यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 3 अगस्त 2022

सर्पभय और सर्पविष से मुक्ति देने वाली देवी मनसा की कथा !!!!!

सर्पभय और सर्पविष से मुक्ति देने वाली देवी मनसा की कथा !!!!!
प्राचीनकाल में जब सृष्टि में नागों का भय हो गया तो उस समय नागों से रक्षा करने के लिए ब्रह्माजी ने अपने मन से एक देवी का प्राकट्य किया । मन से प्रकट होने के कारण ये ‘मनसा देवी’ के नाम से जानी जाती हैं । देवी मनसा दिव्य योगशक्ति से सम्पन्न होने के कारण कुमारावस्था में ही भगवान शंकर के धाम कैलास पहुंच गईं और वहां गहन तप किया । इससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें सामवेद का अध्ययन कराया और ‘मृतसंजीवनी विद्या’ प्रदान की इसीलिए देवी मनसा को ‘मृतसंजीवनी’ और ‘ब्रह्मज्ञानयुता’ कहते हैं । 

भगवान शंकर ने देवी मनसा को भगवान श्रीकृष्ण के अष्टाक्षर (18 अक्षर का) मन्त्र—‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कृष्णाय नम:’ का भी उपदेश किया साथ ही वैष्णवी दीक्षा दी । भगवान शिव से शिक्षा प्राप्त करने के कारण ये शिव की शिष्या हुईं इसलिए ये ‘शैवी’ कहलाती हैं । इन्होंने भगवान शिव से सिद्धयोग प्राप्त किया था, इसलिए वे ‘सिद्धयोगिनी’ के नाम से भी जानी जाती हैं । 

इसके बाद देवी मनसा ने तीन युगों तक पुष्कर में तप करके परमात्मा श्रीकृष्ण का दर्शन प्राप्त किया । उस समय गोपीपति भगवान श्रीकृष्ण ने उनके  वस्त्र और शरीर को जीर्ण देखकर उनका नाम ‘जरत्कारु’ रख दिया । स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी पूजा कर उन्हें संसार में पूजित होने का वर प्रदान किया । फिर देवताओं ने भी इनकी पूजा की । तब से देवी मनसा की ब्रह्मलोक, स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक और नागलोक में पूजा होने लगी और ये ‘विश्वपूजिता’ कहलाईं ।
देवी मनसा अत्यन्त गौरवर्ण, सुन्दरी व मनोहारिणी हैं । अत: ये ‘जगद्गौरी’ के नाम से भी पूजी जाती हैं । ये भगवान विष्णु की भक्ति में संलग्न रहती हैं और मन से परमब्रह्म परमात्मा का ध्यान करती हैं इसलिए ‘वैष्णवी’ कहलाती हैं । यही कारण है कि इनकी आराधना से भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त हो जाती है ।

भगवान श्रीकृष्ण से वर और सिद्धि प्राप्त कर ये कश्यप ऋषि के पास चली आईं । देवी मनसा कश्यप ऋषि की मानसी कन्या हैं । कश्यप ऋषि ने देवी मनसा का विवाह श्रीकृष्ण के अंशरूप महर्षि जरत्कारु के साथ कर दिया । महर्षि जरत्कारु की पत्नी होने के कारण इन्हें ‘जरत्कारुप्रिया’ भी कहते हैं । महर्षि जरत्कारु से इन्हें ‘आस्तीक’ नाम का पुत्र हुआ । वे आस्तीक मुनि की माता हैं इसलिए ‘आस्तीकमाता’ के नाम से प्रसिद्ध हैं । भगवान शंकर ने आस्तीक को ‘मृत्युंजय विद्या’ की दीक्षा दी थी । 

देवी मनसा के नाम-स्मरण से सर्पभय और सर्पविष से मिलती है मुक्ति
श्रृंगी मुनि ने राजा परीक्षित को शाप दिया कि ‘एक सप्ताह के बीतते तक्षक सर्प उन्हें काट लेगा ।’ शाप के अनुसार तक्षक ने राजा परीक्षित को डस भी लिया । पिता की ऐसी मृत्यु देखकर परीक्षित के पुत्र जनमेजय को सर्पों पर बड़ा क्रोध हुआ और उन्होंने नागवंश को समाप्त कर देने के लिए सर्पयज्ञ का अनुष्ठान शुरु कर दिया । ब्राह्मणों की मन्त्र शक्ति के प्रभाव से प्रत्येक आहुति पर सैंकड़ों सर्प यज्ञकुण्ड में खिंचे चले आते और भस्म हो जाते । इससे डरकर तक्षक इन्द्र की शरण में चला गया । तब ब्राह्मणों ने इन्द्र सहित तक्षक की यज्ञ में आहुति देने का विचार किया ।

इससे भयभीत होकर इन्द्र देवी मनसा की शरण में जाकर अपनी रक्षा की प्रार्थना करने लगे । तब देवी मनसा में अपने पुत्र आस्तीक मुनि को राजा जनमेजय के पास भेजा । आस्तीक मुनि के प्रयत्न से राजा जनमेजय ने सर्पयज्ञ समाप्त करवा दिया । इस प्रकार देवी मनसा और आस्तीक मुनि के कारण नागवंश की रक्षा हुई अत: वे ‘नागेश्वरी’ व ‘नागमाता’ के नाम से भी जानी जाती हैं । तभी से नाग देवी मनसा की विशेष पूजा करने लगे और नागराज शेष ने उन्हें अपनी बहिन बना लिया इसलिए इन्हें ‘नागभगिनी’ कहते हैं ।  नाग ही इनके वाहन और शय्या बन गये । देवी मनसा सर्पविष का हरण करने में समर्थ हैं इसलिए ‘विषहरी’ कहलाती हैं ।

देवी मनसा के बारह नाम का स्तोत्र
जरत्कारु जगद्गौरी मनसा सिद्धयोगिनी ।
वैष्णवी नागभगिनी शैवी नागेश्वरी तथा ।।
जरत्कारुप्रिया आस्तीकमाता, विषहरीति च ।
महाज्ञानयुता चैव सा देवी विश्वपूजिता ।।
द्वादशैतानि नामानि पूजाकाले तु य: पठेत् ।
तस्य नागभयं नास्ति तस्य वंशोद्भवस्य च ।। (ब्रह्मवैवर्तपुराण, प्रकृतिखण्ड ४५।१५-१७)
स्तोत्र पाठ का फल!!!!!

जरत्कारु, जगद्गौरी, मनसा, सिद्धयोगिनी, वैष्णवी, नागभगिनी, शैवी, नागेश्वरी, जरत्कारुप्रिया, आस्तीकमाता, विषहरा और महाज्ञानयुता—जो मनुष्य देवी मनसा के इन बारह नामों का पाठ पूजा के समय करता है, उसे तथा उसके वंशजों को नागों/सर्पों का भय नहीं रहता।

जिस भवन, घर या स्थान पर सर्प रहते हों वहां इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य सर्पभय से मुक्त हो जाता है।

जो मनुष्य इस स्तोत्र को नित्य पढ़ता है उसे देखकर नाग भाग जाते हैं।

दस लाख पाठ करने से यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है । जिस मनुष्य को यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है उस पर विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और वह नागों को आभूषण बनाकर धारण कर सकता है ।

अत्यन्त करुणा और दयामयी देवी मनसा को भक्त बहुत प्रिय हैं। आराधना करने पर वह मनुष्य को सभी प्रकार के अभ्युदय प्रदान कर देती हैं।

बुधवार, 27 जुलाई 2022

सत्य और कथ्य का मिलन देखिए कि नर्मदा नदी विपरीत दिशा में ही बहती दिखाई देती

मां नर्मदा...🙏
कहते हैं नर्मदा नें अपने प्रेमी शोणभद्र से धोखा खाने के बाद आजीवन कुंवारी रहने का फैसला किया। लेकिन क्या सचमुच वह गुस्से की आग में चिरकुवांरी बनी रही या फिर प्रेमी शोणभद्र को दंडित करने का यही बेहतर उपाय लगा कि आत्मनिर्वासन की पीड़ा को पीते हुए स्वयं पर ही आघात किया जाए। नर्मदा की प्रेम-कथा लोकगीतों और लोककथाओं में अलग-अलग मिलती है लेकिन हर कथा का अंत कमोबेश वही कि शोणभद्र के नर्मदा की दासी जुहिला के साथ संबंधों के चलते नर्मदा नें अपना मुंह मोड़ लिया और उल्टी दिशा में चल पड़ी। सत्य और कथ्य का मिलन देखिए कि नर्मदा नदी विपरीत दिशा में ही बहती दिखाई देती है।

कथा 1:- नर्मदा और शोण भद्र की शादी होनें वाली थी। विवाह मंडप में बैठने से ठीक एन वक्त पर नर्मदा को पता चला कि शोणभद्र की दिलचस्पी उसकी दासी जुहिला (यह आदिवासी नदी मंडला के पास बहती है) में अधिक है। प्रतिष्ठत कुल की नर्मदा यह अपमान सहन ना कर सकी और मंडप छोड़कर उल्टी दिशा में चली गई। शोण भद्र को अपनी गलती का ऐहसास हुआ तो वह भी नर्मदा के पीछे भागा यह गुहार लगाते हुए' लौट आओ नर्मदा'...।लेकिन नर्मदा को नहीं लौटना था सो वह नहीं लौटी।

अब आप कथा का भौगोलिक सत्य देखिए कि सचमुच नर्मदा भारतीय प्रायद्वीप की दो प्रमुख नदियों गंगा और गोदावरी से विपरीत दिशा में बहती है यानी पूर्व से पश्चिम की ओर। कहते हैं आज भी नर्मदा एक बिंदू विशेष से शोण भद्र से अलग होती दिखाई पड़ती है। कथा की फलश्रुति यह भी है कि नर्मदा को इसीलिए चिरकुंवारी नदी कहा गया है और ग्रहों के किसी विशेष मेल पर स्वयं गंगा नदी भी यहां स्नान करने आती हैं। इस नदी को गंगा से भी पवित्र माना गया है।

मत्स्यपुराण में नर्मदा की महिमा इस तरह वर्णित है, ‘कनखल क्षेत्र में गंगा पवित्र है और कुरुक्षेत्र में सरस्वती। परन्तु गांव हो चाहे वन, नर्मदा सर्वत्र पवित्र है। यमुना का जल एक सप्ताह में, सरस्वती का तीन दिन में, गंगाजल उसी दिन और नर्मदा का जल उसी क्षण पवित्र कर देता है।’ एक अन्य प्राचीन ग्रन्थ में सप्त सरिताओं का गुणगान इस तरह है।

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदा सिन्धु कावेरी जलेSस्मिन सन्निधिं कुरु।।

कथा 2 :-  इस कथा में नर्मदा को रेवा नदी और शोणभद्र को सोनभद्र के नाम से जाना गया है। नद यानी नदी का पुरुष रूप। (ब्रह्मपुत्र भी नदी नहीं 'नद' ही कहा जाता है।) बहरहाल यह कथा बताती है कि राजकुमारी नर्मदा राजा मेखल की पुत्री थी। राजा मेखल नें अपनी अत्यंत रूपसी पुत्री के लिए यह तय किया कि जो राजकुमार गुलबकावली के दुर्लभ पुष्प उनकी पुत्री के लिए लाएगा वे अपनी पुत्री का विवाह उसी के साथ संपन्न करेंगे। राजकुमार सोनभद्र गुलबकावली के फूल ले आए अत: उनसे राजकुमारी नर्मदा का विवाह तय हुआ।

नर्मदा अब तक सोनभद्र के दर्शन ना कर सकी थी लेकिन उसके रूप, यौवन और पराक्रम की कथाएं सुनकर मन ही मन वह भी उसे चाहनें लगी। विवाह होने में कुछ दिन शेष थे लेकिन नर्मदा से रहा ना गया उसनें अपनी दासी जुहिला के हाथों प्रेम संदेश भेजने की सोची। जुहिला को सुझी ठिठोली। उसनें राजकुमारी से उसके वस्त्राभूषण मांगे और चल पड़ी राजकुमार से मिलने। सोनभद्र के पास पहुंची तो राजकुमार सोनभद्र उसे ही नर्मदा समझने की भूल कर बैठा। जुहिला की ‍नियत में भी खोट आ गया। राजकुमार के प्रणय-निवेदन को वह ठुकरा ना सकी। इधर नर्मदा का सब्र का बांध टूटने लगा। दासी जुहिला के आने में देरी हुई तो वह स्वयं चल पड़ी सोनभद्र से मिलनें।

वहां पहुंचने पर सोनभद्र और जुहिला को साथ देखकर वह अपमान की भीषण आग में जल उठीं। तुरंत वहां से उल्टी दिशा में चल पड़ी फिर कभी ना लौटने के लिए। सोनभद्र अपनी गलती पर पछताता रहा लेकिन स्वाभिमान और विद्रोह की प्रतीक बनी नर्मदा पलट कर नहीं आई।

अब इस कथा का भौगोलिक सत्य देखिए कि जैसिंहनगर के ग्राम बरहा के निकट जुहिला (इस नदी को दुषित नदी माना जाता है, पवित्र नदियों में इसे शामिल नहीं किया जाता) का सोनभद्र नद से वाम-पार्श्व में दशरथ घाट पर संगम होता है और कथा में रूठी राजकुमारी नर्मदा कुंवारी और अकेली उल्टी दिशा में बहती दिखाई देती है। रानी और दासी के राजवस्त्र बदलने की कथा इलाहाबाद के पूर्वी भाग में आज भी प्रचलित है।

कथा 3 :- कई हजारों वर्ष पहले की बात है। नर्मदा जी नदी बनकर जन्मीं। सोनभद्र नद बनकर जन्मा। दोनों के घर पास थे। दोनों अमरकंट की पहाड़ियों में घुटनों के बल चलते। चिढ़ते-चिढ़ाते। हंसते-रुठते। दोनों का बचपन खत्म हुआ। दोनों किशोर हुए। लगाव और बढ़ने लगा। गुफाओं, पहाड़‍ियों में ऋषि-मुनि व संतों नें डेरे डाले। चारों और यज्ञ-पूजन होने लगा। पूरे पर्वत में हवन की पवित्र समिधाओं से वातावरण सुगंधित होने लगा। इसी पावन माहौल में दोनों जवान हुए। उन दोनों नें कसमें खाई। जीवन भर एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ने की। एक-दूसरे को धोखा नहीं देने की।

एक दिन अचानक रास्ते में सोनभद्र नें सामने नर्मदा की सखी जुहिला नदी आ धमकी। सोलह श्रृंगार किए हुए, वन का सौन्दर्य लिए वह भी नवयुवती थी। उसनें अपनी अदाओं से सोनभद्र को भी मोह लिया। सोनभद्र अपनी बाल सखी नर्मदा को भूल गया। जुहिला को भी अपनी सखी के प्यार पर डोरे डालते लाज ना आई। नर्मदा नें बहुत कोशिश की सोनभद्र को समझाने की। लेकिन सोनभद्र तो जैसे जुहिला के लिए बावरा हो गया था।

नर्मदा नें किसी ऐसे ही असहनीय क्षण में निर्णय लिया कि ऐसे धोखेबाज के साथ से अच्छा है इसे छोड़कर चल देना। कहते हैं तभी से नर्मदा नें अपनी दिशा बदल ली। सोनभद्र और जुहिला नें नर्मदा को जाते देखा। सोनभद्र को दुख हुआ। बचपन की सखी उसे छोड़कर जा रही थी। उसनें पुकारा- 'न...र...म...दा...रूक जाओ, लौट आओ नर्मदा।

लेकिन नर्मदा जी नें हमेंशा कुंवारी रहने का प्रण कर लिया। युवावस्था में ही सन्यासिनी बन गई। रास्ते में घनघोर पहाड़ियां आईं। हरे-भरे जंगल आए। पर वह रास्ता बनाती चली गईं। कल-कल छल-छल का शोर करती बढ़ती गईं। मंडला के आदिमजनों के इलाके में पहुंचीं। कहते हैं आज भी नर्मदा की परिक्रमा में कहीं-कहीं नर्मदा का करूण विलाप सुनाई पड़ता है।

नर्मदा नें बंगाल सागर की यात्रा छोड़ी और अरब सागर की ओर दौड़ीं। भौगोलिक तथ्य देखिए कि हमारे देश की सभी बड़ी नदियां बंगाल सागर में मिलती हैं लेकिन गुस्से के कारण नर्मदा अरब सागर में समा गई।

नर्मदा की कथा जनमानस में कई रूपों में प्रचलित है लेकिन चिरकुवांरी नर्मदा का सात्विक सौन्दर्य, चारित्रिक तेज और भावनात्मक उफान नर्मदा परिक्रमा के दौरान हर संवेदनशील मन महसूस करता है। कहनें को वह नदी रूप में हैं लेकिन चाहे-अनचाहे भक्त-गण उनका मानवीयकरण कर ही लेते हैं। पौराणिक कथा और यथार्थ के भौगोलिक सत्य का सुंदर सम्मिलन उनकी इस भावना को बल प्रदान करता है और वे कह उठते हैं नमामि देवी नर्मदे...🙏🙏

हिन्दू दम्पत्तियों जागो !! - "गर्भपात महापाप" है।

🚩                *Voice Of Hinduism🔥* 
 
*🚩 हिन्दू दम्पत्तियों जागो !! -     "गर्भपात महापाप" है।*

*🚩 ब्रह्महत्या से जो पाप लगता है उससे दुगना पाप गर्भपात करने से लगता है। इस गर्भपातरूप महापाप का कोई प्रायश्चित भी नहीं है, इसमें तो उस स्त्री का त्याग कर देने का ही विधान है।*
*(पाराशर स्मृतिः 4.20)*

*🚩 यदि अन्न पर गर्भपात करने वाले की दृष्टि भी पड़ जाय तो वह अन्न अभक्ष्य हो जाता है।* 
*(मनुस्मृतिः 4.208)*

*🚩 गर्भस्थ शिशु को अनेक जन्मों का ज्ञान होता है। इसलिए 'श्रीमद्भागवत' में उसको ऋषि (ज्ञानी) कहा गया है। अतः उसकी हत्या से बढ़कर और क्या पाप होगा !*

*🚩 संसार का कोई भी श्रेष्ठ धर्म गर्भपात को समर्थन नहीं देता है और न ही दे सकता है क्योंकि यह कार्य मनुष्यता के विरूद्ध है। जीवमात्र को जीने का अधिकार है। उसको गर्भ में ही नष्ट करके उसके अधिकार को छीनना महापाप है।*

*🚩 गर्भ में बालक निर्बल और असहाय अवस्था में रहता है। वह अपने बचाव का कोई उपाय भी नहीं कर सकता तथा अपनी हत्या का प्रतिकार भी नहीं कर सकता। अपनी हत्या से बचने के लिए वह पुकार भी नहीं सकता, रूदन भी नहीं कर सकता। उसका कोई अपराध भी नहीं है – ऐसी अवस्था में जन्म लेने से पहले ही उस निरपराध, निर्दोष, असहाय बच्चे की हत्या कर देना पाप की, कृतघ्नता की, दुष्टता की, नृशंसता की, क्रूरता की, अमानुषता की, अन्याय की आखिरी हद (पराकाष्ठा) है।*
*-स्वामी रामसुखदासजी*

*🚩 श्रेष्ठ पुरुषों ने ब्रह्महत्या आदि पापों का प्रायश्चित बताया है, पाखण्डी और परनिन्दक का भी उद्धार होता है, किंतु जो गर्भस्थ शिशु की हत्या करता है, उसके उद्धार का कोई उपाय नहीं है।*
*(नारद पुराणः पूर्वः 7.53)*

*🚩 संन्यासी की हत्या करने वाला तथा गर्भ की हत्या करने वाला भारत में 'महापापी' कहलाता है। वह मनुष्य कुंभीपाक नरक में गिरता है। फिर हजार जन्म गीध, सौ जन्म सूअर, सात जन्म कौआ और सात जन्म सर्प होता है। फिर 60 हजार वर्ष विष्ठा का कीड़ा होता है। फिर अनेक जन्मों में बैल होने के बाद कोढ़ी मनुष्य होता है।*
*(देवी भागवतः 9.34.24,27.28)*

*🚩 जैसे ब्रह्महत्या महापाप है ऐसे गर्भपात भी महापाप हैं। शास्त्र में तो गर्भपात को ब्रह्महत्या से भी दुगुना पाप बताया गया है।*

*🚩 यत्पापं ब्रह्महत्याया द्विगुणं गर्भपातने।*
 *प्रायश्चित्तं न तस्यास्ति तस्यास्त्यागो विधीयते॥*
*(पाराशरस्मृति: ४.२०)* 

*🚩 गर्भस्राव (सफाई), गर्भपात और भ्रूणहत्या इन तीनों को किसी भी तरह से करने पर महापाप लगता है।*

*🚩 विषवृक्षोऽपि संवर्ध्य स्वयं छेत्तुमसाम्प्रतम्।*
*सृष्टि रचयिता देवता पितामह ब्रह्माजी ने भी कहा है कि अपने द्वारा लगाया हुआ विषवृक्ष भी स्वयं नहीं काटा जाता।"*

*🚩 जिस गर्भ को स्त्री-पुरुष मिलकर पैदा करते हैं, स्वयं ही उसकी हत्या कर देना कितना घृणित पाप है !*

*🚩 गर्भ में आया हुआ जीव जन्म लेने के बाद न जाने कितने अच्छे-अच्छे लौकिक और पारमार्थिक कार्य करता, समाज व देश की सेवा करता, संत-महापुरुष बनकर अनेक लोगों को सन्मार्ग में लगाता, अपना तथा औरों का कल्याण करता, परन्तु जन्म लेने से पहले ही उसकी हत्या कर देना कितना बड़ा पातक है !*

*🚩 मनुष्यों में हिन्दू जाति सर्वश्रेष्ठ है। उसमें बड़े विलक्षण ऋषि-मुनि, संत, महात्मा, दार्शनिक, वैज्ञानिक, विचारक पैदा होते आये हैं। जब इस जाति के मनुष्यों को जन्म ही नहीं लेने देंगे तो फिर ऐसे श्रेष्ठ विलक्षण पुरुष विधर्मियों के यहाँ पैदा होंगे।*

*🚩 जैसे, अब तक हिन्दुओं के यहाँ लगभग बारह करोड़ शिशुओं का जन्म रोका गया है। अतः वे बारह करोड़ शिशु विधर्मियों के यहाँ जन्म लेंगे तो विधर्मियों की संख्या हिन्दुओं की संख्या से चौबीस करोड़ बढ़ जाएगी क्योंकि जिन व्यक्तियों ने संततिनिरोध किया है, उनके आगे होनेवाली कई संतानों का भी स्वतः निरोध हुआ है।* 

*🚩 अगर प्रत्येक व्यक्ति की दो या तीन संतानों का भी निरोध माना जाय तो यह संख्या चौबीस या छत्तीस करोड़ तक पहुँच जाती है।*

*🚩 विधर्मियों की संख्या बढ़ेगी तो फिर वे हिन्दुओं का ही नाश करेंगे। अतः हिन्दुओं को अपनी संतान परम्परा नष्ट नहीं करनी चाहिये।*

*🚩 मुसलमान तो कहते हैं कि संतान होना खुदा का विधान (नैमत) है। उसको बदलने का अधिकार मनुष्य को नहीं है। जो उसके विधान को बदलते हैं वे अनधिकार चेष्टा करते हैं।*

*🏴 परिवार नियोजन करनेवालों की संख्या कम हो जाती है। अतः मुसलमानों ने यह सोचा कि परिवार नियोजन नहीं करेंगे तो अपनी जन-संख्या बढ़ेगी और जन-संख्या बढ़ने से अपना ही राज्य हो जायेगा क्योंकि वोटों का जमाना है। भारत हिन्दुओं का देश एक दिन इस्लामिक राष्ट्र में तबदील (परिवर्तित) हो जाएगा।*

*🚩 इसीलिये वे केवल अपनी संख्या बढ़ाने की धुन में हैं। परंतु हिन्दू केवल अपनी थोड़ी-सी सुख-सुविधा के लिये नसबन्दी, गर्भपात आदि महापाप  करने में लगे हुए हैं।*

*🚩 अपनी संख्या तेजी से कम हो रही है- इस तरफ भी उनकी दृष्टि नहीं है और परलोक में इस महापाप का भयंकर दण्ड भोगना पड़ेगा- इस तरफ भी उनकी दृष्टि नहीं है।*

*🚩 केवल खाने-पीने, सुख भोगने की तरफ तो पशुओं की भी दृष्टि रहती है। अगर यही दृष्टि मनुष्य की भी है तो यह मनुष्यता नहीं है।*

*🚩 लोग गर्भ परीक्षण करवाते हैं और गर्भ में कन्या हो तो गर्भपात करा देते हैं। क्या यह नारी जाति को समान अधिकार देना हुआ ? क्या यह उसका सम्मान करना हुआ ?* 

*🚩 समाचार पत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हरियाणा में बीस वर्ष के बाद लड़कों को कुँवारा रहना पड़ेगा क्योंकि मादा भ्रूणहत्या से लड़कों की अपेक्षा लड़कियाँ कम उत्पन्न हुई हैं।* 

*🚩 परिवार नियोजन के कार्यक्रम से जीवन निर्वाह के साधनों में तो वृद्धि नहीं हुई है, पर ऐसी अनेक बुराइयों की वृद्धि अवश्य हुई है जिनसे हिन्दू समाज का घोर पतन हुआ है। वह दिन पर दिन ओजहीन और दुर्बल हुआ है।*

*🚩 पहले जनसंख्या कम थी तो विदेशों से अन्न मँगवाना पड़ता था, अब जनसंख्या बढ़ी तो हम निर्यात कर रहे हैं। अतः जहाँ वृक्ष अधिक होते हैं वहाँ वर्षा अधिक होती है तो क्या मनुष्य अधिक होंगे तो अन्न अधिक नहीं होगा ?*

*🚩 नसबन्दी के द्वारा पुरुषत्व का अवरोध करने से, नाश करने से शारीरिक शक्ति भी नष्ट होती है और उत्साह, निर्भयता आदि मानसिक शक्ति भी नष्ट होती है।*

*🚩 जो नसबन्दी के द्वारा अपना पुरुषत्व नष्ट कर देते हैं, वे नपुंसक (हिजड़े) हैं। उनके द्वारा पितरों को पिण्ड-पानी नहीं मिलता। ऐसे पुरुष को देखना भी अशुभ माना गया है।*

*🚩 जिन माताओं ने नसबन्दी ऑपरेशन करवाया है उनमें से बहुतों को लाल एवं सफेद प्रदर हो गया है। ऑपरेशन करवाने से शरीर में कमजोरी आ जाती है, उठते-बैठते समय आँखों के आगे अंधेरा छा जाता है, छाती व पीठ में दर्द होने लगता है और काम करने की हिम्मत नहीं होती।*

*🚩 जो स्त्रियाँ नसबन्दी-ऑपरेशन करा लेती हैं उनका स्त्रीत्व अर्थात् गर्भ धारण करने की शक्ति नष्ट हो जाती है। ऐसी स्त्रियों का दर्शन भी अशुभ है, अपशकुन है।*

*🚩 नसबन्दी ऑपरेशन कराना व्यभिचार को खुला अवसर देना है, जो बड़ा भारी पाप है। पशुओं की बलि देने, वध करने को 'अभिचार' कहते हैं। उससे भी जो विशेष अभिचार होता है उसे 'व्यभिचार' (वि + अभिचार) कहते हैं।*

*🚩 परिवार नियोजन के दुष्परिणाम भुगतने के बाद अनेक देशों ने संतति-निरोध पर प्रतिबन्ध लगा दिया और जनसंख्या वृद्धि के उपाय लागू कर दिये।* 

*🚩 जर्मनी की सरकार ने संतति-निरोध के उपायों के प्रचार एवं प्रसार पर रोक लगा दी और विवाह को प्रोत्साहन देने के लिये विवाह ऋण देने शुरू कर दिये।* 

*🚩 सन् १९३५ में एक कानून बनाया गया, जिसके अनुसार एक बच्चा पैदा होने पर इन्कम टैक्स में १५ प्रतिशत छूट, दो बच्चे होने पर ३५ प्रतिशत, तीन पर ५५ प्रतिशत, चार पर ७५ प्रतिशत, पाँच पर ९५ प्रतिशत और छः बच्चे होने पर इन्कम टैक्स माफ कर देने की बात कही गयी। इससे वहाँ की जनसंख्या में पर्याप्त वृद्धि हुई।*

*🚩 फ्रांस, इंग्लैण्ड, इटली, स्वीडन आदि देशों ने भी संतति निरोध पर प्रतिबन्ध लगाया। इटली में तो यहाँ तक कानून बना दिया गया कि संतति निरोध का प्रचार एवं प्रसार करनेवाले को एक वर्ष की कैद तथा जुर्माना किया जा सकता है।* 

*🚩 आश्चर्य की बात है कि परिवार नियोजन के जिन दुष्परिणामों को पश्चिमी देश भुगत चुके हैं, उनको देखने के बाद भी भारत सरकार, हिन्दू समाज में इस कार्यक्रम को बढ़ावा दे रही है। विज्ञापन में भी हिन्दू स्त्री और पुरूष संतति निरोध का प्रचार कर रहे हैं। जहाँ से हिन्दू संख्याबल घटेगा, वहाँ से हिन्दू धर्म, हिन्दू संत, गौमाता, तीर्थ व मंदिर सबका विनाश हो जाएगा।*

*विनाशकाले विपरीत बुद्धि ! 🔥🔥*

साइबर क्राइम अलर्ट - सस्ते दर पर ऑन लाइन तत्काल कर्ज देने वालो से रहे सावधान

‼️ *साइबर क्राइम अलर्ट* ‼️
*सस्ते दर पर ऑन लाइन तत्काल कर्ज देने वालो से रहे सावधान*

*इंस्टैंट लोन  देने के लिए इंस्टेंट लोन एप्लीकेशन इंस्टाल कराकर चुराते  है मोबाइल से डेटा*

 *पुलिस में रिपोर्ट करने ,व रिकार्ड खराब करने की धमकी देकर करते है वसूली*

अगर आपको पैसे की जरूरत है ,आप लोन लेना चाहते है ,और अगर ऑनलाइन लोन लेने के बारे में  सोंच रहे है तो  सावधान हो जाइए।
मिनटों में लोन देने वाले ऐप्स के झांसे में आकर लोग बर्बाद हो रहे हैं
असल में पूरा एक गिरोह लोगो को ठगने में लगा हुआ है !भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)  ने भी इंस्टेंट लोन एप्लीकेशन से बचने हेतु अलर्ट जारी किया है ।

एक पूरा एक गैंग है, जिसमें ज्यादा अनाधिकृत लोग लगे हैं जिन्हें रिजर्व बैंक से लोन देने का अधिकार नहीं मिला है, इसके बावजूद वे खुलेआम मिनटों में लोन का ऑफर देकर लोगों को फंसा रहे हैं।

लॉकडाउन के दौरान से ये सारे एप्लीकेशन एक्टिवेट हुए है ,और पैसों की कमी से जूझ रहे लोगो को सस्ते दर पे लोन मुहैया कराने का झांसा देकर अपने जाल में फंसा रहे है।
 
गैंग द्वारा कस्टमर  से तीन महीने का बैंक स्टेटमेंट, आधार कार्ड या पैन कार्ड की कॉपी लेकर तुरंत यानी कुछ मिनटों में ही लोन दे दिया जाता है। जिसे चुकाने के लिए निश्चित समयावधि ढ़ी जाती है ,अगर एक एप्लीकेशन से ली गई लोन आप चुका नही पाते तो दूसरी एप्लीकेशन का नाम बता कर उसे इंस्टाल करा कर उससे लोन लेकर पिछले लोन की भरपाई करने को कहा जाता है।
ग्राहक को गूगल प्ले स्टोर से एप्लिकेशन को डाउनलोड करने को कहा जाता है ,ऐप्प को इंस्टाल करते समय ग्राहक , पर्सनल डिटेल (जैसे फोटो गैलरी) और कॉन्टैक्ट लिस्ट साझा करने की परमिशन ऍप्लिकेशन को दे देते है ,जिससे ग्राहक के मोबाइल की पूरी डाटा सारे संपर्क नम्बर सहित चुरा लिया जाता है ,और ग्राहक को लोन दे दिया जाता है।।
ग्राहक को विश्वास में लेते है कि उनके अच्छे सिबिल स्कोर रिकार्ड के कारण ही उनको लोन दिया जा रहा है।

ये लोन देने के बाद  30 से 35 % का सालाना ब्याज तो लेते है ,साथ ही समय पर रकम वापस प्रति दिन 3,000 रुपये तक की पेनाल्टी की रकम भी वसूलते है ।ये खुद ही लोन के पैसा वापस देने के लिए दूसरे लोन ऍप्लिकेसन की जानकारी देते है और उनसे लोन लेने के लिए उत्प्रेरित करते है।

बहुत ही काम समय मे इनके द्वारा 1 हजार से लेकर 50 हजार तक लोन दे दिया जाता है  बाद में , इनके रिकवरी एजेंट लोगों को प्रताड़ित करते है  यहां तक कि ये कंपनियां लोन लेने वाले लोगों के पर्सनल डिटेल सोशल मीडिया पर शेयर कर उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर देने की धमकी फ़ोन से देते है कस्टमर के मोबाइल से एप्प इंस्टाल करा कर  चुराए हुये मोबाइल डेटा ,कांटेक्ट डिटेल के सारे लोगो को फोन कर परेशान भी किया जाता है। और इतने सामाजिक अपमान से क्षुब्ध होकर कई  लोग गलत दिशा में कदम तक उठा लेते है।

कस्टमर को बार बार फ़ोन कर परेशान किया जाता है. फिर उनके परिवार के सदस्यों को फोन कर धमकाया जाता है और गालियां दी जाती हैं. इसके बाद भी अगर कोई लोन नहीं चुका पाता तो उसके कॉन्टैक्ट लिस्ट के लोगों, दोस्तों को फोन कर, उन्हें व्हाट्सऐप मैसेज भेजकर ग्राहक को अपमानित किया जाता है ।जो इनके काम करने का तरीका है, फर्जी लीगल नोटिस भी भेजी जाती है।

प्रोसेसिंग फीस और जीएसटी के नाम पर बड़ी रकम काट देते है।
यदि कोई 5 हजार रुपये का लोन ले रहा है तो उससे प्रोसेसिंग और जीएसटी के नाम पर 1180 रुपये तक की रकम काटकर महज 3,820 रुपये दिए जाते हैं।कर्जदार के कॉन्टैक्ट लिस्ट के लोगों को फोन कर उसे बदनाम कर देते हैं
परेशान होकर कर्ज लेने वाले कई लोग जान तक देने के लिए उतारू हो जाते है

*कुछ इंस्टेंट लोन ऍप्लिकेशन*

Bright cash 
Gold mal
Cash park
Lendmall
Cashbus
Helo loan
Small lone
Koco cash
Enjoy loan
Rupeeslend
Cashfish

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार
'ग्राहकों को कभी भी केवाईसी दस्तावेजों की प्रति बगैर पहचान वाले व्यक्ति, अनाधिकृत ऐप को नहीं देना चाहिए और ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने के लिए इस तरह के ऐप और बैंक खाते की जानकारी अधिकृत एजेंसी को देनी चाहिये ।

लोन रजिस्टर्ड NBFC से मिल रहा है या नही रिजर्व बैंक की वेबसाइट से पंजीकृत एनबीएफसी का नाम और पता जाना जा सकता है और पोर्टल के माध्यम से इकाइयों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

*क्या करें*

ग्राहकों को लोन लेने के लिए सुरक्षित ,अधिकृत फाइनेंसियल बॉडीज का चुनाव करना चाहिए ,जो आरबीआई से पंजीकृत हो ,किसी भी  अनजान ऍप्लिकेशन के माध्यम से लोन लेना घातक हो सकता है ,ऐसी किसी भी प्रकार की घटना होने पर नजदीकी पुलिस थाने अथवा साइबर सेल से तत्काल संपर्क करें।

मंगलवार, 26 जुलाई 2022

यह कैसे हो सकता है कि "शिवस्वरूप भगवान शंकर बाबा अमरनाथ" के रूप मे हमारे पास हो और "शक्तिस्वरूपा भगवती माँ शारदा बार्डर के उस पार पीओके मे हो?

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कल क्या कहा जान लीजिए....!




उन्होंने कहा....यह कैसे हो सकता है कि "शिवस्वरूप भगवान शंकर बाबा अमरनाथ" के रूप मे हमारे पास हो और "शक्तिस्वरूपा भगवती माँ शारदा बार्डर के उस पार पीओके मे हो?"

हमने 370 यूं ही नही हटाई "मां शारदा को बाबा अमरनाथ के करीब लाने का वायदा" हमने इस देश की जनता से किया है..
"शक्तिपीठ माँ शारदा और मार्तंड तीर्थ" कश्मीर की नही पूरे देश की आत्मा है..
कश्मीर की धरती पर "पीओके स्थित मां शारदा पीठ को लाने का एलान" क्या यूं ही कर दिया रक्षामंत्री ने?

हम ऐसा नही मानते..!!

याद कीजिए 370 हटाते हुए मोटा भाई संसद मे दहाडते हुए कहा था "पीओके हमारा है,माँ शारदा हमारी है और एक दिन हम पीओके लेकर रहेंगे" 

तो क्या कश्मीर की धरती पर "शारदा पीठ लेने की ललकार पाकिस्तान को बड़ी धमकी है?"

क्या मोदी 2 के आखिरी बर्षो का तयशुदा ऐजेंडा है?

राजनाथ सिंह का कद मोदी मंत्रिमंडल मे मोदी के बाद दूसरा है..

तो जाहिर है माँ शारदा और बाबा अमरनाथ को जोड़ने की बात उन्होंने यूं ही नही कह दी?

माना जा सकता है कि अगले आम चुनाव से पहले भारत सरकार कश्मीर वापस लेने का यह ऐजेंडा भी पूरा कर लेना चाहती हो..यह सबको पता है कि इस देश मे यह काम केवल मोदी के जमाने मे ही संभव है....................मोदी के मुकाबले विपक्ष के जितने नेता अगला पीएम बनने का ख्वाब देख रहे है उनमें से किसी मे भी ऐसा माद्दा नही है जो पीओके ले सके............आजादी के बाद लोगो ने आधा कश्मीर पाकिस्तान को कब्जाने तो दिया परन्तु उसे वापस लाने की बात किसी ने नही की..
पीओके की बात तो दूर किसी ने 370 जैसी अमानवीय और असंवैधानिक धारा को हटाने का ख्वाब तक नही देखा..कश्मीर के हिन्दूओं के 50 हजार मंदिर आजाद भारत मे तोडे गए इन्हे आक्रांताओं ने नही हमारे अपने देश के कश्मीरी आतंकियों ने तोडा......................राजनाथ सिंह यदि "शारदापीठ यानि शक्ति को अमरनाथ यानि शिव से जोडने की बात श्रावण मास मे कर रहे है"तो अर्थ
समझिए, सब जानते है कि कांवड यात्रा चल रही है हरिद्वार से ही अब तक लाखों करोड़ो कांवडियें देश के विभिन्न राज्यों की ओर निकल पड़े है..
"कल्पना किजिए अगली कांवड़ यात्रा का जलाभिषेक यदि कश्मीर के शिवालयों मे हो जाय तो?"

वैसे यह एक महज भाव है, योजना नही..हम जानते है कि दुनियां की सबसे बहादुर फौजों मे से एक हमारी फौजें पीओके लेने मे पूरी तरह सक्षम है"

यह आप भी जानते है कि पीओके उसी तरह वापस आयेगा जिस तरह बंग्लादेश बनाया गया था..........
.........अब सावन के महीने मे यदि शिवभक्ति की बात चल ही पड़ी है तो यकीन मानिए,जल्द ही अंजाम तक पहुंचेगी भी,शायद बहुत जल्दी ही..संघ से भी सांकेत आ चुका है...कुछ तो अंदखाने मे चल रहा है....कल कारगिल विजय दिवस भी है!

बहरहाल देश के 100 करोड़ लोगो का स्वप्न कभी तो पूरा होना ही है..
"भगवान भोलेनाथ एक दिन यह भी जरूर पूरा करायेंगे" 

जय माँ शारदे...जय बाबा बर्फानी🙏🙏🙏
(साभार ट्विटर)

#वंदेमातरम्

function disabled

Old Post from Sanwariya