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रविवार, 21 मई 2023

#लोहागर्ल 🚩माहेश्वरी समाज #उत्पत्ति_स्थल ‼️⚜️

⚜️‼️ #लोहागर्ल 🚩माहेश्वरी समाज #उत्पत्ति_स्थल ‼️⚜️
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🚩#लोहार्गल जहां पानी से गल गए थे पांडवों के अश्त्र शस्त्र?
राजस्थान के शेखावटी इलाके के झुंझुनूं जिले से 70 कि. मी. दूर अरावली पर्वत की घाटी में बसे उदयपुरवाटी कस्बे से करीब दस कि.मी. की दूरी पर स्थित है लोहार्गल। *जिसका अर्थ होता है जहां लोहा गल जाए।*

यह राजस्थान का पुष्कर के बाद दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ है। इस तीर्थ का सम्बन्ध पांडवो, भगवन परशुराम, भगवान सूर्य और भगवान विष्णु एवं #माहेश्वरी_समाज से है।

यहाँ गले थे पांडवों के हथियार महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था, लेकिन जीत के बाद भी पांडव अपने परिजनों की हत्या के पाप से चिंतित थे। लाखों लोगों के पाप का दर्द देख श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि जिस तीर्थ स्थल के तालाब में तुम्हारे हथियार पानी में गल जायेंगे वहीं तुम्हारा मनोरथ पूर्ण होगा।

 घूमते-घूमते पाण्डव लोहार्गल आ पहुँचे तथा जैसे ही उन्होंने यहाँ के सूर्यकुण्ड में स्नान किया, उनके सारे हथियार गल गये। इसके बाद शिव जी की आराधना कर मोक्ष की प्राप्ति की। उन्होंने इस स्थान की महिमा को समझ इसे तीर्थ राज की उपाधि से विभूषित किया।

यहां प्राचीन काल से निर्मित सूर्य मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसके पीछे भी एक अनोखी कथा प्रचलित है। प्राचीन काल में काशी में सूर्यभान नामक राजा हुए थे, जिन्हें वृद्धावस्था में अपंग लड़की के रूप में एक संतान हुई। 

राजा ने भूत-भविष्य के ज्ञाताओं को बुलाकर उसके पिछले जन्म के बारे में पूछा। तब विद्वानों ने बताया कि पूर्व के जन्म में वह लड़की मर्कटी अर्थात बंदरिया थी, जो शिकारी के हाथों मारी गई थी। शिकारी उस मृत बंदरिया को एक बरगद के पेड़ पर लटका कर चला गया, क्योंकि बंदरिया का मांस अभक्ष्य होता है।

 हवा और धूप के कारण वह सूख कर लोहार्गल धाम के जलकुंड में गिर गई किंतु उसका एक हाथ पेड़ पर रह गया। बाकी शरीर पवित्र जल में गिरने से वह कन्या के रूप में आपके यहाँ उत्पन्न हुई है। 

विद्वानों ने राजा से कहा, आप वहां पर जाकर उस हाथ को भी पवित्र जल में डाल दें तो इस बच्ची का अंपगत्व समाप्त हो जाएगा। राजा तुरंत लोहार्गल आए तथा उस बरगद की शाखा से बंदरिया के हाथ को जलकुंड में डाल दिया।

 जिससे उनकी पुत्री का हाथ स्वतः ही ठीक हो गया। राजा इस चमत्कार से अति प्रसन्न हुए। विद्वानों ने राजा को बताया कि यह क्षेत्र भगवान सूर्यदेव का स्थान है। उनकी सलाह पर ही राजा ने हजारों वर्ष पूर्व यहां पर सूर्य मंदिर व सूर्यकुंड का निर्माण करवा कर इस तीर्थ को भव्य रूप दिया।

भगवान विष्णु ने लिया था मतस्य अवतार यह क्षेत्र पहले ब्रह्मक्षेत्र था। माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान विष्णु ने शंखासूर नामक दैत्य का संहार करने के लिए मत्स्य अवतार लिया था। शंखासूर का वध कर विष्णु ने वेदों को उसके चंगुल से छुड़ाया था। इसके बाद इस जगह का नाम ब्रह्मक्षेत्र रखा।

🚩परशुराम जी ने भी किया था यहां प्रायश्चित।

विष्णु के छठें अंशअवतार भगवान परशुराम ने क्रोध में क्षत्रियों का संहार कर दिया था, लेकिन शान्त होने पर उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। तब उन्होंने यहां आकर पश्चाताप के लिए यज्ञ किया तथा पाप मुक्ति पाई थी।

यहाँ एक विशाल बावड़ी भी है जिसका निर्माण महात्मा चेतनदास जी ने करवाया था। यह राजस्थान की बड़ी बावड़ियों में से एक है। पहाड़ी पर सूर्य मंदिर के साथ ही वनखण्डी जी का मन्दिर है। कुण्ड के पास ही प्राचीन शिव मन्दिर, हनुमान मन्दिर तथा पाण्डव गुफा स्थित है। इनके अलावा चार सौ सीढ़ियाँ चढने पर मालकेतु जी के दर्शन किए जा सकते हैं।

 श्रावण मास में भक्तजन यहाँ के सूर्यकुंड से जल से भर कर कांवड़ उठाते हैं। यहां प्रति वर्ष माघ मास की सप्तमी को सूर्यसप्तमी महोत्सव मनाया जाता है, जिसमें सूर्य नारायण की शोभायात्रा के अलावा सत्संग प्रवचन के साथ विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।

मालकेतु बाबा की चौबीस कोसी परिक्रमा भाद्रपद मास में श्रीकृषण जन्माष्टमी से अमावस्या तक प्रत्येक वर्ष लोहार्गल के पहाडो में हज़ारों लाखों नर-नारी 24 कोस की पैदल परिक्रमा करते हैं जो मालकेतु बाबा की चौबीस कोसी परिक्रमा के नाम से प्रसिद्ध है। 

पुराणों में परिक्रमा का महात्म्य अनंत फलदायी बताया है। अब यह परिक्रमा और ज्यादा प्रासंगिक है। हरा-भरा वातावरण। औषधि गुणों से लबरेज पेड़-पौधों से आती शुद्ध-ताजा हवा और ट्रैकिंग का आनंद यहां है। और फिर खुशहाली की कामना से अनुष्ठान तो है ही। अमावस्या के दिन सूर्यकुण्ड में पवित्र स्नान के साथ यह परिक्रमा विधिवत संपन्न होती है।
     
☀!! श्री हरि: शरणम् !!🙏 !!जय महेश !!☀
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गरुड़गंगा,जहां की शिला घर में रखने पर,हर बाधा हो जाती है दूर

गरुड़गंगा,जहां की शिला घर में रखने पर,हर बाधा हो जाती है दूर

गरुड़ गंगा, पीपलकोटी से श्री बदरीनाथ मार्ग में 3 किलोमीटर पर स्थित है, इस गांव को गरुड़गंगा या पाखी भी कहा जाता है। गरुड़ के पंख जैसा यह गांव इसके बीच अलकनंदा की और उतरती हुई गरुड़ गंगा प्रसिद्ध नदी है।


बदर्या दक्षिणे भागे गन्धमादन पर्वते।
गरूडस्तप आतेपे हरिवाहनकाम्यया।।

(स्कंद पुराण, वैष्णव खण्ड, अध्याय 4, श्लोक 3)

स्कन्द पुराण के अनुसार गरुड़ जी ने श्री बदरीनाथ धाम के दक्षिण भाग में स्थित गंधमादन पर्वत पर 30,000 वर्षों तक दिव्य तपस्या की हैं,और भगवान विष्णु का वाहन होने का सौभाग्य प्राप्त किया।

त्रिंशद्वर्षसहस्त्राणि, हरिदर्शनलालसः।

ततस्तु भगवान्साक्षात् , पीतवासा निजायुधः।।

(स्कंद पुराण, वैष्णव खण्ड, अध्याय 4, श्लोक 5)


आज भी यहाँ गरुड़ मंदिर विराजमान है और कहा जाता है कि इस गरुड़ गंगा के पत्थर को घर में रखने पर सर्प-बाधा दूर हो जाती हैं, यहाँ के लोग सर्पदंश पर पत्थर को दवा के रूप में प्रयोग करते हैं।

गरुड़ गंगा शिला भागो, यत्र तिष्ठति मत्प्रिये।

न तत्र सर्पज भयं,विष-व्याधिर्न जायते।।

बदरीं त्वं प्रयाहीती,नारदेन निषेविताम्।

स्नानं नारदतीर्थादावुपवासत्रयं शुचिः।।

कृत्वा मद्दर्शनं तत्र, सुलभं ते भविष्यति।।

(स्कंद पुराण, वैष्णव खण्ड, अध्याय 4, श्लोक 24)

गरुड़ जी वरदान प्राप्त करने के बाद श्री बदरीनाथ धाम पहुँचे और गरुड़ शिला नामक स्थान पर 3 दिन की तपस्या करने के बाद भगवान बदरीनाथ जी से गरुड़ जी का पुनः साक्षात्कार हुआ।

“औषधीय गुणों वाला किलमोड़ा का पेड़” Berberis aristata benefits

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको उत्तराखंड में पाया जाने वाला “औषधीय गुणों वाला किलमोड़ा का पेड़”  Berberis aristata benefits के बारे में बताने वाले हैं यदि आप जानना चाहते है उत्तराखंड में पाया जाने वाला “औषधीय गुणों वाला किलमोड़ा का पेड़”  Berberis aristata benefits के बारे में तो इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े|

kilmoda

किलमोड़ा देवभूमि का औषधीय प्रजाति-

किलमोड़ा उत्तराखंड के 1400 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर मिलने वाला एक औषधीय प्रजाति है। इसका बॉटनिकल नाम ‘बरबरिस अरिस्टाटा’ है। यह प्रजाति दारु हल्दी या दारु हरिद्रा के नाम से भी जानी जाती है। पर्वतीय क्षेत्र में उगने वाले किल्मोड़े से अब एंटी डायबिटिक दवा तैयार होगी।

किलमोड़ा पौधा दो से तीन मीटर ऊंचा होता है। पहाड़ में पायी जाने वाली कंटीली झाड़ी किनगोड़ आमतौर पर खेतों की बाड़ के लिए प्रयोग होती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह औषधीय गुणों से भी भरपूर है। कुमाऊं विवि बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग ने इस दवा के सफल प्रयोग के बाद अमेरिका के इंटरनेशनल पेटेंट सेंटर से पेटेंट भी हासिल कर लिया है। विवि की स्थापना के बाद अब तक यह पहला पेटेंट है

वनस्पति विज्ञान में ब्रेवरीज एरिस्टाटा को पहाड़ में किलमोड़ा के नाम से जाना जाता है। इसकी करीब 450 प्रजातियां दुनियाभर में पाई जाती हैं। भारत, नेपाल, भूटान और दक्षिण-पश्चिम चीन सहित अमेरिका में भी इसकी प्रजातियां हैं।
किलमोड़े के फल में पाए जाने वाले एंटी बैक्टीरियल तत्व शरीर को कई बींमारियों से लड़ने में मदद देते हैं। दाद, खाज, फोड़े, फुंसी का इलाज तो इसकी पत्तियों में ही है। डॉक्टर्स कहते हैं कि अगर आप दिनभर में करीब 5 से 10 किलमोड़े के फल खाते रहें, तो शुगर के लेवल को बहुत ही जल्दी कंट्रोल किया जा सकता है। इसके अलावा खास बात ये है कि किलमोड़ा के फल और पत्तियां एंटी ऑक्सिडेंट कही जाती हैं। एंटी ऑक्सीडेंट यानी कैंसर की मारक दवा। किलमोडा के फलों के रस और पत्तियों के रस का इस्तेमाल कैंसर की दवाएं तैयार करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि वैज्ञानिकों और पर्यवरण प्रेमियों ने इसके खत्म होते अस्तित्व को लेकर चिंता जताई है। इसके साथ किलमोड़े के तेल से जो दवाएं तैयार हो रही हैं, उनका इस्तेमाल शुगर, बीपी, वजन कम करने, अवसाद, दिल की बीमारियों की रोक-थाम करने में किया जा रहा है। इसके पौधे कंटीली झाड़ियों वाले होते हैं और एक खास मौसम में इस पर बैंगनी फल आते हैं।

किल्मोडा पौधे के औषधीय गुण 

  • किल्मोडा की ताज़ा जड़ों का उपयोग मधुमेह और पीलिया के इलाज के लिए किया जाता है। जड़ों में कुल क्षारीय सामग्री 4% और उपजी में है, 1.95%, जिनमें से बेरबेरिन क्रमशः 09 और 1.29% है।
  • किल्मोडा (बर्बेरिस एशियाटिक) अर्क ने शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट गतिविधि को दिखाया जो स्वस्थ दवा और खाद्य उद्योग दोनों में लागू होता है।
  • यह गठिया के इलाज में भी उपयोगी होता हैं|
  • किल्मोड़ा के फलों के रस और पत्तियों के रस का इस्तेमाल कैंसर की दवाएं तैयार करने के लिए किया जा सकता है।
  • इस पौधे में एंटी डायबिटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी ट्यूमर, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं। डायबिटीज के इलाज में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
  • इस पौधे की जडो का रस  पेट दर्द में तुरंत आराम देती है|
किलमोड़ा का उपयोग कैसे करते हैं kilmora ka upyog kese kare?

सामान्य रूप में किलमोड़ा के नीले रंग के फल को खाया जाता है। इसके साथ ही इसकी जड़ों का प्रयोग भी औषधि के रूप में किया जाता है। 

मधुमेह अथवा शुगर में किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग 
Sugar me kilmora ki jadho ka prayog:

मधुमेह अथवा शुगर से ग्रसित लोगों के लिए किलमोड़ा एक नायाब औषधि है। इसके लिए किलमोड़ा की ताजा जड़ों को उबाल कर इसका अर्क तैयार किया जाता है। यह अर्क गाढ़ा पीले रंग का होता है, शुगर से ग्रसित व्यक्ति को यह अर्क दैनिक रूप से 15 से 20 ml दिन में 3 बार तक लिया जा सकता है। इसके नियमित उपयोग से रक्त में शर्करा के स्तर को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

ध्यान रहे अधिक मात्रा में किलमोड़ा के जड़ का अर्क लेना शरीर में रक्तचाप तथा गुर्दे की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर चिकित्ससककता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। इस लिए किलमोड़ा के अर्क का प्रयोग प्रारम्भ करने से पूर्व चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है।

इसकी जड़ों में कुल 4 प्रतिशत क्षारीय तत्व तथा तने में तने में 1.95 प्रतिशत क्षारीय तत्व पाये जाते हैं। इसमें बेरबेरीन नामक तत्व क्रमशः 2.09 प्रतिशत व 1.29 प्रतिशत पाया जाता है।

एक शोध के अनुसार किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग कैंसर रोधी गतिविधि के लिए औषधि के रूप में किया जा सकता है।

मधुमेह अथवा शुगर में किलमोड़ा के फलों तथा फल से तैयार जूस का प्रयोग Sugar me kilmora ke falon ttha fal se teyaar juice ka prayog:
मधुमेह अथवा शुगर से ग्रसित लोगों के लिए किलमोड़ा के फलों तथा फल से तैयार जूस का प्रयोग भी काफी फायदेमंद रहा है। अनुसंधान से ज्ञात हुआ है कि दैनिक रूप में किलमोड़ा के 8 से 10 फल खाने से रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करने में सहायता मिलती है।

पीलिया में किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग
 piliya me kilmora ki jadho ka prayog:
किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग पीलिया की दवा बनाने में भी किया जाता है। पीलिया रोगी को बिना विशेषज्ञ की सलाह के किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग करने से बचने की सलाह दी जाती है।

गठिया के उपचार में किलमोड़ा के तने का प्रयोग 
Gathiya me kilmora ke tane ka prayog:
एक अनुसंधान के अनुसार किलमोड़ा के तने से निकाले गये तेल की मालिस करने से गठिया रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ ही किलमोड़ा के फल तथा फलों से तैयार जूस का सेवन करने से गठिया के कारण होने वाली सूजन को कम करने में भी मदद मिलती है।

किलमोड़ा के फलों तथा सब्जी के फायदे 
Kilmora ke falon ttha sabji ke fayde:
किलमोड़ा के फलों तथा सब्जी का सेवन शरीर में कई प्रकार के ऑक्सीडेटिव तनाव के जोखिम को कम करने के लिए जाना जाता है। किलमोड़ा का प्रयोग हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर के खतरे से बचाने तथा तनाव को कम करने में भी सहायक है।

यह सभी स्वास्थ्य लाभ किलमोड़ा में पाये जाने वाले पॉलीफेनोल्स, कैरोटीनॉयड और विटामिन-सी जैसे फाइटोकेमिकल्स की उपस्थिति के कारण होते हैं। इन फाइटोकेमिकल्स में पॉलीफेनोल्स को एंटीइफ्लामेंट्री, एंटीवायरल, एंटीवेक्टिरियल तथा एंटीऑक्सिडेंट तत्व के रूप में पहचाना जाता है।

उक्त तथ्यों से पता चलता है कि, पारंपरिक फलों के अतिरिक्त किलमोड़ा जैसे जंगली फलों में उच्च फेनोलिक्स पाया जाता है। यही तत्व लिपोप्रोटीन के ऑक्सीकरण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा खपत के बाद प्लाज्मा में एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा में वृद्धि भी करता है।

गुरुवार, 18 मई 2023

तीसरी कक्षा का रजिस्टर

*तीसरी कक्षा का रजिस्टर*

डिप्रेशन ग्रस्त एक सज्जन जब 50+ के हुए  थे....तो उनकी पत्नी  ने काउंसलर का appointment  लिया जो ज्योतिषी भी था।
रूबरू बात में कहा कि ये भयंकर डिप्रेशन में हैं , कुंडली भी देखो इनकी...।  मन का हाल भी बता दिया... और कहा कि मैं भी ठीक नहीं हूँ ।।

ज्योतिषी ने कुंडली देखी, सब सही पाया । अब उसने काउंसलिंग शुरू की । फिर सज्जन की पत्नी को बाहर बैठने को कहा और कुछ पर्सनल बातें भी पूछीं।

सज्जन बोलते गए....
बहुत परेशान हूँ,,, चिंताओं  से दब गया हूँ,,  नौकरी का प्रेशर।।। बच्चों के एज्युकेशन  और जॉब की टेंशन।।। घर का लोन। कार का लोन।।। कुछ मन नहीं करता, 

दुनियाँ तोप समझती है.. पर मेरे पास कारतूस जितना सामान भी नहीं...!!!

मैं डिप्रेशन में हूँ ... कहते हुए पूरी जीवन किताब खोल दी।
तब
काउंसलर   ने  कुछ सोचा और  पूछा..... 
*तीसरी (class3)* में किस स्कूल में पढ़ते थे... ?

सज्जन ने उसे स्कूल का नाम बता दिया... 

काउंसलर ने कहा आपको  उस स्कूल जाना होगा ...

वहाँ आपकी  तीसरी क्लास के  सारे रजिस्टर लेकर आना होगा...  

सज्जन स्कूल गए... रजिस्टर लाए ।काउंसलर ने  कहा अपने साथियों का वर्तमान हालचाल की जानकारी लाने की कोशिश करो । उसे डायरी में लिख और एक माह बाद  मिलना।

कुल 4 रजिस्टर । जिसमें 200 नाम  थे ।
और महीना भर दिन रात घूमा...  और बमुश्किल 120 अपने सहपाठियों के बारे में जानकारी एकत्रित कर पाए।

आश्चर्य उसमें से 20% लोग मर चुके थे ।

7 % लड़कियाँ विधवा । और 13 % तलाकशुदा या सेपरेटेड  थी।। 15 % नशेड़ी निकले, जो बात करने लायक़ नहीं थे । 20 % का पता ही नहीं चला की अब वो कहाँ है  ??? 
5 % इतने ग़रीब निकले कि पूछो मत...,5 % इतने अमीर निकले कि उनसे पूछा ही नहीं गया ।।

कुछ कैंसर ग्रस्त।

6-7 % लकवा या डायबिटीज़, अस्थमा  या दिल के रोगी निकले, 3-4% का एक्सीडेंट्स में हाथ/पाँव या रीढ़ की हड्डी में चोट से बिस्तर पर थे।।

2 से 3% के बच्चे पागल..वेगाबॉण्ड... या निकम्मे  निकले!! 
1 जेल में था..  और।

1 अब 50 की उम्र  सैटल हुआ था इसलिए अब शादी करना चाहता था...

1 अभी भी सैटल नहीं था और दो तलाक़ के बावजूद तीसरी शादी की फ़िराक़ में था...

महीने भर में ... “तीसरी कक्षा के सारे रजिस्टर ” भाग्य की व्यथा ख़ुद ही सुना रहा था...

काउंसलर ने खुद पूछा । अब बताओ डिप्रेशन कैसा है ???

अब सज्जन को समझ आ गई कि उसे कोई बीमारी नहीं, वो भूखा नहीं मर रहा,  दिमाग एकदम सही है,  कचहरी पुलिस वकीलों  से उसका पाला नही पड़ा,,,उसके बीवी,बच्चे बहुत अच्छे हैं, स्वस्थ हैं, वो भी स्वस्थ है। डाक्टर, अस्पताल से पाला नही पड़ा।

उन्होंने रियलाइज़ किया कि दुनियाँ में वाक़ई बहुत दु:ख हैं..मै बहुत सुखी और भाग्यशाली हूँ... दो बात तय हुई आज कि...
धीरूभाई अम्बानी बनें या न बनें न सही..और भूखा नहीं मरे....बीमार बिस्तर पर न गुजारें,,, जेल में दिन न गिनना पड़े तो ऊपर वाले को धन्यवाद देना कि सब सर्वोत्तम है।

*क्या अब आपको भी ऐसा लगता है। कि आप डिप्रेशन में हैं ।।* 

*अगर आप को भी ऐसा लगता है  तो आप भी तीसरी कक्षा का रजिस्टर स्कूल जाकर ले आएं ।*

🙏🙏

*जो प्राप्त है-पर्याप्त है*
*जिसका मन मस्त है*
*उसके पास समस्त है!!*



*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*


  

शुक्रवार, 12 मई 2023

गरुड़ संजीवनी.

गरुड़ संजीवनी...
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गरुड़ काष्ठ वास्तव में गरुड़ नामक एक विशाल वृक्ष की फली होती है जो देखने में किसी सर्प के समान लगती है और १ मीटर तक हो सकती है। इसके ऊपर एक बहुत महीन पारदर्शी परत चढ़ी रहती है जो देखने में किसी साँप की केंचुली के समान लगती है। यह एक दुर्लभ वृक्ष है और बहुत ही कम स्थानों पर पाया जाता है। ये इस पृथ्वी पर उत्पन्न सबसे प्राचीन वृक्षों में से एक है जिसकी उत्पत्ति लगभग ३ अरब वर्ष पहले बताई गयी है।

इसकी उत्पत्ति के बारे में एक कथा आती है कि जब अपनी माता विनता को अपनी विमाता कुद्रू के दासत्व से मुक्त कराने के लिए जब गरुड़ स्वर्ग से अमृत लेकर वापस आ रहे थे तो उसकी कुछ बूँदें पृथ्वी पर गिर जाने के कारण एक वृक्ष की उत्पत्ति हुई। गरुड़ के नाम पर ही उस वृक्ष का नाम गरुड़ वृक्ष पड़ा। अमृत से जन्में होने के कारण इसके गुणों को भी अमृत के समान ही बताया गया है।

जैसा कि बताया गया है, गरुड़ वृक्ष और उसकी लकड़ी अद्भुत औषधीय गुणों से भरी होती है। जिस प्रकार गरुड़ नागों के शत्रु माने गए हैं, ये वृक्ष भी कुछ वैसा ही है।

कहा जाता है कि जिस स्थान पर गरुड़ वृक्ष लगा होता है वहाँ से १०० मीटर की परिधि में कोई नाग अथवा सर्प नहीं आ सकता। ऐसी मान्यता है कि यदि कोई सर्प इस वृक्ष के निकट जाएगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी।

गाँवों में लोग इस कारण भी इस वृक्ष को अपने घर के सामने लगाते हैं ताकि साँप और अन्य विषैले कीड़े मकोड़ों से उनकी सुरक्षा हो सके।

इस वृक्ष की पत्तियाँ भी बेलपत्र के समान ही तीन-तीन के समूहों में होती हैं। अपनी अद्वितीय औषधीय गुणों के कारण इसका एक नाम गरुड़ संजीवनी भी है। इसके वास्तु और ज्योतिष चमत्कार भी बताये गए हैं। कहते हैं जो कोई भी इसकी फली अपने शयनकक्ष में रखता है उसे सर्पों के दुःस्वप्न भी नहीं आते। इसे अपने पास रखने से मनुष्य को कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है। इसकी फली पर कुमकुम लगा कर अपनी तिजोरी में रखने पर माता लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है।

सर्पदंश में ये फली साक्षात् संजीवनी के समान बताई गयी है। यदि किसी व्यक्ति को किसी सर्प ने काट लिया हो तो उस फली को जल में डुबा कर उस जल को पीड़ित को पिलाने से उसका विष तत्क्षण उतर जाता है। इस जड़ी को पानी में रात भर डुबा कर रखने के बाद यदि उससे किसी व्यक्ति को स्नान करा दिया जाये तो भयंकर से भयंकर विष भी उतर जाता है।

हालाँकि इसके विषय में कुछ भ्रामक जानकारियाँ भी फैली है जिसे बता कर लोगों को ठगा भी जाता है। ऐसी ही एक भ्रामक जानकारी दी जाती है कि ये फली अपने आप जमीन में गड़े खजाने को ढूँढ़ लेती है, जो कि सच नहीं है।

इसकी फली की भी एक अद्भुत विशेषता होती है कि ये सदैव पानी की धार के विपरीत दिशा में चलती है। यहाँ तक कि यदि इसके ऊपर आप पानी गिराएंगे तो ये उसकी धार के साथ-साथ ऊपर आ जाएगी। इसके अतिरिक्त शायद ही कोई निर्जीव चीज इस प्रकार पानी की धार के विरुद्ध तैर सके। इसे देखना वाकई किसी चमत्कार से कम नहीं है।
हालाँकि वैज्ञानिक इसे चमत्कार नहीं बल्कि वैज्ञानिक प्रक्रिया मानते हैं। उनके अनुसार चूँकि गरुड़ वृक्ष की डली घुमावदार होती है इसी कारण ये पानी के विपरीत दिशा में तैरती है। किन्तु इस प्रकार की घुमावदार चीजें कई हैं जैसे अन्य लकड़ी, प्लास्टिक इत्यादि, किन्तु इनमें से कोई भी चीज इस प्रकार पानी की धार से विपरीत दिशा में नहीं तैर सकती। इससे इस वृक्ष की विशेषता सिद्ध होती है।

वैसे तो शहरों के लिए ये लकड़ी नयी है किन्तु आज भी देश के जंगलों में रहने वाली जनजाति इसका उपयोग करती है। छत्तीसगढ़, झारखण्ड आदि राज्यों के आदिवासी लोग इस जड़ी का आज भी सर्पों से रक्षा के लिए उपयोग करते हैं।

गुरुवार, 11 मई 2023

कमाल की है ‘#मूंग_की_दाल’हम इसे बीमारियों में क्यों खाते हैं..?

कमाल की है ‘#मूंग_की_दाल’
हम इसे बीमारियों में क्यों खाते हैं..?

सभी जानते हैं कि दालें प्रोटीन से भरपूर होती हैं, लेकिन दालों में सबसे उत्तम, #स्वास्थवर्द्धक तथा #शक्तिवर्द्धक #दाल_मूंग की होती है।

● मूंग की दाल की खास बात है कि यह #सुपाच्य होती है।

● इसके अतिरिक्त मूंग की दाल में #कार्बोहाइड्रेट, कई प्रकार के #विटामिन, #फॉस्फोरस और #खनिज तत्व पाए जाते हें, जो अनेक बीमारियों से लड़ने की क्षमता रखते हैं।

● मूंग साबूत हो या धुली, पोषक तत्वों से भरपूर होती है।

● अंकुरित होने के बाद तो इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों #कैल्शियम, #आयरन, #प्रोटीन, #कार्बोहाइड्रेट और #विटामिन्स की मात्रा दोगुनी हो जाती है।अंकुरित मूंग दाल में #मैग्नीशियम, #कॉपर, #फोलेट, #राइबोफ्लेविन, #विटामिन_सी, #फाइबर, #पोटेशियम, #फॉस्फोरस, #मैग्नीशियम, #आयरन, #विटामिन_बी_6, #नियासिन, #थायमिन और #प्रोटीन होता है।

● कुछ लोगों को लगता है कि मूंग दाल बीमारी में खाने के लिए होती है, जबकि मूंग दाल में इतने पौष्टिक तत्व होते है कि अपनी खुराक में उसे शामिल करना ही चाहिए।

● मात्र एक कटोरी पकी हुई मूंग की दाल में 100 से भी कम केलौरी होती है।

● इसे खाने के बाद लम्बे समय तक भूख नहीं लगती है।

● रात के खाने में रोटी के साथ एक कटोरी मूंग दाल खाने से भरपूर पोषण मिलता है और जल्द ही बढ़ा वजन कम होता है।

● इस तरह मोटापा घटने में मूंग दाल महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

● शोध बताते हैं कि मूंग दाल खाने से त्वचा कैंसर से सुरक्षा भी मिलती है।

● मूंग की मदद से आसानी से रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है, साथ ही मूंग कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करती है।

● ये सोडियम के प्रभाव को कम कर देती है, जिससे रक्तचाप बढ़ता नहीं है।

● मूंग आयरन की कमी को पूरा करने में सक्षम है।
आमतौर पर, शाकाहारी लोग अपने खाने में कम आयरन लेते हैं।

● अपनी खुराक में मूंग को शामिल करके आयरन की कमी दूर की जा सकती है, जिससे एनीमिया का जोखिम भी अपनी आप कम हो जाएगा।

● दाद, खाज-खुजली की समस्या में मूंग की दाल को छिलके सहित पीस कर लेप बनाकर उसे प्रभावित जगह पर लगाने से लाभ होता है।

● टायफॉयड होने पर मूंग की दाल खाने से मरीज को बहुत आराम मिलता है।

● किसी भी बीमारी के बाद शरीर कमजोर हो जाता है।

● मूंग की दाल खाने से शरीर को ताकत मिलती है।

● मूंग की दाल के लेप से ज्यादा पसीना आना भी रुक जाता है।

● दाल को हल्का गर्म करके पीस लें। फिर इस पाउडर में कुछ मात्रा पानी की मिला कर लेप की तरह पूरे शरीर पर मालिश करें, ज्यादा पसीना आने की शिकायत दूर हो जाएगी।

● मूंग को अंकुरित करके भी उपयोग में लाया जा सकता है, यह बहुत ही गुणकारी और स्वास्थ्वर्द्धक है तथा इसके सेवन से अनेक रोगों से बचाव किया जा सकता है और मुक्ति पायी जा सकती है।

● अंकुरित मूंग का सेवन अवश्य करना चाहिए क्योंकि यह शरीर में आवश्यक तत्वों की कमी पूरी करती है और शरीर को मजबूत बनाती है।

● यह सुपाच्य भी है।

● इससे बेहतर शाकाहारी खाद्य सामग्री कोई नहीं होती है।

● अंकुरित मूंग में ग्लूकोज लेवल बहुत कम होता है इस वजह से मधुमेह रोगी इसे खा सकते हैं।

● अंकुरित मूंग के सेवन से पाचन क्रिया हमेशा सही बनी रहती है जिसके कारण पेट सम्बंधी समस्या नहीं होती है और जीवन खुशहाल रहता है।

● अंकुरित मूंग में शरीर के विषाक्त तत्वों को निकालने का गुण होता है।

● इसके सेवन से शरीर में विषाक्त तत्वों में कमी आती है और शरीर स्वस्थ तथा चुस्त रहता है।

● अंकुरित मूंग का नियमित सेवन करने से उम्र का असर जल्दी ही चेहरे पर दिखाई नहीं देता है।

● अंकुरित मूंग में पेप्टिसाइड होता है जो रक्तचाप को संतुलित रखता है और शरीर को स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनाए रखने में कारगर होता है।

● अंकुरित मूंग में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जिससे अपच और कब्ज की समस्या नहीं होती है तथा पाचन क्रिया दुरुस्त बनी रहती है।

● मूंग की दाल में ऐसे गुण होते हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देते हैं और उसे बीमारियों से लड़ने की ताकत देते हैं।

अब मर्जी आपकी, आप मूंग की दाल खायें या कुछ और।

बुधवार, 10 मई 2023

सोलह_प्रकार_की_माताएँ

#सोलह_प्रकार_की_माताएँ!!!!!!! 

#गुरुपत्नी , राजपत्नी , देवपत्नी , पुत्रवधु , माता की बहिन , पिता की बहिन , शिष्यपत्नी , भृत्य पत्नी ( नौकर की पत्नी ) , मामी , पिता की पत्नी ( माता और विमाता ) , भाई की पत्नी , सास , बहिन , बेटी , गर्भ में धारण करने वाली ( जन्मदात्री ) तथा इष्टदेवी - ये पुरुष की #सोलह_माताएं हैं ! 

#गुरुपत्नी_राजपत्नी_देव्पतनी_तथा_वधु: !
पित्रो: स्वसा शिष्यपत्नी भृत्यपत्नी च मातुली !!
पितृपत्नी भ्रातृपत्नी श्वभृशच भगिनी सुता !
गर्भधात्रीषट्देवी च पुन्सः षोडश मातरः !!

- #ब्रह्मवैवर्त्य_पुराण

ॐ त्र्यंबकम् मंत्र के 33 अक्षर महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 देवताआं के घोतक हैं।

ॐ त्र्यंबकम् मंत्र के 33 अक्षर 
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जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 देवताआं के घोतक हैं। 
उन तैंतीस देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्यठ 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं। 
इन तैंतीस देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र से निहीत होती है
जिससे महा महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी दीर्घायु तो प्राप्त करता ही हैं । 
साथ ही वह नीरोग, ऐश्व‍र्य युक्ता धनवान भी होता है ।
महामृत्युंरजय का पाठ करने वाला प्राणी हर दृष्टि से सुखी एवम समृध्दिशाली होता है । भगवान शिव की अमृतमययी कृपा उस निरन्तंर बरसती रहती है।

• त्रि - ध्रववसु प्राण का घोतक है जो सिर में स्थित है।
• यम - अध्ववरसु प्राण का घोतक है, जो मुख में स्थित है।
• ब - सोम वसु शक्ति का घोतक है, जो दक्षिण कर्ण में स्थित है।
• कम - जल वसु देवता का घोतक है, जो वाम कर्ण में स्थित है।
• य - वायु वसु का घोतक है, जो दक्षिण बाहु में स्थित है।
• जा- अग्नि वसु का घोतक है, जो बाम बाहु में स्थित है।
• म - प्रत्युवष वसु शक्ति का घोतक है, जो दक्षिण बाहु के मध्य में स्थित है।
• हे - प्रयास वसु मणिबन्धत में स्थित है।
• सु -वीरभद्र रुद्र प्राण का बोधक है। दक्षिण हस्त के अंगुलि के मुल में स्थित है।
• ग -शुम्भ् रुद्र का घोतक है दक्षिणहस्त् अंगुलि के अग्र भाग में स्थित है।
• न्धिम् -गिरीश रुद्र शक्ति का मुल घोतक है। बायें हाथ के मूल में स्थित है।
• पु- अजैक पात रुद्र शक्ति का घोतक है। बाम हस्तह के मध्य भाग में स्थित है।
• ष्टि - अहर्बुध्य्त् रुद्र का घोतक है, बाम हस्त के मणिबन्धा में स्थित है।
• व - पिनाकी रुद्र प्राण का घोतक है। बायें हाथ की अंगुलि के मुल में स्थित है।
• र्ध - भवानीश्वपर रुद्र का घोतक है, बाम हस्त अंगुलि के अग्र भाग में स्थित है।
• नम् - कपाली रुद्र का घोतक है । उरु मूल में स्थित है।
• उ- दिक्पति रुद्र का घोतक है । यक्ष जानु में स्थित है।
• र्वा - स्था णु रुद्र का घोतक है जो यक्ष गुल्फ् में स्थित है।
• रु - भर्ग रुद्र का घोतक है, जो चक्ष पादांगुलि मूल में स्थित है।
• क - धाता आदित्यद का घोतक है जो यक्ष पादांगुलियों के अग्र भाग में स्थित है।
• मि - अर्यमा आदित्यद का घोतक है जो वाम उरु मूल में स्थित है।
• व - मित्र आदित्यद का घोतक है जो वाम जानु में स्थित है।
• ब - वरुणादित्या का बोधक है जो वाम गुल्फा में स्थित है।
• न्धा - अंशु आदित्यद का घोतक है । वाम पादंगुलि के मुल में स्थित है।
• नात् - भगादित्यअ का बोधक है । वाम पैर की अंगुलियों के अग्रभाग में स्थित है।
• मृ - विवस्व्न (सुर्य) का घोतक है जो दक्ष पार्श्वि में स्थित है।
• र्त्यो् - दन्दाददित्य् का बोधक है । वाम पार्श्वि भाग में स्थित है।
• मु - पूषादित्यं का बोधक है । पृष्ठै भगा में स्थित है ।
• क्षी - पर्जन्य् आदित्यय का घोतक है । नाभि स्थिल में स्थित है।
• य - त्वणष्टान आदित्यध का बोधक है । गुहय भाग में स्थित है।
• मां - विष्णुय आदित्यय का घोतक है यह शक्ति स्व्रुप दोनों भुजाओं में स्थित है।
• मृ - प्रजापति का घोतक है जो कंठ भाग में स्थित है।
• तात् - अमित वषट्कार का घोतक है जो हदय प्रदेश में स्थित है।
उपर वर्णन किये स्थानों पर उपरोक्त देवता, वसु आदित्य आदि अपनी सम्पुर्ण शक्तियों सहित विराजत हैं । जो प्राणी श्रध्दा सहित महामृत्युजय मंत्र का पाठ करता है उसके शरीर के अंग - अंग ( जहां के जो देवता या वसु अथवा आदित्यप हैं ) उनकी रक्षा होती है ।

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द केरला स्टोरी का सबसे भयावह दृश्य कौनसा था? समीक्षा

द केरला स्टोरी का सबसे भयावह दृश्य कौनसा था? 
गोलियों की बरसात.. धमाके, गला काटना, हाथ काटना,  औरतों को जंजीरों में बांधकर बेचा जाना.... यह सब चल रहा था। मेरे लिए यह नॉर्मल था। आखिर इस्लामिक स्टेट में इससे अलग होना भी क्या था? मध्यकाल में भारत ने तो इससे भयंकर क्रूरताएँ झेली हैं। 

लेकिन मेरा कलेजा मुँह को आ गया था.. जब मजहबी 'दोस्त' के बहकावे में कन्वर्ट हो चुकी लड़की प्रॉपर्टी हासिल करने के लिए हॉस्पिटल में मरणासन्न पड़े अपने पिता से मिलने जाती है और उनके चेहरे पर थूक देती है! 

वह पिता जो शान से कॉमरेड हुआ करता था..लेकिन बेटी के कन्वर्ट होने पर जिसे हार्ट अटैक आ गया। क्यों? क्योंकि सच को सब जानते हैं और अपने फायदे के लिए दूसरे के बच्चों को मौत के मुँह में झोंक देते हैं लेकिन अपने बच्चे के साथ मजहब क्या करेगा यह उस बाप को भी पता था जिसके घर में मार्क्स, लेनिन, स्टॅलिन के बड़े-बड़े पोस्टर चिपके थे।

मैं रोई कब? अगेन... ब्लैकमेल, खून , बलात्कार, आतंकवाद.. जो अवश्यंभावी है उसे देखते हुए कलेजा कड़ा रहता है मेरा लेकिन इस सबसे पहले मेरे आँसू फूट पड़े थे.. जब स्क्रीन पर एक प्यारी सी, प्यार भरी बूढ़ी दादी आई थी। जब यह दादी अपनी चिड़िया जैसी मासूम पोती को हाथों से कौर खिला रही थी, उसे स्नेह से गोदी में सुला रही थी,मैं भीतर से फूट पड़ी थी कि इस प्यारी सी चिड़िया के पंख क्रूरता से नोंच दिए जाएंगे! क्या बीतेगी उस दादी पर? क्या बीतती होगी असल में उन परिवारों पर? 

अक्सर सिनेमा इतिहास बताते हैं लेकिन कुछ सिनेमा खुद इतिहास बनाते हैं। 'द केरला स्टोरी' ऐसा सिनेमा है जो इतिहास बनाने जा रहा है। इसमें इतनी क्षमता है कि यह केवल कुछ हजार या लाख लड़कियों को ही नहीं बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों को आतंकवाद से बचाकर उनका जीवन संवार सकता है। 

कोई फिल्म महान कब होती है? अपनी कलात्मकता से.. कथ्य से या अभिनय जैसे पहलुओं से? लेकिन मेरी दृष्टि में वह फिल्म महान है जो अपने विषय को दर्शक के मन मस्तिष्क में पूरी तरह उतार दे और 'द केरला स्टोरी' इसीलिए एक महान फिल्म दस्तावेज है... सो कॉल्ड करिश्माई सिनेमेटिक सौंदर्य न होने के बावजूद। 

यह फिल्म 100% कड़वा सच है। देश भर में प्यार के नाम पर चल रहे आतंकवाद का घिनौना सच। ये आतंकवादियों की मोडस ओपेरैंडी को अच्छी तरह खोलकर उन मासूम बच्चियों को समझा देती है जो हर कदम पर इनका शिकार हैं। 
आप फिल्म देखने जाएँ तो बारीकियों पर नजर रखिए। यह फ़िल्म किसी मनोवैज्ञानिक की तरह उनकी हर एक हरकत को उघाड़कर दिखा रही है।

जैसे, जो 'प्रेमी' कल तक लड़की के सैंडिल हाथ में उठाकर चल रहा था वही आतंकवाद में शामिल न होने पर उसी लड़की के न्यूड्स दुनियाभर में वायरल कर देता है। उसके पूरे परिवार को बर्बाद कर उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर देता है। यह उन लड़कियों की आँखें खोल सकता है जिनका "मेरा अयाज़/फरहान/आतिफ/ सूफी सबसे अलग है।" 
इस फिल्म में आतंकी वैसे ही दिखाए गए हैं जैसे वास्तविकता में होते हैं- बिल्कुल साफ सुथरे, पढ़े-लिखे, हाईफाई, गुड लुकिंग, चार्मिंग, वेल मैनर्ड।

किसी की बड़ी सटीक टिप्पणी पढ़ी कि 'द केरला स्टोरी' असल में 'द कश्मीर फाइल्स' का प्रीक्वल है। पहले किसी क्षेत्र में केरल की तरह जनसंख्या बदलती  है और अंततः कश्मीर का पलायन और नरसंहार सामने आता है। 

फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन , प्रोड्यूसर विपुल अमृतलाल शाह, लेखक सूर्यपाल सिंह शाबाशी के हकदार हैं। उन्होंने इस आतंकवाद की मैथडोलॉजी बताई है। हम कहाँ चूक रहे हैं इसे भी समझाया है।

फिल्म को चारों लड़कियाँ अपने कंधों पर अच्छे से लेकर चली हैं। अदा शर्मा की हिम्मत और एक्टिंग, दोनों अप्रतिम हैं। एक्टिंग का मतलब आड़े-टेढ़े मुँह बनाना ही नहीं होता। वह इतनी भोली लगी है... ज्यों अनजाने में पागल कुत्तों के झुंड की ओर भागता गाय का बछड़ा ! 

फिल्म का संगीत और बैक ग्राउंड समीचीन है। असरदार है। कुछ flaws हर चीज में होते हैं। बलात्कार दृश्यों की क्रूरता दिखाने के लिए रियलिस्टिक फिल्माया गया है। लेकिन ये प्रतीकात्मक होते तो 13-14 वर्ष की बच्चियों को भी साथ बैठाकर फिल्म दिखाई जा सकती थी। खैर, OTT रिलीज के बाद माता पिता स्वविवेक से कुछ दृश्यों के अलावा पूरी फिल्म किशोरों को दिखा और समझा सकते हैं।

द केरला स्टोरी देखिए। सक्षम हों तो औरों को भी दिखाइये। यह  फिल्म नहीं, जीवन रक्षक वैक्सीन है। सुनिधि चौहान का पूरे मन से गाया टाइटल ट्रैक इसकी पूरी कहानी को सिरे से बयां कर रहा है:

ना ज़मीं मिली, ना फ़लक मिला, 
है सफ़र में अंधा परिंदा
जिस राह की मंज़िल नहीं, 
वहीं खो गया होके गुमराह

ज़िंदान को उड़ान समझ बैठा,
एक बार भी मुड़ के ना देखा
हरे पेड़ों की शाख़ें छोड़ आया
मासूम को किसने बहकाया?

हरियाली वो राहों में आती रहीं
राहें तक़रीरें रोज़ सुनाती रहीं
ना दुआ मिली, ना मिला ख़ुदा
हुआ क़ैद पागल परिंदा

मंगलवार, 9 मई 2023

अति सुन्दर,सनातन घड़ी

*🌹अति सुन्दर,सनातन घड़ी🌹* 

*12:00* बजने के स्थान पर *आदित्य* लिखा हुआ है जिसका अर्थ यह है कि *सूर्य 12 प्रकार* के होते हैं।

*1:00* बजने के स्थान पर *ईश्वर* लिखा हुआ है इसका अर्थ यह है कि *ईश्वर एक* ही प्रकार का होता है। *एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति।*

*2:00* बजने की स्थान पर *पक्ष* लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि *पक्ष दो* होते हैं *1 कृष्ण पक्ष* औऱ दूसरा *शुक्ल पक्ष।*

*3:00* बजने के स्थान पर *अनादि तत्व* लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि *अनादि तत्व 3* हैं। *परमात्मा*, *जीवात्मा* और *प्रकृति* ये तीनों तत्व अनादि है ,

*4:00* बजने के स्थान पर *वेद* लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि वेद चार प्रकार के होते हैं -- *ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।*

*5:00* बजने के स्थान पर *महाभूत* लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य है कि महाभूत पांच प्रकार के होते हैं। *पांच महाभूत हैं* - *सत्वगुण, रजगुण, कर्म, काल, स्वभाव"*

*6:00* बजने के स्थान पर *दर्शन* लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि *दर्शन 6 प्रकार* के होते हैं । छः दर्शन  *सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदान्त* के नाम से विदित है।

*7:00* बजे के स्थान पर *धातु* लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि *धातु 7* हैं। सात धातुओं के नाम
*रस : प्लाज्मा*
*रक्त : खून (ब्लड)*
*मांस : मांसपेशियां*
*मेद : वसा (फैट)*
*अस्थि : हड्डियाँ*
*मज्जा : बोनमैरो*
*शुक्र : प्रजनन संबंधी ऊतक* 

*8:00* बजने के स्थान पर *अष्टांग योग* लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि *योग के आठ प्रकार* होते है। योग के  आठ अंग हैं: *1) यम, २) नियम, ३) आसन, ४) प्राणायाम, ५) प्रत्याहार, ६) धारणा ७) ध्यान ८) समाधि*

*9:00* बजने के स्थान पर *अंक* लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि *अंक 9 प्रकार के होते हैं। 1 2 3 4 5 6 7 8 9*

*10:00* बजने के स्थान पर *दिशाएं* लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि *दिशाएं 10 होती है।*

*11:00* बजने के स्थान पर *उपनिषद* लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि *उपनिषद 11 प्रकार के होते हैं।*
       🙏🙏🙏

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