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शनिवार, 8 अक्तूबर 2022

जीवन में शीघ्रता से सफलता अर्जित करने वाले एवम जीवन में विलंबता से सफलता पाने वाले लोगों में मुख्यतः क्या अंतर होता है ?

 

चित्र में दो व्यक्ति दिखाए गए हैं

  1. एक बंदूक से बहुत बार गोली मारता है और
  2. दूसरा व्यक्ति एक ही बार निशाना लगाकर अपना काम पूरा करता है

यही अंतर है

  1. जीवन में शीघ्रता से सफलता अर्जित करने वाले एवम
  2. जीवन में विलंबता से सफलता पाने वाले लोगों में

अपनी योग्यता बढ़ाते रहें और भाग्य का सहारा लेते रहें यही सफलता की गारंटी है।

इस उत्तर का मूल स्रोत है शीघ्र सफलता अर्जित करने का नियम कर्म और भाग्य का रास्ता है। चित्र सोर्स है गूगल इमेजेस ।

प्राचीन समय भारत मे कभी छुआछुत रहा ही नहीं, और ना ही कभी जातियाँ भेदभाव का कारण होती थी।


 प्राचीन समय भारत मे कभी छुआछुत रहा ही नहीं, और ना ही कभी जातियाँ भेदभाव का कारण होती थी।
चलिए हजारो साल पुराना इतिहास पढ़ते हैं।




सम्राट शांतनु ने विवाह किया एक मछवारे की पुत्री सत्यवती से।उनका बेटा ही राजा बने इसलिए भीष्म ने विवाह न करके,आजीवन संतानहीन रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की।

सत्यवती के बेटे बाद में क्षत्रिय बन गए, जिनके लिए भीष्म आजीवन अविवाहित रहे, क्या उनका शोषण होता होगा?

महाभारत लिखने वाले वेद व्यास भी मछवारे थे, पर महर्षि बन गए, गुरुकुल चलाते थे वो।

विदुर, जिन्हें महा पंडित कहा जाता है वो एक दासी के पुत्र थे, हस्तिनापुर के महामंत्री बने, उनकी लिखी हुई विदुर नीति, राजनीति का एक महाग्रन्थ है।

भीम ने वनवासी हिडिम्बा से विवाह किया।

श्री कृष्ण दूध का व्यवसाय करने वालों के परिवार से थे,

उनके भाई बलराम खेती करते थे, हमेशा हल साथ रखते थे।

यादव क्षत्रिय रहे हैं, कई प्रान्तों पर शासन किया और श्री कृष्ण सबके पूजनीय हैं, गीता जैसा ग्रन्थ विश्व को दिया।

राम के साथ वनवासी निषादराज गुरुकुल में पढ़ते थे।

उनके पुत्र लव कुश महर्षि वाल्मीकि के गुरुकुल में पढ़े जो वनवासी थे

तो ये हो गयी वैदिक काल की बात, स्पष्ट है कोई किसी का शोषण नहीं करता था,सबको शिक्षा का अधिकार था, कोई भी पद तक पहुंच सकता था अपनी योग्यता के अनुसार।

वर्ण सिर्फ काम के आधार पर थे वो बदले जा सकते थे, जिसको आज इकोनॉमिक्स में डिवीज़न ऑफ़ लेबर कहते हैं वो ही।

प्राचीन भारत की बात करें, तो भारत के सबसे बड़े जनपद मगध पर जिस नन्द वंश का राज रहा वो जाति से नाई थे ।

नन्द वंश की शुरुवात महापद्मनंद ने की थी जो की राजा नाई थे। बाद में वो राजा बन गए फिर उनके बेटे भी, बाद में सभी क्षत्रिय ही कहलाये।

उसके बाद मौर्य वंश का पूरे देश पर राज हुआ, जिसकी शुरुआत चन्द्रगुप्त से हुई,जो कि एक मोर पालने वाले परिवार से थे और एक ब्राह्मण चाणक्य ने उन्हें पूरे देश का सम्राट बनाया । 506 साल देश पर मौर्यों का राज रहा।

फिर गुप्त वंश का राज हुआ, जो कि घोड़े का अस्तबल चलाते थे और घोड़ों का व्यापार करते थे।140 साल देश पर गुप्ताओं का राज रहा।

केवल पुष्यमित्र शुंग के 36 साल के राज को छोड़ कर 92% समय प्राचीन काल में देश में शासन उन्ही का  रहा, जिन्हें आज दलित पिछड़ा कहते हैं तो शोषण कहां से हो गया? यहां भी कोई शोषण वाली बात नहीं है।

फिर शुरू होता है मध्यकालीन भारत का समय जो सन 1100- 1750 तक है, इस दौरान अधिकतर समय, अधिकतर जगह मुस्लिम आक्रमणकारियो का समय रहा और कुछ स्थानों पर उनका शासन भी चला।

अंत में मराठों का उदय हुआ, बाजी राव पेशवा जो कि ब्राह्मण थे, ने गाय चराने वाले गायकवाड़ को गुजरात का राजा बनाया, चरवाहा जाति के होलकर को मालवा का राजा बनाया।

अहिल्या बाई होलकर खुद बहुत बड़ी शिवभक्त थी। ढेरों मंदिर गुरुकुल उन्होंने बनवाये।

मीरा बाई जो कि राजपूत थी, उनके गुरु एक चर्मकार रविदास थे और रविदास के गुरु ब्राह्मण रामानंद थे|।

यहां भी शोषण वाली बात कहीं नहीं है।

मुग़ल काल से देश में गंदगी शुरू हो गई और यहां से पर्दा प्रथा, गुलाम प्रथा, बाल विवाह जैसी चीजें शुरू होती हैं।

1800 -1947 तक अंग्रेजो के शासन रहा और यहीं से जातिवाद शुरू हुआ । जो उन्होंने फूट डालो और राज करो की नीति के तहत किया।

अंग्रेज अधिकारी निकोलस डार्क की किताब "कास्ट ऑफ़ माइंड" में मिल जाएगा कि कैसे अंग्रेजों ने जातिवाद, छुआछूत को बढ़ाया और कैसे स्वार्थी भारतीय नेताओं ने अपने स्वार्थ में इसका राजनीतिकरण किया।

इन हजारों सालों के इतिहास में देश में कई विदेशी आये जिन्होंने भारत की सामाजिक स्थिति पर किताबें लिखी हैं, जैसे कि मेगास्थनीज ने इंडिका लिखी, फाहियान,  ह्यू सांग और अलबरूनी जैसे कई। किसी ने भी नहीं लिखा की यहां किसी का शोषण होता था।

योगी आदित्यनाथ जो ब्राह्मण नहीं हैं, गोरखपुर मंदिर के महंत  हैं, पिछड़ी जाति की उमा भारती महा मंडलेश्वर रही हैं। जन्म आधारित जाति को छुआछुत व्यवस्था हिन्दुओ को कमजोर करने के लिए लाई गई थी।

इसलिए भारतीय होने पर गर्व करें और घृणा, द्वेष और भेदभाव के षड्यंत्रों से खुद भी बचें और औरों को भी बचाएं। कॉपी पेस्ट 

मोदी के बाद अब वही आएगा जो मोदी से भी बड़ा मोदी होगा।

 "हिजड़ों ने भाषण दिए लिंग-बोध पर,
वेश्याओं ने कविता पढ़ी आत्म-शोध पर"।
महिलाओं का दैहिक शोषण करने वाले नेता ने भाषण दिया नारी अस्मिता पर।
भ्रष्ट अधिकारियों ने शुचिता और पारदर्शिता पर उद्बोधन दिया विश्वविद्यालय मैं कभी ना पढ़ाने वाले प्रोफेसर कर्म योग पर व्याख्यान दे रहे हैं।
     असल मे दोष इनका नहीं है।
इस देश की प्रजा प्रधानमंत्री को मंदिर में पूजा करते देखने की आदी नहीं है।

इस देश ने एडविना माउंटबेटन की कमर में हाथ डाल कर नाचते प्रधानमंत्री को देखा है।

इस देश ने
मजारों पर चादर चढ़ाते प्रधानमंत्री को देखा है।
यह जनता प्रधानमंत्री को
पार्टी अध्यक्ष के सामने नतमस्तक होते देखती आयी है। मंदिर में भगवान के समक्ष नतमस्तक प्रधानमंत्री को लोग कैसे सहन करें ?
     
बिहार के एक बिना अखबार के पत्रकार मंदिर से निकल कर सूर्य को प्रणाम करते प्रधानमंत्री का उपहास उड़ा रहे हैं।

एक महान लेखक जिनका सबसे बड़ा प्रशंसक भी उनकी चार किताबों का नाम नहीं जानता,
प्रधानमंत्री के भगवा चादर की आलोचना कर रहे हैं।

एक कवियित्री जो अपनी कविता से अधिक मंच पर चढ़ने के पूर्व सवा घण्टे तक मेकप करने के लिए जानी जाती हैं, प्रधानमंत्री के पहाड़ी परिधान की आलोचना कर रही हैं।

भारत के इतिहास में आलोचना कभी इतनी निर्लज्ज नहीं रही, ना ही बुद्धिजीविता इतनी लज्जाहीन हुई कि
गांधीवाद के स्वघोषित योद्धा भी
बंगाल की हिंसा के लिए ममता बनर्जी का समर्थन करें।

क्या कोई व्यक्ति इतना हताश हो सकता है कि किसी की पूजा की आलोचना करे ?
क्या इस देश का प्रधानमंत्री अपनी आस्था के अनुसार ईश्वर की आराधना भी नहीं कर सकता ?
क्या बनाना चाहते हैं देश को आप ?
सेक्युलरिज्म की यही परिभाषा गढ़ी है आपने ?

एक हिन्दू नेता का टोपी पहनना उतना ही बड़ा ढोंग है, जितना किसी ईसाई का तिलक लगाना।
लेकिन जो लोग इस ढोंग को भी बर्दाश्त कर लेते हैं, उनसे भी
प्रधानमंत्री की शिव आराधना बर्दाश्त नहीं हो रही।

संविधान की प्रस्तावना में वर्णित
"धर्म, आस्था और विश्वास की स्वतंत्रता" का
यही मूल्य है आपकी दृष्टि में ?
      
व्यक्ति विरोध में अंधे हो चुके मूर्खों की यह टुकड़ी चाह कर भी नहीं समझ पा रही कि
मोदी एक व्यक्ति भर हैं,
आज नहीं तो कल हार जाएगा
कल कोई और था,
कल कोई और आएगा।
देश न इंदिरा पर रुका था,
न मोदी पर रुकेगा।
       
समय को इस बूढ़े से जो करवाना था वह करा चुका।
मोदी ने भारतीय राजनीति की दिशा बदल दी है।
मोदी ने ईसाई पति की पत्नी से
महाकाल मंदिर में रुद्राभिषेक करवाया है.
मोदी ने मिश्रित DNA वाले इसाई को हिन्दू बाना धारण करने के लिए मजबूर कर दिया है।
मोदी ने ब्राम्हणिक वैदिक के विरोध मे राजनीतिक यात्रा शुरू करनेवाले से शिवार्चन करवाया है। मोदी ने रामभक्तों पर गोली चलवाने वाले के पुत्र से राममंदिर का चक्कर लगवाया है।
हिन्दुओं में हिन्दुत्व की चेतना जगानेवाले

मोदी के बाद
अब वही आएगा
जो मोदी से भी बड़ा मोदी होगा।
       
"मोदी नाम केवलम" का
जाप करने वाले मूर्ख जन्मान्ध विरोधियों, अब मोदी आये न आये, तुम्हारे दिन कभी नहीं आएंगें।

अब ऐसी कोई सरकार नहीं आएगी जो घर बैठा कर मलीदा खिलाये!
.
💐💐 भारत बदल चुका है। 💐💐

🚩सनातन की चेतना जाग चुकी है। 💫
🚩🚩🚩🚩🚩
 कृपया अपने पांच मित्रों से शेयर अवश्य करें धन्यवाद।जय सनातन। जय श्री कृष्ण।

सोमवार, 3 अक्तूबर 2022

नवरात्रि में कन्या पूजन में ध्यान रखे कि कन्याओ

*कन्या पूजन की हार्दिक बधाई🌹🙏🌹*

♻ *कन्या पूजन से सभी तरह के वास्तु दोष, विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश होता है।*

⚱ *नवरात्रि में कन्या पूजन में ध्यान रखे कि कन्याओ की उम्र दो वर्ष से कम और दस वर्ष से ज्यादा भी न हो ।*

⚱ *शास्त्रों के अनुसार दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा गया है । कुमारी के पूजन से सभी तरह के दुखों और दरिद्रता का नाश होता है ।*

⚱ *तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति माना गया है । त्रिमूर्ति के पूजन से धन लाभ होता है ।*

⚱ *चार वर्ष की कन्या को कल्याणी कहते है । कल्याणी के पूजन से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है ।*
 
⚱ *पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी कहा गया है । माँ के रोहणी स्वरूप की पूजा करने से जातक के घर परिवार से सभी रोग दूर होते है।*

⚱ *छः वर्ष की कन्या को काली कहते है । माँ के इस स्वरूप की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि, यश और सभी क्षेत्रों में विजय की प्राप्ति होती है ।*

⚱ *सात वर्ष की कन्या को चंडिका कहते है । माँ चण्डिका के इस स्वरूप की पूजा करने से धन, सुख और सभी तरह की ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है ।*

⚱ *आठ वर्ष की कन्या को शाम्भवी कहते है । शाम्भवी की पूजा करने से युद्ध, न्यायलय में विजय और यश की प्राप्ति होती है ।*

⚱ *नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा का स्वरूप मानते है । माँ के इस स्वरूप की अर्चना करने से समस्त विघ्न बाधाएं दूर होती है, शत्रुओं का नाश होता है और कठिन से कठिन कार्यों में भी सफलता प्राप्त होती है ।*

⚱ *दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा स्वरूपा माना गया हैं। माँ के इस स्वरूप की आराधना करने से सभी मनवाँछित फलों की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते है ।*

⚱ *इसीलिए नवरात्र के इन नौ दिनों तक प्रतिदिन इन देवी स्वरुप कन्याओं को अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य से भेंट देना अति शुभ माना जाता है। इन दिनों इन नन्ही देवियों को फूल, श्रंगार सामग्री, मीठे फल (जैसे केले, सेब, नारियल आदि), मिठाई, खीर , हलवा, कपड़े, रुमाल, रिबन, खिलौने, मेहंदी आदि उपहार में देकर मां दुर्गा की अवश्य ही कृपा प्राप्त की जा सकती है ।*

⚱ *इन उपरोक्त रीतियों के अनुसार माता की पूजा अर्चना करने से देवी मां प्रसन्न होकर हमें सुख, सौभाग्य, यश, कीर्ति, धन और अतुल वैभव का वरदान देती है।*

  *जय माता दी* 🙏🚩🌸


अक्टूबर माह मे ग्रह राशि परिवर्तन विशेष और बारह राशियों का समय

  *🙏श्री गणेशाय नम:🙏*
 *अक्टूबर माह मे ग्रह राशि परिवर्तन विशेष और बारा राशियों का समय:-* 

अक्टूबर का महीना लग चुका है और ग्रहों के राशि परिवर्तन का दौर भी शुरू होने वाला है अक्टूबर 2022 से 5 ग्रहों शुक्र, शनि, मंगल, सूर्य और बुध का राशि परिवर्तन होने जा रहा है, जिसका असर 12 राशियों पर अलग अलग प्रभाव पड़ेगा मंगल राशि परिवर्तन का विशेष महत्व है मंगल ग्रह का मेष व वृश्चिक राशि पर आधिपत्य है यह मकर राशि में उच्च का माना गया है वर्तमान में मंगल ग्रह वृषभ राशि में विराजमान है.

शास्त्र अनुसार, 1 अक्टूबर को शुक्र के कन्या राशि में अस्त होने के बाद 2 अक्टूबर को बुध कन्या राशि में मार्गी हों गये वही मंगल 16 अक्टूबर को मिथुन राशि में प्रवेश करने के बाद से 13 नवंबर तक यही रहेंगे इसके बाद सूर्य तुला राशि में 17 अक्टूबर को गोचर करेंगे और इस राशि में सूर्य 16 नवंबर तक रहेंगे शुक्र 18 अक्टूबर को तुला राशि में प्रवेश करने के बाद 11 नवंबर तक विराजमान रहेंगे बुध तुला राशि में गोचर कर 13 नवंबर तक मौजूद रहेंगे

शनिदेव धनतेरस के दिन मार्गी होंगे, इससे कई राशियों को फायदा पहुंचेगा, वही मंगल 30 अक्टूबर को वक्री हो रहे हैं, जिससे कई ग्रहों पर इसका असर पड़ेगा.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध के मार्गी होने से वृषभ और तुला राशि वालों के करियर और व्यापार में तरक्की होगी,व्यापार बढ़ने से आय भी बढ़ेगी मिथुन राशि में मंगल गोचर से मेष और मीन राशि की आय में वृद्धि होगी और धन लाभ के साथ नौकरी में तरक्की के योग बनेंगे

मंगल ग्रह का मेष व वृश्चिक राशि पर आधिपत्य है यह मकर राशि में उच्च का माना गया है वर्तमान में मंगल ग्रह वृषभ राशि में विराजमान है और 16 अक्टूबर को मंगल  वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे इससे मिथुन राशि वालों को इस अवधि में नौकरी में तरक्की, व्यापार में गति और धन लाभ हो सकता है 

वही कर्क राशि वालों के लिए मंगल राशि परिवर्तन अच्छे दिन ला सकता है इस अवधि में नौकरी में नए प्रस्ताव, अधिकारियों से सहयोग और निवेश करने का उत्तम समय रहेगा सूर्य के राशि परिवर्तन से सिंह और मकर राशि के जातकों को अच्छा लाभ होगा और व्यापार में मुनाफा बढ़ेगा शुक्र के तुला राशि में गोचर से मेष और कर्क राशि वालों के लिए शुभ है, धन लाभ के योग के साथ आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी वही 23 अक्टूबर को शनि ग्रह की चाल में परिवर्तन होगा शनि वर्तमान में मकर राशि में वक्री अवस्था में हैं

23 अक्टूबर को शनि मार्गी होने से मेष राशि के दशम भाव में होगा इसका लाभ व्यापारी, नौकरी पेशा को मिलेगा नौकरी के नए अवसरों खुलने के बाद मान-सम्मान बढ़ेगा और धन लाभ के योग बनेंगे कर्क राशि के सातवें भाव में शनि मार्गी होंगे और खुशहाली आएगी.

 *अक्टूबर में ग्रहों का गोचर* 
मंगल का मिथुन राशि में गोचर: 16 अक्टूबर, 2022
सूर्य का तुला राशि में प्रवेश: 17 अक्टूबर 2022, कन्या राशि से
शुक्र का तुला राशि में प्रवेश: 18 अक्टूबर 2022
बुध का तुला राशि में प्रवेश: 26 अक्टूबर 2022
बृहस्पति मेष राशि में विराजमान: 28 अक्टूबर, 2022
शनि ग्रह का मकर राशि में प्रवेश: 23 अक्टूबर, 2022

अक्टूबर महीने में ग्रह नक्षत्रों की चाल का असर कुछ राशियों के लिए शुभ तो कुछ के लिए अशुभ कहा जा सकता है. वक्त से पहले अगर आपको आने वाले भविष्य के बारे में संकेत अच्छे या बुरे बता हो तो आप सतर्क रह सकते है. 

आपको बतातें हैं कि मेष से लेकर मीन तक कौन सी राशियां इन महीने शुभ है और कौन सी अशुभ.
 
मेष राशि
महीने की शुरुआत में संयत रहें. व्यर्थ के क्रोध-वाद विवाद से बचें. मानसिक शांति बनाए रखने का प्रयास करें. 17 अक्तूबर से कारोबारी कार्यों में भागदौड़ बढ़ेगी. 18 अक्तूबर से जीवनसाथी के स्वास्थ्य में सुधार होगा. 27 अक्टूबर से कारोबार में सुधार होगा. किसी मित्र का सहयोग भी मिल सकता है. कारोबार के लिए यात्रा बढ़ सकती है. रहन सहन अव्यवस्थित हो सकता है.

वृषभ राशि
महीने की शुरुआत में धैर्यशीलता में कमी हो सकती है. आत्मसंयत रहें. 17 अक्तूबर से बातचीत में संतुलित रहें.  18 अक्तूबर से स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें. खर्चों में वृद्धि होगी. माता के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें. दिनचर्या अव्यवस्थित रहेगी. 24 अक्तूबर से जीवन साथी के स्वास्थ्य में सुधार होगा. कार्यक्षेत्र में सुधार होगा. 26 अक्तूबर से कारोबार में कठिनाइयां आ सकती हैं.

मिथुन राशि
आत्मविश्वास तो बहुत होगा लेकिन मन में नकारात्मक विचारों का प्रभाव भी हो सकता है. 16 अक्तूबर तक स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें. 17 अक्तूबर से मन अशांत रहेगा. धैर्यशीलता में कमी रहेगी. परिवार में शांति बनाए रखने का प्रयास करें. शैक्षिक कार्यों में कठिनाइयां आ सकती हैं. कला या संगीत के प्रति रुझान बढ़ सकता है. 27 अक्तूबर से कारोबार में वृद्धि होगी.

कर्क राशि
महीने की शुरुआत में मन अशांत रहेगा. आत्मविश्वास में कमी रहेगी. स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें. 17 अक्तूबर से शैक्षिक कार्यों में कठिनाइयां आ सकती हैं. संतान-पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें. चिकित्सीय खर्च बढ़ सकते हैं. रहन सहन कष्टमय हो सकता है. 18 अक्तूबर से माता के स्वास्थ्य में सुधार होगा. वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है. कारोबार में भी सुधार होगा.

सिंह राशि
आत्मविश्वास में कमी रहेगी. मन अशांत रहेगा. क्रोध से बचें.  बातचीत में संतुलित रहें. 17 अक्तूबर के बाद किसी संपत्ति से आय के साधन बन सकते हें. परंतु स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें. मित्रों से सद्भाव भी बनाकर रखें. 18 अक्तूबर से कारोबार पर भी ध्यान दें. कठिनाइयां आ सकती हैं. कारोबार में पिता का साथ भी मिल सकता है. 24 अक्तूबर के बाद यात्रा बढ़ सकती है.

कन्या राशि
आत्मविश्वास तो बहुत रहेगा लेकिन मन में नकारात्मक विचारों का प्रभाव भी हो सकता है. आत्मसंयत रहें. 17 अक्तूबर तक अपनी भावनाओं को वश में रखें. परिवार में शांति बनाए रखने का प्रयास करें. 19 अक्तूबर के बाद कुटुंब परिवार की किसी बुजुर्ग महिला से धन की प्राप्ति हो सकती है. 24 अक्तूबर के बाद कार्यक्षेत्र में बदलाव हो सकता है.

तुला राशि
महीने की शुरुआत अशांत मन के साथ. मन में निराशा-असंतोष हो सकता है. 12 अक्तूबर के बाद जीवनसाथी के स्वास्थ्य में सुधार होगा. कारोबार में वृद्धि के लिए भागदौड़ बढ़ सकती है. संपत्ति में वृद्धि के योग भी बन रहे हैं. संपत्ति के रखरखाव पर खर्च भी बढ़ सकते हैं. 18 अक्तूबर से मन परेशान हो सकता है. 24 अक्तूबर से स्वास्थ्य में सुधार होगा. मन शांत रहेगा.

वृश्चिक राशि
आशा निराशा के भाव मन में हो सकते हैं. नौकरी में तरक्की के अवसर मिल सकते हैं. परंतु 16 अक्तूबर से आत्मविश्वास में कमी आ सकती है. नौकरी में कार्यक्षेत्र में वृद्धि हो सकती है. परिश्रम अधिक रहेगा. 18 अक्तूबर से खर्चों में वृद्धि हो सकती है. पिता की सेहत का ध्यान रखें. वाहन के रखरखाव पर भी खर्च बढ़ सकते हैं. कारोबार में कठिनाई आ सकती हैं. सचेत रहें.पं.संजय शास्त्री

धनु राशि
आत्मविश्वास तो बहुत रहेगा. परंतु मास के प्रारंभ में  मन परेशान भी हो सकता है. मन में नकारात्मक विचारों से बचें. परिवार के साथ किसी धार्मिक स्थान की यात्रा पर जा सकते हैं. 16 अक्तूबर से धैर्यशीलता में कमी आ सकती है. 18 अक्तूबर से कारोबार में कठिनाइयां आ सकती हैं. 19 अक्तूबर के बाद उपहार में वस्त्रों की प्राप्ति हो सकती है.

मकर राशि
आत्मविश्वास भरपूर. मन में नकारात्मकता का प्रभाव भी हो सकता है. 16 अक्तूबर तक आत्मसंयत रहें. 17 अक्तूबर से स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें. 18 अक्तूबर से माता के स्वास्थ्य का ध्यान भी रखें. पिता का साथ भी मिल सकता है. वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है. 24 अक्तूबर के बाद किसी मित्र से कारोबार का प्रस्ताव मिल सकता है. कारोबार में वृद्धि भी होगी.

कुंभ राशि
आत्मविश्वास में कमी रहेगी. मन में नकारात्मक विचारों का प्रभाव भी हो सकता है.  17 अक्तूबर से मन अशांत हो सकता है.  क्रोध से बचें। 18 अक्तूबर से कारोबार में व्यर्थ की भागदौड़ बढ़ सकती है। नौकरी में तरक्की के अवसर मिल सकते हैं. वाहन की प्राप्ति भी हो सकती है.जीवनसाथी के स्वास्थ्य में सुधार होगा. 24 अक्तूबर के बाद कारोबार में भी सुधार होगा.

मीन राशि
आत्मविश्वास तो बहुत रहेगा. परंतु मन परेशान हो सकता है. धैर्यशीलता में कमी हो सकती है. परिवार का साथ मिलेगा. 17 अक्तूबर के बाद नौकरी में तरक्की के अवसर मिल सकते है, लेकिन अफसरों से सद्भाव बनाकर रखें. 19 अक्तूबर से स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें. कार्यक्षेत्र में बदलाव हो सकता है. वाहन सुख में कमी आएगी. विदेश यात्रा का फायदा होगा.

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