यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 14 जनवरी 2023

पूरे देश की रजिस्ट्री अपने नाम। शर्म भी नहीं आई?

पूरे देश की रजिस्ट्री अपने नाम। शर्म भी नहीं आई?

स्टेडियम :

 1. इंदिरा गांधी खेल परिसर, दिल्ली
 2. इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम, नई दिल्ली
 3. जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, नई दिल्ली
 4. राजीव गांधी स्पोर्ट्स स्टेडियम, बवाना
 5. राजीव गांधी राष्ट्रीय फुटबॉल अकादमी, हरियाणा
 6. राजीव गांधी एसी स्टेडियम, विशाखापत्तनम
 7. राजीव गांधी इंडोर स्टेडियम, पांडिचेरी
 8. राजीव गांधी स्टेडियम, नाहरगुन, ईटानगर
 9. राजीव गांधी बैडमिंटन इंडोर स्टेडियम, कोचीन
 10. राजीव गांधी इंडोर स्टेडियम, कदवंतरा, एर्नाकुलम
 11. राजीव गांधी खेल परिसर, सिंघू
 12. राजीव गांधी मेमोरियल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, गुवाहाटी
 13. राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम, हैदराबाद
 14. राजीव गांधी इंडोर स्टेडियम, कोचीन
 15. इंदिरा गांधी स्टेडियम, विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश
 16. इंदिरा गांधी स्टेडियम, ऊना, हिमाचल प्रदेश
 17. इंदिरा प्रियदर्शनी स्टेडियम, विशाखापत्तनम
 18. इंदिरा गांधी स्टेडियम, देवगढ़, राजस्थान
 19. गांधी स्टेडियम, बोलंगीर, उड़ीसा
 20. जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, कोयंबटूर
 21. राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, देहरादून
 22. जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, चेन्नई
 23. नेहरू स्टेडियम (क्रिकेट), पुणे
                                                      * हवाई अड्डे / बंदरगाह *:
 1. राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, शमशाबाद, हैदराबाद, तेलंगाना
 2. राजीव गांधी कंटेनर टर्मिनल, कोचीन
 3. इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली
 4. इंदिरा गांधी डॉक, मुंबई
 5. जवाहरलाल नेहरू नवीन शेवा पोर्ट ट्रस्ट, मुंबई
 विश्वविद्यालय / शिक्षा संस्थान:
 1. राजीव गांधी भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिलांग
 2. राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एरोनॉटिक्स, रांची, झारखंड
 3. राजीव गांधी तकनीकी विश्वविद्यालय, गांधी नगर, भोपाल, म.प्र।
 4. राजीव गांधी स्कूल ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ, खड़गपुर, कोलकाता
 5. राजीव गांधी विमानन अकादमी, सिकंदराबाद
 6. राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ लॉ, पटियाला, पंजाब
 7. राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान, तमिलनाडु युवा मामले और खेल मंत्रालय
 बजटीय आवंटन 2008-09 - 1.50 करोड़
 बजटीय आवंटन 2009-10 - 3.00 करोड़
 8. राजीव गांधी विमानन अकादमी, बेगमपेट, हैदराबाद, ए.पी.
 9. राजीव गांधी प्रौद्योगिकी संस्थान, कोट्टायम, केरल
 10. राजीव गांधी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी, चंद्रपुर, महाराष्ट्र
 11. राजीव गांधी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, ऐरोली, नवी मुंबई, महाराष्ट्र
 12. राजीव गांधी विश्वविद्यालय, ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश
 13. राजीव गांधी प्रौद्योगिकी संस्थान, चोल नगर, बैंगलोर, कर्नाटक
 14. राजीव गांधी प्राउडियोगी विश्व विद्यालय, गांधी नगर, भोपाल, म.प्र।
 15. राजीव गांधी d.e.d.  कॉलेज, लातूर, महाराष्ट्र
 16. राजीव गांधी कॉलेज, शाहपुरा, भोपाल
 17. राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी समकालीन अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली
 18. राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, रायबरेली, यू.पी.
 19. राजीव गांधी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, भोपाल, म.प्र।
 20. राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज, पूर्वी गोदावरी जिला, ए.पी.
 21. राजीव गांधी कॉलेज ऑफ एजुकेशन, ठाकुर, कर्नाटक
 22. राजीव गांधी कॉलेज ऑफ वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेस, पांडिचेरी, तमिलनाडु
 23. राजीव गांधी आईटी और जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय विद्यापीठ
 24. राजीव गांधी हाई स्कूल, मुंबई, महाराष्ट्र
 25. राजीव गांधी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, सतना, म.प्र।
 26. राजीव गांधी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, श्रीपेरंबुदूर, तमिलनाडु
 27. राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केंद्र, नागपुर विश्वविद्यालय के आर.टी.एम.
 28. राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम, केरल
 29. राजीव गांधी महाविद्यालय, मध्य प्रदेश
 30. राजीव गांधी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, इलाहाबाद, यू.पी.
 31. राजीव गांधी प्रौद्योगिकी संस्थान, बैंगलोर, कर्नाटक
 32. राजीव गांधी सरकार।  पीजी आयुर्वेदिक कॉलेज, पपरोला, हिमाचल प्रदेश
 33. राजीव गांधी कॉलेज, सतना, म.प्र।
 34. राजीव गांधी अकादमी फॉर एविएशन टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम, hb gb hdd gv gv c dc fc केरल
 35. राजीव गांधी मध्य विद्यालय, महाराष्ट्र
 36. राजीव गांधी समकालीन अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली
 37. राजीव गांधी सेंटर फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप
 38. राजीव गांधी औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र, गांधीनगर
 39. राजीव गांधी ज्ञान प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, आंध्र प्रदेश
 40. राजीव गांधी दूरस्थ शिक्षा संस्थान, कोयम्बटूर, तमिलनाडु
 41. राजीव गांधी सेंटर फॉर एक्वाकल्चर, तमिलनाडु
 42. राजीव गांधी विश्वविद्यालय (अरुणाचल विश्वविद्यालय), ए.पी.
 43. राजीव गांधी स्पोर्ट्स मेडिसिन सेंटर (rgsmc), केरल
 44. राजीव गांधी विज्ञान केंद्र, मॉरिटस
 45. राजीव गांधी कला मंदिर, पोंडा, गोवा
 46. राजीव गांधी विद्यालय, मुलुंड, मुंबई
 47. राजीव गांधी मेमोरियल पॉलिटेक्निक, बैंगलोर, कर्नाटक
 48. राजीव गांधी मेमोरियल सर्कल दूरसंचार प्रशिक्षण केंद्र (भारत), चेन्नई
 49. राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, कासगोड, केरल
 50. राजीव गांधी मेमोरियल कॉलेज ऑफ एरोनॉटिक्स, जयपुर
 51. राजीव गांधी मेमोरियल फर्स्ट ग्रेड कॉलेज, शिमोगा
 52. राजीव गांधी मेमोरियल कॉलेज ऑफ एजुकेशन, जम्मू और कश्मीर
 53. राजीव गांधी साउथ कैंपस, बरकछा, वाराणसी
 54. राजीव गांधी मेमोरियल टीचर ट्रेनिंग कॉलेज, झारखंड
 55. राजीव गांधी डिग्री कॉलेज, राजमुंदरी, ए.पी.
 56. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (ignou), नई दिल्ली
 57. इंदिरा गांधी विकास और अनुसंधान संस्थान, मुंबई, महाराष्ट्र
 58. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून
 59. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय अकादेमी, फुर्सतगंज एयरफील्ड, रायबरेली, उत्तर प्रदेश
 60. इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान, मुंबई
 61. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, उड़ीसा
 62. इंदिरा गांधी बी.एड.  कॉलेज, मैंगलोर
 63. श्रीमती।  इंदिरा गांधी कॉलेज ऑफ एजुकेशन, नांदेड़, महाराष्ट्र
 64. इंदिरा गांधी बालिका निकेतन बी.एड.  कॉलेज, झुंझुनू, राजस्थान
 65. इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़
 66. श्रीमती।  इंदिरा गांधी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नवी मुंबई, महाराष्ट्र
 67. श्रीमती।  इंदिरा गांधी कोलज, तिरुचिरापल्ली
 68. इंदिरा गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज, सागर, मध्य प्रदेश
 69. इंदिरा गांधी प्रौद्योगिकी संस्थान, कश्मीरी गेट, दिल्ली
 70. इंदिरा गांधी प्रौद्योगिकी संस्थान, सारंग, जिला।  धेनकनाल, उड़ीसा
 71. इंदिरा गांधी एयरोनॉटिक्स संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र
 72. इंदिरा गांधी इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर, नई दिल्ली
 73. इंदिरा गांधी शारीरिक शिक्षा और खेल विज्ञान संस्थान, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
 74. इंदिरा गांधी हाई स्कूल, हिमाचल
 75. इंदिरा कला संघ विश्व विद्यालय, छत्तीसगढ़
 76. इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, शिमला
 77. जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुकटपल्ली, आंध्र प्रदेश
 78. नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी
 79. पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यावसायिक प्रबंधन संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय
 80. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
 81. जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, बैंगलोर
 82. जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुकटपल्ली, एपी
 83. जवाहरलाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज औरंगाबाद, महाराष्ट्र में
 84. जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च, एक डीम्ड यूनिवर्सिटी, जक्कुर, पी.ओ.  बैंगलोर
 85. जवाहरलाल नेहरू सामाजिक अध्ययन संस्थान, तिलक महाराष्ट्र विद्यापीठ (पुणे, महाराष्ट्र) से संबद्ध
 86. जवाहरलाल नेहरू कॉलेज ऑफ एरोनॉटिक्स एंड एप्लाइड साइंसेज, कोयंबटूर, (ईएसडी 1968)
 87. जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान, कतरास, धनकवड़ी, पुणे, महाराष्ट्र
 88. कमल किशोर कदम, जवाहरलाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज औरंगाबाद, महाराष्ट्र
 89. जवाहरलाल नेहरू शिक्षा और तकनीकी अनुसंधान संस्थान, नांदेड़, महाराष्ट्र
 90. जवाहरलाल नेहरू कॉलेज, अलीगढ़
 91. जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हैदराबाद
 92. जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय, जबलपुर
 93. जवाहरलाल नेहरू बी.एड.  कॉलेज, कोटा, राजस्थान
 94. जवाहरलाल नेहरू पी.जी.  कॉलेज, भोपाल
 95. जवाहरलाल नेहरू सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज, सुंदरनगर, जिला मंडी, एच.पी.
 96. जवाहरलाल नेहरू पब्लिक स्कूल, कोलार रोड, भोपाल
 97. जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, काकीनाडा, ए.पी.
 98. जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान, इब्राहिमपट्टी, आंध्र प्रदेश
 99. जवाहर नवोदय विद्यालय

 2015-16 तक पूरे भारत में 598 जेएनवी

 696. जवाहर नवोदय विद्यालय
 697. इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च, कल्पक्कम
 698. इंदिरा गाँधी विश्वविद्यालय हरियाणा 

पुरस्कार: 

 1. राजीव गांधी अवार्ड फॉर आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट
 2. राजीव गांधी शिरोमणि पुरस्कार
 3. राजीव गांधी श्रमिक पुरस्कार, दिल्ली श्रम कल्याण बोर्ड
 4. राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार
 5. राजीव गांधी मानव सेवा पुरस्कार
 6. राजीव गांधी वन्यजीव संरक्षण पुरस्कार
 7. ज्ञान विज्ञान पर मूल पुस्तक लेखन के लिए राजीव गांधी राष्ट्रीय पुरस्कार योजना
 8. राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार
 9. राजीव गांधी राष्ट्रीय गुणवत्ता पुरस्कार, 1991 में भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा स्थापित
 10. स्वच्छ गांधी, पर्यावरण और वन मंत्रालय, सरकार के लिए राजीव गांधी पर्यावरण पुरस्कार।  भारत की
 11. राजीव गांधी ट्रैवलिंग स्कॉलरशिप
 12. राजीव गांधी (यूके) फाउंडेशन छात्रवृत्ति
 13. राजीव गांधी फिल्म अवार्ड्स (मुंबई)
 14. राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार
 15. राजीव गांधी पेरिस प्रशस्ति, कर्नाटक
 16. राजीवगांधी व्यावसायिक उत्कृष्टता पुरस्कार
 17. राजीव गांधी उत्कृष्टता पुरस्कार
 18. इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार
 19. राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार
 20. इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी पुरस्कार
 21. इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार, पर्यावरण और वन मंत्रालय
 22. इंदिरा गांधी मेमोरियल नेशनल अवार्ड फॉरबीस्ट एनवायर्नमेंटल एंड इकोलॉजिकल
 23. इंदिरा गांधी पीरवरन पुरशकर
 24. इंदिरा गांधी एनएसएस अवार्ड
 25. राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार
 26. इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार योजना
 27. सर्वश्रेष्ठ पहली फिल्म के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार
 28. इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार द टाउन राजभाषा के लिए
 29. इंदिरा गांधी पुरस्कार ”शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए
 30. विज्ञान कार्यान्वयन को लोकप्रिय बनाने के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार
 31. इंदिरा गांधी शिरोमणि पुरस्कार
 32. इंदिरा गांधी एनएसएस पुरस्कार / राष्ट्रीय युवा
 33. इंदिरा गांधी पीरवरन पुशर पुरस्कार - खोज n सही
 34. इंदिरा गांधी n.s.s पुरस्कार
 35. सामाजिक सेवा के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार, एमपी सरकार।
 36. पोस्ट ग्रेजुएट इंदिरा गांधी छात्रवृत्ति योजना
 37. इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार योजना
 38. इंदिरा गांधी राजभाषा शील्ड योजना
 39. इंदिरा गांधी वन्यजीव संरक्षण चिड़ियाघर के विजन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी।
 40. जवाहरलाल नेहरू को हर साल कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों को दी जाने वाली 15 लाख रुपये की अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए पुरस्कार दिया जाता है, जिसमें 1988 में फिलिस्तीन लिबरेशन फ्रंट के यासर अराफात और 1965 में यू थान्ट शामिल हैं।
 41. सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, रु। का नकद पुरस्कार।  उपरोक्त फिल्म की मान्यता में, श्याम बेनेगल को दिसम्बर 89 में दिया गया 20,000।
 42. जवाहरलाल नेहरू बालकल्याण सरकार द्वारा प्रत्येक 10 जोड़े को 10,000 रुपये का पुरस्कार।  महाराष्ट्र का (toi-28-4-89)।
 43. शैक्षणिक उपलब्धि के लिए जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड, नई दिल्ली
 44. ऊर्जा के लिए जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी अनुसंधान पुरस्कार
 45. इंटरनेशनल अंडरस्टैंडिंग के लिए जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार
 46. नेहरू बाल समिति बहादुरी पुरस्कार
 47. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडल
 48. जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार “1998-99 से, विज्ञान के लोकप्रियकरण के लिए संगठनों (अधिमानतः गैर सरकारी संगठनों) को दिया जाना।
 49. जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान प्रतियोगिता
 50. डीएनए के विकास की अनुसंधान परियोजना के लिए जवाहरलाल नेहरू छात्र पुरस्कार
 
 छात्रवृत्ति / फैलोशिप: 

 1. विकलांग छात्रों के लिए राजीव गांधी छात्रवृत्ति योजना
 2. एससी / एसटी उम्मीदवारों के लिए राजीव गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप योजना, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय
 3. एसटी उम्मीदवारों के लिए राजीव गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप योजना
 4. राजीव गांधी फैलोशिप, इग्नू
 5. राजीव गांधी विज्ञान प्रतिभा अनुसंधान अध्येता
 6. राजीव गांधी फैलोशिप, जनजातीय मामलों का मंत्रालय
 7. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा दी गई राजीव गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप योजना
 8. राजीव गांधी फेलोशिप को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के साथ मिलकर राष्ट्रमंडल शिक्षण द्वारा प्रायोजित किया गया
 9. राजीव गांधी विज्ञान प्रतिभा अनुसंधान फैलोशिप जवाहरलाल नेहरू सेंटर द्वारा उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान (नवोदित वैज्ञानिकों को बढ़ावा देने के लिए) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ मिलकर किया गया।
 10. हैबिटेट सेक्टर में राजीव गांधी हुडको फैलोशिप
 11. इंदिरा गांधी मेमोरियल फैलोशिप की जाँच
 12. फुलब्राइट स्कॉलरशिप का नाम अब फुलब्राइट- जवाहरलाल नेहरू स्कॉलरशिप रखा गया है
 13. कैम्ब्रिज नेहरू छात्रवृत्ति, संख्या में 10, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, लंदन में अनुसंधान के लिए, 3 वर्षों के लिए पीएचडी के लिए अग्रणी, जिसमें शुल्क, रखरखाव भत्ता, ब्रिटेन की यात्रा और वापस शामिल हैं।
 14. स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए जवाहरलाल नेहरू फैलोशिप की योजना, सरकार।  भारत की।
 15. नेहरू शताब्दी (ब्रिटिश) फैलोशिप / पुरस्कार
 
 राष्ट्रीय उद्यान / अभयारण्य / संग्रहालय :

 1. राजीव गांधी (नागरहोल) वन्यजीव अभयारण्य, कर्नाटक
 2. राजीव गांधी वन्यजीव अभयारण्य, आंध्र प्रदेश
 3. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उद्यान, तमिलनाडु
 4. इंदिरा गांधी प्राणि उद्यान, नई दिल्ली
 5. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिमी घाट पर अनामलाई हिल्स
 6. इंदिरा गांधी प्राणी उद्यान, विशाखापत्तनम
 7. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संघालय (igrms)
 8. इंदिरा गांधी वन्यजीव अभयारण्य, पोलाची
 9. राजीव गांधी स्वास्थ्य संग्रहालय
 10. राजीव गांधी प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय
 11. इंदिरा गांधी मेमोरियल संग्रहालय, नई दिल्ली
 12. राज्य सरकार द्वारा औरंगाबाद, महाराष्ट्र में जवाहरलाल नेहरू संग्रहालय खोला गया।
 13. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल गैलरी, लंदन
 14. जवाहरलाल नेहरू तारामंडल, वर्ली, मुंबई।
 15. जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी बच्चों के लिए
                                             
अस्पताल / चिकित्सा संस्थान :

 1. राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, बैंगलोर, कर्नाटक
 2. राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र, दिल्ली
 3. राजीव गांधी होम फॉर हैंडीकैप्ड, पांडिचेरी
 4. श्री राजीव गांधी कॉलेज ऑफ डेंटल ... साइंस एंड हॉस्पिटल, बैंगलोर, कर्नाटक
 5. राजीव गांधी सेंटर फॉर बायो टेक्नोलॉजी, तिरुवंतपुरम, केरल
 6. राजीव गांधी कॉलेज ऑफ नर्सिंग, बैंगलोर, कर्नाटक
 7. राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, रायचूर
 8. राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट डिजीज, बैंगलोर, कर्नाटक
 9. राजीव गांधी पैरामेडिकल कॉलेज, जोधपुर
 10. राजीव गांधी मेडिकल कॉलेज, ठाणे, मुंबई
 11. राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, कर्नाटक
 12. राजीव गांधी अस्पताल, गोवा
 13. राजीव गांधी मिशन ऑन कम्युनिटी हेल्थ, मध्य प्रदेश
 14. राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, दिल्ली
 15. राजीव गांधी होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज, चिनार पार्क, भोपाल, म.प्र
 16. उत्तर पूर्वी इंदिरा गांधी क्षेत्रीय स्वास्थ्य और चिकित्सा विज्ञान संस्थान, शिलांग, मेघालय
 17. इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, शिमला
 18. इंदिरा गांधी बाल स्वास्थ्य संस्थान, बैंगलोर
 19. इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, शेखपुरा, पटना
 20. इंदिरा गांधी बाल चिकित्सालय, अफगानिस्तान
 21. इंदिरा गांधी बाल स्वास्थ्य अस्पताल, धर्माराम कॉलेज, बैंगलोर
 22. इंदिरा गांधी बाल संस्थान, बैंगलोर
 23. इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, शिमला
 24. इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंस, केरल
 25. इंदिरा गांधी मेमोरियल आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, भुवनेश्वर
 26. इंदिरा गांधी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, नागपुर
 27. इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, कोलकाता
 28. इंदिरा गांधी अस्पताल, शिमला
 29. इंदिरा गांधी महिला एवं बाल अस्पताल, भोपला
 30. इंदिरा गांधी गैस राहत अस्पताल, भोपाल
 31. कमला नेहरू अस्पताल, शिमला
 32. चाचा नेहरू बाल चिकत्सालय
 33. जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (jipmer), पुदुचेरी
 34. जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, भोपाल
 35. रायपुर में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज।
 36. नेहरू होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, नई दिल्ली
 37. नेहरू विज्ञान केंद्र, मुंबई
 38. जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, भोपाल
 39. पंडित जवाहरलाल नेहरू होम्योपैथिक चिकित्सा विज्ञान संस्थान, महाराष्ट्र
 40. इंदिरा गांधी अस्पताल द्वारका, दिल्ली
 
 संस्थान / अध्यक्ष / त्यौहार :

 1. राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान।  (rgniyd), युवा और खेल मंत्रालय
 2. राजीव गांधी नेशनल ग्राउंड वाटर ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, फरीदाबाद, हरियाणा
 3. आदिवासी क्षेत्रों में राजीव गांधी खाद्य सुरक्षा मिशन
 4. राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान
 5. राजीव गांधी शिक्षा मिशन, छत्तीसगढ़
 6. राजीव चेयर एंडोमेंट की स्थापना 1998 में साउथ एशियन इकोनॉमिक्स का चेयर बनाने के लिए की गई
 7. राजीव गांधी परियोजना - जमीनी स्तर तक शिक्षा को व्यापक उपग्रह संपर्क प्रदान करने के लिए एक पायलट
 8. राजीव गांधी ग्रामीण आवास निगम लिमिटेड (कर्नाटक उद्यम सरकार)
 9. राजीव गांधी सूचना और प्रौद्योगिकी आयोग
 10. राजीव गांधी शांति और निरस्त्रीकरण के लिए अध्यक्ष
 11. राजीव गांधी संगीत समारोह
 12. राजीव गांधी मेमोरियल लेक्चर
 13. राजीव गांधी अक्षय उर्जा दिवस
 14. राजीव गांधी एजुकेशन फाउंडेशन, केरल
 15. राजीव गांधी पंचायती राज सम्मेलन
 16. राजीव गांधी मेमोरियल एजुकेशनल एंड चैरिटेबल सोसाइटी, कासगोड, केरल
 17. राजीव गांधी मेमोरियल ट्रॉफी इकनिका स्पर्धा, प्रेरणा फाउंडेशन, कारी रोड
 18. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, जनपथ, नई दिल्ली
 19. इंदिरा गांधी पंचायती राज और ग्रामीण विकास संस्थान, जयपुर, राजस्थान
 20. इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च (igcar), कल्पक्कम
 21. इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च, मुंबई
 22. इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी (igic), पटना
 23. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली
 24. इंदिरा गांधी नेशनल फाउंडेशन, तिरुवनंतपुरम, केरल
 25. इंदिरा गांधी महिला सहकारी सौत गिरानी लिमिटेड, महाराष्ट्र
 26. इंदिरा गांधी संरक्षण निगरानी केंद्र, पर्यावरण और वन मंत्रालय
 27. सिंगल गर्ल चाइल्ड के लिए पोस्ट-ग्रेजुएट इंदिरा गांधी छात्रवृत्ति
 28. जवाहर शतकरी सहकारी सखार लिमिटेड
 29. नेहरू युवा केंद्र संगठन
 30. जवाहरलाल नेहरू शताब्दी समारोह
 31. जवाहरलाल नेहरू की स्मृति में विभिन्न संप्रदायों के डाक टिकट और एक रुपये के सिक्के।
 32. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट (u.k.) छात्रवृत्ति
 33. जवाहरलाल नेहरू कस्टम हाउस न्हावा शेवा, महाराष्ट्र
 34. जवाहरलाल नेहरू केंद्र के लिए।  उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान, बैंगलोर
 35. जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र, भारत का दूतावास, मास्को
 36. किशोरियों के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू उद्योग केंद्र, पुणे, महाराष्ट्र
 37. पंडित जवाहरलाल नेहरू कृषि और अनुसंधान संस्थान, पांडिचेरी
 

 सड़कों / भवन / स्थानों: 

 1. राजीव चौक, दिल्ली
 2. राजीव गांधी भवन, सफदरजंग, नई दिल्ली
 3. राजीव गांधी हस्तशिल्प भवन, नई दिल्ली
 4. राजीव गांधी पार्क, कालकाजी, दिल्ली
 5. इंदिरा चौक, नई दिल्ली
 6. नेहरू तारामंडल, नई दिल्ली
 7. नेहरू युवा केंद्र, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली
 8. नेहरू नगर, नई दिल्ली
 9. नेहरू प्लेस, नई दिल्ली
 10. नेहरू पार्क, नई दिल्ली नेहरू हाउस, बीएसजेड मार्ग, नई दिल्ली
 11. जवाहरलाल नेहरू सरकार हाउस नई दिल्ली
 12. राजीव गांधी अक्षय ऊर्जा पार्क, गुड़गांव, हरियाणा
 13. राजीव गांधी चौक, अंधेरी, मुंबई
 14. इंदिरा गांधी रोड, मुंबई
 15. इंदिरा गांधी नगर, वडाला, मुंबई
 16. इंदिरा गांधी खेल परिसर, मुलुंड, मुंबई
 17. नेहरू नगर, कुर्ला, मुंबई
 18. मुंबई के ठाणे में जवाहरलाल नेहरू उद्यान
 19. राजीव गांधी मेमोरियल हॉल, चेन्नई
 20. जवाहरलाल नेहरू रोड, वाडापलानी, चेन्नई, तमिलनाडु
 21. राजीव गांधी सलाई (राजीव गांधी के नाम पर पुरानी महाबलीपुरम सड़क)
 22. राजीव गांधी शिक्षा शहर, हरियाणा
 23. पर्वत राजीव, हिमालय की एक चोटी
 24. राजीव गांधी आईटी हैबिटेट, गोवा
 25. राजीव गांधी नगर, चेन्नई
 26. राजीव गांधी पार्क, विजयवाड़ा
 27. तमिलनाडु के कोयम्बटूर में राजीव गांधी नगर
 28. राजीव गांधी नगर, त्रिची, तमिलनाडु
 29. राजीव गांधी आईटी पार्क, हिंजेवाड़ी, पुणे
 30. राजीव गांधी पंचायत भव, पालनपुर बनासकांठा
 31. राजीव गांधी चंडीगढ़ प्रौद्योगिकी पार्क, चंडीगढ़
 32. राजीव गांधी स्मृति वन, झारखंड
 33. राजीव गांधी की प्रतिमा, पणजी, गोवा
 34. राजीव गांधी रोड, चित्तूर
 35. श्रीपेरंबुदूर में राजीव गांधी स्मारक
 36. इंदिरा गांधी मेमोरियल लाइब्रेरी, हैदराबाद विश्वविद्यालय
 37. इंदिरा गांधी म्यूजिकल फाउंटेन, बैंगलोर
 38. इंदिरा गांधी तारामंडल, लखनऊ
 39. इंदिरा गांधी भारतीय संस्कृति केंद्र (igcic), भारतीय उच्चायोग, मौरिटस
 40. इंदिरा गांधी प्राणि उद्यान, भारत के पूर्वी घाट
 41. इंदिरा गांधी नहर, रामनगर, जैसलमेर
 42. इंदिरा गांधी औद्योगिक परिसर, रानीपेट, वेल्लोर जिला
 43. इंदिरा गांधी पार्क, ईटानगर
 44. इंदिरा गांधी स्क्वीयर, पांडिचेरी
 45. इंदिरा गांधी रोड, विलिंगडन द्वीप, कोचीन
 46. इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन, कश्मीर
 47. इंदिरा गांधी सागर बांध, नागपुर
 48. इंदिरा गांधी पुल, रामेश्वर, तमिलनाडु
 49. इंदिरा गांधी अस्पताल, भिवंडी निजामपुर नगर निगम
 50. इंदिरा गांधी स्मारक सांस्कृतिक परिसर, यूपी सरकार।
 51. इंदिरा गांधी खेल स्टेडियम, रोहड़ू जिला, शिमला
 52. इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान, भोपाल
 53. इंदिरा गांधी नगर, राजस्थान
 54. इंदिरा नगर, लखनऊ
 55. सड़कें कई शहरों में जवाहरलाल नेहरू के नाम पर हैं उदा।  जयपुर, नागपुर, विले पार्ले, घाटकोपर, मुलुंड आदि में।
 56. नेहरू नगर, गाजियाबाद
 57. जवाहरलाल नेहरू गार्डन, अमरनाथ
 58. जवाहरलाल नेहरू गार्डन, पन्हाला
 59. जवाहरलाल नेहरू बाजार, जम्मू।
 60. जम्मू श्रीनगर राजमार्ग पर जवाहरलाल नेहरू सुरंग
 61. नेहरू चौक, उल्हास नगर, महाराष्ट्र।
 62. मांडवी, पणजी, गोवा में नेहरू पुल
 63. नेहरू नगर गाजियाबाद
 64. जवाहरलाल नेहरू रोड, धर्मताल, कोलकाता
 65. नेहरू रोड, गुवाहाटी
 66. जवाहर नगर, जयपुर
 67. नेहरू विहार कॉलोनी, कल्याणपुर, लखनऊ
 68. नेहरू नगर, पटना
 69. जवाहरलाल नेहरू स्ट्रीट, पांडिचेरी
 70. नेहरू बाज़ार, मदनपल्ली, तिरुपति
 71. नेहरू चौक, बिलासपुर।  एमपी
 72. नेहरू स्ट्रीट, पोनमालिपट्टी, तिरुचिरापल्ली
 73. नेहरू नगर, एस.एम.  रोड, अहमदाबाद
 74. नेहरू प्राणि उद्यान, हैदराबाद
 75. राजीव गांधी प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर), पुणे
 76. राजीव गांधी इन्फोटेक पार्क, हिंजेवाड़ी, पुणे।
 77. नेहरू नगर, नासिक पुणे।  सड़क।  
78. राजीव गांधी, सी. लिंक बांद्रा वर्ली
 इसके अतिरिक्त, नेहरू-इंदिरा-राजीव के नाम पर 100+ राज्य और केंद्र सरकार की योजनाएं हैं।
 इसलिए, यदि आप कांग्रेस को वोट नहीं देते हैं तो आप भारत को राहुल गांधी के नाम से नहीं देख पाएंगे।  यह आपकी वजह से होगा कि गांधी का नाम लेने की पुरानी भारतीय परंपरा खत्म हो जाएगी।  यह एक पाप होगा!  इसलिए कांग्रेस को वोट देना आपका राष्ट्रीय कर्तव्य है।
  संपादित करें:
 
टिप्पणियों में अनुरोधों के आधार पर, हमारे पास संजय गांधी के नाम की चीजों की सूची है।
 संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान, मुंबई।
 संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, नई दिल्ली।
 संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ।
 संजय गांधी पशु देखभाल केंद्र, नई दिल्ली।
 संजय गांधी संस्थान यदि ट्रामा और आर्थोपेडिक्स (sgito), बैंगलोर।
 संजय गांधी अस्पताल, जयनगर, बैंगलोर।
 संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, रीवा, मप्र।
 पर्यावरण और पारिस्थितिकी में संजय गांधी पुरस्कार
 संजय गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेयरी टेक्नोलॉजी, पटना।
 संजय गांधी जैविक उद्यान, पटना।
 संजय गांधी पॉलिटेक्निक कॉलेज, बेल्लारी
 संजय गांधी पॉलिटेक्निक कॉलेज, जगदीश पुर, अमेठी
 संजय गांधी कॉलेज ऑफ एजुकेशन, बैंगलोर।
 संजय गांधी कॉलेज ऑफ नर्सिंग, बैंगलोर।
 संजय गांधी मेमोरियल कॉलेज, रांची।
 संजय गांधी महिला कॉलेज, गया
 संजय गांधी सरकार।  स्वायत्त पीजी कॉलेज, सीधी, मप्र।
 संजय गांधी कॉलेज, शिमला।
 संजय गांधी कॉलेज ऑफ नर्सिंग, सुल्तानपुर, दिल्ली।
 संजय गांधी कॉलेज और अनुसंधान केंद्र, विदिशा, मप्र।
 संजय गांधी बीएड कॉलेज, विदिशा, मप्र।
 संजय गांधी सर्वोदय साइंस कॉलेज, जबलपुर।
 संजय गांधी इंटर कॉलेज, सारण, बिहार।
 संजय गांधी कॉलेज ऑफ लॉ, जयपुर।
 संजय गांधी मेमोरियल गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज, हैदराबाद।
 संजय गांधी पीजी कॉलेज, सुरपुर, मेरठ, यूपी।
 संजय गांधी स्टेडियम, पटना।
 संजय गांधी स्टेडियम, नरसिंहगढ़, म.प्र।
 संजय गांधी मार्केट, जालंधर।
 संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर, दिल्ली 

 कृपया इसे साझा करें और देश को बड़े पैमाने पर बताएं
 गांधी-नेहरू परिवार के पक्ष में कांग्रेस द्वारा सत्ता का दुरुपयोग।

पूरे देश की रजिस्ट्री गांधी नेहरू परिवार के नाम ☝️☝️☝️☝️☝️

साल में बारह संक्रातियाँ पड़ती हैं किन्तु मकर संक्रांति का इतना महत्व क्यों है !

 मकर ♑
⭕⭕⭕
अन्तरिक्ष को भी समुद्र कहा गया है। समुद्र में जलजीवों का वास होता है, जलजीव , पोत, नाव आदि की कल्पना आकाश के तारों में भी की गई।
मकर राशि का उल्लेख महाभारत में स्पष्टतया किया गया है। (कुछ लोग यह अवश्य कहेंगे कि अमुक अमुक छापाखाना में छपी, अमुक की टीका में यह उल्लेख नहीं प्राप्त होता।
ऐसे व्यक्तियों से प्रश्न है कि क्या उनमें 'शतसाहस्री संहिता' सञ्ज्ञा को सार्थक करने हेतु एक लाख श्लोक हैं? क्या किसी टीकाकार को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ कि वह पूरे एक लाख श्लोकों की टीका पूर्ण कर पाता? किसी प्रेस को प्राप्त सामग्री ही अन्तिम नहीं होती)
अनेक पाण्डुलिपियों में ये श्लोक हैं और ये महाभारतकार ने नहीं लिखे ऐसा अकाट्य साक्ष्य किसी के पास नहीं है।

झषानां मकरश्चास्मि ।  श्रीमद्भगवद्गीता
_________
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
अयनं चैव मासश्च ऋतुः पक्षस्तथा तिथिः ।
करणं च मुहूर्तं च लग्नसंपत्तथैव च ॥
विवाहस्य विशालाक्षि प्रशस्तं चोत्तरायणम् ।
वैशाखश्चैव मासानां पक्षाणां शुक्ल एव च ॥
नक्षत्राणां तथा हस्तस्तृतीया च तिथिष्वपि ।
लग्नो हि मकरः श्रेष्ठः करणानां बवस्तथा ॥
मैत्रो मुहूर्तो वैवाह्य आवयोः शुभकर्मणि ।
सर्वसंपदियं भद्रे अद्य रात्रौ भविष्यति ॥
{ महाभारत आदिपर्व }
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
'झष' शब्द शतपथब्राह्मण में भी है।
अन्य समुद्री जीवों के नाम एकत्र ही प्राप्त होते हैं देखें ब्राह्मण ग्रन्थ और अथर्ववेद।


मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति का भारतीय जन जीवन में जितना महत्‍वपूर्ण स्‍थान है, वह बनते-बनते हजारों सालों का वक्‍त लगा है। एक मिथक है कि आदमी की आंखों को आसमान पर लगे-लगे कई दिन हो गए। आंखें देखती रही कि सूरज बर्फ को पिघलाकर बहते जल को देखते देखते समंदर तक जाता है... जब भाप बनती है तो बादलों का खोल ओढे फिर अपनी जगह लौटता है मगर पानी उसे फिर समंदर की ओर लेकर जाता है...।

याद कीजिएगा कि इसी से उत्‍तरायण और दक्षिणायन की धारणा बनी। अयन माने रास्‍ता, जैसा कि छांदोग्‍योपनिषद (4, 15, 5) में आया है, यही अर्थ ऋग्‍वेद (3, 33, 7) में मिलता है। संक्रमण से मतलब है रास्‍ते को लांघना। इधर का उधर होना अयन माना गया, यह छह-छह महीने का वक्‍त है। जब आदमी ने बारह महीनों को जान लिया तो इस संक्रमण को भी बारह तरह से जाना गया। इसमें दो अयन की संक्रांतियां मानी गई जिनका नाम राशियों के आधार पर रखा गया, जो कि अनेकों के अनुसार मेसोपोटामियां की उपज बताई गई हैं और भारत में यहां के नामों से ख्‍यात हुईं।

अयन की संक्रांतियां मकर (उत्‍तरायण) और कर्क (दक्षिणायन) के नाम से जानी गई। दो संक्रांतियां जब दिन और रात बराबर होते हैं, विषुव के नाम से जानी गई, मेष् और तुला की। अन्‍य चार के नाम षडशीति हैं जब मिथुन, कन्‍या, धनु और मीन राशियां होती हैं और चार वे जो विष्‍णुपदी हैं, वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि वाली हैं।

छह-छह मासों का विवरण शतपथ ब्राह्मण में संक्षेप में आया है, किंतु तब तक राशियां अनजान ही थीं। सूर्य का धनु से मकर पर आना बहुत पहले से शुभ मान लिया गया था। इस घटना को धरतीवासी पत्‍थर के तीन चक्र एक दूसरे पर जमाकर गेंद से नीचे गिराते हुए देखते दिखाते अपना बल बताते थे।

यही खेल 'सतोलिया' का बना, खासकर पश्चिम भारत में यह खेल शुरु हुआ, यह आज भी है और संयोग से संक्रांति पर खेला भी जाता है। पहाडी प्रदेशों में पेडों की लकडियो से गेंद् को घुडाते हुए पारे या सीमा को लांघने का खेल विकसित हुआ। यह आज भी गीडा डोट के नाम से ख्‍यात है।

सुनाया जाता है कि फाहयान के साथ जो अन्‍य लोग इधर आए, पतंग जैसा खेल लेकर आए। पतंग से आशय सूर्य होता है, जिसके नाम से पश्चिम भारत वाले भली भांति परिचित थे। ये खेल आज भी इधर लोकप्रिय हैं...। रही बात दान-पुण्‍य की वह तो उपज निपज के कारण कृषि प्रधान समाज में था ही, जलीय प्रदेशों में यह स्‍नान के पर्व के रूप में ख्‍यात हुआ और इस तरह एक मिला जुला पर्व बना मकर संक्रांति।

मध्‍यकाल में, खासकर 10वीं सदी के आसपास सक्रांति को देवी का रूप मान लिया गया और उसके बनाव, शृंगार सहित खान-पान, देखने, चलने आदि की क्रियाओं पर विचार करके मौसम और साल भर के लेखा जोखा पर विचार हुआ और फिर संहिता तथा मुहूर्त ग्रंथों में उन सबको लिखा गया और लिखा ही जाता रहा। लगभग तीन सौ सालों तक, भविष्‍यपुराण भी इससे न्‍यारा नहीं है।
*
अभी तो आपके शब्दों में मकर मंगलम...
*
पौषमासे मकरे च यदा सूर्यायनं भवेत् |
चत्वारिंशद्घटिका वै पुण्यकालो विशेषतः||
दानस्नानार्चनाद्यं तु कर्तव्यं तिललड्डुकाः|
मिष्टान्नानि च देयानि ह्यनाथेभ्यो विशेषतः|
गवां ग्रासादि देयं च श्राद्धं पुण्यप्रदं तथा||
जय जय।


साल में बारह संक्रातियाँ पड़ती हैं किन्तु मकर संक्रांति का इतना महत्व क्यों है !

अभी मकर रेखा पर यानी ऑस्ट्रेलिया और आर्जेंटीना आदि में भगवान भास्कर एकदम बीचोबीच आकाश में सिर के ऊपर चमक रहे होंगे । मकर संक्रांति के बाद धीरे धीरे सूर्योदय उत्तर की ओर खिसकेगा और वहाँ आदमी की परछाईं तिरछी होती जायेगी । सूर्य की सीधी खड़ी किरणें अपने साथ गर्मी का मौसम लेकर चलती हैं । अब मकर रेखा से सूर्य की यात्रा उत्तर में अर्थात् भारत में कर्क रेखा की ओर चल पड़ी है ।
भारत के लिये सूर्य का उत्तरायण में आना बहुत ही महत्वपूर्ण घटना होती है । भारतीय प्रायद्वीप की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के कारण सूर्य की यात्रा जब कर्क रेखा के आस पास पहुँच कर अपनी सीधी किरणों से पूरे प्रायद्वीप को तप्त कर देती है तब हिंद महासागर से तेज़ हवायें अपने साथ वर्षाजल से भरे मेघों को लेकर भारतभूमि को तृप्त करने निकल पड़ती हैं । इस दक्षिण पश्चिमी मानसून का एक भाग पश्चिमी घाट के सहारे केरल से गुजरात तक पश्चिम भारत को भिगोता है तो दूसरा भाग बंगाल खाड़ी पार करता हुआ हिमालय के दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग को जीवन प्रदान करता है ।

हिमालय के बर्फ से भरे हुये हिमनद , उत्तर भारत की सदानीरा नदियाँ और प्रायद्वीप का फसल चक्र सब सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा करते हैं और इन्हीं सब पर भारतीय सभ्यता टिकी है । इसीलिये प्राचीन काल से ही मकर संक्राति का भारत में अत्यधिक महत्व रहा है । उत्तराखंड में तो उत्तरायणी एक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है । देश भर में कहीं पोंगल कहीं बिहू कहीं लोहड़ी कहीं खिचड़ी के रूप में इस संक्रांति का जोर शोर से स्वागत होता है । भारत में सूर्य की गति का इतना महत्व होने के कारण ही सौर वर्ष के आधार पर पंचांग और संवत्सर आदि विकसित हुए । यूँ तो मॉनसूनी वर्षा पश्चिम अफ्रीका, मेक्सिको और दक्षिण पूर्व एशिया में भी होती है लेकिन भारत में मॉनसून और हिमालय मिल कर एक विशेष जलवायु को जन्म देते हैं । और यह सब संभव होता है खरमास की शीतलता से निकल कर सूर्य के पुन: देदीप्यमान हो कर कर्क राशि को संचरण के कारण ।

ॐ विश्वानि देव सवितुर्दुरितानि परासुव ।
यद् भद्रं तन्न आ सुव ॥

मकर संक्रांति की आप सभी को ढेरों शुभकामनायें



संस्कृत प्रार्थना के अनुसार "हे सूर्यदेव, आपका दण्डवत प्रणाम, आप ही इस जगत की आँखें हो। आप सारे संसार के आरम्भ का मूल हो, उसके जीवन व नाश का कारण भी आप ही हो।" सूर्य का प्रकाश जीवन का प्रतीक है। चन्द्रमा भी सूर्य के प्रकाश से आलोकित है। वैदिक युग में सूर्योपासना दिन में तीन बार की जाती थी। पितामह भीष्म ने भी सूर्य के उत्तरायण होने पर ही अपना प्राणत्याग किया था। हमारे मनीषी इस समय को बहुत ही श्रेष्ठ मानते हैं। इस अवसर पर लोग पवित्र नदियों एवं तीर्थस्थलों पर स्नान कर आदिदेव भगवान सूर्य से जीवन में सुख व समृद्धि हेतु प्रार्थना व याचना करते हैं।
रंग-बिरंगा त्योहार मकर संक्रान्ति प्रत्येक वर्ष जनवरी महीने में समस्त भारत में मनाया जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है, जब उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। परम्परा से यह विश्वास किया जाता है कि इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। यह वैदिक उत्सव है। इस दिन खिचड़ी खाई जाती है। गुड़–तिल, रेवड़ी, गजक का प्रसाद बांटा जाता है।

माघ मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा को 'मकर संक्रान्ति' पर्व मनाया जाता है। जितने समय में पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाती है, उस अवधि को "सौर वर्ष" कहते हैं। पृथ्वी का गोलाई में सूर्य के चारों ओर घूमना "क्रान्तिचक्र" कहलाता है। इस "परिधि चक्र" को बाँटकर बारह राशियाँ बनी हैं। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना "संक्रान्ति" कहलाता है। इसी प्रकार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को "मकरसंक्रान्ति" कहते हैं।
सूर्य का मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा की ओर जाना उत्तरायण तथा कर्क रेखा से दक्षिणी मकर रेखा की ओर जाना दक्षिणायन है। उत्तरायण में दिन बड़े हो जाते हैं तथा रातें छोटी होने लगती हैं। दक्षिणायन में ठीक इसके विपरीत होता है। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन देवताओं की रात होती है। वैदिक काल में उत्तरायण को देवयान तथा दक्षिणायन को पितृयान कहा जाता था । इसलिए यह आलोक का अवसर माना जाता है। इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अनन्य महत्व है और सौ गुणा फलदायी होकर प्राप्त होता है। मकर संक्रान्ति प्रत्येक वर्ष प्रायः 14 जनवरी को पड़ती है।

आभार प्रकट करने का दिन
पंजाब, बिहार व तमिलनाडु में यह समय फ़सल काटने का होता है। कृषक मकर संक्रान्ति को आभार दिवस के रूप में मनाते हैं। पके हुए गेहूँ और धान को स्वर्णिम आभा उनके अथक मेहनत और प्रयास का ही फल होती है और यह सम्भव होता है, भगवान व प्रकृति के आशीर्वाद से। विभिन्न परम्पराओं व रीति–रिवाज़ों के अनुरूप पंजाब एवं जम्मू–कश्मीर में "लोहड़ी" नाम से "मकर संक्रान्ति" पर्व मनाया जाता है। सिन्धी समाज एक दिन पूर्व ही मकर संक्रान्ति को "लाल लोही" के रूप में मनाता है। तमिलनाडु में मकर संक्रान्ति पोंगल के नाम से मनाया जाता है, तो उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी के नाम से मकर संक्रान्ति मनाया जाता है। इस दिन कहीं खिचड़ी तो कहीं चूड़ादही का भोजन किया जाता है तथा तिल के लड्डु बनाये जाते हैं। ये लड्डू मित्र व सगे सम्बन्धियों में बाँटें भी जाते हैं।

खिचड़ी संक्रान्ति
चावल व मूंग की दाल को पकाकर खिचड़ी बनाई जाती है। इस दिन खिचड़ी खाने का प्रचलन व विधान है। घी व मसालों में पकी खिचड़ी स्वादिष्ट, पाचक व ऊर्जा से भरपूर होती है। इस दिन से शरद ऋतु क्षीण होनी प्रारम्भ हो जाती है। बसन्त के आगमन से स्वास्थ्य का विकास होना प्रारम्भ होता है।

पंजाब में लो़ढ़ी
मकर संक्रान्ति भारत के अन्य क्षेत्रों में भी धार्मिक उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। पंजाब में इसे लो़ढ़ी कहते हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में नई फ़सल की कटाई के अवसर पर मनाया जाता है। पुरुष और स्त्रियाँ गाँव के चौक पर उत्सवाग्नि के चारों ओर परम्परागत वेशभूषा में लोकप्रिय नृत्य भांगड़ा का प्रदर्शन करते हैं। स्त्रियाँ इस अवसर पर अपनी हथेलियों और पाँवों पर आकर्षक आकृतियों में मेहन्दी रचती हैं।

बंगाल में मकर-सक्रांति
पश्चिम बंगाल में मकर सक्रांति के दिन देश भर के तीर्थयात्री गंगासागर द्वीप पर एकत्र होते हैं , जहाँ गंगा बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। एक धार्मिक मेला, जिसे गंगासागर मेला कहते हैं, इस समारोह की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस संगम पर डुबकी लगाने से सारा पाप धुल जाता है।

कर्नाटक में मकर-सक्रांति
कर्नाटक में भी फ़सल का त्योहार शान से मनाया जाता है। बैलों और गायों को सुसज्जित कर उनकी शोभा यात्रा निकाली जाती है। नये परिधान में सजे नर-नारी, ईख, सूखा नारियल और भुने चने के साथ एक दूसरे का अभिवादन करते हैं। पंतगबाज़ी इस अवसर का लोकप्रिय परम्परागत खेल है।

गुजरात में मकर-सक्रांति
गुजरात का क्षितिज भी संक्रान्ति के अवसर पर रंगबिरंगी पंतगों से भर जाता है। गुजराती लोग संक्रान्ति को एक शुभ दिवस मानते हैं और इस अवसर पर छात्रों को छात्रवृतियाँ और पुरस्कार बाँटते हैं।

केरल में मकर-सक्रांति
केरल में भगवान अयप्पा की निवास स्थली सबरीमाला की वार्षिक तीर्थयात्रा की अवधि मकर संक्रान्ति के दिन ही समाप्त होती है, जब सुदूर पर्वतों के क्षितिज पर एक दिव्य आभा ‘मकर ज्योति’ दिखाई पड़ती है।
✍🏻साभार

 

आपको एवं आपके पूरे परिवार को लोहड़ी और मकर संक्राति की हार्दिक शुभकामनाएं ll

ईश्वर से यही कामना है कि आने वाला प्रत्येक नया दिन आपके जीवन में अनेकानेक सफलताएँ एवं अपार खुशियाँ लेकर आये ll

इस अवसर पर ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह वैभव, ऐश्वर्य, उन्नति, प्रगति, आदर्श, स्वास्थ्य, प्रसिद्धि और समृद्धि के साथ साथ आजीवन आपको जीवन पथ पर गतिमान रखे ll

लोहड़ी, मकर संक्राति की हार्दिक शुभकामनायें ll ✨💐💐

मंगलवार, 10 जनवरी 2023

किसी को जन्म तारीख पता ही नहीं हो तो उसकी कुंडली कैसे देखी जाती है?

 किसी को जन्म तारीख पता ही नहीं हो तो उसकी कुंडली कैसे देखी जाती है?

जी हां वास्तुशास्त्र ओर हस्तरेखा से हम किसी की जन्म कुंडली निकाल सकते है परंतु ध्यान रहे ज्योतिषि में हस्तरेखा का सही ज्ञान होना बहुत जरूरी है अन्यथा परिणाम गलत होंगे ओर पता भी नहीं चलेगा।


मुग़लों की सत्ता किसने खत्म की?

ये बहुत दिलचस्प सवाल है अगर आप एनसीईआरटी पढ़ोगे तो आपको लगेगा कि मुगलों ने तो 1857 तक राज्य किया था और उनकी सत्ता तो अंग्रेजो ने खत्म की थी लेकिन ये धोखा है गुरु , जब आप कॉलेज में जाके अलग अलग इतिहासकारों की किताब पढ़ोगे तो पाओगे की मुगलों की सत्ता तो 1857 से कोई 100-150 साल पहले ही खत्म हो गई थी ।

 

अगर आप इतिहास देखोगे तो पाओगे कि मुगलों का राज्य और प्रभाव उत्तर भारत तक ही सीमित था । हां , ये अलग बात है कि उन्होंने दक्कन और दक्षिण भारत को जीतने की कोशिश की लेकिन वो कभी वहां उत्तर भारत के जैसे प्रभाव नहीं जमा पाए थे इसलिए हम आज भी देखते है कि साऊथ इंडिया के मन्दिर और संस्कृति काफी हद तक सुरक्षित हैं नॉर्थ इंडिया की तुलना में।

और उत्तर भारत में भी उनका राज्य और प्रभाव बना रहा था क्योंकि उन्हें " राजपूतों का समर्थन " था जो कि उत्तर भारत के अधिकांश भाग पर अपने राज्यों में राज करते थे ।


औरंगजेब के समय मुगल सत्ता अपने चरम पर थी और उसने हिंदुओं को उन्हीं के देश में सेकंड क्लास सिटीजन बनाने की कोशिश की । उसने जैसे ही जजिया लगाया और मन्दिर तोड़ने शुरु किए तो सारे सोए हुऐ हिंदु जाग गए और ये कोई राजा महाराजा नहीं थे इनमें आम लोग भी शामिल थे

और इसका उदाहरण हैं _ " जाट विद्रोह " वो किसान थे जो दिल्ली के आस पास भरतपुर मथुरा में रहते थे। उन्होंने जजिया और मथुरा के मन्दिर तोड़ने के गुस्से में विद्रोह किया ।

ऐसे ही विद्रोह सिक्ख , सतनामी , राजपूत , मराठों ने किए और औरंगजेब की जिंदगी इन्हीं विद्रोहाें को दबाते हुऐ निकली ।


यहां सबसे इंटरेस्टिंग हिस्सा है "

"राजपूतों का विद्रोह "

अगर मैं मेवाड को न शामिल करूं तो वो राजपूत ही थे जिन्होंने मुगल शासन को भारत में मजबूत किया। उसे फैलाया और उसकी रक्षा की और इसमें उनका स्वार्थ था _ वो सत्ता के भागीदार थे।

लेकिन औरंगजेब के आते ही सब बदल गया

उसने सबसे पहले टारगेट किया जोधपुर को जहां उसने अजीत सिंह को मुस्लिम बनाने की कोशिश लेकिन यहां महाराणा राजसिंह ने फिर से अपने वंश का गौरव बढ़ाया और जोधपुर की रक्षा के लिए उन्होंने दुर्गादास राठौड़ के साथ मिलकर जोधपुर और मेवाड को एक साथ संगठित किया और मुगलों को रोक दिया ।

ये राजपूतों के विद्रोह की शुरुआत थी लेकिन दुर्भाग्य ये था कि असमय महाराणा राजसिंह का १६८० में निधन हो गया और ये विद्रोह कमजोर पड़ गया और फिर अजीत सिंह के दुर्गादास के प्रति शक ने इसे और कमजोर किया ।

लेकिन यहां से इतना साबित हो चुका था कि अब राजपूतों और मुगलों के रिश्तों की जड़ कमज़ोर हो चुकी हैं।

इसी विद्रोह का दूसरा भाग शुरू होता है औरंगजेब की मौत के तुरंत बाद जब बहादुर शाह को दिल्ली मिली तो उसने राजपूतों को निशाना बनाया और घटनाक्रम में उसने वहां टारगेट किया जो राजपूतों को मुगलों से जोड़ता था - जयपुर के कचवाह

ये उसकी सबसे बडी भूल थी । उसने जय सिंह से जयपुर छीन लिया और उसे एक मामूली जागीर बना दिया और फिर उसने जोधपुर को घेर लिया ।

इससे वो हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ _ राजपूताना के तीन सबसे बडे़ राज्य मुगलों के खिलाफ़ एक संघटन में आ गए मेवाड, जोधपुर और जयपुर । इसके लिए महाराणा की बेटी की शादी जय सिंह से हुई जिसका बेटा जयपुर का शासक होगा ऐसी संधि हुई । विद्रोह की अगुवाई की दुर्गादास राठौड़ और जय सिंह ने

इसके बाद इनकी सेना एक साथ आकर मुगलों पर टूट पड़ी और एक के बाद एक जोधपुर और आमेर को वापस से जीत लिया गया ।

इसी दौर मुगलों की तरफ़ से संघ को तोड़ने की और लालच देने की कोशिश की गई लेकिन इस बार जय सिंह ने पीठ नहीं दिखाई ।

मुगलों ने फिर से सैयद हुसैन और चूड़ामन जाट के साथ सेना भेजी ( ये इंटरेस्टिंग है कि कैसे जाट विद्रोही किसानों से शासक बने )

लेकिन जयसिंह चूड़ामण को अलग करने में सफल रहा और राजपूतों ने सांभर में मुगलों पर हमला कर सांभर में मुगलों के खजाने को लूट लिया ।

फिर सांभर का युद्ध ( इनके बारे में आपको एनसीईआरटी में नहीं मिलेगा ) हुआ जिसमें राजपूतों में मुगल सेना को एक निर्णायक हार दी और फौजदारों समेत पूरी मुगल सेना का सफाया कर दिया और इसमें ३००० से ज्यादा मुगल सैनिक मारे गए । ( इस विद्रोह में कई लड़ाइयां हुई सबको एक उत्तर में लिखना संभव नहीं )

राजपूतों ने आगे बढ़कर कर रेवाड़ी और नारनौल में अपनी चौकी बैठा दी और राजपूतों ने मुगलों को नीचा दिखाने के लिए दिल्ली , आगरा तक रैड की ।

जय सिंह ने इसी दौरान मराठों , बुंदेलों को भी पत्र लिखे विद्रोह को हर राज्य में फैलाने के लिए ( जो कि सबसे दिलचस्प है )


जब मुगल बादशाह को अपनी हार का पता लगा तो उसने राजपूतों की मांग मान ली और औरंगजेब के कब्जे किए क्षेत्र और उनके राज्य लौटा दिए ।

लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से ये बात साफ हो गई अन्य राज्यो के लिए कि जो राजपूत इनकी जड़ और आधार थे इनके राज्य के वो अब इनसे दूर हो चूके हैं और इसी के बाद मराठों ने रही सही कसर पूरी कर दी ।

मेरा मानना ये ही है कि ये ही विद्रोह था जिसने मुगलों को खत्म किया वरना अगर राजपूत इनसे जुड़े रहते तो कभी भी उत्तर भारत में इनका प्रभाव कम नहीं होता ।


इति।

#सभी रोगों की रामबाण दवा हैं शरीर पूर्ण निरोगी हो जाएगा #

 

सिर्फ 3 मसाले मिलाएं, चमत्कारी चूर्ण घर में बनाएं

methi ajvain kali jiri

250 ग्राम मैथीदाना
100 ग्राम अजवाईन
50 ग्राम काली जीरी

उपरोक्त तीनो चीजों को साफ-सुथरा करके हल्का-हल्का सेंकना(ज्यादा सेंकना नहीं) तीनों को अच्छी तरह मिक्स करके मिक्सर में पावडर बनाकर डिब्बा-शीशी या बरनी में भर लेवें ।
रात्रि को सोते समय चम्मच पावडर एक गिलास पूरा कुन-कुना पानी के साथ लेना है।
गरम पानी के साथ ही लेना अत्यंत आवश्यक है लेने के बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है।
यह चूर्ण सभी उम्र के व्यक्ति ले सकतें है।
चूर्ण रोज-रोज लेने से शरीर के कोने-कोने में जमा पडी गंदगी(कचरा) मल और पेशाब द्वारा बाहर निकल जाएगी ।
पूरा फायदा तो 80-90 दिन में महसूस करेगें, जब फालतू चरबी गल जाएगी, नया शुद्ध खून का संचार होगा । चमड़ी की झुर्रियाॅ अपने आप दूर हो जाएगी। शरीर तेजस्वी, स्फूर्तिवाला व सुंदर बन जायेगा ।
‘‘फायदे’’
1. गठिया दूर होगा और गठिया जैसा जिद्दी रोग दूर हो जायेगा ।
2. हड्डियाँ मजबूत होगी ।
3. आॅख का तेज बढ़ेगा ।
4. बालों का विकास होगा।
5. पुरानी कब्जियत से हमेशा के लिए मुक्ति।
6. शरीर में खुन दौड़ने लगेगा ।
7. कफ से मुक्ति ।
8. हृदय की कार्य क्षमता बढ़ेगी ।
9. थकान नहीं रहेगी, घोड़े की तहर दौड़ते जाएगें।
10. स्मरण शक्ति बढ़ेगी ।
11. स्त्री का शरीर शादी के बाद बेडोल की जगह सुंदर बनेगा ।
12. कान का बहरापन दूर होगा ।
13. भूतकाल में जो एलाॅपेथी दवा का साईड इफेक्ट से मुक्त होगें।
14. खून में सफाई और शुद्धता बढ़ेगी ।
15. शरीर की सभी खून की नलिकाएॅ शुद्ध हो जाएगी ।
16. दांत मजबूत बनेगा, इनेमल जींवत रहेगा ।
17. नपुसंकता दूर होगी।
18. डायबिटिज काबू में रहेगी, डायबिटीज की जो दवा लेते है वह चालू रखना है। इस चूर्ण का असर दो माह लेने के बाद से दिखने लगेगा ।
जीवन निरोग,आनंददायक, चिंता रहित स्फूर्ति दायक और आयुष्ययवर्धक बनेगा ।

रविवार, 8 जनवरी 2023

मुंथा क्या है और इसको अपनी कुण्डली में कैसे देखें?

मुंथा क्या है और इसको अपनी कुण्डली में कैसे देखें?
*************************************
वर्ष कुण्डली में गणना के संदर्भ में मुंथा का अत्यधिक उपयोग किया जाता है। जन्म कुण्डली में मुन्था सदैव लग्न में स्थित रहती है और हर वर्ष यह एक राशि आगे बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए यदि किसी का जन्म मेष लग्न में हो तो जातक के जन्म समय मुन्था मेष राशि में होगी तथा आने वाले वर्ष में यह मुंथा वृष राशि में और इससे आगे आने वाले वर्ष में यह मिथुन में स्थित होगी इस तरह से प्रत्येक वर्ष मुंथा एक राशि आगे बढ़ जाती है।

मुंथा कोई ग्रह नहीं है लेकिन यह नवग्रहों के समान ही महत्व रखती है और इसके विचार द्वारा कुण्डली के अनेक प्रभावों का वर्णन किया जा सकता है। मुन्था के शुभ और अशुभ प्रभाव जातक के जीवन को पूर्ण रुप से प्रभावित करते हैं। ज्योतिष के अनेक शास्त्रों में हमें मुन्था के विषय में बहुत कुछ जानने को मिलता है जिसके द्वारा मुंथा का महत्व परिलक्षित होता है और मुथा की गणना को वर्ष कुण्डली में करके जातक के जीवन में घटने वाली घटनाओं को बताया जा सकता है।

मुंथा की गणना 
===========
मुंथा की गणना के लिए चाहिए की जन्म कुण्डली में लग्न की राशि संख्या ज्ञात करनी चाहिए जैसे यदि वह संख्या पांच है तो लग्न की राशि सिंह होगी।

जिन वर्षों के लिए मुंथा की गणना करनी होती है जन्म से उन पूरे वर्षों की संख्या को लग्न की संख्या से जोड़ देना होता है। यदि यह जोड़ 12 वर्ष से अधिक आता है तो इसे 12 से भाग दिजिए और जो शेष संख्या आए उसी में मुंथा स्थित होगी। यदि शेष संख्या शून्य आती है तो इसे बारहवीं राशि कहेंगे।

मुंथा का प्रभाव
============
वर्ष कुण्डली में जन्म कुण्डली के लग्न की भांति मुंथा अत्याधिक महत्वपूर्ण होती है। वर्ष के फल तभी शुभ होंगे जब मुंथेश उच्च युक्त या स्वराशि से युक्त हो।

मुन्थेश शुभ ग्रहों से युक्त या उनसे प्रभावित है तो परिणाम अच्छे प्राप्त हो सकते हैं।

मुन्था 2, 9 10, 11 भाव में स्थित होने पर आर्थिक पक्ष की मजबूती को दर्शाती है। यह अच्छी व्यवसायिक स्थिति को दर्शाता है।

मुन्था की विपरीत स्थिति 
================
भाव 4, 6, 8, 12  और सप्तम भाव में मुन्था अच्छी नहीं मानी जाती यह अशुभ परिणामदायक हो सकती है। इस प्रकार यदि मुन्था षष्ठेश, अष्टमेश अथवा द्वादशेश युक्त हो तो शुभ परिणाम प्रदान करने वाली होती है।

मुन्थेश यदि नीच का हो या नीचता से युक्त हो अथवा पिड़ित, निर्बल या शत्रु भाव में स्थित हो तो यह शुभ परिणाम प्रदान नहीं करता है।

मुन्था यदि क्रूर ग्रहों से दृष्ट हो तो विपरीत फल प्रदान करती है।
============================
वर्ष कुण्डली में मुन्था महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मुन्था को ग्रह के जैसा ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ष कुण्डली में जिस भाव में मुन्था स्थित होती है उस भाव तथा भाव के स्वामी कि स्थिति को देखा जाता है। बली हैं या निर्बल है। 4,6,7,8,12 भाव में मुन्था का स्थित होना शुभ नहीं माना जाता है। इसी प्रकार हम वर्ष कुण्डली में वर्षेश तथा पंचाधिकारियों की स्थिति को भी देखा जाता है। वर्षेश की स्थिति कुण्डली में यदि कमजोर है तो शुभ नहीं है। इसके आधार पर वर्ष कुण्डली का फलित काफी हद तक निर्भर भी रहता है।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
नोट- अगर आप अपना भविष्य जानना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल करके या व्हाट्स एप पर मैसेज भेजकर पहले शर्तें जान लेवें, इसी के बाद अपनी बर्थ डिटेल और हैंडप्रिंट्स भेजें।

शनिवार, 7 जनवरी 2023

सबको बस बिज़नस चलाना है... एक आपको पानी छान के पिलाता है... दूसरा आपको पानी से छाने गए मिनरल को गोली में देता है... मगर कोई आपको असल बिमारी कभी नहीं बताता है..!!

पहले वाटर फिल्टर आया... ये कह के कि आपको बैक्टीरिया और बाकी बीमारियों से बचाएगा... फिर RO आया... ये कहा गया कि जो वायरस और बैक्टीरिया फिल्टर से नहीं छन पाते हैं और बच जाते हैं उन्हें ये छान लेगा... फिर RO में UV और एक और मेंब्रेन लग के आने लगी, और ये बताया गया कि पहले वाले से भी जो वायरस बच जाते थे उन्हें UV अब डीएक्टिवेट कर देगा!


फिर सालों बाद इन्हीं कंपनियों को पता चला कि जिस पानी को इन्होंने इतना छान दिया था उसे दरअसल इतना छानने की ज़रूरत नहीं थी... क्योंकि ये "अत्यधिक छना" पानी अब असल पानी से कहीं ज़्यादा नुकसानदेह है... फिर कंपनियाँ "एल्कलाइन पानी" ले कर आए... एल्कलाइन फिल्टर वाली बॉटल आईं और अब एल्कलाइन फिल्टर भी आ गए हैं... अब उसी छाने हुये पानी में फिर से मिनरल मिलाया जाता है!!

फिर Kangen वाटर आया... काला एल्कलाइन पानी आया... अब ये बताया जा रहा है कि RO का पानी दरअसल सबसे ज़्यादा नुकसानदेह होता है... अगर आप कम TDS वाला पानी, जो कि RO का या बिसलेरी की बॉटल का होता है, वो अगर आप रोज़ पीते हैं तो धीरे धीरे वो आपकी हड्डियाँ, दाँत सब गलाने लगता है और आपके हृदय की धमनियाँ वगैरह ख़राब होनी शुरू हो जाती हैं... कंपनियाँ जो RO बेच रही हैं वो इसे नहीं बताती हैं।

किसी भी पानी जिसका TDS 250 से कम है वो आपके लिए ज़हर होता है और बिसलेरी का TDS 30 से 75 के बीच होता है... आपके घर में जो RO लगा है अगर उसका TDS 35 या 75 है तो समझिए आप ज़हर पी रहे हैं पानी नहीं!!

समस्या ये है कि अब शहरों का पानी बहुत अधिक प्रदूषित हो चुका है... आप शहरों में अब सीधे नल का पानी नहीं पी सकते हैं... क्यूँकि आपके नल के आसपास जाने कितने टॉयलेट के गढ्ढे होंगे....! आपको फिल्टर तो चाहिए मगर फिल्टर क्या क्या छान ले रहा है आपके पानी से ये आप जान नहीं पाते हैं... फिल्टर वाली कंपनियों का कोई भी एम्प्लॉय न तो ये जानता है और न ही आपको बताता है क्योंकि उसे बस अपना माल बेचना होता है.... आपके दाँत गल जाएं या हृदय की धमनियाँ, उसे इस से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है... चूँकि ये मेडिकल की ही तरह बहुत बड़ा बिज़नेस बन चुका है... इसलिए अब कोई भी आपको फिल्टर के साइड इफेक्ट बताता ही नहीं है।।

अब पानी छानिये... फिर उसे एल्कलाइन बनाईये... फिर उसमे मिनरल ऐड कीजिये... फिर पीजिये... मगर ये वाटर फ़िल्टर की कंपनियाँ आपके घर के हिसाब से कोई ऐसा फ़िल्टर नहीं लगाएंगी जो वहाँ सिर्फ़ वही ज़रूरत पूरी करे जो होनी चाहिए... ज़्यादातर घरों में जो पानी आता है उनमे से TDS कम करने की कोई ज़रूरत नहीं होती है... मगर कंपनी का एक बिना पढ़ा लिखा एम्प्लोयी आकर आपको 10 फ़िल्टर वाला प्रोडक्ट बेच देता है और आपके पानी में कुछ बचता ही नहीं जिसकी आपके शरीर को ज़रूरत होती है... फिर आप डॉक्टर के पास जाते हैं और डॉक्टर आपको गोलियाँ खिलाता है !

ये वर्तुल है... सबका बिज़नस चल रहा है और सबको बस बिज़नस चलाना है... एक आपको पानी छान के पिलाता है... दूसरा आपको पानी से छाने गए मिनरल को गोली में देता है... मगर कोई आपको असल बिमारी कभी नहीं बताता है..!! 

#रामायण सीरियल का वह दृश्य है जहाँ एक अदभुद घटना घटी ( सत्य घटना )

यह #रामायण सीरियल का वह दृश्य है जहाँ एक अदभुद घटना घटी ( सत्य घटना )

1985-86 में #समुद्र के किनारे पर रामायण सीरियल की शूटिंग चल रही थी .. राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल एक शिला पर बैठे हुए थे.. समुद्र के पास में ही एक छोटा सा गाँव था, उस गाँव के लोग कभी कभी रामायण की शूटिंग देखने आ जाते थे ...
एक दिन उस गाँव में एक बच्चे को सर्प ने डस लिया, बच्चा एक दम बेहोश हो गया और उसके मुँह से सफेद झाग आने लगे ...! जैसे ही उसकी माँ को पता चला, वो अपने बच्चे को गोदी में लेकर वहां दौड़ी जहाँ रामायण की शूटिंग चल रही थी... सभी रामायण की शूटिंग में व्यस्त थे ..महिला रोती रोती एक दम वहाँ पहुँची और जहाँ रामजी ( अरुण गोविल ) बैठे हुए थे...         
     महिला ने बच्चे को रामजी के चरणों मे पटक दिया और जोर जोर से रोने लगी, रामजी मेरे बच्चे को बचाओ..इसे सर्प ने डस लिया है ..आप भगवान हो, मेरे बच्चे को बचाओ ... प्रभु मेरे बच्चे को बचाओ ...
सभी शूटिंग करने वाले हैरान होकर महिला की तरफ देखते रहे, कुछ समय के लिये शूटिंग रोक दी गई ..... जब महिला रामजी के सामने जोर जोर से रोने लगी, तब रामजी एक दम खड़े हो गए और बच्चे को देख कर उसके ऊपर अपना हाथ फेरने लगे ...
और जैसे ही #रामजी ने बच्चे पर हाथ फेरा बच्चे को होश आने लगा , आँखे खोलने लगा...सभी शूटिंग करने वाले लोग और कुछ महिला के साथ आये लोग दंग रह गए और बच्चा खड़ा हो गया.. !

महिला का भाव देखो कि उधर एक अभिनेता के अंदर प्रभु की शक्ति पैदा हो गयी !
यह घटना खुद अरुण गोविल ने अपने मुँह से सुनाई थी .... 1995 में किसी stage प्रोग्राम में उनको आमंत्रित किया, तब किसी व्यक्ति ने arun govil जी से पूछा कि रामायण की शूटिंग करते समय आपका कोई ऐसा अनुभव जो आपके लिए अविस्मरणीय रहा हो .... तब उन्होंने यह घटना सभी को बताई ...
जब सच्चे भाव और भावना से पत्थर में भगवान प्रकट हो सकते हैं तो व्यक्ति में क्यों नहीं.. कौन कहता सच्चे मन से पुकारे तो भगवान प्रकट नहीं होते.....
#सियाराम मय सब जग जानी,
करहु प्रणाम जोर जुग पानी...!
जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी ...।।
जय जय सियाराम

function disabled

Old Post from Sanwariya