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बुधवार, 10 मई 2023

सोलह_प्रकार_की_माताएँ

#सोलह_प्रकार_की_माताएँ!!!!!!! 

#गुरुपत्नी , राजपत्नी , देवपत्नी , पुत्रवधु , माता की बहिन , पिता की बहिन , शिष्यपत्नी , भृत्य पत्नी ( नौकर की पत्नी ) , मामी , पिता की पत्नी ( माता और विमाता ) , भाई की पत्नी , सास , बहिन , बेटी , गर्भ में धारण करने वाली ( जन्मदात्री ) तथा इष्टदेवी - ये पुरुष की #सोलह_माताएं हैं ! 

#गुरुपत्नी_राजपत्नी_देव्पतनी_तथा_वधु: !
पित्रो: स्वसा शिष्यपत्नी भृत्यपत्नी च मातुली !!
पितृपत्नी भ्रातृपत्नी श्वभृशच भगिनी सुता !
गर्भधात्रीषट्देवी च पुन्सः षोडश मातरः !!

- #ब्रह्मवैवर्त्य_पुराण

ॐ त्र्यंबकम् मंत्र के 33 अक्षर महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 देवताआं के घोतक हैं।

ॐ त्र्यंबकम् मंत्र के 33 अक्षर 
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जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 देवताआं के घोतक हैं। 
उन तैंतीस देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्यठ 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं। 
इन तैंतीस देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र से निहीत होती है
जिससे महा महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी दीर्घायु तो प्राप्त करता ही हैं । 
साथ ही वह नीरोग, ऐश्व‍र्य युक्ता धनवान भी होता है ।
महामृत्युंरजय का पाठ करने वाला प्राणी हर दृष्टि से सुखी एवम समृध्दिशाली होता है । भगवान शिव की अमृतमययी कृपा उस निरन्तंर बरसती रहती है।

• त्रि - ध्रववसु प्राण का घोतक है जो सिर में स्थित है।
• यम - अध्ववरसु प्राण का घोतक है, जो मुख में स्थित है।
• ब - सोम वसु शक्ति का घोतक है, जो दक्षिण कर्ण में स्थित है।
• कम - जल वसु देवता का घोतक है, जो वाम कर्ण में स्थित है।
• य - वायु वसु का घोतक है, जो दक्षिण बाहु में स्थित है।
• जा- अग्नि वसु का घोतक है, जो बाम बाहु में स्थित है।
• म - प्रत्युवष वसु शक्ति का घोतक है, जो दक्षिण बाहु के मध्य में स्थित है।
• हे - प्रयास वसु मणिबन्धत में स्थित है।
• सु -वीरभद्र रुद्र प्राण का बोधक है। दक्षिण हस्त के अंगुलि के मुल में स्थित है।
• ग -शुम्भ् रुद्र का घोतक है दक्षिणहस्त् अंगुलि के अग्र भाग में स्थित है।
• न्धिम् -गिरीश रुद्र शक्ति का मुल घोतक है। बायें हाथ के मूल में स्थित है।
• पु- अजैक पात रुद्र शक्ति का घोतक है। बाम हस्तह के मध्य भाग में स्थित है।
• ष्टि - अहर्बुध्य्त् रुद्र का घोतक है, बाम हस्त के मणिबन्धा में स्थित है।
• व - पिनाकी रुद्र प्राण का घोतक है। बायें हाथ की अंगुलि के मुल में स्थित है।
• र्ध - भवानीश्वपर रुद्र का घोतक है, बाम हस्त अंगुलि के अग्र भाग में स्थित है।
• नम् - कपाली रुद्र का घोतक है । उरु मूल में स्थित है।
• उ- दिक्पति रुद्र का घोतक है । यक्ष जानु में स्थित है।
• र्वा - स्था णु रुद्र का घोतक है जो यक्ष गुल्फ् में स्थित है।
• रु - भर्ग रुद्र का घोतक है, जो चक्ष पादांगुलि मूल में स्थित है।
• क - धाता आदित्यद का घोतक है जो यक्ष पादांगुलियों के अग्र भाग में स्थित है।
• मि - अर्यमा आदित्यद का घोतक है जो वाम उरु मूल में स्थित है।
• व - मित्र आदित्यद का घोतक है जो वाम जानु में स्थित है।
• ब - वरुणादित्या का बोधक है जो वाम गुल्फा में स्थित है।
• न्धा - अंशु आदित्यद का घोतक है । वाम पादंगुलि के मुल में स्थित है।
• नात् - भगादित्यअ का बोधक है । वाम पैर की अंगुलियों के अग्रभाग में स्थित है।
• मृ - विवस्व्न (सुर्य) का घोतक है जो दक्ष पार्श्वि में स्थित है।
• र्त्यो् - दन्दाददित्य् का बोधक है । वाम पार्श्वि भाग में स्थित है।
• मु - पूषादित्यं का बोधक है । पृष्ठै भगा में स्थित है ।
• क्षी - पर्जन्य् आदित्यय का घोतक है । नाभि स्थिल में स्थित है।
• य - त्वणष्टान आदित्यध का बोधक है । गुहय भाग में स्थित है।
• मां - विष्णुय आदित्यय का घोतक है यह शक्ति स्व्रुप दोनों भुजाओं में स्थित है।
• मृ - प्रजापति का घोतक है जो कंठ भाग में स्थित है।
• तात् - अमित वषट्कार का घोतक है जो हदय प्रदेश में स्थित है।
उपर वर्णन किये स्थानों पर उपरोक्त देवता, वसु आदित्य आदि अपनी सम्पुर्ण शक्तियों सहित विराजत हैं । जो प्राणी श्रध्दा सहित महामृत्युजय मंत्र का पाठ करता है उसके शरीर के अंग - अंग ( जहां के जो देवता या वसु अथवा आदित्यप हैं ) उनकी रक्षा होती है ।

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द केरला स्टोरी का सबसे भयावह दृश्य कौनसा था? समीक्षा

द केरला स्टोरी का सबसे भयावह दृश्य कौनसा था? 
गोलियों की बरसात.. धमाके, गला काटना, हाथ काटना,  औरतों को जंजीरों में बांधकर बेचा जाना.... यह सब चल रहा था। मेरे लिए यह नॉर्मल था। आखिर इस्लामिक स्टेट में इससे अलग होना भी क्या था? मध्यकाल में भारत ने तो इससे भयंकर क्रूरताएँ झेली हैं। 

लेकिन मेरा कलेजा मुँह को आ गया था.. जब मजहबी 'दोस्त' के बहकावे में कन्वर्ट हो चुकी लड़की प्रॉपर्टी हासिल करने के लिए हॉस्पिटल में मरणासन्न पड़े अपने पिता से मिलने जाती है और उनके चेहरे पर थूक देती है! 

वह पिता जो शान से कॉमरेड हुआ करता था..लेकिन बेटी के कन्वर्ट होने पर जिसे हार्ट अटैक आ गया। क्यों? क्योंकि सच को सब जानते हैं और अपने फायदे के लिए दूसरे के बच्चों को मौत के मुँह में झोंक देते हैं लेकिन अपने बच्चे के साथ मजहब क्या करेगा यह उस बाप को भी पता था जिसके घर में मार्क्स, लेनिन, स्टॅलिन के बड़े-बड़े पोस्टर चिपके थे।

मैं रोई कब? अगेन... ब्लैकमेल, खून , बलात्कार, आतंकवाद.. जो अवश्यंभावी है उसे देखते हुए कलेजा कड़ा रहता है मेरा लेकिन इस सबसे पहले मेरे आँसू फूट पड़े थे.. जब स्क्रीन पर एक प्यारी सी, प्यार भरी बूढ़ी दादी आई थी। जब यह दादी अपनी चिड़िया जैसी मासूम पोती को हाथों से कौर खिला रही थी, उसे स्नेह से गोदी में सुला रही थी,मैं भीतर से फूट पड़ी थी कि इस प्यारी सी चिड़िया के पंख क्रूरता से नोंच दिए जाएंगे! क्या बीतेगी उस दादी पर? क्या बीतती होगी असल में उन परिवारों पर? 

अक्सर सिनेमा इतिहास बताते हैं लेकिन कुछ सिनेमा खुद इतिहास बनाते हैं। 'द केरला स्टोरी' ऐसा सिनेमा है जो इतिहास बनाने जा रहा है। इसमें इतनी क्षमता है कि यह केवल कुछ हजार या लाख लड़कियों को ही नहीं बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों को आतंकवाद से बचाकर उनका जीवन संवार सकता है। 

कोई फिल्म महान कब होती है? अपनी कलात्मकता से.. कथ्य से या अभिनय जैसे पहलुओं से? लेकिन मेरी दृष्टि में वह फिल्म महान है जो अपने विषय को दर्शक के मन मस्तिष्क में पूरी तरह उतार दे और 'द केरला स्टोरी' इसीलिए एक महान फिल्म दस्तावेज है... सो कॉल्ड करिश्माई सिनेमेटिक सौंदर्य न होने के बावजूद। 

यह फिल्म 100% कड़वा सच है। देश भर में प्यार के नाम पर चल रहे आतंकवाद का घिनौना सच। ये आतंकवादियों की मोडस ओपेरैंडी को अच्छी तरह खोलकर उन मासूम बच्चियों को समझा देती है जो हर कदम पर इनका शिकार हैं। 
आप फिल्म देखने जाएँ तो बारीकियों पर नजर रखिए। यह फ़िल्म किसी मनोवैज्ञानिक की तरह उनकी हर एक हरकत को उघाड़कर दिखा रही है।

जैसे, जो 'प्रेमी' कल तक लड़की के सैंडिल हाथ में उठाकर चल रहा था वही आतंकवाद में शामिल न होने पर उसी लड़की के न्यूड्स दुनियाभर में वायरल कर देता है। उसके पूरे परिवार को बर्बाद कर उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर देता है। यह उन लड़कियों की आँखें खोल सकता है जिनका "मेरा अयाज़/फरहान/आतिफ/ सूफी सबसे अलग है।" 
इस फिल्म में आतंकी वैसे ही दिखाए गए हैं जैसे वास्तविकता में होते हैं- बिल्कुल साफ सुथरे, पढ़े-लिखे, हाईफाई, गुड लुकिंग, चार्मिंग, वेल मैनर्ड।

किसी की बड़ी सटीक टिप्पणी पढ़ी कि 'द केरला स्टोरी' असल में 'द कश्मीर फाइल्स' का प्रीक्वल है। पहले किसी क्षेत्र में केरल की तरह जनसंख्या बदलती  है और अंततः कश्मीर का पलायन और नरसंहार सामने आता है। 

फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन , प्रोड्यूसर विपुल अमृतलाल शाह, लेखक सूर्यपाल सिंह शाबाशी के हकदार हैं। उन्होंने इस आतंकवाद की मैथडोलॉजी बताई है। हम कहाँ चूक रहे हैं इसे भी समझाया है।

फिल्म को चारों लड़कियाँ अपने कंधों पर अच्छे से लेकर चली हैं। अदा शर्मा की हिम्मत और एक्टिंग, दोनों अप्रतिम हैं। एक्टिंग का मतलब आड़े-टेढ़े मुँह बनाना ही नहीं होता। वह इतनी भोली लगी है... ज्यों अनजाने में पागल कुत्तों के झुंड की ओर भागता गाय का बछड़ा ! 

फिल्म का संगीत और बैक ग्राउंड समीचीन है। असरदार है। कुछ flaws हर चीज में होते हैं। बलात्कार दृश्यों की क्रूरता दिखाने के लिए रियलिस्टिक फिल्माया गया है। लेकिन ये प्रतीकात्मक होते तो 13-14 वर्ष की बच्चियों को भी साथ बैठाकर फिल्म दिखाई जा सकती थी। खैर, OTT रिलीज के बाद माता पिता स्वविवेक से कुछ दृश्यों के अलावा पूरी फिल्म किशोरों को दिखा और समझा सकते हैं।

द केरला स्टोरी देखिए। सक्षम हों तो औरों को भी दिखाइये। यह  फिल्म नहीं, जीवन रक्षक वैक्सीन है। सुनिधि चौहान का पूरे मन से गाया टाइटल ट्रैक इसकी पूरी कहानी को सिरे से बयां कर रहा है:

ना ज़मीं मिली, ना फ़लक मिला, 
है सफ़र में अंधा परिंदा
जिस राह की मंज़िल नहीं, 
वहीं खो गया होके गुमराह

ज़िंदान को उड़ान समझ बैठा,
एक बार भी मुड़ के ना देखा
हरे पेड़ों की शाख़ें छोड़ आया
मासूम को किसने बहकाया?

हरियाली वो राहों में आती रहीं
राहें तक़रीरें रोज़ सुनाती रहीं
ना दुआ मिली, ना मिला ख़ुदा
हुआ क़ैद पागल परिंदा

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