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शुक्रवार, 20 मई 2022

आदरणीय स्व केदारनाथ व्यास को जिन्होंने 150 सालों से ज्ञानवापी की कानूनी लड़ाई लड़ी है।

आज ज्ञानवापी परिसर के अंदर जो हमारा ही तीर्थक्षेत्र अविमुक्तेश्वर विश्वेश्वर का आदि स्थान और ज्ञानोद तीर्थ की पवित्र भूमि है।
विध्वंस और आलगीर मस्जिद का अस्तित्व हमारे तीर्थ की सत्यता पर भारी आखिर पड़ ही गया जब वहां शिवलिंग का प्राकट्य हुआ।

आज हर एक सनातनी हर्षोल्लास से भरा हुआ है लेकिन इस बीच शायद हम भूल रहे इस धर्म युद्ध के सबसे बड़े योद्धा व्यास परिवार को। आदरणीय पूजनीय स्व सोमनाथ व्यास को, आदरणीय पूजनीय स्व केदारनाथ व्यास को जिन्होंने 150 सालों से ज्ञानवापी की कानूनी लड़ाई लड़ी है। अनेक दुर्लभ पांडुलिपियां,ग्रंथों के रचयिता पूजनीय स्व केदारनाथ व्यास।



व्यासपीठ ज्ञानवापी काशी के पिठाधीश,ज्ञानवापी काशी विश्वनाथ मन्दिर (मूल) मुक्ति के प्रणेता व नेतृत्वकर्ता मूरधन्य धार्मिक लेखक विद्वान प.केदार नाथ ब्यास जी का ही ज्ञानवापी की संपत्ति पर मालिकाना हक और स्थापत्य स्व केदारनाथ व्यास के परिवार का रहा है

आज इन्ही पूजनीय केदारनाथ व्यास की बदौलत हिंदू पक्ष कानून ज्ञानवापी पर दावा कर सकता है।
इन्ही व्यास परिवार की बदौलत सन् 1936 में दीन मोहम्मद को पूरे ज्ञानवापी में नमाज पढ़ने के दावे को नकार कर कोर्ट ने बैरंग लौटाया था और ज्ञानवापी परिक्षेत्र को वक्फ बोर्ड की संपत्ति होने के दावे से इंकार किया था।


ज्ञानवापी परिसर और बाबा विश्वनाथ का यह विवाद सैकड़ों साल पुराना है.
साल 1991 में ज्ञानवापी मस्जिद के लोहे की बैरिकेडिंग के पहले यह पूरा इलाका खुला हुआ था, इसकी पुरानी तस्वीरें आज भी मौजूद हैं जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के पिछले हिस्से में एक मैदान जैसा था, जबकि मंदिर के खंडहर पर मस्जिद का निर्माण साफ दिखाई देता था.


जब यह पूरी मस्जिद खुली थी तब इसका एक हिस्सा मंदिर के तौर पर भी इस्तेमाल होता था. काफी पहले से यहां विध्वंस के हिस्से में श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी जिसके तस्वीर और प्रमाण आज भी मौजूद हैं. हालांकि, तब श्रृंगार गौरी की पूजा की इजाजत सिर्फ साल में एक बार ही दी जाती थी.
मगर साल 1991 के बाद जब ज्ञानवापी परिसर को पूरी तरीके से लोहे के बड़े बैरिकेडिंग से घेर दिया गया और वहां सुरक्षा बलों के कैंप स्थापित कर दिए गए उसके बाद ना कोई श्रृंगार गौरी की पूजा कर पाता था और ना ही विध्वंस के उस हिस्से को खुली आंखों से देख पाता था.

इस ज्ञानवापी परिसर को लेकर दो मामले- 1936 में सबसे पहले दीन मोहम्मद वर्सेस सेक्रेटरी ऑफ स्टेट का एक मामला है, जिसमें दीन मोहम्मद ने ज्ञानवापी मस्जिद और उसके आसपास की जमीनों पर अपना हक जताया था. इसका मूवी मुकदमा नंबर 62/ 1936 जोकि एडिशनल सिविल जज बनारस के यहां दाखिल हुई थी, तब की अदालत ने इसे मस्जिद की जमीन मानने से इनकार कर दिया. उसके बाद दीन मोहम्मद यह केस लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट गए और 1937 में जब फैसला आया तब हाई कोर्ट ने मस्जिद के ढांचे को छोड़कर बाकी सभी जमीनों पर व्यास परिवार का हक बताया और उनके पक्ष में फैसला दिया.

इसी फैसले में बनारस के तत्कालीन कलेक्टर का वह नक्शा भी फैसले का हिस्सा बनाया गया है जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने का मालिकाना हक व्यास परिवार को दिया गया है. तब से आज तक व्यास परिवार ही ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे के तहखाना का देखरेख करता है, वहां पूजा करता है और प्रशासन के अनुमति से वही तहखाने को खोल सकता है .आज भी उसमें मंदिर के ढेरों सामान रखे गए हैं.

1937 के इस फैसले में ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक नक्शा भी लगाया और उस नक्शे में बकायदा डॉटेड लाइंस के साथ मस्जिद की सीमा रेखा तय की
और उसके अलावा बाकी चारों तरफ की जमीन का फैसला विश्वनाथ मंदिर के व्यासपठ के महंत व्यास परिवार पक्ष में दिया.
तब से ही मस्जिद की अपनी सीमा थी, जबकि बाकी आसपास की पूरी जमीन को व्यास परिवार को दे दिया गया. 1937 के बाद 1991 तक इस मामले में कोई विवाद नहीं हुआ.
व्यास परिवार और उनके वकील के पास पिछले पौने दो सौ साल से लड़े गए मुकदमों की फेहरिस्त और फाइलों का पुलिंदा है. 1937 का मुकदमा दीन मोहम्मद का मुकदमा बाबा विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद के बीच का सबसे अहम मुकदमा माना जाता है. इस मुकदमे की सुनवाई हाई कोर्ट तक चली, जिसमें हाई कोर्ट ने बहुत सारी बातें साफ कर दीं. यानी ढांचागत मस्जिद को छोड़कर तमाम जमीने व्यास परिवार की और बाबा विश्वनाथ मंदिर की होगी. मस्जिद के अलावा आसपास की किसी जमीन पर न तो नमाज हो सकेगी ना ही उर्स या फिर जनाजे की नमाज होगी.

बनारस के रहने वाले दीन मोहम्मद ने Civil Suit कोर्ट में दाखिल किया। Civil Suit 62 of 1936 में किया की जो सेटलमेंट प्लाट -9130 को (वास्तविक काशी विश्वनाथ का पूरा एरिया Revenue Record में 9130 के नाम से जाना जाता है. ) वक्फ प्रॉपर्टी declare किया जाये और उन्हें नमाज पढ़ने का पूरा अधिकार दे दिया जाये। दूसरा पक्ष इस केस में ब्रिटिश सरकार थी , हिन्दुओ ने जब इस केस में पक्ष बनने की बात की तो उसे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ख़ारिज दिया गया। ब्रिटिश सरकार ने लिखित रूप में कोर्ट में हलफनामा दायर किया और

Paragraph -2 में यह लिखा की यह परिसर वक्फ प्रॉपर्टी नहीं है। (यहाँ आप को जान लेना चाहिए की किसी Valid मस्जिद होने के लिए कोई भी स्थान वक्फ संपत्ति होना चाहिए )
Paragraph -11 में लिखा है की यहाँ की मूर्तिया मुगलकाल के पहले से यहाँ है।
Paragraph -12 इस सम्पत्ति का मालिक औरंगजेब नहीं था। और इस्लामिक law के मुताबिक यह अल्लाह को Dedicate नहीं किया जा सकता। दावेदारों की ओर से सात, ब्रिटिश सरकार की ओर से 15 गवाह पेश हुए थे। सब जज बनारस ने 15 अगस्त 1937 को मस्जिद के अलावा ज्ञानवापी परिसर में नमाज पढऩे का अधिकार नामंजूर कर दिया था।
दीन मोहम्मद इससे खुश नहीं हुए और फिर उन्होंने हाई कोर्ट में Suit दायर किया जिसका Appeal No -466 of 1937 जिसका फैसला आया

1942 SCC OnLine Allahabad/ Page No. 56 के Paragraph-5 में ये HOLD किया है की यहाँ मंदिर तोड़ी गई है। और Paragraph-16 में HOLD किया है की यह वक्फ सम्पति नहीं है.और नमाज पढ़ लेने से किसी स्थान पर आप का उस पर हक़ नहीं हो जाता।

साल 1937 से लेकर 1991 तक दोनों पक्षों में कोई विवाद नहीं हुआ. मुसलमान अपनी मस्जिद में जाते थे, जबकि हिंदू अपने मंदिरों में। हालांकि यह मस्जिद भी 1991 तक विरान ही पड़ी रही, जिसमें इक्के दुक्के मुसलमान ही नमाज अदा करते थे लेकिन बाबरी विध्वंस के बाद से यहां अचानक नमाजियों की संख्या काफी बढ़ गई और तब से यहां हर रोज नमाज होती भी है.

1991 में व्यास परिवार की ओर से स्वामी सोमनाथ व्यास ने एक मुकदमा दर्ज कराया और उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद को 'आदि विशेश्वर मंदिर' कहते हुए इसे मंदिर को सौंपने का मामला दर्ज कराया. 1991 से लेकर यह मामला अभी तक चल रहा है और इसी मामले में सुनवाई करते हुए 1996 में पहली बार अदालत ने कोर्ट कमिशन बनाया था और पहला सर्वे 1996 में किया था.
इस मुकदमे में सोमनाथ व्यास की तरफ से विजय शंकर रस्तोगी वकील थे. बाद में सोमनाथ व्यास की मृत्यु के बाद वह वादी मित्र होकर इस मामले की पैरवी कर रहे हैं.

मस्जिद के ढांचे को मंदिर या मूल विश्वेश्वर मंदिर कहकर अदालत में याचिका लगाई गई तो उसमें कई तस्वीरें भी लगाई गईं. वह तमाम तस्वीरें उस विध्वंस किए गए ढांचे की हैं, जो मंदिर दिखाई देता है.

मंदिर के विध्वंस पर बनी मस्जिद की कई तस्वीरें अदालत में सुबूत के तौर पर संलग्न की गईं और उसी को देखते हुए साल 1996 में एक सर्वे कमीशन बनाया गया था. इस केस की सुनवाई के दौरान बनारस की अदालत ने इसमें एएसआई से खुदाई का आदेश दिया था।

आदि विशेश्वर मंदिर' को तोड़कर बनाया गया है इसका नक्शा भी 1937 में तत्कालीन बनारस के डीएम ने अदालत में सौंपा था. जिस जमीन पर या जिस ढांचे पर आज ज्ञानवापी मस्जिद खड़ी है उस ढांचे का नक्शा पहली बार अदालत में पेश किया था और उस नक्शे में कई चीजें साफ-साफ लिखी हैं. मसलन यह पहला और एकमात्र ऐसा नक्शा है जो दिखाता है कि मंदिरनुमा कोई ढांचा रहा है जिसके बड़े हिस्से पर मस्जिद बनी है, बकायदा डॉटेड लाइन से इस नक्शे पर मस्जिद के हिस्से को दिखाया गया है.

पूजनीय स्व केदारनाथ व्यास 2020 में इहलोक गमन कर गये।
आज भले इन्हें सारा देश ना जानता हो।
आज भले स्वयं को सनातनी कहने वाले लोंगों को इनका योगदान और नाम तक ना पता हो।

लेकिन महादेव के इस सपूत का, व्यास परिवार का पूरी काशी श्रृणी रहेगी चिरकाल तक।
महादेव के लोक में महादेव के पुत्र आज चिर निद्रा में सो रहे।
कोटि कोटि अभिनंदन आपका व्यास परिवार 🙏🙏

गुरुवार, 19 मई 2022

इंडोनेशिया में कंडी सुकुह नामक स्थान पर खुदाई में मिले शिवलिंग के बारे में जानकारी

 

इंडोनेशिया में कई हिंदू मंदिर हैं । इनमें से कई मंदिरों के रहस्य आज के विज्ञान के युग में भी नहीं खुल पाए हैं । सैकड़ों वर्ष पूर्व सुकुह नामक स्थान पर शिवलिंग कंडी की खुदाई हुई थी ।

जावा द्वीप पर स्थित इस शिव मंदिर के क्रिस्टल शिवलिंग को लेकर एक ऐसा ही रहस्य सामने आया है ।

जब इस मंदिर की खुदाई की गई तो कई बहुमूल्य कलाकृतियां मिलीं । जिन्हें अब इंडोनेशिया के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है । इस क्रिस्टल के शिवलिंग में एक जलयुक्त पदार्थ होता है ।

160 जर 07 L ००० क्या होना चाहिए । लेकिन ऐप में खोलें के अनुसार मंथन से अमृत निकलता है वह इस शिवलिंग तरल रूप में होता है ।

स्रोत : ज़ी टीवी

हालांकि , वैज्ञानिक अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि यह क्या होना चाहिए । लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार मंथन से जो अमृत निकलता है वह इस शिवलिंग में तरल रूप में होता है ।

द्रव दिव्य होने का दावा करता है सैकड़ों साल पहले खोजे गए इस शिवलिंग का पानी आज भी बरकरार है , इसलिए इस तरल को दिव्य माना जाता है ।

सैकड़ों साल पहले इस शिवलिंग का द्रव्य आज भी सूख नहीं पाया है ।

यह द्रव्य क्या होना चाहिए , यह वैज्ञानिक नहीं समझ पाए हैं , लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार इस शिवलिंग में मंथन से निकलने वाला अमृत द्रव रूप में है । यह द्रव्य भी दिव्य होने का दावा किया जाता है ।

स्रोत : वेब वर्ल्ड

जब यहां खुदाई शुरू हुई तो पीतल के बर्तन में पानी जैसे तरल के साथ क्रिस्टल शिवलिंग मिला । यह भी समझा जाता है कि पीतल के इस बर्तन का पानी इतने सालों बाद भी नहीं सूखता था।

तस्वीर इंटरनेट

ताली बजाने पर इस कुंड का पानी उपर आने लगता है - तिलिस्मी कुंड

कुदरत की बनाई इस दुनिया में आज भी कई ऐसे रहस्य छुपे हुए हैं जिसका खुलासा आजतक नहीं हो पाया है। हालांकि शुरु से ही वैज्ञानिकों ने विश्व में छुपे रहस्यों की गुथी सुलझाने की कोशिश की है लेकिन सफलता नहीं मिली है।

Image source google

आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्यमयी कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका रहस्य आजतक कोई नहीं सुलझा पाया है।

कौन है वह कुंड और क्या है उसका रहस्य?

भारत (India) के झारखंड (Jharkhand) राज्य के बोकारो शहर से 27 किलोमीटर दूर स्थित इस रहस्यमयी कुंड का नाम दलाही कुंड (Dalahi Kund) है। इस कुंड के बारे में यह मान्यता है कि ताली बजाने पर इस कुंड का पानी उपर आने लगता है। अपने इसी तिलिस्मी गुण के कारण दूर-दूर से सैलानी इस चमत्कार को देखने आते हैं।

मौसम के विपरीत गर्म औ ठंडा होता है इस कुंड का पानी

दलाही कुंड (Dalahi Kund) के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसका पानी खौलते पानी की तरह गर्म होता है। यह इतना गर्म होता है कि इसमें चावल भी पकाए जा सकते हैं। इसके बारे में यह कहा जाता है कि इस कुंड का पानी मौसम के विपरीत गर्म और ठंडा होता है। गर्मियों के मौसम में इस कुंड का पानी ठंडा और शीतऋतु के मौसम में पानी गर्म होता है।

वैज्ञानिक कर चुके हैं शोध

कई वैज्ञानिक दलाही कुंड (Dalahi Kund) के बारे में शोध कर चुके हैं। ऐसे में उनका मानना है कि इस कुंड का पानी जमुई नाले से होता हुआ गरगा नदी में जाता है, जहां पानी एकदम नीचे होता है। अधिक नीचे होने के कारण ताली बजाने पर ध्वनीतरंगे उत्पन्न होती है जिसके वजह से पानी उपर आता है। हालांकि, वहां के स्थानीय लोग इसे आस्था की तरह मानते हैं।

इस कुंड में स्नान करने से होती है मन्नते पूरी

दलाही कुंड (Dalahi Kund) के बारे में लोगों के बीच यह आस्था भी है कि इस कुंड के पानी में स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इसलिए सुदूर से श्रद्धालु यहां स्नान करने आते हैं। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इसका पानी त्वचा सम्बंधी रोगों को भी ठीक कर देता है। लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है इसकी पुख्ता पुष्टि नहीं हो सकी है।

भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं

झारखंड के रामगढ़ में एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं.


मंदिर की खासियत यह है कि यहां जलाभिषेक साल के बारह महीने और चौबीस घंटे होता है. यह पूजा सदियों से चली आ रही है. माना जाता है कि इस जगह का उल्‍लेख पुराणों में भी मिलता है. भक्तों की आस्‍था है कि यहां पर मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है


झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित इस प्राचीन शिव मंदिर को लोग टूटी झरना के नाम से जानते है. मंदिर का इतिहास 1925 से जुड़ा हुआ है और माना जात है कि तब अंग्रेज इस इलाके से रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे. पानी के लिए खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के अन्दर कुछ गुम्बदनुमा चीज दिखाई पड़ा. अंग्रेजों ने इस बात को जानने के लिए पूरी खुदाई करवाई और अंत में ये मंदिर पूरी तरह से नजर आया.शिव भगवान की पूजा होती है

मंदिर के अन्दर भगवान भोले का शिव लिंग मिला और उसके ठीक ऊपर मां गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा मिली. प्रतिमा के नाभी से आपरूपी जल निकलता रहता है जो उनके दोनों हाथों की हथेली से गुजरते हुए शिव लिंग पर गिरता है. मंदिर के अन्दर गंगा की प्रतिमा से स्वंय पानी निकलना अपने आप में एक कौतुहल का विषय बना है

मां गंगा की जल धारा का रहस्‍य...

सवाल यह है कि आखिर यह पानी अपने आप कहा से आ रहा है. ये बात अभी तक रहस्य बनी हुई है. कहा जाता है कि भगवान शंकर के शिव लिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं. यहां लगाए गए दो हैंडपंप भी रहस्यों से घिरे हुए हैं. यहां लोगों को पानी के लिए हैंडपंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि इसमें से अपने-आप हमेशा पानी नीचे गिरता रहता है. वहीं मंदिर के पास से ही एक नदी गुजरती है जो सूखी हुई है लेकिन भीषण गर्मी में भी इन हैंडपंप से पानी लगातार निकलता रहता है

दर्शन के लिए बड़ी संख्‍या में आते हैं श्रद्धालु

लोग दूर-दूर से यहां पूजा करने आते हैं और साल भर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. श्रद्धालुओं का मानना हैं कि टूटी झरना मंदिर में जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत रूप के दर्शन कर लेता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है. भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और इसे अपने घर ले जाकर रख लेते हैं. इसे ग्रहण करने के साथ ही मन शांत हो जाता है और दुखों से लड़ने की ताकत मिल जाती है

ॐ नमः शिवाय🚩

मंगलवार, 17 मई 2022

वजूखाना ही वो तालाब है, जिसके भीतर असली बाबा विश्वनाथ विद्यमान हैं।

वजूखाना ही वो तालाब है, जिसके भीतर असली बाबा विश्वनाथ विद्यमान हैं।
इस पोस्ट में जो नक्शा लंदन की ब्रिटिश लाइब्रेरी में रखा काशी विश्वनाथ मंदिर का है। जिसे जेम्स प्रिंसेप ने इसे 1827 में बनाया था। इस नक्शे में काशी विश्वेश्वर मन्दिर के गर्भगृह को बीचो बीच दिखाया गया है। जेम्स प्रिंसेप (1827) और अटलेकर (1937) के मुताबिक मुख्य शिवलिंग तालाबनुमा संरचना के भीतर स्थित था। जिसे वजूखाना बना दिया गया। मौजूदा विश्वनाथ मंदिर में भी शिवलिंग को इसलिए चौकोर तालाबनुमा संरचना के भीतर रखा गया है। 

1827 में जेम्स प्रिंसेप और बीएचयू 1937 के जर्नल में एएस अल्टेकर, साइट का विस्तृत विवरण देते हैं।  यहां के नक्शे, स्थिति को समझने में मदद कर सकते हैं।  दोनों का उल्लेख है कि लिंग एक सजावटी जलाशय में खड़ा था।

उसकी किताब के विवरण का हिंदी रूपांतरण

"प्रिंसेप ने हमें सूचित किया कि का मुख्य लिंग केंद्र में एक 'सजावटी जलाशय में खड़ा था,' जिसमें गंगा के पानी को ले जाने के लिए नीचे एक नाला था, जो दिन-रात लगातार डाला जाता था।  इससे स्पष्ट है कि यद्यपि विश्वनाथ के मंदिर का जमीनी स्तर 7 फीट ऊंचा था, फिर भी लिंग अपने पुराने स्थान पर बना रहा, इस प्रकार इसके चारों ओर एक जलाशय का निर्माण आवश्यक हो गया।  विश्वनाथ के वर्तमान मंदिर में भी लिंग एक जलाशय में है, हालांकि कोई नहीं है अब हम समझ सकते हैं कि ऐसा करने के लिए संरचनात्मक आवश्यकता क्यों है।  यह तो काफी।  जब रानी अहिल्याबाई द्वारा नया मंदिर बनवाया गया था, तो एक जलाशय में लिंग के होने की पुरानी परंपरा को अच्छी तरह से याद किया गया था और इसका पालन करने का निर्णय लिया गया था।"

इसमे यह भी बताया गया है कि "नंदी मंदिर मुक्तिमंडप के दक्षिण में और ज्ञानवीपी के पश्चिम में था" जैसा कि नक्शे में बताया गया है। और वर्तमान में नंदी वैसे ही स्थित है ।

जेम्स प्रिंसेप का वाक्य की "मुख्य लिंग केंद्र में एक सजावटी जलाशय में स्थित था" और वजूखाने में कथाकथित फव्वारा भी जलाशय में खड़ा है ।

मतलब ये कि वजूखाना ही वो तालाब है जिसके भीतर असली विश्वनाथ हैं।

 अत: यह सिद्ध हो चुका 

सत्य कुछ समय के लिए दबाया जा सकता है किन्तु उसे खत्म नहीं किया जा सकता।
वो उद्घाटित अवश्य होता है.... 

हर हर महादेव 🔱

इस्लामिक जेहाद

*💩इस्लामिक जेहाद☪️*

          *जेहाद अचानक नही होता यह बहुत धीरे - धीरे होने वाली प्रक्रिया है जिसमे पहले काफिरो ( हिन्दुओ ) की ताकत को परखा जाता है और उनकी ताकत के हिसाब से तैयारी की जाती है 📛.. जेहाद के पहले हर स्तर पर हिन्दुओ को मानसिक रूप से तोड़ा जाता है 😠 .. जेहाद चरण दर चरण चलने वाली प्रक्रिया है 🧐*
  
*पहला चरण - आपके क्षेत्र में कबाड़ी फेरीवाले आने शुरू होंगे जो आपकी आर्थिक स्थिति परखेंगे आपके घरों की महिलाओं की क्षमता परखेंगे 🧐* 

*दूसरा चरण - आप के क्षेत्र में 🟢चादर फैला कर मांगने वाले लोभान छोड़ने वाले या सूफी गीत गा कर मांगने वाले आने लगेंगे ये दुआएं दे कर भीख मांगेंगे और तलाशेंगे कि , कितने परेशान हिन्दू उनके जाल में फंस सकते है 🧐* 

*तीसरा चरण - वो आपके क्षेत्र में ऐसी दुकान खोलेंगे या ऐसा कार्य करेंगे जिससे महिलाओं से उनका संपर्क बढ़ सके और लव जेहाद को बढ़ाया जा सके 🧐*
 
*चौथा चरण - आपके क्षेत्र में मुसलमान रोड पर कब्जा करके दुकान खोलेंगे और कम कीमत में काम करेंगे , जिससे हिन्दुओ को छोड़ कर आप उनके पास काम करवाने जाने लगें .. उनकी दुकानों पर आवारा मुसलमान लड़को का जमावड़ा होने लगेगा 😠*
 
*पाचवां चरण - हिन्दुओ की दुकानों व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर कम वेतन में नौकरी करना शुरू करेंगे 😕*
 
*छठा चरण - ये आपके क्षेत्र में हलाल के मांस की दुकान खोलेंगे 😠*
 
*सातवां चरण - हिन्दू बहुल क्षेत्र में ⚡महंगे दामों पर मकान खरीदेंगे या किराया पर लेंगे 😠*
 
*आठवां चरण - हिन्दू लड़को से दोस्ती करेंगे जिससे वो हिन्दू लड़कियों से परिचय कर सकें और किसी न किसी बहाने आपके घर आ जा सकें 🧐*
 
*नौवां चरण - आपके क्षेत्र में मज़ार बनाएंगे और उसके चमत्कारों का प्रचार करेंगे जिससे मूर्ख हिन्दू वहां जाना शुरू करें 😠* 

*दशवां चरण - अब जिहाद का असर दिखने के लिए तैयार है अब वो इस्लामिक धार्मिक आयोजन करेंगे और इस तरह से करेंगे कि हिन्दुओ को उससे समस्या हो 😠*
  
*ग्यारहवां चरण 11- आपके धार्मिक 🚩 आयोजनों का विरोध करने लगेंगे 😠*
 
*बारहवां चरण - वो हर तरह से अपना अधिकार जताएंगे और सदैव मौके की तलाश में होंगे कि कब हिंदुओं को अपमानित करते हुए इन पर हमला किया जाए 😡* 

           *अब आप स्वयं इन लक्षणों को पहचाने और यह तय करें कि , आप जिहाद के किस चरण में हैं ⁉️*
          *और यदि यह सब होता देख कर भी आपकी आंखें बंद है और आपको कोई फर्क नही पड़ता तो स्पष्ट है 👉आपका यह अंदाज बहुत भारी पड़ेगा और मुसलमान अपने अंदाज से आपका निश्चित रूप से पोस्टमार्टम करते हुए 👉आपकी मां-बहन-बेटियों के साथ हवसी वाले अंदाज में निश्चित रूप से पेश आएंगे 😠😡*

      *इसलिए इस पोस्ट को शेयर करते हुए खुद भी जागिए और पूरे हिंदू समाज को एक सूत्र में बांधते हुए जगाने का कार्य कीजिए 🙏🚩✊*

*🚩 जय आर्यावर्त 🚩✊✊🚩*

रविवार, 15 मई 2022

NEW WHATSAPP UPDATE FEATURES

*NEW WHATSAPP UPDATE FEATURES*

The social media app, Whatsapp, last week rolled out a series of features that enhance user experience on the app. While Facebook (now Meta) founder, Mark Zuckerberg, took to his Facebook page on May 5, 2022, to announce the rollout of new reaction emojis on Whatsapp, the app followed with the announcement of other features, which include the expansion of group size limit.

Here are the new Whatsapp features unveiled in the course of the week and which users will be receiving as they update their app:

*Group participants limit increased*

WhatsApp users will now be able to add up to 512 people to a group. This was increased from the maximum 256 earlier fixed by the platform

*Admin Delete*

This new feature allows group admins to remove errant or problematic messages from everyone’s chats. In cases where a group member sends an offensive message, the admin now has the power to ‘delete for everyone’.

*Increased file sharing size*

Whatsapp users will now be able to send files up to 2GB in size at once on the app, which is a massive jump from the previous limit of 100MB.

*WhatsApp Reactions*

The new reaction emojis will allow users to react with six different emojis on the platform: laughing face, red heart, surprised face, thumbs up, teary face, and hands together.

To use the feature, just long-press on a message and choose one of the displayed emojis. Just like Instagram, users can change their reactions to a different one by long-pressing the same messages and changing the emoji or just clicking on the same one to remove it.

WhatsApp also notes a few things about the Reaction feature: Users can only add one reaction per message, and it disappears when the messages disappear. Also, users will not be able to hide the reactions or the reaction counts. The recipients might see the reaction before you remove it or if removing it was not successful.

*Larger Voice Calls*

This feature allows a one-tap voice calling for up to 32 people with all-new design for those times when talking live is better than chatting.

For admin's information 🙏

Kindly update your what's app to enjoy the features.

Have a nice weekend .

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Old Post from Sanwariya