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शुक्रवार, 24 जून 2022

वराहमिहिर के अनुसार वृक्ष-वनस्पतियों की निशानदेही से भूमिगत जल की खोज

भारत की जल संस्कृति-16

“वराहमिहिर के अनुसार वृक्ष-वनस्पतियों की निशानदेही से भूमिगत जल की खोज”

लेखक:-डॉ. मोहन चंद तिवारी
प्राचीन काल के कुएं, बावड़ियां, नौले, तालाब, सरोवर आदि जो आज भी सार्वजनिक महत्त्व के जलसंसाधन उपलब्ध हैं, उनमें बारह महीने निरंतर रूप से शुद्ध और स्वादिष्ट जल पाए जाने का मुख्य कारण यह है कि इन जलप्राप्ति के संसाधनों का निर्माण हमारे पूर्वजों ने वराहमिहिर द्वारा अन्वेषित जलान्वेषण की पद्धतियों के अनुसार किया था. वराहमिहिर का पर्यावरणमूलक जलान्वेषण विज्ञान भूगर्भस्थ जल की प्राप्ति हेतु न केवल भारत अपितु विश्वभर में कहीं भी उपयोगी हो सकता है. जैसा कि मैने अपनी पिछली पोस्टों में स्पष्ट किया है कि भारतीय जलविज्ञान, अन्तरिक्षगत मेघविज्ञान वृष्टिविज्ञान के स्वरूप को समझे बिना अधूरा ही है. भारतीय जलवैज्ञानिक वराहमिहिर ने भूमिगत जलस्रोतों को खोजने और वहां कुएं, जलाशय आदि निर्माण करने के लिए वनस्पतियों और भूमिगत जीव-जंतुओं की निशानदेही से जुड़े अनेक सिद्धान्तों और फार्मूलों का भी निरूपण किया है.
वराहमिहिर की ‘बृहत्संहिता’ के ‘दकार्गल’ अध्याय में 86 प्रकार के वृक्षों,विविध प्रकार की वनस्पतियों,नाना प्रकार के जीव-जन्तुओं और अनेक तरह के शिलाखण्डों की निशानदेही करते हुए भूमिगत जलस्रोतों को खोजने के वैज्ञानिक फार्मूले बताए गए हैं. उदाहरण के लिए वराहमिहिर कहते हैं कि यदि जलविहीन प्रदेश में बेंत का वृक्ष दिखाई दे तो उस वृक्ष के पश्चिम दिशा में तीन हाथ पर डेढ पुरुष प्रमाण यानी साढे सात क्यूबिट्स गहराई तक खोदने पर जल प्राप्त होता है. खोदे गए गड्ढे में पीले रंग का मेंढक, पीले रंग की मिट्टी और परतदार पत्थर का निकलना इस जलप्राप्ति के पूर्व संकेत हैं. ये सब लक्षण यह भी प्रमाणित करते हैं कि उस भूखण्ड के गर्भ में पश्चिम दिशा की जलनाड़ी सक्रिय है–
“यदि वेतसोऽम्बुरहिते देशे हस्तैस्त्रिभिस्ततः पश्चात्.

सार्धे पुरुषे तोयं वहति शिरा पश्चिमा तत्र..
चिह्नमपि सार्धपुरुषे मण्डूकः पण्डुरोऽथ मृत्पीता.
पुटभेदकश्च तस्मिन् पाषाणो भवति तोयमधः..”
                         – बृहत्संहिता, 54.6-7

जामुन के वृक्ष की पूर्व दिशा में यदि दीमक की बांबी (वल्मीक) दिखाई दे तो उसके समीप दक्षिण दिशा में दो पुरुष यानी दस क्यूबिट्स के माप का गड्ढा खोदने से स्वादिष्ट जल की प्राप्ति होती है.आधे पुरुष (ढाई क्यूबिट्स) तक गहरा खोदने पर मछली, कबूतर के रंग का काला पत्थर और नीले रंग की मिट्टी मिलेगी. ये पदार्थ वहां भूमिगत जलप्राप्ति के पूर्व लक्षण हैं –

“जम्बूवृक्षस्य प्राग्वल्मीको यदि भवेत्समीपस्थः.
तस्माद्दक्षिणपार्श्वे सलिलं पुरुषद्वये स्वादु..
अर्धपुरुषे च मत्स्यः पारावतसन्निभश्च पाषाणः.
मृद्भवति चात्र नीला दीर्घंकालं बहु च तोयम्..”
                   – बृहत्संहिता, 54.9-10

वराहमिहिर का यह भी मत है कि जिस वृक्ष की शाखा नीचे की ओर झुकी हो और पीली पड़ गई हो तो उस शाखा के नीचे तीन पुरुष यानी 15 क्यूबिट्स खुदाई करने पर जल की प्राप्ति अवश्य होती है –
“वृक्षस्यैका शाखा यदि विनता
भवति पाण्डुरा वा स्यात्.
विज्ञातव्यं शाखातले
जलं त्रिपुरुषं खात्वा..”- बृहत्संहिता,54.55
भूमिगत जल की शिरा किस दिशा में सक्रिय है, यह जानने के लिए भी वराहमिहिर की ‘बृहत्संहिता’ में वृक्षों द्वारा की गई निशानदेही से जुड़े निम्नलिखित फार्मुले आज भी बहुत उपयोगी माने जाते हैं –

1.  आकगूलर के पास दीमक की बांबी (वल्मीक) हो तो बांबी के नीचे सवा तीन पुरुष (सवा सोलह क्यूबिट्स) खोदने पर पश्चिमवाहिनी शिरा निकलती है –
“अर्कोदुम्बरिकायां वल्मीको दृश्यते शिरा तस्मिन्.
पुरुषत्रये सपादे पश्चिमदिक्स्था वहति सा च..”
                       – बृहत्संहिता, 54.19

2. जलरहित क्षेत्र में कपिल वृक्ष से तीन हाथ पूर्व में दक्षिण शिरा बहती है –
“जलपरिहीने देशे वृक्षः कम्पिल्लको यदा दृश्यः..
प्राच्यां हस्तत्रितये वहति शिरा दक्षिणा प्रथमम्..”
                    –बृहत्संहिता,54.21

3. बेल व गूलर के पेड़ जहां इकट्ठे हों तो उनके दक्षिण में तीन हाथ दूर तीन पुरुष (15 क्यूबिट्स ) नीचे जल होता है. और आधा पुरुष (ढाई क्यूबिट्स) खोदने पर काला मेंढक निकलता है –
“बिल्वोदुम्बरयोगे विहायहस्तत्रयं तु याम्येन.
पुरुषैस्त्रिभिरम्बु भवेत् कृष्णोSर्धनरे च मण्डूकः..”
                       -बृहत्संहिता, 54.18

4. जहां पहले नीलकमल सी, फिर कबूतर वर्ण की मिट्टी दिखाई देती है. एक हाथ नीचे मछली निकलती है. उसमें चकोर जैसी दुर्गन्ध होती है तथा वहां पानी थोड़ा और खारा निकलता है –
“मृन्नीलोत्पलवर्णा कापोता चैव दृश्यते तस्मिन्.
हस्तेSजगन्धिमत्स्यो भवति पयोSल्पं च सक्षारम्..”
                      -बृहत्संहिता,54.22
5. बहेड़े (विभीतक) के पेड़ की निशानदेही करते हुए वराहमिहिर का कथन है कि इसके आस-पास ही कहीं दीमक की बांबी (वल्मीक) हो तो उस पेड़ के दो हाथ पूर्व में डेढ़ पुरुष(साढे सात क्यूबिट्स) नीचे जलशिरा होती है –
“आसन्नो वल्मीको दक्षिणपार्श्वे विभीतकस्य यदि.
अध्यर्धे तस्य शिरा पुरुषे ज्ञेया दिशि प्राच्याम्..”
                       -बृहत्संहिता,54.24
6. बहेड़े पेड़ के पश्चिम में बांबी (वल्मीक) हो तो वृक्ष से एक हाथ उत्तर में साढ़े चार पुरुष (साढे बाइस क्यूबिट्स) नीचे जलशिरा होती है –
“तस्यैव पश्चिमायां दिशि वल्मीको यदा भवेद्धस्ते.
तत्रोदग्भवति शिरा चतुर्भिरर्धाधिकैःपुरुषैः..”
-बृहत्संहिता,54.25

आगामी लेख में पढिए- “वराहमिहिर के अनुसार दीमक की बांबी (वल्मीक) से भूमिगत जलान्वेषण”
✍🏻डॉ मोहन चंद तिवारी, हिमान्तर में प्रकाशित आलेख
(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से एसोसिएट प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हैं. एवं विभिन्न पुरस्कार व सम्मानों से सम्मानित हैं. जिनमें 1994 में ‘संस्कृत शिक्षक पुरस्कार’, 1986 में ‘विद्या रत्न सम्मान’ और 1989 में उपराष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा द्वारा ‘आचार्यरत्न देशभूषण सम्मान’ से अलंकृत. साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए हैं और देश के तमाम पत्र—पत्रिकाओं में दर्जनों लेख प्रकाशित.)

गुरुवार, 23 जून 2022

अंतिम श्वास तक वे एक सामान्य नागरिक की तरह, एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी बन कर ही रहे।

94 साल के एक बूढ़े व्यक्ति को मकान मालिक ने किराया न दे पाने पर किराए के मकान से निकाल दिया। 
बूढ़े के पास एक पुराना बिस्तर, कुछ एल्युमीनियम के बर्तन, एक प्लास्टिक की बाल्टी और एक मग आदि के अलावा शायद ही कोई सामान था। बूढ़े ने मालिक से किराया देने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया। पड़ोसियों को भी बूढ़े आदमी पर दया आयी, और उन्होंने मकान मालिक को किराए का भुगतान करने के लिए कुछ समय देने के लिए मना लिया। मकान मालिक ने अनिच्छा से ही उसे किराया देने के लिए कुछ समय दिया।
बूढ़ा अपना सामान अंदर ले गया। 
रास्ते से गुजर रहे एक पत्रकार ने रुक कर यह सारा नजारा देखा। उसने सोचा कि यह मामला उसके समाचार पत्र में प्रकाशित करने के लिए उपयोगी होगा। उसने एक शीर्षक भी सोच लिया, ”क्रूर मकान मालिक, बूढ़े को पैसे के लिए किराए के घर से बाहर निकाल देता है।”
फिर उसने किराएदार बूढ़े की और किराए के घर की कुछ तस्वीरें भी ले लीं। 
पत्रकार ने जाकर अपने प्रेस मालिक को इस घटना के बारे में बताया। प्रेस के मालिक ने तस्वीरों को देखा और हैरान रह गए। उन्होंने पत्रकार से पूछा, कि क्या वह उस बूढ़े आदमी को जानता है?
पत्रकार ने कहा, नहीं। 
अगले दिन अखबार के पहले पन्ने पर बड़ी खबर छपी। शीर्षक था, *”भारत के पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारीलाल नंदा एक दयनीय जीवन जी रहे हैं”।* खबर में आगे लिखा था कि कैसे पूर्व प्रधान मंत्री किराया नहीं दे पा रहे थे और कैसे उन्हें घर से बाहर निकाल दिया गया था। 
टिप्पणी की थी कि आजकल फ्रेशर भी खूब पैसा कमा लेते हैं। जबकि एक व्यक्ति जो दो बार पूर्व प्रधान मंत्री रह चुका है और लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री भी रहा है, उसके पास अपना ख़ुद का घर भी नहीं??
दरअसल गुलजारीलाल नंदा को वह स्वतंत्रता सेनानी होने के कारण रु. 500/- प्रति माह भत्ता मिलता था। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इस पैसे को अस्वीकार किया था, कि उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के भत्ते के लिए स्वतंत्रता की लड़ाई नहीं लड़ी। बाद में दोस्तों ने उसे यह स्वीकार करने के लिए विवश कर दिया यह कहते हुए कि उनके पास जीवन यापन का अन्य कोई स्रोत नहीं है। इसी पैसों से वह अपना किराया देकर गुजारा करते थे।
अगले दिन तत्कालीन प्रधान मंत्री ने मंत्रियों और अधिकारियों को वाहनों के बेड़े के साथ उनके घर भेजा। इतने वीआइपी वाहनों के बेड़े को देखकर मकान मालिक दंग रह गया। तब जाकर उसे पता चला कि उसका किराएदार, श्री गुलजारीलाल नंदा, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री थे। 
मकान मालिक अपने दुर्व्यवहार के लिए तुरंत गुलजारीलाल नंदा के चरणों में झुक गया। 
अधिकारियों और वीआईपीयों ने गुलजारीलाल नंदा से सरकारी आवास और अन्य सुविधाएं को स्वीकार करने का अनुरोध किया। श्री गुलजारीलाल नंदा ने इस बुढ़ापे में ऐसी सुविधाओं का क्या काम, यह कह कर उनके प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।
अंतिम श्वास तक वे एक सामान्य नागरिक की तरह, एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी बन कर ही रहे। 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व एच डी देवगौड़ा के मिलेजुले प्रयासो से उन्हें "भारत रत्न" से सम्मानित किया गया। 
*जरा उनके जीवन की तुलना वर्तमानकाल के किसी मंत्री तो क्या , किसी पार्षद परिवार से ही कर लें !!* 
पुण्यात्मा को सादर नमन्।।

मंगलवार, 21 जून 2022

जोधपुर वुशु टीम ने जीते राज्य स्तरीय वुशु प्रतियोगिता में 11 पदक


 जोधपुर वुशु  टीम ने जीते  राज्य स्तरीय वुशु प्रतियोगिता में 11 पदक
 जोधपुर 20 जून हनुमानगढ़ में आयोजित 16 राज्य स्तरीय सब जूनियर वुशुब प्रतियोगिता में जोधपुर के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 11 पदक जीते जानकारी देते हुए जोधपुर वुशु  संघ के संयुक्त सचिव रामकिशोर शर्मा ने बताया कि जोधपुर के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए तीन स्वर्ण पदक दो रजत पदक एवं आठ कांस्य पदक प्राप्त किए स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी इस प्रकार रहे अलमास अली ,मनीषा भाटी ,पार्थ सेन 

रजत पदक विजेता इस प्रकार रहे गर्विता बाड़ोलिया कनिष्का बडोलिया,
 कांस्य पदक विजेता इस प्रकार रहे 

चित्रांशी चौहान ,अक्षिता शर्मा, वंशिका गोस्वामी, श्वेता सोलंकी ,गायत्री शर्मा, लव ,भागीरथ राम, लव सांखला,
 टीम मैनेजर नक्षत्र जांगिड़ एवं टीम कोच विक्रम सिंह तकनीकी अधिकारी रूप  में रामकिशोर शर्मा ने प्रतियोगिता में सेवाएं दी पदक अर्जित कर जोधपुर आने पर जिला वुशु  संघ के अध्यक्ष सुरेश डोसी,
कोषाध्यक्ष जय किशन जसमतिया, ने खिलाड़ियों का स्वागत किया सभी खिलाड़ी जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय केंद्र पर विनोद आचार्य के नियमित प्रशिक्षु हैं
 

सोमवार, 20 जून 2022

भारत में कुल 36,000 बड़े कत्लखाने हैं जिनके पास सरकार द्वारा जीवों को काटने की अनुज्ञा प्राप्त है।

🚩                *Voice Of Hinduism🔥* 
 
*🚩 चौंकाने वाली रिपोर्ट जिसमें आप जानेंगे कि गोमांस को, रक्त को, हड्डियों को, त्वचा (चमड़े) को, आँत को किन-किन वस्तुओं में प्रयोग किया जाता है।*

*🚩 भारत में कुल 36,000 बड़े कत्लखाने हैं जिनके पास सरकार द्वारा जीवों को काटने की अनुज्ञा प्राप्त है। इसके अलावा 36,000 से अधिक छोटे-मोटे कत्लखाने हैं जो गैर कानूनी ढंग से चल रहे हैं! कोई कुछ पूछने वाला नहीं। हर साल 5 करोड़ निर्दोष जीवों का कत्ल किया जाता है! जिसमें गौ, भैंस, सूअर, बकरा, बकरी, ऊँट आदि शामिल हैं। मुर्गियाँ कितनी काटी जाती हैं इसका तो कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।*

*🚩 गाय का कत्ल होने के बाद मांस उत्पन्न होता है और मांसाहारी लोग उसे भरपूर खाते हैं। भारत के 40% लोग मांसाहारी हैं जो रोज मांस खाते हैं और सब तरह का मांस खाते हैं। मांस के अलावा दूसरी जो चीज प्राप्त की जाती है वो है तेल। उसे tellow कहते हैं। जैसे गाय के मांस से जो तेल निकलता है उसे beef tellow और सूअर की मांस से जो तेल निकलता है उसे pork tellow कहते हैं।*

*🚩 इस तेल का सबसे अधिक उपयोग चेहरे में लगाने वाली क्रीम बनाने में होता है जैसे Fair & Lovely, Ponds, Emami इत्यादि। ये तेल क्रीम बनाने वाली कंपनियों द्वारा खरीदा जाता है। जैसा कि आप जानते हैं मद्रास उच्च न्यायालय में राजीव दीक्षितजी ने विदेशी कंपनी फेयर एंड लवली के विरूद्ध केस जीता था। जिसके बाद कंपनी ने स्वीकारा था कि हम इस फेयर एंड लवली में सूअर की चर्बी का तेल व गाय की चर्बी का तेल भी मिलाते हैं।*

*🚩 इस प्रकार कत्लखानों में मांस और तेल के बाद जीवों का खून निकाला जाता है। कसाई गाय को पहले उल्टा रस्सी से टांग देते हैं फिर तेज धार वाले चाकू से उनकी गर्दन पर वार किया जाता है और एक दम से खून बहने लगता है। उनके नीचे एक ड्रम रखा होता है जिसमें खून इकट्ठा किया जाता है।*

*🚩 खून का सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है अँग्रेजी दवा (एलोपेथी दवा)को बनाने में। गाय के शरीर से निकाला हुआ खून, बैल, बछड़ा, बछड़ी के शरीर से निकाला हुआ खून, मछ्ली के शरीर से निकाला हुआ खून से जो एक दवा बनाई जाती है उसका नाम है dexorange । यह बहुत ही प्रसिद्ध दवा है और डाक्टर इसको खून की कमी के लिए महिलाओं को लिखते हैं खासकर जब वो गर्भावस्था में होती हैं क्योंकि तब महिलाओं में खून की कमी आ जाती है। डाॅक्टर उनको गाय के खून से बनी दवा लिखते हैं क्योंकि उनको दवा कंपनियों से बहुत भारी कमीशन की कमाई जो करनी होती है।*

*🚩 इसके अलावा रक्त का प्रयोग बहुत बड़े पैमाने पर लिपस्टिक बनाने मे होता है। रक्त का प्रयोग चाय बनाने में बहुत सी कंपनियाँ करती हैं। अब चाय तो पोधे से प्राप्त होती है और चाय के पोधे का आकार उतना ही होता है जितना गेहूँ के पोधे का होता है। उसमें पत्तियां होती है, उनको तोड़ा जाता है और फिर उसे सुखाते हैं तो पत्तियों को सुखाकर पैकेट मे बंद कर विदेशों में भेजा जाता है।*

*🚩 पत्तियों का भाग जो नीचे टूट कर गिरता है उसे डेंटरल कहते हैं। वह उसका अन्तिम हिस्सा होता है। लेकिन ये चाय नहीं है। चाय तो वो ऊपर की पत्ती है। तो फिर क्या करते हैं इसको चाय जैसा बनाया जाता है। अगर हम उस निचले हिस्से को सुखा कर पानी में डालें तो चाय जैसा रंग नहीं आता। तो ये विदेशी कपनियां brookbond, lipton, आदि क्या करती हैं गाय के शरीर से निकला हुआ खून को इसमें मिलाकर सुखाकर डिब्बे में बंद कर बेचती हैं। तकनीकी भाषा मे इसे tea dust कहते हैं। तो tea dust को जो चाय बनाकर बेचने के लिए काॅफी कंपनियाँ गोवंश के खून का प्रयोग करती हैं। इसके अलावा कुछ कंपनियाँ nail polish बनाने में प्रयोग करती हैं।*

*🚩 मांस, तेल ,खून के बाद कत्लखानों मे जीवों की हड्डियाँ निकलती हैं और इसका प्रयोग toothpaste बनाने वाली कंपनियाँ करती हैं। Colgate, Close up, Pepsodent, आदि। सबसे पहले जीवों की हड्डियों को इकट्ठा किया जाता है। उसे सुखाया जाता है फिर एक मशीन है bone crusher, इसमें हड्डियों को डालकर इसका पाउडर बनाया जाता है और कंपनियों को बेचा जाता है। shaving cream बनाने वाली कई कंपनियाँ भी इसका प्रयोग करती हैं।*

*🚩 इन हड्डियों का talcum powder बनाने में भी प्रयोग होता है। क्योंकि ये काफी सस्ता पड़ता है। वैसे टेल्कम powder पत्थर से बनता है और 60 से 70 रुपए किलो मिलता है और गाय की हड्डियों का चूर्ण (powder) 25 से 30 रुपए मिल जाता है। इसलिए कंपनियाँ धड़ल्ले से हड्डियों का प्रयोग करती हैं।* 

*🚩 गाय की जो त्वचा (चमड़ी) है उसका सबसे अधिक प्रयोग cricket ball व football बनाने में किया जाता है। लाल रंग की गेंद होती है। आजकल सफ़ेद रंग में भी आती है। जो गाय की चमड़ी से बनाई जाती है। गाय के बछड़े की चमड़ी का प्रयोग गेंदों के निर्माण में अधिक होता है।*

*🚩 जूते और चप्पल बनाने में इस चमड़े का बहुत प्रयोग हो रहा है। अगर आप बाजार से कोई ऐसा जूता-चप्पल खरीदते हैं, जो चमड़े का है और बहुत ही कोमल (soft) है तो वो 100% गाय के बछड़े के चमड़े का बना है। अगर कठोर (hard) है तो ऊंट और घोड़े के चमड़े का है। इसके अलावा चमड़े के प्रयोग जैकेट, पर्स, वाॅलेट और बेल्ट में भी होता है। इसके अलावा आजकल सजावट के समान में इन का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार गाय और अन्य जीवों आदि का कत्ल होता है तो 5 वस्तुएँ निकलती हैं।*

*1) माँस निकला:- जो माँसाहारी लोग खाते हैं।*

*2) चर्बी का तेल:- जो काॅस्मेटिक्स बनाने मे प्रयोग होता है।*

*3) खून निकाला:- जो अँग्रेजी एलोपेथी दवाईयाँ, चाय, नेल पाॅलिश, लिपस्टिक बनाने में प्रयोग होता है।*

*4)हड्डियाँ निकली:-  इसका प्रयोग टूथपेस्ट, टूथ पाऊडर, टैलकम पाऊडर, शेविंग क्रीम में होता है।*

*5) चमड़ा निकला:-  इसका प्रयोग क्रिकेट बाॅल, फुट बाॅल, जूते, चप्पल, बैग, बेल्ट, जैकेट, वाॅलेट में होता है।* 

*🚩 इसके अलावा गाय के शरीर के अंदर के कुछ भाग हैं, उनका भी बहुत प्रयोग होता है। जैसे गाय में बड़ी आँत होती है, जैसे हमारे शरीर मे होती है। तो जब गाय को काटा जाता है तो बड़ी आँत अलग से निकाली जाती है और इसको पीस कर के जिलेटिन (gelatin) बनाई जाती है।*

*🚩 इस जिलेटिन का अधिक प्रयोग आइसक्रीम, चाॅकलेट आदि इसके अलावा मैगी, पीज़ा, बर्गर, हाॅट डाॅग, चाऊमीन के base material बनाने में भरपूर होता है। एक जैली (jelly) आती लाल, नारंगी रंग की, उसमें जिलेटिन का बहुत प्रयोग होता है। chewing gum तो जिलेटिन के बिना बन ही नहीं सकती। जिलेटिन बनाने के गूगल पर आप काफी लिंक देख सकते हैं। मैगी, चाॅकलेट वाली कंपनियाँ सबसे ज्यादा धोखा दे रही हैं। आजकल जिलेटिन का ऊपयोग साबूदाना में होने लगा है जो हम उपवास में खाते हैं।*

*🚩 यदि जो भी इन वस्तुओं को प्रयोग करते हैं, जिनके कारण गौवंश को काटा जाता है तो वे भी उतने ही पाप के भागीदार माने जाएंगे जितना कि उनको मारने वाला कसाई। अगली बार इन पापमयी वस्तुओं को खरीदने से पहले इनके निर्दोष विकल्प का चयन अवश्य करेंगे।*


अग्निवीर योजना मोदी का मास्टर स्ट्रोक नही, महा मास्टर स्ट्रोक है।

*अग्निवीर योजना*

*ये मोदी का मास्टर स्ट्रोक नही, महा मास्टर स्ट्रोक है।*
अभी वामपंथी और देश विरोधी ताकते इसको समझ ही नही पाए जब समझ जायेंगे तो इसका विरोध भी करेंगे।
एक तरफ विरोध होगा तो दूसरी तरफ इसमें 100% हिन्दू इस योजना के समर्थन में भी हो जाएंगे और भारत और भारत का हिन्दू 2035 तक आंतरिक और बाहरी दोनों मोर्चो पर ताकतवर हो जाएगा।

*शायद कुछ लोग अब भी नही समझे होंगे कि ये महा मास्टरस्ट्रोक कैसे है*👇👇
समझिए......
2023-2035 तक अग्निवीरो के अनेक जत्थे सेना से वापस अपने स्थानीय जगहों पर अपनी चार-चार साल की सेवा देकर आ जायेंगे, मतलब लगभग 10 लाख रिटायर अग्निवीर पूरे भारत मे फैल जायेंगे जिससे उनके परिजन ही नही अपितु पड़ोसी स्वजनों में भी उत्साहित गौरांवित होंगे उन सभी में एक अनोखे उत्साह और ऊर्जा का संचरण होगा उनके हौसले बुलंद होंगे हिंदुओ में नई ताकत पैदा होगी । अग्निवीर सेना से अस्त्र,सस्त्र में पारंगत है अतः उनको निजी हतियारो का लाइसेंस आसानी से मिल जाएगा। 
अब इसमें हिन्दुओ के काम की क्या बात है 👇👇
मान लो आपके मोहहले में अचानक जेहादियों की भीड़ आ गयी और आपके मोहहले में 2-4 रिटायर अग्निवीर है तो जाहिर है उनके पास लाइसेंससुदा निजी हतियार भी होंगे,आत्म रक्षा में वो उनको चलाएंगे भी, इस प्रकार इन अग्निवीरो से पूरा हिन्दू मोहहला सुरक्षित हो जाएगा।
हिन्दुओ मोदी ने आपके लिए वो सोचा है जिसकी आपको कल्पना भी नही थी। इस प्रकार भारत मे इन जेहादियों का मंसूबा गजवाये हिन्द कभी पूरा नही होगा। 

अग्निवीर योजना से भारत और सनातन अजेय बनेगा।

कृपया सभी हिन्दू इसका पुरजोर समर्थन करे और युवाओं को आगे लाये। 17 साल से 21, तक जोशीले युवा इसके भागीदार बने वैसे भी आजकल आप जानते ही है नॉर्मल सरकारी नौकरी लगने में 25-30 साल की उम्र हो जाती ही है, 21 साल बाद आकर भी आप दूसरी सरकारी नौकरी कर सकते हो।

## *अग्निवीर-जोशीला,जांबाज़*


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वंदे मातरम

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