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बुधवार, 27 अगस्त 2025

निब पैन कभी ना चले तो हम सभी ने हाथ से झटका देने के चक्कर में आजू बाजू वालों पर के कपड़ों पर स्याही जरूर छिड़कायी होगी....!!

जब हम स्कूल में पढ़ते थे.......उस स्कूली दौर में होल्डर पेन का जिसे स्याही में डुबोकर चलाया जाता था...उसका अंतिम चरण था और निब वाले फाउंटेन पेन का चलन जोरों पर था.......!(बॉल पेन भी था जिसे डांट पेन भी कहा जाता था उसे उपयोग करनी की इजाजत हमें स्कूल में नहीं थी...पिटाई हो जाती थी....)

तब कैमलिन की स्याही प्रायः हर घर में मिल ही जाती थी......कोई कोई टिकिया से स्याही बनाकर भी उपयोग करता था और बुक स्टाल पर शीशी में स्याही भर कर रखी होती थी 5 पैसा दो और ड्रापर से खुद ही डाल लो ये भी सिस्टम था.........जिन्होंने भी पैन में स्याही डाली होगी वो ड्रॉपर के महत्व से भली भांति परिचित होंगे.......!

कुछ लोग ड्रापर का उपयोग कान में तेल डालने में भी करते थे.......

महीने में दो-तीन बार निब पैन को खोलकर उसे गरम पानी में डालकर उसकी सर्विसिंग भी की जाती थी और लगभग सभी को लगता था की निब को उल्टा कर के लिखने से हैंडराइटिंग बड़ी सुन्दर बनती है.......

सामने के जेब मे पेन टांगते थे और कभी कभी स्याही लीक होकर सामने शर्ट नीली कर देती थी जिसे हम पौंक देना कहते थे......कापी में पौंक देने पर हम ब्लैक बोर्ड के नीचे चाक के टुकड़े ढूंढते थे जो कि स्याही सोखने का काम करते थे.... स्याही से भरे हाथों को हम सिर के बालों में पोंछ लेते थे........इसी वजह से हमारी पिटाई घर और स्कूल में भी होती थी........

हर क्लास में एक ऐसा योद्धा होता था जो पैन ठीक से नहीं चलने पर ब्लेड लेकर निब के बीच वाले हिस्से में बारीकी से कचरा निकालने का दावा कर लेता था.........!!

नीचे के हड्डा(जिब)को घिस कर परफेक्ट करना भी एक आर्ट था........!!

हाथ से निब नहीं निकलती थी तो दांतों के उपयोग से भी निब निकालते थे...दांत , जीभ औऱ होंठ भी नीला होकर भगवान महादेव की तरह हलाहल पिये सा दिखाई पड़ता था.......

दुकान में नयी निब खरीदने से पहले उसे पैन में लगाकर सेट करना फिर कापी में स्याही की कुछ बूंदे छिड़क कर निब उन गिरी हुयी स्याही की बूंदो पर लगाकर निब की स्याही सोखने की क्षमता नापना ही किसी बड़े साइंटिस्ट वाली फीलिंग दे जाता था......!

निब पैन कभी ना चले तो हम सभी ने हाथ से झटका देने के चक्कर में आजू बाजू वालों पर के कपड़ों पर स्याही जरूर छिड़कायी होगी....!!

कुछ बच्चे ऐसे भी होते (हम नहीं...) थे जो पढ़ते लिखते तो कुछ नहीं थे लेकिन घर जाने से पहले उंगलियो में स्याही जरूर लगा लेते थे.......बल्कि पैंट पर भी छिड़क लेते थे ताकि घरवालों को देख के लगे कि बच्चा स्कूल में बहुत मेहनत करता है.......!!

यह निब वाला पेन हथियार का काम भी करता था....कोई जब मारने आता था तो बचाव के लिए तुरंत पेन का ढक्कन खोल कर खुद को महाराणा प्रताप समझते थे....

बिखरी बिसरी यादें....

विश्व का सबसे प्राचीन, वैज्ञानिक और विस्तृत समय गणना तंत्र — भारतीय ऋषि-मुनियों की अद्भुत देन

सेव कर सुरक्षित कर लीजिए — ऐसी पोस्ट विरले ही मिलती है!


🕉️ विश्व का सबसे प्राचीन, वैज्ञानिक और विस्तृत समय गणना तंत्र — भारतीय ऋषि-मुनियों की अद्भुत देन 🇮🇳


क्षण-क्षण की वैज्ञानिक गणना

  • 🔹 1 काष्ठा = सेकंड का 34,000वां भाग
  • 🔹 1 त्रुटि = सेकंड का 300वां भाग
  • 🔹 2 त्रुटि = 1 लव = 1 क्षण
  • 🔹 30 क्षण = 1 विपल
  • 🔹 60 विपल = 1 पल
  • 🔹 60 पल = 1 घड़ी = 24 मिनट
  • 🔹 2.5 घड़ी = 1 होरा (घंटा)
  • 🔹 3 होरा = 1 प्रहर
  • 🔹 8 प्रहर = 1 दिवस (वार)

🗓️ काल चक्र का विस्तार

  • 🔸 24 होरा = 1 दिन
  • 🔸 7 दिन = 1 सप्ताह
  • 🔸 4 सप्ताह = 1 माह
  • 🔸 2 माह = 1 ऋतु
  • 🔸 6 ऋतुएं = 1 वर्ष
  • 🔸 100 वर्ष = 1 शताब्दी
  • 🔸 10 शताब्दियां = 1 सहस्राब्दी
  • 🔸 432 सहस्राब्दी = 1 युग
  • 🔸 2 युग = द्वापर युग
  • 🔸 3 युग = त्रेता युग
  • 🔸 4 युग = सतयुग
  • सतयुग + त्रेता + द्वापर + कलियुग = 1 महायुग
  • 🔸 72 महायुग = 1 मन्वंतर
  • 🔸 1000 महायुग = 1 कल्प

🌊 प्रलय और पुनर्निर्माण का विज्ञान

  • 🌀 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (पृथ्वी पर जीवन का अंत और पुनः आरंभ)
  • 🌀 1 नैमित्तिक प्रलय = 1 कल्प (देवों का अंत और जन्म)
  • 🌀 1 महालय = 730 कल्प (ब्रह्मा का अंत और पुनर्जन्म)

🕯️ भारत की अद्वितीय द्वैत और त्रैतीय संरचना

🟢 दो (2) की व्यवस्था:

  • नर – नारी
  • शुक्ल पक्ष – कृष्ण पक्ष
  • वैदिक पूजा – तांत्रिक पूजा
  • उत्तरायण – दक्षिणायन

🔵 तीन (3) का समन्वय:

  • ब्रह्मा – विष्णु – महेश
  • महा सरस्वती – महा लक्ष्मी – महा गौरी
  • पृथ्वी – आकाश – पाताल
  • सत्वगुण – रजोगुण – तमोगुण
  • ठोस – द्रव – वायु
  • प्रारंभ – मध्य – अंत

🔱 यह है हमारे भारत का वैदिक समय विज्ञान — जो आज भी विज्ञान को चमत्कृत करता है।
हमें गर्व है कि हम उस संस्कृति से जुड़े हैं जिसने समय को सबसे पहले समझा और गिनना सिखाया।

🙏 जय भारत। जय वैदिक विज्ञान। जय सनातन संस्कृति।


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