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गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

अफगानिस्तान में टाइम वेल में फंसा मिला महाभारत कालीन विमान

अफगानिस्तान की गुफा में मौजूद है 5000 साल पुराना विमान
अफगानिस्तान में टाइम वेल में फंसा मिला महाभारत कालीन विमान.....

महाभारत कल्पना नहीं, एक हकीकत
लंबे समय से रामायण, महाभारत काल को केवल एक काल्पनिक गाथा के रुप में माना जा रहा था। परंतु यह सत्य नहीं है। जो लोग इस काल को काल्पनिक मान रहे हैं, उन्हें अब यह स्वीकार करना होगा कि महाभारत और रामायण काल भारत का गौरवमयी इतिहास था। जिसे कोरी कल्पना मानना एक भूल थी। अफगानिस्तान की विशाल गुफा में टाइम वेल में 5000 साल पुरान महाभारत कालीन विमान के फंसे होने की पुष्टि हुई है। इस विमान के मिलने का खुलासा वायर्ड डॉट कॉम की एक रिपोर्ट में किया गया है।

अफगानिस्तान में सदियों पहले था आर्यों का राज
मौजूदा अफगानिस्तानन में हिंदू कुश नाम का एक पहाड़ी क्षेत्र है ।जिसके उस पार कजाकिस्तान, रूस और चीन देश हैं। ईसा के 700 साल पूर्व तक यहां पर आर्यों का साम्राज्य था। इसके उत्तरी क्षेत्र में गांधार महाजनपद था। जिसके बारे में महाभारत के अलावा कई अन्य ग्रंथों में उल्लेख मिलता है। अफगानिस्तान की सबसे बड़ी होटलों की श्रृंखला का नाम आर्याना था। इतना ही नहीं हवाई कंपनी भी आर्याना के नाम से जानी जाती थी। इस्लाम धर्म से पहले मौजूदा अफगानिस्तान को आर्याना, आर्यानुम्र वीजू, पख्तिया, खुरासान, पश्तूनख्वाह और रोह नामों से पुकारा जाता था। वहीं पारसी मत के प्रवर्तक जरथ्रुष्ट द्वारा रचित ग्रंथ जिंदावेस्ता में इस भूखंड को ऐरीन-वीजो या आर्यानुम्र वीजो कहा गया है। सबसे खास बात यह है कि मौजूदा अफगानिस्तान के गांवों में बच्चों के नाम कनिष्क, आर्यन, वेद हैं। जो इस बात को प्रमाणित करता है कि यहां पर कभी आर्यों का राज था

अफगानिस्तान की गुफा में मौजूद है 5000 साल पुराना विमान

मौजूदा अफगानिस्तान में 5000 साल पुराने महाभारत कालीन एक विमान मिला है। यह विमान महाभारत काल का माना जा रहा है। इसका खुलासा वायर्ड डॉट कॉम की एक रिपोर्ट में किया गया है। अफगानिस्तान की एक प्राचीन गुफा में महाभारत काल का यह विमान टाइम वेल में फंसा हुआ है। इसी कारण यह आज तक सुरक्षित बना हुआ है। जो विमान मिला है, इसके आकार प्रकार का पूर्ण विवरण महाभारत व अन्य प्राचीन ग्रंथों में मौजूद है। वायर्ड डॉट कॉम की एक रिपोर्ट में किए गए खुलासे अनुसार प्राचीन भारत के पांच हजार वर्ष पुराने इस विमान को बाहर निकालने की सभी कोशिशें नकाम हो चुकी है। अमेरिका नेवी के आठ कमांडो इस विमान के पास पहुंचने में कामयाब भी हुए। परंतु टाइम वेल सक्रिय होने पर यह सभी गायब हो गए। अमेरिकी, रुस राष्ट्रपति सहित ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के राष्ट्राध्यक्षों के साथ मिलकर इस साइट का अतिगोपनीय दौरा भी किया जा चुका है।

क्या होता है टाइम वेल
टाइम वेल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक शॉकवेव्स से सुरक्षित क्षेत्र होता है। इस कारण इस क्षेत्र में मौजूद सामान सुरक्षित रहता है। यही कारण है कि इस विमान के पास जाने की चेष्टा करने वाला कोई भी व्यक्ति इसके प्रभाव के कारण गायब या अदृश्य हो जाता ह

विमान की क्या है खासियत
रशियन फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विज की रिपोर्ट अनुसार इस 5000 साल पुराने विमान का जब इंजन शुरू होता है। जिसमें से बहुत तेज रोशनी ‍निकलती है। इस विमान के चार पहिए है। इसमें कई तरह के हथियार भी लगे हुए हैं। यह सभी हथियार प्रज्जवलन शील है। इन्हें किसी लक्ष्य पर केन्द्रित किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह टाइम वेल सर्पाकार है। इसके संपर्क में आते ही सभी जीवित प्राणियों का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। इस सर्पाकार टाइम वेल की थ्योरी समझने के लिए वैज्ञानित प्रयासरत हैं। फिलहाल तक इस टाइम वेल का समाधान नहीं निकाला जा सका है।
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सोमवार, 4 अप्रैल 2022

हिन्दू नववर्ष पर वर्षो बाद दुर्लभ योग: जानें किस राशि के लिए अनुकूल-किसके लिए प्रतिकूल

*⛩️🦁हिन्दू नववर्ष पर 1500 वर्षो बाद दुर्लभ योग: जानें किस राशि के लिए अनुकूल-किसके लिए प्रतिकूल🦁⛩️*
*🎊आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🙏*

☝️नवसंवस्तर यानी हिंदू नववर्ष, वैदिक पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष चैत्र मास शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होता है, जो इस वर्ष 2 अप्रैल, 2022 को है। साल 2022 का यह नवसंवत्सर अर्थात् नया साल प्रचलित रूप से विक्रम संवत 2079 के नाम से भी जाना जाएगा। यह विक्रम संवत नल नाम का संवत है और यह इंद्राग्नि युग का अंतिम वर्ष है। एक युग में पांच वर्ष होते हैं। इस वर्ष के राजा शनि ग्रह हैं और इस वर्ष के मंत्री गुरु ग्रह हैं। 

☝️विक्रम संवत 2079
नवसंवत्सर के पहले दिन के स्वामी को उस पूरे वर्ष में राजा का दर्जा दिया जाता है। चूँकि इस बार नवसंवत्सर 2079, 2 अप्रैल शनिवार के दिन से शुरू हो रहा है तो इस वर्ष ग्रहों के मंत्रिमंडल के राजा कर्मफलों के दाता और न्यायधीश माने जाने वाले शनिदेव रहेंगे। साल 2022 में शुरू होने वाला यह नवसंवत्सर शनिदेव के प्रभाव के कारण कई मामलों में खास रहने वाला है।
 *इस नववर्ष में जहाँ एक ओर शनि राजा के सिंहासन पर विराजमान है, तो वहीं दूसरी ओर देव गुरु बृहस्पति मंत्री के स्थान* पर रहेंगे। 

☝️शनि और गुरु का मंत्रिमंडल को संभालना जातकों के जीवन को कई मायनों में प्रभावित करेगा। जिसमें एक संयोग यह है कि शनि और बृहस्पति जो धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं, अप्रैल के महीने के दौरान राशि बदलने जा रहे हैं। दोनों ही ग्रह बहुत आरामदायक स्थिति में होंगे अर्थात शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में चले जाएंगे और बृहस्पति अपनी ही राशि मीन में गोचर करेंगे। इसलिए इस गोचर के कारण ये ग्रह अपना अधिकतम फल देने में सक्षम होंगे। न्यायधीश शनि जातकों के जीवन में कर्म फलों को प्रदान करने वाले रहेंगे तो वही गुरु बृहस्पति नकारात्मकता के अंधकार में ज्ञान की सकारात्मकता प्रदान करेंगे। 

* इस बार ग्रहों का मंत्रालय राजा और मंत्री के अतिरिक्त 5 पाप ग्रहों और 5 शुभ ग्रहों के अधीन रहेगा। जिसमें शनि-राजा, बृहस्पति-मंत्री, सूर्य-सस्येश, बुध-दुर्गेश, शनि-धनेश, मंगल-रसेश, शुक्र-धान्येश, शनि-नीरसेश, बुध-फलेष, बुध-मेघेश रहेंगे। विक्रम संवत 2079 का निवास स्थान कुम्हार का घर और समय का वाहन अश्व रहेगा, चूँकि घोड़ा तेज़ गति को दिखाता है इसलिए इस साल तूफ़ान, भूकंप, चक्रवात, भूस्खलन आदि कारणों से जान-माल को भारी क्षति होने की संभावनाएं है*

☝️सनातन धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार ब्रम्हा जी द्वारा सृष्टि की रचना इसी दिन की गई थी, इसलिए प्राचीन काल से ही हिन्दू नव वर्ष का प्रारंभ इस दिन से माना जाता है। कई जगहों पर लोक प्रसिद्ध कहावतें यह भी है राजा विक्रमादित्य के समय में कुछ भारतीय वैज्ञानिकों ने पंचांग का प्रयोग करके हिन्दू कैलेंडर का निर्माण किया था, इसलिए नव वर्ष की शुरुआत को उनके नाम पर विक्रम संवत की तरह जाना जाता है। विक्रम संवत को सौर, चन्द्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास जैसे पांच भागों का समावेश होता है। 

*💖1500 वर्षों बाद हिन्दू नववर्ष पर बना दुर्लभ योग💛*

☝️वर्ष 2022 में, 1500 साल बाद रेवती नक्षत्र और तीन राजयोगों के अत्यंत दुर्लभ संयोगों में हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ हो रहा है। ज्योतिष के जानकारों की माने तो नवसंवत्सर में बनने वाली ग्रह नक्षत्रों की यह स्थितियां कई मायनों में खास है। विक्रम संवत 2079 के आरम्भ में ही मंगल अपनी उच्च राशि मकर में, राहू अपनी उच्च राशि वृषभ में तथा केतु अपनी उच्च राशि वृश्चिक में रहेंगे। ग्रहों के राजा के रूप में शनि भी अपनी ही राशि मकर में गोचर करेंगे। इसलिए इस बार हिन्दू नववर्ष की शुरुआत शुभ संयोगों में 1500 साल बाद शनि-मंगल की युति में हो रही है। विक्रम संवत 2079 में बनने वाले इन शुभ योगों का फायदा मिथुन, तुला और धनु राशि के जातकों को मिलेगा। ये संयोग इन जातकों के जीवन में धन-समृद्धि, सफलता और सौभाग्य लेकर आएंगे। यह वर्ष लोगों के जीवन में कई बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आएगा।

*💖शनि-गुरु की अधीनता वाले इस वर्ष का भारत पर सकारात्मक/नकारात्मक प्रभाव💛*

☝️विकासशील देशों जैसे भारत आदि में व्यापार के नए आयाम मिलेंगे। जिनसे देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

भारत की कूट नीति की विश्व स्तर पर प्रशंसा की जाएगी।

देश के कुछ हिस्सों में अच्छी फसल होने के बाद भी अकाल की स्थिति बन सकती है।

आम जनता पर महंगाई की मार पड़ेगी।

‘नवसंवत्सर’ को देश के अलग-अलग भागों में कई अलग नामों से जाना जाता है, जैसे:-
असम- रोंगली, बिहू

महाराष्ट्र- गुड़ी पड़वा

पंजाब- वैशाखी

जम्मू कश्मीर- नवरेह

आंध्र प्रदेश- उगादि

केरल- विशु

सिंधी समुदाय- चेतिचंद

*💖विक्रम संवत 2079 भारत और विश्व के लिए कैसा रहेगा💛*

☝️कई देशों की सरकार या उच्च अधिकारियों को नागरिकों द्वारा आंदोलनों का सामना करना पड़ता है।

प्राकृतिक आपदाओं की संभावना रहेगी और कम वर्षा एक समस्या पैदा कर सकती है।

इतने उतार-चढ़ाव के बावजूद सरकार मजबूत स्थिति में होगी और सभी समस्याओं को नियंत्रित करने में सक्षम होगी।

शिक्षा के क्षेत्र में सुधार होगा, पिछले दो वर्षों में हमें कोविड के कारण जो भी नुकसान हुआ है, उसे इस वर्ष ठीक कर दिया जाएगा।

अराजक तत्वों के कारण पश्चिमी देशों को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

☝️किसान, सेवा वर्ग के लोगों और श्रमिक वर्ग के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

इस वर्ष के दौरान शिक्षक, परामर्शदाता, संरक्षक लाभान्वित होंगे।

लोगों का झुकाव धार्मिकता की ओर होगा।

सरकारी क्षेत्र से लोगों को फायदा हो सकता है।

विद्यार्थियों को लाभ होगा।

महिलाओं को सशक्त किया जाएगा।

*💖राशि अनुसार प्रभाव💛*

☝️सामान्य तौर पर यह गोचर वृष, तुला, मकर, कुम्भ, धनु और मीन राशि के जातकों के लिए अच्छा रहेगा। वे इस साल भाग्य का साथ पाएंगे। इन राशि के जातक पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से विकसित होंगे।

☝️सिंह, कर्क, वृश्चिक और मेष राशि के जातकों को इस वर्ष सचेत और सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि उनका अहंकारी, आक्रामक और आधिकारिक व्यवहार आपको समस्याओं की ओर ले जा सकता है जिससे कार्यस्थल और व्यक्तिगत संबंधों में आपकी छवि खराब होगी, आपको अपने बारे में सतर्क रहने की भी आवश्यकता है। स्वास्थ्य अज्ञानता के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं या दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

☝️कन्या और मिथुन राशि के लिए यह एक औसत वर्ष होगा उन्हें अपने कर्मों का फल मिलेगा।

*💖इस वर्ष शनि और गुरु की विशेष कृपा के लिए ज़रूर करें ये उपाय

प्रतिदिन भगवान हनुमान की पूजा करें। जब आप भगवान हनुमान की पूजा करते हैं और खुद को उन्हें पूरी तरह से समर्पण कर देते हैं तो यह आपके लिए शनि की सकारात्मक ऊर्जा लेकर आएगा।

विकलांग लोगों की सहायता करें और उन्हें अपनी सेवा प्रदान करें।

अपने जीवन से अव्यवस्था को दूर करें और संगठित रहें। भौतिक वस्तुओं में अव्यवस्था या मन में अव्यवस्था शनि को पसंद नहीं है।

शनिवार के दिन गरीबों को भोजन कराएं।

गुरुवार को मंदिर में बृहस्पति ग्रह की पूजा करें।

बृहस्पति बीज मंत्र का प्रतिदिन 21 बार जाप करें।

गुरुवार के दिन बृहस्पति को पीले फूल चढ़ाएं।

गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं।

शनिवार के दिन गरीबों को केले बांटें।

गुरुवार के दिन गायों को चना दाल और गुड़ के आटे की लोई खिलाएं।

*☝️इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा हमारे साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं

  
*🛕🕉जय श्री महाकाल प्रभु नम:🌿🙏*

*⛩️🛕आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🙏⚜️⛩️*

रविवार, 3 अप्रैल 2022

अपने लिये *"राष्ट्रीय हिन्दू बोर्ड"* बनाने की मांग कीजिए

*एक सुझाव* 

जब कभी कोई सनातनी आधुनिक Social मिडिया के युग में, हिन्दूत्व की लड़ाई लड़ते हुए किसी मुसीबत में फँस जाता है, किसी कानूनी पचड़े में फँस जाता है या अधर्मियों के हाथों शिकार हो जाता है तो वह सहायता के लिये किसे पुकारे? क्या कोई ऐसी संस्था है या कोई हेल्पलाइन है जिसे वह अपनी रक्षा के लिये गुहार लगाये, या फिर वह बंगाल के हिन्दुओं की तरह चुपचाप मरता कटता रहे!

आज़ हर हिन्दू Social मीडिया पर हिंदूवादी पोस्ट डालते हुए कहीं न कहीं असुरक्षा की भावना रखता है, कहीं वह या उसका परिवार किसी भयंकर आपदा में फँस गया तो कौन सहायता करेगा? 

अपने अपने स्तर पर सभी हिन्दू धर्म के युद्ध में अकेले लड़ाई लड़ रहें हैं,
क्या उनकी सुरक्षा की गारंटी कोई State गवर्नमेंट या सेंट्रल गवर्नमेंट लेती है?

क्या बंगाल के हिन्दुओं के परिवारों के साथ जो हिंसा और बलात्कार हुए, उन्हें बचाने के लिये कोई संगठन सामने आया... ?

जबकि दूसरे धर्मों में उनका *"ईसाई मिशनरी, वक्फ बोर्ड अथवा गुरुद्वारा कमेटी"* अपने समुदायो के लोगों के लिये संगठित होकर आगे आते हैं और ऐसा आन्दोलन छेड़ते हैं कि प्रसाशन एवं मिडिया के कान के परदे तक हिल जायें, उदाहरण के लिये देश भर में प्रतिदिन सैकड़ों लड़कियों को जिहादियों द्वारा उठा लिया जाता हैं, उनका बलात्कार किया जाता हैं, उनका धर्म परिवर्तन किया जाता है और हम Social मिडिया पर कुछेक पोस्ट डालकर अपनी भड़ास निकाल लेते हैं और भूल जाते हैं,
मगर पंजाब में 2 सिख लड़कियों के मामले को लीजिये, देशभर के सभी सिक्खों ने एकत्र होकर एक ऐसा आन्दोलन छेड़ दिया कि जिहादियों द्वारा उन लड़कियों को छोड़ना पड़ा जबकि निकाह भी हो गया था, जिहादी न तो कोर्ट का सहारा ले पाये और न थाने पुलिस का!

जानते हो ऐसा कैसे संभव हो सका, कैसे सारे सिख एक साथ एक मंच पर अपने सभी काम धंधों को छोड़कर एक हो गये??? 🤔

क्योंकि सभी सिक्खों को एकत्र करने और संचालन करने वाली उनकी *"गुरुद्वारा कमेटी"* है, जिसका चुनाव स्वयं सिक्ख समुदाय अपने वोट देकर करता है, उसी प्रकार जिहादिओं का बचाव उनका *"मुस्लिम वक्फ बोर्ड"* करता है, यहाँ तक कि उनके दोषी होने पर भी उनका साथ देता है, उसी तरह ईसाई पादरियों पर बलात्कार का चार्ज तक होने पर भी उन्हें उनकी ईसाई मिशनरी बचा ले जाती है!
और दूसरी तरफ हम बेचारे हिन्दू...?

क्या हिन्दुओं में इतना विवेक नहीं है कि वो भी अपने लिये एक *"राष्ट्रीय हिन्दू बोर्ड"* जैसी संस्था का गठन कर सके, जो सभी सनातनियों के लिये एक ढाल का काम कर सके, उन्हें जिहादियों, प्रशासन और दूसरी बाह्य शक्तियों से लड़ने की शक्ति दें सके....?
बिलकुल बना सकते हैं, *"किन्तु समस्या यह है कि हममें से कुछ बुद्धिजीवी जो अपने आपको वयस्क एवं समझदार समझने लगते हैं, वे लोग किसी न किसी राजनैतिक विचारधाराओं से जुड़े होते हैं, फलस्वरूप वे न तो इस विषय में खुद कुछ सोचते हैं और न किसी और के विचारों को सुनने की क्षमता रखते हैं, उन्हें ऐसा लगता हैं कि इस तरह किसी और कि बातें सुनने और मानने लगे तो उनकी क्या हैसियत रह जाएगी* 

अब सोचना किसको है, सोचना हमें और आपको है, सिर्फ़ सोचना ही नहीं करके दिखाना है....!

तो आइये एक साथ आगे बढिये और अपने लिये *"राष्ट्रीय हिन्दू बोर्ड"* बनाने की मांग कीजिए जिसके मेंबर्स का चुनाव प्रत्येक 2 वर्षों के लिये प्रत्येक साधारण हिन्दू जो 18+ का हो अपने वोट डालकर करें!

इस बोर्ड के गठन के लिये प्रधानमंत्री द्वारा किसी अध्यादेश लाने की आवश्यकता नहीं होगी, और न संसद के किसी सदन में कोई बिल पारित करना होगा, बल्कि प्रधानमंत्री महोदय अपने सरकारी गजट में इसे छपवा देंगे और हो गया काम!
किन्तु प्रधानमंत्री इसे करेंगे तभी जब देश के करीब 40 करोड़ हिन्दू अपने पत्र द्वारा उन्हें ऐसा करने के लिये बाध्य करें...!

यदि एक बार यह लागू हो गया तो देश के सभी प्रमुख मंदिरों की धन-संपत्तियों और करोड़ों अरबों रूपए के चंदे से सरकार का अधिपत्य हट कर हिन्दु-बोर्ड के हाथों में आ जायें, जिसे वे अपने धर्म के लोगों की भलाई के लिये खर्च कर सकेंगे, नाकि किसी जिहादी समुदायो को फ्री की सब्सिडी और उनके मौलवीओ की तनख्वाह पर खर्च करेंगे!
इससे समस्त हिंदू समाज एक सूत्र में बंध जायेगा और अन्य सम्प्र्दायों की तरह जाति पाती को भुलाकर स्वयं को सिर्फ़ हिन्दू कहलाना पसंद करेगा!

हिन्दू एक सशक्त वोट बैंक होगा, उसे अपने हित के लिये किसी राजनैतिक दल पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि सभी राजनैतिक दल कोर्ट पर जनेऊ डालें हिन्दुओं के तलवे चाटते नज़र आयेंगे...

इसे क्रियान्वयन में लाने के लिये क्या करना है... यह जानने के लिये कृपया अपना सहयोग दीजिए ताकि आपको अगला कदम के बारे में बताया जा सके!
सविनय निवेदन
           ............
🚩🚩🚩जय श्रीराम 🚩🚩🚩

*क्या हिन्दू होने के नाते आप इसे आगे फारवर्ड करेंगे ?*

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फिल्मों का मोदीकरण

फिल्मों का मोदीकरण...
यह एक फिल्म "आरआरआर" का पोस्टर है... इस फिल्म ने परसों अपनी रीलीज के पहले दिन 257 करोड़ रुपए कमायें हैं जो किसी भी भारतीय फिल्म के लिए सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। इस फिल्म के निर्देशक एसएस राजामौली हैं जिनकी पिछ्ली दो फिल्मों "बाहुबली" ने सबसे अधिक कमाई का रिकॉर्ड बनाया था जो स्वयं राजामौली ने ही तोड़ दिया है...

इस बीच किसी करण जौहर या आदित्य चौपड़ा की कोई लिजलिजी फिल्म या शाहरुख सलमान आमिर सैफ अख्तर की कोई भी फिल्म 2016 के दिसम्बर के बाद से हिट नहीं हुई है... सारी कैटरिनायें, दीपिकायें, प्रियंकायें, आलियाएं अपने मोमजामे में वापस लौट गई हैं... पाकिस्तान के किसी सिंगर का कोई गाना या वहां के किसी जावेद फरहाद को भारत में पहले की तरह "सैटल्ड दीवानगी" नहीं मिल रही... इस बीच साउथ की "पुष्पा" ने भी भारत के दिल में फायर जगाई है... और 65 पार के साउथ वाले रजनीकांत आज भी "थलाइवा" बने हुए हैं उत्तर भारत में भी...

यह बात देश के सेक्युलर्स और बुद्धिजीवियों को खाए जा रही है कि "कहीं राजनेता नरेंद्र मोदी के वोटर अब फिल्मों का भी मोदीकरण तो नहीं कर रहे..." मेरा मानना है कि "हां ऐसा ही हो रहा है..." जो राजनेता दर्शकों की इस नब्ज को समझेंगे... उन्हें वोट मिलेंगे और जो फिल्मवाले इस फार्मूले को अपनाएंगे उन्हें दर्शक मिलेंगे करोड़ों-अरबों की कमाई मिलेगी... हाल ही आई बिना सितारों वाली एक छोटी सी मामूली सी फिल्म "कश्मीर फाइल्स" ने पूरे देश को बांध लिया अपने प्रेमपाश में...

भारत में अगली 10 हिट फिल्में केवल उन विषयों पर बनी हुई होगी, जिन विषयों पर मोदी देश से बात करते हैं... वे अगर कहते हैं कि राजा सुहेलदेव की जय हो... तो आप देख लेना आने वाली फिल्म "सुहेलदेव" 500 करोड़ रुपए कमायेगी... और दो साल बाद इन्हीं गर्मियों में मोदी के नाम पर ही देश 300 से अधिक करीब 350 राजनेताओं को अपनी मंजूरी देगा कि जाओ संसद में...

संभवतः दुनिया में समकालीन राजनीति में मोदी पहले राजनेता होंगे जो 140 करोड़ लोगों के बहु विविधता वाले देश में निरंतर 15 बरस राजसेवा करेंगे वो भी लोगों से वोटप्रेम पाकर... इस बीच फिल्म, त्योहार, पुस्तक, साहित्य, अखबार, टीवी, विज्ञापन, क्रिकेट, बाजार सब का मोदीकरण होगा... बिल्कुल होगा और यही देश हित में भी है।

शनिवार, 2 अप्रैल 2022

भगवान शिव की पांच बेटियों के जन्म की कथा

भगवान शिव की पांच बेटियों के जन्म की कथा
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भारत में शिव जी को भगवान के रूप में तथा देवी पार्वती को माँ की रूप में पूजा जाता है। भगवान शिव को देवों के देव भी कहते हैं। इनके अन्य नाम महादेव, भोलेनाथ, नीलकंठ, तथा शंकर आदि हैं। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं। उनके हाथों में डमरू और त्रिशूल रहता है।

माँ पार्वती भगवान शिव की पत्नी हैं। माँ पार्वती देवी सती का ही रूप हैं। माँ पार्वती को उमा तथा गौरी आदि नामो से भी जाना जाता है। माँ पार्वती का जन्म हिमनरेश के घर हुआ था जो कि हिमालय का अवतार थे। माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया था तथा अपने कठोर तप में वह सफल भी हुई।

आपने भगवान शिव तथा देवी पार्वती से सम्बंधित कई कथाएं भी सुनी होंगी। परन्तु भगवान शिव की पांच बेटियों की कथा के बारे में केवल कुछ ही लोग जानते हैं।

एक दिन भगवान शिव और माँ पार्वती एक सरोवर में जल क्रीड़ा कर रहे थे। उस समय भगवान शिव का वीर्यस्खलन हो गया।  तब महादेव ने वीर्य को एक पत्ते पर रख दिया। उन वीर्य से पांच कन्यायों का जन्म हो गया। परन्तु यह कन्याएं मनुष्य रूप में ना होकर सर्प रूप में थी।

माँ पार्वती को इस विषय में कोई जानकारी नही थी। परन्तु भगवान शिव तो सब जानते थे कि वो अब पांच नाग कन्यायों के पिता हैं। कौन पिता नही चाहता कि वह अपनी पुत्रियों के साथ खेले। महादेव भी अब एक पिता थे और वह भी अपनी पुत्रियों के साथ समय बिताना चाहते थे तथा उनके साथ खेलना चाहते थे। इसलिए पुत्री मोह के कारण भगवान शिव अब हर दिन उस सरोवर पर नाग कन्यायों से मिलने आते तथा उनके साथ खेलते।

प्रतिदिन महादेव का ऐसे चले जाने से देवी पार्वती को शंका हुई। इसलिए उन्होंने भगवान शिव का रहस्य जानने की कोशिश की। एक दिन जब महादेव सरोवर की ओर जाने लगे तो देवी पार्वती उनके पीछे-पीछे सरोवर पहुँच गयी। 

वहां देवी पार्वती ने भगवान शिव को नाग कन्यायों के साथ खेलते हुए देखा। यह देखकर देवी पार्वती को बहुत क्रोध आया। क्रोध के वशीभूत होकर देवी पार्वती ने नाग कन्यायों को मारना चाहा। जैसे ही उन्होंने नाग कन्यायों को मारने के लिए अपना पैर उठाया तो भगवान शिव ने कहा कि यह आपकी पुत्रियां हैं। देवी पार्वती बहुत आश्चर्यचकित हुई। फिर भगवान शिव ने देवी पार्वती को नाग कन्यायों के जन्म की कथा सुनाई। कथा सुनकर देवी पार्वती हंसने लगी।

भगवान शिव ने बताया की इन नाग कन्यायों का नाम है- जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि। भगवान शिव ने अपनी पुत्रियों के बारे में बताते हुए कहा कि सावन में जो भी इन कन्यायों की पूजा करेगा उसे सर्प भय नही रहेगा। इन कन्यायों की पूजा करने से परिवार के सदस्यों को सांप नही डसेगा। यही कारण है की सावन में भगवान शिव की पांच नाग पुत्रियों की पूजा की जाती है।
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