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सोमवार, 20 जून 2022

भारत में कुल 36,000 बड़े कत्लखाने हैं जिनके पास सरकार द्वारा जीवों को काटने की अनुज्ञा प्राप्त है।

🚩                *Voice Of Hinduism🔥* 
 
*🚩 चौंकाने वाली रिपोर्ट जिसमें आप जानेंगे कि गोमांस को, रक्त को, हड्डियों को, त्वचा (चमड़े) को, आँत को किन-किन वस्तुओं में प्रयोग किया जाता है।*

*🚩 भारत में कुल 36,000 बड़े कत्लखाने हैं जिनके पास सरकार द्वारा जीवों को काटने की अनुज्ञा प्राप्त है। इसके अलावा 36,000 से अधिक छोटे-मोटे कत्लखाने हैं जो गैर कानूनी ढंग से चल रहे हैं! कोई कुछ पूछने वाला नहीं। हर साल 5 करोड़ निर्दोष जीवों का कत्ल किया जाता है! जिसमें गौ, भैंस, सूअर, बकरा, बकरी, ऊँट आदि शामिल हैं। मुर्गियाँ कितनी काटी जाती हैं इसका तो कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।*

*🚩 गाय का कत्ल होने के बाद मांस उत्पन्न होता है और मांसाहारी लोग उसे भरपूर खाते हैं। भारत के 40% लोग मांसाहारी हैं जो रोज मांस खाते हैं और सब तरह का मांस खाते हैं। मांस के अलावा दूसरी जो चीज प्राप्त की जाती है वो है तेल। उसे tellow कहते हैं। जैसे गाय के मांस से जो तेल निकलता है उसे beef tellow और सूअर की मांस से जो तेल निकलता है उसे pork tellow कहते हैं।*

*🚩 इस तेल का सबसे अधिक उपयोग चेहरे में लगाने वाली क्रीम बनाने में होता है जैसे Fair & Lovely, Ponds, Emami इत्यादि। ये तेल क्रीम बनाने वाली कंपनियों द्वारा खरीदा जाता है। जैसा कि आप जानते हैं मद्रास उच्च न्यायालय में राजीव दीक्षितजी ने विदेशी कंपनी फेयर एंड लवली के विरूद्ध केस जीता था। जिसके बाद कंपनी ने स्वीकारा था कि हम इस फेयर एंड लवली में सूअर की चर्बी का तेल व गाय की चर्बी का तेल भी मिलाते हैं।*

*🚩 इस प्रकार कत्लखानों में मांस और तेल के बाद जीवों का खून निकाला जाता है। कसाई गाय को पहले उल्टा रस्सी से टांग देते हैं फिर तेज धार वाले चाकू से उनकी गर्दन पर वार किया जाता है और एक दम से खून बहने लगता है। उनके नीचे एक ड्रम रखा होता है जिसमें खून इकट्ठा किया जाता है।*

*🚩 खून का सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है अँग्रेजी दवा (एलोपेथी दवा)को बनाने में। गाय के शरीर से निकाला हुआ खून, बैल, बछड़ा, बछड़ी के शरीर से निकाला हुआ खून, मछ्ली के शरीर से निकाला हुआ खून से जो एक दवा बनाई जाती है उसका नाम है dexorange । यह बहुत ही प्रसिद्ध दवा है और डाक्टर इसको खून की कमी के लिए महिलाओं को लिखते हैं खासकर जब वो गर्भावस्था में होती हैं क्योंकि तब महिलाओं में खून की कमी आ जाती है। डाॅक्टर उनको गाय के खून से बनी दवा लिखते हैं क्योंकि उनको दवा कंपनियों से बहुत भारी कमीशन की कमाई जो करनी होती है।*

*🚩 इसके अलावा रक्त का प्रयोग बहुत बड़े पैमाने पर लिपस्टिक बनाने मे होता है। रक्त का प्रयोग चाय बनाने में बहुत सी कंपनियाँ करती हैं। अब चाय तो पोधे से प्राप्त होती है और चाय के पोधे का आकार उतना ही होता है जितना गेहूँ के पोधे का होता है। उसमें पत्तियां होती है, उनको तोड़ा जाता है और फिर उसे सुखाते हैं तो पत्तियों को सुखाकर पैकेट मे बंद कर विदेशों में भेजा जाता है।*

*🚩 पत्तियों का भाग जो नीचे टूट कर गिरता है उसे डेंटरल कहते हैं। वह उसका अन्तिम हिस्सा होता है। लेकिन ये चाय नहीं है। चाय तो वो ऊपर की पत्ती है। तो फिर क्या करते हैं इसको चाय जैसा बनाया जाता है। अगर हम उस निचले हिस्से को सुखा कर पानी में डालें तो चाय जैसा रंग नहीं आता। तो ये विदेशी कपनियां brookbond, lipton, आदि क्या करती हैं गाय के शरीर से निकला हुआ खून को इसमें मिलाकर सुखाकर डिब्बे में बंद कर बेचती हैं। तकनीकी भाषा मे इसे tea dust कहते हैं। तो tea dust को जो चाय बनाकर बेचने के लिए काॅफी कंपनियाँ गोवंश के खून का प्रयोग करती हैं। इसके अलावा कुछ कंपनियाँ nail polish बनाने में प्रयोग करती हैं।*

*🚩 मांस, तेल ,खून के बाद कत्लखानों मे जीवों की हड्डियाँ निकलती हैं और इसका प्रयोग toothpaste बनाने वाली कंपनियाँ करती हैं। Colgate, Close up, Pepsodent, आदि। सबसे पहले जीवों की हड्डियों को इकट्ठा किया जाता है। उसे सुखाया जाता है फिर एक मशीन है bone crusher, इसमें हड्डियों को डालकर इसका पाउडर बनाया जाता है और कंपनियों को बेचा जाता है। shaving cream बनाने वाली कई कंपनियाँ भी इसका प्रयोग करती हैं।*

*🚩 इन हड्डियों का talcum powder बनाने में भी प्रयोग होता है। क्योंकि ये काफी सस्ता पड़ता है। वैसे टेल्कम powder पत्थर से बनता है और 60 से 70 रुपए किलो मिलता है और गाय की हड्डियों का चूर्ण (powder) 25 से 30 रुपए मिल जाता है। इसलिए कंपनियाँ धड़ल्ले से हड्डियों का प्रयोग करती हैं।* 

*🚩 गाय की जो त्वचा (चमड़ी) है उसका सबसे अधिक प्रयोग cricket ball व football बनाने में किया जाता है। लाल रंग की गेंद होती है। आजकल सफ़ेद रंग में भी आती है। जो गाय की चमड़ी से बनाई जाती है। गाय के बछड़े की चमड़ी का प्रयोग गेंदों के निर्माण में अधिक होता है।*

*🚩 जूते और चप्पल बनाने में इस चमड़े का बहुत प्रयोग हो रहा है। अगर आप बाजार से कोई ऐसा जूता-चप्पल खरीदते हैं, जो चमड़े का है और बहुत ही कोमल (soft) है तो वो 100% गाय के बछड़े के चमड़े का बना है। अगर कठोर (hard) है तो ऊंट और घोड़े के चमड़े का है। इसके अलावा चमड़े के प्रयोग जैकेट, पर्स, वाॅलेट और बेल्ट में भी होता है। इसके अलावा आजकल सजावट के समान में इन का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार गाय और अन्य जीवों आदि का कत्ल होता है तो 5 वस्तुएँ निकलती हैं।*

*1) माँस निकला:- जो माँसाहारी लोग खाते हैं।*

*2) चर्बी का तेल:- जो काॅस्मेटिक्स बनाने मे प्रयोग होता है।*

*3) खून निकाला:- जो अँग्रेजी एलोपेथी दवाईयाँ, चाय, नेल पाॅलिश, लिपस्टिक बनाने में प्रयोग होता है।*

*4)हड्डियाँ निकली:-  इसका प्रयोग टूथपेस्ट, टूथ पाऊडर, टैलकम पाऊडर, शेविंग क्रीम में होता है।*

*5) चमड़ा निकला:-  इसका प्रयोग क्रिकेट बाॅल, फुट बाॅल, जूते, चप्पल, बैग, बेल्ट, जैकेट, वाॅलेट में होता है।* 

*🚩 इसके अलावा गाय के शरीर के अंदर के कुछ भाग हैं, उनका भी बहुत प्रयोग होता है। जैसे गाय में बड़ी आँत होती है, जैसे हमारे शरीर मे होती है। तो जब गाय को काटा जाता है तो बड़ी आँत अलग से निकाली जाती है और इसको पीस कर के जिलेटिन (gelatin) बनाई जाती है।*

*🚩 इस जिलेटिन का अधिक प्रयोग आइसक्रीम, चाॅकलेट आदि इसके अलावा मैगी, पीज़ा, बर्गर, हाॅट डाॅग, चाऊमीन के base material बनाने में भरपूर होता है। एक जैली (jelly) आती लाल, नारंगी रंग की, उसमें जिलेटिन का बहुत प्रयोग होता है। chewing gum तो जिलेटिन के बिना बन ही नहीं सकती। जिलेटिन बनाने के गूगल पर आप काफी लिंक देख सकते हैं। मैगी, चाॅकलेट वाली कंपनियाँ सबसे ज्यादा धोखा दे रही हैं। आजकल जिलेटिन का ऊपयोग साबूदाना में होने लगा है जो हम उपवास में खाते हैं।*

*🚩 यदि जो भी इन वस्तुओं को प्रयोग करते हैं, जिनके कारण गौवंश को काटा जाता है तो वे भी उतने ही पाप के भागीदार माने जाएंगे जितना कि उनको मारने वाला कसाई। अगली बार इन पापमयी वस्तुओं को खरीदने से पहले इनके निर्दोष विकल्प का चयन अवश्य करेंगे।*


अग्निवीर योजना मोदी का मास्टर स्ट्रोक नही, महा मास्टर स्ट्रोक है।

*अग्निवीर योजना*

*ये मोदी का मास्टर स्ट्रोक नही, महा मास्टर स्ट्रोक है।*
अभी वामपंथी और देश विरोधी ताकते इसको समझ ही नही पाए जब समझ जायेंगे तो इसका विरोध भी करेंगे।
एक तरफ विरोध होगा तो दूसरी तरफ इसमें 100% हिन्दू इस योजना के समर्थन में भी हो जाएंगे और भारत और भारत का हिन्दू 2035 तक आंतरिक और बाहरी दोनों मोर्चो पर ताकतवर हो जाएगा।

*शायद कुछ लोग अब भी नही समझे होंगे कि ये महा मास्टरस्ट्रोक कैसे है*👇👇
समझिए......
2023-2035 तक अग्निवीरो के अनेक जत्थे सेना से वापस अपने स्थानीय जगहों पर अपनी चार-चार साल की सेवा देकर आ जायेंगे, मतलब लगभग 10 लाख रिटायर अग्निवीर पूरे भारत मे फैल जायेंगे जिससे उनके परिजन ही नही अपितु पड़ोसी स्वजनों में भी उत्साहित गौरांवित होंगे उन सभी में एक अनोखे उत्साह और ऊर्जा का संचरण होगा उनके हौसले बुलंद होंगे हिंदुओ में नई ताकत पैदा होगी । अग्निवीर सेना से अस्त्र,सस्त्र में पारंगत है अतः उनको निजी हतियारो का लाइसेंस आसानी से मिल जाएगा। 
अब इसमें हिन्दुओ के काम की क्या बात है 👇👇
मान लो आपके मोहहले में अचानक जेहादियों की भीड़ आ गयी और आपके मोहहले में 2-4 रिटायर अग्निवीर है तो जाहिर है उनके पास लाइसेंससुदा निजी हतियार भी होंगे,आत्म रक्षा में वो उनको चलाएंगे भी, इस प्रकार इन अग्निवीरो से पूरा हिन्दू मोहहला सुरक्षित हो जाएगा।
हिन्दुओ मोदी ने आपके लिए वो सोचा है जिसकी आपको कल्पना भी नही थी। इस प्रकार भारत मे इन जेहादियों का मंसूबा गजवाये हिन्द कभी पूरा नही होगा। 

अग्निवीर योजना से भारत और सनातन अजेय बनेगा।

कृपया सभी हिन्दू इसका पुरजोर समर्थन करे और युवाओं को आगे लाये। 17 साल से 21, तक जोशीले युवा इसके भागीदार बने वैसे भी आजकल आप जानते ही है नॉर्मल सरकारी नौकरी लगने में 25-30 साल की उम्र हो जाती ही है, 21 साल बाद आकर भी आप दूसरी सरकारी नौकरी कर सकते हो।

## *अग्निवीर-जोशीला,जांबाज़*


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वंदे मातरम

शनिवार, 18 जून 2022

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देश में 50% लोग ऐसे हैं जो पूरी उम्र में इतना पैसा नहीं कमाते जो 4 साल में अग्निपथ से आयेंगे

#अग्निपथ; जहाँ से आपकी सोचने की शक्ति समाप्त होती है वहाँ से उस वैश्विक नेता की सोच शुरू होती है।
यह योजना के माध्यम से इस्लामिक देशों द्वारा चलाए जा रहे गजवा-ए-हिन्द की राह में मोदी ने फिर एक बड़ा रोड़ा अटका दिया है...सभी भारतीयों से निवेदन है कि स्वयं अपने परिवार के सभी बच्चों को भेजिए और सभी हिन्दू परिवार को भी समझाइए इजराइल की तरह सभी भारतीयों को प्रकारान्तर से सैनिक बना देंगे और अगर आवश्यक हुआ तो गजवा-ए-हिन्द के समय सशस्त्र सेनाओं का अभिन्न अंग भी बना देंगे। विपक्षी दलों और देश के ग़द्दारों को यह बात समझ में आगई है इसी लिए उन्होंनेहिन्दू नौजवानों को भड़काने के लिए अपने IT सेल को काम पर लगा दिया है।यह हम देश भक्त हिन्दुओं को समझना होगा और जितना जल्दी हो सके पूरे भारत के हिन्दुओं को सनझाना भी होगा। देश के ग़द्दारों के बहकावे में आकर अभी से कुछ नासमझ लोग के समूह को लगने लगा है और वे अभी भी इस योजना में कमियां ढूंढ रहे हैं... *जो उसके सशस्त्रिकरण की पहली सीढ़ी है*,
नादान मत बनिए, और ग़द्दारों के बहकावे में मत आइए। जॉब आर्मी की है, रहना, खाना, इलाज वगैरह सब फ़्री है, मतलब जो उम्र नुक्कड़ों पर चाय सिगरेट में निकल जाती है, उन 4 सालों में 23 लाख 43 हज़ार 160 रुपये कमाने का सुनहरा अवसर है। 👉पहला साल- 21,000×12= 2,52,000
👉दूसरा साल- 23,100×12= 2,77,200,👉तीसरा साल- 25,580×12= 3,06,960
चौथा साल- 28,000×12= 3,36,000, कुल मिला कर 11 लाख 72 हज़ार 160 रुपए, चार सालों में मिलेंगे उसके बाद, रिटायरमेंट पर 11 लाख 71 हज़ार। आप 17 से 23 साल की उम्र के लड़के अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना को जॉइन ज़रूर कीजिए। समझिए मोदी जी सरकारी पैसों से 4 साल आपको आर्मी की ट्रेनिंग देंगे, साथ मे इतने सारे पैसे भी, जॉब वैसे भी नहीं है, बारहवीं या स्नातक करने के बाद सीधे अग्निपथ के रास्ते पर चले जाइए, यही आपका भविष्य है और आपके बच्चों के साथ साथ हमारे भारत का भविष्य भी सुरक्षित है। उसके बाद 24-25 की उम्र में रिटायरमेंट के बाद, इन पैसों से कोई व्यापार शुरू कर लीजिएगा, या नहीं तो इंडियन आर्मी की ट्रेनिंग के साथ गल्फ़ में नौकरी आसानी से मिल तो जाती ही है वहाँ भी आर्मी का अनुशासन आपके बहुत काम आएगा। जीवन जैसा अभी चल रहा है, उससे लाख गुना अच्छा तय है। तो आप अग्निपथ योजना के विरोध का हिस्सा मत बनिए बल्कि ये समझिए कि आर्मी तक नहीं पहुँचने का जो आरक्षण था अब वो आप के लिए बल्क में ख़त्म हो चुका है। अपना, परिवार और भारत भविष्य सुरक्षित कीजिए और सोचिए 24 के उम्र में 0 से आर्मी ट्रेनिंग के साथ कुल मिला कर 11 लाख रूपये सैलरी के रूप में मिलने वाला पूरा पैसा अगर आप ख़त्म भी कर देते हैं तो रिटायरमेंट के वक़्त मिलने वाला 11 लाख 71 हज़ार कम नहीं है।।
देश में 50% लोग ऐसे हैं जो पूरी उम्र में इतना पैसा नहीं कमाते जो 4 साल में अग्निपथ से आयेंगे l साथ ही भविष्य उन लोगो को ही प्राथमिकता मिलेगी जो अग्निवीर होंगे इसकी भी शुरुआत UP से हो गई है.....
👉 *अतिशीघ्र अधिकतम साझा कीजिए* 👈 
👉 *भारत के ग़द्दारों की चाल को नाकाम कीजिए* 👈
👉 *भारत को गज़वा ए हिन्द से बचाना है* 👈
👉 *अग्निपथ से देशसेवा संग पैसे भी कमाना है* 👈

भारतीयों के लिए वरदान #अग्निपथ योजना....

भारतीयों के लिए वरदान #अग्निपथ योजना.... 

पहला साल- 21,000×12= 2,52,000
दूसरा साल- 23,100×12= 2,77,200
तीसरा साल- 25,580×12= 3,06,960
चौथा साल- 28,000×12= 3,36,000
कुल मिला कर 11 लाख 72 हज़ार 160 रुपए, चार सालों में मिलेंगे उसके बाद, रिटायरमेंट पर 11 लाख 71 हज़ार। 
         मियां बाबू, जॉब आर्मी की है, रहना खाना, इलाज वगैरह सब फ़्री है, मतलब जो उम्र नुक्कड़ों पर चाय सिगरेट में निकल जाती है, उन 4 सालों में 23 लाख 43 हज़ार 160 रुपये कमाने का सुनहरा अवसर है। आप 17 से 23 साल की उम्र के लड़के अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना को जॉइन ज़रूर कीजिए। समझिए मोदी जी सरकारी पैसों से 4 साल आपको आर्मी की ट्रेनिंग देंगे, साथ मे इतने सारे पैसे भी, जॉब वैसे भी नहीं है, बारवीं या गरेड्यूशन करने के बाद सीधे अग्निपथ के रास्ते पर चले जाइए, यही आपका भविष्य है और हमारा भी। 
         उसके बाद 24-25 की उम्र में रिटायरमेंट के बाद, इन पैसों से कोई बिजनेस शुरू कर लीजिएगा, या नहीं तो इंडियन आर्मी की ट्रेनिंग के साथ गल्फ़ तो है ही, आर्मी का अनुशासन आपके बहुत काम आएगा। लाइफ जैसी अभी चल रही है, उससे बेहतर तय है। तो आप अग्निपथ योजना के विरोध का हिस्सा मत बनिए बल्कि ये समझिए कि, आप के लिए बल्क में, आर्मी तक नहीं पहुँचने का जो आरक्षण था अब वो ख़त्म हो चुका है।
       अपना मुस्तक़बिल सुरक्षित कीजिए और सोचिए 24 के उम्र में 0 से आर्मी ट्रेनिंग के साथ कुल मिला कर 11 लाख रूपये सैलरी के रूप में मिलने वाला पूरा पैसा अगर आप ख़त्म भी कर देते हैं तो रिटायरमेंट के वक़्त मिलने वाला 11 लाख 71 हज़ार रुपिया कम नहीं है।।
          हिन्दू अभी भी इस योजना में कमियां ढूंढ रहा है......जो उसके सशास्त्रिकरण की पहली सीढ़ी है , पर "उनको" ये अच्छे से समझ आगया है ये गजवा-ए-हिन्द की राह में मोदी ने फिर एक रोड़ा अटका दिया है...देश में 50% लोग ऐसे हैं जो पूरी उम्र में इतना पैसा नहीं कमाते जो 4 साल में अग्नीपथ से आयेंगे l
       साथ ही भविष्य उन लोगो को ही प्राथमिकता मिलेगी जो #अग्निवीर होंगे इसकी भी शुरुआत यूपी से हो गई है.....

गुरुवार, 16 जून 2022

राजस्थान सरकार की जाग्रति: बैक टू वर्क योजना में आवेदन कैसे करें

 

जाग्रति: बैक टू वर्क योजना का उद्देश्य

  • इस योजना का उद्देश्य महिलाओं का सशक्तिकरण करना है।
  • योजना के तहत किन्हीं पारिवारिक परिस्थितियों या अन्य किसी कारणवश नौकरी छोड़ चुकी महिलाओं को फिर से नौकरी उपलब्ध करवाना है। गौरतलब है कि महिलाओं को विवाह के बाद घर और बच्चे की जिम्मेदारी निभाने के कारण जॉब छोड़ने की नौबत आ जाती है।
  • योजना के तहत व्यवसायिक क्षेत्र में प्रशिक्षित महिलाओं को निजी क्षेत्र की कंपनियों के सहयोग से पुनः नौकरी से जोड़ने के लिए "वर्क फ्रॉम होम" का विकल्प उपलब्ध करवाना है।
  • राजस्थान महिला अधिकारिता विभाग एवं सीएसआर संस्था के माध्यम से रोजगार से जुड़ने की इच्छुक प्रशिक्षित महिलाओं के लिए ऑनलाइन सिंगल विंडो प्लेटफार्म उपलब्ध करवाना है।

जाग्रति: बैक टू वर्क योजना की पात्रता

  • यह योजना केवल नौकरी छोड़ चुकी महिलाओं के लिए है।
  • महिला को राजस्थान की निवासी होना आवश्यक है।
  • योजना में आवेदन के लिए नौकरी का एक वर्ष का अनुभव होना आवश्यक है।
  • पात्रता की शर्त पूरी करने वाली महिलाओं में से परित्यक्ता, विधवा, तलाकशुदा एवं हिंसा से पीड़ित महिलाओं को नौकरी के चयन में प्राथमिकता दी जायेगी।

जाग्रति: बैक टू वर्क योजना के दस्तावेज़

  • आधार कार्ड
  • जन आधार कार्ड
  • नौकरी में न्यूनतम एक वर्ष के अनुभव का प्रमाण पत्र
  • परित्यक्ता, विधवा, तलाकशुदा एवं हिंसा से पीड़ित महिलाओं की श्रेणी में आने पर सम्बंधित प्रमाण पत्र
  • राजस्थान के मूल निवासी होने का प्रमाण पत्र
  • शैक्षिक योग्यता का प्रमाण पत्र

जाग्रति: बैक टू वर्क योजना में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया

  • इस योजना में आवेदन के लिए जागृति वेबपोर्टल[1] लिंक पर क्लिक करें।
  • फिर होम पेज पर दिए Register विकल्प पर क्लिक करें।
  • इसके बाद योजना में आवेदन का फॉर्म भरने के माध्यम से आवेदन की प्रक्रिया पूरी करें।

चयनित अभ्यार्थियों को रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर एवं ईमेल आईडी के माधयम से सूचित किया जाएगा।

समस्या के समाधान हेतु ईमेल आईडी से सम्पर्क किया जा सकता है —

jagriti@jobsforher.com

जाग्रति: बैक टू वर्क योजना की पीडीएफ फाइल

डाउनलोड लिंक।

जानकारी का स्त्रोत — जाग्रति वेबपोर्टल

फुटनोट

बुधवार, 15 जून 2022

भारत को विदेश से मिला गाय के गोबर का ऑर्डर, कुवैत जाएगा बड़ा ऑर्डर

 

गाय के गोबर की डिमांड विदेश तक पहुंची, जयपुर से कुवैत जाएगा बड़ा ऑर्डर

Cow Dung: भारत को पहली बार विदेश से मिला गाय के गोबर का ऑर्डर। इसके बाद कुवैत को 192 मीट्रिक टन देशी गाय का गोबर 15 जून को जयपुर से भेजा जाएगा।

  • विदेश भी समझ रहे गोबर का महत्व
  • कस्टम विभाग की निगरानी में हो रही गोबर की पैकिंग
  • "रिसर्च में दावा गोबर के प्रयोग से उत्पादन मे होती है बढ़ोतरी"




Cow Dung: गाय के गोबर की डिमांड विदेश तक पहुंची, जयपुर से कुवैत जाएगा बड़ा ऑर्डर

Cow Dung: भारत को पहली बार विदेश से मिला गाय के गोबर का ऑर्डर। इसके बाद कुवैत को 192 मीट्रिक टन देशी गाय का गोबर 15 जून को जयपुर से भेजा जाएगा।

  • विदेश भी समझ रहे गोबर का महत्व
  • कस्टम विभाग की निगरानी में हो रही गोबर की पैकिंग
  • "रिसर्च में दावा गोबर के प्रयोग से उत्पादन मे होती है बढ़ोतरी"

Cow Dung: मुस्लिम बाहुल्य देश कुवैत के कृषि वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में दावा किया है कि गाय का गोबर फार्मिंग में बहुत उपयोगी होता है। इसके बाद भारत को पहली बार कुवैत से गाय के गोबर का ऑर्डर मिला है। 15 जून को 192 मीट्रिक टन देशी गाय का गोबर जयपुर से कुवैत भेजा जाएगा। इतने बड़े ऑर्डर की पैकिंग का काम फिलहाल कस्टम विभाग की निगरानी में जयपुर में हो रहा है। इस ऑर्डर की जयपुर के टोंक रोड पर श्री पिंजरापोल गोशाला में सनराइज ऑर्गेनिक पार्क में पैकिंग की जा रही है। बता दें कि भारत को पहली बार किसी देश से गाय के गोबर का इतना बड़ा ऑर्डर मिला है। 

विदेश कर रहे गोबर से ऊर्जा का उत्पादन

जयपुर में टोंक रोड स्थित पिंजरापोल गोशाला के महामंत्री शिवरतन चितलांगिया, डायरेक्टर प्रशांत चतुर्वेदी ने बताया कि भारत में मवेशियों की संख्या लगभग तीस करोड़ के करीब है। इनसे रोजाना 30 लाख टन गोबर मिलता है। इसमें से तीस फीसदी को उपला बनाकर जला दिया जाता है, जबकि ब्रिटेन में गोबर गैस से हर साल सोलह लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाता है। इसके अलावा चीन में डेढ़ करोड़ परिवारों को घरेलू ऊर्जा के लिए गोबर गैस की आपूर्ति की जाती है। आपको बता दें कि भारत से प्रमुख तौर पर मांस, दूध और दूग्ध उत्पाद निर्यात किए जाते हैं।  

गोबर के इस्तेमाल से फल के आकार और उत्पादन में बढ़त

कुवैत में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक रिसर्च में पता लगाया गया है कि गाय के गोबर को पाउडर के रूप में प्रयोग करने से खजूर की फसल में बढ़त देखी गई है। इसके इस्तेमाल करने से फल के आकार और उत्पादन दोनों में अच्छी बढ़ोतरी हुई। इसके बाद कुवैत की कंपनी लैमोर ने गाय के गोबर का एक बड़ा ऑर्डर भारत को दिया। इस ऑर्डर की पहली खेप 15 जून को कनकपुरा स्टेशन से मंबई के लिए रवाना की जाएगी, जहां से ये कुवैत भेजा जाएगा।

 

मंगलवार, 14 जून 2022

अग्निपथ स्कीम का एलान कर दिया है.

अग्निपथ स्कीम का एलान कर दिया है. इसमें ज्यादातर अंग्रेजी में बोला गया है जो बच्चे नही समझ पाए हैं उनको हिंदी में बता रहा हूं इससे सेना में शॉर्ट टर्म सेना में बहाली हो पाएगी.
 तीनों सेना प्रमुखों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को इसका एलान किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारतीय सेनाओं को विश्व की बेहतरीन सेना बनाने की दिशा में आज सुरक्षा मामलों की संसदीय समिति ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज हम 'अग्निपथ' नामक एक अभूतपूर्व बदलाव की योजना ला रहे हैं, जो हमारी आर्म्ड फोर्सेज में ट्रांसफॉर्मेटिव चेंज लाकर उन्हें पूरी तरह आधुनिक और और हथियारों से सुसज्जित बनाएगी. देश के युवाओं के लिए चार साल की भर्ती की योजना है. इन युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा.
युवाओं को अग्निवीर से सेवा का मौका
उन्होंने कहा कि अग्निपथ' योजना में भारतीय युवाओं को बतौर 'अग्निवीर' आर्म्ड फोर्सेज में सेवा का अवसर प्रदान किया जाएगा. यह योजना देश की सुरक्षा को मजबूत करने एवं हमारे युवाओं को सैन्य सेवा का अवसर देने के लिए लाई गई है. रक्षा मंत्री ने कहा कि आप सब इस बात से जरूर सहमत होंगे कि संपूर्ण राष्ट्र, खास तौर पर हमारे युवा, आर्म्ड फोर्सेज को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं. अपने जीवन काल में कभी न कभी प्रत्येक बच्चा सेना की वर्दी धारण करने की तमन्ना रखता है. चार साल की सेवा के दौरान अच्छा वेतन और सुविधाएं दी जाएंगी. तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने दो हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सैनिकों की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना के बारे में जानकारी दी थी.

उन्होंने कहा कि काम उम्र से यह फायदा भी होगा कि उन्हें नई-नई टेक्नोलोजी के लिए आसानी से प्रशिक्षित किया जा सकेगा और उनकी हेल्थ और फिटनेस का लेवल भी बेहतर होगा. अग्निपथ योजना के अंतर्गत यह प्रयास किया जा रहा है कि इंडियन आर्म्ड फोर्सेज का प्रोफाइल उतना ही जवान हो, जितना कि देश में जवान लोगों का प्रोफाइल है.
रोजगार के बढ़ेंगे अवसर
राजनाथ सिंह ने कहा कि अग्निपथ' योजना से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. अग्निवीर सेवा के दौरान अर्जित स्किल्स और अनुभवों से उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार मिलेंगे इससे इकॉनोमी को भी हायर स्किल्ड वर्कफोर्स की उपलब्धता होगी जो उत्पादकता और जीडीपी के बढ़ने में सहायक होगा. रक्षा मंत्री ने कहा कि अग्निवीरों के लिए एक अच्छी पे पैकेज, 4 साल की सेवा के बाद exit पर सेवा निधि पैकेज और एक liberal 'Death and disability package' की भी व्यवस्था की गई है.

अग्निपथ रिक्रूटमेंट योजना की खास बातें-

1. सेना में भर्ती मात्र चार साल के लिए होगी.

2. चार साल वाले सैनिकों को अग्निवीर नाम दिया जाएगा.

3. चार साल बाद सैनिकों की सेवाओं की समीक्षा की जाएगी. समीक्षा के बाद कुछ सैनिकों की सेवाएं आगे बढ़ाए जा सकती हैं. बाकी को रिटायर कर दिया जाएगा.

4. चार साल की नौकरी में छह-नौ महीने की ट्रेनिंग भी शामिल होगी.

5. रिटायरमेंट के बाद पेंशन नहीं मिलेगी बल्कि एक मुश्त राशि दी जाएगी.

6. खास बात ये होगी कि अब सेना की रेजीमेंट्स में जाति, धर्म और क्षेत्र के हिसाब से भर्ती नहीं होगी बल्कि देशवासी के तौर पर होगी. यानि कोई भी जाति, धर्म और क्षेत्र का युवा किसी भी रेजीमेंट के लिए आवेदन कर सकेगा. दरअसल, सेना में इंफेंट्री रेजीमेंट अंग्रेजों के समय से बनी हुई हैं जैसे सिख, जाट, राजपूत, गोरखा, डोगरा, कुमाऊं, गढ़वाल, बिहार, नागा, राजपूताना-राईफल्स (राजरिफ), जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री (जैकलाई), जम्मू-कश्मीर राईफल्स (जैकरिफ) इत्यादि. ये सभी रेजीमेंट जाति, वर्ग, धर्म और क्षेत्र के आधार पर तैयार की जाती हैं. आजादी के मात्र एक ऐसी, द गार्ड्स रेजीमेंट ऐसी है जो ऑल इंडिया ऑल क्लास के आधार पर खड़ी की गई थी. लेकिन अब अग्निवीर योजना में माना जा रहा है कि सेना की सभी रेजीमेंट ऑल इंडिया ऑल क्लास पर आधारित होंगी. यानि देश का कोई भी नौजवान किसी भी रेजीमेंट के लिए आवेदन कर सकेगा. आजादी के बाद से रक्षा क्षेत्र में ये एक बड़ा डिफेंस रिफोर्म माना जा रहा है.
7. योजना को हरी झंडी मिलने के बाद साल अगस्त के महीने से रिक्रूटमेंट रैलिया शुरु हो जाएंगी और सेना (थलसेना, नौसेना और वायुसेना) में भर्तियां शुरु हो जाएंगी.

शुक्रवार, 10 जून 2022

भारत में जीवन बीमा के प्रति सोच

🤝भारत में जीवन बीमा के प्रति सोच🤝

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*संदेश पढ़ें, बीमा के मूल्य को समझें, अपने आप को प्रबुद्ध करें और दूसरों को भी बताएं..!!*

1. हम अपने *बच्चों की शिक्षा* और *विवाह* के लिए *सोना खरीदते हैं*, लेकिन हम एक *Children Education/Marriage Plan* नहीं खरीदते हैं..!!

2. हमें  जिन्हें देखते ही *PROTECTION* की *FEELING* आनी चाहिये उसके बजाए एक *बीमा एजेंट* से डर लगता है..!!

3. केवल *20 करोड़* भारतीयों के पास *बीमा पॉलिसी* है  *130 करोड़* आबादी मे अथवा वो भी पर्याप्त नहीं है..!! 

4. हम अपने *MOBILE* की *10k* कीमत की सुरक्षा के लिए एक *SCREEN GUARD* खरीदते हैं, लेकिन हम अपने *जीवन* को शामिल नहीं करते हैं, जिसकी कीमत *10 करोड़* से अधिक है..!!

5. हम अपनी *बेटी की शादी* एक *अज्ञात* व्यक्ति से करवाते हैं, लेकिन हम बहुत सोचते हैं जब एक *ज्ञात व्यक्ति* हमें *बीमा पॉलिसी* लेने के बारे में सलाह देता है..!!

6. हम भागवत गीता और कुरान पर आपस में लड़ते हैं, लेकिन हमें *DEATH* का एहसास नहीं है कि ये सच्चाई है..!!

7. हम अपने *चप्पल* को बहुत ध्यान से  5/- रु में stand मे रखते हैं परन्तु 50 / - ₹  *एक दिन के लिए बीमा* लेने के लिए इतना सोचते हैं..!!

*क्या आप जीवन अपने चपल  के मूल्य के लायक भी नहीं समझते?* 

8. हम जादू टोना करने वाले बाबा पर भरोसा करते हैं लेकिन हम *बीमा एजेंट* पर भरोसा नहीं करते जो *लॉजिक* के साथ मार्गदर्शन करते हैं..!!

9. हम दूसरे व्यक्ति की पेंशन सुविधा देखकर प्रभावित होते हैं, लेकिन हम हर महीने कुछ राशि को *PENSION पॉलिसी* में सेव करना पसंद नहीं करते हैं जिससे हमें *LIFE TIME* के लिए *PENSION* प्राप्त होती है..!!

10. विश्व जनगणना के अनुसार *10k से अधिक लोग* प्रतिदिन, अपने *अलार्म* पर पिछली रात को सोने के बाद नहीं उठते कृपया याद रखें कि केवल "FIRE Engine" *ALARM* के साथ आता है लेकिन *DEATH Engine* नहीं..!

11. हम बिजली बंद होने के दौरान अपने *घर* में  *प्रकाश* के लिए *इनवर्टर* खरीदते हैं।
लेकिन आप अपने परिवार के लिए *प्रकाश* हैं, बीमा पॉलिसी आपके परिवार के लिए इनवर्टर है जब आप नहीं है तब भी प्रकाश होता है..!!

12. जब हम मर जाते हैं, तो यह केवल हमारे लिए आखरी आमदनी होती है  लेकिन *परिवार* के लिए एक और दिन है, वे *अगले दिन भी जीना जारी रखते हैं* अपने जीवन का बीमा करने के साथ उनकी रक्षा करें..!!

13. आप अपने *मोबाइल कार्ड* में शेष राशि जानते हैं, आप अपने *डेबिट कार्ड* में शेष राशि जानते हैं .... क्या आप जानते हैं ... आपके *जीवन कार्ड* में *बैलेंस* क्या है? 
"आपका *जीवन कार्ड जीवन बीमा* के साथ  *Recharge* कराऐं..!! 

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Kailash Chandra Ladha 
9352174466



पुराणों में भारतवर्ष की महिमा -

पुराणों में भारतवर्ष की महिमा - 

ये पृथ्वी सप्तद्वीपा है । इनके नाम हैं - जम्बूद्वीप, प्लक्षद्वीप, शाल्मलिद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, तथा पुष्करद्वीप । सातों द्वीपों के मध्य जम्बूद्वीप है । जम्बूद्वीप के अधिपति महाराज आग्नीध्र के नौ पुत्र हुए - जिनके नाम थे - नाभि, किम्पुरूष, हरिवर्ष, इलावृत, रम्यक, हिरण्मय, कुरू, भद्राश्व और केतुमाल । राजा आग्नीध्र ने जम्बूद्वीप के नौ खंड कर अपने प्रत्येक नौ पुत्रों को वहाँ का राजा  बनाया । इन खंड़ो का विस्तार नौ नौ हजार योजन बताया गया है । इन्हीं पुत्रों के नाम से नौ वर्ष (अर्थात् खंड ) प्रसिद्ध हुये ।

    राजा नाभि के नाम से ही एक वर्ष अर्थात् एक खंड का नाम अजनाभ वर्ष हुआ । राजा नाभि एवं उनकी पत्नी मेरूदेवी के एक पुत्र थे जिनका नाम था ऋषभदेव । ऋषभेदव जी के सबसे बड़े पुत्र का नाम था भरत ।

राजा भरत
वे अत्यंत प्रतापी तथा धर्मात्मा थे, अतः अजनाभ वर्ष का नाम हो गया  भारतवर्ष ।

‘‘अजनाभं नामऐतद्भारात्वर्षं भारतमिति ।’’

क्या पृथ्वी का यही खंड जहाँ हम लोग रहते हैं , भारतवर्ष है ? इसका प्रमाण क्या है ?

शास्त्रों में बताया गया है की भारतवर्ष में नर-नारायण हैं | इसी भारतवर्ष में भगवान श्रीहरि नर-नारायण रूप में है । केदारनाथ, बद्रीनाथ के रास्ते में दो पर्वत नर और नारायण हैं ऐसा माना जाता है कि देवर्षि नारद जी भगवान की आराधना नर-नारायण के रूप में करते हैं ।
नर और नारायण पर्वत

विष्णु पुराण में भी भारतवर्ष की स्थिति के बारे में बताया गया है - 
उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेष्चैव दक्षिणम् ।
वर्शं तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः ।।
    ऐसा भूखण्ड जो समुद्र के उत्तर तथा हिमालय से दक्षिण में स्थित है वही भारतवर्ष है और वहीं पर चक्रवर्ती भरत जी की संतति निवास करती है ।पुराणों के आधार पर इस  भारतवर्ष का विस्तार 9000 योजन माना जाता है । एक योजन में 9 मील माना जाता है । अतः भारतवर्ष का विस्तार 81000 मील माना जा सकता है ।
भारतवर्ष अन्य वर्षों से श्रेष्ठ है क्यों कि यह कर्म भूमि है तथा अन्य वर्ष भोग भूमियाँ हैं -

‘यतो हि कर्मभूरेशा ह्यतो न्या भोगभूमयः’ (विष्णुपुराण) ।

ऐसा कहा जाता है कि मानव भगवान की सुन्दरतम रचना है और मानव को स्वतंत्रता है कर्मों को करने की । अच्छे कर्मों के द्वारा मानव अपना उद्धार कर सकता है । ऐसी स्वतंत्रता देवताओं को भी प्राप्त नहीं है क्योंकि वह भोगयोनि है । परंतु मनुष्यों में भी भारतवर्ष में जन्म लेने वाले को ही ऐसी स्वतंत्रता प्राप्त है क्योंकि भारतवर्ष कर्मभूमि है तथा अन्य वर्ष भोगभूमि है । यही कारण है कि पृथ्वी पर भारतवर्ष के अतिरिक्त कहीं भी कर्म विधि नहीं है । उसका विधान हमारे वर्णाश्रम व्यवस्था में है । वर्णाश्रम व्यवस्था सनातन धर्म का मूल है । सभी वर्णांे तथा आश्रमों में पूर्णतया प्रतिष्ठित मनुष्य जीवन के सर्वोत्तम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त करने का अधिकारी होता है । यहाँ पर पैदा होने वाले मनुष्य अपने-अपने कर्मों के आधार पर स्वर्ग तथा अपवर्ग प्राप्त कर सकते हैं । इसलिए संसार के किसी अन्य धर्मों में वर्णाश्रम व्यवस्था का विधान नहीं है । अन्य धर्म भोग को बढ़ावा देता है परंतु सनातन धर्म योग को बढावा देता है । अतः भारतवर्ष में पैदा होने वाले प्राणी अन्य जगहों पर पैदा होने वालों से अधिक प्रबुद्ध होता है । भारतवर्ष का कण-कण ऊर्जा से भरा हुआ तीर्थ है जिसने भी भारतवर्ष की पदयात्रा की है उन्हें नई ऊर्जा तथा दिषा मिली है । पाण्डवों ने भारतवर्ष की पदयात्रा की थी वनवास काल में तभी उन्हें नई ऊर्जा मिली और धर्मराज्य की स्थापना हुई । भगवान राम ने भी वनवास काल में भारतवर्ष की पदयात्रा की तभी वह रामराज्य स्थापित करने में सफल रहें । आदिशंकराचार्य ने भारतवर्ष की पदयात्रा कर दिग्विजय किया और भारतवर्ष के एकता के सूत्र को और भी मजबूत किया । वर्तमान काल में भी महात्मा गांधी ने पूरे भारतवर्ष की पदयात्रा की तभी वे ब्रिटिश साम्राज्य का नाश कर पाये ।

 भारतवर्ष अपने आप में तीर्थ है जिस तरह तीर्थस्थानों की परिक्रमा से नई ऊर्जा मिलती है उसी तरह भारतवर्ष की परिक्रमा से भी नई ऊर्जा मिलती है । ये स्वयं प्रमाणित है ।  आप यहाँ पर किसी से भी भाग्य, भगवान, आत्मा, परमात्मा के बारे में बातें करके देख सकते हैं सभी के पास कुछ-न-कुछ अपने विचार होते हैं और वे विचार हमारे किसी-न-किसी शास्त्र में वर्णित होते हैं । हलाँकि वे उन शास्त्रों से हो सकता है अवगत नही हों । इसलिये यहाँ पर मनुष्य ही नहीं देवता भी जन्म लेकर यज्ञ यागादि अच्छे कर्मों के द्वारा पुण्य अर्जित कर अच्छे लोकों में जाना चाहते हैं । हमारे सनातन धर्म में ही भगवान के अवतार लेने की बात है । अन्य धर्मों मे नहीं क्योंकि सनातन धर्म भारतवर्ष में ही प्रचलित है और यह भारतवर्ष योगभूमि है । अतः यहाँ पर नये  कर्म किये जा सकते है और अन्य खण्डों में नये कर्म नहीं हो सकते है - केवल पुरातन कर्मों का भोग ही हो सकता है । अतः देवगण भी यही गान करते हैं -
गायन्ति देवाः किल गीतकानि
धन्यास्ते तु भारतभूमि भागे।
स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते
भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात् ।।
  (श्रीविष्णुपुराण 2/3/24)
     
    अर्थात् जिन्होंने स्वर्ग और अपवर्ग के मार्गभूत भारतवर्ष में जन्म लिया है, वे पुरुष हम देवताओं की अपेक्षा भी अधिक धन्य हैं ।

हिंदू संसार में सबसे अधिक राष्ट्र प्रेमी  और राष्ट्रभक्त लोग हैं।ऐसी उत्कृष्ट और गहरी और व्यापक राष्ट्रभक्ति संसार में लगभग कहीं भी नहीं है क्योंकि इतना प्राचीन और स्वाभाविक राष्ट्र विश्व में और कोई नहीं हैं ।
परंतु अंग्रेजो के द्वारा भारतीय शिक्षा का सर्वनाश करके फिर अपने चेलों को सत्ता सौंपने के बाद उन लोगों ने जो भारतीय ज्ञान परंपरा का सर्वनाश किया है ,उसके बाद से हिन्दू  लोगों के पास राजनीतिक चेतना बहुत अल्प है और वे तोतों की तरह से वे ही बातें करते रहते हैं जो हिंदू द्रोही  सत्ताधीशो ने शोर मचाया है और जो  उनके द्वारा प्रायोजित विद्यालय विद्या संस्थानों में पढ़ाया जाता है जो कि  झूठ है, भयंकर झूठ। पर हिन्दू अब वही दुहराते रहते हैं।
भारत को एक राष्ट्र मानकर अन्य लघु राष्ट्रों जैसा एक मानना घोर अज्ञान है।
यह यूरोप के 37 राष्ट्रों के बराबर आज है।पहले यह समस्त यूरोप से बड़ा था।
50 से अधिक मुस्लिम देशों के बराबर है अकेले भारत।
इसके विषय में सोचते और बोलते समय सदा यह ध्यान रखें, कृपया।
✍🏻रामेश्वर मिश्रा पंकज 

स्वाभाविक राष्ट्र है भारत

यह आज हमें पता है कि भारत का वर्तमान स्वरूप 15 अगस्त 1947 की देन है। आज अखंड भारत की कल्पना में हम केवल पाकिस्तान और बांग्लादेश को जोड़ते हैं। परंतु हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि बर्मा, श्रीलंका, अफगानिस्तान आदि भी भारत के ही भाग रहे हैं। यदि हम केवल 15 अगस्त 1947 के बाद के भारत को ही लें तो भी इस समय विश्व में केवल छह नेशन स्टेट या राष्ट्र ऐसे हैं जो आकार में भारत से बड़े हैं और ये छहों अस्वाभाविक राष्ट्र हैं। एक एक कर सभी पर विचार करते हैं।
पहला राष्ट्र है आस्ट्रेलिया। आस्ट्रेलिया क्या है? उसके केवल तटीय इलाकों में लोग बसे हैं। दिल्ली के बराबर आबादी है। इस नाम का भी कोई इतिहास नहीं है। यह बीसवीं शताब्दी में बना एक अस्वाभाविक राष्ट्र है। दूसरा बड़ा राष्ट्र है यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका। अमेरिका तो इस इलाके का नाम भी नहीं है। आज भी यूनाइटेड स्टेट्स किसी अमेरिगो नामक आदमी के नाम से जाना जाता है। इसे वेस्ट इंडिया ही कह दिया होता या वेस्ट इंडियन सबकोंटिनेंट ही कह दिया होता। यदि आपको किसी स्थान को उनके मूल नाम से नहीं बुलाना है तो कुछ पहचाना सा नाम तो रखना चाहिए था। किसी को पता ही नहीं है कि अमेरिगो कौन था। अमेरिका का मूल नाम तो टर्टल कोंटीनेंट यानी कि कच्छप महाद्वीप है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका तो उन्नीसवीं-बीसवीं शताब्दी में अस्तित्व में आया है। इसके टूटने का रुदन सैमुएल हंटिंगटन अपनी पुस्तक क्लैश ऑफ सिविलाइजेशन में कर रहे हैं। भारत में इस पर काफी बहस चल रही है, परंतु बहस करने वालों ने ठीक से उसकी प्रस्तावना तक नहीं पढ़ी है। प्रस्तावना में ही वह कह रहा है कि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका टूट रहा है। क्यों? क्योंकि उसके नीचे मैक्सिको उसे धक्का दे रहा है। मैक्सिको वहाँ का मूल है। वे वहाँ के मूलनिवासी हैं। उनका अपना क्षेत्र है। दीवाल बनाने से क्या होगा? दीवाल तो चीन ने भी बनाई थी। फिर भी उसे मंगोल, हूण, शक, मांचू सभी पराजित करते रहे।
तीसरा राष्ट्र है कैनेडा। संयुक्त राष्ट्र के ऊपर कैनेडा है। यहाँ कुछ फ्रांसीसी लोग हैं, कुछ अंग्रेज हैं और इन्होंने एक राष्ट्र बना लिया। यहां का पूरा इतिहास खंगाल डालिये, कैनेडा नाम नहीं मिलेगा। अस्वाभाविक राष्ट्र है। चौथा राष्ट्र है ब्राजील। यह नाम भी आपको इतिहास में नहीं मिलेगा। उन्नीसवीं शताब्दी तक ब्राजील का कोई अस्तित्व नहीं है। यह संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से भगाए गए कुछेक फ्रांसीसी, अंग्रेज और जर्मन लोगों की रचना है। ये कृत्रिम सीमाएं हैं।
पाँचवां बड़ा राष्ट्र है जिसे हम पहले यूएसएसआर के नाम से जानते रहे हैं सोवियत संघ। उससे टूट कर सोलह राष्ट्र अलग हो गए, अब बचा है रूस। रूस के तीन चौथाई हिस्से के बारे में उसे स्वयं ही उन्नीसवीं शताब्दी तक पता नहीं था। यह हिस्सा था रूस का एशियायी हिस्सा। यह तो प्राचीन काल से भारत का हिस्सा रहा है। साइबेरिया का उच्चारण बदलें तो सिबिरिया होता है यानी शिविर का स्थान। इतालवी लोग स्थानों को स्त्रीलिंग से बुलाते हैं। इसलिए शिविर शिविरिया बन गया जिसे हम आज साईबेरिया कहते हैं। यह रूस का हिस्सा नहीं था। यह हिस्सा रहा है भरतवंशी शकों का, भरतवंशी मंगोलों का। इसे आप नक्शों में आसानी से देख सकते हैं। कब तक रहा है? उन्नीसवीं शताब्दी तक। यह कोई प्राचीन इतिहास नहीं है, जिसे ढूंढना पड़े। यह आधुनिक इतिहास है। फ्रांसीसी क्रांति या पुनर्जागरण के काल के बाद के इतिहास को आधुनिक काल माना जाता है। परंतु यह तो उससे भी कहीं नई घटना है। उन्नीसवीं शताब्दी तक रूस इस इलाके को जानता भी नहीं है। वह स्वयं उसे क्या बतलाता है, इसे देख लीजिए। अ_ारहवीं शताब्दी तक रूस अपनी सीमाएं क्या बता रहा है, देख लीजिए। जैसे हम कहते हैं न कि हमारी सीमाएं गांधार तक रही हैं, रूस अपनी सीमाओं के बारे में क्या कहता है? इसलिए यह भी स्वाभाविक राष्ट्र नहीं है। कृत्रिम देश है। शीघ्र ही अपनी स्वाभाविक सीमाओं में आ जाएगा। इसकी स्वाभाविक सीमाएं क्या हैं? आज के यूक्रेन में एक स्थान है कीव। कीव के उत्तर में एक नदी चलती है। उस नदी के आस-पास का इलाका ही वास्तविक रूस है। और कीव सहित यूक्रेन आज रूस से बाहर है।
पाँच विशाल देशों के बाद अगला देश है चीन। चीन का वर्तमान आकार तो पंडित नेहरू का दिया हुआ है। तिब्बत तो कभी उसका था ही नहीं। जिसे भारत के यूरोपीय चश्मेवाले बुद्धिजीवी पूर्वी तूर्कीस्तान या फिर चीनी तूर्कीस्तान कहते हैं, वह भी उसका नहीं रहा है। इसे भी वर्ष 1949 में जवाहरलाल नेहरू ने चीन के लिए छोड़ दिया। यह तो महाकाल के उपासकों का स्थान रहा है। महाकाल के उपासक रहे महान मंगोल सम्राट कुबलाई खाँ ने चीन को पराजित किया था। चीन में मंगोलिया और मंचूरिया का हिस्सा मिला हुआ है। ये दोनों इलाके साम्यवादी चीन का हिस्सा 1949 के बाद रूस और चीन की सहमति से बने। रूस में लेनिन, स्टालिन जैसे कुछ तानाशाह लोग सत्ता में आ गए थे। उन्हें दुनिया भर में मित्र चाहिए था। कहा जाता है दुनिया भर में परंतु उसका वास्तविक अर्थ होता है यूरेशिया में। शेष चारों महादेश तो गिनती में होते ही नहीं हैं। तो साम्यवादी रूस को केवल एक सहयोगी मिला माओ के नेतृत्व वाला साम्यवादी चीन। साम्यवादी रूस ने मंगोलिया और मंचुरिया को चीन का हिस्सा मान लिया।
दूसरा विश्वयुद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र की रचना हुई जिसमें यूएसएसआर स्थायी सदस्य था। दूसरा स्थायी सदस्य बनने का प्रस्ताव भारत को मिला था, परंतु जवाहरलाल नेहरू ने कूटनीतिक मूर्खता में वह प्रस्ताव चीन को दिलवा दिया। इन दोनों साम्यवादी देशों ने मिल कर बंदरबाँट की। परंतु आज चीन टूट रहा है। तीन हिस्सों में। यह अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट है। मंचुरिया और मंगोलिया, दोनों ही चीन को अपने कब्जे में रखने वाले देश हैं। वर्ष 1914 तक मंचुरिया का गुलाम रहा है। यह तो हमें कहीं पढ़ाया नहीं जाता कि तेरहवीं शताब्दी से लेकर वर्ष 1914 तक चीन भरतवंशी मंगोलों तथा मंचुओं का गुलाम रहा है।
हमने देखा कि 15 अगस्त 1947 के भारत से दुनिया के छह नेशन-स्टेटों का क्षेत्रफल अधिक है और वे छहों अस्वाभाविक राष्ट्र हैं और ये छहों अतिशीघ्र टूट जाएंगे। आज के दिन भी भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा स्वाभाविक राष्ट्र है। हम जानते हैं कि पाकिस्तान और बांग्लादेश का जन्म कैसे हुआ है। अक्सर यह कहा जाता है कि हम पड़ोसी रोज नहीं बदल सकते। परंतु हमने हर रोज पड़ोसी ही तो बदला है। पाकिस्तान हमारा पड़ोसी कब था, वह तो हमारा घर था। हमारा पड़ोसी अफगानिस्तान भी कब था, वह भी हमारा घर ही था। चीन भी आपका पड़ोसी कब था, नेपाल कब था हमारा पड़ोसी? हमने तो घरवालों को ही पड़ोसी बना दिया है।
याद करें कि युद्ध अपराध के कारण संयुक्त राष्ट्र ने ट्रीटी ऑफ वर्साई के कारण जर्मनी के दो हिस्से कर दिए, वह जर्मनी एक हो गया। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत एक हो गया। ऐसे में पाकिस्तान और भारत क्यों एक नहीं हो सकते? भारत का नक्शा देखिए, नीचे पेनिनसुलर भारत है, परंतु ऊपर विराट हिमालय है। अफगानिस्तान तो दुर्योधन का ननिहाल गाँधार ही तो था। शकुनि यहीं का था। और निकट इतिहास में महाराजा रणजीत सिंह का राज्य गाँधार तक था। वर्ष 1905-10 में पंडित दीनदयालू शर्मा काबुल और कांधार में संस्कृत पर भाषण देने जाते हैं, सनातनधर्मरक्षिणी और गौरक्षिणी सभाएं करते हैं। गाँधी जी के जाने पर वायसराय खड़ा नहीं होता, पंरतु पंडित दीनदयालू शर्मा से मिलने के लिए इंग्लैंड का राजा भी खड़ा होता है। वर्ष 1910 में अफगानिस्तान नाम का कोई देश था ही नहीं। वर्ष 1922 में अंग्रेजों ने इसे बनाया रूस और उनके ब्रिटिश इंडिया के बीच बफर स्टेट के रूप में।
महाभारत में राजा युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में ढेर सारे राजा आते हैं। वे राजा जो युधिष्ठिर को कर देते हैं, वे सभी आते हैं। जो प्रदेश भारत के चक्रवर्ती सम्राट को कर देते हैं, वे भारत ही कहलाएंगे न? यह भारत कहाँ से कहाँ तक है? यवन प्रांत जिसे आज ग्रीक कहते हैं। परंतु ग्रीक स्वयं को ग्रीक नहीं कहते। वे स्वयं को एलवंशीय कहते हैं। उनके देश का नाम आज भी ग्रीस नहीं एलेनिक रिपब्लिक है। एलवंश मतलब बुद्ध और इला की संतान। यह भारतीय ग्रंथों में मिल जाएंगे। राजसूय यज्ञ के बाद युद्ध के वर्णन में स्पष्ट वर्णन है कि कौन-कौन सी सेनाएं पांडवों के साथ हैं और कौन-कौन कौरवों के साथ। वहाँ 250 जनपदों का उल्लेख है जिसमें दरद, काम्बोज, गाँधार, यवन, बाह्लीक, शक सभी नाम आते हैं। जिसे आज हम इस्लामिक देश के रूप में जानते हैं, यह पूरा इलाका शिव. ब्रह्मा, दूर्गा का पूजक सनातन धर्मावलम्बी चक्रवर्तीं भारतीय सम्राट के जनपद रहे हैं।
यह एक रोचक सत्य है कि अंग्रेजों को वर्ष 1910 तक पता नहीं था कि अशोक, देवानां पियदासी कौन है? वे महाभारत को नकार देते हैं। यदि हम महाभारत को गलत भी मान लें तो वायुपुराण, विष्णुपुराण, रामायण, कालीदास का रघुवंश, पाणिनी के अष्टाध्यायी आदि में किए गए भारतसंबंधी वर्णनों को देखें। यदि इन भारतीय संदर्भों से हमारी तुष्टि न हो तो फिर एक मुस्लिम लेखक का संदर्भ देखिए। अल बिरुनी का भारत पुस्तक को पढि़ए। अल बिरुनी की पुस्तक में भारत की सीमाओं और लोगों का वर्णन है। इसमें एक वर्णन है कि भारत के लोगों ने चारों दिशाओं में चार नगरों से आकाशीय गणना की है। उसकी आज तो जाँच की जा सकती है। वह कह रहा है कि इन चारों स्थानों पर भारत के लोग रहते हैं। ये चारों स्थान हैं – उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव, और पूरब तथा पश्चिम के शहरों का अक्षांश और देशांतर गणना दी हुई है। अल बिरुनी का कहना है कि ये गणनाएं तभी सही हो सकती हैं, जब आप वहाँ लगातार जा रहे हों।
पिरी राइस का नक्शा दुनिया का एक नक्शा है। यह फटी-पुरानी अवस्था में किसी विद्वान को मिला। उसने उसे देखा। उस नक्शे की विशेषता है कि उसमें दक्षिणी ध्रुव दिखाया गया है। दक्षिणी ध्रुव पर दो किलोमीटर मोटी बर्फ की परत जमी हुई है। वर्ष 1966 में इंग्लैंड और स्वीडेन ने एक सिस्मोलोजिकल सर्वेक्षण किया और उसके आधार पर दक्षिणी ध्रुव का नक्शा बनाया। यह नक्शा पिरी राइस के नक्शे के एकदम समान है। तो प्रश्न उठा कि पिरी राइस का नक्शा इतना पहले कैसे बना? उस विद्वान ने उस नक्शे को अमेरिका के एयर फोर्स के टेक्नीकल डिविजन के स्क्वैड्रन लीडर को भेजा। स्क्वैड्रन लीडर ने उत्तर लिखा कि नक्शा तो सही है, परंतु उस समय जब बर्फ नहीं थी, जब जानने के लिए जो यंत्र और तकनीकी ज्ञान चाहिए, वह नहीं रहा होगा। वह कहता है कि इस दो किलोमीटर की बर्फ की तह जमने में कई दशक लाख वर्ष लगे। यह नक्शा लगभग तबका बना हुआ है। यह उद्धरण मैप्स ऑफ एनशिएंट सी किंग्स के हैं। पिरी राइस तूर्क का डकैत था। तूर्कों को आमतौर पर हम मुसलमान मान लेते हैं। परंतु ध्यान दें कि ग्यारहवीं-बारहवीं शताब्दी तक इसे यूरोप अनातोलिया बोलते थे। तूर्क लोग जब वर्तमान तूर्किस्तान पहुँचे, तब उसका नाम तूर्किस्तान रखा। वे वास्तव में दूर्गा और शिव के उपासक रहे हैं।
पिरी राइस लिख रहा है कि उसने यह नक्शा पुराने नक्शों के आधार पर बनाया है। अमेरिकन नक्शा बनाने वाले विद्वान लिखते हैं कि इस रास्ते पर लगातार समुद्री यात्राएं होती रही हैं। दक्षिणी ध्रुव पर यात्राएं हो रही हैं व्यापारिक और सैन्य कारणों से। अलग-अलग हिमयुगों में नक्शे बनाए गए हैं। इसे बनाने वाले और यात्रा करने वाले वे लोग हैं, जिनके नाम से एक महासागर का नाम ही रख दिया गया है। हिंद महासागर। दूसरे किसी भी देश के नाम पर महासागर का नाम नहीं रखा गया है, क्यों? इस हिंद महासागर में हिंद का तटीय प्रदेश छोटा सा ही है। फिर भी इसका नाम हिंद महासागर इसलिए है कि इसमें भारतीय ऐसे चलते हैं जैसे कनॉट प्लेस में दिल्ली पुलिस और जनता चलती है। इसी प्रकार हिंद महासागर में भारतीय व्यापारी और उनकी रक्षा के लिए चतुर्गिंणी सेना चलती है। चतुर्गिंणी में चौथा अंग कौन है? चार प्रकार की सेना है नौसेना। इसका प्रमाण है अजंता में बड़े-बड़े जहाजों का चित्रण है जिसमें हाथी-घोड़े और हथियार लदे होते हैं। ऐसे ही भित्तिचित्र भारत के उत्तर में स्थित पाँच स्तानों में भी मिले हैं।
इस प्रकार हम पाते हैं कि भारत एक स्वाभाविक राष्ट्र है और अत्यंत विशाल राष्ट्र रहा है। इसके ढेरों प्रमाण मिलते हैं। कुछ प्रमाण यहाँ प्रस्तुत किए गए हैं।
✍🏻प्रो. कुसुमलता केडिया
(लेखिका धर्मपाल शोधपीठ, भोपाल की निदेशक हैं।)

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