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सोमवार, 20 मार्च 2023

भौमवती अमावस्या आज भूतड़ी अमावस्या

 भौमवती अमावस्या आज
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प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। पूरे वर्ष में 12 अमावस्या पड़ती हैं और सभी अमावस्या का अपना अलग महत्व है। चैत्र अमावस्या हिंदू वर्ष का अंतिम दिन होता है। चैत्र अमावस्या को हमारे धर्म में बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। यह अमावस्या मार्च-अप्रैल के महीने में आती है। हालांकि, इस दिन का हमारी भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है। इस दिन धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां की जाती हैं, जैसे स्नान, दान और सामग्री का दान। चैत्र अमावस्या को पितृ तर्पण जैसे अनुष्ठानों के लिए भी जाना जाता है। लोग कौवे, गाय, कुत्ते और यहां तक कि गरीब लोगों को भी भोजन कराते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार अमावस्या को पूर्वज अपने वंशजों के यहां जाते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं। चैत्र अमावस्या व्रत हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय उपवासों में से एक है। अमावस्या व्रत या उपवास सुबह शुरू होता है और प्रतिपदा को चंद्रमा के दर्शन होने तक चलता है। इसे भूतड़ी अमावस्या भी कहते हैं। इस तिथि का महत्व बहुत अधिक माना गया है।

भूतड़ी अमावस्या की तिथि
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चैत्र मास की अमावस्या तिथि आरंभ: 20 मार्च, रात्रि 01:47 से
चैत्र मास की अमावस्या तिथि  समाप्त: 21 मार्च रात्रि 10:53 पर।
उदयातिथि के अनुसार चैत्र अमावस्या 21 मार्च को मानी जाएगी।

अमावस्या पर बन रहे हैं शुभ योग
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चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहते हैं। और इस बार मंगलवार को पड़ने के कारण यह  भौमवती अमावस्या भी कहलाएगी। इस दिन शुभ, शुक्ल और सिद्धि नाम के 3 शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है जो इस तिथि का महत्व और भी बढ़ा रहे हैं।

चैत्र अमावस्या क्यों कहलाती है भूतड़ी अमावस्या?
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आप सबके मन में सवाल होगा कि अमवाया तो हर महीने आती है लेकिन सिर्फ चैत्र की अमावस्या को ही भूतड़ी अमावस्या क्यों कहा जाता है। आइए आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं। दरअसल, भूत का अर्थ है नकारात्मक शक्तियां, कुछ अतृप्त आत्माएं अपनी अधूरी इच्छाएं पूरी करने के लिए जीवित लोगों पर अधिकार करने का प्रयास करती हैं और उग्र रूप धारण कर लेती हैं। इसी उग्रता को शांत करने के लिए नकरात्मक ऊर्जा से प्रभावित लोगों को शांत करने के लिए भूतड़ी अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करवाया जाता है।

क्या है इस तिथि का महत्व?
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कोई भी अमावस्या हो, इस दिन पितरों का श्राद्धकर्म करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। चैत्र अमावस्या में भी पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष उपाय करने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि चैत्र अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन से दर्द, संकट और नकारात्मकता को खत्म करने में मदद मिलती है। पुराणों में उल्लेख किया गया है कि इस शुभ दिन पर गंगा नदी में स्नान करने से आपके पापों और बुरे कर्मों का नाश होता है।अमावस्या तिथि पर भक्त अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध आदि भी करते हैं, ऐसा करने से  पितृ दोष खत्म होता है।

भूतड़ी अमावस्या पर करें ये उपाय
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भूतड़ी अमावस्या पर छोटे-छोटे उपाय करने से पितरों की कृपा हम पर बनी रहती है।
घर में पितरों की आत्मा की शांति के लिए धूप-ध्यान करें।
गाय को हरा चारा खिलाएं।
कुत्ते और कौए को रोटी खिलाएं।
संभव हो तो जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े आदि का दान करें।

रविवार, 19 मार्च 2023

हम भूलते जा रहे हैं वैदिक कैलेंडर, रट लीजिए* *नव वर्ष 2080,,*

*हम भूलते जा रहे हैं वैदिक कैलेंडर, रट लीजिए* *नव वर्ष 2080,,*
*जैसा की हम जानते ही है,की हमारा नववर्ष चैत्र प्रतिपदा से आरंभ होता है।।*
*1. चैत्र,,* 
*2. वैशाख,,*
*3. ज्येष्ठ,,*
*4. आषाढ़,,* 
*5. श्रावण,,* 
*6. भाद्रपद,,* 
*7. अश्विन,,*
*8. कार्तिक,,*
*9. मार्गशीर्ष,,* 
*10. पौष,,*
*11. माघ,,* 
*12. फाल्गुन,,* 
*चैत्र मास ही हमारा प्रथम मास होता है, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष को नववर्ष मानते हैं। चैत्र मास अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल में आता है, चैत्र के बाद वैशाख मास आता है जो अप्रैल-मई के मध्य में आता है।*
 *ऐसे ही बाकी महीने आते हैं,* *फाल्गुन मास हमारा अंतिम मास है जो फरवरी-मार्च में आता है। फाल्गुन की अंतिम तिथि से वर्ष की समाप्ती हो जाती है, फिर अगला वर्ष चैत्र मास का पुन: तिथियों का आरम्भ होता है जिससे नववर्ष आरम्भ होता है।*
*हमारे समस्त वैदिक मास ( महीने ) का नाम 28 में से 12 नक्षत्रों के नामों पर रखे गये हैं*
*जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसी नक्षत्र के नाम पर उस मास का नाम हुआ।*
*1. चित्रा नक्षत्र से चैत्र मास,*
*2. विशाखा नक्षत्र से वैशाख मास,*
*3. ज्येष्ठा नक्षत्र से ज्येष्ठ मास,*
*4. पूर्वाषाढा या उत्तराषाढा से आषाढ़,*
*5. श्रावण नक्षत्र से श्रावण मास,*
*6. पूर्वाभाद्रपद या उत्तराभाद्रपद से भाद्रपद,* 
*7. अश्विनी नक्षत्र से अश्विन मास,* 
*8. कृत्तिका नक्षत्र से कार्तिक मास,* 
*9. मृगशिरा नक्षत्र से मार्गशीर्ष मास,*
*10. पुष्य नक्षत्र से पौष मास,* 
*11. माघा मास से माघ मास,*
*12. पूर्वाफाल्गुनी या,* *उत्तराफाल्गुनी से फाल्गुन मास।।*

शनिवार, 18 मार्च 2023

दुर्लभ वनस्पति ‘मोरपंखी/मयूरशिखा’ के औषधीय उपयोग


 दुर्लभ वनस्पति ‘मोरपंखी/मयूरशिखा’ के औषधीय उपयोग

आयुर्वेदिक वनौषधि -"मोरपंखी"

(Thuja occidentalis) आपने भी घर में कई प्रकार के पेड़ पौधे लगाए होंगे जैसे कुछ सजावट के लिहाज से कुछ धार्मिक और वास्तु महत्व होने के लिहाज से। लेकिन आज जिस पौधे के बारे में मैं बताने जा रही हूं वह औषधीय दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है।

इसे घर में लगाने से घर में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा(positive energy) का प्रवाह बढ़ता है। मोरपंखी का पौधा घर में लगाना शुभ माना जाता है। लेकिन शायद हम इस बात से अनजान हैं कि मोरपंखी (Thuja occidentalis) मनुष्य के कई रोगों के उपचार में भी रामबाण औषधि है।

मोरपंखी पौधे का जिक्र हमारे शास्त्रों में भी किया गया है। ऐसी मान्यता है कि मोरपंखी पौधा लगाने से हमारे घर में छोटी-छोटी बातों पर होने वाले तनाव खत्म हो जाते हैं। ध्यान रखें जहां भी यह पौधा लगाएं वहां पर हल्की-हल्की धूप आती हो जिससे पौधे का विकास होते रहेगा।

Thuja होम्योपैथी में मस्सों या warts (जो कि एक virus 'human papilloma ' के infection से होती है) *सहित कई चर्म रोगों की अचूक दवा होने के साथ-साथ यह विधिपूर्वक प्रयोग करने पर अनेक गंभीर viral एवं असाध्य रोगों की नाशक औषधि भी है।

आइये एक नजर Thuja occidentalis से जुड़े इतिहास पर डालते हैं। अमेरिका के मूल निवासी सदियों से इस पौधे का उपयोग अनेकानेक बीमारियों के इलाज में किया करते थे। बाद में जो यूरोपीय अमेरिका में आकर बस गए वे भी इसका प्रयोग चिकित्सा में करने लगे।

अमेरिका के आदिवासी जंगलों में Thuja के पेड़ों को जलाकर घना धुंआ फैला देते थे। उनका विश्वास था कि ऐसा करने पर बुरी (Negative energy) आत्माओं द्वारा पैदा होने वाले रोग दूर हो जाते हैं। पारंपरिक रूप से मोरपंखी के नये पत्ते एवं टहनियों से बना काढ़ा बुखार खांसी-जुकाम,पेट के कीड़े,..

तथा गुप्त रोगों के लिए अत्यंत कारगर है।External use(बाहरी प्रयोग) में मोरपंखी की पत्तों को पीसकर बांधने से जलने (burns) गठिया-वात ,जोडो के दर्द,मस्सों, psoriasis आदि रोगों की चिकित्सा की जाती है।

आज जब कोरोना की महामारी से पीड़ित पूरा विश्व इस बीमारी के इलाज के लिए दिन-रात अनुसंधान में लगा हुआ है तो अचानक आज Thuja के बारे में पढ़ते हुए Thuja occidentalis के पौधे में ऐसे अनेक ऐसे गुण मिले, जो कोरोना के बचाव व इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

लगभग 2 वर्ष पूर्व Germany के वैज्ञानिकों ने Thuja occidentalis पर शोध-अनुसंधान करते हुए यह पता लगाया कि इसमें शरीर मे 'T lymphocytes' एवं

'Interleukin 2' के production को बढा कर शरीर के immune system को शक्तिशाली बनाने की चमत्कारी क्षमता है।

इसी प्रकार कुछ अन्य वैज्ञानिकों ने Thuja में सभी वनस्पतियों में से सर्वाधिक‌ Antiviral गुण होने की पुष्टि की। अतः immunity booster एवं Antiviral गुणों के होने के कारण Thuja occidentalis #corona महामारी के विरुद्ध औषधि खोजने में सफलता पूर्वक कारगर साबित हो सकता है।

मयूरपंखी का पौधा यह पौधा है मयूरपंखी का पौधा। मोर के पंखों के समान नजर आने वाले इस पौधे में आश्चर्यजनक रूप से धन के भंडार भरने की ताकत है। देश के कुछ राज्यों में इसे विद्या का पौधा भी कहा जाता है। बच्चे अपनी स्कूल की किताबों में इसकी पत्तियां इस विश्वास के साथ रखते हैं कि उससे अच्छी विद्या आती है। दरअसल विद्या का संबंध भी धन से ही है। यदि पढ़ लिखकर अच्छी विद्या हासिल कर ली तो धन आने का मार्ग खुल जाता है।

मयूरपंखी के पौधे के बारे में मान्यता है कि यह देश के बड़े अमीरों के घर के गार्डन में लगा हुआ है, जिसके कारण ही वे अमीर बने हैं। बहरहाल मान्यता जो भी हो, यह सच है कि इस पौधे में धनवान बनाने की पर्याप्त मात्रा मौजूद है। मयूरपंखी का पौधा लगाने के कुछ नियम बनाए गए हैं ताकि उसका पूर्ण शुभ प्रभाव आपको मिल सके।

मयूरपंखी का पौधा सदैव जोड़े में लगाया जाता है। यानी दो पौधे एक साथ लगाने से ही यह प्रभावकारी बनता है।
मयूरपंखी के पौधे को घर के गार्डन में या इनडोर प्लांट के रूप में घर के अंदर भी लगाया जा सकता है।
यह सजावटी पौधे के रूप में कई घरों की शोभा बढ़ाता है।
मयूरपंखी के पौधे यदि घर के अंदर लगा रहे हैं तो ऐसी जगह का चयन करें जहां से इस पर पर्याप्त धूप पड़ती हो।
इस पौधे को घर के बाहर लगा रहे हैं तो मुख्य प्रवेश द्वार के ठीक सामने लगाएं।
जिन लोगों को राहु की महादशा चल रही हो उन्हें यह पौधा लगाने से पीड़ा से राहत मिलती है।
घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, पैसा ठहरता नहीं है तो मयूरपंखी का पौधा जरूर लगाएं।
किसी कारणवश यदि मयूरपंखी का पौधा सूख जाए तो उसे निकालकर फेंक दें और तुरंत दूसरा पौधा लगाएं।
मयूरपंखी के पौधे के समीप कभी भी धूप-दीप न लगाएं। इससे पौधे का विपरीत प्रभाव होता है

Morpankhi Ka Paudha – आज एक ऐसे पौधे के बारे में जानेगे जिसकी पत्तियों को कई लोगो ने बचपन में किताबो के बीच में जरूर रखा होगा। अगर आप ने भी इस पौधे की पत्तियों को कभी बचपन में अपनी किताबो की बीच में रखा है, तो जरूर बताएं। जिस पौधे के बारे में हम जानेगे उसका नाम Thuja है, इस पौधे को विद्या का पेड़ के नाम से भी जाना जाता है।

इसके अलावा Thuja Plant in Hindi को मोरपंखी के नाम से भी जानते है। तो चलिए जानते है, मोरपंखी का पौधा कैसा होता है, और मोरपंखी का पौधा कहां लगाना चाहिए इससे जुड़ी कई अन्य जानकारियां।

मोरपंखी का पौधा की जानकारी Thuja Plant in Hindi  

मोरपंखी का पौधा या विद्या का पेड़ शुरू परिवारी के शंकुधारी पेड़ो की प्रजाति से सम्बंधित है। मोरपंखी का वैज्ञानिक नाम
Platycladus Orientalis है। इसे अंग्रेजी भाषा में Thuja या Oriental Thuja, के नाम से जाना जाता है। इस जीनस में कुल पांच प्रजातियां पाए जाती है, जिसमे से तीन पूर्वी एशिया में, और दो उत्तरी अमेरिका में है। देवदार का पेड़ भी इसी प्रजाति से सम्बंधित होता है।

मोरपंखी का पौधा सदाबहार होता है, इसके ऊपर लाल और भूरे रंग की छाल होती है। इन पेड़ो की ऊंचाई लगभग 3 से 65 मीटर या इससे अधिक भी हो सकती है।

इसकी पत्तियां दोनों तरफ से प्लेन होती है, जिनकी लम्बाई लगभग 1 से 10 मिमी होती है। मोरपंखी के पौधे नर और मादा दोनों तरह के होते है। नर पोधो में शंकु छोटे होते है, और मादा पौधे का शंकु बड़ा होता है। जब पौधा लगभग एक वर्ष का होता है, तो प्रत्येक पक्ति की जोड़ी के पास एक या दो छोटे छोटे बीज होते है।

मोरपंखी Thuja की पांचो प्रजातियां सदाबहार तथा छोटे बड़े पेड़ो वाली होती है। सभी प्रजातियों में पौधों की पत्तियां चपटी पंखे की तरह होती है। इसके बीजो का रंग हल्का हरा होता है। बीज पकने के बाद काले रंग के हो जाते है। मोरपंखी को घर में लगाने के बहुत से फायदे भी होते है। इसके अलावा मोरपंखी को घर तथा बगीचों की शोभा बढ़ाने के लिए भी लगाया जाता है।

Morpankhi Plant Benefits in Hindi

मोरपंखी के फायदे Morpankhi Plant Benefits in Hindi

1. मोरपंखी का पौधा घर की शोभा बढ़ाने के साथ साथ यह कई चीजों में फायदा भी पहुँचता है। मोरपंखी के पौधे को अगर वास्तु के अनुसार लगाया जाए, तो यह घर में सुख समृद्धि का भी प्रतिक माना जाता है। तो आइये जानते है, मोरपंखी के फायदे, और इसे घर में किस दिशा में लगाना चाहिए और भी कई जानकारियां –

2. मोरपंखी के पौधे को वास्तु के अनुसार जोड़े से लगाना चाहिए। अगर विद्या के पेड़ को जोड़े से घर में लगाया जाता है, तो इससे घर में सुख समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा उतपन्न होती है। और यह कई परशानियों से छुटकारा दिलाता है।

3. मोरपंखी के पौधे को ज्यादातार लोग घर की शोभा बढ़ाने के लिए अपने बगीचों में लगते है। लेकिन इसके कई औषधीय गुण भी होते है। इसका उपयोग कई होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है। मोरपंखी के पौधे से निकलने वाली ऊर्जा कई बीमारियों से भी बचाती है।

4. मोरपंखी के पौधे के बारे में ऐसा भी माना जाता है, की इस पौधे को घर में लगाने से घर में श्री लक्ष्मी का वास होता है। और श्री लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है। अगर आपने अभी तक अपने घर में विद्या का पेड़ या मोरपंखी का पेड़ नहीं लगाया, तो कृपया इसे अपने घर में जरूर लगायें।

मोरपंखी का पौधा कहां या किस दिशा में लगाना चाहिए

  • मोरपंखी के पौधे को हमेशा घर के मुख्य द्वार पर जोड़े में लगाना चाहिए।
  • मोरपंखी के पौधे को कभी भी अकेला नहीं लगाना चाहिए।
  • यह घर को हवादार बनाने के साथ साथ नारात्मक ऊर्जा को भी घर में आने से रोकता है।
  • मोरपंखी के पौधे को कभी भी सूखने नहीं देना चाहिए।
  • जब भी विद्या के पेड़ में पानी सूखने लगे, तो तुरंत पौधे को पानी देना चाहिए।
  • वास्तु के अनुसार मोरपंखी के पौधे को उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए, इससे घर में श्री लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है।
  • मोरपंखी के पौधे को हमेशा ऐसे जगह पर लगायें जहाँ पर पौधे को पर्याप्त धुप मिल सके।


मोरपंखी का पौधा उगाने के लिए बीज को कैसे तैयार करें

  • मोरपंखी के पौधे पर गर्मियों के दिनों में बीज लगना शुरू हो जाते है।
  • इसके बाद यह अगस्त और सितम्बर के महीनो में पककर तैयार हो जाते है।
  • पकने के बाद इन बीजो का रंग काला और हल्का भूरा हो जाता है।
  • जब मोरपंखी के बीज पक जाए, तो इन्हे पौधे से तोड़ लेना चाहिए, वरना यह कुछ दिन बाद पौधे पर ही फट जाते है, और इनके बीज जमीन पर गिर जाते है।
  • मोरपंखी के पके हुए बीजो को तोड़ने के बाद इनके अंदर से बीज निकल लेने चाहिए।
  • इसके बाद इन बीजो को लगभग तो से तीन दिन धुप या छाया में सुखना चाहिए।
  • इन बीजो को जब तक सुखाये, जब तक इसके अंदर बनी नमी की मात्रा लगभग 10 % ना रह जाए।
  • इसके बाद मोरपंखी के बीजो को किसी एयर टाइट वाले डब्बे में रख देना चाहिए। जिससे की बीज को हवा ना लगे।
  • कुछ लोगो का सवाल होता है, की मोरपंखी के बीजो को लगाने का सही समय क्या है? इन बीजो को मई और जून के महीनो में लगाना चाहिये।

मोरपंखी का पौधा कैसे लगाए How to Grow Morpankhi Plant from Seeds

  • मोरपंखी का पौधा बीज से लगाने के लिए आपको सबसे पहले एक मिटटी का बरता या फिर कोई भी प्लास्टिक की ट्रे लेनी है।
  • गमला या ट्रे का चयन करते समय आपको एक बात का विशेष ख्याल रखना है, की उसके निचे पानी निकलने के लिए छेद होने बहुत जरुरी है।
  • गमला लेने के बाद गमले के निचे वाले छेद पर कुछ कंकड़ रखकर ढक दें।
  • अब एक अच्छी और उपजाऊ मिटटी का मिश्रण तैयार करें।
  • उपजाऊ मिटटी बनाने के लिए बगीचे की सामान्य मिटटी और इसके अंदर बर्मीकम्पोस्ट को मिलकर भी अच्छा मिश्रण तैयार कर सकते है।
  • मिटटी तैयार करने के बाद गमले में भर लें।
  • इसके बाद गमले में भरपूर मात्रा में पानी डाल देना चाहिए।
  • जब गमले में पूरी तरह से नमी हो जाए, तो अपने मोरपंखी के बीजो की संख्या के अनुसार किसी लकड़ी से मिटटी में एक एक इंच की दुरी पर गड्डे कर लेने चाहिए।
  • इसके बाद मोरपंखी के बीजो को गमले में लगभग एक या डेढ़ इंच की गहराई में लगा दें।
  • बीजों को लगाने के बाद एक हलकी सी मिटटी की परत फिर से गमले के ऊपर बिछा दें और गमले के पानी से भर दें।
  • बीजों को लगाने के बाद गमले को ऐसी जगह पर रखें, जहाँ पर सूरज की रौशनी आती हो। ध्यान रहे की अगर ज्यादा गर्मी का मौसम है, तो ऐसे में गमले को हलकी छाया वाले स्थान पर रखे।
  • जब तक बीजो से पौधे उगना शुरू नहीं हो जाते तब तक गमले में नमी बनाये रखे।
  • लगभग एक से दो महीने में मोरपंखी के पौधे दूसरे बड़े गमले में लगाने लायक हो जाएंगे।

मोरपंखी का पौधा लगाने की विधि वीडियो में देखें

How to Grow Morpankhi Plant From Cutting

मोरपंखी का पौधा कटिंग से लगाना बहुत ही आसान है। यह अन्य पौधों की तरह ही कटिंग से लगाया जाता है। जैसे हम गुलाब का पौधा कटिंग से उगाते है, उसी तरह से मोरपंखी का पौधा भी उगाया जाता है। आइये जानते है, मोरपंखी का पौधा कटिंग से कैसे लगाते है

  • मोरपंखी का पौधा कटिंग से लगाने के लिए आपको सबसे पहले पांच से सात इंच की कटिंग लेनी है।
  • इन सभी कटिंग को किसी तेज धार वाले ब्लेड से काटना है, इसके बाद इन कटिंग को लगाने के लिए एक गमले का चयन करना है।
  • गमला लेने के बाद इन कटिंग को लगाने के लिए रेतीली मिटटी का उपयोग करें।
  • गमले में रेतीली मिटटी भरने के बाद, उसमे भरपूर मात्रा में पानी डालें।
  • जब सारा पानी गमले के निचे वाले छेद से बहार निकल जाए, तो गमले की मिटटी में कटिंग की गिनती के अनुसार किसी लकड़ी से छेद कर लें।
  • इसके बाद सभी कटिंग को पानी में भिगोकर इनकी जड़ो पर रूटिंग हार्मोन पाउडर को लगाएं। इससे जड़ें बहुत जल्दी आती है।
  • मोरपंखी की कटिंग पर रूटिंग हार्मोन पाउडर लगाने के बाद इन्हे गमले में किये गए गड्डो में लगाकर ऊपर से पानी गमले में पानी डाल देना चाहिए।
  • इसके बाद गमले को किसी हलकी छाया वाले स्थान पर रखे, और रोज गमले के अंदर पानी का हल्का हल्का छिड़काब करें।
  • इन सभी कटिंग से लगभग ढाई से तीन महीने में जड़ें निकल आएँगी।
  • जब सभी कटिंग से जड़ें निकल आये, तो इन्हे किसी बड़े गमले में लगा देना चाहिए।


पापमोचनी एकादशी आज

पापमोचनी एकादशी आज|


हिंदू धर्म में सभी तिथियों में एकादशी तिथि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक माह के कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन व्रत का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से और व्रत का पालन करने से साधकों को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है। यह व्रत इस वर्ष 18 मार्च 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा।

पापमोचनी एकादशी की तिथि
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एकादशी तिथि प्रारंभ : 17 मार्च 2023 को दोपहर 02 बजकर 06 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त : 18 मार्च 2023 को सुबह 11 बजकर 13 मिनट पर
व्रत पारण का समय : 19 मार्च 06:25 AM - 08:07 AM

शास्त्रों में बताया गया है कि मनुष्य जाने-अनजाने में कुछ ऐसे पाप कर बैठता है, जिसके कारण उसे इस जीवन में व अगले जीवन में दंड भोगना पड़ता है। ऐसे में इन पापों से बचने के लिए पापमोचनी एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्व
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धर्म ग्रंथ एवं पुराणों में बताया गया है की एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। वहीं पापमोचनी एकादशी व्रत रखने से अनजाने में हुई गलतियों से साधक को छुटकारा मिल जाता है और उसे सहस्त्र गोदान यानी 1000 गोदान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। जिस तरह भगवान श्रीराम पर रावण का वध करने के बाद ब्रह्म हत्या का दोष लग गया था और उन्होंने इस दोष की मुक्ति के लिए कपाल मोचन तीर्थ में स्नान और तप किया था। ठीक उसी प्रकार पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं।

पापमोचनी एकादशी व्रत के नियम
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शास्त्रों में बताया गया है कि जाने और अंजाने में किए गए पापों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए साधक को पापमोचनी एकादशी के दिन निर्जला उपवास रखना चाहिए। यदि व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो वह फलाहारी या जलीय व्रत रख सकते हैं। निर्जला उपवास रखने से पहले दशमी तिथि के दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए और एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की उपासना विधि-विधान से करनी चाहिए। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि पापमोचनी एकादशी के दिन रात्रि जागरण कर भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को इस जन्म के साथ-साथ पिछले जन्म के पापों से भी मुक्ति प्राप्त हो जाती है।

पापमोचनी एकादशी 2023
अद्यतन यूटीसी समय: 2022-03-29 04:25:34
   

पापमोचनी एकादशी 2023
शनिवार, 18 मार्च 2023
एकादशी तिथि प्रारंभ : 17 मार्च 2023 को दोपहर 02 बजकर 06 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त : 18 मार्च 2023 को सुबह 11 बजकर 13 मिनट पर
व्रत पारण का समय : 19 मार्च 06:25 AM - 08:07 AM
 
पापमोचनी एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। पापमोचनी एकादशी हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। एक वर्ष में लगभग 24 से 26 एकादशी होती हैं और प्रत्येक एकादशी का अपना विशेष महत्व होता है, इस प्रकार पापमोचनी एकादशी भी। पापमोचनी एकादशी को पापों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत कहा जाता है। इस व्रत का वर्णन 'भविष्योत्तर पुराण' और 'हरिवासर पुराण' में मिलता है। हिंदू धर्म में 'पाप' का अर्थ है ऐसे कार्य जो गलत हैं। 'मोचनी' का अर्थ मोक्ष प्राप्त करना है।

ऐसा माना जाता है कि पापमोचनी एकादशी सभी पापों को नष्ट कर देती है और जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ पमोचनी एकादशी का व्रत करता है उसे कभी भी राक्षसों या भूतों का भय नहीं सताता है। पापमोचनी व्रत को बहुत ही शुभ माना जाता है।

पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। सबसे पहले ऋषि लोमश ने राजा मान्धाता को पापमोचनी व्रत के बारे में बताया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को पापमोचनी एकादशी के महत्व के बारे में बताया। जिनका व्रत प्रचलित हो गया है।

पापमोचनी एकादशी पूजा (पूजा)
पापमोचनी एकादशी के दिन पूरे समर्पण के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। व्रत करने वाले व्यक्ति को सूर्योदय के समय उठकर स्नान करना चाहिए। भगवान विष्णु की एक छोटी मूर्ति को पूजा स्थल पर रखा जाता है और भक्त भगवान को चंदन का लेप, तिल, फल, दीपक और धूप चढ़ाते हैं। इस दिन 'विष्णु सहस्रनाम' और 'नारायण स्तोत्र' का पाठ करना शुभ माना जाता है।

द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर विदा करें और फिर भोजन करें।

पापमोचनी एकादशी व्रत का पूजा फल और महत्व
पापमोचनी एकादशी व्रत के महत्व का वर्णन 'भविष्योत्तर पुराण' और 'हरिवासर पुराण' में किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि पापमोचनी व्रत व्यक्ति को सभी पापों के प्रभाव से मुक्त कर देता है। पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से हिन्दू तीर्थ स्थानों पर विद्या ग्रहण करने से गाय दान करने से भी अधिक पुण्य मिलता है। जो लोग इस शुभ व्रत का पालन करते हैं वे सभी सांसारिक सुखों का आनंद लेते हैं और अंततः भगवान विष्णु के स्वर्गिक साम्राज्य 'वैकुंठ' में स्थान पाते हैं।

पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा
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प्राचीन काल में चित्ररथ नामक एक सुन्दर वन था। इस वन में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं और देवताओं सहित इस वन में स्वतन्त्र रूप से निवास करते थे। वहां मेधावी नाम के एक मुनि भी तपस्या कर रहे थे। ऋषि शिव ने पूजा की और अप्सराएँ शिव द्रोहिणी अनंग की दासी थीं।

एक बार कामदेव ने ऋषि की तपस्या भंग करने के लिए मंजुघोषा नाम की एक अप्सरा को उनके पास भेजा। हाव-भाव, नृत्य, गीत और व्यंग्य पर अप्सरा के काम से युवा ऋषि मोहित हो गए। रति-क्रीड़ा करते-करते 57 वर्ष बीत गए। एक दिन मंजूघोषा ने देवलोक जाने की अनुमति मांगी।

मंजूघोषा की अनुमति माँगने पर मुनि की चेतना जागृत हुई और उन्होंने अनुभव किया कि अप्सरा मंजूघोषा ही मुझे रसातल में ले जाने का कारण हैं। उन्होंने मंजूघोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। श्राप सुनकर मंजूघोषा कांप उठी और मोक्ष का उपाय पूछा। तब ऋषि ने पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने को कहा। मोक्ष का उपाय बताकर वह पिता च्यवन के आश्रम में चला गया। श्राप सुनकर च्यवन ऋषि ने पुत्र की कड़ी निंदा की और उसे पापमोचनी चैत्र कृष्ण एकादशी का व्रत करने का आदेश दिया। ऋषि मेधावी ने भी पापमोचनी व्रत का पालन किया और अपने पापों से मुक्त हुए। पापमोचनी व्रत के प्रभाव से मंजूघोषा अप्सरा शरीर से मुक्त होकर देवलोक चली गई।



मेरी मोटरसाइकिल एक साल पहले किसी ने चुरा ली थी जो कुछ महीने पहले पुलिस वालों को मिल गई है और पुलिस वाले 4 महीनों से ठीक से कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. मुझे मेरी गाड़ी घर लाने के लिए क्या करना पड़ेगा?

 

आपको जवाब सटीक ही दूँगा।

आपकी मोटरसाइकिल चोरी हुई, आपने उसकी चोरी की रिपोर्ट यानी एफ.आई.आर करवाई। अब पुलिस ने आपकी बाइक ढूंढ निकाली और वो पिछले चार महीनों से आपको चक्कर कटवा रहे हैं। अब आप चाहते हैं कि आपकी मोटरसाइकिल आपको दे दी जाए और आप अपनी बाइक पुलिस थाने से अपने घर ले आएं।

तो जनाब आइये आपको बताता हूँ कि चोरी के बाद यदि पुलिस चोरी का माल चाहे वो मोटरसाइकिल हो या कोई और संपत्ति उसको बरामद या ढूंढ लेती है तो आप अपनी संपत्ति को कैसे वापिस पा सकते हैं।

अब क्योंकि चोरी की रिपोर्ट कराने के बाद जो भी माल पुलिस बरामद करती है, वो माल ही चोरी का एक पक्का सबूत भी होता है, जो लोग नही जानते उन सम्मानित पाठकों को बता दूँ कि जब भी चोर पकड़ा जाता है तो उसके ऊपर पुलिस आरोपपत्र न्यायालय में पेश करती है।

अब जब मामला न्यायालय में आ जाता है तो चोर को सज़ा दिलवाने के लिए चोर द्वारा चोरी किया माल भी न्यायालय में पेश करना पड़ता है।

अब क्योंकि चोरी का माल कोर्ट में पेश करके ही चोर को सज़ा दिलवाई जा सकती है, इस कारण से पुलिस चोरी हुए माल को ढूंढ लेने के बाद भी सीधे उस माल के मालिक को माल नहीं दे सकती।

तो जनाब ये माल जो चोरी हुआ, तब तक आपका था, जब तक चोरी नहीं हुआ था। अब क्योंकि चोरी हो गया और पुलिस ने उसे बरामद कर लिया तो ये माल हो गया केस प्रॉपर्टी यानी आसान भाषा में कहें तो मुकदमे का खास सबूत।

अब क्योंकि ये बाइक चोर की चोरी का प्रमाण है, तो यदि आपको वापिस कर दिया पुलिस ने, और कल जब कोर्ट ने पूछा के इस चोर ने कौनसी बाइक चुराई थी, तो पुलिस कैसे दिखा पाएगी कि कौन सी बाइक चोरी की थी इस चोर ने। क्योंकि ये हो सकता है कि आप उस बाइक को बेच चुके हों। या बाइक की हालत खराब होने पर कबाड़ी को बेच दें।

अब क्योंकि आपकी बाइक केस प्रॉपर्टी हो गई है। इस कारण आपकी बाइक को कोर्ट ही आपको देगा। ये बात पुलिस को आपको बता देनी चाहिए थी परंतु नही बताई, ना बताने का कारण होता है पुलिस का आपकी बाइक को पर्सनल रूप से इस्तेमाल करने का लालच। क्योंकि ऐसे मामलों में बरामद वाहनों को जब तक वाहन मालिक कोर्ट से छुड़ा नही लेता तब तक पुलिसवाले कार हो या मोटरसाइकिल खूब चलाते घुमाते रहते हैं।

अब क्योंकि आप जान गए हैं तो आप सीधे अपने संबंधित न्यायालय जाएं, एक वकील करें, फिर संबंधित जुडिशल मजिस्ट्रेट को आपके वकील एक एप्लीकेशन देकर आपकी बाइक आपको सौंपने की प्रार्थना करेंगे। मजिस्ट्रेट साहब पुलिस स्टेशन से लिखित में जानकारी प्राप्त करेंगे कि आपकी बाइक वहाँ है या नहीं।

अब जैसे ही मैजिस्ट्रेट सहाब को पुलिस कहेगी कि आपकी बाइक है थाने में, तब आपसे कोर्ट सबूत मांगेगा बाइक के मालिक होने का। आप बाइक के पेपर्स अपना आधार कार्ड आदि कागज़ जमा करेंगे, अदालत संतुष्ट होने पर आपकी बाइक को आपके हवाले करने के आदेश इस शर्त के साथ देगी कि आप दौरान ऐ मुकदमा, यानी जब तक केस चलता है बाइक को बेचेंगे या नष्ट नही करेंगे, और जब भी केस में जरूरत होगी बाइक को पेश करेंगे।

अब आप कोर्ट के आदेश को लेकर पुलिस स्टेशन जाएंगे, और आदेश को पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को देंगे। वो कोर्ट के आदेश अनुसार आपको आपकी बाइक सौंप देगा।

अब आप बाइक लेकर घर आ सकते हैं कोई आपको रोकेगा नहीं। धन्यवाद।

सम्मानित पाठकों का दिल💓 से अभिनंदन💐🙏

रविवार, 12 मार्च 2023

दुनिया को पृथ्वी के गोल होने का कन्फर्म ज्ञान आज से 500-600 साल पहले मिला, जबकि यह मूर्ति जगन्नाथ मंदिर में हजारों साल पहले से है!

 इस मूर्ति को गौर से देखो, यह विष्णु भगवान के वराह अवतार की है जिसमे वह पृथ्वी को समुद्र में से निकालते हुए दिखाए गए है!

अब सबसे बड़ा आश्चर्य ये होता है की इसमें पृथ्वी का आकार गोल दिखाया गया!

और दुनिया को पृथ्वी के गोल होने का कन्फर्म ज्ञान आज से 500-600 साल पहले मिला, जबकि यह मूर्ति जगन्नाथ मंदिर में हजारों साल पहले से है!

सनातन का गौरवपूर्ण इतिहास अपनी चीख-चीख कर अपनी श्रेष्ट होने की गवाही दे रहा है!

इसीलिए तो हमारे विषय का नाम भी भू+गोल रखा, भू+चपटे भी रख सकते थे, क्योंकि हमे ज्ञान था की पृथ्वी किस आकार की है!

हमारा इतिहास तो पत्थरो पर लिखा हुआ है !

सुंदरता देखनी हो तो यूरोप जाओ और अगर सुंदरता के साथ-साथ आश्चर्यके साथ सत्य देखना एवं जानना हो तो हमारे मंदिर आओ !

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जीने के लिए बहुत कुछ छोड़ना पड़ता है। यह सिर्फ हकीकत दिखाने वाली तस्वीर है।

जीने के लिए बहुत कुछ छोड़ना पड़ता है। यह सिर्फ हकीकत दिखाने वाली तस्वीर है। लड़का हो या लड़की दुनिया में बने रहने के लिए आपको बहुत कुछ त्यागना होगा।

बहुत से लोग इस डर से आगे नहीं बढ़ना चाहते कि लोग क्या कहेंगे, कई ऐसे भी हैं जिन्हें इस डर से चलना नहीं आता कि समाज क्या कहेगा, आप नहीं खाओगे तो समाज नहीं देखेगा,

यदि आप असफल होते हैं, तो समाज इसे नहीं देखेगा, लेकिन यदि आप सफल होते हैं, तो समाज आपको प्रसन्न करेगा।यह हमारे समाज की मूल संरचना है।

हां, बहुत से लोग सोचेंगे कि यदि आवश्यक हुआ तो वे मर जाएंगे, लेकिन मैं ऐसा नहीं हो सकता, मैं आपको ऐसा नहीं कह रहा हूं, यदि आप जीना चाहते हैं, तो आपको ऐसा होना होगा, अन्यथा आपको खाने के बिना बैठने के लिए, आपको जीवित रहने के लिए लड़ना होगा।

हो सकता है कि ये लड़की सूरज से मिल जाए, अगर इस गुफा से निकल जाए तो जिंदा रह सकती है, कम से कम खाए बिना तो नहीं मरेगी, गुफा से बाहर निकले तो सब कुछ कर सकती है, लेकिन यहां कोई और मर जाएगा पक्का।

फोटो: एकत्रित की गई

इस फिल्म ने सिर्फ एक वास्तविक तस्वीर पेश की है, किसी के धार्मिक विचार या किसी लड़की के विशिष्ट सम्मान को ठेस नहीं पहुंचाई गई है, हालांकि अगर आपको दर्द महसूस होता है, तो आप डाउनवोट कर सकते हैं।

मैं इतना ही कहूंगा, किसी की चिंता मत करो, जीना है तो सबसे लड़ना होगा। मैं मरने से पहले एक बार जीना चाहता हूं।

धन्यवाद और स्वस्थ रहें 🥰😊🤔

क्या आप मच्छरदानी लगाकर सोते हैं?

 

हमारे घर में बहुत सारे मच्छर हैं।

लेकिन ये साधारण मच्छर नहीं हैं। स्मार्ट, प्रशिक्षित मच्छर। विश्वास नहीं हो रहा? यह देखो

यह मेरा हाथ है मैं मच्छरदानी के अंदर सो रहा हूं। सोते समय किसी तरह मेरा हाथ मच्छरदानी पर लग गया। और मच्छरदानी के बाहर घंटों इंतजार करने के बाद मच्छर इकट्ठे होकर खाने लगे हैं।

तुम समझते हो, अगर तुम मच्छरदानी में घुस गए, तो तुम इन दिनों नहीं बचोगे। घर भी मच्छरों से मुक्त होना चाहिए।

ऐसे में कहीं मच्छर तो ​​नहीं लटका देते? 😐😐

नोट: मैंने तस्वीर नहीं ली। तस्वीर लेने वाले के मुताबिक और भी कई मच्छर थे जो तस्वीर लेते वक्त उड़ गए।

धन्यवाद

😊🥰😊

ध्यान से स्वस्थ रहें

गुरुवार, 9 मार्च 2023

शब्दों की ताकत


शब्दों की ताकत

एक नौजवान चीता पहली बार शिकार करने निकला। अभी वो कुछ ही आगे बढ़ा था कि एक लकड़बग्घा उसे रोकते हुए बोला, “अरे छोटू, कहाँ जा रहे हो तुम ?” “मैं तो आज पहली बार खुद से शिकार करने निकला हूँ !” चीता रोमांचित होते हुए बोला। “हा-हा-हा-, लकड़बग्घा हंसा” अभी तो तुम्हारे खेलने-कूदने के दिन हैं, तुम इतने छोटे हो, तुम्हें शिकार करने का कोई अनुभव भी नहीं है, तुम क्या शिकार करोगे !! लकड़बग्घे की बात सुनकर चीता उदास हो गया।

दिन भर शिकार के लिए वो बेमन इधर-उधर घूमता रहा, कुछ एक प्रयास भी किये पर सफलता नहीं मिली और उसे भूखे पेट ही घर लौटना पड़ा

अगली सुबह वो एक बार फिर शिकार के लिए निकला। कुछ दूर जाने पर उसे एक बूढ़े बन्दर ने देखा और पुछा, “कहाँ जा रहे हो बेटा ?” “बंदर मामा, मैं शिकार पर जा रहा हूँ।” चीता बोला। “बहुत अच्छे” बन्दर बोला, तुम्हारी ताकत और गति के कारण तुम एक बेहद कुशल शिकारी बन सकते हो।

जाओ तुम्हें जल्द ही सफलता मिलेगी। यह सुन चीता उत्साह से भर गया और कुछ ही समय में उसने एक छोटे हिरन का शिकार कर लिया

मित्रों, हमारी ज़िन्दगी में “शब्द” बहुत मायने रखते हैं। दोनों ही दिन चीता तो वही था, उसमें वही फूर्ति और वही ताकत थी पर जिस दिन उसे डिस्करेज किया गया वो असफल हो गया और जिस दिन एनकरेज किया गया वो सफल हो गया।

शिक्षा:-
इस छोटी सी कहानी से हम तीन ज़रूरी बातें सीख सकते हैं :-

पहली, हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अपने “शब्दों” से किसी को Encourage करें, Discourage नहीं। Of Course, इसका ये मतलब नहीं कि हम उसे उसकी कमियों से अवगत न करायें, या बस झूठ में ही एन्करजे करें।

दूसरी, हम ऐसे लोगों से बचें जो हमेशा निगेटिव सोचते और बोलते हों, और उनका साथ करें जिनका Outlook Positive हो।


तीसरी और सबसे अहम बात, हम खुद से क्या बात करते हैं, Self-Talk में हम कौन से शब्दों का प्रयोग करते हैं इसका सबसे ज्यादा ध्यान रखें, क्योंकि ये “शब्द” बहुत ताकतवर होते हैं, क्योंकि ये “शब्द” ही हमारे विचार बन जाते हैं, और ये विचार ही हमारी ज़िन्दगी की हकीकत बन कर सामने आते हैं, इसलिए दोस्तों, Words की Power को पहचानिये, जहाँ तक हो सके पॉजिटिव वर्ड्स का प्रयोग करिये, इस बात को समझिए कि ये आपकी ज़िन्दगी बदल सकते हैं।

जय श्रीराम

इन बातों का रखेंगे ध्यान तो जूते भी चमका सकते हैं आपका भाग्य

इन बातों का रखेंगे ध्यान तो जूते भी चमका सकते हैं आपका भाग्य
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व्यक्ति के पहनावें में उसके कपड़ों के साथ जूते भी बहुत मुख्य होते हैं । कहा जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की हैसियत का अंदाजा लगाना हो तो सबसे पहले उसके जूते देखने चाहिए। चाहे आप किसी से मिलने जाएं, किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में जाएं या फिर नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाएं, जूते व्यक्ति की सभी कार्यों और संघर्ष में सदैव उसके साथ होते हैं। जूते सामने वाले व्यक्ति की नजर में आपकी छवि बनाते हैं, इसलिए जूतों का अच्छा और साफ-सुथरा होना बहुत भी बहुत आवश्यक होता है लेकिन क्या आपको पता है कि ज्योतिष और वास्तु के अनुसार जूतों का संबंध आपके भाग्य से भी होता है। यदि कुछ बातों का ध्यान न रखा जाए तो जूते आपका भाग्य बिगाड़ भी सकते हैं और यदि जूतों से संबंधित कुछ बातों को ध्यान में रखा जाए तो जूते आपका भाग्य चमका भी सकते हैं।

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, कुंडली में आठवें भाव का संबंध पैरों से होता है और जूते पैर में पहने जाते हैं। इसका अर्थ ये हुआ कि जूते आपकी कुंडली में आंठवे भाव को प्रभावित करते हैं इसलिए जूते पहनते समय बहुत ध्यान रखना चाहिए। यदि किसी शुभ कार्य से जा रहे हैं या फिर कहीं इंटरव्यू देने जा रहे हैं तो कभी भी गंदे या फिर फटे जूते पहनकर नहीं जाना चाहिए। इससे आपकी छवि तो खराब होती ही है साथ ही सफल होने की संभावना भी कम हो जाती है।

व्यक्ति को कभी भी चोरी के जूते या फिर दूसरों के लिए हुए जूते नहीं पहने चाहिए। खासतौर पर कहीं पर भी ऐसे जूते पहनकर नहीं जाना चाहिए। माना जाता है कि इससे आपके धन और सेहत दोनों की हानि होती है।

किसी भी व्यक्ति को कभी भी उपहार में जूते नहीं देने चाहिए और न ही किसी से उपहार में जूते लेने चाहिए। इससे आपका शनि खराब हो सकता है। इससे कार्य क्षेत्र में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

जिन लोगों की कुंडली में शनि और राहु प्रभावी होते हैं, उनके लिए जूतों का व्यापार करना बहुत फायदेमंद रहता है। यह व्यक्ति की किस्मत चमका सकता है। जिन लोगों की कुंडली में शनि प्रभावी हो उन्हें काले, नीले और भूरे रंग के जूते पहनने चाहिए।



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