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गुरुवार, 1 सितंबर 2022

ये है दुनिया का सबसे घातक जानवर:


 

ये है दुनिया का सबसे घातक जानवर:

मच्छर वह जानवर है जो दुनिया में सबसे ज्यादा मौत का कारण बनता है, जो हर साल लाखों लोगों को मारने या अक्षम करने वाली बीमारियों का वाहक है। एक आदर्श हत्या मशीन की तरह दिखने वाले शरीर के साथ, मच्छर के छोटे सिर में ठीक 100 आंखें होती हैं।

इसके मुंह में, जो शायद ही माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है, इसके 48 दांत होते हैं। छाती पर, एक केंद्र के लिए और दो पंखों के लिए, 3 दिल होते हैं और प्रत्येक दिल में 2 अटरिया और 2 निलय होते हैं।

इसमें एक डिग्री सेल्सियस के एक हजारवें हिस्से की संवेदनशीलता के साथ, गर्मी के साथ जीवित चीजों को खोजने के लिए एक हीट रिसेप्टर है।

इसमें एक बहुत उन्नत रक्त विश्लेषक है, एक संवेदनाहारी उपकरण और एक थक्कारोधी के साथ ताकि इसका शिकार डंक पर प्रतिक्रिया न करे और आसानी से रक्त को अवशोषित कर सके।

इसकी सक्शन ट्यूब में छह छोटे ब्लेड होते हैं, जहां चार एक चौकोर चीरा बनाते हैं और अन्य दो रक्त को अवशोषित करने के लिए एक ट्यूब बनाते हैं।

उनके भोजन के स्रोत को पकड़ने के लिए उनके पैरों में पंजे और हुक भी होते हैं।

यह सत्य है कि यही वह "संजीवनी बूटी" है जिसका जिक्र रामायण में है?

 

प्रधानमंत्रीजी मोदी जी ने 19.12 .19 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में लद्दाख में पाए जाने वाले पौधे "सोलो" के औषधीय गुणों तथा इसके लाभ का जिक्र किया जिससे यह पौधा सुर्खियों में आ गया।

आइए एक नजर डालें इस पौधे के औषधीय खासियत पर जिसके कारण या चर्चा का विषय बन गया है----

सोलो नामक या अद्भुत औषधीय पौधा मूल रूप से लद्दाख में 15-18 हजार फीट की ऊंचाई पर पैदा होता है। लद्दाख में यह खारदुंगला, चांगला और पेजिला इलाकों में मिलता है।

इसका वैज्ञानिक नाम 'रोडियोला' है मुख्य रूप से सोलो की 3 प्रजातियां है सोलो कारपो(सफेद) सोलो मारपो (लाल) और सोलो सेरेपो (पीला)।

सोलो के पत्ते तुलसी के पत्तों की तरह चबाए जा सकते हैं ।इसकी चाय भी बनती है ।मूल लद्दाख निवासी सोलो के पौधों के पत्तेदार भाग की सब्जी बनाते हैं जिससे 'तंगथुर' कहते हैं।

आयुर्वेद के जानकारों के अनुसार इस पौधे की मदद से, शरीर को कड़ाके की ठंड वाली पर्वतीय परिस्थितियों के अनुरूप ढालने में मदद मिलती है। इसका उपयोग निम्न लिखित रूप में किया जा सकता है-----

यह पौधा शरीर को सीधे ऑक्सीजन प्रदान करता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता ।है

बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करता है

याददाश्त को भी बेहतर करता है।

मानसिक तनाव कम करने में भी सोलो के औषधीय गुण सहायक है।

बम या बायोकेमिकल से पैदा हुए रेडिएशन के प्रभाव से बचाने में भी या पौधा कारगर है।

यह अवसाद कम करने और भूख बढ़ाने में भी लाभकारी है ।सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में जवानों में डिप्रेशन ,भूख कम लगने की समस्या के इलाज में यह फायदेमंद है।

चूंकि सोलो पौधा शरीर को सीधे ऑक्सीजन ही नहीं देता ,बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, रेडिएशन के प्रभाव को कम करता है अतः ऊंचाई पर तैनात सैनिकों के लिए रामबाण सिद्ध होगा।

लेह स्थित "Defence Institute Of High Altitude Research" के वैज्ञानिकों का दावा है लद्दाख, सियाचिन जैसी प्रतिकूल जगहों पर रहने वाले भारतीय सेना के जवानों के लिए यह औषधि चमत्कारिक साबित हो सकती है ।

वैज्ञानिक सोलो के गुणों से बेहद उत्साहित हैं।इसके अनेक औषधीय गुणों के कारण यह धारणा भी बन गई है कि संभवत यही "संजीवनी बूटी" है जिसका जिक्र रामायण में किया जाता है।

'गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी' के बायो टेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रताप कुमार ने बताया है कि सोलो का टिश्यू प्लांट (बेबी ट्यूब प्लांट) तैयार किया गया है ।

इस टिश्यू प्लांट के जरिए लद्दाख में इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जा सकती है,जो चिकित्सा और रोजगार के क्षेत्र में बेहद मददगार साबित हो सकती है।

ऐसे अनगिनत पौधे ,हर्बल प्रोडक्ट लद्दाख में मिलते हैं जिनकी बिक्री से वहां के किसानों को बहुत लाभ होगा।

स्त्रोत—www.bbc.com

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के व्रत को ऋषि पंचमी व्रत कहते हैं।


 #ऋषिपंचमीव्रतकथा 🌷

   भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी

के व्रत को
             ऋषि पंचमी व्रत कहते हैं।

      युधिष्ठिर ने प्रश्न किया हे देवेश ! मेने आपके श्रीमुख से अनेकों व्रतों को श्रवण किया है। अब आप कृपा करके पापों को नष्ट करने वाला कोई उत्तम व्रत सुनावें। राजा के इन वचनों को सुनकर श्रीकृष्णजी बोले -- हे राजेन्द्र ! अब मैं तुमको ऋषि पंचमी का उत्तम व्रत सुनता हूँ, जिसको धारण करने से स्त्री समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त कर लेती है। हे नरोत्तम, पूर्वसमय में वृत्रासुर का वध करने के कारण इन्द्र को ब्रह्महत्या का महान् पाप लगा था। तब ब्रह्माजी ने कृपा करके इन्द्र के उस पाप को चार स्थानों पर बांट दिया। पहला अग्नि की ज्वाला में, दूसरा नदियों के बरसाती जल में, तीसरा पर्वतों में और चौथा स्त्री के रज में। उस रजस्वला धर्म में जाने-अनजाने उससे जो भी पाप हो जाते हैं उनकी शुद्धि के लिए ऋषि पंचमी का व्रत करना उत्तम है।

        यह व्रत समान रूप से चारों वर्णों की स्त्रियों को करना चाहिए। इसी विषय में एक प्राचीन कथा का वर्णन करता हूँ।
        सतयुग में विदर्भ देश में स्येनजित नामक राजा हुए। वे प्रजा का पुत्रवत पालन करते थे। उनके आचरण ऋषि के समान थे। उनके राज्य में समस्त वेदों का ज्ञाता समस्त जीवों का उपकार करने वाला सुमित्र नामक एक कृषक ब्राह्मण निवास करता था। उनकी स्त्री जयश्री पतिव्रता थी।ब्राह्मण के अनेक नौकर-चाकर भी थे। एक समय वर्षाकाल में जब वह साध्वी खेती के कामों में लगी हुई थी तब वह रजस्वला भी हो गई। हे राजन् ! उसे अपने रजस्वला होने का भास हो गया किन्तु फिर भी वह घर गृहस्थी के कार्यों में लगी रही। कुछ समय पश्चात् वे दोनों स्त्री-पुरुष अपनी-अपनी आयु भोग कर मृत्यु को प्राप्त हुए। जयश्री अपने ऋतु दोष के कारण कुतिया बनी और सुमित्र को रजस्वला स्त्री के सम्पर्क में रहने के कारण बैल की योनि प्राप्त हुई।क्योंकि ऋतु दोष के अतिरिक्त इन दोनों का और कोई अपराध नहीं था इस कारण इन दोनों को अपने पूर्वजन्म का समस्त विवरण ज्ञात रहा। वे दोनों कुतिया और बैल के रूप में रहकर अपने पुत्र सुमित के यहाँ पलने लगे। सुमित धर्मात्मा था और अतिथियों का पूर्ण सत्कार किया करता था। अपने पिता के श्राद्ध के दिन उसने अपने घर ब्राह्मणों को जिमाने के लिए नाना प्रकार की भोजन सामग्री बनवाई। उसकी स्त्री किसी काम से बाहर गई हुई थी कि एक सर्प ने आकर रसोई के बर्तन में विष वमन कर दिया। सुमित की माँ कुतिया के रूप में बैठी हुई यह सब देख रही थी अतः उसने अपने पुत्र को ब्रह्महत्या के पाप से बचाने कीइच्छा से उस बर्तन को स्पर्श कर लिया। सुमित की पत्नी से कुतिया का यह कृत्य सहा न गया और उसने एक जलती हुई लकड़ी कुतिया के मारी। वह प्रतिदिन रसोई में जो जूठन आदि शेष रहती थी उस कुतिया के सामने डाल दिया करती थी।किन्तु उस दिन क्रोध के कारण वह भी उसने नहीं दी।तब रात्रि के समय भूख से व्याकुल होकर वह कुतिया अपने पूर्व पति के पास आकर बोली -- हे नाथ ! आज मैं भूख से मरी जा रही हूँ। वैसे तो प्रतिदिन मेरा पुत्र खाने को देता था, किन्तु आज उसने कुछ नहीं दियाहैं। मैने सांप के विष वाले खीर के बर्तन को ब्रह्महत्या के भय से छूकर अपवित्र कर दिया था। इस कारण बहू ने मारा और खाने को भी नहीं दिया है।तब बैल ने कहा -- हे भद्रे ! तेरे ही पापों के कारण मैं भी इस योनि में आ पड़ा हूँ। बोझा ढोते-ढोते मेरी कमर टूट गयी है।आज मैं दिन भर खेत जोतता रहा। मेरे पुत्र ने भी आज मुझे भोजन नहीं दिया और ऊपर से मारा भी खूब है। मुझे कष्ट देकर श्राद्ध को व्यर्थ ही किया है। अपने माता-पिता की इन बातों को उनके पुत्र सुमित ने सुन लिया। उसने उसी समय जाकर उनको भर पेट भोजन कराया और उनके दुःख से दुःखी होकर वन में जाकर उसने ऋषियों से पूछा -- हे स्वामी ! मेरे माता-पिता किन कर्मों के कारण इस योनि को प्राप्त हुए, और किस प्रकार उससे मुक्ति पा सकते हैं। सुमित के उन वचनों को श्रवण कर सर्वतपा नामक महर्षि दया करके बोले -- पूर्वजन्म में तुम्हारी माता ने अपने उच्छृंखल स्वभाव के कारण रजस्वला होते हुए भी घर-गृहस्थी की समस्त वस्तुओं को स्पर्श किया था और तुम्हारे पिता ने उसको स्पर्श किया था।इसी कारण वे कुतिया और बैल की योनि को प्राप्त हुए हैं। तुम उनकी मुक्ति के लिए ऋषि पंचमी का व्रत धारण करो।

       श्रीकृष्णजी बोले -- हे राजन् ! महर्षि सर्वतपा के वचनों को श्रवण करके सुमित अपने घर आया और ऋषि पंचमी का दिन आने पर उसने अपनी स्त्री सहित उस व्रत को धारण किया और उसके पुण्य को अपने माता-पिता को दे दिया। व्रत के प्रभाव से उसके माता-पिता दोनों ही पशु योनि से मुक्त हो गया और स्वर्ग को चले गए। जो स्त्री इस व्रत को धारण करती है वह समस्त सुखों को पाती है।


       🙏 जय श्रीकृष्ण 🙏

सोमवार, 29 अगस्त 2022

दुनिया के कुछ अनसुने , अनसुलझे रहस्य

अनसुलझे रहस्य – Unsolved Mysteries

दोस्तों, अभी तक विज्ञान और चिकित्सा ने चाहे कितनी ही तरक्की कर ली है, लेकिन अभी भी हमारी दुनिया बहुत से ऐसे रहस्यों से भरी हुई है जिन्हें अभी तक एक सुलझाना बाकी है। इनमे से कुछ छांट कर 10 रहस्य हम आपके लिए लाए हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में :

अनसुलझा रहस्य 1 :

साल 2003 में चिली के अटाकामा रेगिस्तान में 6 इंच लंबा विचित्र कंकाल पाया गया। अनेक लोगों का मानना है कि यह छह इंच लंबा कंकाल किसी अन्य ग्रह से संबंधित है लेकिन स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के जांचकर्ता दावा करते हैं कि यह कंकाल हजारों साल पहले इंसानी dna से छेड़छाड़ कर बनाया गया एक अन्य जीव है।

अनसुलझा रहस्य 2 :

हर कोई जानता है कि मनुष्य के अलग-अलग ब्लड ग्रुप होते हैं लेकिन आज तक कोई यह नहीं जानता कि ऐसा क्यों है ? बहुत से वैज्ञानिकों ने इस पर बहुत माथा पच्ची करी और जानने का प्रयास किया लेकिन आज तक यह एक रहस्य ही बना हुआ है।

अनसुलझा रहस्य 3 :

15वीं शताब्दी में एक रहस्यमयी लिपि लीखी गई और इसे 240 पेजो की किताब में संकलित भी किया गया। वैज्ञानिक इसे वोय्निच मेन्युस्क्रिप्ट (Voynich Manuscript) कहते हैं, लेकिन इस भाषा को आज तक नहीं पढ़ा जा सका है। इसे पढ़ने में वैज्ञानिक अभी तक 100 प्रतिशत असफल हैं। कई लोग दावा करते हैं कि इस लिपि को अन्य ग्रह से आए हुए लोगों ने लिखा है, लेकिन कारण जो भी हो आज तक यह लिपि बिल्कुल भी नहीं पढ़ी जा सकी है।

अनसुलझा रहस्य 4 :

1975 में चीन के एक शहर “Haicheng” में कुत्ते तथा अन्य जानवर बड़ा ही अजीब व्यवहार करने लगे जो बहुत ही ज्यादा विचित्र और समझ से परे था। जानवरों की यह हरकत बहुत ही ज्यादा परेशान कर देने वाली थी। चीनियों ने इसे रहस्यमयी संकेत समझा और उसके बाद पूरा “Haicheng” शहर खाली करा लिया गया। इसके कुछ घंटे बाद ही इस शहर में 7.3 मैगनेटयूड का शक्तिशाली भूकंप आया जिसके कारण लगभग पूरा शहर बर्बाद हो गया। जानवरों की यह विचित्र हर के आज तक एक पहली बनी हुई है।

अनसुलझा रहस्य 5 :

दुनिया में “पैंडोरा वायरस” एक ऐसा विचित्र वायरस है जिसे कुछ लोग परग्रही वायरस बताते हैं क्योंकि वैज्ञानिक आज तक इसका 93% प्रतिशत जैविक सरंचना ही नहीं समझ पाए हैं।

अनसुलझा रहस्य 6 :

1518वीं शताब्दी में रोमन शहर में एक ऐसी विचित्र नाचने वाली बीमारी फैली जिसे लोगों ने “डांसिंग प्लेग (Dancing Plague)” का नाम दिया और इस रहस्यमई बीमारी को आज तक नहीं समझा जा सका। करीब 400 लोग जो एक रोमन शासित शहर में रहते थे, अचानक ही नाचना शुरु किया जो करीब एक महीने तक लगातार नाचते ही रहे कई लोगों ने इन्हें रोकने की कोशिश की परंतु वह नाकामयाब रहे। इन लोगों में से अधिकतर लोग थकान, दिल का दौरा तथा खून की नसें फट जाने के कारण मारे गए। यह बीमारी आज तक एक रहस्य बनी हुई है।

अनसुलझा रहस्य 7 :

कैपलर टेलिस्कोप एक ऐसी शक्तिशाली दूरबीन है जो हमें 1200 से भी ज्यादा संभावित दुनिया ढूंढने में मदद कर सकती है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि की करीब 37 तारों में से एक तारे के मंडल में एक धरती अवश्य होनी चाहिए परंतु फिर भी हम अभी तक किसी भी जीवन के बारे में नहीं जान सकें हैं। क्या हम इस विशाल ब्रह्माण्ड में बिलकुल अकेले हैं।

अनसुलझा रहस्य 8 :

चीन में यांग्सी नामक एक गांव बसा हुआ है जो अपने एक विचित्र कारण के लिए जाना जाता है। इस गांव की एक विशेषता है की इसमें रहने वाले लगभग लोग “बौने” हैं। इस गाँव को लोग ‘बौनों’ का गांव भी कहते हैं। परंतु इस गांव में इतने अधिक लोग बौने क्यों होते हैं, यह अभी भी अज्ञात हैं।

अनसुलझा रहस्य 9 :

साल 1854 में इंग्लैंड में रहने वाली ‘जो गिरादेल्ली’ (Jo Girardelli) ने एक अलग ही तरह का आग का खेल दिखाना शुरु किया, इस खेल को बहुत से लोग पसंद भी करने लगे। इस खेल में ‘गिरादेल्ली’ एक गरम-गरम लाल दहकता हुआ लोहे का टुकड़ा निगल जाती थी, लेकिन इसके बावजूद उनको कोई भी नुकसान नहीं होता था। यहां तक की वह दहकते हुए धातु के टुकडे जैसे चाकू, तलवार अपने शरीर से सटाकर मोड़ देती थी और इन्हें अपनी जीभ से चाटा करती थी, लेकिन इसके बावजूद वह कभी भी नहीं जली और न ही इसे किसी प्रकार का कोई नुक्सान हुआ। वैसे बहुत सारे लोग इसे एक सामान्य चालाकी मानते थे लेकिन फिर भी कोई भी आज तक यह साबित नहीं कर पाया कि यह कैसे होता था।

अनसुलझा रहस्य 10 :

रोमानिया के ‘ट्रांसिलवेनिया’ जिले में “होइया बसिऊ” (Hoia Baciu) नाम से एक रहस्यमयी जंगल है। यह जंगल बहुत सी भूतिया तथा रहस्यमयीं गतिविधियों के लिए बदनाम है। यह जंगल घूमने वाले बहुत से पर्यटक जब जंगल घूम कर वापस आते हैं तो उनके शरीर पर जले हुए तथा खरोचों के निशान होते हैं, लेकिन उनके उन लोगों के अनुसार उन्हें पता ही नहीं होता कि यह सब कैसे हुआ। वही कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि अपनी जंगल यात्रा के दौरान उन्हें बीच के कुछ घंटे याद नहीं रहते, इन खोये हुए समय में क्या हुआ इसके बारे में वह पूरी तरह से अनजान होते है तथा वह इसे “लुप्त समय” कहते हैं। इस क्षेत्र के बहुत से लोग विश्वास करते हैं कि यह कुछ भूतिया घटनाओं या भूतिया गतिविधियों की जगह हैं परंतु कारण चाहे जो भी हो आज तक यह रहस्य समझ में नहीं आया है

जानकारी स्त्रोत गूगल

रविवार, 28 अगस्त 2022

LIVE नोएडा के ट्विन टावर मलबे में तब्दील:3700 किलो बारूद से जमींदोज हुईं 32 और 29 मंजिला इमारतें, करीब 15 करोड़ में बिकेगा मलबा

 LIVE नोएडा के ट्विन टावर मलबे में तब्दील:3700 किलो बारूद से जमींदोज हुईं 32 और 29 मंजिला इमारतें, करीब 15 करोड़ में बिकेगा मलबा



नोएडा के सेक्टर 93 में बने सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर दोपहर ढाई बजे ढहा दिए गए। 100 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले दोनों टावर को गिरने में सिर्फ 12 सेकेंड का वक्त लगा। ब्लास्ट से पहले करीब 7 हजार लोगों को एक्सप्लोजन जोन से हटाया गया। सबसे पहले देखिए ट्विन टावर गिरने के वक्त एक्सप्लोजन साइट पर नजारा कैसा था...






ट्विन टावर गिरने के तुरंत बाद धूल का बड़ा गुबार उठा, जिसके बाद आसपास की इमारतें दिखनी ही बंद हो गईं।
ट्विन टावर गिरने के तुरंत बाद धूल का बड़ा गुबार उठा, जिसके बाद आसपास की इमारतें दिखनी ही बंद हो गईं।
टावर गिरने के बाद प्रशासन के क्लियरेंस तक 5 रास्तों पर ट्रैफिक की आवाजाही रुकी रहेगी। यहां नोएडा पुलिस के 560 से ज्यादा जवान तैनात हैं। इमरजेंसी के लिए एंबुलेंस भी तैनात की गई थी। ब्लास्ट के बाद इलाके में पॉल्यूशन लेवल मॉनिटर करने के लिए स्पेशल डस्ट मशीन लगाई गई हैं।

Uploading: 36975 of 36975 bytes uploaded.धमाके के दौरान बनाए गए वीडियो में दोनों टॉवर ब्लास्ट से गिरते हुए नजर आ रहे हैं। पास की सभी सोसायटी खाली करा ली गई थीं।
धमाके के दौरान बनाए गए वीडियो में दोनों टॉवर ब्लास्ट से गिरते हुए नजर आ रहे हैं। पास की सभी सोसायटी खाली करा ली गई थीं।
अपडेट्स...

ट्विन टावर के पास की दो सोसायटी में ब्लास्ट से पहले रसोई गैस और बिजली सप्लाई बंद कर दी गई थी।
नोएडा पुलिस ने एहतियातन ग्रीन कॉरिडोर बनाए थे। एम्बुलेंस भी मौके पर तैनात की गई थीं।
एक्सप्लोजन जोन में 560 पुलिस कर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 लोग और 4 क्विक रिस्पांस टीम समेत NDRF टीम भी तैनात की गई।
दोपहर 2.15 बजे एक्सप्रेस-वे को बंद किया गया। आधे घंटे बीतने के बाद प्रशासन की सलाह पर ही इसे खोला जाएगा।
एक्स्प्रेस वे के अलावा 5 और रूट बंद किए गए हैं। आसपास के रास्तों पर धूल हटने के बाद ही इन्हें खोला जाएगा।
ट्रैफिक डायवर्जन के लिए नोएडा ट्रैफिक पुलिस ने हेल्पलाइन नंबर 99710 09001 जारी किया है।

पांच पॉइंट्स में जानिए ट्विन टावर कैसे बने, क्यों और किस तरह टूटे

1.10 मंजिल की इजाजत, 40 मंजिल के दो नए टावर बना दिए
2004 में नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को हाउसिंग सोसाइटी बनाने के लिए प्लॉट अलॉट किया था। 2005 में बिल्डिंग प्लान मंजूर हुआ। इसमें 10 मंजिल के 14 टावर बनाने की इजाजत थी। 2006 में सुपरटेक ने प्लान में बदलाव कर 11 मंजिल के 15 टावर बना लिए। नवंबर 2009 में प्लान फिर बदलकर 24 मंजिल के दो टावर शामिल कर लिए गए। मार्च 2012 में 24 मंजिल को बढ़ाकर 40 कर लिया। जब रोक लगी, तब तक इनमें 633 फ्लैट बुक हो चुके थे।

2. हाई कोर्ट ने 8 साल पहले ट्विन टावर गिराने का आदेश दिया
टावर से सटी एमरेल्ड गोल्ड सोसाइटी के रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन प्रेसिडेंट उदयभान सिंह तेवतिया ट्विन टावर का मामला कोर्ट में ले गए थे। उन्होंने 2012 में अवैध निर्माण के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। हाई कोर्ट ने 2014 में ट्विन टावर को अवैध घोषित कर गिराने का आदेश दिया। कहा कि जिन लोगों ने यहां फ्लैट बुक किए हैं, उन्हें 14% ब्याज के साथ उनका पैसा लौटाया जाए।


3. सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2021 में टावर गिराने का आदेश दिया, गिरे अब
सुपरटेक बिल्डर ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया और 31 अगस्त 2021 को आदेश दिया कि तीन महीने के अंदर यानी नवंबर 2021 को टावर गिरा दिए जाएं। नोएडा अथॉरिटी ने कोर्ट में कहा कि 22 मई 2022 तक ये काम कर लिया जाएगा। आखिर में इसकी तारीख 28 अगस्त 2022 तय हुई। याचिका लगाने वाले तेवतिया के मुताबिक, टावर टूटने के के फायदे 3 महीने बाद दिखने लगेंगे।

4. गिराने के लिए दो कंपनियों से करार, इनमें एक साउथ अफ्रीका की
टावर गिराने का काम भारत की एडिफाइस और साउथ अफ्रीका की कंपनी जेट डिमोलिशन को मिला। जेट कंपनी को मुश्किल डिमोलिशन के 5 अवार्ड मिल चुके हैं। वह जोहान्सबर्ग में 108 मीटर ऊंची बैंक ऑफ लिस्बन की बिल्डिंग, साउथ अफ्रीका में ही एक पावर स्टेशन और राजधानी प्रिटोरिया में घनी आबादी में बने 14 मंजिला ट्विन टावर गिरा चुकी है। एडिफाइस भी गुजरात का ओल्ड मोटेरा स्टेडियम गिरा चुकी है।


5. टावर में 9800 छेद किए, हर छेद में करीब 1400 ग्राम बारूद भरा गया
एडिफाइस के डायरेक्टर उत्कर्ष माहेश्वरी के मुताबिक, सुपरटेक का एक टावर 29 और दूसरा 32 मंजिला है। दोनों टावरों में 9800 छेद किए गए। हर छेद में करीब 1400 ग्राम बारूद डाला गया। कुल 3700 किलो बारूद इस्तेमाल हुआ। इसमें 325 किलो सुपर पावर जेल, 63,300 मीटर सोलर कार्ड, सॉफ्ट टयूब, जिलेटिन रॉड, 10,900 डेटोनेटर और 6 IED शामिल हैं। इस पर करीब 17.55 करोड़ रुपए खर्च हुए। यह खर्च भी सुपरटेक से ही लिया जाएगा।

घनी आबादी के बीच मौजूद ट्विन टावर के पास की इमारतों को खाली कराने के बाद उन्हें खास कपड़े से ढंका गया था, ताकि मलबे से उन्हें नुकसान न पहुंचे।
घनी आबादी के बीच मौजूद ट्विन टावर के पास की इमारतों को खाली कराने के बाद उन्हें खास कपड़े से ढंका गया था, ताकि मलबे से उन्हें नुकसान न पहुंचे।
सुबह 9.55 बजे: धूल हटाने के लिए 15 स्मॉग गन लगाई गईं। हवा में प्रदूषण की जांच के लिए 6 एयर क्वालिटी इंडेक्स मशीनें मौजूद हैं। 6 हॉस्पिटल स्टैंडबाय रखे गए।
सुबह 9.55 बजे: धूल हटाने के लिए 15 स्मॉग गन लगाई गईं। हवा में प्रदूषण की जांच के लिए 6 एयर क्वालिटी इंडेक्स मशीनें मौजूद हैं। 6 हॉस्पिटल स्टैंडबाय रखे गए।
एक्सप्लोजन जोन के पास NDRF की टीम भी तैनात की गई, ताकि ब्लास्ट या उसके बाद किसी आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाई जा सके।
एक्सप्लोजन जोन के पास NDRF की टीम भी तैनात की गई, ताकि ब्लास्ट या उसके बाद किसी आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाई जा सके।
एक्सप्लोजन जोन की निगरानी के लिए CCTV कैमरे
एक्सप्लोजन जोन की निगरानी के लिए एक बस में मोबाइल इंसिडेंट कमांड सेंटर बनाया गया है। इसकी जिम्मेदारी सेंट्रल नोएडा के DCP एस राजेश संभाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमने ट्विन टावर के आसपास एक्सक्लूजन जोन बनाया है। यहां सुबह 7 बजे से बैरिकेडिंग कर दी गई। सारी तैयारियां होने के बाद एक टीम पूरा चेक करेगी। ट्विन टावर के सामने और आसपास 7 सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। इनके फीड कमांड सेंटर में मिलते रहेंगे। उन्हें ऑब्जर्व किया जाएगा।

सुबह 7.55 बजे: सेंट्रल नोएडा के DCP एस राजेश ने बताया कि एक्सप्लोजन जोन में कोई न आ सके, इसकी मॉनीटरिंग के लिए कैमरे लगाए गए हैं।
सुबह 7.55 बजे: सेंट्रल नोएडा के DCP एस राजेश ने बताया कि एक्सप्लोजन जोन में कोई न आ सके, इसकी मॉनीटरिंग के लिए कैमरे लगाए गए हैं।
सुबह 7.35 बजे: एक NGO की टीम ने एक्सप्लोजन जोन में घूम रहे लगभग 30-35 कुत्तों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया।
सुबह 7.35 बजे: एक NGO की टीम ने एक्सप्लोजन जोन में घूम रहे लगभग 30-35 कुत्तों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया।
सुबह 7.30 बजे: एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटी के लगभग 7 हजार निवासियों को निकाला गया। इसके बाद यहां क्रेन आने लगीं।
सुबह 7.30 बजे: एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटी के लगभग 7 हजार निवासियों को निकाला गया। इसके बाद यहां क्रेन आने लगीं।
सुबह 7 बजे : पुलिस ने सेक्टर 93A, नोएडा में सुपरटेक ट्विन टावर्स के आसपास के क्षेत्र को खाली करने का अनाउंसमेंट किया।
सुबह 7 बजे : पुलिस ने सेक्टर 93A, नोएडा में सुपरटेक ट्विन टावर्स के आसपास के क्षेत्र को खाली करने का अनाउंसमेंट किया।
भारत में इससे पहले इम्प्लोसिव टेक्नीक से इतना बड़ा डिमोलिशन कभी नहीं हुआ

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