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सोमवार, 26 सितंबर 2022

सेक्युलरिज़्म’ भारत के संविधान में सदैव जुड़ा रहना चाहिए_**_सेक्युलरिज्म 'ढाल' है!_

*_‘सेक्युलरिज़्म’ भारत के संविधान में सदैव जुड़ा रहना चाहिए_*

*_सेक्युलरिज्म 'ढाल' है!_*

*_Saturday, September 24, 2022_*

*_“भारत एक सेक्युलर यानी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है” यह शब्द सुनने पर यदि कोई सबसे अधिक आक्रोशित होता है तो वो है भारत का हिंदू समुदाय। हिंदू समाज का एक वर्ग ऐसा है जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केवल इसलिए नाराज रहता हैं क्योंकि पीएम मोदी ने देश को हिंदू राष्ट्र नहीं घोषित किया। उन्हें लगता हैं कि पंत प्रधान नरेंद्र मोदी अपने मूल्यों, अपने वादों से पीछे हट चुके हैं और भाजपा अब अपनी कट्टर हिंदूवादी छवि भूलकर धर्म निरपेक्षता की बात करने लगी है। वहीं यदि हम अपने लेख की पहली पंक्ति को थोड़ा-सा बदल दें, तो निश्चित ही दक्षिणपंथी विचारधारा वाले लोगों में खुशी की लहर दौड़ जाएगी और वे मोदी को भगवान की तरह मानने लगेंगे। अगर हम कहें- ‘भारत एक धर्मनिरपेक्ष हिंदू राष्ट्र है’ तो सभी चीजें ठीक हो सकती हैं। सत्य कहें तो आज के वक्त में देश की नरेंद्र मोदी सरकार इसी एजेंडे पर काम कर रही थी, लेकिन आखिर यह सेक्युलरिज्म और हिंदू राष्ट्र का संबंध क्या है‌? चलिए आपको इसको समझाते हैं।_*

*_संविधान में जुड़ा सेक्युलर शब्द_*

*_वर्ष 1976 में आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना में “सोशलिस्ट और सेक्युलर” शब्द जुड़वाए थे, जिस पर दक्षिणपंथियों को सबसे अधिक आपत्ति हुई थी। उनका कहना था कि इसकी आड़ में कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण करती हैं। परंतु हकीकत तो यह है कि इन शब्द के जुड़ने से पूर्व भी  कांग्रेस मुस्लिमों को लुभाने के प्रयास करती ही आ रही थी। यदि 1976 से पहले मुस्लिम तुष्टीकरण न होता तो राम मंदिर का मामला पहले ही कांग्रेस द्वारा निपटा लिया गया होता। किंतु सच यह है कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भी हमेशा राजनीति करने की ही कोशिश की। वहीं बाद में मुस्लिमों को लुभाने के लिए “सेक्युलर” शब्द का झुनझुना मुस्लिम समुदाय को पकड़ा दिया गया।_*

*_वहीं कांग्रेस ने तो सेक्लुअर शब्द को भारतीय संविधान से जोड़ दिया था। ऐसे में देश की जनता भाजपा से उम्मीद लगाए बैठी थी कि जब भी कभी उसकी सरकार सत्ता में आएगी, तो अवश्य ही सेक्युलरिज्म शब्द को भारतीय संविधान से हटा देगी, लेकिन ऐसा अब तक होता नहीं दिखा। सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 90 के दशक में बनी और 5 साल तक सत्ता में भी रही, परंतु इस दौरान इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाए गए। भाजपा ने गठबंधन की सरकारों का हवाला दिया। अहम यह है कि जो अटल बिहारी वाजपेयी जी सत्ता में आने से पहले ‘हिन्दू तन मन हिंदू जीवन’ नाम की कविता गाते थे उन्होंने भी इस सेक्युलर शब्द को अपना लिया।_*

*_पर्दे के पीछे का खेल कुछ और है_*

*_अटल जी की सरकार के बाद भाजपा केंद्रीय सत्ता से फिर दस वर्षों तक दूर रही। हालांकि इसके बाद साल 2013 में नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार के दौरान घोर दक्षिणपंथी और वामपंथी एक ही सोच लिए हुए थे। दक्षिणपंथी खुश थे कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने वाला है और यहां मुस्लिमों का रहना मुश्किल होगा। हालांकि साल 2014 के बाद ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात करते रहे और वैश्विक स्तर पर एक बड़े राजनेता के तौर पर उभरे। पीएम मोदी ने दूसरे कार्यकाल के बाद तो अपने नारे में ‘सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास’ शब्द भी जोड़ दिया था। तब से नरेंद्र मोदी के समर्थक उनसे भी चिढ़े बैठे हैं।_*

*_गौरतलब है कि प्रधानमंत्री भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं, वैश्विक स्तर पर जहां पश्चिमी देश वामपंथी सोच वाले हैं तो ऐसे में उनके बीच स्वीकृति पाने के लिए यह आवश्यक है कि भारत कट्टरता के रास्ते पर न आगे बढ़े। इसीलिए पीएम हमेशा सबको साथ लेकर चलने और सर्वधर्म समभाव की बात करते हैं। सबको दिखाने के लिए भले कुछ भी हो, परंतु पर्दे के पीछे की कहानी तो यही है कि भाजपा सरकार अपने अधिकतम निर्णय वही लेती है, जो देश के बहुसंख्यकों यानी हिंदुओं के पक्ष में हो।_*

*_अनुच्छेद-370 जो सबसे संवेदनशील मुद्दा था उसे खत्म करते हुए गृहमंत्री ने संसद में संबोधन दिया था। राम मंदिर का निर्णय भले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया था, लेकिन सुनवाई के लिए केंद्र सरकार ने कोर्ट से मांग अवश्य की थी‌। देखा जाए तो यह दोनों ही निर्णय देश के बहुसंख्यक यानी हिंदू समुदाय के हित में थे। प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही सामने आकर उन्होंने सर्वधर्म समभाव की बात की हो, लेकिन पर्दे के पीछे से मजबूत हिंदू समुदाय हुआ।_*

*_CAA जैसा विवादित कानून गृह मंत्री अमित शाह ने पारित कराया और पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिमों को नागरिकता देने के मुद्दे पर हिंदुओं को मजबूती मिली। इतना ही नहीं गृहमंत्री सीएए विरोध के दौरान आक्रामक रहे। इस दौरान भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले न हों लेकिन हिंदू समुदाय के उत्थान को वे समर्थन देते रहे। प्रधानमंत्री के पद की गरिमा रखते हुए हिंदुत्ववादी बात नहीं करते हैं लेकिन देखा जाए तो उनकी सरकार का एक-एक काम हिंदू हितकारी हैं।_*

*_सेक्युलरिज्म भारत के लिए लाभदायक है_*

*_गृहमंत्री अमित शाह से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हिमंता बिस्वा सरमा जैसे नेता लगातार हिंदुओं के हितों में फैसले ले रहे हैं। वहीं पीएम मोदी इन सभी के कार्यों को अपने सेक्युलरिज्म वाले सर्वधर्म समभाव और सबका साथ सबका विकास के नारों में ढक ले रहे हैं। सीधे शब्दों में कहा जाए, तो वैश्विक स्तर पर भारत को प्रबल बनाने और सभी पश्चिमी देशों की स्वीकृति पाने के लिए सेक्युलरिज्म शब्द भारत के लिए लाभदायक है।_*

*_सटीक शब्दों में कहें तो सेक्युलरिज्म शब्द एक मुखौटा है जो कि भारत के संविधान में लिखा हुआ अच्छा लगता है। प्रधानमंत्री का पद इस शब्द पालन करता दिखता है और वैश्विक पश्चिमी ताकतें देखना भी ऐसा ही चाहती हैं। वहीं इस मुखौटे के पीछे वो सारे काम होते हैं जिनके पीछे हिंदुओं और बहुसंख्यक समुदाय का हित छिपा होता है। इस दौरान सेक्युलरिज्म को तो केवल एक ढाल की तरह उपयोग किया जा रहा है।_*

*_सरल शब्दों में कहें तो इंदिरा गांधी द्वारा दिया गया सेक्युलरिज्म शब्द भारत के हिंदू राष्ट्र बनने की परिकल्पना करने वालों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि इस सेक्युलर शब्द की आड़ में ही धीरे-धीरे भारत अपने मूल मकसद यानी हिंदुत्व को अपना चुका है और इसके पीछे पूरा खेल देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है।_*

#26_सितम्बर#साहस_शौर्य_और_दानशीलता_की_मूर्ति। #रानी_रासमणि_जी_का_जन्म_दिवस

#26_सितम्बर

#साहस_शौर्य_और_दानशीलता_की_मूर्ति। 
#रानी_रासमणि_जी_का_जन्म_दिवस

कोलकाता के दक्षिणेश्वर मंदिर और उसके पुजारी श्री रामकृष्ण परमहंस का नाम प्रसिद्ध है; पर वह मंदिर बनवाने वाली रानी रासमणि को लोग कम ही जानते हैं। रानी का जन्म बंगाल के 24 परगना जिले में गंगा के तट पर बसे ग्राम कोना में हुआ था। उनके पिता श्री हरेकृष्ण दास एक साधारण किसान थे। परिवार का खर्च चलाने के लिए वे खेती के साथ ही जमींदार के पास कुछ काम भी करते थे। उसकी चर्चा से रासमणि को भी प्रशासनिक कामों की जानकारी होने लगी। रात में उनके पिता लोगों को रामायण, भागवत आदि सुनाते थे। इससे रासमणि को भी निर्धनों के सेवा में आनंद मिलने लगा।।    

रासमणि जब बहुत छोटी थीं, तभी उनकी मां का निधन हो गया। ऐसे में उनका पालन उनकी बुआ ने किया। तत्कालीन प्रथा के अनुसार 11 वर्ष की अवस्था में उनका विवाह बंगाल के बड़े जमींदार प्रीतम बाबू के पुत्र रामचंद्र दास से हो गया। ऐसे घर में आकर भी रासमणि को अहंकार नहीं हुआ। 1823 की भयानक बाढ़ के समय उन्होंने कई अन्नक्षेत्र खोले तथा आश्रय स्थल बनवाये। इससे उन्हें खूब ख्याति मिली और लोग उन्हें ‘रानी’ कहने लगे।

विवाह के कुछ वर्ष बाद उनके पति का निधन हो गया। तब तक वे चार बेटियों की मां बन चुकी थीं; पर उनके कोई पुत्र नहीं था। अब सारी सम्पत्ति की देखभाल का जिम्मा उन पर ही आ गया। उन्होंने अपने दामाद मथुरानाथ के साथ मिलकर सब काम संभाला। सुव्यवस्था के कारण उनकी आय काफी बढ़ गयी। सभी पर्वों पर रानी गरीबों की खुले हाथ से सहायता करती थीं। उन्होंने जनता की सुविधा के लिए गंगा के तट पर कई घाट और सड़कें तथा जगन्नाथ भगवान के लिए सवा लाख रु. खर्च कर चांदी का रथ भी बनवाया। 

रानी का ब्रिटिश साम्राज्य से कई बार टकराव हुआ। एक बार अंग्रेजों ने दुर्गा पूजा उत्सव के ढोल-नगाड़ों के लिए उन पर मुकदमा कर दिया। इसमें रानी को जुर्माना देना पड़ा; पर फिर रानी ने वह पूरा रास्ता ही खरीद लिया और वहां अंग्रेजों का आवागमन बंद करा दिया। इससे शासन ने रानी से समझौता कर उनका जुर्माना वापस किया। एक बार शासन ने मछली पकड़ने पर कर लगा दिया। रानी ने मछुआरों का कष्ट जानकर वह सारा तट खरीद लिया। इससे अंग्रेजों के बड़े जहाजों को वहां से निकलने में परेशानी होने लगी। इस बार भी शासन को झुककर मछुआरों से सब प्रतिबंध हटाने पड़े।

एक बार रानी को स्वप्न में काली माता ने भवतारिणी के रूप में दर्शन दिये। इस पर रानी ने हुगली नदी के पास उनका भव्य मंदिर बनवाया। कहते हैं कि मूर्ति आने के बाद एक बक्से में रखी थी। तब तक मंदिर अधूरा था। एक बार रानी को स्वप्न में मां काली ने कहा कि बक्से में मेरा दम घुट रहा है। मुझे जल्दी बाहर निकालो। रानी ने सुबह देखा, तो प्रतिमा पसीने से लथपथ थी। इस पर रानी ने मंदिर निर्माण का काम तेज कर दिया और अंततः 31 मई, 1855 को मंदिर में मां काली की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो गयी।

इस मंदिर में मुख्य पुजारी रामकुमार चटर्जी थे। वृद्ध होने पर उन्होंने अपने छोटे भाई गदाधर को वहां बुला लिया। यही गदाधर रामकृष्ण परमहंस के नाम से प्रसिद्ध हुए। परमहंस जी सिद्ध पुरुष थे। एक बार उन्होंने पूजा करती हुई रानी को यह कहकर चांटा मार दिया कि मां के सामने बैठकर अपनी जमींदारी का हिसाब मत करो। रानी अपनी गलती समझकर चुप रहीं। 

रानी ने अपनी सम्पत्ति का प्रबंध ऐसे किया, जिससे उनके द्वारा संचालित मंदिर तथा अन्य सेवा कार्यों में भविष्य में भी कोई व्यवधान न पड़े। अंत समय निकट आने पर उन्होंने अपने कर्मचारियों से गंगा घाट पर प्रकाश करने को कहा। इस जगमग प्रकाश के बीच 19 फरवरी, 1861 को देश, धर्म और समाजसेवी रानी रासमणि का निधन हो गया। दक्षिणेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर लगी प्रतिमा उनके कार्यों की सदा याद दिलाती रहती है।

#26_सितम्बर#साहस_शौर्य_और_दानशीलता_की_मूर्ति। #रानी_रासमणि_जी_का_जन्म_दिवस

#26_सितम्बर

#साहस_शौर्य_और_दानशीलता_की_मूर्ति। 
#रानी_रासमणि_जी_का_जन्म_दिवस

कोलकाता के दक्षिणेश्वर मंदिर और उसके पुजारी श्री रामकृष्ण परमहंस का नाम प्रसिद्ध है; पर वह मंदिर बनवाने वाली रानी रासमणि को लोग कम ही जानते हैं। रानी का जन्म बंगाल के 24 परगना जिले में गंगा के तट पर बसे ग्राम कोना में हुआ था। उनके पिता श्री हरेकृष्ण दास एक साधारण किसान थे। परिवार का खर्च चलाने के लिए वे खेती के साथ ही जमींदार के पास कुछ काम भी करते थे। उसकी चर्चा से रासमणि को भी प्रशासनिक कामों की जानकारी होने लगी। रात में उनके पिता लोगों को रामायण, भागवत आदि सुनाते थे। इससे रासमणि को भी निर्धनों के सेवा में आनंद मिलने लगा।।    

रासमणि जब बहुत छोटी थीं, तभी उनकी मां का निधन हो गया। ऐसे में उनका पालन उनकी बुआ ने किया। तत्कालीन प्रथा के अनुसार 11 वर्ष की अवस्था में उनका विवाह बंगाल के बड़े जमींदार प्रीतम बाबू के पुत्र रामचंद्र दास से हो गया। ऐसे घर में आकर भी रासमणि को अहंकार नहीं हुआ। 1823 की भयानक बाढ़ के समय उन्होंने कई अन्नक्षेत्र खोले तथा आश्रय स्थल बनवाये। इससे उन्हें खूब ख्याति मिली और लोग उन्हें ‘रानी’ कहने लगे।

विवाह के कुछ वर्ष बाद उनके पति का निधन हो गया। तब तक वे चार बेटियों की मां बन चुकी थीं; पर उनके कोई पुत्र नहीं था। अब सारी सम्पत्ति की देखभाल का जिम्मा उन पर ही आ गया। उन्होंने अपने दामाद मथुरानाथ के साथ मिलकर सब काम संभाला। सुव्यवस्था के कारण उनकी आय काफी बढ़ गयी। सभी पर्वों पर रानी गरीबों की खुले हाथ से सहायता करती थीं। उन्होंने जनता की सुविधा के लिए गंगा के तट पर कई घाट और सड़कें तथा जगन्नाथ भगवान के लिए सवा लाख रु. खर्च कर चांदी का रथ भी बनवाया। 

रानी का ब्रिटिश साम्राज्य से कई बार टकराव हुआ। एक बार अंग्रेजों ने दुर्गा पूजा उत्सव के ढोल-नगाड़ों के लिए उन पर मुकदमा कर दिया। इसमें रानी को जुर्माना देना पड़ा; पर फिर रानी ने वह पूरा रास्ता ही खरीद लिया और वहां अंग्रेजों का आवागमन बंद करा दिया। इससे शासन ने रानी से समझौता कर उनका जुर्माना वापस किया। एक बार शासन ने मछली पकड़ने पर कर लगा दिया। रानी ने मछुआरों का कष्ट जानकर वह सारा तट खरीद लिया। इससे अंग्रेजों के बड़े जहाजों को वहां से निकलने में परेशानी होने लगी। इस बार भी शासन को झुककर मछुआरों से सब प्रतिबंध हटाने पड़े।

एक बार रानी को स्वप्न में काली माता ने भवतारिणी के रूप में दर्शन दिये। इस पर रानी ने हुगली नदी के पास उनका भव्य मंदिर बनवाया। कहते हैं कि मूर्ति आने के बाद एक बक्से में रखी थी। तब तक मंदिर अधूरा था। एक बार रानी को स्वप्न में मां काली ने कहा कि बक्से में मेरा दम घुट रहा है। मुझे जल्दी बाहर निकालो। रानी ने सुबह देखा, तो प्रतिमा पसीने से लथपथ थी। इस पर रानी ने मंदिर निर्माण का काम तेज कर दिया और अंततः 31 मई, 1855 को मंदिर में मां काली की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो गयी।

इस मंदिर में मुख्य पुजारी रामकुमार चटर्जी थे। वृद्ध होने पर उन्होंने अपने छोटे भाई गदाधर को वहां बुला लिया। यही गदाधर रामकृष्ण परमहंस के नाम से प्रसिद्ध हुए। परमहंस जी सिद्ध पुरुष थे। एक बार उन्होंने पूजा करती हुई रानी को यह कहकर चांटा मार दिया कि मां के सामने बैठकर अपनी जमींदारी का हिसाब मत करो। रानी अपनी गलती समझकर चुप रहीं। 

रानी ने अपनी सम्पत्ति का प्रबंध ऐसे किया, जिससे उनके द्वारा संचालित मंदिर तथा अन्य सेवा कार्यों में भविष्य में भी कोई व्यवधान न पड़े। अंत समय निकट आने पर उन्होंने अपने कर्मचारियों से गंगा घाट पर प्रकाश करने को कहा। इस जगमग प्रकाश के बीच 19 फरवरी, 1861 को देश, धर्म और समाजसेवी रानी रासमणि का निधन हो गया। दक्षिणेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर लगी प्रतिमा उनके कार्यों की सदा याद दिलाती रहती है।

#26_सितम्बर#कर्मयोगी_पंडित_सुन्दरलाल_जी_का_जन्म_दिवस

#26_सितम्बर

#कर्मयोगी_पंडित_सुन्दरलाल_जी_का_जन्म_दिवस 🇮🇳🚩🙏

भारत के स्वाधीनता आंदोलन के अनेक पक्ष थे। हिंसा और अहिंसा के  साथ कुछ लोग देश तथा विदेश में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जन जागरण भी कर रहे थे। अंग्रेज इन सबको अपने लिए खतरनाक मानते थे।

26 सितम्बर, 1886 को खतौली (जिला मुजफ्फरनगर, उ.प्र.) में सुंदरलाल नामक एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। खतौली में गंगा नहर के किनारे बिजली और सिंचाई विभाग के कर्मचारी रहते हैं। इनके पिता श्री तोताराम श्रीवास्तव उन दिनों वहां उच्च सरकारी पद पर थे। उनके परिवार में प्रायः सभी लोग अच्छी सरकारी नौकरियों में थे।

मुजफ्फरनगर से हाईस्कूल करने के बाद सुंदरलाल जी प्रयाग के प्रसिद्ध म्योर क१लिज में पढ़ने गये। वहां क्रांतिकारियों के सम्पर्क रखने के कारण पुलिस उन पर निगाह रखने लगी। गुप्तचर विभाग ने उन्हें भारत की एक शिक्षित जाति में जन्मा आसाधारण क्षमता का युवक कहा, जो समय पड़ने पर तात्या टोपे और नाना फड़नवीस की तरह खतरनाक हो सकता है।

1907 में वाराणसी के शिवाजी महोत्सव में 22 वर्षीय सुन्दर लाल ने ओजस्वी भाषण दिया। यह समाचार पाकर कॉलेज वालों ने उसे छात्रावास से निकाल दिया। इसके बाद भी उन्होंने प्रथम श्रेणी में बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। अब तक उनका संबंध लाला लाजपतराय, श्री अरविन्द घोष तथा रासबिहारी बोस जैसे क्रांतिकारियों से हो चुका था। दिल्ली के चांदनी चौक में लार्ड हार्डिंग की शोभायात्रा पर बम फेंकने की योजना में सुंदरलाल जी भी सहभागी थे।

उत्तर प्रदेश में क्रांति के प्रचार हेतु लाला लाजपतराय के साथ सुंदरलाल जी ने भी प्रवास किया। कुछ समय तक उन्होंने सिंगापुर आदि देशों में क्रांतिकारी आंदोलन का प्रचार किया। इसके बाद उनका रुझान पत्रकारिता की ओर हुआ। उन्होंने पंडित सुंदरलाल के नाम से ‘कर्मयोगी’ पत्र निकाला। इसके बाद उन्होंने अभ्युदय, स्वराज्य, भविष्य और हिन्दी प्रदीप का भी सम्पादन किया।

ब्रिटिश अधिकारी कहते थे कि पंडित सुन्दर लाल की कलम से शब्द नहीं बम-गोले निकलते हैं। शासन ने जब प्रेस एक्ट की घोषणा की, तो कुछ समय के लिए ये पत्र बंद करने पड़े। इसके बाद वे भगवा वस्त्र पहनकर स्वामी सोमेश्वरानंद के नाम से देश भर में घूमने लगे। इस समय भी क्रांतिकारियों से उनका सम्पर्क निरन्तर बना रहा और वे उनकी योजनाओं में सहायता करते रहे। 1921 से लेकर 1947 तक उन्होंने उन्होंने आठ बार जेल यात्रा की।

इतनी व्यस्तता और लुकाछिपी के बीच उन्होंने अपनी पुस्तक ‘भारत में अंग्रेजी राज’ प्रकाशित कराई। यद्यपि प्रकाशन के दो दिन बाद ही शासन ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया; पर तब तक इसकी प्रतियां पूरे भारत में फैल चुकी थी। इसका जर्मन, चीनी तथा भारत की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ।

1947 में स्वतंत्रता प्रप्ति के बाद गांधी जी के आग्रह पर विस्थापितों की समस्या के समाधान के लिए वे पाकिस्तान गये। 1962-63 में ‘इंडियन पीस काउंसिल’ के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कई देशों की यात्रा की। 95 वर्ष की आयु में 8 मई, 1981 को दिल्ली में हृदयगति रुकने से उनका देहांत हुआ। जब कोई उनके दीर्घ जीवन की कामना करता था, तो वे हंसकर कहते थे -

होशो हवास ताबे तबां, सब तो जा चुके 
अब हम भी जाने वाले हैं, सामान तो गया।।

अंग्रेज चले गए अमेजन घुस गई!

*अंग्रेज चले गए अमेजन घुस गई!?* 

आधुनिक जमाने की *सुरसा अमेजन* खा जायेगी सभी स्वदेशी कंपनियां! 

इसके साथ ही आपके घर के भीतर आप जो भी बात करेंगे, बिना इंटरनेट के पहुंच जाएगी, अमेरिका! 

*जेफ बेजोस का खतरनाक प्लान* भारत समेत दुनिया के सभी देशों को अपने अंडर करने का विदेशी चक्रव्यूह है अमेजन प्राइम, अमेजन वेब सर्विस AWS जो खत्म कर देगा तमाम स्थानीय स्वदेशी कंपनियां! 

इसके अलावा *अमेजन ने कर लिया दुनिया के मीडिया पर भी अपना कब्जा!* आधुनिक *दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है अमेजन*... इतना तय है अगर कुछ नहीं किया गया तो *अंग्रेजों और मुगलों का राज भूल जायेंगे... जब अमेजन राज करेगा*... 

40% कब्जा ही चुका है, बाकी हर फेस्टिवल सीजन पर होता जायेगा...  *अबहुं चेत गंवार* पहले से समझदार, जागरूक लोगों को शिव नमन, *बाकियों से अनुरोध आज से शुरू कर दें बॉयकॉट!*

क्योंकि ये विदेशी, विधर्मी सामान का बॉयकॉट ही है जिसने छोटे से द्वीप जापान को दुनिया की बड़ी शक्ति बनाया अपने देश का अपने व्यापारी का महंगा खरीदते है जापानी पर विदेशी सस्ता नहीं!

*क्या आप चाहते हैं फिर गुलाम बनना, और सस्ते के चक्कर में, मुफ्त के चक्कर में, अपने ही स्थानीय व्यापारियों समेत अपने राष्ट्र धर्म से गद्दारी करना*... 

सस्ता पड़ेगा महंगा... *अब तो जागो मूढमति* खुजली वाली बीमारी एक नहीं, हर शाख पर उल्लू बैठा है, कलियुग में जानकारी ही बचाव है, संगठन ही शक्ति! 

*इसलिए मिलकर जवाब दो, विदेशी, विधर्मी सामान, कंपनी का पूर्ण बहिष्कार है कलियुग का मूल मंत्र, बाकी सब बकवास!*😳

माँ ब्रह्मचारिणी -नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा होती है

************** *माँ ब्रह्मचारिणी***************
                नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा होती है। इस रूप में देवी को समस्त विद्याओं का ज्ञाता माना गया है। देवी ब्रह्मचारिणी भवानी माँ जगदम्बा का दूसरा स्वरुप है। 
                ब्रह्मचारिणी ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली। ब्रह्माण्ड को जन्म देने के कारण ही देवी के दूसरे स्वरुप का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। देवी के ब्रह्मचारिणी रूप में ब्रह्मा जी की शक्ति समाई हुई है। 
                माना जाता है कि सृष्टी कि उत्पत्ति के समय ब्रह्मा जी ने मनुष्यों को जन्म दिया। समय बीतता रहा , लेकिन सृष्टी का विस्तार नहीं हो सका। ब्रह्मा जी भी अचम्भे में पड़ गए। देवताओं के सभी प्रयास व्यर्थ होने लगे। सारे देवता निराश हो उठें तब ब्रह्मा जी ने भगवान शंकर से पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है। 
                भोले शंकर बोले कि बिना देवी शक्ति के सृष्टी का विस्तार संभव नहीं है। सृष्टी का विस्तार हो सके इसके लिए माँ जगदम्बा का आशीर्वाद लेना होगा, उन्हें प्रसन्न करना होगा। देवता माँ भवानी के शरण में गए। तब देवी ने सृष्टी का विस्तार किया। उसके बाद से ही नारी शक्ति को माँ का स्थान मिला और गर्भ धारण करके शिशु जन्म कि नीव पड़ी।
                 हर बच्चे में १६ गुण होते हैं और माता पिता के ४२ गुण होते हैं। जिसमें से ३६ गुण माता के माने जातें हैं।
                देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय है। माँ दुर्गा की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति देवी ब्रह्मचारिणी का है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली माँ ब्रह्मचारिणी। यह देवी शांत और निमग्न होकर तप में लीन हैं। मुख पर कठोर तपस्या के कारण अद्भुत तेज और कांति का ऐसा अनूठा संगम है जो तीनों लोको को उजागर कर रहा है। 
                देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्ष माला है और बायें हाथ में कमण्डल होता है। देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप हैं अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप हैं। 
                इस देवी के कई अन्य नाम हैं जैसे तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा इस दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान ’चक्र में स्थित होता है। इस चक्र में अवस्थित साधक माँ ब्रह्मचारिणी जी की कृपा और भक्ति को प्राप्त करता है।
                ब्रह्मचारिणी अर्थात् जब उन्होंने तपश्चर्या द्वारा शिव को पाया था। एक हाथ में रुद्राक्ष की माला और दुसरे हाथ में कमंडल धारण करने वाली देवी का यह ब्रह्मचारिणी स्वरुप कल्याण और मोक्ष प्रदान करने वाला है। 
                देवी के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की आराधना का विशेष महत्व है। माँ के इस रूप की उपासना से घर में सुख सम्पति और समृद्धि का आगमन होता है।                           

                    *ब्रह्मचारिणी मंत्र*
     *या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।* 
     *नमस्तस्यै    नमस्तस्यै     नमस्तस्यै    नमो    नम:॥*
     *दधाना कर पद्माभ्याम    अक्षमाला   कमण्डलू।* 
     *देवी प्रसीदतु मई    ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥*
www.sanwariyaa.blogspot.com

रविवार, 25 सितंबर 2022

नवरात्र 2022 विशेष* *घटस्थापन कलश विशेष मुहूर्त पूजन सम्पूर्ण विधि और जाप मंत्र

‼️  *जय माता दी* ‼️

 *नवरात्र 2022 विशेष* 

 *घटस्थापन कलश विशेष मुहूर्त पूजन सम्पूर्ण विधि और जाप मंत्र:-* 

नवरात्रि 26 सितंबर 2022, सोमवार से शुरू हो रहे हैं जी दरअसल नवरात्रि के पहले दिन शुक्ल व ब्रह्म योग का अद्भभुत संयोग बनने के कारण इसे बेहद खास माना जा रहा है आपको बता दें कि इस साल नवरात्रि पर माता रानी हाथी की सवारी से पृथ्वी पर आने वाली हैं जी दरअसल हाथी की सवारी को बेहद शुभ माना जा रहा है.

 *शुक्ल व ब्रह्म योग का महत्व:-* 
पंडित.संजय शास्त्री के अनुसार आप सभी को बता दें कि शारदीय नवरात्रि के पहले दिन सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक शुक्ल योग रहेगा जी हाँ और इसके बाद ब्रह्म योग शुरू होगा वहीं शास्त्रों के अनुसार, शुक्ल व ब्रह्म योग में किए गए कार्यों को बेहद शुभ फलदायी माना गया है.

 *घर की इस दिशा में स्थापित करना होता है शुभ:-* 

मां दुर्गा की मूर्ति को घर में उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में स्थापित करें मन जाता है कि अगर इस दिशा में माता की मूर्ति स्थापित कर दी जाए, तो शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है आप घर के उत्तर या पश्चिम दिशा में भी मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की सकती है इन दिशाओं में स्थापित करने से भक्त का मुख पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर होगा, जिसे पूजा के लिए शुभ माना गया है और ऐसे पूजा करने से व्यक्ति में चेतना जागृत होती है और दक्षिण दिशा से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है. 

 *घटस्थापना का शुभ मुहूर्त:-* 

आश्विन घटस्थापना सोमवार, सितम्बर 26, 2022 को की जाएगी
घटस्थापना मुहूर्त - 06:11 AM से 07:51 AM तक रहेगा इसकी अवधि - 01 घण्टा 40 मिनट तक रहेगी घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 11:48 AM से 12:36 PM तक रहेगा अवधि - 00 घण्टे 48 मिनट तक.

 *नवरात्रि के पहले दिन बन रहे ये शुभ संयोग:-* 
ब्रह्म मुहूर्त- 04:36 AM से 05:23 AM।
अभिजित मुहूर्त- 11:48 AM से 12:36 PM।
विजय मुहूर्त- 02:13 PM से 03:01 PM।
गोधूलि मुहूर्त- 06:01 PM से 06:25 PM।
अमृत काल    12:11 AM, सितम्बर 27 से 01:49 AM

 *इन मुहूर्त में न करें कलश स्थापना:-* 
राहुकाल- 07:41 AM से 09:12 AM
यमगण्ड-10:42 AM से 12:12 PM
दुर्मुहूर्त-12:36 PM से 01:24 PM

*कैसे करें कलश स्थापना:-?*
शारदीय नवरात्रों में कलश स्थापना का काफी महत्व माना जाता है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करके मां शैलीपुत्री की पूजा की जाती है, जो लोग 9 दिनों का व्रत रख रहे हैं, उन्हें कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का सच्चे मन से संकल्प लेना चाहिए. सोमवार से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का समय इस बार 1.40 घंटे का है.

 *पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री:-* 
सबसे पहले मां दुर्गा की प्रतिमा, दुर्गा चालीसा और आरती की किताब, दीपक, घी/ तेल, फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी,  लाल झंडा, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सिंदूर, केसर, कपूर, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, सुगंधित तेल, चौकी चाहिए होगी.

 *ऐसे करें कलश स्थापना* 
कलश स्थापना करने के लिए माता की चौकी को उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए. इस चौकी को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें. अब चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश स्थापित करें. इस कलश में आम के पत्ते लगाएं और गंगाजल भरें. कलश में आप एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा, हल्दी की एक गांठ भी डाल सकते हैं. कलश के मुख पर एक लाल वस्त्र से नारियल लपेट कर रखें. कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा के शैलपुत्री अवतार की पूजा करें. हाथ में फूल लेकर मां की आरती करें. आप पूजा में 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै.' इस मंत्र का जप करें.
पं.संजय शास्त्री के अनुसार नवरात्रि का पर्व हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है हिंदू पंचांग के अनुसार साल भर में कुल मिलाकर 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है नौ दिवसीय इस पर्व में 9 रातों तक तीन देवियां – मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां काली के नौ स्वरुपों की पूजा होती है.

शारदीय नवरात्रि हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है और दशमी तिथि को माता दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के साथ समाप्त होती है इस बार शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर को शुरू होकर 5 अक्टूबर 2022 को समाप्त होगी.

नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा के भक्त उपवास रखते हुए पूजा अर्चना करते हैं आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना की जाती है और अष्टमी व नवमी तिथि पर कन्या पूजन के बाद व्रत का पारण किया जाता है.
हर किसी के जीवन में यूं तो उतार-चढ़ाव लगे ही रहते है देखा जाये तो व्यक्ति अपनी परेशानियों में घिरा रहता है, कई तरह के उपाय करने के बाद भी उसका समाधान प्राप्त नहीं कर पाता ऐसे में वो खुद से और जीवन से निराश होने लगता है.
सच्चे मन से नवरात्र में माँ की पूजा की जाये तो समस्त बाधाओं और बंधनों से मुक्त करा देती है इसलिए मनोकामना पूर्ति, लक्ष्य की सिद्धि, तंत्र-मंत्र के लिए नवरात्र में आदिशक्ति मां दुर्गा के मंत्रों का जाप होता है.  
 *माता को प्रसन्न करने के खास मंत्र:-* 
 *‘मां दुर्गा के सिद्ध मंत्र’* 

 *1- शत्रु के विनाश के लिए मंत्र* 

रक्त बीज वधे देवि चण्ड मुण्ड विनाशिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।


*2- सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मंत्र*

वन्दि ताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्य दायिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

*3- अपने कल्याण के लिए मंत्र*

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवी नारायणी नमोस्तुते।।

*4- समस्त बाधाओं से मुक्ति के लिए मंत्र* 

शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

5- *बीमारियों से मुक्ति के लिए मंत्र* 

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

 *जगत के कल्याण के लिए* 

विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

*7- धन और विद्या प्राप्ति के लिए*

विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।


शनिवार, 24 सितंबर 2022

अगर ब्लैडर चोक हो जाए या पेशाब करने में असमर्थ हो रहे हैं.. तो क्या करें?? 👉

*अगर ब्लैडर चोक हो जाए...*            ________________

मूत्राशय भरा हुआ है, 
और पेशाब नहीं हो रहा है, 
या पेशाब करने में असमर्थ हो रहे हैं.. तो क्या करें?? 👉

यह एक प्रसिद्ध एलोपैथी चिकित्सक 70 वर्षीय ईएनटी विशेषज्ञ का अनुभव है।  
आइए सुनते हैं अनुठा अनुभव..👉   

एक सुबह वे अचानक उठे।  उन्हें मुत्रत्याग करने की जरूरत थी, लेकिन वे कर नहीं सके (कुछ लोगों को बाद की उम्र में कभी-कभी यह समस्या होती है)। उन्होंने बार-बार कोशिश की, लेकिन लगातार कोशिश नाकाम रही। तब उन्होंने महसूस किया कि एक समस्या खड़ी हो गयी है।

एक डॉक्टर होने के नाते, वे ऐसी शारीरिक समस्याओं से अछूते नहीं थे; उनका निचला पेट भारी हो गया। बैठना या खड़े़ रहना दुस्वार होने लगा, तल-पेट में दबाव बढ़ने लगा ।

तब उन्होंने एक जाने-माने यूरोलॉजिस्ट को फोन पर बुलाया और स्थिति के बारे में बताया।  मूत्र-रोग विशेषज्ञ ने उत्तर दिया: "मैं इस समय एक बाहरी क्षेत्र के अस्पताल में हूँ, और आपके क्षेत्र के क्लिनिक में दो घंटे में पहुँच पाऊँगा। क्या आप इतने लंबे समय तक इसका सामना कर सकते हैं?"
उन्होंने उत्तर दिया: "मैं कोशिश करूँगा।"
उसी समय, उन्हें बचपन की एक अन्य एलोपैथिक महिला-डॉक्टर का ध्यान आया। बड़ी मुश्किल से उन्होंने अपनी दोस्त-डाक्टर को स्थिति के बारे में बताया।
उस सहेली ने उत्तर दिया:-  *"ओह, आपका मूत्राशय भर गया है। और कोशिश करने पर भी आप मुत्रत्याग कर नहीं पा रहे... चिंता न करें। जैसा मैं बता रही हूं, वैसा ही करें। आप इस समस्या से छुटकारा पा जाएंगे।"*  
और उसने निर्देश दिया:- 
 "सीधे खड़े हो जाइये, और जोर से बार-बार कूदिये। कूदते समय दोनों हाथों को ऊपर यूॅं उठाए रखें, मानो आप किसी पेड़ से आम तोड़ रहे हों। ऐसा 10 से 15 बार करें।"
बूढ़े डॉक्टर ने सोचा: "क्या? सचमुच मैं इस स्थिति में कूद पाऊंगा? इलाज थोड़ा संदिग्ध लग रहा था। फिर भी डॉक्टर ने कोशिश की... 
3 से 4 बार छलांग लगाने पर ही उन्हें पेशाब की तलब लगी और उन्हें राहत मिल गयी।  
 उन्होंने इतनी सरल विधि से समस्या को हल करने के लिए अपनी मित्र डॉक्टर को सहर्ष धन्यवाद दिया। 
अन्यथा, उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ता, मूत्राशय की जाॅंच, इंजेक्शन, एंटीबायोटिक्स आदि के साथ साथ कैथेटर डालना होता... उनके और करीबी लोगों के लिए मानसिक तनाव के साथ लाखों का बिल भी होता।
 
कृपया वरिष्ठ नागरिकों के साथ साझा करें। इस असहनीय अनुभव वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह एक बहुत ही सरल उपाय है.... 
*कृपया इसे शेयर जरुर करें* 
*🙏
👨‍🏫👩‍🏫 सभी *वरिष्ठ नागरिक* (55 से ऊपर की उम्र के) कृपया अवश्य पढ़ें, हो सकता है आपके लिए फायदेमंद हो .. 
           
*आप जानते हैं कि मन चाहे कितना ही जोशीला हो पर साठ की उम्र पार होने पर यदि आप अपनेआप को फुर्तीला और ताकतवर समझते हों तो यह गलत है।  वास्तव में ढलती उम्र के साथ शरीर उतना ताकतवर और फुर्तीला नहीं रह जाता।*

आपका शरीर ढलान पर होता है, जिससे ‘हड्डियां व जोड़ कमजोर होते हैं, पर *कभी-कभी मन भ्रम बनाए रखता है कि ‘ये काम तो मैं चुटकी में कर लूँगा’।*  पर बहुत जल्दी सच्चाई सामने आ जाती है मगर एक नुकसान के साथ।

सीनियर सिटिजन होने पर जिन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए, ऐसी कुछ टिप्स दे रहा हूं। 

 -- *धोखा तभी होता है जब मन सोचता है कि ‘कर लूंगा’ और शरीर करने से ‘चूक’ जाता है।  परिणाम एक एक्सीडेंट और शारीरिक क्षति!*

ये क्षति फ्रैक्चर से लेकर ‘हेड इंज्यूरी’ तक हो सकती है।  यानी कभी-कभी जानलेवा भी हो जाती है।

-- *इसलिए जिन्हें भी हमेशा हड़बड़ी में काम करने की आदत हो, बेहतर होगा कि वे अपनी आदतें बदल डालें।*

*भ्रम न पालें, सावधानी बरतें क्योंकि अब आप पहले की तरह फुर्तीले नहीं रहे।*

छोटी सी चूक कभी बड़े नुक़सान का कारण बन जाती है।

-- *सुबह नींद खुलते ही तुरंत बिस्तर छोड़ खड़े न हों, क्योंकि आँखें तो खुल जाती हैं मगर शरीर व नसों का रक्त प्रवाह पूर्ण चेतन्य अवस्था में नहीं हो पाता ।*

अतः पहले बिस्तर पर कुछ मिनट बैठे रहें और पूरी तरह चैतन्य हो लें।  कोशिश करें कि बैठे-बैठे ही स्लीपर/चप्पलें पैर में डाल लें और खड़े होने पर मेज या किसी सहारे को पकड़कर ही खड़े हों। अक्सर यही समय होता है डगमगाकर गिर जाने का।

-- गिरने की सबसे ज्यादा घटनाएं बाथरुम/वॉशरुम या टॉयलेट में ही होती हैं।  आप चाहे अकेले हों, पति/पत्नी के साथ या संयुक्त परिवार में रहते हों लेकिन बाथरुम में अकेले ही होते हैं।

-- *यदि आप घर में अकेले रहते हों, तो और अधिक सावधानी बरतें क्योंकि गिरने पर यदि उठ न सके तो दरवाजा तोड़कर ही आप तक सहायता पहुँच सकेगी, वह भी तब जब आप पड़ोसी तक समय से सूचना पहुँचाने में सफल हो सकेंगे।*

— *याद रखें बाथरुम में भी मोबाइल साथ हो ताकि वक्त जरुरत काम आ सके।*

-- देशी शौचालय के बजाय हमेशा यूरोपियन कमोड वाले शौचालय का ही इस्तेमाल करें।  यदि न हो तो समय रहते बदलवा लें, इसकी तो जरुरत पड़नी ही है, अभी नहीं तो कुछ समय बाद।

संभव हो तो कमोड के पास एक हैंडिल लगवा लें।  कमजोरी की स्थिति में इसे पकड़ कर उठने के लिए ये जरूरी हो जाता है।

बाजार में प्लास्टिक के वेक्यूम हैंडिल भी मिलते हैं, जो टॉइल जैसी चिकनी सतह पर चिपक जाते हैं, पर *इन्हें हर बार इस्तेमाल से पहले खींचकर जरूर जांच-परख लें।*

-- *हमेशा आवश्यक ऊँचे स्टूल पर बैठकर ही नहायें।*

बाथरुम के फर्श पर रबर की मैट जरूर बिछाकर रखें ताकि आप फिसलन से बच सकें।

-- *गीले हाथों से टाइल्स लगी दीवार का सहारा कभी न लें, हाथ फिसलते ही आप ‘डिस-बैलेंस’ होकर गिर सकते हैं।*

-- बाथरुम के ठीक बाहर सूती मैट भी रखें जो गीले तलवों से पानी सोख ले।  कुछ सेकेण्ड उस पर खड़े रहें फिर फर्श पर पैर रखें वो भी सावधानी से। 

-- *अंडरगारमेंट हों या कपड़े, अपने चेंजरूम या बेडरूम में ही पहनें।  अंडरवियर, पाजामा या पैंट खडे़-खडे़ कभी नहीं पहनें।*

हमेशा दीवार का सहारा लेकर या बैठकर ही उनके पायचों में पैर डालें, फिर खड़े होकर पहनें, वर्ना दुर्घटना घट सकती है।

*कभी-कभी स्मार्टनेस की बड़ी कीमत चुकानी पड़ जाती है।*

-- अपनी दैनिक जरुरत की चीजों को नियत जगह पर ही रखने की आदत डाल लें, जिससे उन्हें आसानी से उठाया या तलाशा जा सके।

*भूलने की आदत हो, तो आवश्यक चीजों की लिस्ट मेज या दीवार पर लगा लें, घर से निकलते समय एक निगाह उस पर डाल लें, आसानी रहेगी।*

-- जो दवाएं रोजाना लेनी हों, उनको प्लास्टिक के प्लॉनर में रखें जिससे जुड़ी हुई डिब्बियों में हफ्ते भर की दवाएँ दिन-वार के साथ रखी जाती हैं।

*अक्सर भ्रम हो जाता है कि दवाएं ले ली हैं या भूल गये।प्लॉनर में से दवा खाने में चूक नहीं होगी।*

-- *सीढ़ियों से चढ़ते उतरते समय, सक्षम होने पर भी, हमेशा रेलिंग का सहारा लें, खासकर ऑटोमैटिक सीढ़ियों पर।*

ध्यान रहे अब आपका शरीर आपके मन का *ओबिडियेंट सरवेन्ट* नहीं रहा।

— बढ़ती आयु में कोई भी ऐसा कार्य जो आप सदैव करते रहे हैं, उसको बन्द नहीं करना चाहिए। 

कम से कम अपने से सम्बन्धित अपने कार्य स्वयं ही करें।

— *नित्य प्रातःकाल घर से बाहर निकलने, पार्क में जाने की आदत न छोड़ें, छोटी मोटी एक्सरसाइज भी करते रहें। नहीं तो आप योग व व्यायाम से दूर होते जाएंगे और शरीर के अंगों की सक्रियता और लचीला पन कम होता जाएगा।  हर मौसम में कुछ योग-प्राणायाम अवश्य करते रहें।*

— *अपना पानी, भोजन, दवाई इत्यादि स्वयं लें जिससे शरीर में सक्रियता बनी रहे।*

बहुत आवश्यक होने पर ही दूसरों की सहायता लेनी चाहिए। 

— *घर में छोटे बच्चे हों तो उनके साथ अधिक समय बिताएं, लेकिन उनको अधिक टोका-टाकी न करें। 

-- *ध्यान रखें कि अब आपको सब के साथ एडजस्ट करना है न कि सब को आपसे।*

-- इस एडजस्ट होने के लिए चाहे, बड़ा परिवार हो,  छोटा परिवार हो या कि पत्नी/पति हो, मित्र हो, पड़ोसी या समाज।

*एक मूल मंत्र सदैव उपयोग करें।*    
    
1. *नोन* अर्थात नमक।  भोजन के प्रति स्वाद पर नियंत्रण रखें।   

2. *मौन*  कम से कम एवं आवश्यकता पर ही बोलें।   

3. *कौन* (मसलन कौन आया  कौन गया, कौन कहां है, कौन क्या कर रहा है) अपनी दखलंदाजी कम कर दें।                 

*नोन, मौन, कौन* के मूल मंत्र को जीवन में उतारते ही *वृद्धावस्था* प्रभु का वरदान बन जाएगी जिसको बहुत कम लोग ही उपभोग कर पाते हैं। 

*कृपया इस संदेश को अपने घर, रिश्तेदारों, आसपड़ोस के वरिष्ठ सदस्यों को भी अवश्य प्रेषित करें।*

  
            *🙏🏻धन्यवाद!🙏🏻*

मंगलवार, 13 सितंबर 2022

इस महिला को सबसे घृणित लोगों में स्थान दिया जा सकता है।


 

इस महिला को सबसे घृणित लोगों में स्थान दिया जा सकता है। उसका नाम जसलीन कौर है। उसने दुनिया को बेवकूफ बनाया और एक ऐसे व्यक्ति के जीवन को नष्ट कर दिया जो निर्दोष था।

इस मुस्कुराते चेहरे और सफेद दांतों को देखिए। इस मुंह पर सौ घुसे पड़ने चाहिए।

दिल्ली निवासी सर्वजीत सिंह 23 अगस्त, 2015 की शाम को तिलक नगर, दिल्ली में अपनी बाइक चला रहे थे। कुछ ही मिनटों के बाद, उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई।

आम आदमी पार्टी से जुड़ी लड़की जसलीन को ट्रैफिक नियमों की कोई समझ नहीं थी। उसने मीडिया को बताया, "जब मैंने रेड सिग्नल पर इशारा किया और सर्वजीत को रुकने के लिए कहा, तो उसने अश्लील टिप्पणी की।" वो एक झूठ है। वास्तव में, सर्वजीत ने उसे बताया था कि उसे बाईं ओर मुड़ना है, इसलिए वह आगे बढ़ रहा था।

सर्वजीत के जवाब से जसलीन का बड़ा अहंकार आहत हुआ। उसने अपना फोन निकाला और सर्वजीत की कुछ तस्वीरें क्लिक कीं। फिर उसने फेसबुक पर सर्वजीत की एक तस्वीर पोस्ट की और अश्लील टिप्पणी करने का आरोप लगाया।

इस पोस्ट के एक घंटे के भीतर लोगों ने सर्वजीत की पहचान ढूंढी और उसे "हवशी" और "राक्षस" घोषित किया। मीडिया ने सर्वजीत का क्रूर परीक्षण किया, बिना पुष्टि किए कि क्या जसलीन सच बोल रही थी या नहीं।

सर्वजीत हर न्यूज़ चैनल पर था। यह ऐसा था जैसे एक बकरी को मारने के लिए तैयार किया जा रहा था। और जो लोग इस बकरे को तैयार कर रहे थे वे स्वघोषित "पशु अधिकार कार्यकर्ता" थे।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया और जसलीन की तारीफ की:

सीएम ने जसलीन से मुलाकात कर उसे बधाई दी। यह सब बिना किसी पुष्टि के किया गया था कि क्या जसलीन सच बोल रही थी या नहीं!

भाई-भतीजावाद के बेकार उत्पाद, सोनाक्षी सिन्हा ने भी जसलीन का समर्थन किया। (बाद में उसने माफी मांगी)

सर्वजीत ने अपने फेसबुक अकाउंट पर कहानी का अपना पक्ष बताते हुए पोस्ट किया, लेकिन लोगों को फर्क नहीं पड़ा। उन्हें भारतीय दंड संहिता के तहत धारा 354 ए (यौन उत्पीड़न के लिए सजा) और 509 (शब्द, इशारा या किसी महिला की विनम्रता का अपमान करने का इरादा) के तहत गिरफ्तार किया गया।

सर्वजीत को उनकी नौकरी से निलंबित कर दिया गया था और कोई और उन्हें नौकरी देने के लिए तैयार नहीं था। हर बार उन्हें शहर छोड़ने से पहले थाने बुलाया जाता था। उनके पिता को उनकी गिरफ्तारी के महीनों के भीतर दिल का दौरा पड़ा और कोई भी अपनी बेटी की शादी एक "राक्षस" से नहीं करना चाहता था।

ट्रैफिक सिग्नल पर सर्वजीत और जसलीन को देखने वाले लोग सर्वजीत का समर्थन कर रहे थे और कह रहे थे कि जसलीन झूठ बोल रही थी। पुलिस को सर्वजीत के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। एक गवाह ने दावा किया कि जसलीन यातायात को नियंत्रित कर रही थी और वही थी जिसने सर्वजीत के साथ दुर्व्यवहार किया था।

जसलीन 3 साल तक 13 अदालतों में सुनवाई के लिए नहीं आई। उसके माता-पिता ने कहा कि वह कनाडा में पढ़ रही थी। गलत आरोप लगाए जाने के चार साल बाद सर्वजीत को अदालत ने बरी कर दिया।

अगर जसलीन लड़का होती, तो शायद इस देश का कानून हर कोशिश करके उसे भारत लाता और सजा देता। इस देश के कानून ने बुरी महिलाओं की बुरी शक्ति को दोगुना कर दिया है। जिस तरह से बुरे मर्दों के कारण अच्छे मर्द तड़पते हैं, उसी तरह अब इस चुड़ैल की वजह से लोग महिलाओं पर जल्दी यकीन नहीं करेंगे।

विभिन्न प्रकार के विटामिंस,और उनकी कमी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं

विटामिन शरीर में विभिन्न अंगों के स्वस्थ तरीके से काम करने के लिए जरूरी होते हैं। इनकी कमी से बहुत सी स्वास्थ्य समस्याएं होना शुरू हो जाती है।

बाल झड़ना

,ड्राई स्किन,आंखों में कमजोरी,बारिश के दिनों में एडिया फटना,जीभ लाल होना, असमय थकान,खून की कमी, जोड़ों और हड्डियों में दर्द मूड स्विंग आदि लक्षन विटामिंस की कमी के कारण दिखाई देना शुरू हो जाते हैं।

विटामिन ए

विटामिन ए की कमी से रतौंधी सहित अन्य प्रकार के आंखों के रोगों

की आशंका बढ़ जाती है। इससे हड्डियां, दांत,बाल, मांसपेशियां, नाखून आदि भी प्रभावित होते हैं।

विटामिन बी

यह b1, b2,b3,b5,b6, b7,b9 एवं b12 का समूह होता है। यह मेटाबॉलिज्म,कोलेस्ट्रॉल, त्वचा, ब्लड शुगर

कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन ,आर बी सी ,डी एन ए, आर एन ए, तंत्रिका तंत्र आदि पर प्रभाव डालते हैं। इसके लिए सीड्स,नट्स,फलियां, डेयरी प्रोडक्ट,मशरूम,साबुत अनाज,फल,दूध,केला,आलू, हरी पत्तेदार सब्जियां ,सोयाबीन,शतावरी,संतरे का रस आदि इसके लिए उपयुक्त स्रोत हैं।उन्हें अपने रूटीन डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।

विटामिन सी

यह विटामिन इम्यूनिटी

पर असर डालता है। नींबू,आंवला, संतरा, मिर्च, खरबूजे सहित खट्टे फलों में यह पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।

विटामिन डी

शरीर में कैल्शियम के अवशोषण के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी होता है। यह दांत और हड्डियों की कमजोरी

आदि को दूर करता है। धूप।दूध।मक्खन आदि इसक अच्छे स्रोत हैं।

विटामिन ई

यह एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह काम करता है। बारिश में एडिया फटना भी इसकी कमी के लक्षण है। यह वनस्पति तेल अनाज आदि में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

विटामिन के

यह विटामिन शरीर में रक्त के प्रवाह को प्रभावित करता है। रक्तचाप

को सामान्य रखने में सहायक होता है। यह रक्त के थक्के नहीं बनने देता है। विटामिन के पालक, ब्रोकली, सहित हरी पत्तेदार सब्जियों में खूब पाया जाता है।


पित्तदोष होने पर क्या खाएं? पित्त दोष को संतुलित करने के घरेलू उपाय

पित्त दोष क्या है (What is Pitta Dosha)? पित्त शरीर में अग्नि और जल तत्वों से मिलकर बनता है। यह शरीर में हार्मोन, एंजाइम, शरीर के तापमान और पाचक अग्नि को नियंत्रित करता है। पित्त पेट और छोटी आंत में प्रमुखता से पाया जाता है। 

शरीर में पित्त का संतुलन (Pitta in Body) में होना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि पित्त असंतुलित होने पर कई रोगों कारण बन सकता है। पित्त से लगभग 40 तरह के रोग जन्म ले सकते हैं।

पित्त प्रकृति वाले लोगों को अकसर पेट में एसिडिटी और कब्ज की समस्या रहती है (Acidity and Constipation in Pitta Dosha)। इनकी पाचक अग्नि कमजोर पड़ जाती है, जिससे ये भोजन को अच्छे से डायजेस्ट नहीं कर पाते हैं। हमेशा स्वस्थ रहने के लिए पित्त का संतुलित होना बहुत जरूरी होता है। पित्त प्रकृति वाले लोगों को हमेशा ठंडी, मीठी चीजों का सेवन करना चाहिए। साथ ही गर्म तासीर और खट्टी चीजें शरीर में पित्त बढ़ाने का कारण होते हैं। अगर आपके शरीर में लाल चकते या फोड़े-फुंसी रहते हैं, आपको एसिडिटी की समस्या है, गुस्सा बहुत जल्दी आता है तो समझ जाइए कि आपके शरीर की प्रकृति पित्त है। ऐसे में इसे संतुलन में रखने के लिए आपको कुछ चीजों से हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

पित्त प्रकृति वाले लोगों को किन चीजों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए (Foods to Avoid in Pitta Dosha)।

आयुर्वेद के अनुसार अगर आपकी पित्त प्रकृति है, तो आपको कभी भी खट्टे और गर्म तासीर वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इनके सेवन से आपको कोई फायदा नहीं मिलेगा, बल्कि इससे आपको नुकसान हो सकता है। चलिए जानते हैं, किन चीजों से आपको दूरी बनाकर रखनी है-

इन चीजों से भी बढ़ता है पित्त (These Things Also Increase Pitta)

  • गर्म तासीर की दालें (Hot Lentils) - पित्त प्रकृति वालों के लिए अंकुरित मूंग बहुत फायदेमंद होता है
  • मैदा (Maida)
  • प्रोसेस्ड और फास्ट फूड (Processed and Fast Food)
  • शराब (Alcohol)
  • ज्यादा धूप में रहने से भी पित्त बढ़ता है। (Sunlight also Increases Pitta)
  • अग्नि के पास बैठने (Fire Increase Pitta)
  • ज्यादा एक्सरसाइज करने (Heavy Workout)
  • मानसिक तनाव (Mental Stress)
  • गुस्सा (Anger)
  • चिकन, मटन और फिश (Chicken, Mutton and Fish Increase Pitta in Body)

ऊपर बताए गए सभी चीजों से शरीर में पित्त बढ़ता है। ऐसे में अगर आपकी पित्त प्रकृति है, तो आपको इन सभी चीजों से पूरी तरह से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। अगर आप हमेशा खुश रहते हैं, तो आपका पित्त संतुलन में रहता है। 
आयुर्वेद के अनुसार एक व्यक्ति तभी स्वस्थ रह सकता है, जब वह अपनी प्रकृति के अनुसार आहार-विहार करता है।

अगर आपको अपनी प्रकृति के बारे में जानकारी नहीं है, तो आप एक बार किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। वे आपके बारे में जानकर आपकी प्रकृति के बारे में बताने में आपकी मदद करेंगे।

पित्तदोष होने पर क्या खाएं? अनाज से लेकर फल भी है लाभदायक, ये रही पूरी जानकारी


पित्त की समस्या में बदहजमी की शिकायत बनी रहती है। ऐसा गर्म तासीर वाला खाना खाने और ज्यादा मसालेदार खाना खाने से होता है। पित्त की इस समस्या से राहत पाने के लिए खाने में ठंडी तासीर वाली चीजों का सेवन करना फायदेमंद रहता है।

पित्त एक ऐसा रोग है, जिससे पीड़ित होने पर एक या दो नहीं बल्कि 40 से ज्यादा रोग हो सकते हैं। बहुत जल्दी गुस्सा आना, ज्यादा पसीना आना, जल्दी थकान होना, ये सब पित्त दोष के लक्षण हैं। पित्त दोष ज्यादा मसालेदार खाना खाने, तनाव लेने से या बिना भूख के ही कुछ भी खा लेने और गर्म तासीर वाली चीजों के सेवन से अधिक होता है। हालांकि, खान-पान में सुधार करने से पित्त दोष की समस्या से राहत पाई जा सकती है। तो चलिए हम आपको बताते हैं पित्त दोष के निवारण के लिए डाइट में किन चीजों को शामिल करें और किन चीजों को इग्नोर करें-

पित्त दोष में क्या खाएं?

इन फलों का करें सेवन
पित्त दोष में गर्म तासीर वाले फलों के सेवन से परहेज करना चाहिए। इस समस्या से राहत पाने के लिए सेब, अनार, ताजे अंजीर, आम, खरबूजा, अमरूद और संतरे का सेवन कर सकते हैं।

सब्ज़ियां
जिन लोगों को पित्त की समस्या होती है, वो ब्रोकली, खीरा, हरी शिमला मिर्च, हरी पत्तेदार सब्जी, गोभी, हरी बींस, मशरूम, लौकी और भिंडी से बनी सब्जियों को डाइट में शामिल कर सकते हैं। पर ध्यान रखें कि सब्जी मसालेदार न हो।

अनाज
पित्त की समस्या से राहत पाने के लिए अनाज का सेवन भी फायदेमंद होता है। अनाजों में जौ, गेहूं, ओट्स, सफेद बासमाती चावल को शामिल किया जा सकता है। वहीं, दालों में मूंग की दाल इस रोग में फायदेमंद होती है।

हर्बल टी का सेवन
पित्त की समस्या से निजात पाने के लिए चाय-कॉफी का सेवन हानिकारक होता है। दरअसल, पित्त की समस्या होने पर बदहजमी की शिकायत बनी रहती है। ऐसे में चाय-कॉफी का सेवन पित्त को बढ़ाने का काम करता है। चाय-कॉफी की जगह हर्बल या ग्रीन टी का सेवन किया जा सकता है।

घी का करें सेवन
पित्त को शांत करने के लिए गाय का देसी घी काफी फायदेमंद होता है। इसके अलावा खाने में नारियल का तेल, सूरजमुखी का तेल और जैतून के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।

पित्त को बढ़ाते हैं ये 7 फूड्स, पित्त प्रकृति वाले न करें इनका सेवन

1. लाल मिर्च बढ़ाए पित्त (Red Chilies Increase Pitta)

पित्त प्रकृति वाले लोगों को भूलकर भी लाल मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिए। लाल मिर्च की तासीर बहुत गर्म होती है, ऐसे में अगर पित्त प्रकृति वाले लोग इसे अपने भोजन में शामिल करेंगे तो इससे उनके शरीर में पित्त बढ़ सकता है। पित्त प्रकृति वाले लोग लाल मिर्च की जगह हरी मिर्च का सेवन कर सकते हैं। लाल मिर्च पित्त को बढ़ाने का एक प्रमुख कारण होता है।

2. मसालों से बढ़ता है पित्त (Spices Cause to Increase Pitta)

भारतीय घरों में भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए कई तरह के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन पित्त प्रकृति वाले लोगों के लिए मसाले का सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है। पित्त प्रकृति वालों को खाने में इस्तेमाल होने वाले मसाले जैसे काली मिर्च, दालचीनी, तेजपत्ता, लौंग आदि के सेवन से बचना चाहिए। मसालों में आप धनिया का इस्तेमाल कर सकते हैं। धनिया की तासीर ठंडी होती है, जो पित्त प्रकृति वालों के लिए फायदेमंद होती है। साथ ही लहसुन, अदरक का भी आपको सीमित मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए। अगर आपको पित्त ज्यादा बढ़ा हुआ है, तो इनसे भी दूरी बनाकर रखें।

3. ड्राय फ्रूट्स बढ़ाए पित्त (Dry Fruits Increase Pitta in Body)

ड्राय फ्रूट्स (Dry Fruits) यानी सूखे मेवे की तासीर बहुत गर्म होती है। पित्त प्रकृति वालों में इनका दुष्प्रभाव देखने को मिलता है। अगर आपकी पित्त प्रकृति है, तो आपको इनके सेवन से बचना चाहिए। आपको कभी भी काजू, बादाम, किशमिश, पिस्ता और अखरोट का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आप चाहें तो बादाम को रातभर भिगोकर रखें और सुबह इसका सेवन कर सकते हैं, इससे उसकी तासीर ठंडी हो जाती है। मूंगफली भी शरीर में पित्त को बढ़ाने का कारण होती है। सर्दियों में भी मूंगफली का सेवन नहीं करना चाहिए।

4. खट्टे फलों से बढ़ता है पित्त (Citrus Fruits Increase Pitta)

पित्त प्रकृति वाले लोगों को खट्टी चीजों से भी परहेज करना होता है। खट्टी चीजें शरीर में पित्त की मात्रा को बढ़ाते हैं, जिससे कई तरह के रोग हो सकते हैं। अगर आपकी पित्त प्रकृति है तो खट्टे फलों (Citrus Fruits) का सेवन भूलकर भी न करें। इसमें आप संतरा, मौसंबी, कीवी, चकोतरा आदि के सेवन से बचें। इसकी जगह आप पित्त को शांत करने वाले फल जैसे तरबूज, खीरा, सेब आदि का सेवन कर सकते हैं। 

5. तला-भुना भोजन बढ़ाए पित्त (Fried Foods Increase Pitta in Body)

वैसे तो ज्यादा तला-भुना आहार सभी के लिए नुकसानदायक होता है, लेकिन पित्त प्रकृति वालों को यह सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इनके ज्यादा सेवन से शरीर में पित्त बढ़ने की संभावना रहती है। ऐसे में आपको इनका सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

6. कैफीन से बढ़ता है पित्त (Caffeine Increases Pitta)

पित्त प्रकृति वाले लोगों को कैफीन युक्त चीजों से भी दूरी बनाकर रखनी होती है। कैफीन युक्त चीजें जैसे चाय, कॉफी, सोडा और चॉकलेट्स भी पित्त को बढ़ाने की मुख्य वजह होते हैं। इनका सेवन आपको भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इसकी जगह आप हर्बल टी या कूल ड्रिंक्स का सेवन कर सकते हैं। इनसे पित्त शांत होता है।

7. गर्म तासीर की सब्जियां (Hot Steamed Vegetables Increase Pitta)

पित्त को बढ़ाने के लिए आपको गर्म तासीर की सब्जियों का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। साथ ही चिपचिपी सब्जियों से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए। इसमें आपको बैंगन, अरबी, भिंडी, कटहल, सरसों का साग आदि से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। पित्त को संतुलित करने के लिए आप पालक, बींस, परवल और सीताफल का सेवन कर सकते हैं।

पित्त दोष को संतुलित करने के घरेलू उपाय (Home Remedies to Balance Pitta Dosha)

1) घरेलू उपायों में घी, मक्खन और दूध से भी पित्त दोष को संतुलित किया जा सकता है।

2) पित्त असंतुलित या बढ़ा हो तो ऐसे में आपको खट्टे फलों के सेवन से बचना चाहिए। इसे संतुलित करने के लिए मीठे फलों का सेवन करना लाभकारी होता है।

3) पित्त को शांत करने के लिए आप एलोवेरा, व्हीटग्रास का जूस पी सकते हैं। इससे पित्त को आसानी से संतुलित किया जा सकता है। लौकी का जूस भी पित्त दोष को शांत करने में मददगार होता है।

4) आंवले के जूस से भी पित्त को संतुलित किया जा सकता है। इसमें कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो पित्त को संतुलित करने में मददगार होते हैं। 

5) पित्त दोष होने पर शरीर में अग्नि की मात्रा बढ़ी होती है, ऐसे में ज्यादा मात्रा में पानी पीने से इसे शांत किया जा सकता है।

6) पित्त दोष को संतुलित करने के लिए आप गुलाब की पंखुड़ियों का गुलकंद बनाकर पी सकते हैं। इसकी तासीर ठंडी होती है, जो शरीर में अग्नि को शांत करने में मदद करता है।

7) शरीर में पित्त की मात्रा बढ़ने पर आप सौंफ, धनिया का पानी पी सकते हैं। इसके लिए एक-एक चम्मच सौंफ और धनिया रात को एक गिलास पानी में मिला लें। रातभर भिगोकर रखें और सुबह इसका पानी पी लें।

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8) इसके साथ ही पुदीने का पानी भी पित्त दोष को संतुलित करने में मददगार होता है।

9) मुनक्का भी पित्त दोष को शांत करने में मददगार होता है। दूध में मुनक्का को उबालकर इसे खाने से पित्त को संतुलित किया जा सकता है।

10) इसके अलावा पित्त दोष तो शांत करने के लिए आपको अपनी डाइट में घी को जरूर शामिल करना चाहिए। घी पित्त को संतुलित करने में बेहद मददगार होता है। आप इसे दाल, सब्जी में इस्तेमाल कर सकते हैं।

11) सब्जियों में आपको खीरा, शिमला मिर्च, अंकुरित दाल, पत्तेदार सब्जियां, बींस और लौकी को शामिल करना चाहिए।

पित्त दोष को शांत करने के टिप्स (Tips to Balance Pitta Dosha)

  • - पित्त दोष को संतुलित करने के लिए आपको कड़वी, कसैली और मीठी चीजों का सेवन करना चाहिए।
  • - अगर आपका पित्त बढ़ा हुआ है, तो बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करने से आपको बचना चाहिए।
  • - दोस्तों के साथ बातें करके, खुश रहकर भी इसे शांत किया जा सकता है।
  • - मेडिटेशन करके भी पित्त दोष को संतुलित किया जा सकता है।
  • - मार्जरी आसन, चंद्र नमस्कार, भुजंगासन और शवासन करके पित्त दोष को शांत करने में मदद मिलती है।

अगर आपके शरीर में भी पित्त दोष बढ़ा हुआ है, तो आप इन घरेलू उपायों की मदद से इसे संतुलित कर सकते हैं। लेकिन अगर लंबे समय तक इसमें असर देखने को न मिले, तो आपको डॉक्टर से कंसल्ट करने की जरूरत होती है। इसलिए इसे नजरअंदाज न करें, क्योंकि समय के साथ-साथ यह बढ़ता जाता है।

(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)


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