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शुक्रवार, 13 मई 2022

क्या हम बिल्डर्स, इंटीरियर डिजाइनर्स, केटरर्स और डेकोरेटर्स के लिए कमा रहे हैं ???

क्या हम बिल्डर्स, इंटीरियर डिजाइनर्स, केटरर्स और डेकोरेटर्स के लिए कमा रहे हैं ???
*हम बड़े बड़े क़ीमती मकानों और बेहद खर्चीली शादियों से* किसे इम्प्रेस करना चाहते हैं ???

क्या आपको याद है कि, *दो दिन पहले किसी की शादी पर आपने क्या खाया था ???*

जीवन के प्रारंभिक वर्षों में *क्यों हम पशुओं की तरह काम में जुटे रहते हैं ???*

कितनी पीढ़ियों के *खान पान और लालन पालन की व्यवस्था करनी है हमें ???*

हम में से *अधिकाँश लोगों के दो बच्चे हैं। बहुतों का तो सिर्फ एक ही बच्चा है।*

हमारी जरूरत कितनी हैं और *हम पाना कितना चाहते हैं ???*
*इस बारे में सोचिए।*

क्या हमारी *अगली पीढ़ी कमाने में सक्षम नहीं है जो, हम उनके लिए ज्यादा से ज्यादा सेविंग कर देना चाहते हैं !?!*

क्या हम *सप्ताह में डेढ़ दिन अपने मित्रों, अपने परिवार और अपने लिए स्पेयर नहीं कर सकते ???*

क्या आप *अपनी मासिक आय का 5 % अपने आनंद के लिए, अपनी ख़ुशी के लिए खर्च करते हैं ???*
*सामान्यतः जवाब नहीं में ही होता है।*

*हम कमाने के साथ साथ आनंद भी क्यों नहीं प्राप्त कर सकते ???*

इससे पहले कि *आप स्लिप डिस्क्स का शिकार हो जाएँ, इससे पहले कि, कोलोस्ट्रोल आपके हार्ट को ब्लॉक कर दे, आनंद प्राप्ति के लिए समय निकालिए !!!*

*हम किसी प्रॉपर्टी के मालिक नहीं होते, सिर्फ कुछ कागजातों, कुछ दस्तावेजों पर अस्थाई रूप से हमारा नाम लिखा होता है।*

*ईश्वर भी व्यंग्यात्मक रूप से हँसेगा जब कोई उसे कहेगा कि, " मैं जमीन के इस टुकड़े का मालिक हूँ " !!*

किसी के बारे में, *उसके शानदार कपड़े और बढ़िया कार देखकर, राय कायम मत कीजिए।*

हमारे *महान गणित और विज्ञान के शिक्षक स्कूटर पर ही आया जाया करते थे !!*

धनवान होना गलत नहीं है *बल्कि सिर्फ धनवान होना गलत है।*

*आइए जिंदगी को पकड़ें, इससे पहले कि, जिंदगी हमें पकड़ ले...*

एक दिन *हम सब जुदा हो जाएँगे, तब अपनी बातें, अपने सपने हम बहुत मिस करेंगे।*

*दिन, महीने, साल गुजर जाएँगे, शायद कभी कोई संपर्क भी नहीं रहेगा। एक रोज हमारी बहुत पुरानी तस्वीर देखकर हमारे बच्चे हम से पूछेंगे कि, " तस्वीर में ये दुसरे लोग कौन हैं ?? "*

*तब हम मुस्कुराकर अपने अदृश्य आँसुओं के साथ बड़े फख्र से कहेंगे---" ये वो लोग हैं, जिनके साथ मैंने अपने जीवन के बेहतरीन दिन गुजारे हैं। " ...." जरा सोचिये"

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गुरुवार, 12 मई 2022

इस सच्चाई से आंख कैसे मोड़ेंगे आने वाली संतानों के भविष्य की सोचिए


*इस post  में भी कुछ तो सच लगता है..............*

इस सच्चाई से आंख कैसे मोड़ेंगे आने वाली संतानों के भविष्य की सोचिए.. ...                                   

जब एक बांग्लादेशी मुस्लिम भारत पहुँचता है और अंबाला जिले में कहीं भटक जाता है, तो उसके पास न पैसे होते हैं और ना ही वो किसी को जनता है।

वो किसी प्रकार सबसे नज़दीकी मस्जिद में पहुँचता है और वहाँ उसे 100% शरण मिल जाती है, मुसलमान होने के कारण।

*हर जिले में एक शाही मस्जिद होती है जिससे शहर की हर मस्जिद जुड़ी रहती है।*

तत्पश्चात वो बांग्लादेशी अंबाला जिले की शाही मस्जिद में भेज दिया जाता है, जहाँ उसे चोरी छुपे शरण मिल जाती है।

*हर जिले की शाही मस्जिद दिल्ली की जामा मस्जिद से जुड़ी रहती है।* 
*दिल्ली की जामा मस्जिद के पास उत्तर भारत के इस्लामीकरण की ज़िम्मेदारी है।*  
 उसके पास उत्तर भारत के हर लोक सभा क्षेत्र का और उसमें रहने वाली मुस्लिम आबादी का रिकार्ड होता है- 100% खरा रिकॉर्ड।

अब वो बांग्लादेशी दिल्ली पहुँच कर जामा मस्जिद में शरण लेता है। जामा मस्जिद यह चैक करती है कि उत्तर भारत के किस लोक सभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी कम है। मान लीजिए उत्तर प्रदेश के झाँसी में मुस्लिम आबादी कम है।

 *अब असली खेल शुरु..!!*

जामा मस्जिद उस बांग्लादेशी को झाँसी जिले की शाही मस्जिद में भेज देती है। झाँसी की शाही मस्जिद के इमाम वक़्फ बोर्ड की सहायता से उस बांग्लादेशी के रहने का प्रबंध करते हैं और उसके रोजगार का भी प्रबंध करते हैं। 

*वो बांग्लादेशी लोकल मुस्लिम और भ्रष्ट हिन्दू नेताओं  और अफसरों की सहायता से भारतीय पासपोर्ट बनवा लेता है।*

*समाजवादी पार्टी जैसी भ्रष्ट सरकारें वक़्फ बोर्ड को वोट के बदले ज़मीन दे देती है, नगरपालिका के भ्रष्ट अफ़सर रिश्वत लेकर बर्थ सर्टिफिकट बना देते हैं।*

*पुलिस और ख़ुफ़िया विभाग के अफसर रिश्वत लेकर पासपोर्ट की फाइल बिना किसी वेरिफिकेशन के आगे बढ़ा देते हैं, और दूसरे जरूरी कागजात भी तैय्यार करवा लेता हैं, जैसे कि आधार कार्ड।*

 *अर्थात जो बांग्लादेशी कुछ दिन पहले अंबाला शहर में बिना किसी पैसे और जान पहचान के भटक रहा था, वो झाँसी जिले में रहने वाला एक भारतीय नागरिक बन चुका है।*

ये तो एक बांग्लादेशी की कहानी है… देश में रोज बड़ी संख्या में बाग्लादेशी और पाकिस्तानी कबायली बंजारा आते हैं और *वक़्फ बोर्ड की सहायता से भारतीय नागरिक बन जाते है।*

भारत के अनेक जिलों का, खास कर *उत्तर प्रदेश, केरल और पश्चिम बंगाल का धार्मिक समीकरण* बिल्कुल बदल चुका है। 2021-22 की जनगणना में इन जिलों में हिंदू अल्पसंख्यक हो सकते हैं।

 वर्तमान भारतीय सरकार को देश हित के कार्यों में विपक्ष का असहयोग क्यों किया जा रहा है 
उसकी असली वजह समझने के लिए 
खुद पढ़े 
और समझे 
और 
अपने हिन्दू बंधुओ को समझाए....

*नया आधार लिंक कराने से महाराष्ट्र में 10 लाख गरीब गायब हो गए!*

*उत्तरखण्ड में भी कई लाख फ़र्ज़ी बीपीएल कार्ड धारी गरीब ख़त्म हो गए !*

*तीन करोड़ (30000000 ) से जायदा फ़र्ज़ी एलपीजी कनेक्शन धारक ख़त्म हो गए !*

*मदरसों से वज़ीफ़ा पाने वाले 1,95,000 फर्ज़ी बच्चे गायब हो गए!*

*डेढ़ करोड़ (15000000 ) से ऊपर फ़र्ज़ी राशन कार्ड धारी गायब हो गए!*

*ये सब क्यों और कहाँ गायब होते जा रहे हैं !*

*चोरो का सारा काला चिटठा खुलने वाला है …इसीलिए  सारे चोर ने मिलकर माननीय सर्वोच्च न्यायलय में याचिका दायर कर दी कि आधार लिंक हमारे मौलिक अधिकारों का हनन है ! चोरों  को  प्राइवेसी का कैसा अधिकार!*

*1) कंपनी के MD :मोदी ने फर्जी 3 लाख से ज्यादा कम्पनियां  बन्द कर दी है!*

*2) राशऩ डीलर नाराज़ हो गये!*

*3) Property Dealer नाराज़ हो गये!*

*4)ऑनलाइन सिस्टम बनने से दलाल नाराज़ हो गये है!*

*5) 40,000 फर्जी NGO बन्द हो गये है, इसलिए इन  NGO के मालिक भी नाराज़ हो गये !*

*6) No 2 की Income से Property खरीद ने वाले नाराज़ हो गये!*

*7) E-Tender  होने से कुछ ठेकेदार भी नाराज़ हो गये!*

*8) गैस कंपनी वाले नाराज़ हो गये!*

*9) अब तक जो 12 करोड लोग  Income टैक्स के दायरे मै आ चुके हैं वह लोग नाराज़ हो गये!*
*10) GST सिस्टम लागू होने से ब्यापारी लोग नाराज़ हो गये, क्योकि वो लोग Automatic सिस्टम मै आ गये है!*

*11) वो 2 नम्बर  के काम बाले लोग फलना फूलना बन्द हो गये है!*

*13) Black को White करने का सिस्टम एक दम से लुंज सा हो गया है।*

*14) आलसी सरकरी अधिकारी नाराज हो गये, क्योकि समय पर जाकर काम करना पड रहा हैं!*

*15) वो लोग नाराज हो गये, जो समय पर काम नही करते थे और रिश्वत देकर काम करने मे विश्वास  करते है।*
16) 10 रुपये महीना  का कमरा और 300 रु महीना मै खाना खाने वाला 7 साल तक मुफ्त की रोटी तोड़ने वाला JNU का छात्र भी परेशान है मोदी से😀😀

*दुख होना लाज़मी है देश बदलाव की कहानी लिखी जा रही है, 
 जिसे समझ आ रही है बदल रहा है जिसे नही आ रही है वो मंदबुध्दि युवराज के #मानसिक_गुलाम हमे अंधभक्त कह कह कर छाती कूट रहे है!*

*" वन्दे मातरम *"

भाईयों इस लेख को आप एक बेहद ही संवेदनशील आंख खोलने वाली जानकारी समझ सभी तक पहुंचाये 🙏🙏🙏🙏
जय श्री राम🚩🚩🚩🚩🚩🙏🏻
www.sanwariyaa.blogspot.com

सोमवार, 9 मई 2022

रसोई सिर्फ 28 दिन खुलेगी। शेष 2 या 3 दिन Kitchen Locked रहेगी।

एक  महिला हैं, वो जयपुर में एक PG ( *पेइंग गेस्ट* ) रखती हैं। 
उनका अपना पुश्तैनी घर है, उसमे बड़े बड़े 10 - 12 कमरे हैं। 
उन्हीं कमरों में *हर एक मे 3 bed लगा रखे हैं।* 




उनके PG में *भोजन* भी मिलता है। 
खाने खिलाने की शौकीन हैं। *बड़े मन से बनाती खिलाती हैं।* 

उनके यहां इतना शानदार भोजन मिलता है कि अच्छे से अच्छा Chef नही बना सकता। 
आपकी माँ भी इतने *प्यार से* नही खिलाएगी जितना वो खिलाती हैं।

उनके PG में ज़्यादातर नौकरी पेशा लोग और छात्र रहते हैं।

सुबह Breakfast और रात का भोजन तो सब लोग करते ही हैं। 
जिसे आवश्यकता हो उसे दोपहर का भोजन pack करके भी देती हैं।

पर उनके यहां एक बड़ा *अजीबोगरीब नियम है,* 
हर महीने में सिर्फ *28 दिन* ही भोजन पकेगा।

शेष 2 या 3 दिन होटल में खाओ, 
ये भी नही कि PG की रसोई में बना लो।

 *रसोई सिर्फ 28 दिन खुलेगी। शेष 2 या 3 दिन Kitchen Locked रहेगी।* 

हर महीने के आखिरी तीन दिन *Mess बंद।* 
Hotel में खाओ, चाय भी बाहर जा के पी के आओ।

मैंने उनसे पूछा कि ये क्यों? ये क्या अजीबोगरीब नियम है। 
आपकी kitchen सिर्फ 28 दिन ही क्यों चलती है ?

बोली , *हमारा Rule है।* 
हम भोजन के पैसे ही 28 दिन के लेते हैं। 
इसलिये kitchen सिर्फ 28 दिन चलती है।

मैंने कहा ये क्या अजीबोगरीब नियम है ? 
और ये नियम भी कोई भगवान का बनाया तो है नही आखिर आदमी का बनाया ही तो है बदल दीजिये इस नियम को।

उन्होंने कहा , नहीं ! नियम तो नियम है 

खैर साहब अब नियम है तो है।
उनसे अक्सर मुलाक़ात होती थी।
एक दिन मैंने बस यूं ही फिर *छेड़ दिया उनको* , 
उस 28 दिन वाले अजीबोगरीब नियम पर

उस दिन वो खुल कर बोलीं, तुम नही समझोगे डॉक्टर साहब, 
शुरू में ये नियम नही था 
मैं इसी तरह, इतने ही प्यार से बनाती खिलाती थी। 
पर इनकी *शिकायतें* खत्म ही न होती थीं 
कभी ये कमी, कभी वो कमी *हमेशा चिर असंतुष्ट रहते थे*
सो तंग आकर ये 28 दिन वाला नियम बना दिया।

28 दिन प्यार से खिलाओ और बाकी 2 - 3 दिन बोल दो कि जाओ, *बाहर खाओ।* 

 *उन 3 दिनो में नानी याद आ जाती है।* 
आटे दाल का भाव पता चल जाता है। 
ये पता चल जाता है कि बाहर *कितना महंगा और कितना घटिया खाना मिलता है।* 
दो *घूंट चाय* भी 15 - 20 रु की मिलती है।

मेरी *Value* ही उनको इन 3 दिन में पता चलती है 
सो बाकी 28 दिन बहुत *कायदे* में रहते हैं।

 *अत्यधिक सुख सुविधा की आदत व्यक्ति को असंतुष्ट और आलसी बना देती है।*

*👆🏼 बहुत बढ़िया, बिलकुल सही*

*घर पर भी अगर ग्रहिणी ऐसा करे तो उसके द्वारा किये कि कीमत
( VALUE ) का सही आंकलन होगा कभी तिरस्कार नही होगा*

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