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शुक्रवार, 21 अप्रैल 2023

मनुष्य के कर्म - पाप-पुण्य

 ।। श्रीहरि: ।।
(मनुष्य के कर्म)


महर्षि शुकदेवजी ने राजा परीक्षित को सातवें  दिन समझाते हुए अंतिम उपदेश दिया-

हे राजन ! मृत्युलोक में प्राणी अकेला ही पैदा होता है, अकेले ही मरता है। प्राणी का धन-वैभव घर में ही छूट जाता है। मित्र और स्वजन श्मशान में छूट जाते हैं। शरीर को अग्नि ले लेती है। पाप-पुण्य ही उस जीव के साथ जाते हैं। अकेले ही वह पाप-पुण्य का भोग करता है परन्तु धर्म ही उसका अनुसरण करता है।

‘शरीर और गुण (पुण्यकर्म) इन दोनों में बहुत अंतर है, क्योंकि शरीर तो थोड़े ही दिनों तक रहता है किन्तु गुण प्रलयकाल तक बने रहते हैं। जिसके गुण और धर्म जीवित हैं, वह वास्तव में जी रहा है।’

वेदों में जिन कर्मों का विधान है, वे धर्म (पुण्य) हैं और उनके विपरीत कर्म अधर्म (पाप) कहलाते हैं। मनुष्य एक दिन या एक क्षण में ऐसे पुण्य या पाप कर सकता है कि उसका भोग सहस्त्रों वर्षों में भी पूर्ण न हो।

सूर्य, अग्नि, आकाश, वायु, इन्द्रियां, चन्द्रमा, संध्या, रात, दिन, दिशाएं, जल, पृथ्वी, काल और धर्म- ये सब मनुष्य के कर्मों के साक्षी हैं।



सूर्य रात्रि में नहीं रहता और चन्द्रमा दिन में नहीं रहता, जलती हुई अग्नि भी हर समय नहीं रहती; किन्तु रात-दिन और संध्या में से कोई एक तो हर समय रहता ही है। दिशाएं, आकाश, वायु, पृथ्वी, जल सदैव रहते हैं, मनुष्य इन्हें छोड़कर कहीं भाग नहीं सकता, इनसे छुप नहीं सकता। मनुष्य की इन्द्रियां, काल और धर्म भी सदैव उसके साथ रहते हैं। कोई भी कर्म किसी- न किसी इन्द्रिय द्वारा किसी- न- किसी समय (काल) होगा ही। उस कर्म का प्रभाव मनुष्य के ग्रह-नक्षत्रों व पंचमहाभूतों पर पड़ता है। जब मनुष्य कोई गलत कार्य करता है तो धर्मदेव उस गलत कर्म की सूचना देते हैं और उसका दण्ड मनुष्य को अवश्य मिलता है।

पृथ्वी पर जो मनुष्य-देह है उसमें एक सीमा तक ही सुख या दु:ख भोगने की क्षमता है। जो पुण्य या पाप पृथ्वी पर किसी मनुष्य-देह के द्वारा भोगने संभव नही, उनका फल जीव स्वर्ग या नरक में भोगता है। पाप या पुण्य जब इतने रह जाते हैं कि उनका भोग पृथ्वी पर संभव हो, तब वह जीव पृथ्वी पर किसी देह में जन्म लेता है।

कर्मों के अवशेष भाग को भोगने के लिए मनुष्य मृत्युलोक में स्थावर-जंगम अर्थात् वृक्ष, गुल्म (झाड़ी), लता, बेल, पर्वत और तृण- आदि योनि प्राप्त करता है। ये सब दु:खों के भोग की योनियां हैं। वृक्षयोनि में दीर्घकाल तक सर्दी-गर्मी सहना, काटे जाने व अग्नि में जलाये जाने सम्बधी दु:ख भोगना पड़ता है। यदि जीव कीटयोनि प्राप्त करता है तो अपने से बलवान प्राणियों द्वारा दी गयी पीड़ा सहता है, शीत-वायु और भूख के क्लेश सहते हुए मल-मूत्र में विचरण करना आदि दारुण दु:ख उठाता है।

इसी तरह से पशुयोनि में आने पर अपने से बलवान पशु द्वारा दी गयी पीड़ा का कष्ट पाता रहता है। पक्षी की योनि में आने पर कभी वायु पीकर रहना तो कभी अपवित्र वस्तुओं को खाने का कष्ट उठाना पड़ता है। यदि भार ढोने वाले पशुओं की योनि में जीव आता है तो रस्सी से बांधे जाने, डण्डों से पीटे जाने व हल जोतने का दारुण दु:ख जीव को सहना पड़ता है।

इस संसार-चक्र में मनुष्य घड़ी के पेण्डुलम की भांति विभिन्न पापयोनियों में जन्म लेता और मरता है-


माता-पिता को कष्ट पहुंचाने वाले को कछुवे की योनि में जाना पड़ता है।

मित्र का अपमान करने वाला गधे की योनि में जन्म लेता है।

छल-कपट कर जीवनयापन करने वाला बंदर की योनि में जाता है।

अपने पास रखी किसी की धरोहर को हड़पने वाला मनुष्य कीड़े की योनि में जन्म लेता है।

विश्वासघात करने से मनुष्य को मछली की योनि मिलती है।

विवाह, यज्ञ आदि शुभ कार्यों में विघ्न डालने वाले को कृमियोनि मिलती है।

देवता, पितर व ब्राह्मणों को भोजन न कराकर स्वयं खा लेता है वह काकयोनि (कौए) में जाता है।

इस प्रकार बहुत-सी योनियों में भ्रमण करके जीव किसी महान पुण्य के कारण मनुष्ययोनि प्राप्त करता है। मनुष्ययोनि प्राप्त करके भी यदि दरिद्र, रोगी, काना या अपाहिज जीवन मिले तो बहुत अपमान व कष्ट भोगना पड़ता है।



इसलिए दुर्लभ मनुष्य जन्म पाकर संसार-बंधन से मुक्त होने के लिए प्राणी को भगवान विष्णु की सेवा-आराधना करनी चाहिए क्योंकि वे ही कर्मफल के दाता व संसार-बंधन से छुड़ाने वाले मोक्षदाता हैं। भगवान विष्णु के जो-जो स्वरूप हैं, उनकी भक्ति करने से मनुष्य संसार-सागर आसानी से पार कर परमध ाम को प्राप्त करता है।

भगवान विष्णु ने संसार-सागर से पार होने का उपाय भगवान रुद्र को बताते हुए कहा कि ‘विष्णुसहस्रनाम’ स्तोत्र से मेरी नित्य स्तुति करने से मनुष्य भवसागर को सहज ही पार कर लेता है।

‘जिनका मन भगवान विष्णु की भक्ति में अनुरक्त है, उनका अहोभाग्य है, अहोभाग्य है; क्योंकि योगियों के लिए भी दुर्लभ मुक्ति उन भक्तों के हाथ में ही रहती है।’
(नारदपुराण)

भक्त अपने आराध्य के लोक में जाते हैं। भगवान के लोक में कुछ भी बनकर रहना सालोक्य-मुक्ति है। भगवान के समान ऐश्वर्य प्राप्त करना सार्ष्टि-मुक्ति है। भगवान के समान रूप पाकर वहां रहना सारुप्य-मुक्ति है। भगवान के आभूषणादि बनकर रहना सामीप्य-मुक्ति कहलाती है। भगवान के श्रीविग्रह में मिल जाना सायुज्य-मुक्ति है।

जिस जीव को भगवान का धाम प्राप्त हो जाता है, वह भगवान की इच्छा से उनके साथ या अलग से संसार में दिव्य जन्म ले सकता है। वह कर्मबन्धन में नहीं बंधा होता है। संसार में भगवत्कार्य समाप्त करके वह पुन: भगवद्धाम चला जाता है।

मनुष्य बिना कर्म किए रह नहीं सकता। कर्म करेगा तो पाप-पुण्य दोनों होंगे। लेकिन जो मनुष्य सबमें भगवत्दृष्टि रखकर भगवान की सेवा के लिए, उनकी आज्ञा का पालन करने के लिए और भगवान की प्रसन्नता के लिए कर्म करता है तो उसके कर्म भी अकर्म बन जाते हैं और कर्म-बंधन में नहीं बांधते हैं। वह संसार में रहते हुए भी नित्यमुक्त है।

तत्त्वज्ञानी पुरुष संसार के आवागमन से मुक्त हो जाते हैं। उनके प्राण निकलकर कहीं जाते नहीं बल्कि परमात्मा में लीन हो जाते हैं। सती स्त्रियां, युद्ध में मारे गए वीर और उत्तरायण के शुक्ल-मार्ग से जाने वाले योगी मुक्त हो जाते हैं।

गीता में शुक्ल तथा कृष्ण मार्ग कहकर दो गतियों का वर्णन है-

जिनमें वासना शेष है, वे धुएं, रात्रि, कृष्णपक्ष, दक्षिणायन के देवताओं द्वारा ले जाए जाते हैं। ऊर्ध्वलोक में अपने पुण्य भोगकर वे फिर पृथ्वी पर जन्म लेते हैं।

जिनमें कोई वासना शेष नहीं है, वे अग्नि, दिन, शुक्लपक्ष, उत्तरायण के देवताओं द्वारा ले जाये जाते हैं। वे फिर पृथ्वी पर जन्म लेकर नहीं लौटते हैं।

पितृलोक-
यह एक प्रकार का प्रतीक्षालोक है। एक जीव को पृथ्वी पर जिस माता-पिता से जन्म लेना है, जिस भाई-बहिन व पत्नी को पाना है, जिन लोगों के द्वारा उसे सुख-दु:ख मिलना है; वे सब लोग अलग-अलग कर्म करके स्वर्ग या नरक में हैं। जब तक वे सब भी इस जीव के अनुकूल योनि में जन्म लेने की स्थिति में न आ जाएं, इस जीव को प्रतीक्षा करनी पड़ती है। पितृलोक इसलिए एक प्रकार का प्रतीक्षालोक है।

प्रेतलोक-
यह नियम है कि मनुष्य की अंतिम इच्छा या भावना के अनुसार ही उसे गति प्राप्त होती है। जब मनुष्य किसी प्रबल राग-द्वेष, लोभ या मोह के आकर्षण में फंसकर देह त्यागता है तो वह उस राग-द्वेष के बंधन में बंधा आस-पास ही भटकता रहता है। वह मृत पुरुष वायवीय देह पाकर बड़ी यातना भरी योनि प्राप्त करता है। इसीलिए कहा जाता है- ‘अंते मति: सो गति:! अत: हे राजन!भगवान का भजन ही श्रेयस्कर है।

इसी बात को गोस्वामी तुलसीदासजी ने भी रामचरितमानस में लिखा है-

उमा कहउं मै अनुभव अपना।
सत हरि भजन जगत सब सपना।।

निज अनुभव मैं कहउं खगेसा।
विनु हरि भजन न जाइ कलेसा।।

।। जय भगवान श्रीहरि विष्णु ।।

गुरुवार, 20 अप्रैल 2023

केदारनाथ कि यात्रा पर जाते समय क्या-क्या लेकर जाना चाहिए |

केदारनाथ कि यात्रा पर जाते समय क्या-क्या लेकर जाना चाहिए |
What to carry while traveling to Kedarnath in Hindi



नमस्कार साथियों आज के इस आर्टिकल में हम केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय आपको क्या-क्या लेकर जाना चाहिए इसके बारे में पूरी जानकारी जानने वाले हैं। इस आर्टिकल में हम केवल वैसे ही वस्तु के बारे में बात करेंगे, जिसे ले जाना आपके लिए जरूरी होगा। इस आर्टिकल में बताए गए जानकारी के अलावा भी आप कई सारी अपने जरूरत के हिसाब से वस्तुओं को ले जा सकते हैं। तो चलिए हम जानते हैं, कि आपको केदारनाथ की यात्रा के लिए कौन-कौन से सामान अपने साथ ले जाना जरूरी होता है।

इस आर्टिकल में अपने साथ ले जाने वाले बताए गए जरूरी सामान अगर आप चार धाम की यात्रा पर भी जा रहे हैं, तो भी तकरीबन सभी सामान ले जाना आपके लिए जरूरी होगा। तो चलिए अब हम जान लेते हैं कि आपको केदारनाथ की यात्रा या चार धाम की यात्रा पर जाते समय अपने साथ क्या-क्या जरूरी होता है ले जाना।
विषय - सूचीकेदारनाथ / चार धाम की यात्रा पर जाते समय अपने साथ ले जाने वाले सामानों की लिस्ट –केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय कौन कौन से डॉक्यूमेंट अपने साथ ले जाना चाहिए ?
केदारनाथ की यात्रा पर अपने साथ कितना और कैसा लगेज (बैग) ले जाना चाहिए ?
केदारनाथ की यात्रा पर जाने के लिए अपने साथ कैसा कपड़ा ले जाना उचित रहेगा ?
केदारनाथ की यात्रा के लिए कैसा जूता ले जाना उचित रहेगा ?
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय बारिश से बचने के लिए अपने साथ क्या-क्या ले जाना चाहिए ?
केदारनाथ की यात्रा पर ले जाने वाले कुछ जरूरी सामान –
केदारनाथ की यात्रा के लिए अपने साथ कौन-कौन से दवा ले जाना चाहिए ?
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय अपने साथ कैश ले जाना उचित रहेगा या नहीं ?
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय अपने साथ कौन सी कंपनी का सिम ले जाना चाहिए ?
केदारनाथ / चार धाम की यात्रा पर जाते समय अपने साथ ले जाने वाले सामानों की लिस्ट –
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय कौन कौन से डॉक्यूमेंट अपने साथ ले जाना चाहिए ?


केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय आपके पास आधार कार्ड और यात्रा पास होना जरूरी है। यात्रा पास एक वयस्क व्यक्ति के अलावा बच्चों का भी होना काफी ज्यादा जरूरी है। वैसे आपके पास ये दोनों डॉक्यूमेंट रहेगा, तो आप अपना केदारनाथ की यात्रा आसानी से पूरा कर सकते हैं।

इन दोनों डॉक्यूमेंट के अलावा आप अपने हिसाब से कोई और डॉक्यूमेंट भी ले जा सकते हैं। एक और बात आप अपने साथ ले जाने वाले आधार कार्ड या यात्रा पास का फोटो कॉपी अपने साथ जरूर ले जाए, क्योंकि इसकी जरूरत कभी भी आपको पड़ सकती है।
केदारनाथ की यात्रा पर अपने साथ कितना और कैसा लगेज (बैग) ले जाना चाहिए ?



केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय आपको एक बात की ध्यान रखनी है, कि आप अपने साथ ले जाने वाले जरूरतमंद सामानों को ट्रॉली वाले लगेज (बैग) में ले जाने से बचें, अगर आपके पास खुद की गाड़ी नहीं है तो। क्योंकि आपको ट्रॉली वाले लगेज से कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।

आपको बता दें कि केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय आप अपने साथ दो बैग ले जाए, जिनमें एक बैग 70 से 80 लीटर एवं दूसरा बैग 30 से 40 लीटर का आप अपने साथ ले जाए, यही आपके लिए उचित रहेगा। ऐसा इसलिए कि आप अपने जरूरतमंद सामान जिसे आप कभी-कभी उपयोग करते हैं, उसे आप बड़े बैग में और जिसे आप एनी टाइम प्रयोग में लाते हैं, उसे छोटे बैग में ले जा सकते हैं।

एक बात और जब आप केदारनाथ ट्रेक की यात्रा शुरू करेंगे तो आप अपने साथ घर से ले गए अपना पूरा सामान तो आप केदारनाथ ट्रेक की यात्रा पर ले जाएंगे नहीं, इसलिए जरूरतमंद सामान जो कि केदारनाथ की यात्रा के समय काम आने वाला होगा उसे आप जो छोटा बैग आपके पास होगा उसमे ले जा सकते हैं।

केदारनाथ की यात्रा पर जाने के लिए अपने साथ कैसा कपड़ा ले जाना उचित रहेगा ?

केदारनाथ की यात्रा पर जब भी आप जाएं तो आप अपने साथ दोनों टाइप के कपड़े यानी कि गर्म मौसम के दौरान उपयोग में आने वाले कपड़े और ठंड के मौसम के दौरान उपयोग में आने वाले कपड़े जरूर साथ ले जाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि जब भी आप केदारनाथ की यात्रा पर जाएंगे तो आपको जैसे-जैसे दिन ढलेगा वैसे-वैसे ठंड का सामना अधिक करना होगा।

कभी-कभी तो ऐसा होता है कि गर्मी के दिनों में भी वहां पर स्नोफॉल देखने को मिल जाता है। या कभी-कभी बारिश होने के वजह से भी ठंड में काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखी जा सकती है। केदारनाथ की यात्रा पर आप ऊनी वाले जैकेट, हैंड ग्लॉब्स एवं एक कैप अवश्य ले जाएं। इन सबके अलावा आप अपने पहनावे एवं जरूरत के हिसाब से कपड़े ले जा सकते हैं।

केदारनाथ की यात्रा के लिए कैसा जूता ले जाना उचित रहेगा ?

केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय जूता एवं सॉक्स को लेकर भी लोगों के मन में कन्फ्यूजन होता है, कि यहां पर कैसा जूता एवं कितने जोड़ी सॉक्स ले जाए। आपको बता दें कि आप केदारनाथ की यात्रा पर लेदर वाले जूते या कपड़े वाले जूते ले जाने से बचें, क्योंकि केदारनाथ की यात्रा पर आपको कई जलप्रपात से होकर गुजारना पड सकता है, जिसकी वजह से आपके लेदर वाले जूते या कपड़े वाले जूते आसानी से भीग जाएंगे और सूखने में काफी समय भी लगेगा।

आप यहां पर ट्रेकिंग वाले जूते ले जाएं यह आपके लिए अच्छा रहेगा। इसके अलावा आप यहां पर अपने साथ चार से पांच जोड़ी सॉक्स जरूर ले जाएं।
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय बारिश से बचने के लिए अपने साथ क्या-क्या ले जाना चाहिए ?


केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय आप अपने साथ अपने जरूरत के हिसाब से छाता, रेनकोट एवं अपने साथ ले जाने वाले बैग या सामान के लिए रैन कवर अवश्य ले जाए। एक बात और जितना हो सके आप इन सामानों को अपने शहर से ही खरीद ले। क्योंकि जहां से केदारनाथ की यात्रा शुरू होती है, वहां पर यह सामान मिल तो जाएंगे पर उनकी क्वालिटी कोई खास नहीं होती है।

केदारनाथ की यात्रा पर ले जाने वाले कुछ जरूरी सामान –

केदारनाथ की यात्रा पर आप अपने साथ एक टॉर्च अपने जरूरत के हिसाब से पावर बैंक भी साथ ले जाएं, क्योंकि केदारनाथ ट्रैक की यात्रा पर आपको मोबाइल वगैरह चार्ज करना पड सकता है। और वहां पर बिजली की उतनी सही से व्यवस्था है नहीं। आप अपने साथ एक पानी का बोतल भी अवश्य रखें, क्योंकि यात्रा के दौरान आपके पास बोतल रहने पर वाटरफॉल के पानी का उपयोग कर सकते हैं। इन सबके अलावा आप अपने साथ कुछ खाने के लिए ड्राई फ्रूट भी कैरी कर सकते हैं।

केदारनाथ की यात्रा के लिए अपने साथ कौन-कौन से दवा ले जाना चाहिए ?

केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय आप अपने साथ कुछ मेडिसिन भी कैरी जरूर करें, क्योंकि केदारनाथ की यात्रा पर आपको कुछ दावा जैसे पेन किलर की दावा एवं स्प्रे और बुखार की दवा अवश्य ले जानी चाहिए। इसके अलावा आप अपने साथ कपूर भी जरूर ले जाएं, क्योंकि कभी आपको अगर अधिक थकान या सांस लेने में दिक्कत हो तो आप कपूर का उपयोग कर सकते हैं। इन सबके अलावा आप अपने साथ एक छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर भी ले जा सकते हैं।
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय अपने साथ कैश ले जाना उचित रहेगा या नहीं ?

केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय कैस को लेकर बहुत से लोगों के मन में एक विचार आता है कि यहां पर कैश ले जाना उचित रहेगा या नहीं। तो आपको बता दें की केदारनाथ की यात्रा के दौरान आप अपने साथ अपने जरूरत के हिसाब से कैश जरूर रखें। क्योंकि केदारनाथ की यात्रा के समय आपको एटीएम तो दिखेगा और उसमें पैसा होगा या नहीं इसके बारे में कोई गारंटी नहीं है। अगर आप वहां पर किसी दुकान से पैसा निकलना चाहते हैं, तो आपको वह दुकानदार 5 या 10 पर्सेंट कमीशन ही ले लेगा। इसलिए आप अपने साथ अपने जरूरत के मुताबिक कैश जरूर ले जाएं।

केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय कैस को लेकर एक और प्रश्न लोगों के मन में रहती है, कि क्या हम वहां पर यूपीआई ट्रांजैक्शन नहीं कर सकते। तो आपको बता दें कि यूपीआई ट्रांजैक्शन की व्यवस्था तो आपको कहीं कहीं देखने को मिल जाएंगी पर कभी-कभी नेटवर्क प्रॉब्लम फेस करने की वजह से आप UPI ट्रांजैक्शन नहीं कर पाएंगे। इसलिए आपको अपने साथ कैस ले जाना ही होगा।
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय अपने साथ कौन सी कंपनी का सिम ले जाना चाहिए ?

केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय लोगों के मन में सबसे बड़ा प्रश्न रहता है, कि यहां पर अपने साथ किस कंपनी का सिम लेकर जाना उचित रहेगा। तो आपको बता दें कि केदारनाथ की यात्रा पहले से काफी सरल हो गया है। पहले की तुलना में यहां पर तकरीबन सभी कंपनियों की नेटवर्क देखी जा सकती है।

लेकिन एक बात है कि सभी कंपनियों का नेटवर्क आपको केदारनाथ की यात्रा के दौरान सभी जगहों पर देखने को नहीं मिलेगी। कहीं पर जियो का नेटवर्क रहेगा तो idea नहीं, तो कभी idea का नेटवर्क रहेगा तो बीएसएनल का नहीं। इसलिए आप अपने साथ एक से अधिक कंपनी का सिम ले जाएं, यही आपके लिए उचित रहेगा।

केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय हमें अपने साथ कौन-कौन से सामान ले जाना चाहिए, कौन-कौन से सामान की जरूरत पड़ती है के बारे में लिखा गया यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा हो तो आप इसे अपने दोस्तों या परिवार के सदस्यों के साथ शेयर करें। ताकि जब वह भी यहां पर जाने का प्लान बनाएं तो उन्हें भी इसके बारे में जानकारी हो सके।

अगर आप इस आर्टिकल से जुड़ी हमें कोई राय या सुझाव देना चाहते हैं, तो आर्टिकल के अंत में कमेंट बॉक्स का ऑप्शन आपके लिए ही दिया गया है। वहां पर कमेंट बॉक्स में आप अपना राय या सुझाव हमारे लिए छोड़ सकते हैं।

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