आसानी से सहन कर सकता है ।
 इसे मानव शरीर का तापमान सहिष्णुता कहा जाता है। जब कमरे का तापमान कम या अधिक होता है तो छींकने, कंपकंपी आदि से शरीर प्रतिक्रिया करता है।

    जब आप AC को 19-20-21 डिग्री पर चलाते हैं तो कमरे का तापमान सामान्य शरीर के तापमान से बहुत कम होता है और यह शरीर में हाइपोथर्मिया नामक प्रक्रिया शुरू करता है, जो रक्त परिसंचरण को प्रभावित करता है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में रक्त की आपूर्ति प्रर्याप्त नहीं होती है, लंबी अवधि में कई नुकसान जैसे गठिया आदि कई रोग होते हैं ।

   AC चलाने पर अकसर पसीना नहीं आता है, इसलिए शरीर के टॉक्सिन्स बाहर नहीं निकल पाते हैं और लंबे समय में कई और बीमारियों का खतरा पैदा करते हैं, जैसे त्वचा की एलर्जी या खुजली, उच्च रक्तचाप, BP आदि।
    जब आप इतने कम तापमान पर AC चलाते हैं तो कंप्रेसर लगातार पूर्ण ऊर्जा पर काम करता है, भले ही यह AC five स्टार हो, अत्यधिक बिजली की खपत होती है और यह आपकी तबीयत खराब करने के साथ, जेब से पैसा उड़ाता है।




    AC चलाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है ?

AC को 26 डिग्री+ या उससे अधिक के लिए तापमान सैट करें।

    आपको AC से 20-21 के तापमान को पहले सैट करने से कोई लाभ नहीं होता है और फिर अपने चारों ओर शीट या पतली रजाई लपेटें।

 AC को 26+ डिग्री पर चलाना और पंखे को धीमी गति से चलाना हमेशा बेहतर ही होता है, 28 प्लस डिग्री बेहतर है।

    इससे बिजली कम खर्च होगी और आपके शरीर का तापमान भी सीमा में रहेगा और आपकी सेहत पर कोई बुरा असर भी नहीं पड़ेगा।


   इसका एक और फायदा यह है कि AC कम बिजली की खपत करेगा, मस्तिष्क पर रक्तचाप भी कम होगा और बचत अंततः ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने में मदद करेगी, किस तरह ?

    मान लीजिए कि आप AC 26+ डिग्री पर चला कर प्रति रात लगभग 5 यूनिट बिजली की बचत करते हैं और अन्य 10 लाख घर भी आपको पसंद करते हैं, तो हम प्रति दिन 5 मिलियन यूनिट बिजली बचाते हैं।

 क्षेत्रीय स्तर पर यह बचत प्रति दिन करोड़ों यूनिट हो सकती है।

टाइमर का इस्तेमाल करें

यह बहुत से लोगों के साथ होता है, वे रात में एसी चलाकर सोते हैं. रात में कमरा ठंडा होने के बाद और उन्हें तेज ठंड लगने के बाद भी वो नींद में होने की वजह से बंद नहीं करते हैं. इससे रातभर एसी चलता रहता है. ऐसे में कुछ घंटे के लिए एसी का टाइमर लगा सकते हैं, इससे एसी कुछ घंटे बाद खुद ही बंद हो जाएगा और आपका कमरा ठंडा रहेगा और एसी भी सही समय पर बंद हो जाएगा. इस आदत से आपका एसी का बिल काफी कम हो सकता है.

    कृपया ऊपर दी गई जानकारी बारे विचार करें और अपने AC को 26 डिग्री से कम पर न चलाएं।

 अपने शरीर और पर्यावरण को स्वस्थ रखें।


 जनहित में अग्रेषित।

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