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गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

एक ऐसा योद्धा, जिन्होंने 50 वर्ष के शासनकाल में 40 से अधिक युद्ध लड़कर अरबो को भारत से पलायन के लिए मजबूर कर दिया था.

एक ऐसा योद्धा, जिन्होंने 50 वर्ष के शासनकाल में 40 से अधिक युद्ध लड़कर अरबो को भारत से पलायन के लिए मजबूर कर दिया था...

सनातन धर्म रक्षक: सम्राट मिहिरभोज 
सम्राट मिहिरभोज का जन्म विक्रम संवत 873 (816 ईस्वी) को हुआ था। आपको कई नाम से जाना जाता है जैसे भोजराज, भोजदेव , मिहिर , आदिवराह एवं प्रभास।

आपका राज्याभिषेक विक्रम संवत 893 यानी 18 अक्टूबर दिन बुधवार 836 ईस्वी में 20 वर्ष की आयु में हुआ था। और इसी दिन 18 अक्टूबर को ही हर वर्ष भारत में आपकी जयंती मनाई जाती है।

ऐसा राजा जिसका साम्राज्य संसार में सबसे शक्तिशाली था। इनके साम्राज्य में चोर डाकुओ का कोई भय नहीं था। सुदृढ़ व्यवस्था व आर्थिक सम्पन्नता इतनी थी कि विदेशियो ने भारत को सोने की चिड़िया कहा।

यह जानकर अफ़सोस होता है की ऐसे अतुलित शक्ति , शौर्य एवं समानता के धनी मिहिरभोज को भारतीय इतिहास की किताबो में स्थान नहीं मिला।
सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार के शासनकाल में सर्वाधिक अरबी मुस्लिम लेखक भारत भ्रमण के लिए आये और लौटकर उन्होंने भारतीय संस्कृति सभ्यता आध्यात्मिक-दार्शनिक ज्ञान विज्ञानं , आयुर्वेद , सहिष्णु , सार्वभौमिक समरस जीवन दर्शन को अरब जगत सहित यूनान और यूरोप तक प्रचारित किया।

क्या आप जानते हे की सम्राट मिहिरभोज ऐसा शासक था जिसने आधे से अधिक विश्व को अपनी तलवार के जोर पर अधिकृत कर लेने वाले ऐसे अरब तुर्क आक्रमणकारियों को भारत की धरती पर पाँव नहीं रखने दिया , उनके सम्मुख सुदृढ़ दीवार बनकर खड़े हो गए। उसकी शक्ति और प्रतिरोध से इतने भयाक्रांत हो गए की उन्हें छिपाने के लिए जगह ढूंढना कठिन हो गया था। ऐसा किसी भारतीय लेखक ने नहीं बल्कि मुस्लिम इतिहासकारो बिलादुरी सलमान एवं अलमसूदी ने लिखा है। ऐसे महान सम्राट मिहिरभोज ने 836 ई से 885 ई तक लगभग 50 वर्षो के सुदीर्घ काल तक शासन किया।

सम्राट मिहिरभोज भारत के महान सम्राटों मे से जाने जाते हैंI  इन्होने  लगभग  पचास सालो तक  इस देश को  सुशासन  दिया    देश की विदेशियो से  रक्षा की  लेकिन अफसोस की बात है कि इतने बड़े महान सम्राट का नाम भी बहुत सारे भारतीय लोगों को मालूम नही हैं  सम्राट मिहिर भोज का जन्म सम्राट रामभद्र की महारानी अप्पा देवी के द्वारा सूर्यदेव की उपासना के प्रतिफल के रूप में हुआ माना जाता है। सम्राटमिहिर भोज के बारे में इतिहास की पुस्तकों के अलावा बहुत कम
जानकारी उपलब्ध है। मिहिर भोज ने 836  ईस्वीं से 885 ईस्वीं तक 49 साल तक राज किया। मिहिर भोज के साम्राज्य का विस्तार आज के मुलतान से पश्चिम बंगाल तक और  कश्मीर से कर्नाटक तक था। सिंहासन पर बैठते ही भोज ने सर्वप्रथम कन्नौज राज्य की व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त किया, प्रजा पर अत्याचार करने वाले सामंतों और रिश्वत खाने वाले कामचोर कर्मचारियों को कठोर रूप से दण्डित किया। व्यापार और कृषि कार्य को इतनी सुविधाएं प्रदान की गई कि सारा साम्राज्य धनधान्य से लहलहा उठा। भोज ने साम्राज्य को धन, वैभव से चरमोत्कर्ष पर पहुंचाया। अपने उत्कर्ष काल में उन्हें सम्राट मिहिर भोज की उपाधि मिली थी। अनेक काव्यों एवं इतिहास में उन्हें सम्राट भोज, भोजराज, वाराहवतार, परम भट्टारक, महाराजाधिराज आदि विशेषणों से वर्णित किया गया है। 

मिहिर भोज परम देश भक्त थे- जिन्होंने प्रण किया था कि उसके जीते जी कोई विदेशी शत्रु भारत भूमि को अपावन न कर पायेगा। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले पश्चिम के राज्यों पर आक्रमण कर उन राजाओं को ठीक किया जो कायरतावश यवनों को अपने राज्य में शरण लेने देते थे। इस प्रकार राजपूताना से कन्नौज तक एक शक्तिशाली राज्य के निर्माण का श्रेय मिहिर भोज को जाता है। 

 सुलेमान तवारीखे अरब में लिखा है, कि भोज अरब लोगों का सभी अन्य राजाओं की अपेक्षा अधिक घोर शत्रु है। सुलेमान आगे यह भी लिखता है कि हिन्दोस्ता की सुगठित और विशालतम सेना भोज की थी-इसमें आठ लाख  से  ज्यादा पैदल  सेना   हजारों हाथी, हजारों घोड़े और हजारों रथ थे। भोज के राज्य में सोना और चांदी सड़कों पर विखरा था-किन्तु चोरी-डकैती का भय किसी को नहीं था। जरा हर्षवर्धन के राज्यकाल से तुलना करिए। हर्षवर्धन के राज्य में लोग घरों में ताले नहीं लगाते थे,पर मिहिर भोज के राज्य में खुली जगहों में भी चोरी की आशंका नहीं रहती थी।

 मिहिर भोज ने बिहार समेत सारा क्षेत्र कन्नौज में मिला लिया। भोज को पूर्व में उलझा देख पश्चिम भारत में पुनः उपद्रव और षड्यंत्र शुरू हो गये। इस अव्यवस्था का लाभ अरब डकैतों ने उठाया और वे सिंध पार पंजाब तक लूट पाट करने लगे। भोज ने अब इस ओर प्रयाण किया। उसने सबसे पहले पंजाब के उत्तरी भाग पर राज कर रहे थक्कियक को पराजित किया, उसका राज्य और 2000 घोड़े छीन लिए। इसके बाद गूजरावाला के विश्वासघाती सुल्तान अलखान को बंदी बनाया- उसके संरक्षण में पल रहे 3000 तुर्की और बर्बर डाकुओं को बंदी बनाकर खूंखार और हत्या के लिए अपराधी पाये गए पिशाचों को मृत्यु दण्ड दे दिया।
जिस प्रकार भगवान विष्णु ने वाराह रूप धारण कर हिरण्याक्ष आदि दुष्ट राक्षसों से पृथ्वी का उद्धार किया था, उसी प्रकार विष्णु के वंशज मिहिर भोज ने देशी आतताइयों, यवन तथा तुर्क राक्षसों को मार भगाया और भारत भूमि का संरक्षण किया-  इसीलिए युग ने आदि वाराह महाराजाधिराज की उपाधि से विभूषित किया था। वस्तुतः मिहिर भोज सिर्फ प्रतिहार वंश का ही नहीं वरन  हर्षवर्धन के बाद और भारत में मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना के पूर्व पूरे राजपूत काल का सर्वाधिक प्रतिभाशाली सम्राट और चमकदार सितारा था। सुलेमान ने लिखा है-इस राजा के पास बहुत बडी सेना है और किसी दूसरे राजा के पास वैसी घुड़सवार सेना नहीं है। भारतवर्ष के राजाओं में उससे बढ़कर अरबों का कोई शत्रु नहीं है। उसके आदिवाराह विरूद्ध से ही प्रतीत होता है कि वाराहवतार की मातृभूमि को अरबों से मुक्त कराना अपना कर्तव्य समझता था  

 अपनी महान राजनीतिक तथा सैनिक योजनाओं से उसने सदैव इस साम्राज्य की रक्षा की। भोज का शासनकाल पूरे मध्य युग में अद्धितीय माना जाता है। इस अवधि में देश का चतुर्मुखी विकास हुआ। साहित्य सृजन, शांति व्यवस्था स्थापत्य, शिल्प, व्यापार और शासन प्रबंध की दृष्टि से यह श्रेष्ठतम माना गया है। भयानक युद्धों के बीच किसान मस्ती से अपना खेत जोतता था, और वणिक अपनी विपणन मात्रा पर निश्चिंत चला जाता था। मिहिर भोज को गणतंत्र शासन पद्धति का जनक भी माना जाता है, उसने अपने साम्राज्य को आठ गणराज्यों में विभक्त कर दिया था। प्रत्येक राज्य का अधिपति राजा कहलाता था, जिसे आज के मुख्यमंत्री की तरह आंतरिक शासन व्यवस्था में पूरा अधिकार था। परिषद का प्रधान सम्राट होता था और शेष राजा मंत्री के रूप में कार्य करते थे। वह जितना वीर था, उतना ही दयाल भी था, घोर अपराध करने वालों को भी उसने कभी मृत्यदण्ड नहीं दिया, किन्तु दस्युओं, डकैतों, तुर्कों अरबों, का देश का शत्रु मानने की उसकी धारणा स्पष्ट थी और इन्हे क्षमा करने की भूल कभी नहीं की और न ही इन्हें देश में घुसने ही दिया। उसने मध्य भारत को जहां चंबल के डाकुओं से मुक्त कराया, वही उत्तर, पश्चिमी भारत को विदेशियों से मुक्त कराया। सच्चाई यही है कि जब तक परिहार साम्राज्य मजबूत  रहा, देश की स्वतंत्रता पर आंँच नहीं आई।

जहाँ  अकबर   जैसे      क्रूर    राजाओ को महान   बताया जाता हैं   जिसे  लिखना तक नहीं आता था    वहीँ  महान राजा मिहिर भोज न केवल एक योद्धा   प्रशासक  थे       बल्कि  एक पराक्रमी शासक होने के साथ ही विद्वान एवं विद्या तथा कला का उदार संरक्षक था। अपनी विद्वता के कारण ही उसने 'कविराज' की उपाधि धारण की थी। उसने कुछ महत्त्वपूर्ण ग्रंथ, जैसे- 'समरांगण सूत्रधार', 'सरस्वती कंठाभरण', 'सिद्वान्त संग्रह', 'राजकार्तड', 'योग्यसूत्रवृत्ति', 'विद्या विनोद', 'युक्ति कल्पतरु', 'चारु चर्चा', 'आदित्य प्रताप सिद्धान्त', 'आयुर्वेद सर्वस्व शृंगार प्रकाश', 'प्राकृत व्याकरण', 'कूर्मशतक', 'शृंगार मंजरी', 'भोजचम्पू', 'कृत्यकल्पतरु', 'तत्वप्रकाश', 'शब्दानुशासन', 'राज्मृडाड' आदि की रचना की। 'आइना-ए-अकबरी' के वर्णन के आधार पर माना जाता है कि, उसके राजदरबार में लगभग 500 विद्धान थे।

भोज प्रथम के दरबारी कवियों में 'भास्करभट्ट', 'दामोदर मिश्र', 'धनपाल' आदि प्रमुख थे। उसके बार में अनुश्रति थी कि वह हर एक कवि को प्रत्येक श्लोक पर एक लाख मुद्रायें प्रदान करता था। उसकी मृत्यु पर पण्डितों को हार्दिक दुखः हुआ था, तभी एक प्रसिद्ध लोकोक्ति के अनुसार- उसकी मृत्यु से विद्या एवं विद्वान, दोनों निराश्रित हो गये।  
मिहिर  भोज   ने अपनी राजधानी धार को विद्या एवं कला के महत्त्वपूर्ण केन्द्र के रूप में स्थापित किया था। यहां पर भोज ने अनेक महल एवं मन्दिरों का निर्माण करवाया, जिनमें 'सरस्वती मंदिर' सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। उसके अन्य निर्माण कार्य 'केदारेश्वर', 'रामेश्वर', 'सोमनाथ सुडार' आदि मंदिर हैं। इसके अतिरिक्त भोज प्रथम ने भोजपुर नगर एवं भोजसेन नामक तालाब का भी निर्माण करवाया था।

कितनी अजीब  बात    हैं   जहाँ गौरी  बाबर  ग़ज़नवी औरंगज़ेब , अकबर , ख़िलजी,  जैसों  को इतिहास की पुस्तको में  चार  चार पन्ने   दिए जाते हैं  पर  महान  देशभक्त महाराज को चार  लाइन भी   नहीं  

महान राजा मिहिर भोज अमर रहें

बुधवार, 19 अक्तूबर 2022

डीएनए ( DNA ) में खुलासा : आर्य भारत के मूल निवासी हैं, बाहर से नहीं आए थे

*डीएनए ( DNA ) में खुलासा : आर्य भारत के मूल निवासी हैं, बाहर से नहीं आए थे*

*18 October 2022*
http://azaadbharat.org

*🚩आर्य मूलतः भारत के ही निवासी हैं, लेकिन राष्ट्रविरोधी ताकतों के इशारे पर वामपंथियों ने इतिहास ही बदल दिया । वामपंथी विदेश लूट के लिए भारत में आये । स्वयं को मूल निवासी और मूल निवासी को विदेशी बताने लगे, फिर ईसाई मिशनरियां जो विदेश से आईं वे भोले-भाले आदिवासियों को गुमराह करने लगीं कि, आप भारत के मूलनिवासी है और आर्य बाहर से आये हैं ऐसा बोलकर भारतवासियों को आपस में भिड़ाने लग गई ।*

*🚩आर्यों को लेकर कई दावे किए गए, लेकिन फिर भी सवाल ज्यों का त्यों रहा कि आर्य बाहर से आए थे या यहीं (भारत) के ही निवासी थे ? इस सवाल के जवाब में वामपंथियों ने कई दावे किए जिनका मकसद भारतीयों को शायद हीन साबित करना रहा हो, लेकिन अब इस सवाल का जवाब स्पष्ट नजर आने लगा है !*

*🚩राखीगढ़ी में हुई हड़प्पाकालीन सभ्यता की खुदाई-*

*🚩दरअसल, हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी में हुई हड़प्पाकालीन सभ्यता की खोदाई में कई ऐतिहासिक राज का खुलासा किया गया है ! बता दें कि राखीगढ़ी में मिले 5000 साल पुराने कंकालों के डीएनए (DNA) टेस्ट के बाद जारी की गई रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि आर्य कहीं बाहर से नहीं आए , यहीं अर्थात भारत के ही के मूल निवासी थे ! डीएनए (DNA) स्टडी से यह भी खुलासा हुआ है कि, भारत के लोगों के जीन (पूर्वज) में पिछले हजारों सालों में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखने को मिला है।*


*🚩इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के एक अंश में यह दावा किया गया है कि, इस अध्ययन में सामने आया है कि, आर्य भारत के ही मूल निवासी थे ! इसे लेकर वैज्ञानिकों ने राखीगढी से प्राप्त नरकंकालों के अवशेषों का डीएनए (DNA) टेस्ट किया था। डीएनए (DNA) टेस्ट से स्पष्ट पता चला है कि, यह रिपोर्ट प्राचीन आर्यन्स की डीएनए (DNA) रिपोर्ट से मेल नहीं खाती है ! ऐसे में जाहिर आर्यों के बाहर से आने की थ्योरी ही गलत साबित होती है ! वैसे पहले भी कई इतिहासकारों का कहना था कि, वामपंथियों की आर्यन थ्योरी मनगढंत कल्पना पर आधारित है, जिसकी परतें इस नए शोध से उधेडती नजर आ रही हैं !*

*🚩रिसर्च में यह भी सामने आया है कि 9000 साल पहले भारत के लोगों ने ही कृषि की शुरुआत की थी। इसके बाद ये ईरान व इराक होते हुए पूरी दुनिया में पहुँची। भारत के विकास में यहीं के लोगों का योगदान है !*

*🚩यहाँ यह ध्यान देनेवाली बात है कि इतिहास के लिए तथ्य महत्वपूर्ण होते हैं, इन तथ्यों में भी वैज्ञानिक सबूतों का ज्यादा महत्व होता है ! राखीगढ़ी में मिले 5000 साल पुराने कंकालों के अध्ययन के बाद जारी की गई रिपोर्ट में ऐसी कई बातें सामने आई है जिनके अभी तक कयास ही लगाए जा रहे थे !*

*🚩राखीगढ़ी से प्राप्त कंकाल-*

*🚩बता दें कि, हिसार के राखीगढ़ी में हड़प्पा खोदाई का काम कर रहे पुणे के डेक्कन कॉलेज के पुरातत्वविदों के अनुसार, खोदाई के वक्त युवक के (कंकाल) का मुँह युवती के  (कंकाल) की तरफ था और यह पहली बार है कि, जब हडप्पा सभ्यता की खुदाई के दौरान किसी युगल की कब्र मिली है !*

*🚩यहाँ हैरानी की बात यह भी है कि, अब तक हड़प्पा सभ्यता से संबंधित कई कब्रिस्तानों की जाँच की गई थी लेकिन आज तक किसी भी युगल के इस तरह दफनाने का मामला सामने नहीं आया था !*

*🚩राखीगढी में खोदाई करनेवाले पुरातत्वविदों के अनुसार, युगल कंकाल का मुँह, हाथ और पैर सभी एक समान है ! इससे साफ है कि, दोनों को जवानी में एक साथ दफनाया गया था। बता दें के ये निष्कर्ष हाल ही में अंतरराष्ट्रीय पत्रिका, एसीबी जर्नल ऑफ अनैटमी और सेल बायॉलजी में प्रकाशित किए गए थे।*


*🚩इस नए शोध और प्रमाणों के साये में इतिहास को देखने और समझने की एक नई दृष्टि मिलती है ! और वामपंथियों की हीनता भरे इतिहास को एक चपत भी लगती है !*

*🚩बता दे कि राखीगढ़ी साइट की रिसर्च टीम के सदस्य और पुणो स्थित डेक्कन कॉलेज डीम्ड यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रो. वसंत शदे और जेनेटिक साइंटिस्ट डॉ. नीरज राय ने बताया कि राखीगढ़ी हड़प्पा सभ्यता के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। करीब 300 एकड़ में वर्ष-2015 में पुरातत्वविदों ने यहां खोदाई शुरू की थी।*


*🚩अध्ययन में पता चला कि अफगानिस्तान से अंडमान तक सभी का एक ही जीन है। करीब 12 हजार साल से संपूर्ण दक्षिण एशिया वासियों का एक ही जीन रहा है, यानी सबके एक ही पूर्वज रहे हैं। इससे आर्य के बाहर से आने की थ्योरी गलत साबित हो जाती है।*


*🚩शदे ने कहा, वह भारत सरकार से अनुरोध करेंगे कि इतिहास की पुस्तकों में इन नए  ओर सही तथ्यों को शामिल किया जाए।*

*🚩डॉ. नीरज राय ने बताया कि अगर आर्य बाहर से आए होते और नरसंहार किया होता तो वे अपनी संस्कृति लाते और हमारी संस्कृति को नष्ट कर देते। मानव कंकाल पर कहीं चोट या घाव के ऐसे निशान नहीं मिले हैं, जिनसे नरसंहार की बात साबित हो।*

*🚩प्रो. शदे ने बताया कि राखीगढ़ी में अलग-अलग आकार व आकृति के हवन कुंड व कोयले के अवशेष मिले हैं। इससे साबित होता है कि करीब 5 हजार साल पहले भी भारत में हवन होता था। सरस्वती नदी के किनारे भी हड़प्पा सभ्यता के निशान मिले हैं ।*
 https://www.youtube.com/watch?v=IMfVN97XQlM

*🚩आर्य न तो विदेशी थे और न ही उन्होंने कभी भारत पर आक्रमण किया। आर्य भारत के मूल निवासी थे। बस वामपंथियों ने गलत इतिहास लिखा इसके कारण देशवासी गुमराह हुए।*


*🚩हे हिन्दुओ! एक रहो,क्योंकि  राष्ट्रविरोधी ताकतें शाम-दाम-दंड की नीति अपनाकर आपसी में गृहयुद्ध करवाना चाहती है और देश की सत्ता हथियाना चाहती है इससे सावधान रहना।*


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कैसे पैरों को दर्द पहुँचाने वाले शूज को ठीक करें

 

कैसे पैरों को दर्द पहुँचाने वाले शूज को ठीक करें (Fix Painful Shoes)

कुछ शूज को पहनना दर्दभरा हो सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि आप उन्हें हमेशा ही आपको चोट पहुँचाने दें। इससे पहले कि आप अपने आप को इस दर्द के टॉर्चर, पैरों के जकड़ने और पैरों में छालों का शिकार बनाएँ, इस आर्टिकल में दी हुई कुछ टिप्स और ट्रिक्स को ट्राई करके देखें। हालांकि, एक बात का ध्यान रखें कि कुछ शूज की बनावट ही खराब हो सकती है और वो शायद अच्छी तरह से फिक्स भी न हो पाते हों। अपने दर्द देने वाले जूतों को एकदम बिना दर्द के पहनने के लिए या उन्हें पहनने के लायक बनाने के लिए इस आर्टिकल को पढ़ें।

विधि1
मोलस्किन, इन्सर्ट्स और इनसोल्स का यूज करना (Using Moleskin, Inserts, and Insoles)

  1. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 1
    1
    शूज के अंदर मोलस्किन के पीस लगाकर, ब्लिस्टर्स (छाले), पैरों के जकड़ने और कटने को रोकना: शू स्टोर (या जूते रिपेयर करके देने वाली जगह) से कुछ मोलस्किन खरीद लें और एक शीट निकाल लें। इस शीट को उस परेशान करने वाली स्ट्रेप या हील के पीछे लगाएँ और फिर उसे पेंसिल से ट्रेस कर दें। एक पेयर सीजर्स का यूज करते हुए शेप काट लें और बैकिंग को निकाल दें। स्ट्रेप या हील पर मोलस्किन लगा दें।
    • ये पैरों में जकड़न देने वाले दूसरे एरिया पर भी काम करेगा। अगर वो एरिया आपके शूज के अंदर है, उस जकड़न पैदा करने वाले एरिया से हल्का सा छोटा सर्कल या ओवल काट लें। बैकिंग को निकाल लें और फिर उस एरिया पर मोलस्किन चिपका दें।
    • आप चाहें तो सीधे अपने पैरों पर भी मोलस्किन फिट कर सकते हैं और फिर दिनभर के बाद उसे निकाल सकते हैं।
  2. 2
    अपने पैरों पर एक एंटी-फ्रिक्शन स्टिक लगाकर, फ्रिक्शन (घर्षण) और ब्लिस्टर्स (छाले) को रोकें: आप इसे मेडिकल स्टोर्स पर से भी खरीद सकते हैं। आप बाम को सीधे अपनी स्किन पर, जहां पर जकड़न और छाले हुआ करते हैं, पर लगा सकते हैं।
    • आपको इसे अपने पहले से मौजूद छाले पर नहीं लगाना है। इसकी जगह, किसी ब्लिस्टर ट्रीटमेंट्स को खरीद लें। ये ओवल बैंड-एड्स की तरह दिखते हैं और आपके ब्लिस्टर के ऊपर जाते हैं। ये ब्लिस्टर को कुशन देने में मदद करते हैं और उसे साफ भी रखते हैं, ताकि उस पर इन्फेक्शन न होने पाए।
  3. 3
    पसीना को रोकने के लिए एक एंटीपर्स्पिरेंट स्टिक यूज करने का सोचें: जकड़न की वजह से पैदा होने वाला पसीना और नमी आपको छाले दे सकते हैं या उनको और भी बदतर बना सकते हैं। एंटीपर्स्पिरेंट नमी को कम करता है, जो छाले बनने को कम करता है।
  4. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 4
    4
    अपने पैर को जगह पर रखें और फिर एक इनसोल (insole) की मदद से जकड़न और छिलने को रोकें: जब आपके पैर साइड से साइड स्लिप हुआ करते हैं, तब इसके साथ-साथ आपके पैर के सामने और पीछे के हिस्से पर, जहां पर मटेरियल आपकी स्किन के साथ घिसता है, छाले बनते जाते हैं। अगर आप आपके पैरों को एक वेज हील या इसी तरह की स्टाइल में मूव होता हुआ पाते हैं, तो इस मूवमेंट को रोकने के लिए, अपने शूज के अंदर जेल या पैड वाले इनसोल को लगा सकते हैं।
  5. 5
    कुछ बॉल-ऑफ-फूट (ball-of-foot) कुशन्स की मदद से अपने पैरों की बॉल के दर्द को कम करें: अगर दिन गुजरने के बाद, आपके पैर की बॉल में दर्द होता है, तो शायद आपके शूज बहुत हार्ड हो सकते हैं; ये खासकर हाइ हील्स में बहुत कॉमन है। बॉल-ऑफ-फूट कुशन्स का एक सेट खरीद लें और उन्हें अपने शूज के सामने, ठीक उस जगह पर जहां आपके पैर की बॉल आती है, लगा लें। ये आमतौर पर ओवल्स या एग्ज के जैसे शेप में हुआ करते हैं।
    • अगर आपके पास सैंडल्स के ऐसे पेयर हैं, जिनमें टो (अंगूठे) के पास में एक स्ट्रेप है, तो फिर एक हार्ट-शेप्ड कुशन लेने के बारे में सोचें। हार्ट का राउंड वाला पार्ट, आपके टो स्ट्रेप के किसी भी हिस्से में फिट होगा।[३]
  6. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 6
    6
    छोटे एरिया में मौजूद बहुत ज्यादा प्रैशर को कम करने के लिए कुछ सिलिकॉन जेल डॉट्स यूज करें: इन दोनों को ही शू स्टोर या मेडिकल स्टोर से खरीदा जा सकता है। सिलिकॉन जेल डॉट्स एकदम क्लियर होते हैं और इन्हें आसानी से छिपाया जा सकता है, लेकिन फ़ोम टेप को आसानी से एकदम सही शेप और साइज में काटा जा सकता है।[४]
  7. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 7
    7
    दर्द देने वाली हील्स को आराम देने के लिए सिलिकॉन हील कप्स या आर्क-सपोर्टिंग इनसोल्स यूज करें: अगर आपके हील्स में दर्द हो रहा है, तो ऐसा शायद इसलिए हो सकता है, क्योंकि शायद आपके जूते का पिछला/हील वाला एरिया हार्ड हो। ऐसा शायद आपके शूज के द्वारा आपके पैरों को भरपूर आर्क सपोर्ट नहीं देने की वजह से भी हो सकता है। एक सिलिकॉन हील कप या एक आर्क सपोर्ट लगाकर देखें। इन दोनों को ही सही साइज में काटा जा सकता है और दोनों पर पीछे अधेसिव होता है, ताकि ये और किसी जगह पर न खिसकने पाएँ।[५]
    • वैसे तो आर्क सपोर्टिंग इनसोल्स आमतौर पर लेबल किए गए होते हैं; अगर आपको इन्हें पाने में मुश्किल जा रही है, तो फिर ऐसी किसी चीज की तलाश करें, जो आपके इनसोल पर बीच में—ठीक उस जगह, जहां आपके पैर का आर्क होता है, मोटा हो।
    • इनसोल को किसी टाइट शू में रखना शायद आपके पैरो को और ज्यादा कस सकता है और अनकम्फ़र्टेबल भी हो सकता है। अगर ऐसा होता है, तो फिर एक पतले इनसोल को ट्राई करके देखें।
  8. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 8
    8
    किसी मोची से अपने शूज की हील्स को कम कराकर, अंगूठे के दबने को रोकें: कभी-कभी, हील और पैर की बॉल के बीच का एंगल बहुत ज्यादा होता है, जो आपके पैर को आगे की ओर धकेल देता है और आपके अंगूठे को शूज के सामने के हिस्से पर दबा देता है। हील की हाइट कम करने से शायद ये प्रॉब्लम ठीक हो सकती है। हालांकि, इसे खुद से करने की कोशिश मत करें; एक मोची की तलाश करें, जो आपके लिए ऐसा करके दे सके। ज़्यादातर हाइ हील्स को, मोची के द्वारा करीब 1 इंच (2.54 centimeters) तक कम किया जा सकता है।[६]

विधि2
साइज फिक्स करना (Fixing the Size)

  1. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 9
    1
    जानें, किस तरह से एक गलत साइज आपके पैर को दर्द पहुँचा सकता है और इसे किस तरह से ठीक किया जा सकता है: बहुत ज्यादा बड़े शूज भी ठीक उसी तरह से नुकसान पहुँचा सकते हैं, जैसे कोई बहुत छोटा शूज पहुँचाता है। बड़े शूज आपको भरपूर सपोर्ट नहीं दे सकते हैं और आपके पैर को बहुत ज्यादा इधर-उधर मूव कर सकते हैं, जो पैरों और अंगूठे को दबा देता है। बहुत ज्यादा छोटे शूज दिन के आखिर में आपके पैरों को जकड़ा हुआ और दर्द महसूस करा सकता है। अच्छी बात ये है, कि जूतों को हल्का सा स्ट्रेच करना मुमकिन है; इसके साथ ही जूतों को छोटा करने के लिए उन्हें भरना भी मुमकिन है।
    • एक बात याद रखें, कि कुछ मटेरियल्स को, दूसरों के मुक़ाबले आसानी से स्ट्रेच किया जा सकता है।
  2. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 10
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    अगर आपके शूज बहुत ज्यादा बड़े हैं, तो उसमें एक इनसोल रखकर देखें: ये आपके शूज के अंदर एक्सट्रा कुशन प्रोवाइड करते हैं और उन्हें बहुत ज्यादा यहाँ-वहाँ हिलने से रोकता है।
  3. 3
    अगर आपके शूज बहुत बड़े हैं और आपके पैर आगे की ओर बहुत ज्यादा खिसक रहे हैं, तो हील ग्रिप यूज करें: हील ग्रिप एक ओवल शेप्ड कुशन होता है, जिसमें एक साइड पर अधेसिव होता है। इसे मोलस्किन से कवर किए हुए जेल या फ़ोम से बनाया जा सकता है। बस हील ग्रिप की बैकिंग को निकाल लें और इसे अपने शूज के अंदर, ठीक उसी जगह, जहां पर हील होती है, चिपका लें। ये शूज के पीछे एक एक्सट्रा कुशनिंग एड करेगा, जो आपकी हील को घिस-घिस कर चोट खाने से रोकेगा और आपके पैरों को जगह पर बनाए रखेगा।
  4. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 12
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    लैंब (भेड़) की ऊन के साथ लार्ज टो बॉक्सेस भरें: अगर आपके लोफार्स (loafers) नए हैं या फिर आपके मौजूदा शूज बहुत बड़े हैं और आपका अंगूठा आगे की ओर खिसकते जा रहा है और दब रहा है, तो फिर अंगूठे वाले एरिया को जरा से लैंब वूल से भर लें। ये साँस लेने लायक, हवादार मटेरियल ज्यादा कम्फ़र्टेबल होता है और टिशू की तरह इसके गुच्छा बनने की संभावना भी कम होती है।[७] आप चाहें तो कुछ कॉटन बॉल्स भी यूज कर सकते हैं।
  5. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 13
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    एक शू ट्री से अपने शूज को स्ट्रेच करें: एक शू ट्री, आपके पास मौजूद ट्री की लेंथ और विड्थ के हिसाब से या तो आपके शूज के शेप को मेंटेन रखता है या फिर उसे स्ट्रेच कर देता है। पहनते वक़्त अपने शूज के बीच में शू ट्री इन्सर्ट करें। ये टेक्निक लैदर और स्वैड (suede) के ऊपर अच्छी तरह से काम करता है, लेकिन ये रबर या प्लास्टिक पर काम नहीं करता।
  6. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 14
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    शू स्ट्रेचर यूज करते हुए अपने शूज स्ट्रेच करें: अपने शू पर शू स्ट्रेचिंग स्प्रे से स्प्रे कर दें, फिर स्ट्रेचर को अपने शू में दबा दें। सारे शू स्ट्रेचर्स थोड़ा-बहुत अलग होने वाले हैं, लेकिन ज़्यादातर में एक हैंडल और एक नोब होती है। नोब लेंथ को एडजस्ट करेगा और हैंडल विड्थ को एडजस्ट करेगा। शू मटेरियल के छोटे होने तक हैंडल और नोब को टर्न करते रहें, फिर छह से आठ घंटे के लिए स्ट्रेचर को शूज में रहने दें। एक बार जैसे ही ये टाइम पूरा हो जाए, हैंडल और नोब को दूसरी तरफ (शू स्ट्रेचर को छोटा करने के लिए) टर्न कर दें और स्ट्रेचर को शूज में से बाहर खींच लें। ये बहुत ज्यादा बड़े लोफार्स और वर्क शूज के लिए अच्छा ऑप्शन होता है।
    • कई तरह के अलग-अलग शू स्ट्रेचर मौजूद हैं, जिनमें एक हाइ हील्स के लिए भी शामिल है। एक टू-वे स्ट्रेचर क्योंकि विड्थ और लेंथ दोनों को ही स्ट्रेच करता है, इसलिए ये शायद ज्यादा मददगार हो सकता है।
    • कुछ शू स्ट्रेच में बनियन्स (गोखरू) जैसी बीमारी के लिए अटेचमेंट्स भी होते हैं। शू स्ट्रेचर यूज करने से पहले इन अटेचमेंट्स को इन्सर्ट करें।
    • शू स्ट्रेचर सिर्फ शूज के अंदर जाती है और उन्हें लूज कर देते हैं, ताकि फिर वो जरा भी जकड़े हुए या टाइट न महसूस हों; ये आपके शू के पूरे साइज को बड़ा नहीं कर सकता है।
    • शू स्ट्रेचर लैदर और स्वेड जैसे नेचुरल मटेरियल्स पर अच्छी तरह से काम करते हैं। ये शायद कुछ खास तरह के फ़ैब्रिक पर भी काम कर सकते हैं, लेकिन ये सिंथेटिक्स और प्लास्टिक्स के ऊपर ज्यादा इफेक्टिव नहीं रहेंगे।
  7. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 15
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    एक मोची से आपके लिए आपके शूज को स्ट्रेच करने का कहें: ऐसा करने से आपके अंगूठे के लिए और ज्यादा जगह मिल जाएगी, जो आपके पूरे पैर के दबने और दर्द में कमी कर देगा। हालांकि स्ट्रेचिंग केवल लैदर और स्वेड से बने हुए शूज पर ही काम करती है। अगर आपके पास में एक ऐसे महंगे शूज की पेयर है, जिसे आप खुद से स्ट्रेच करने का जोखिम नहीं उठाना चाहते, तो फिर ये एक अच्छा आल्टर्नेटिव होगा।
  8. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 16
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    टो एरिया पर बहुत ज्यादा कसे हुए शू को स्ट्रेच करने के लिए आइस यूज करें: आप पानी के साथ दो जिप्लोक (Ziploc) बैग को भरकर और फिर उन्हें टाइटली सील करके, ताकि बैग्स के अंदर जरा सी भी हवा न रह जाए और पानी बाहर न गिरे, ऐसा कर सकते हैं। हर एक बैग को शूज के अंगूठे वाले हिस्से पर डाल दें और दोनों शूज को फ्रीजर में रख दें। आइस जमने तक शूज को वहीं रहने दें। बैग्स को शूज में से बाहर निकाल लें, फिर शूज को पहन लें। आपके जूते गरम होते ही आपके पैर के शेप में ढल जाएंगे।[८]
    • क्योंकि पानी फ्रीज़ होने पर बढ़ता है, इसलिए ये शूज को कुछ हद तक स्ट्रेच करने में मदद करता है।
    • ये केवल लैदर, स्वेड और फ़ैब्रिक जैसे नेचुरल मटेरियल्स पर ही काम करता है। प्लास्टिक्स और प्लेथर (pleather) पर इसका ज्यादा असर नहीं होता है।
    • एक बात याद रखें, अगर आपके लैदर या स्वेड शूज गीले हो जाते हैं, तो आपको कुछ धब्बे नजर आ सकते हैं। अपने शूज को प्रोटेक्ट करने के लिए, उसे टॉवल से लपेटने के बारे में सोचें।

विधि3
दूसरी प्रॉब्लम्स ठीक करना (Fixing Other Problems)

  1. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 17
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    कुछ खास किस्म के सॉक्स (मोजे) खरीद लें: कभी-कभी, अपने जूतों की वजह से होने वाले दर्द को रोकने के लिए, बस आपको जूतों के साथ सही तरह के सॉक्स पहनने की जरूरत पड़ती है। इस तरह के सॉक्स आपके पैरों को सपोर्ट देते हैं, नमी को सोख लेते हैं और पैरों के खिसकने और छाले होने से रोकते हैं। यहाँ पर कुछ खास तरह के सॉक्स और वो आपके लिए क्या कर सकते हैं, दिए हुए हैं, जिन्हें आप शायद आसानी से पा सकेंगे:[९] [१०]
    • एथलेटिक सॉक्स (Athletic socks) आर्क एरिया में ज्यादा टाइट होते हैं। ये आर्क सपोर्ट देने में मदद करते हैं और उन्हें एथलेटिक और रनिंग शूज के लिए सबसे अच्छा बना देता है।
    • मॉइस्चर विकिंग (Moisture wicking) सॉक्स आपके पैरों के पसीने को निकालने में मदद करते हैं। ये आपके पैरों को सूखा रखने में मदद करते हैं और छालों को होने से रोकते हैं।
    • रनिंग सॉक्स (Running socks) में अंदर की तरफ एक्सट्रा पैडिंग होती है, ये आपके द्वारा दौड़ने पर, आपके पैरों पर पड़ने वाले असर को एब्जोर्ब कर लेते हैं।
    • टो सॉक्स (Toe socks) ग्लव्स के जैसे होते हैं, लेकिन ये आपके पैरों के लिए होते हैं। ये हर एक उंगली को अलग से कवर करते हैं और ये उँगलियों के बीच में होने वाले छालों को भी रोक सकते हैं।
    • मटेरियल के बारे में सोचें: कुछ मटेरियल, जैसे कि कॉटन बहुत आसानी से पसीने को सोख लेते हैं, जो कि छाले पैदा कर सकते हैं। एक्रिलिक (Acrylic), पॉलियस्टर (polyester) और पॉलीप्रोपिलीन (polypropylene) आपके पैरों को सूखा रखकर, पसीना हटाने में मदद करते हैं।
  2. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 18
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    फ्लिप-फ्लॉप्स के थोंग (thong) पार्ट को कुशन लगाकर, उन से होने वाले दर्द को रोकें: फ्लिप-फ्लॉप्स बहुत कम्फ़र्टेबल और आसानी से पहनी जाने लायक हो सकती हैं। जब आपकी थोंग आपकी उँगलियों के बीच में घिसना शुरू हो जाती हैं, तब वो दर्दभरी हो सकती हैं। यहाँ पर ऐसी कुछ ट्रिक्स दी हुई हैं, जिनसे आप आपकी फ्लिप-फ्लॉप्स को कम पेनफुल बना सकते हैं:
    • सिलिकॉन फ्लिप-फ्लॉप इन्सर्ट्स यूज करें। ये बॉल-ऑफ-फूट कुशन्स के शेप जैसे होते हैं, बस इनमें एक छोटा सा सिलिन्डर होता है, जो सामने की तरफ लगा होता है। इन्सर्ट को अपने फ्लिप-फ्लॉप के सामने के हिस्से पर रखें, फिर थोंग पार्ट को सिलिन्डर में खिसका दें। सिलिन्डर थोंग को आपकी उँगलियों के बीच में घिसने से रोक देगा।
    • थोंग एरिया को कुछ अधेसिव मोलस्किन से लपेट दें। ये खासकर प्लास्टिक या रबर फ्लिप-फ्लॉप्स पर असरदार होगा। ये आपके पैरों को कुशन देने में और किसी भी शार्प एज (तीखे किनारों) को सॉफ्ट करने में मदद करेगा।
    • थोंग के चारों तरफ कुछ फ़ैब्रिक लपेट दें। आप चाहें तो एक कलरफुल, पर्सनल टच पाने के लिए स्ट्रेप्स के चारों तरफ फ़ैब्रिक भी लपेटना जारी रख सकते हैं। शू ग्लू की एक ड्रॉप के साथ फेब्रिक के दोनों एन्ड्स को शू से जोड़ दें।
  3. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 19
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    दर्दभरे-बदबूदार जूतों को ट्रीट करने के बारे में जानें: आप चाहें तो बदबू पैदा करने वाले पसीने को सोखने के लिए माइक्रो-स्वेड इनसोल्स यूज कर सकते हैं या फिर जब आप शूज न पहन रहे हों, तब शूज के अंदर कुछ टी बैग्स लगा सकते हैं। टी बैग्स बदबू को सोख लेंगी। अगले दिन टी बैग्स को निकाल दें।
  4. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 20
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    स्किन-कलर के मेडिकल टेप की मदद से अपनी तीसरी और चौथी उंगली को एक-साथ जोड़कर देखें: ये बॉल ऑफ फूट के दर्द को कम करने में मदद करती है। इसके काम करने के पीछे की वजह ये है, कि इन उँगलियों के बीच में एक नर्व होती है। वो नर्व आपके हील पहनने पर अलग हो जाती है और उस पर प्रैशर डालती है। उन उँगलियों को एक-साथ टेप करने से कुछ स्ट्रेन कम हो सकता है।[११]
  5. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 21
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    अपने कड़क शूज को कुछ देर के लिए पहनकर ठीक करना: अगर आपके नए शूज बहुत ज्यादा कड़क होने की वजह से आपको दर्द पहुँचा रहे हैं, तो आप उन्हें अपने घर में पहनकर सॉफ्ट कर सकते हैं। बार-बार ब्रेक्स लेना मत भूलें और जब आपके शूज बहुत ज्यादा दर्दभरे बन जाएँ, तब उन्हें निकाल दें। वक़्त के साथ-साथ, शूज लूज हो जाएंगे और पहनने में और ज्यादा कम्फ़र्टेबल बन जाते हैं।
  6. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 22
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    कड़क शूज को स्ट्रेच करने और पहनने के लिए हेयरड्रायर यूज करें: हेयरड्रायर को उसकी लोवेस्ट सेटिंग पर ऑन करें और नोजल को शूज में पॉइंट करें। शूज को अंदर से कुछ मिनट्स के लिए गरम करें, फिर हेयरड्रायर को बंद कर दें। जैसे ही शूज वापस ठंडे होंगे, ये आपके पैरों के शेप में आ जाएंगे। ये मेथड नेचुरल मटेरियल से बने हुए शूज के लिए बेस्ट होती है; इसे प्लास्टिक्स और दूसरे सिंथेटिक मटेरियल के ऊपर यूज करे जाने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि ये उन्हें डैमेज कर सकती है।[१२]

सलाह

  • एक बात याद रखें, कि पैरों का साइज बदलता रहता है। गर्मी में ये जरा ज्यादा सूजे हुए हो जाते हैं और ठंड के मौसम में ये पतले हो जाते हैं। साथ ही, उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनका साइज भी बढ़ जाता है। बीच-बीच में अक्सर किसी शू स्टोर पर जाकर, किसी स्पेशलिस्ट से अपने पैरों का माप लेना एक अच्छा आइडिया हो सकता है।
  • अपने शूज को दिनभर में बदल-बदल कर देखें। अगर आप काम पर या किसी इवैंट पर जा रहे हैं, तो कुछ कम्फ़र्टेबल शूज पहनें। एक बार जब आप ऑफिस या इवैंट में पहुँच जाएँ, फिर अपने शूज को बदल लें।
  • अपने शूज को उतारने के बाद, अपने हर्ट हुए पैरों को गरम पानी में सोख लें। गर्माहट दर्द से आराम पहुँचाएगी और आपके पैरों को और भी बेहतर बना सकती है।
  • अगर आपको छाले हुए हैं, तो अपने पैरों को 10 मिनट्स के लिए गरम ग्रीन टी में सोखने दें: एस्ट्रिंजेंट टी बैक्टीरिया को खत्म करती है, बदबू को कम करती है और इन्फेक्शन फैलने के आपके चांस को कम करती है। इसकी गर्माहट भी दर्द से राहत देने में मदद करेगी।
  • अगर आप बनियन्स (गोखरू) से जूझ रहे हैं, तो ऐसे शूज की तलाश करें, जिन पर "wide" लिखा हुआ हो। कुछ शूज सँकरे, नॉर्मल/रेगुलर और चौड़े (wide) साइज में आया करते हैं।
  • अपने नए शूज को बाहर पहनने से पहले, अपने घर में पहनकर घूमें। ऐसा करके आपको उनसे हो सकने वाली किसी भी प्रॉब्लम के बारे में, उसके बहुत बड़ा बनने से पहले ही मालूम हो जाएगा।
  • जब भी आपके किसी ऊँची-नीची जगह पर चलने की उम्मीद हो, तब अपनी स्किनी हील्स में बॉटम पर एक क्लियर या ब्लैक हील प्रोटेक्टर लगा लें। हील प्रोटेक्टर और ज्यादा सरफेस एरिया बना देते हैं, जो आपकी हील के अटकने की संभावना को कम कर देता है।

चेतावनी

  • कभी-कभी, दर्द पहुँचा रहे शूज को ठीक कर पाना मुमकिन नहीं होता है, फिर या तो ऐसा शूज के स्ट्रक्चर, साइज की वजह से होता हो या फिर उसकी क्वालिटी की वजह से। ऐसे मामले में, आपको एक शायद शूज के अलग पेयर खरीदने के बारे में सोचना चाहिए।

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