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शनिवार, 7 जनवरी 2023

सबको बस बिज़नस चलाना है... एक आपको पानी छान के पिलाता है... दूसरा आपको पानी से छाने गए मिनरल को गोली में देता है... मगर कोई आपको असल बिमारी कभी नहीं बताता है..!!

पहले वाटर फिल्टर आया... ये कह के कि आपको बैक्टीरिया और बाकी बीमारियों से बचाएगा... फिर RO आया... ये कहा गया कि जो वायरस और बैक्टीरिया फिल्टर से नहीं छन पाते हैं और बच जाते हैं उन्हें ये छान लेगा... फिर RO में UV और एक और मेंब्रेन लग के आने लगी, और ये बताया गया कि पहले वाले से भी जो वायरस बच जाते थे उन्हें UV अब डीएक्टिवेट कर देगा!


फिर सालों बाद इन्हीं कंपनियों को पता चला कि जिस पानी को इन्होंने इतना छान दिया था उसे दरअसल इतना छानने की ज़रूरत नहीं थी... क्योंकि ये "अत्यधिक छना" पानी अब असल पानी से कहीं ज़्यादा नुकसानदेह है... फिर कंपनियाँ "एल्कलाइन पानी" ले कर आए... एल्कलाइन फिल्टर वाली बॉटल आईं और अब एल्कलाइन फिल्टर भी आ गए हैं... अब उसी छाने हुये पानी में फिर से मिनरल मिलाया जाता है!!

फिर Kangen वाटर आया... काला एल्कलाइन पानी आया... अब ये बताया जा रहा है कि RO का पानी दरअसल सबसे ज़्यादा नुकसानदेह होता है... अगर आप कम TDS वाला पानी, जो कि RO का या बिसलेरी की बॉटल का होता है, वो अगर आप रोज़ पीते हैं तो धीरे धीरे वो आपकी हड्डियाँ, दाँत सब गलाने लगता है और आपके हृदय की धमनियाँ वगैरह ख़राब होनी शुरू हो जाती हैं... कंपनियाँ जो RO बेच रही हैं वो इसे नहीं बताती हैं।

किसी भी पानी जिसका TDS 250 से कम है वो आपके लिए ज़हर होता है और बिसलेरी का TDS 30 से 75 के बीच होता है... आपके घर में जो RO लगा है अगर उसका TDS 35 या 75 है तो समझिए आप ज़हर पी रहे हैं पानी नहीं!!

समस्या ये है कि अब शहरों का पानी बहुत अधिक प्रदूषित हो चुका है... आप शहरों में अब सीधे नल का पानी नहीं पी सकते हैं... क्यूँकि आपके नल के आसपास जाने कितने टॉयलेट के गढ्ढे होंगे....! आपको फिल्टर तो चाहिए मगर फिल्टर क्या क्या छान ले रहा है आपके पानी से ये आप जान नहीं पाते हैं... फिल्टर वाली कंपनियों का कोई भी एम्प्लॉय न तो ये जानता है और न ही आपको बताता है क्योंकि उसे बस अपना माल बेचना होता है.... आपके दाँत गल जाएं या हृदय की धमनियाँ, उसे इस से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है... चूँकि ये मेडिकल की ही तरह बहुत बड़ा बिज़नेस बन चुका है... इसलिए अब कोई भी आपको फिल्टर के साइड इफेक्ट बताता ही नहीं है।।

अब पानी छानिये... फिर उसे एल्कलाइन बनाईये... फिर उसमे मिनरल ऐड कीजिये... फिर पीजिये... मगर ये वाटर फ़िल्टर की कंपनियाँ आपके घर के हिसाब से कोई ऐसा फ़िल्टर नहीं लगाएंगी जो वहाँ सिर्फ़ वही ज़रूरत पूरी करे जो होनी चाहिए... ज़्यादातर घरों में जो पानी आता है उनमे से TDS कम करने की कोई ज़रूरत नहीं होती है... मगर कंपनी का एक बिना पढ़ा लिखा एम्प्लोयी आकर आपको 10 फ़िल्टर वाला प्रोडक्ट बेच देता है और आपके पानी में कुछ बचता ही नहीं जिसकी आपके शरीर को ज़रूरत होती है... फिर आप डॉक्टर के पास जाते हैं और डॉक्टर आपको गोलियाँ खिलाता है !

ये वर्तुल है... सबका बिज़नस चल रहा है और सबको बस बिज़नस चलाना है... एक आपको पानी छान के पिलाता है... दूसरा आपको पानी से छाने गए मिनरल को गोली में देता है... मगर कोई आपको असल बिमारी कभी नहीं बताता है..!! 

#रामायण सीरियल का वह दृश्य है जहाँ एक अदभुद घटना घटी ( सत्य घटना )

यह #रामायण सीरियल का वह दृश्य है जहाँ एक अदभुद घटना घटी ( सत्य घटना )

1985-86 में #समुद्र के किनारे पर रामायण सीरियल की शूटिंग चल रही थी .. राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल एक शिला पर बैठे हुए थे.. समुद्र के पास में ही एक छोटा सा गाँव था, उस गाँव के लोग कभी कभी रामायण की शूटिंग देखने आ जाते थे ...
एक दिन उस गाँव में एक बच्चे को सर्प ने डस लिया, बच्चा एक दम बेहोश हो गया और उसके मुँह से सफेद झाग आने लगे ...! जैसे ही उसकी माँ को पता चला, वो अपने बच्चे को गोदी में लेकर वहां दौड़ी जहाँ रामायण की शूटिंग चल रही थी... सभी रामायण की शूटिंग में व्यस्त थे ..महिला रोती रोती एक दम वहाँ पहुँची और जहाँ रामजी ( अरुण गोविल ) बैठे हुए थे...         
     महिला ने बच्चे को रामजी के चरणों मे पटक दिया और जोर जोर से रोने लगी, रामजी मेरे बच्चे को बचाओ..इसे सर्प ने डस लिया है ..आप भगवान हो, मेरे बच्चे को बचाओ ... प्रभु मेरे बच्चे को बचाओ ...
सभी शूटिंग करने वाले हैरान होकर महिला की तरफ देखते रहे, कुछ समय के लिये शूटिंग रोक दी गई ..... जब महिला रामजी के सामने जोर जोर से रोने लगी, तब रामजी एक दम खड़े हो गए और बच्चे को देख कर उसके ऊपर अपना हाथ फेरने लगे ...
और जैसे ही #रामजी ने बच्चे पर हाथ फेरा बच्चे को होश आने लगा , आँखे खोलने लगा...सभी शूटिंग करने वाले लोग और कुछ महिला के साथ आये लोग दंग रह गए और बच्चा खड़ा हो गया.. !

महिला का भाव देखो कि उधर एक अभिनेता के अंदर प्रभु की शक्ति पैदा हो गयी !
यह घटना खुद अरुण गोविल ने अपने मुँह से सुनाई थी .... 1995 में किसी stage प्रोग्राम में उनको आमंत्रित किया, तब किसी व्यक्ति ने arun govil जी से पूछा कि रामायण की शूटिंग करते समय आपका कोई ऐसा अनुभव जो आपके लिए अविस्मरणीय रहा हो .... तब उन्होंने यह घटना सभी को बताई ...
जब सच्चे भाव और भावना से पत्थर में भगवान प्रकट हो सकते हैं तो व्यक्ति में क्यों नहीं.. कौन कहता सच्चे मन से पुकारे तो भगवान प्रकट नहीं होते.....
#सियाराम मय सब जग जानी,
करहु प्रणाम जोर जुग पानी...!
जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी ...।।
जय जय सियाराम

गुरुवार, 5 जनवरी 2023

चतुर्दशी के दिन आर्द्रा नक्षत्र का योग हो तो उस समय किया गया प्रणव (ॐ) का जप अक्षय फलदायी होता है ।*

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*⛅दिनांक - 05 जनवरी 2023*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2079*
*⛅शक संवत् - 1944*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्दशी रात्रि 02:14 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा रात्रि 09:26 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग - शुक्ल सुबह 07:34 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:06 से 03:27 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:22*
*⛅सूर्यास्त - 06:08*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:36 से 06:29 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 से 01:12 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग*
*⛅विशेष - चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔸चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग🔸*

*🔹पुण्यकाल : रात्रि 09:26 से 02:14 ( 06 जनवरी 2:14 A.M) तक*

*🔸चतुर्दशी के दिन आर्द्रा नक्षत्र का योग हो तो उस समय किया गया प्रणव (ॐ) का जप अक्षय फलदायी होता है ।*

*(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)*

*🌹 शास्त्रों में ॐकार की महिमा 🌹*

*🌹 ‘प्रणववाद’ ग्रंथ में ॐकार मंत्र से संबंधित २२ हजार श्लोकों का समावेश है ।*

*🌹 पतंजलि महाराज ने कहा है : तस्य वाचक: प्रणव: । (पातंजल योगदर्शन ) ‘ॐ’(प्रणव)परमात्मा का वाचक है, उसकी स्वाभाविक ध्वनि है । और सबमें अपने-आप यह ध्वनि हो रही है लेकिन आज का मनुष्य इतना बहरा है, इतना बहिर्मुख है कि ॐकार को बाहर से, भीतर से नही सुन पाता है इसलिए गुरुदेव देते हैं मंत्र ।*

*🌹 ‘ॐ’ बीजमंत्र है । भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है : प्रणव: सर्ववेदेषु.... वेदों में मैं ‘ॐ’ हूँ ।*

*🌹 प्रणव अर्थात ‘ॐ' । संसार की सारी विद्याएँ जिन शब्दों से उच्चारित होती है उनका मूल है ‘ॐ’ । शास्त्रों में इसका व्यापक रूप से वर्णन किया गया है ।*

*श्री हरि– जून २०२० से*

*🔸ॐ कार मंत्र में 19 शक्तियाँ हैं - (भाग-1)🔸*

*🔹रक्षण शक्ति : ॐ सहित मंत्र का जप करते हैं तो वह हमारे जप तथा पुण्य की रक्षा करता है । किसी नामदान के लिए हुए साधक पर यदि कोई आपदा आनेवाली है, कोई दुर्घटना घटने वाली है तो मंत्र भगवान उस आपदा को शूली में से काँटा कर देते हैं । साधक का बचाव कर देते हैं। ऐसा बचाव तो एक नहीं, मेरे हजारों साधकों के जीवन में चमत्कारिक ढंग से महसूस होता है ।*

*🔹गति शक्ति : जिस योग में, ज्ञान में, ध्यान में आप फिसल गये थे, उदासीन हो गये थे, किंकर्तव्यविमूढ़ हो गये थे उसमें मंत्रदीक्षा लेने के बाद गति आने लगती है । मंत्रदीक्षा के बाद आपके अंदर गति शक्ति कार्य में आपको मदद करने लगती है ।*

*🔸कांति शक्ति : मंत्रजाप से जापक के कुकर्मों के संस्कार नष्ट होने लगते हैं और उसका चित्त उज्जवल होने लगता है । उसकी आभा उज्जवल होने लगती है, उसकी मति-गति उज्जवल होने लगती है और उसके व्यवहार में उज्जवलता आने लगती है ।*

*🔸इसका मतलब ऐसा नहीं है कि आज मंत्र लिया और कल सब छूमंतर हो जायेगा... धीरे-धीरे होगा। एक दिन में कोई स्नातक नहीं होता,  एक दिन में कोई एम.ए. नहीं पढ़ लेता, ऐसे ही एक दिन में सब छूमंतर नहीं हो जाता। मंत्र लेकर ज्यों-ज्यों आप श्रद्धा से, एकाग्रता से और पवित्रता से जप करते जायेंगे त्यों-त्यों विशेष लाभ होता जायेगा ।*

*🔹प्रीति शक्ति : ज्यों-ज्यों आप मंत्र जपते जायेंगे त्यों-त्यों मंत्र के देवता के प्रति, मंत्र के ऋषि, मंत्र के सामर्थ्य के प्रति आपकी प्रीति बढ़ती जायेगी ।*

*🔹तृप्ति शक्ति : ज्यों-ज्यों आप मंत्र जपते जायेंगे त्यों-त्यों आपकी अंतरात्मा में तृप्ति बढ़ती जायेगी, संतोष बढ़ता जायेगा ।*

*🔹जिनको गुरुमंत्र सिद्ध हो गया है उनकी वाणी में सामर्थ्य आ जाता है । नेता भाषण करता है त लोग इतने तृप्त नहीं होते, किंतु जिनका गुरुमंत्र सिद्ध हो गया है ऐसे महापुरुष बोलते हैं तो लोग बड़े तृप्त हो जाते हैं और महापुरुष के शिष्य बन जाते हैं ।*

*🔹अवगम शक्ति : मंत्रजाप से दूसरों के मनोभावों को जानने की शक्ति विकसित हो जाती है । दूसरे के मनोभावों को आप अंतर्यामी बनकर जान सकते हो ।*

*🔹प्रवेश अवति शक्ति : अर्थात् सबके अंतरतम की चेतना के साथ एकाकार होने की शक्ति । अंतःकरण के सर्व भावों को तथा पूर्वजीवन के भावों को और भविष्य की यात्रा के भावों को जानने की शक्ति कई योगियों में होती है । वे कभी-कभार मौज में आ जायें तो बता सकते हैं कि आपकी यह गति थी, आप यहाँ थे, फलाने जन्म में ऐसे थे, अभी ऐसे हैं । जैसे दीर्घतपा के पुत्र पावन को माता-पिता की मृत्यु पर उनके लिए शोक करते देखकर उसके बड़े भाई पुण्यक ने उसे उसके पूर्वजन्मों के बारे में बताया था । यह कथा योगवाशिष्ठ महारामायण में आती है ।*

*🔹श्रवण शक्ति : मंत्रजाप के प्रभाव से जापक सूक्ष्मतम, गुप्ततम शब्दों का श्रोता बन जाता है । जैसे, शुकदेवजी महाराज ने जब परीक्षित के लिए सत्संग शुरु किया तो देवता आये । शुकदेवजी ने उन देवताओं से बात की । माँ आनंदमयी का भी देवलोक के साथ सीधा सम्बन्ध था । और भी कई संतो का होता है । दूर देश से भक्त पुकारता है कि गुरुजी ! मेरी रक्षा करो... तो गुरुदेव तक उसकी पुकार पहुँच जाती है !*


*🌞बनेंगे सबके काम🌞*
               *🌞तो बोलो जय श्री राम🌞*

भारत में मुसलमानो के 800 वर्ष के शासन का झूठ

✴️भारत में मुसलमानो के 800 वर्ष के शासन का झूठ✴️



*क्या भारत में मुसलमानों ने 800 वर्षों तक शासन किया है-

सुनने में यही आता है पर न कभी कोई आत्ममंथन करता है और न इतिहास का सही अवलोकन। आईये देखते हैं, इतिहास के वास्तविक नायक कौन थे? और उन्होंने किस प्रकार मुगलिया ताकतों को रोके रखा और भारतीय संस्कृति की रक्षा में सफल रहे।

*राजा दाहिर : प्रारम्भ करते है मुहम्मद बिन कासिम के समय से-*

भारत पर पहला आक्रमण मुहम्मद बिन ने 711 ई में सिंध पर किया। राजा दाहिर पूरी शक्ति से लड़े और मुसलमानों के धोखे के शिकार होकर वीरगति को प्राप्त हुए।

*बप्पा रावल:*_ _दूसरा हमला 735 में राजपुताना पर हुआ जब हज्जात ने सेना भेजकर बप्पा रावल के राज्य पर आक्रमण किया। वीर बप्पा रावल ने मुसलमानों को न केवल खदेड़ा बल्कि अफगानिस्तान तक मुस्लिम राज्यों को रौंदते हुए अरब की सीमा तक पहुँच गए। ईरान अफगानिस्तान के मुस्लिम सुल्तानों ने उन्हें अपनी पुत्रियां भेंट की और उन्होंने 35 मुस्लिम लड़कियों से विवाह करके सनातन धर्म का डंका पुन: बजाया। बप्पा रावल का इतिहास कही नहीं पढ़ाया जाता। यहाँ तक की अधिकतर इतिहासकर उनका नाम भी छुपाते है। गिनती भर हिन्दू होंगे जो उनका नाम जानते हैं!

*दूसरे ही युद्ध में भारत से इस्लाम समाप्त हो चुका था। ये था भारत में पहली बार इस्लाम का नाश।*

*सोमनाथ के रक्षक राजा जयपाल और आनंदपाल:*

अब आगे बढ़ते है गजनवी पर। बप्पा रावल के आक्रमणों से मुसलमान इतने भयक्रांत हुए की अगले 300 सालों तक वे भारत से दूर रहे।_

इसके बाद महमूद गजनवी ने 1002 से 1017 तक भारत पर कई आक्रमण किये पर हर बार उसे भारत के हिन्दू राजाओ से कड़ा उत्तर मिला। पहले राजा जयपाल और फिर उनका पुत्र आनंदपाल, दोनों ने उसे मार भगाया था।

महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर भी कई आक्रमण किये पर 17 वे युद्ध में उसे सफलता मिली थी। सोमनाथ के शिवलिंग को उसने तोडा नहीं था बल्कि उसे लूट कर वह काबा ले गया था। जिसका रहस्य आपके समक्ष जल्द ही रखता हु। यहाँ से उसे शिवलिंग तो मिल गया जो चुम्बक का बना हुआ था। पर खजाना नहीं मिला। भारतीय राजाओ के निरंतर आक्रमण से वह वापिस गजनी लौट गया और अगले 100 सालो तक कोई भी मुस्लिम आक्रमणकारी भारत पर आक्रमण न कर सका।

*सम्राट पृथ्वीराज चौहान:*

1098 में मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज राज चौहान को 16 युद्द के बाद परास्त किया और अजमेर व दिल्ली पर उसके गुलाम वंश के शासक जैसे कुतुबुद्दीन, इल्तुमिश व बलवन दिल्ली से आगे न बढ़ सके। उन्हें हिन्दू राजाओ के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। पश्चिमी द्वार खुला रहा जहाँ से बाद में ख़िलजी लोधी तुगलक आदि आये। ख़िलजी भारत के उत्तरी भाग से होते हुए बिहार बंगाल पहुँच गए। कूच बिहार व बंगाल में मुसलमानो का राज्य हो गया पर बिहार व अवध प्रदेश मुसलमानो से अब भी दूर थे। शेष भारत में केवल गुजरात ही मुसलमानो के अधिकार में था। अन्य भाग स्वतन्त्र थे।

*राणा सांगा:-*

1526 में राणा सांगा ने इब्राहिम लोधी के विरुद्ध बाबर को बुलाया। बाबर ने लोधियों की सत्ता तो उखाड़ दी पर वो भारत की सम्पन्नता देख यही रुक गया और राणा सांगा को उसने युद्ध में हरा दिया। चित्तोड़ तब भी स्वतंत्र रहा पर अब दिल्ली मुगलो के अधिकार में थी। हुमायूँ दिल्ली पर अधिकार नहीं कर पाया पर उसका बेटा अवश्य दिल्ली से आगरा के भाग पर शासन करने में सफल रहा। तब तक कश्मीर भी मुसलमानो के अधिकार में आ चूका था।_

*महाराणा प्रताप*

अकबर पुरे जीवन महाराणा प्रताप से युद्ध में व्यस्त रहा। जो बाप्पा रावल के ही वंशज थे और उदय सिंह के पुत्र थे जिनके पूर्वजो ने 700 सालो तक मुस्लिम आक्रमणकारियों का सफलतापूर्वक सामना किया। जहाँगीर व शाहजहाँ भी राजपूतों से युद्धों में व्यस्त रहे व भारत के बाकी भाग पर राज्य न कर पाये।

दक्षिण में बीजापुर में तब तक इस्लाम शासन स्थापित हो चुका था।

*छत्रपति शिवाजी महाराज:* 

औरंगजेब के समय में मराठा शक्ति का उदय हुआ और शिवाजी महाराज से लेकर पेशवाओ ने मुगलो की जड़े खोद डाली। शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिंदवी स्वराज्य का विस्तार उनके बाद आने वाले मराठा वीरों ने किया। बाजीराव पेशवा इन्होने मराठा सम्राज्य को भारत में हिमाचल बंगाल और पुरे दक्षिण में फैलाया। दिल्ली में उन्होंने आक्रमण से पहले गौरी शंकर भगवान से मन्नत मांगी थी कि यदि वे सफल रहे तो चांदनी चौक में वे भव्य मंदिर बनाएंगे। जहाँ कभी पीपल के पेड़ के नीचे 5 शिवलिंग रखे थे। बाजीराव ने दिल्ली पर अधिकार किया और गौरी शंकर मंदिर का निर्माण किया। जिसका प्रमाण मंदिर के बाहर उनके नाम का लगा हुआ शिलालेख है। बाजीराव पेशवा ने एक शक्तिशाली हिन्दुराष्ट्र की स्थापना की जो 1830 तक अंग्रेजो के आने तक स्थापित रहा।_

*अंग्रेजों और मुगलों की मिलीभगत:*

मुगल सुल्तान मराठाओ को चौथ व कर देते रहे थे और केवल लालकिले तक सिमित रह गए थे। और वे तब तक शक्तिहीन रहे। जब तक अंग्रेज भारत में नहीं आ गए। 1760 के बाद भारत में मुस्लिम जनसँख्या में जबरदस्त गिरावट हुई जो 1800 तक मात्र 7 प्रतिशत तक पहुँच गयी थी। अंग्रेजो के आने के बाद मुसल्मानो को संजीवनी मिली और पुन इस्लाम को खड़ा किया गया, ताकि भारत में सनातन धर्म को नष्ट किया जा सके। इसलिए अंग्रेजो ने 50 साल से अधिक समय से पहले ही मुसलमानो के सहारे भारत विभाजन का षड्यंत्र रच लिया था। मुसलमानो के हिन्दु विरोधी रवैये व उनके धार्मिक जूनून को अंग्रेजो ने सही से प्रयोग किया तो यह झूठा इतिहास क्यों पढ़ाया गया?:-_

असल में हिन्दुओ पर 1200 सालो के निरंतर आक्रमण के बाद भी जब भारत पर इस्लामिक शासन स्थापित नहीं हुआ और न ही अंग्रेज इस देश को पूरा समाप्त कर सके। तो उन्होंने शिक्षा को अपना अस्त्र बनाया और इतिहास में फेरबदल किये। अब हिन्दुओ की मानसिकता को बदलना है तो उन्हें ये बताना होगा की तुम गुलाम हो। लगातार जब यही भाव हिन्दुओ में होगा तो वे स्वयं को कमजोर और अत्याचारी को शक्तिशाली समझेंगे। इसी चाल के अंतर्गत ही हमारा जातीय नाम आर्य के स्थान पर हिन्दू रख दिया गया, जिसका अर्थ होता है काफ़िर, काला, चोर, नीच आदि ताकि हम आत्महीनता के शिकार हो अपने गौरव, धर्म, इतिहास और राष्ट्रीयता से विमुख हो दासत्व मनोवृति से पीड़ित हो सकें। *वास्तव में हमारे सनातन धर्म के किसी भी शास्त्र और ग्रन्थ में हिन्दू शब्द कहीं भी नहीं मिलता बल्कि शास्त्रो में हमे आर्य, आर्यपुत्र और आर्यवर्त राष्ट्र के वासी बताया गया है। आज भी पंडित लोग संकल्प पाठ कराते हुए  "आर्यवर्त अन्तर्गते..."* का उच्चारण कराते हैं । अत: भारत के हिन्दुओ को मानसिक गुलाम बनाया गया जिसके लिए झूठे इतिहास का सहारा लिया गया और परिणाम सामने है।_

*लुटेरे और चोरो को आज हम बादशाह सुलतान नामो से पुकारते है उनके नाम पर सड़के बनाते है।* शहरो के नाम रखते है और उसका कोई हिन्दू विरोध भी नहीं करता जो बिना गुलाम मानसिकता के संभव नहीं सकता था। इसलिए उन्होंने नई रण नीति अपनाई। इतिहास बदलो, मन बदलो और गुलाम बनाओ। यही आज तक होता आया है। जिसे हमने मित्र माना वही अंत में हमारी पीठ पर वार करता है। इसलिए झूठे इतिहास और झूठे मित्र दोनों से सावधान रहने की आवश्यकता है।

*इस लेख को अधिक से अधिक जनता तक पहुंचाएं। हमें अपना वास्तविक इतिहास जानने का न केवल अधिकार है अपितु तीव्र आवश्यकता भी, ताकि हम उस दास मानसिकता से मुक्त हो सकें जो हम सब के अंदर घर कर गयी है, ताकि हम जान सकें की हम कायर और विभाजित पूर्वजों की सन्तान नहीं, हम कर्मठ और संगठित वीरों की सन्तान हैं।*

#आर्यवर्त

सोमवार, 2 जनवरी 2023

आज का राशिफल व पंचांग - राजेन्द्र गुप्ता

आज का राशिफल व पंचांग
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02 जनवरी, 2023, सोमवार
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आज और कल का दिन खास 
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02 जनवरी 2023 : पुत्रदा एकादशी आज।

03 जनवरी, 1894 को रवीन्द्र नाथ टैगोर ने शांति निकेतन में 'पौष मेला' का उद्घाटन किया।
03 जनवरी, 1943 को टेलीविजन पर पहली बार गुमशुदा लोगों के बारे में सूचना का प्रसारण किया गया।

आज का राशिफल
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02 जनवरी, 2023, सोमवार
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मेष राशि : आज अप्रत्याशित रूप से काफी खर्च हो सकता है। आप कोई ऐसी चीज खरीद सकते हैं जिसकी आपको जरूरत नहीं है। ज़्यादा तनाव महसूस कर रहे हैं, तो बच्चों के साथ अधिक समय बिताएँ। उनके प्यार भरी मासूम सी मुस्कुराहट आपकी सभी परेशानियों को खत्म कर देंगी। आज अपना कीमती समय अपने पार्टनर को दें, आपके पार्टनर को आपकी जरूरत है।

वृषभ राशि : आपको आज कुछ नयी वित्तीय योजनायें पता चलेंगी। अगर एक बार आप सोच समझकर कोई फैसला ले लें तो उसे कार्यान्वित करने में हिचकिचाएं नही। आज आपकी प्रेमी के साथ अनबन हो सकती है। दोस्तों और बंधुजनों के साथ भी रिश्तों में खटास आने की संभावना है। पैसों के लेन-देन में सतर्कता बरतें। आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा।

मिथुन राशि : आज समय अनुकूल हैं। थोड़ी सी मेहनत से पूरा फल मिलने की संभावना हैं। आज परिजनों का सहयोग मिलेगा। और घर में शांति का माहौल रहेगा। आपके वैवाहिक जीवन के लिए यह कठिन समय है। अगर आप लंबे समय से परिणाम का इंतजार कर रहे हैं तो वो आज आ सकते हैं। तांबे की कोई वस्तु खरीदना लाभदायक रहेगा। परिवारिक सुख और शांति रहेगी।

कर्क राशि : यह आपके लिए अपने अंतर्मन में झाँकने का बहुत अच्छा समय है और आपको इसका उपयोग अपनी कमियां दूर करने के लिए इसका उपयोग जरुर करना चाहिए। धन लाभ होगा। जीवनसाथी से बहुत ज़्यादा उम्मीदें रखना आपको वैवाहिक जीवन में उदासी की तरफ ले जा सकता है। यथार्थवादी रवैया अपनाएँ और जो आपकी ओर मदद का हाथ बढ़ाएँ।

सिंह राशि : आज आत्मविश्वास की अधिकता रहेगी। पुरानी बातों में उलझे रहने के स्थान पर बदलाव के लिए जो कुछ जरूरी है उसपर फोकस करें। आप की सक्रियता बनी रहेगी। बेहतर होगा कि आप जिनके साथ रहते हैं उनके साथ विवादों में पडऩे की बजाय विवादों से दूर ही रहें। आज पारिवारिक जीवन में कुछ उथल-पुथल हो सकती है। काम का बोझ कम रहेंगे। दांपत्य जीवन सुखमय व्यतीत होगा।

कन्या राशि : आज का दिन भावनात्मक रहेगा। आपको अपने अंतरतम की भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने की स्थति भी आ सकती है। घरेलू काम थका देने वाला होगा। नजदीकी लोगों से कई मतभेद उभर सकते हैं। आज दिन की शुरुआत खराब हो सकती है, लेकिन शाम होते-होते सब सुधर जाएगा। जीवनसाथी के साथ मधुर रिश्ते बनेगे। वाणी पर संयम रखें। बेरोजगारों को भागदौड़ करनी पड़ सकती हैं।

तुला राशि : आज आपको भावनात्मक संतुष्टि मिलेगी। आपका कोई करीबी भी आज भावनाओ में बहकर बात करेगा लेकिन आपको जमीन से जुड़े रहकर उपयुक्त प्रतिक्रिया देनी है। शारीरिक कष्ट कम होगा। स्वास्थ्य में सुधार के योग हैं। रोमांटिक मुलाकात बहुत रोमांचक रहेगी। आपके हँसी-मजाक का लहजा किसी दूसरे को आपकी तरह इस क्षमता को विकसित करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

वृश्चिक राशि : आज अकेलापन खत्म हो सकता हैं और रिश्तों में मजबूती आएगी। आज आप काफी अच्छे मूड में रहेंगे। क्रोध न करें और मन को शांत रखें। परिवार के साथ बाहर घूमने का प्लान बना सकते हैं। उत्साह बढ़ेगा अचानक धन प्राप्ति हो सकती है। आपको कोई जरूरी काम अधर में ही छोडऩा पड़ सकता है। ऐसे हालात में धैर्य और होशियारी से काम लें।

धनु राशि : आज आप खुद को उलझन में फंसा हुआ महसूस करेंगे। शिक्षार्थियों के लिए दिन अच्छा है। आज रोमांस आपके दिलो-दिमाग पर छाया रहेगा। बेकार की बातों और झगड़ों से बचें। घर के रिश्तों में तनाव पैदा हो सकता है। विद्यार्थियों के लिए आज का दिन मुश्किल भरा हो सकता है। अपना भला चाहने वाले लोगों से उन चीजों के बारे में भी खुलकर बात करें, जो आपको परेशान कर रही हैं।

मकर राशि : आज कही घूमने का प्लान बना सकते हैं। बेकार की बातों में बहस न करें। आपके वरिष्ठ अधिकारी आप पर नजर रखे हुए हैं। इसीलिए अधिक मेहनत करें। कुछ अनपेक्षित निजी मुद्दे आपके सामने आ सकते हैं। उनसे आपको आश्चर्य तो जरुर होगा, लेकिन आप संतोषजनक तरीके से उन्हें सँभालने में कामयाब होंगे। अधिक काम करने से बचें और पूर्ण आराम लें। झुंझलाहट से बचने के लिए शांतचित्त रहें।

कुम्भ राशि : आज आप अपने प्रति ईमानदार रहें क्योंकि इसी से आप हरेक स्थिति में खुश रह पायेंगे। परिवार में किसी सदस्य की तबीयत बिगड़ सकती है। केवल दूसरों की परवाह करने के लिए अपनी इच्छाओं का बलिदान न करें, जो आपको भी अच्छा लगे, वही करें। साथियों के साथ अच्छे मूड में रहेंगे। आज अपने करियर के विषय में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।

मीन राशि : आप आज कल्पनात्मक रहेंगे। कार्यस्थल की ओर से किसी अन्य स्थान की यात्रा का मौका मिल सकता है। आपकी रोमांटिक प्रवृति उजागर होगी। अपने आपको थोड़ी ढील देने का दिन है। लेकिन काम में व्यावहारिकता भी दिखानी होगी। कार्य ज्यादा होने के कारण आप पार्टनर को समय नहीं दे पाएंगे। आप दाम्पत्य जीवन को सुधारने की कोशिश करें। प्रतिद्वंद्वी आप पर हावी हो सकते हैं।

 -राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076

आज का पंचांग
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02 जनवरी 2023, सोमवार
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तिथि एकादशी 08:25 PM
नक्षत्र भरणी 02:24 PM
करण वणिज 07:46 AM
              विष्टि 08:25 PM
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शक सम्वत 1944 (शुभकृत)
मास पौष
शुभ मुहूर्त 
अभीजित 12:04 - 12:45 PM

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
नोट- अगर आप अपना भविष्य जानना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल करके या व्हाट्स एप पर मैसेज भेजकर पहले शर्तें जान लेवें, इसी के बाद अपनी बर्थ डिटेल और हैंडप्रिंट्स भेजें।

रविवार, 1 जनवरी 2023

आजकल जिसे देखो सुबह शाम लगातार पानी पीने की सलाह दे रहा है, होड़ से मची है इसे लेकर आपकी राय में ऐसा करना किस हद तक सही है और क्यों?

पानी हमेशा सादा पियें, गर्म बिल्कुल भी नहीं अन्यथा शरीर से लुब्रिकेशन खत्म हो जाएगा। जोड़ों की चिकनाहट नहीं बचेगी। आजकल जोड़ों के दर्द , सूजन, थायराइड आदि की समस्याओं की वजह गर्म पानी का इस्तेमाल है।

यह एलोपैथिक चिकित्सा द्वारा फैलाया गया एक षड्यंत्र है। अभी 10 सालों में बीमारियों का जो अम्बार लगा है, उसका कारण गर्म पानी है।

भारत के खिलाफ हर प्रकार से साजिशें चल रही हैं। हमारे बड़े बुजुर्गों ने जीवन भर कभी गर्म पानी नहीं पिया। सावधान रहें। अगर गर्म पानी इतना आवश्यक होता, तो हमारी धरती माँ गर्म जल के स्त्रोत भी देती। जसए बद्रीनाथ, मणिमहेश आदि में उपलब्ध है।

लेह-लदाख में भी गर्म पानी के चश्मे हैं जहां गर्म पानी प्रकृति ने इसलिए दिया है क्योंकि वहां तापमान माइनस में जाता है। लेह से करीब 120 km दूर यह गर्म पानी का स्त्रोत अदभुत है। देखें वीडियो….

पानी माटी के पात्र का सबसे सुरक्षित और स्वाथ्य वर्द्धक रहता है।

मिट्टी के घड़े का जल..

मिट्टी के घड़े का पानी शरीर की जलन,

मानसिक वेदना, पेट की बीमारियों को

दूर करने में सहायक है इसे मार्च से जून (गर्मियों में) पीना हितकर रहता है।

जल का पर्याप्त मात्रा में उपयोग उम्ररोधी बताया गया है। पानी ऐसे पियें-जैसे खा रहे हों।

आयुर्वेद की एक सलाह है कि-

भोजन ऐसे करें, जैसे पी रहे हों अर्थात खाने को बहुत चबा-चबाकर जब तक कि वह पानी की तरह

तरल न हो जाये। धीरे-धीरे खाने से कभी मोटापा नहीं बढ़ता। औऱ पानी को ऐसे पियें जैसे खा रहे हों। पानी को हमेशा धीरे-धीरे बैठकर ही पीना बहुत लाभकारी होता है। खड़े होकर जल ग्रहण करने से

घुटनों व जोड़ों में दर्द की शिकायत हो जाती है। यह पीड़ा बुढ़ापे में बहुत दुःख देती है। इसलिए पानी हमेशा बैठकर ही पीना चाहिए।

सावधान रहें….गर्म जल पीने से आप की मर्दाना ताकत क्षीण हो सकती है…

अधिक नीबू का उपयोग वीर्य को पतला करता है। इस वजह से नपुंसकता आ सकती है। प्रकृति ने जो जैसा दिया है, वैसा ही हमें उपभोग करना चाहिए।

क्या इतना शुद्ध शहद प्रकृति दे रही है-जरा सोंचे…

अब शुद्ध शहद देश में बहुत कम उपलब्ध है। मैसूर, 36 गढ़, अमरावती, हिमाचल आदि जंगलों के शुद्ध शहद की कीमत 500 से 700/- रुपये किलो खरीदी मूल है।

ज्यादा मधु-शहद के सेवन से बचें…

आजकल 99 फीसदी मधु ग्लूकोज, इन्वर्ट शुगर से बनाकर नकली बेचा जा रहा है।

   प्रेरक संस्कृत श्लोक विद्यार्थियों के लिए

  प्रेरक संस्कृत श्लोक विद्यार्थियों के लिए





sanskrit shlokas: संस्कृत कभी हमारी संस्कृति की मूल और वाहक भाषा रही है, जिसमें हमारे पूर्वजों ने ,हमारे ऋषि-मुनियों ने तथा तत्कालीन समाज के प्रबुद्ध व्यक्तियों ने ज्ञान के सूत्रों को श्लोक सुभाषित और अन्य रूपों में संग्रहित किया है। हमारे धर्म ग्रंथ असंख्य जीवन उपयोगी सूत्रों एवं गूढ़ दर्शन को अपने आप में समेटे हुए तथ्यों से भरे-पड़े हैं

इसी अनमोल खजाने से हमने आपके लिए कुछ बेहद अनमोल मोतियों को प्रस्तुत करने की कोशिश की है। वैसे तो यह तमाम सूत्र जनसाधारण के जीवन पर 100% सटीक बैठती हैं, उपयोगी हैं। लेकिन विद्यार्थी जीवन जिसे हम मनुष्य जीवन का स्वर्णिम द्वार कह सकते हैं, में यदि हमें इन सूत्रों की समझ हो जाए तो हम बतौर एक सफल नागरिक अपने जीवन से परिवार समाज देश तथा विश्व का भला कर पाएंगे आगे पढ़िए गूढ़ तथ्यों से भरपूर संस्कृत श्लोकों को

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।


अर्थात् :जो व्यक्ति अभिवादन शील एवं विनम्र है तथा अपने से बड़ों का सम्मान करता है नित्य प्रतिदिन वृद्धजनों की सेवा करता है.उसे इस सेवा के फलस्वरूप जो आशीर्वाद प्राप्त होता है, उससे उसके आयु विद्या कीर्ति और बल में वृद्धि होती है। ये श्लोक हमारी संस्कृति की मूल अवधारणा का उद्घोष कर रही है जिसमें (भारतीय संस्कृति में ) बड़े बुजुर्गों की सेवा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।

क्षणशः कणशः चैव विद्यामर्थं साधयेत्
क्षणत्यागे कुतो विद्या कण त्यागे कुतो धनम् 

अर्थात् :एक एक क्षण का सदुपयोग कर विद्या प्राप्त करनी चाहिए तथा एक एक कण को महत्वपूर्ण समझ कर के धन संचय करना चाहिए। क्षण के महत्व को बिना समझे उसे गंवाने वाले को विद्या कहां प्राप्त होगी ? ठीक उसी प्रकार जो कण(धन का अत्यंत छोटा सा हिस्सा) के महत्व को नहीं समझेगा उसे धनवान बनने का सुयोग नहीं प्राप्त हो सकता। एक बुद्धिमान व्यक्ति, जो विद्याध्ययन की अभिलाषा रखता हो, को प्रत्येक क्षण (समय) का उपयोग करना चाहिए तथा धनवान बनने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को प्रत्येक कण को महत्वपूर्ण समझ कर इसका संग्रह करना चाहिए

 

Sanskrit Shlokas विद्यार्थियों के लिए-

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति 

अर्थात् :मनुष्यों का आलस्य ही उसका सबसे बड़ा शत्रु है तथा परिश्रम जैसा कोई दूसरा मनुष्य का अनन्य मित्र नहीं है परिश्रम करने वाला मनुष्य कभी भी दुःख नहीं भोगता, दुखी नहीं होता

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यथा ह्येकेन चक्रेण रथस्य गतिर्भवेत्
एवं परुषकारेण विना दैवं सिद्ध्यति 

अर्थात् :जिस प्रकार एक पहिये से रथ नहीं चल सकता है, उसी प्रकार बिना पुरुषार्थ के भाग्य सिद्ध नहीं हो सकता है अतः भाग्य के भरोसे सब कुछ छोड़कर मत बैठिये लक्ष्य की प्राप्ति हेतु पुरुषार्थ करते रहिये

पुस्तकस्था तु या विद्या ,परहस्तगतं धनम्
कार्यकाले समुत्तपन्ने सा विद्या तद्धनं 

अर्थात् :पुस्तक में रखी विद्या ज्ञान की बातें तथा दूसरे के हाथ में गया धन ये दोनों जब बहुत आवश्यकता हो जरूरत हो, उस वक्त काम नहीं आता. अतः एक जागरूक व्यक्ति को इस बात को हमेशा ध्यान में रख कर ही आचरण करना चाहिए।

उद्यमेनैव हि सिध्यन्ति,कार्याणि मनोरथै:
हि सुप्तस्य सिंहस्य,प्रविशन्ति मुखे मृगाः॥

अर्थात् :जैसे सोते हुए सिंह के मुख में मृग स्वयं प्रवेश कर के उसकी क्षुधातुष्टि नहीं करता उसी प्रकार सारे अभीष्ट कार्य उद्यम अर्थात प्रयत्न करने से ही पूर्ण होते हैं कि उन्हें संपन्न कर लेने की इच्छा मात्रा से मनोरथ मात्र से

सहसा विदधीत क्रियामविवेकः परमापदां पदम्
वृणते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव संपदः 

अर्थात् :अचानक आवेश में कर बिना सोच विचार किये कोई कार्य नहीं करना चाहिए, क्योंकि विवेकशून्यता सबसे बड़ी विपत्तियों का घर होती है। इसके उलट जो व्यक्ति सोच समझकर कार्य करता है, उसके इसी गुण की वजह से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद उन्हें स्वतः प्राप्त हो जाता है अर्थात धन सम्पदा स्वतः उनकी ओर आकृष्ट होने लगती है

सुखार्थिनः कुतो विद्या विद्यार्थिनः कुतः सुखम्
सुखार्थी वा त्यजेत विद्या विद्यार्थी त्यजेत् सुखम् 


अर्थात् :-सुख की कामना करने वालों को विद्या कहां प्राप्त हो सकती है ? और विद्या की इच्छा रखने वाले को सुख नहीं मिल सकता. अतः सुख की लालसा रखने वालों को विद्या अध्ययन को त्याग देना चाहिए, तथा जो वास्तव में विद्या प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें सुख का परित्याग कर देना चाहिए।

Sanskrit Shlokas for Better Life.

प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः
तस्मात तदैव वक्तव्यम वचने का दरिद्रता 

अर्थात् :प्रिय अर्थात मधुर वचन से सभी जीवों को प्रसन्नता होती है,फिर मधुर वचन बोलने में कंजूसी किस लिए ? अतएव हमें सदा सर्वदा मधुर वचन ही बोलना चाहिए।

अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते
अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधमः

अर्थात् :बिना बुलाए भी जाना, बिना किसी के पूछे बहुत बोलना, विश्वास नहीं करने लायक व्यक्तियों पर विश्वास करना.. ये सभी मूर्ख और अधम लोगों के लक्षण हैं। अतः अपने जीवन में हमें इन चीजों का खास ख्याल रखना चाहिए

रूप यौवन सम्पन्ना विशाल कुल सम्भवा: l
विद्याहीना शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः ll

अर्थात् :रूप और यौवन से सम्पन्न तथा उच्च कुलीन परिवार में उत्पन्न व्यक्ति भी विद्याहीन होने पर सुगंध रहित पलाश के फूल की भाँति ही शोभा नहीं देते। विद्या अध्ययन करने में ही मनुष्य जीवन की सफलता है।

नास्ति विद्यासमो बन्धुर्नास्ति विद्यासमः सुहृत्
नास्ति विद्यासमं वित्तं नास्ति विद्यासमं सुखम्

अर्थात् :विद्या के सामान कोई बंधु नहीं , विद्या जैसा कोई मित्र नहीं, विद्या धन के जैसा अन्य कोई धन या सुख नहीं। अतः विद्या इस लोक में हमारे लिए सकल कल्याण की वाहक है, अतएव विद्यार्जन जरूर करनी चाहिए

विना परवादेन रमते दुर्जनो जनः
काकः सर्वरसान् भुंक्ते विनाऽमध्यं तृप्यति

अर्थात् :-दुर्जन व्यक्तियों को परनिंदा अर्थात दूसरे व्यक्ति की निंदा किए बिना ठीक उसी प्रकार चैन नहीं आता आनंद नहीं आता है, जैसे कि कौआ सभी प्रकार के रसों का आनंद लेने के बाद भी बिना गंदगी (मैला) खाए तृप्त नहीं होता.अतः एक बुद्धिमान व्यक्ति को परनिंदा से बचना चाहिए

sanskrit shlokas for success

षड् दोषा: पुरूषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध: आलस्यं दीर्घसूत्रता॥

अर्थात् :-इस संसार में सम्पन्न होने अथवा उन्नति करने की प्रबल इच्छा रखने वाले मनुष्यों को इन छह आदतों का परित्याग कर देना चाहिए (अधिक) नींद लेना अथवा अधिक सोना, जड़ता, भय, क्रोध, आलस्य और दीर्घसूत्रता अर्थात कार्यों को टालने की प्रवृत्ति. अन्यथा ये आदतें व्यक्ति के उन्नति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा बनकर उसकी कामना को कभी भी पूर्ण नहीं होने देंगे

विद्यां ददाति विनयं,विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति,धनात् धर्मं ततः सुखम्॥

अर्थात् :-विद्या विद्या विनय देती है अर्थात विद्या से विनय प्राप्त होता है। विनय अथवा विनयशीलता से हमें पात्रता (लक्ष्य को प्राप्त करने की योग्यता) प्राप्त होती है। पात्रता से धन प्राप्त होता है और धन से धर्म और सुख की प्राप्ति होती है। दूसरे प्रकार से अगर हम कहें तो धन कभी भी अपात्र के हाथों में एकाएक नहीं जाता और अगर भी जाए तो नहीं रुक सकता क्योंकि धन की प्राप्ति के लिए पात्र(विनयशील) होना एक आवश्यक शर्त है। विनय शील होना ही धन प्राप्ति की पात्रता है और विनय शील होने के लिए मनुष्य को विद्यावान होना भी आवश्यक है।

sanskrit shlokas

परोपि हितवान् बन्धुर्बन्धु अपि अहितः पर:
अहितो देहजो व्याधि हितमारण्यमौषधम 

अर्थात् :-अगर कोई अपिरिचित व्यक्ति भी हमारी मदद करें, हमारा हित करें तो हमें उसे अपने परिवार के सदस्य की तरह सम्मान करना चाहिए मान देना चाहिए। तथा यदि अपने परिवार का सदस्य भी हमारा अहित करें तो उसे अपरिचित व्यक्ति की तरह देखना चाहिए उसे महत्व नहीं देना ही उचित है। ठीक उसी प्रकार जैसे कि जब हमारे शरीर में कोई व्याधि लग जाती है कोई रोग हो जाता है तो वैन की औषधि ही हमारे लिए हितकर होतीं हैं
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हितोपदेश

विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः 
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतम्
विद्या राजसु पूज्यते हि धनं विद्याविहीनः पशुः

अर्थात् :विद्या मनुष्य का सबसे गुप्त एवं विशिष्ट धन है। वह भोग देनेवाली, यश प्रदान करने वाली और सुखकारक है। विद्या गुरुओं की भी गुरु है। विदेश में विद्या अपने बंधुजनों के समान ही है। विद्या ही परम देवता है, राजा भी विद्या की ही पूजा करता है। अतः जिसके पास यह विद्याधन नहीं है वह मनुष्य पशु के ही समान है।

sanskrit shlokas

द्वौ अम्भसि निवेष्टव्यौ गले बद्ध्वा दॄढां शिलाम्
धनवन्तम् अदातारम् दरिद्रं अतपस्विनम् 

अर्थात् :-दो प्रकार के लोगों की गर्दन में एक बड़ी शिला(पत्थर) बांधकर उनको गहरे जल में प्रवाहित कर देना चाहिए। पहला जो धनवान होकर भी दान नहीं करता तथा दूसरा जो निर्धन होकर भी कठिन परिश्रम करने से भागता हो।

यहां चीजों को नकारात्मक ढंग से लेने की आवश्यकता नहीं है। इस सुभाषित का मतलब इतना सा है कि एक निर्धन व्यक्ति को, धन हीन व्यक्ति को कठोर श्रम करना चाहिए ताकि उसे धन की प्राप्ति हो, जो कि जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक तत्व है, तथा धनवान व्यक्ति जब दानशील होगा तो उससे समाज में जो कमजोर लोग हैं उनकी सहायता भी होगी और धनवान व्यक्ति की ख्याति भी बढ़ेगी।

सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात ब्रूयात सत्यं अप्रियम।
प्रियं नानृतं ब्रूयात एष धर्म: सनातन:

अर्थात् :हमें सत्य बोलना चाहिए, प्रिय बोलना चाहिए परन्तु अप्रिय लगने वाला सत्य नहीं बोलना चाहिये। प्रिय लगने वाला असत्य भी नहीं बोलना चाहिए, यही धर्म है। इस श्लोक(सुभाषित) का अर्थ यही है कि हमारा व्यवहार ही हमारे सामाजिक जीवन में, हमारे पारस्परिक संबंधों में काफी अहम भूमिका निभाता है। यदि हमारा स्वयं का रवैया किसी के प्रति अथवा किसी और का रवैया हमारे प्रति घृणायुक्त और दोषपरक होगा, तो इससे हमारे बीच शत्रु भाव जायेगा। यदि दृष्टि एवं व्यवहार प्रेम मय होगा तो संबंध सुंदर सजीव और मित्रवत हो जाएगा.अर्थात व्यवहार ही हमारे सामाजिक संबंधों का मूल है।

sanskrit shlokas for education

माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो पाठितः
शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा

अर्थात् :-जो माता-पिता अपने संतान की शिक्षा का प्रबंध नहीं करते उन्हें नहीं पढ़ाते हैं। वह अपने संतानों के लिए शत्रु के समान हैं, क्योंकि उनकी विद्याहीन संतान को समाज में यथोचित आदर नहीं मिलेगा जिस प्रकार हंसों के बीच में बगुले का सत्कार नहीं होता

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