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बुधवार, 7 सितंबर 2022

क्या मेडिकल माफिया सही में सक्रिय है?

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नीचे दी गईं कुछ बातों को अपने जीवन से तालमेल करते हुए विचार करें कि........


*क्या मेडिकल माफिया सही में सक्रिय है? :-*

*1.पहले सिगरेट को प्रमोट किया ।*

*2. फिर प्राणघातक रिफाइंड को promote किया ।*

*3. सरसों के शुद्ध तेल और देशी घी का विरोध किया ।*

*4 .बच्चों के लिये अमृत समान देशी गाय के दूध और शहद के स्थान पर ,कैंसर कारक sikkmed milk powder को promote किया।*

*5.खिचड़ी के स्थान पर 7 दिन पुरानी ब्रेड को promote किया।*

*6.सेंधा नमक के स्थान पर समुद्री नमक को promote किया ।*

*7.मधुमेह एवं रक्तचाप के मानक क्यों बदले जाते रहे हैं?*

*8. बीमारी के समय खाने पीने के निर्देश देने की प्रथा बंद करके क्यों अन्य बीमारियों को बढा़ने में सहयोग किया गया?*

*9. आपरेशन से बच्चा पैदा होना, घुटनों का निरन्तर बढ़ता प्रत्यारोपण, जीवन पर्यंत रक्तचाप व मधुमेह की गोलियां खाना क्या कहीं माफिया का कुचक्र तो नहीं?*

*क्या मेडिकल माफिया ने इन सबको आपकी भलाई के लिये prmote किया ⬇️*

*1.क्या किसी मेडिकल माफिया ने आपको बताया कि उच्च रक्तचाप (BP) , URIC ACID और अन्य acid आदि की समस्या की जड़ चाय है ?* 

-- *मैंने जब चाय छोड़ दी दोनों समस्याओं ने मेरा पीछा भी छोड़ दिया* ।

*2.क्या किसी मेडिकल माफिया ने आपको मधुमेह ( शुगर) की जड़ गेहूँ के आटे के बारे में बताया ? कि अगर आप ज्वार ,बाजरा ,जौ , चने के मिश्रित आटे का प्रयोग करेंगे तो मधुमेह आपका पीछा छोड़ देगा!*

*3. क्या किसी मेडिकल माफिया ने केमिकल युक्त चीनी के स्थान पर देशी खांड जिसमे कोई केमिकल नहीं पड़ता उसके बारे में बताया ?*

*4.क्या किसी मेडिकल माफिया ने फ्रिज के ठंडे पानी से होने वाले सिरदर्द के बारें में बताया ? मैंने ठंडा पानी छोड़ दिया उसके बाद मेरा सिरदर्द से पीछा छूटा!* 

*5 क्या किसी मेडिकल माफिया ने AC कि हवा से शरीर कि पसीने से होने वाली प्रक्रिया मे बाधा बताया जो कालान्तर मे शरीर कि प्राकृतिक सफाई न होने से किडनी व हृदय रोग का कारण बनता है?* 

*6.क्या किसी मेडिकल माफिया ने हानिकारक विटामिन D के स्थान धूपस्न्नान लेने की सलाह दी,*

*कैल्शियम की गोलियों जिससे कब्ज़ हो जाती है उसके स्थान पर चूने की गोलियों का सेवन की सलाह दी,*

*विटामिन C की गोलियों के स्थान पर खट्टे फल खाने की सलाह दी,*

*zinc की गोलियों के स्थान पर प्रातः ताम्रपत्र में जल पीने की सलाह दी।*

*7.अब चाउमिन, मोमोज जो गली गली बेचा जा रहा है उस के मैदे, अझिनोमोट्टो व एसिड से होने वाले नुकसान के बारे मे किसी भी मेडिकल डाक्टर से कभी सुना है कि किसी ने परहेज करवाया ??* 

*इस का परिणाम भयंकर कैन्सर होगा जो जीवन भर कि कमाई, दवाई के नाम पर इन को दे दो और जान से हाथ धो बैठो । दर्द जो होगा वह अलग ।*

*जीवनशैली रोगों की बात तो हो रही है परंतु जीवनशैली सुधार की बात क्यों नहीं?*

*अगर मेडिकल माफिया आपको सही सलाह देगा तो एक तो यह इससे हाथ धो बैठगा दूसरा रोगी से*
*या तो यह तथाकथित-* 

*MEDICAL SCIENCE झूठी है या इसकी नीयत में खोट है । मानना न मानना भी आपकी मर्जी है। आज के समय डाक्टर बनने में जो लाखों-करोड़ खर्चा आता है वो मजबूरन कहीं से तो निकालना पडेगा।*

*लेकिन इन सब प्रश्नों पर विचार अवश्य करें, कुछ और भी प्रश्न आपके मन में आये होंगे उनको भी विचारें और आगे बढ़े........*

*आपका स्वास्थ्य आपके हाथ में है न कि डॉक्टर के हाथ में* 
*प्राथमिक स्वास्थ्य शिक्षा हम सभी के लिए अति आवश्यक है |*
🙏🙏
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*🤔प्राकृतिक रहिए, स्वस्थ रहिए 🤗*

गुरुवार, 1 सितंबर 2022

ये है दुनिया का सबसे घातक जानवर:


 

ये है दुनिया का सबसे घातक जानवर:

मच्छर वह जानवर है जो दुनिया में सबसे ज्यादा मौत का कारण बनता है, जो हर साल लाखों लोगों को मारने या अक्षम करने वाली बीमारियों का वाहक है। एक आदर्श हत्या मशीन की तरह दिखने वाले शरीर के साथ, मच्छर के छोटे सिर में ठीक 100 आंखें होती हैं।

इसके मुंह में, जो शायद ही माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है, इसके 48 दांत होते हैं। छाती पर, एक केंद्र के लिए और दो पंखों के लिए, 3 दिल होते हैं और प्रत्येक दिल में 2 अटरिया और 2 निलय होते हैं।

इसमें एक डिग्री सेल्सियस के एक हजारवें हिस्से की संवेदनशीलता के साथ, गर्मी के साथ जीवित चीजों को खोजने के लिए एक हीट रिसेप्टर है।

इसमें एक बहुत उन्नत रक्त विश्लेषक है, एक संवेदनाहारी उपकरण और एक थक्कारोधी के साथ ताकि इसका शिकार डंक पर प्रतिक्रिया न करे और आसानी से रक्त को अवशोषित कर सके।

इसकी सक्शन ट्यूब में छह छोटे ब्लेड होते हैं, जहां चार एक चौकोर चीरा बनाते हैं और अन्य दो रक्त को अवशोषित करने के लिए एक ट्यूब बनाते हैं।

उनके भोजन के स्रोत को पकड़ने के लिए उनके पैरों में पंजे और हुक भी होते हैं।

यह सत्य है कि यही वह "संजीवनी बूटी" है जिसका जिक्र रामायण में है?

 

प्रधानमंत्रीजी मोदी जी ने 19.12 .19 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में लद्दाख में पाए जाने वाले पौधे "सोलो" के औषधीय गुणों तथा इसके लाभ का जिक्र किया जिससे यह पौधा सुर्खियों में आ गया।

आइए एक नजर डालें इस पौधे के औषधीय खासियत पर जिसके कारण या चर्चा का विषय बन गया है----

सोलो नामक या अद्भुत औषधीय पौधा मूल रूप से लद्दाख में 15-18 हजार फीट की ऊंचाई पर पैदा होता है। लद्दाख में यह खारदुंगला, चांगला और पेजिला इलाकों में मिलता है।

इसका वैज्ञानिक नाम 'रोडियोला' है मुख्य रूप से सोलो की 3 प्रजातियां है सोलो कारपो(सफेद) सोलो मारपो (लाल) और सोलो सेरेपो (पीला)।

सोलो के पत्ते तुलसी के पत्तों की तरह चबाए जा सकते हैं ।इसकी चाय भी बनती है ।मूल लद्दाख निवासी सोलो के पौधों के पत्तेदार भाग की सब्जी बनाते हैं जिससे 'तंगथुर' कहते हैं।

आयुर्वेद के जानकारों के अनुसार इस पौधे की मदद से, शरीर को कड़ाके की ठंड वाली पर्वतीय परिस्थितियों के अनुरूप ढालने में मदद मिलती है। इसका उपयोग निम्न लिखित रूप में किया जा सकता है-----

यह पौधा शरीर को सीधे ऑक्सीजन प्रदान करता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता ।है

बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करता है

याददाश्त को भी बेहतर करता है।

मानसिक तनाव कम करने में भी सोलो के औषधीय गुण सहायक है।

बम या बायोकेमिकल से पैदा हुए रेडिएशन के प्रभाव से बचाने में भी या पौधा कारगर है।

यह अवसाद कम करने और भूख बढ़ाने में भी लाभकारी है ।सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में जवानों में डिप्रेशन ,भूख कम लगने की समस्या के इलाज में यह फायदेमंद है।

चूंकि सोलो पौधा शरीर को सीधे ऑक्सीजन ही नहीं देता ,बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, रेडिएशन के प्रभाव को कम करता है अतः ऊंचाई पर तैनात सैनिकों के लिए रामबाण सिद्ध होगा।

लेह स्थित "Defence Institute Of High Altitude Research" के वैज्ञानिकों का दावा है लद्दाख, सियाचिन जैसी प्रतिकूल जगहों पर रहने वाले भारतीय सेना के जवानों के लिए यह औषधि चमत्कारिक साबित हो सकती है ।

वैज्ञानिक सोलो के गुणों से बेहद उत्साहित हैं।इसके अनेक औषधीय गुणों के कारण यह धारणा भी बन गई है कि संभवत यही "संजीवनी बूटी" है जिसका जिक्र रामायण में किया जाता है।

'गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी' के बायो टेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रताप कुमार ने बताया है कि सोलो का टिश्यू प्लांट (बेबी ट्यूब प्लांट) तैयार किया गया है ।

इस टिश्यू प्लांट के जरिए लद्दाख में इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जा सकती है,जो चिकित्सा और रोजगार के क्षेत्र में बेहद मददगार साबित हो सकती है।

ऐसे अनगिनत पौधे ,हर्बल प्रोडक्ट लद्दाख में मिलते हैं जिनकी बिक्री से वहां के किसानों को बहुत लाभ होगा।

स्त्रोत—www.bbc.com

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के व्रत को ऋषि पंचमी व्रत कहते हैं।


 #ऋषिपंचमीव्रतकथा 🌷

   भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी

के व्रत को
             ऋषि पंचमी व्रत कहते हैं।

      युधिष्ठिर ने प्रश्न किया हे देवेश ! मेने आपके श्रीमुख से अनेकों व्रतों को श्रवण किया है। अब आप कृपा करके पापों को नष्ट करने वाला कोई उत्तम व्रत सुनावें। राजा के इन वचनों को सुनकर श्रीकृष्णजी बोले -- हे राजेन्द्र ! अब मैं तुमको ऋषि पंचमी का उत्तम व्रत सुनता हूँ, जिसको धारण करने से स्त्री समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त कर लेती है। हे नरोत्तम, पूर्वसमय में वृत्रासुर का वध करने के कारण इन्द्र को ब्रह्महत्या का महान् पाप लगा था। तब ब्रह्माजी ने कृपा करके इन्द्र के उस पाप को चार स्थानों पर बांट दिया। पहला अग्नि की ज्वाला में, दूसरा नदियों के बरसाती जल में, तीसरा पर्वतों में और चौथा स्त्री के रज में। उस रजस्वला धर्म में जाने-अनजाने उससे जो भी पाप हो जाते हैं उनकी शुद्धि के लिए ऋषि पंचमी का व्रत करना उत्तम है।

        यह व्रत समान रूप से चारों वर्णों की स्त्रियों को करना चाहिए। इसी विषय में एक प्राचीन कथा का वर्णन करता हूँ।
        सतयुग में विदर्भ देश में स्येनजित नामक राजा हुए। वे प्रजा का पुत्रवत पालन करते थे। उनके आचरण ऋषि के समान थे। उनके राज्य में समस्त वेदों का ज्ञाता समस्त जीवों का उपकार करने वाला सुमित्र नामक एक कृषक ब्राह्मण निवास करता था। उनकी स्त्री जयश्री पतिव्रता थी।ब्राह्मण के अनेक नौकर-चाकर भी थे। एक समय वर्षाकाल में जब वह साध्वी खेती के कामों में लगी हुई थी तब वह रजस्वला भी हो गई। हे राजन् ! उसे अपने रजस्वला होने का भास हो गया किन्तु फिर भी वह घर गृहस्थी के कार्यों में लगी रही। कुछ समय पश्चात् वे दोनों स्त्री-पुरुष अपनी-अपनी आयु भोग कर मृत्यु को प्राप्त हुए। जयश्री अपने ऋतु दोष के कारण कुतिया बनी और सुमित्र को रजस्वला स्त्री के सम्पर्क में रहने के कारण बैल की योनि प्राप्त हुई।क्योंकि ऋतु दोष के अतिरिक्त इन दोनों का और कोई अपराध नहीं था इस कारण इन दोनों को अपने पूर्वजन्म का समस्त विवरण ज्ञात रहा। वे दोनों कुतिया और बैल के रूप में रहकर अपने पुत्र सुमित के यहाँ पलने लगे। सुमित धर्मात्मा था और अतिथियों का पूर्ण सत्कार किया करता था। अपने पिता के श्राद्ध के दिन उसने अपने घर ब्राह्मणों को जिमाने के लिए नाना प्रकार की भोजन सामग्री बनवाई। उसकी स्त्री किसी काम से बाहर गई हुई थी कि एक सर्प ने आकर रसोई के बर्तन में विष वमन कर दिया। सुमित की माँ कुतिया के रूप में बैठी हुई यह सब देख रही थी अतः उसने अपने पुत्र को ब्रह्महत्या के पाप से बचाने कीइच्छा से उस बर्तन को स्पर्श कर लिया। सुमित की पत्नी से कुतिया का यह कृत्य सहा न गया और उसने एक जलती हुई लकड़ी कुतिया के मारी। वह प्रतिदिन रसोई में जो जूठन आदि शेष रहती थी उस कुतिया के सामने डाल दिया करती थी।किन्तु उस दिन क्रोध के कारण वह भी उसने नहीं दी।तब रात्रि के समय भूख से व्याकुल होकर वह कुतिया अपने पूर्व पति के पास आकर बोली -- हे नाथ ! आज मैं भूख से मरी जा रही हूँ। वैसे तो प्रतिदिन मेरा पुत्र खाने को देता था, किन्तु आज उसने कुछ नहीं दियाहैं। मैने सांप के विष वाले खीर के बर्तन को ब्रह्महत्या के भय से छूकर अपवित्र कर दिया था। इस कारण बहू ने मारा और खाने को भी नहीं दिया है।तब बैल ने कहा -- हे भद्रे ! तेरे ही पापों के कारण मैं भी इस योनि में आ पड़ा हूँ। बोझा ढोते-ढोते मेरी कमर टूट गयी है।आज मैं दिन भर खेत जोतता रहा। मेरे पुत्र ने भी आज मुझे भोजन नहीं दिया और ऊपर से मारा भी खूब है। मुझे कष्ट देकर श्राद्ध को व्यर्थ ही किया है। अपने माता-पिता की इन बातों को उनके पुत्र सुमित ने सुन लिया। उसने उसी समय जाकर उनको भर पेट भोजन कराया और उनके दुःख से दुःखी होकर वन में जाकर उसने ऋषियों से पूछा -- हे स्वामी ! मेरे माता-पिता किन कर्मों के कारण इस योनि को प्राप्त हुए, और किस प्रकार उससे मुक्ति पा सकते हैं। सुमित के उन वचनों को श्रवण कर सर्वतपा नामक महर्षि दया करके बोले -- पूर्वजन्म में तुम्हारी माता ने अपने उच्छृंखल स्वभाव के कारण रजस्वला होते हुए भी घर-गृहस्थी की समस्त वस्तुओं को स्पर्श किया था और तुम्हारे पिता ने उसको स्पर्श किया था।इसी कारण वे कुतिया और बैल की योनि को प्राप्त हुए हैं। तुम उनकी मुक्ति के लिए ऋषि पंचमी का व्रत धारण करो।

       श्रीकृष्णजी बोले -- हे राजन् ! महर्षि सर्वतपा के वचनों को श्रवण करके सुमित अपने घर आया और ऋषि पंचमी का दिन आने पर उसने अपनी स्त्री सहित उस व्रत को धारण किया और उसके पुण्य को अपने माता-पिता को दे दिया। व्रत के प्रभाव से उसके माता-पिता दोनों ही पशु योनि से मुक्त हो गया और स्वर्ग को चले गए। जो स्त्री इस व्रत को धारण करती है वह समस्त सुखों को पाती है।


       🙏 जय श्रीकृष्ण 🙏

सोमवार, 29 अगस्त 2022

दुनिया के कुछ अनसुने , अनसुलझे रहस्य

अनसुलझे रहस्य – Unsolved Mysteries

दोस्तों, अभी तक विज्ञान और चिकित्सा ने चाहे कितनी ही तरक्की कर ली है, लेकिन अभी भी हमारी दुनिया बहुत से ऐसे रहस्यों से भरी हुई है जिन्हें अभी तक एक सुलझाना बाकी है। इनमे से कुछ छांट कर 10 रहस्य हम आपके लिए लाए हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में :

अनसुलझा रहस्य 1 :

साल 2003 में चिली के अटाकामा रेगिस्तान में 6 इंच लंबा विचित्र कंकाल पाया गया। अनेक लोगों का मानना है कि यह छह इंच लंबा कंकाल किसी अन्य ग्रह से संबंधित है लेकिन स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के जांचकर्ता दावा करते हैं कि यह कंकाल हजारों साल पहले इंसानी dna से छेड़छाड़ कर बनाया गया एक अन्य जीव है।

अनसुलझा रहस्य 2 :

हर कोई जानता है कि मनुष्य के अलग-अलग ब्लड ग्रुप होते हैं लेकिन आज तक कोई यह नहीं जानता कि ऐसा क्यों है ? बहुत से वैज्ञानिकों ने इस पर बहुत माथा पच्ची करी और जानने का प्रयास किया लेकिन आज तक यह एक रहस्य ही बना हुआ है।

अनसुलझा रहस्य 3 :

15वीं शताब्दी में एक रहस्यमयी लिपि लीखी गई और इसे 240 पेजो की किताब में संकलित भी किया गया। वैज्ञानिक इसे वोय्निच मेन्युस्क्रिप्ट (Voynich Manuscript) कहते हैं, लेकिन इस भाषा को आज तक नहीं पढ़ा जा सका है। इसे पढ़ने में वैज्ञानिक अभी तक 100 प्रतिशत असफल हैं। कई लोग दावा करते हैं कि इस लिपि को अन्य ग्रह से आए हुए लोगों ने लिखा है, लेकिन कारण जो भी हो आज तक यह लिपि बिल्कुल भी नहीं पढ़ी जा सकी है।

अनसुलझा रहस्य 4 :

1975 में चीन के एक शहर “Haicheng” में कुत्ते तथा अन्य जानवर बड़ा ही अजीब व्यवहार करने लगे जो बहुत ही ज्यादा विचित्र और समझ से परे था। जानवरों की यह हरकत बहुत ही ज्यादा परेशान कर देने वाली थी। चीनियों ने इसे रहस्यमयी संकेत समझा और उसके बाद पूरा “Haicheng” शहर खाली करा लिया गया। इसके कुछ घंटे बाद ही इस शहर में 7.3 मैगनेटयूड का शक्तिशाली भूकंप आया जिसके कारण लगभग पूरा शहर बर्बाद हो गया। जानवरों की यह विचित्र हर के आज तक एक पहली बनी हुई है।

अनसुलझा रहस्य 5 :

दुनिया में “पैंडोरा वायरस” एक ऐसा विचित्र वायरस है जिसे कुछ लोग परग्रही वायरस बताते हैं क्योंकि वैज्ञानिक आज तक इसका 93% प्रतिशत जैविक सरंचना ही नहीं समझ पाए हैं।

अनसुलझा रहस्य 6 :

1518वीं शताब्दी में रोमन शहर में एक ऐसी विचित्र नाचने वाली बीमारी फैली जिसे लोगों ने “डांसिंग प्लेग (Dancing Plague)” का नाम दिया और इस रहस्यमई बीमारी को आज तक नहीं समझा जा सका। करीब 400 लोग जो एक रोमन शासित शहर में रहते थे, अचानक ही नाचना शुरु किया जो करीब एक महीने तक लगातार नाचते ही रहे कई लोगों ने इन्हें रोकने की कोशिश की परंतु वह नाकामयाब रहे। इन लोगों में से अधिकतर लोग थकान, दिल का दौरा तथा खून की नसें फट जाने के कारण मारे गए। यह बीमारी आज तक एक रहस्य बनी हुई है।

अनसुलझा रहस्य 7 :

कैपलर टेलिस्कोप एक ऐसी शक्तिशाली दूरबीन है जो हमें 1200 से भी ज्यादा संभावित दुनिया ढूंढने में मदद कर सकती है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि की करीब 37 तारों में से एक तारे के मंडल में एक धरती अवश्य होनी चाहिए परंतु फिर भी हम अभी तक किसी भी जीवन के बारे में नहीं जान सकें हैं। क्या हम इस विशाल ब्रह्माण्ड में बिलकुल अकेले हैं।

अनसुलझा रहस्य 8 :

चीन में यांग्सी नामक एक गांव बसा हुआ है जो अपने एक विचित्र कारण के लिए जाना जाता है। इस गांव की एक विशेषता है की इसमें रहने वाले लगभग लोग “बौने” हैं। इस गाँव को लोग ‘बौनों’ का गांव भी कहते हैं। परंतु इस गांव में इतने अधिक लोग बौने क्यों होते हैं, यह अभी भी अज्ञात हैं।

अनसुलझा रहस्य 9 :

साल 1854 में इंग्लैंड में रहने वाली ‘जो गिरादेल्ली’ (Jo Girardelli) ने एक अलग ही तरह का आग का खेल दिखाना शुरु किया, इस खेल को बहुत से लोग पसंद भी करने लगे। इस खेल में ‘गिरादेल्ली’ एक गरम-गरम लाल दहकता हुआ लोहे का टुकड़ा निगल जाती थी, लेकिन इसके बावजूद उनको कोई भी नुकसान नहीं होता था। यहां तक की वह दहकते हुए धातु के टुकडे जैसे चाकू, तलवार अपने शरीर से सटाकर मोड़ देती थी और इन्हें अपनी जीभ से चाटा करती थी, लेकिन इसके बावजूद वह कभी भी नहीं जली और न ही इसे किसी प्रकार का कोई नुक्सान हुआ। वैसे बहुत सारे लोग इसे एक सामान्य चालाकी मानते थे लेकिन फिर भी कोई भी आज तक यह साबित नहीं कर पाया कि यह कैसे होता था।

अनसुलझा रहस्य 10 :

रोमानिया के ‘ट्रांसिलवेनिया’ जिले में “होइया बसिऊ” (Hoia Baciu) नाम से एक रहस्यमयी जंगल है। यह जंगल बहुत सी भूतिया तथा रहस्यमयीं गतिविधियों के लिए बदनाम है। यह जंगल घूमने वाले बहुत से पर्यटक जब जंगल घूम कर वापस आते हैं तो उनके शरीर पर जले हुए तथा खरोचों के निशान होते हैं, लेकिन उनके उन लोगों के अनुसार उन्हें पता ही नहीं होता कि यह सब कैसे हुआ। वही कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि अपनी जंगल यात्रा के दौरान उन्हें बीच के कुछ घंटे याद नहीं रहते, इन खोये हुए समय में क्या हुआ इसके बारे में वह पूरी तरह से अनजान होते है तथा वह इसे “लुप्त समय” कहते हैं। इस क्षेत्र के बहुत से लोग विश्वास करते हैं कि यह कुछ भूतिया घटनाओं या भूतिया गतिविधियों की जगह हैं परंतु कारण चाहे जो भी हो आज तक यह रहस्य समझ में नहीं आया है

जानकारी स्त्रोत गूगल

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