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बुधवार, 20 जुलाई 2022

अमेरिका में एक लीटर गंगाजल 250 डालर में क्यों मिलता है ?

*गंगा जल*
अमेरिका में एक लीटर गंगाजल 250 डालर में क्यों मिलता है ? सर्दी के मौसम में कई बार खांसी हो जाती है। जब डॉक्टर से खांसी ठीक नही हुई तो किसी ने बताया कि डाक्टर से खांसी ठीक नहीं होती तब गंगाजल पिलाना चाहिए।
गंगाजल तो मरते हुए व्यक्ति के मुंह में डाला जाता है, हमने तो ऐसा सुना है ; तो डॉक्टर साहिब बोले- नहीं ! कई रोगों का इलाज भी है। दिन में तीन बार दो-दो चम्मच गंगाजल पिया और तीन दिन में खांसी ठीक हो गई। यह अनुभव है, हम इसे गंगाजल का चमत्कार नहीं मानते, उसके औषधीय गुणों का प्रमाण मानते हैं।
कई इतिहासकार बताते हैं कि सम्राट अकबर स्वयं तो गंगा जल का सेवन करता ही था, मेहमानों को भी गंगा जल पिलाता था। इतिहासकार लिखते हैं कि अंग्रेज जब कलकत्ता से वापस इंग्लैंड जाते थे, तो पीने के लिए जहाज में गंगा का पानी ले जाते थे, क्योंकि वह सड़ता नहीं था। इसके विपरीत अंग्रेज जो पानी अपने देश से लाते थे वह रास्ते में ही सड़ जाता था।

करीब सवा सौ साल पहले आगरा में तैनात ब्रिटिश डाक्टर एमई हॉकिन ने वैज्ञानिक परीक्षण से सिद्ध किया था कि हैजे का बैक्टीरिया गंगा के पानी में डालने पर कुछ ही देर में मर गया। दिलचस्प ये है कि इस समय वैज्ञानिक भी पाते हैं कि गंगा में बैक्टीरिया को मारने की गजब की क्षमता है। लखनऊ के नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट एनबीआरआई के निदेशक डॉक्टर चंद्र शेखर नौटियाल ने एक अनुसंधान में प्रमाणित किया है कि गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई-कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है। डॉ नौटियाल का इस विषय में कहना है कि गंगा जल में यह शक्ति गंगोत्री और हिमालय से आती है। 

गंगा जब हिमालय से आती है तो कई तरह की मिट्टी, कई तरह के खनिज, कई तरह की जड़ी बूटियों से मिलती मिलाती है। कुल मिलाकर कुछ ऐसा मिश्रण बनता है- जिसे हम अभी तक नहीं समझ पाए हैं। डॉक्टर नौटियाल ने परीक्षण के लिए तीन तरह का गंगा जल लिया था। उन्होंने तीनों तरह के गंगा जल में ई-कोलाई बैक्टीरिया डाला। नौटियाल ने पाया कि ताजे गंगा पानी में बैक्टीरिया तीन दिन जीवित रहा, आठ दिन पुराने पानी में एक हफ्ते और सोलह साल पुराने पानी में 15 दिन। यानी तीनों तरह के गंगा जल में ई-कोलाई बैक्टीरिया जीवित नहीं रह पाया।

वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियोफाज वायरस होते हैं। ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं। मगर सबसे महत्वपूर्ण सवाल इस बात की पहचान करना है कि गंगा के पानी में रोगाणुओं को मारने की यह अद्भुत क्षमता कहाँ से आती है?

दूसरी ओर एक लंबे अरसे से गंगा पर शोध करने वाले आईआईटी रुड़की में पर्यावरण विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफेसर देवेंद्र स्वरुप भार्गव का कहना है कि गंगा को साफ रखने वाला यह तत्व गंगा की तलहटी में ही सब जगह मौजूद है। डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है। भार्गव का कहना है कि दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली गंदगी को हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है।

गंगा *माता* इसलिए है कि गंगाजल अमृत है, जब तक अंग्रेज किसी बात को प्रमाणित नहीं करते तब तक भारतीय लोग सत्य नहीं मानते। भारतीय लोग हमारे सनातन ग्रन्थों में लिखी किसी भी बात को तब तक सत्य नहीं मानेंगे जब तक कि कोई विदेशी वैज्ञानिक या विदेशी संस्था उस बात की सत्यता की पुष्टि नहीं कर दे। इसलिए इस आलेख के वैज्ञानिकों के 
वक्तव्य BBC बीबीसी हिन्दी सेवा से साभार लिये गये हैं...
*हर हर गंगे...🙏🏻🙏🏻

सोमवार, 18 जुलाई 2022

मेरी इस मजदूरी का हिसाब भगवान् रखते हैं।

*कर्म का हिसाब... ✍🏻*
*°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°*
 

 
*नोएडा अस्पताल में एक कोरोना पेशेंट का केस आया। मरीज बेहद सीरियस था।*

*एक मरीज डिस्चार्ज हुआ उसके स्थान पर एडमिट किया गया, अस्पताल के मालिक डॉक्टर शर्मा जी ने तत्काल खुद जाकर आईसीयू में केस की जांच की, आक्सीजन लगवाई गई जब डॉक्टर साहब बाहर आये अपने स्टाफ को कहा कि इस व्यक्ति को किसी प्रकार की कमी या तकलीफ ना हो और उससे एडवांस पैसे भी न लेवें।।* 

*मरीज तकरीबन 15 दिन तक अस्पताल में रहा। जब बिल्कुल ठीक हो गया रिपोर्ट नेगेटिव आई उसको डिस्चार्ज करने का दिन आया तो उस मरीज का तकरीबन ढाई लाख रुपये का बिल अस्पताल के मालिक और डॉक्टर की टेबल पर आया।*

*डॉक्टर ने अपने अकाउंट मैनेजर को बुला करके कहा... इस व्यक्ति से एक पैसा भी नहीं लेना है। ऐसा करो तुम उस मरीज को लेकर मेरे चेंबर में ले आओ।* 

*मरीज व्हीलचेयर पर चेंबर में लाया गया। डॉक्टर ने मरीज से पूछा - "भाई ! क्या आप मुझे पहचानते हो ?"*

*मरीज ने कहा लगता तो है कि मैंने आपको कहीं देखा है।*

*डॉक्टर ने कहा, याद करो, लगभग दो साल पहले शाम के 6-7 बजे ग्रेटर नोएडा के आगे जंगल में तुमने एक गाड़ी ठीक की थी। उस रोज मैं परिवार सहित वृन्दावन से बांके बिहारी जी का दर्शन करके लौट रहा था कि अचानक कार में से धुआं निकलने लगा और गाड़ी बंद हो गई।*

*कार एक तरफ खड़ी कर मैंने चालू करने की कोशिश की, परंतु कार चालू नहीं हुई। अंधेरा थोड़ा-थोड़ा घिरने लगा था। चारों और जंगल और सुनसान था। परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर चिंता और भय की लकीरें दिखने लगी थी और सब ठाकुर जी से प्रार्थना कर रहे थे कि कोई मदद मिल जाए।*

*थोड़ी ही देर में कृपा कर दी मेरे बांके बिहारी ने या यूं कहूँ चमत्कार कर दिया। बाइक के ऊपर तुम आते दिखाई पड़े। हम सब ने दया की नजर से हाथ ऊंचा करके तुमको रुकने का इशारा किया।*

*तुमने बाईक खड़ी कर के हमारी परेशानी का कारण पूछा। तुमने कार का बोनट खोलकर चेक किया और कुछ ही क्षणों में कार चालू कर दी।*

*हम सबके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। हम सभी को ऐसा लगा कि जैसे भगवान ने आपको हमारे पास भेजा है*

*क्योंकि उस सुनसान जंगल में हम में से किसी के भी फोन में सिग्नल नहीं आ रहे थे या क्या कारण था किसी का नम्बर नहीं मिल रहा था ना ही नेट चल रहा था बच्चे साथ थे उनकी चिंता ज्यादा थी तुमने मुझे बताया था कि तुम यहीं पास में गैराज चलाते हो।*

*मैंने आपका आभार जताते हुए कहा था कि रुपए पास होते हुए भी ऐसी मुश्किल समय में मदद नहीं मिलती।*

*तुमने ऐसे कठिन समय में हमारी मदद की, इस मदद की कोई कीमत नहीं है, यह अमूल्य है परंतु फिर भी मैं पूछना चाहता हूँ कि आपको कितने पैसे दूं ?*

*उस समय तुमने मेरे आगे हाथ जोड़कर जो शब्द कहे थे, वह शब्द मेरे जीवन की प्रेरणा बन गये हैं तुमने कहा था कि मेरा नियम और सिद्धांत है कि मैं मुश्किल में पड़े व्यक्ति की मदद के बदले कभी कुछ नहीं लेता।*

*मेरी इस मजदूरी का हिसाब भगवान् रखते हैं।*

*उसी दिन मैंने सोचा कि जब एक सामान्य आय का व्यक्ति इस प्रकार के उच्च विचार रख सकता है, और उनका संकल्प पूर्वक पालन कर सकता है, तो मैं क्यों नहीं कर सकता। और मैंने भी अपने जीवन में यही संकल्प ले लिया है। दो साल हो गए है, मुझे कभी कोई कमी नहीं पड़ी, अपेक्षा पहले से भी अधिक मिल रहा है।*

*यह अस्पताल मेरा है। तुम यहां मेरे मेहमान हो और तुम्हारे ही बताए हुए नियम के अनुसार मैं तुमसे कुछ भी नहीं ले सकता।*

*ये तो भगवान् की कृपा है कि उसने मुझे ऐसी प्रेरणा देने वाले व्यक्ति की सेवा करने का मौका मुझे दिया। "ऊपर वाले ने तुम्हारी नमजदूरी का हिसाब रखा और वो हिसाब आज उसने चुका दिया। मेरी मजदूरी का हिसाब भी ऊपर ननवाला रखेगा और कभी जब मुझे जरूरत होगी, वो जरूर चुका देगा।*

*डॉक्टर ने मरीज से कहा... तुम आराम से घर जाओ, और कभी भी कोई तकलीफ हो तो बिना संकोच के मेरे पास आ सकते हो। मरीज ने जाते हुए चेंबर में रखी भगवान् कृष्ण की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर कहा कि... हे प्रभु ! आपने आज मेरे कर्म का पूरा हिसाब ब्याज सहित चुका दिया।*

*सदैव याद रखें कि आपके द्वारा किये गए कर्म आपके पास लौट कर आते है और वो भी ब्याज समेत।*

*जितना हो सकता है लोगों की मदद करें। आपका हिसाब ब्याज समेत वापस आएगा...!!*
             
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शुक्रवार, 15 जुलाई 2022

अस्थिसंहार को आयुर्वेद में औषधि के रुप में सबसे ज्यादा प्रयोग हड्डियों को जोड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है



Asthisanhar: बेहद गुणकारी है अस्थिसंहार –
अस्थिसंहार का परिचय (Introduction of Asthisanhar)

अस्थिसंहार नाम से ही यह स्पष्ट हो जाता है यह हड्डियों से संबंधित नाम हैं क्योंकि अस्थि का मतलब हड्डी होता है। अस्थिसंहार को हिन्दी में हड्डीजोड़ कहते हैं। अस्थिसंहार को आयुर्वेद में औषधि के रुप में सबसे ज्यादा प्रयोग हड्डियों को जोड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा भी अस्थिसंहार पेट संबंधी समस्या, पाइल्स, ल्यूकोरिया, मोच, अल्सर आदि रोगों के उपचार में भी काम आता है। आगे अस्थिसंहार किन-किन बीमारियों में फायदेमंद है इसके बारे में विचार करने के पहले उसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

अस्थिसंहार क्या है? (What is Asthisanhar in Hindi)

आयुर्वेद में और स्थानीय लोगों में भी अस्थिजोड़ चूर्ण का प्रयोग टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिये करते हैं। इसकी लगभग 8 मी तक लम्बी आरोही पर्णपाती लता होती है। जो देखने में चतुष्कोणीय तथा अस्थि शृंखला जैसी प्रतीत होती है, पुराने तने पत्रविहीन होते हैं। इसका प्रयोग अस्थि संबंधी बीमारियों के चिकित्सा में किया जाता है।

अस्थिसंहार प्रकृति से मधुर, कड़वा, तीखा, गर्म, लघु, गुरु, रूखी, कफवातशामक, पाचक और  शक्तिवर्द्धक होता है।

अस्थिसंहार कृमि, अर्श या पाइल्स, नेत्ररोग, अपस्मार या मिरगी, घाव या अल्सर, आध्मान या पाचन तथा दर्दनाशक होता है।

अस्थिसंहार के पौधे से प्राप्त ग्लूकोसाइड हृदयपेशी पर नकारात्मक (नेगेटिव) क्रोनोट्रापिक (Chronotropic) प्रभाव डालता है। यह परखनलीय परीक्षण में अस्थिजनन क्रियाशीलता (Osteogenic activities) दिखाता है।

अन्य भाषाओं में अस्थिसंहार के नाम (Names of Asthisanhar in different languages)
अस्थिसंहार का वानास्पतिक नाम Cissus quadrangularis Linn. (सीस्सुस क्वॉड्रंगुलारिस्) Syn-Vitis quadrangularis (Linn.) Wall. ex. Wight है। अस्थिजोड़ Vitaceae (वाइटेसी) कुल का है। अस्थिजोड़ को अंग्रेजी में Bone setter (बोन सेटर) कहते हैं। भारत के विभिन्न प्रांतों में अस्थिसंहार को भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है।

Asthisanhar in-
Sanskrit-ग्रन्थिमान्, अस्थिसंहार, वज्राङ्गी, अस्थिश्रृंखला, चतुर्धारा;

Hindi-हड़जोड़, हड़संघारी, हड़जोड़ी, हड़जोरवा;

Oriya-हडोजोडा (Hadojoda);

Urdu-हरजोरा (Harjora);

Assamese–हरजोरा (Harjora);

Kannada–मंगरोली (Mangaroli), मंगरवल्ली (Mangaravalli);

Gujrati- चौधरी (Choudhari),  हारसाँकल (Harsankal);

Tamil-अरुगानी (Arugani), इन्दीरावल्ली (Indiravalli), वज्रवल्ली (Vajravalli);

Telugu-वज्रवल्ली (Vajravalli), नाल्लेरु (Nalleru), नुललेरोतिगे (Nullerotige);

Bengali-हाड़भांगा (Harbhanga), हरजोर (Harjora);

Marathi-कांडबेल (Kandavela), त्रीधारी (Tridhari), चौधरी (Chaudhari);

Malayalam–बननालमपरान्ता (Bannalamparanta), चांग्लम परांदा (Changalam paranda)।

English-एडिबल स्टेमड वाइन (Edible stemmed vine), वेल्ड ग्रेप (Veld grape), विंग्ड ट्री वाइन (Winged tree vine);

Persian-हर (Har)।

अस्थिसंहार के फायदे (Hadjod Benefits and Uses in Hindi)

अब तक हड़जोड़ के बारे में बात कर रहे थे चलिये जानते हैं कि अस्थिसंहार  हड्डियों के अलावा किन-किन बीमारियों में और कैसे काम करता है।

तमक श्वास में हड़जोड़ का प्रयोग (Hadjod Uses in Bronchial asthma in Hindi)

ब्रोंकियल अस्थमा में हड़जोड़ का औषधीय गुण लाभकारी साबित हो सकता है। 5-10 मिली हड़जोड़ रस को गुनगुना कर पिलाने से तमक श्वास में लाभ होता है।

पेट संबंधी समस्या में फायदेमंद हड़जोड़ (Hadjod Benefits in Stomach related Problems in Hindi)

अक्सर मसालेदार खाना खाने या असमय खाना खाने से पेट में  समस्याएं होने लगती है। हड़जोड़ का औषधीय गुण घरेलू इलाज में बहुत काम आता है। 5-10 मिली हड़जोड़ पत्ते के रस में मधु मिलाकर पिलाने से पाचन क्रिया ठीक होती है तथा उदर संबंधित समस्याओं से आराम मिलता है।

अर्श या पाइल्स से दिलाये राहत हड़जोड़ (Hadjod Beneficial in Piles in Hindi)

अगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने के आदि है तो पाइल्स के बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। उसमें  हड़जोड़ का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है।

उपदंश (जेनिटल पार्ट्स में घाव) में हड़जोड़ के फायदे (Uses of Hadjod in Chancre in Hindi)

उपदंश मतलब जननांग यानि जेनिटल पार्ट्स में घाव जैसा हो जाता है, लेकिन इस घाव में दर्द नहीं होता है। एक भाग तालमखाना, 1/2 भाग अस्थिसंहार, 1/4 भाग दालचीनी तथा 2 भाग शर्करा के चूर्ण को 14 दिनों तक दूध के के साथ सुबह शाम सेवन करने से उपदंश में लाभ होता है। (इस अवधि में तेल, अम्ल या एसिडिक फूड तथा नमक रहित आहार लेना चाहिए।) इसके अलावा हड़जोड़ तने के रस का लेप करने तथा तने के रस का सेवन करने से उपदंश आदि रतिज रोगों में लाभ होता है।


डिलीवरी के बाद के दर्द से दिलाये राहत हड़जोड़ (Hadjod Beneficial in Post Delivery Pain in Hindi)

हड़जोड़ के तना एवं पत्तों को पीसकर लेप करने से डिलीवरी के दर्द से आराम मिलता है।

प्रदर या ल्यूकोरिया में  हड़जोड़ के फायदे (Hadjod Benefits in Leukorrhea in Hindi)

महिलाओं को अक्सर योनि से सफेद पानी निकलने की समस्या होती है। सफेद पानी का स्राव अत्यधिक होने पर कमजोरी भी हो जाती है। इससे राहत पाने में हड़जोड़ का सेवन फायदेमंद होता है। 5-10 मिली हड़जोड़ काण्ड रस का सेवन करने से अनियमित आर्तवस्राव तथा श्वेतप्रदर या सफेद पानी में लाभ होता है।

गठिया के दर्द से दिलाये राहत हड़जोड़ (Benefits of Hadjod to Get Relief from Gout in Hindi)

अक्सर उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द होने की परेशानी शुरू हो जाती है लेकिन हड़जोड़ का सेवन करने से इससे आराम मिलता है। एक भाग छिलका रहित तना तथा आधा भाग उड़द की दाल को पीस कर, तिल तेल में छान कर, वटिका बनाकर सेवन करने से वातरोगों में लाभकारी होता है। 15 दिनों तक अस्थिसंहार का व्यंजन आदि के रूप में सेवन करने से अस्थिभंग या हड्डियों के टूटने में शीघ्र लाभ होता है तथा तीव्र वात के बीमारियों में लाभ मिलता है।


हड्डियों को जोड़ने में फायदेमंद हड़जोड़ (Hadjod Benefits in Bone Fracture in Hindi)

हड्डियों को जोड़ने में हड़जोड़ बहुत ही लाभकारी होता है लेकिन इसके इस्तेमाल करने का  तरीका सही होना चाहिए।

-भग्न अस्थि या संधि पर हड़जोड काण्ड कल्क का लेप करने से शीघ्र भग्न संधान होता है।

-10-15 मिली हड़जोड़ स्वरस को घी में मिलाकर पीने से तथा भग्न स्थान पर इसके कल्क में अलसी तैल मिलाकर बांधने से भग्न अस्थि का संधान होता है।

-2-5 ग्राम हड़जोड़ मूल चूर्ण को दुग्ध के साथ पिलाने से भी टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है।

रीढ़ की हड्डी के दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद हड़जोड़ (Benefits of Hadjod to Get Relief from Backpain in Hindi)

अगर रीढ़ की हड्डी के दर्द से परेशान हैं तो हड़जोड़ का औषधीय गुण बहुत फायदेमंद तरीके से काम करता है। हड़जोड़ के पत्तों को गर्म करके सिंकाई करने से दर्द कम होता है।

मोच का दर्द करे कम हड़जोड़ (Hadjod Beneficial in Cramps in Hindi)

अगर मोच आने पर दर्द कम नहीं हो रहा तो हड़जोड़ का घरेलू उपाय बहुत ही लाभकारी होता है। हड़जोड़ स्वरस में तिल तैल मिलाकर, पकाकर, छानकर लगाने से मोच तथा वेदना में लाभ होता है।

व्रण या घाव में फायदेमंद हड़जोड़ (Hadjod Benefits in Ulcer in Hindi)

कभी-कभी अल्सर का घाव सूखने में बहुत देर लगता है या फिर सूखने पर पास ही दूसरा घाव निकल आता है, ऐसे में हड़जोड़ का प्रयोग बहुत ही फायदेमंद होता है। जले हुए घाव अथवा कीट के काटने पर हुए घाव में हड़जोड जड़ के रस का लेप लाभप्रद होता है।

ब्लीडिंग करे कम हड़जोड़ (Benefits of Hadjod in Bleeding in Hindi)

अगर कटने या छिलने पर ब्लीडिंग कम नहीं हो रहा है तो हड़जोड़ का प्रयोग लाभकारी होता है। हड़जोड़ स्वरस को लगाने से क्षतजन्य रक्तस्राव का स्तम्भन होता है। इसके अलावा 2-4 मिली तने और जड़ के रस को पीने से शीताद, दंत से रक्तस्राव, नासिका से रक्तस्राव तथा रक्तार्श या बवासीर में खून आना आदि में काम आता है।


पूरे शरीर में दर्द से दिलाये आराम हड़जोड़ (Hadjod Benefits in Pain in Hindi)

सोंठ, काली मिर्च तथा अस्थिसंहार प्ररोह पेस्ट (1-2 ग्राम) का सेवन करने से सर्वांग शूल या दर्द से राहत मिलती है।

अस्थिसंहार का उपयोगी भाग (Useful Parts of Hadjod)

आयुर्वेद में हड़जोड़ के तना, पत्र तथा जड़ का औषधि के रुप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।

अस्थिसंहार का इस्तेमाल कैसे किया जाता है? (How to Use Hadjod in Hindi?)

बीमारी के लिए हड़जोड़ के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए हड़जोड़ का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।चिकित्सक के परामर्शानुसार-

-2-4 मिली तने जड़ का रस

-1-2 ग्राम पेस्ट

-5-10 मिली पत्ते का रस

अस्थिसंहार कहां पाया और उपजाया जाता है? (Where Hadjod is Found and Grown in Hindi?)

समस्त भारत के उष्ण प्रदेशों तथा पश्चिमी हिमालय में उत्तराखण्ड से लेकर पश्चिमी घाट के वनों तक यह पाया जाता है।

शाकाहारियों के आहार के साथ हो रहा है छल।

🚩 *Voice Of Hinduism🔥* 
 
*🚩 शाकाहारियों के आहार के साथ हो रहा है छल।*


*🚩 जिलेटिन*
 *कसाईखानों से प्राप्त जानवरों की हड्डियों, त्वचा और रेशों को उबालकर बनाया जाता है।*

*🚩 काॅचीनील*
 *लाल रंग की डाई है जो कुछ खास तरह के कीड़ों को पीसकर बनाई जाती है।*

*🚩 शेलैक* 
*कीड़ों के मृत शरीर से प्राप्त होता है। 333 ग्राम शेलैक बनाने के लिए करीबन 100000 कीड़े मारने पड़ते हैं और इसका प्रयोग जेम्स और नटीज़ में होता है।*
 
*🚩 ग्लिसरीन/ ग्लिसरॉल* 
*अधिकांश ग्लिसरीन जानवरों से प्राप्त होता है। यह पेट्रोलियम से भी निर्मित किया जा सकता है।लेकिन अंतिम उत्पाद के रूप में ग्लिसरीन के निर्माताओं को इसके स्रोत की जानकारी नहीं होती इसीलिए यह जानवरों से ही प्राप्त किया जाता है।*

*🚩 स्टीयरिक एसिड*
 *जानवरों से मिलने वाली चर्बी को पिघलाकर प्राप्त किया जाता है। इसे साबुन, कैंडल्स और कॉस्मेटिक्स में प्रयोग किया जाता है।*

*🚩 यह सभी लक्ज़री चीजें जानवरों के मारे बिना अभी बनाई जा सकती हैं,पर उसके लिए आपको अपनी जेब पर पर नियंत्रण करना होगा।ऐसी चीजें खरीदना बंद कीजिए जिनके लिए मासूम जानवरों को मारा जाता है।*

*🚩 आप कुछ ऐसा नहीं कर पा रहे तो उन चीजों को बनाने वालों और बेचने वालों को लिखिए कि वह ऐसा करना बंद करें और नये विकल्प तलाशें।* 

*🚩 आखिरकार वह भी एक भारतीय ही था जिसने अमेरिकी कोर्ट की मदद लेकर मैकडाॅनाल्ड कंपनी को सच बोलने पर मजबूर कर दिया था।*  

*🚩 कई सालों से वह कंपनी झूठ बोल रही थी कि उसकी चिप्स वनस्पति तेल में तली जाती हैं। अब हम सब जान गए हैं के चिप्स को वनस्पति तेल में तलने से पहले बीफ टलो अर्थात गाय की चर्बी में डुबोया जाता है।*

*🚩 लेबल को ध्यान से पढकर व गुप्त codes को गूगल करके ( माँस-निर्मित है अथवा वनस्पति से निर्मित है..यह जानकर) ही उसका सेवन में उपयोग करना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि लिखा है कि Non-Dairy Fats तो उसका अभिप्राय है कि उत्पाद में ऐनिमल फैट (प्राणीजन्य चर्बी) का प्रयोग किया गया है।*

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रविवार, 10 जुलाई 2022

10 जुलाई,2022 देवशयनी एकादशी है

*10 जुलाई,2022  देवशयनी एकादशी है ।*
 आज से देवता चार माह तक विश्राम करेंगे  इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि देवता सो जायेंगे।
धर्म प्रधान समाज होने के कारण भारत में विज्ञान को भी धर्म के आधार पर ही समझाया गया है। यह विज्ञान से जुड़ा हुआ ही तथ्य है।वास्तव में तो पंचतत्व (पृथ्वी, अग्नि,जल ,वायु और आकाश) में ही सम्पूर्ण देवता निहित है।वर्षा ऋतु प्रारम्भ होते ही ये पाँचों तत्व अपना स्वभाव बदल लेते हैं।पृथ्वी पर अनेक प्रकार की वनस्पतियां उग आती है।जगह-जगह पानी भर जाने से मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं।विभिन्न प्रकार के रेंगने वाले जहरीले जीव बिलों में पानी भर जाने से सतह पर आ जाते हैं।अग्नि मन्द पड़ जाती है। खुले में हवन आदि शुभ धार्मिक कार्य करना कठिन हो जाता है।वर्षा जल मिल जाने से अधिकांश जल दूषित हो जाता है तथा हवा में भी लगभग चालीस प्रतिशत पानी की मात्रा हो जाती है।आकाश में बादल छाये रहने के कारण धूप धरती तक नहीं पहुँच पाती है।अर्थात पाँचों प्रमुख देवता अपना स्वभाव बदल लेते हैं।
      अतः ऐसे समय कोई सामजिक (विवाह आदि) अथवा मांगलिक कार्य करने में अनेक संकटों का सामना करना पड़ेगा और हमारा शरीर भी तो इन पाँच तत्वों से मिलकर ही बना है इसलिये जो प्रभाव बाहर है वही हमारे शरीर के अंदर होंगे।अगर बाहर मन्दाग्नि है तो हमारे शरीर की भी अग्नि (पाचन क्षमता) कमजोर पड़ जाती है।
      इन सब बातों का ध्यान करके हमारे पूर्वजों ने देवशयनी ग्यारस से लेकर देवउठनी ग्यारस (शरद ऋतु) तक को चातुर्मास का रूप देते हुए देवता विश्राम काल मानते हुए लम्बी यात्राओं, सामाजिक तथा विशेष मांगलिक कार्यक्रमों पर धार्मिक रोक लगा दी।
      समुद्र में इस समय मछलियाँ पकड़ने पर भी रोक रहती है,क्योंकि यह जलीय जीवों का प्रजनन काल रहता है।धर्मप्रधान समाज होने से उसने यह मन से स्वीकार कर लिया और एक स्थान पर रहते हुए अपना व्यावसायिक कर्म के साथ व्यक्तिगत धार्मिक उपासना को प्राथमिकता दी।गाँव-गाँव में मंदिरों-चौपालों पर सावन-भादौ में रामचरित मानस या अन्य धार्मिक ग्रंथों का वाचन होता है । इसलिये आईये हम सब अपने धर्म का पालन करें । यही विज्ञान है।.    
       इन सोये हुए देवताओं की रखवाली करना हम सब का सामाजिक और नैतिक दायित्व है।. किन्तु आज पहले जैसी परिस्थिति नहीं हैं।लोगों के व्यवसाय भी ऐसे हो गये हैं कि यात्राएँ करना ही पड़ती है।किन्तु फिर भी जितना हो सके हम इन पंचतत्वों की रक्षा का इस समय कोई न कोई संकल्प लें।पौधे लगायें, पानी रोकें, नदियों,पहाड़ों, जलस्रोतों,जंगल की रक्षा करें।धरती,जल,आकाश, वायु को प्रदूषित होनें से बचायें।
    यही सोये हुए देवताओं की रक्षा करना है ।

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