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रविवार, 20 नवंबर 2011

सिर्फ एक रोटी से चमक जाएगी आपकी किस्मत


कुछ लोग होते हैं जो हमेशा अपनी हर बात के लिए किस्मत को दोष देते हैं। कुछ भी हो इन्हें सिर्फ अपनी किस्मत पर ही रोना आता है। अगर आप भी यही समझते हैं कि आपकी किस्मत आपका साथ नहीं दे रही है तो प्रतिदिन यह उपाय करें। इस उपाय को करने से कुछ ही दिनों में निश्चित ही आपकी किस्मत चमक उठेगी।

उपाय

जब भी भोजन बनें, पहली रोटी को अलग निकालकर रख लें। इसके चार बराबर भाग कर लें। चारों भागों पर कुछ न कुछ मीठा जैसे- खीर, गुड़ या शक्कर आदि रख दें। इसका पहला भाग गाय को, दूसरा काले कुत्ते को, तीसरा कौए को और चौथा चौराहे पर रख दें। कुछ ही दिनों में आपको परिवर्तन दिखने लगेगा। 




नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

शनिवार, 19 नवंबर 2011

उन्हें फौरन ही अपनी धार्मिक और जातिगत पहचान याद आ जाती है


**सम्मान के लिए हत्या’ "ऑनर किलिंग"- कैसा ये इस्क है ? ये तो रिस्क है !***

आजकल चल यह रहा है कि आधुनिकता की होड़ में पहले तो लड़कियों को पूरी आजादी दी जाती है। लड़कियों से यह नहीं पूछा जाता कि उन्होंने भारतीय लिबास को छोड़कर टाइट जींस और स्लीवलेस टॉप क्यों पहनना शुरु कर दिया है। आप ऐसे लिबास पहनने वाली किसी लड़की के मां-बाप से यह कह कर देखिए कि आपकी लड़की का यह लिबास ठीक नहीं है तो वे आपको एकदम से रुढ़िवादी और दकियानूसी विचारधारा का ठहरा देंगे। मां-बाप कभी अपनी बेटी का मोबाइल भी चैक नहीं करते कि वह घंटों-घंटों किससे बतियाती रहती है। उसके पास महंगे कपड़े और गैजट कहां से आते हैं।

जब इन्हीं मां-बाप को एक दिन पता चलता है कि उनकी लड़की किसी से प्रेम और वह भी दूसरे धर्म या जाति के लड़के से करती है तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसकती नजर आती है। उन्हें फौरन ही अपनी धार्मिक और जातिगत पहचान याद आ जाती है। भारतीय परम्पराओं की दुहाई देने लगते है।

"ऑनर किलिंग" की हाल की घटनाएं ऎसे समाज की प्रवृत्ति दिखाई पड़ती हैं, जहां जाति के एक ही गोत्र में विवाह करने या अभिभावकों की मर्जी के खिलाफ प्रेम करने से पूरी बिरादरी, जाति या समुदाय के भीतर सामाजिक अनादर की भावनाएं भड़कती हैं और उसके नतीजे अपने ही युवा बच्चों की हत्या के रूप में सामने आते हैं। ऎसी घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा होती हैं, जहां खाप पंचायतों का वर्चस्व होता है।
 



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